साइबर एनकाउंटर्स पुस्तक का सीएम ने किया विमोचन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजपुर रोड स्थित सेंट जोसेफ एकेडमी में ‘‘साइबर एनकाउंटर्स’’ पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक डीजीपी उत्तराखण्ड अशोक कुमार एवं पूर्व डी.आर.डी.ओ वैज्ञानिक ओपी मनोचा द्वारा लिखी गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण विषय पर लिखी गई है। इसके लिए उन्होंने दोनों लेखकों एवं प्रभात प्रकाशन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि अशोक कुमार एवं श्री ओ.पी मनोचा ने साइबर अपराधों का विश्लेषण करती व सत्य घटनाओं पर आधारित यह पुस्तक लिखी है, इससे साइबर अपराधों से बचने में पाठकों को बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में जहां एक ओर सच्ची घटनाओं का जिक्र करते हुए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया है, वहीं दूसरी ओर पुस्तक मनोरंजक भी है। पुस्तक का एक-एक पृष्ठ लोगों को साइबर क्राइम से बचाव के लिए प्रेरित करने का कार्य करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुस्तक की अनिल रतूड़ी और प्रो. सुरेखा डंगवाल ने समीक्षा की, जो पुलिस, प्रशासन एवं समाज को भली प्रकार समझते हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पुस्तक के कुछ मुख्य अंशों का जिक्र भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि साइबर क्राइम आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है और प्रदेश के डीजीपी द्वारा इस चुनौती के सम्बन्ध में जनता को जागरूक करना इस पुस्तक की प्रासंगिकता को और भी अधिक बढ़ा देता है। आज जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती जा रही है, वैसे-वैसे साइबर क्राइम का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। साइबर अपराध पुलिस और अपराधियों के बीच कभी न खत्म होने वाला एक ऐसा खेल है, जिसमें दोनों ही एक दूसरे से आगे रहने की होड़ में रहते हैं। साइबर अपराध का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ना इस बात की ओर भी संकेत करता है कि अपराधी रोज नई-नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। पुलिस भी रोजाना नई-नई तकनीकों का सहारा लेकर अपराधियों के द्वारा बिछाये जा रहे इस जाल को तोड़ने का कार्य कर रही है। हम स्वयं भी इस तकनीकी अपराध से बच सकते हैं, बस जरूरत है हमें जागरूक होने की।

पुस्तक के लेखक डीजीपी अशोक कुमार ने पुस्तक विमोचन के अवसर पर साइबर अपराध से जुड़ी अनेक घटनाओं की जानकारी दी। साइबर अपराध से बचाव के लिए हमें किस प्रकार सतर्क रहना है, इसकी भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। साइबर अपराध और उससे पार पाने के लिए हमारे सामने क्या चुनौतियां हैं, इसकी भी उन्होंने जानकारी दी।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पूर्व महानिदेशक अनिल रतूड़ी, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, प्रभात प्रकाशन से पियूष कुमार, डॉ. अलकनंदा अशोक, शक्ति मनोचा एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

आखिर पेटीएम से कौन करा रहा है डिजिटल दान, होगी एफआईआर

केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिर में कई स्थानों पर दान के लिए क्यूआर कोड के बोर्ड लगाने के मामले में बीकेटीसी ने पुलिस को तहरीर दी है। समिति का कहना है कि मंदिरों में दान के लिए क्यूआर कोड के बोर्ड बीकेटीसी की ओर से नहीं लगाए गए थे।

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि दोनों धामों में कपाट खुलने के दिन ये बोर्ड लगाए गए थे। मामला बीकेटीसी के अधिकारियों के संज्ञान में आने पर उसी दिन बोर्ड उतार दिए गए थे। बीकेटीसी अधिकारियों ने पहले अपने स्तर से इस मामले की छानबीन की।

इसके बाद रविवार को केदारनाथ मंदिर अधिकारी ने केदारनाथ पुलिस चौकी और बदरीनाथ में प्रभारी अधिकारी की ओर से कोतवाली में तहरीर दी गई है। अजेंद्र ने यह भी बताया कि बीकेटीसी की ओर से वर्तमान में अपने कामकाज में पेटीएम का प्रयोग नहीं किया जाता है।

आयोग की नकलची अभ्यर्थियों पर बड़ी कार्रवाई

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग हरिद्वार ने जेई भर्ती पेपर लीक में शामिल 61 अभ्यर्थियों पर पांच साल का बैन लगा दिया है। इन सभी को कारण बताओ नोटिस भेजे गए थे। कुछ ने जवाब दिया था, जबकि बाकी ने नहीं दिया था। अब ये सभी आयोग की किसी भी परीक्षा में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (प्रोसिजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस) रूल्स-2013 के बिंदु 23-ए के उप बिंदु 14 के तहत इन सभी को परीक्षाओं से पांच साल के लिए प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके बाद आयोग को पुलिस ने जेई भर्ती परीक्षा पेपर लीक में शामिल 49 अभ्यर्थियों की सूची दी, जिसे आयोग ने दो मार्च को वेबसाइट पर जारी करते हुए बताया कि सभी को कारण बताओ नोटिस भेजकर परीक्षाओं से डिबार करने की प्रक्रिया चल रही है। पेपर लीक के आरोपी अभ्यर्थी जवाब नहीं दे रहे थे। आयोग जेई भर्ती के पेपर लीक में शामिल सभी 61 अभ्यर्थियों को पांच साल के लिए परीक्षा से डिबार कर दिया गया। आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने बताया, ये सभी उम्मीदवार अब आयोग की किसी भी भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे। माना जा रहा है कि जल्द ही पटवारी/लेखपाल भर्ती मामले में आयोग कोई बड़ा फैसला ले सकता है।

सेन्टर को किराये पर लेकर कराई थी नकल, एसटीएफ ने किया गिरफ्तार

यूकेएसएसएससी भर्ती परीक्षा धांधलियों में एसटीएफ ने मंगलवार को 56वां आरोपी गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी वन दरोगा भर्ती घपले में हुई। ऑनलाइन हुई परीक्षा में हरिद्वार में एक संस्थान की कंप्यूटर लैब किराये लेने वाले को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि इस सेंटर में कई आरोपियों को नकल कराई गई।
एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि स्नातक स्तरीय परीक्षा 2021, सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा, वन दरोगा भर्ती परीक्षा और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा 2016 में हुई धांधली को लेकर दर्ज चार अलग-अलग केसों की जांच एसटीएफ कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वन दरोगा के 316 पदों के लिये एनएसईआईटी कंपनी से ऑनलाइन परीक्षा 16 जुलाई 2021 से 25 जुलाई 2021 तक राज्य में 31 केंद्रों पर कराई। करीब 85 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। इनमें 620 आवेदक पास घोषित हुए। जिनका फिजीकल होने के बाद अंतिम परिणाम घोषित होना था। परीक्षा में गड़बड़ी मिलने पर रायपुर थाने में केस दर्ज हुआ है। इसमें अब तक प्रशांत, रविन्द्र, अश्वनी कुमार और कंप्यूटर लैब टेक्निशियन सचिन गिरफ्तार हुए हैं। एसटीएफ जांच में सामने आया कि हरिद्वार स्थित स्वामी दर्शनानंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज के परीक्षा केंद्र को प्रवीण कुमार राणा पुत्र जगबीर सिंह निवासी देवनगर थाना सोनीपत हरियाणा ने किराये पर लिया था। उसे पूछताछ के लिए एसटीएफ कार्यालय बुलाकर वहां से गिरफ्तार कर लिया गया।

उत्तराखंड की फिजा बिगाड़ने का आरोप, कार्रवाई की मांग

अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से मुलाकात कर बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग करने वाले व पत्थर बरसाने वाले पत्थरबाजों को चिन्हित कर इनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई को लेकर ज्ञापन सौंपा।
नेगी ने कहा कि लगभग दो माह पहले एसएसपी/डीआईजी, देहरादून दिलीप सिंह कुंवर ने दावा किया था कि बेरोजगार आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटर्स व राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामले का पर्दाफाश नहीं कर पाई, जोकि अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि उक्त फंडिंग मामले का पर्दाफाश होना देशहित में बहुत जरूरी है। अगर इसी प्रकार फंडिंग के माध्यम से आंदोलन हुए तो उत्तराखंड जैसे प्रदेश को जे एंड के जैसा प्रदेश बनने में देर नहीं लगेगी। अगर आंदोलन में कोई फंडिंग नहीं हुई है तो डीआईजी का बयान निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है।
नेगी ने कहा कि फंडिंग के माध्यम से आंदोलन करने को उकसाने वाले व पत्थरबाजों के आकाओं/साजिशकर्ताओं पर भी रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की नौबत आई, जिसकी मोर्चा घोर निंदा करता है एवं पुलिस-प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग सरकार से करता है।
मोर्चा पहले भी राज्य गठन से लेकर आज तक हुई तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग कर चुका है। हैरान करने वाली बात यह है कि डीआईजी का कहना है कि असामाजिक तत्वों द्वारा पत्थरबाजी की गई, तो फिर बेरोजगारों पर क्यों मुकदमे दर्ज किए गए। प्रतिनिधिमंडल में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह व सुशील भारद्वाज मौजूद रहे।

सवा चार लाख नगदी और ब्लैंक चेक के साथ भाजपा नेता संजय धारीवाल गिरफ्तार

पेपर लीक कांड में फरार चल रहे 50,000 के इनामी पूर्व भाजपा नेता संजय धारीवाल को आखिरकार एसआइटी ने गिरफ्तार कर ही लिया। उसके कब्जे से सवा चार लाख की नकदी और दो ब्लैंक चेक बरामद हुए हैं।

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की पटवारी और जेई एई भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने के मामले में नारसन के मोहम्मदपुर गांव का प्रधान व भाजपा का पूर्व मंगलौर मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल एसआइटी की पकड़ से लगातार फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी पर आइजी गढ़वाल करण सिंह नागन्याल ने 50 हजार का इनाम घोषित किया था।
वहीं एसआइटी कुर्की से पहले मुनादी की कार्रवाई अंजाम दे चुकी थी। जबकि कुर्की के लिए भी कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जा चुका था। कोर्ट से हरी झंडी मिलने पर किसी भी दिन कुर्की की कार्रवाई की जानी थी। दूसरी तरफ एसआइटी की एक टीम शिद्दत से संजय धारीवाल की तलाश में जुटी थी। मुखबिर से सूचना मिलने पर एसआइटी की टीम ने नारसन क्षेत्र से संजय धारीवाल को गिरफ्तार कर लिया।

एसएसपी अजय सिंह ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि संजय धारीवाल की निशानदेही पर अभ्यर्थियों को नकल स्थलों तक लाने व परीक्षा केन्द्रों तक ले जाने में इस्तेमाल किए गए वाहन एचआर 75 दृ5692 को मौहम्मदपुर जट हरिद्वार स्थित घर से बरामद किया गया। जबकि संजय धारीवाल के भाई सुधीर के करनाल हरियाणा स्थित मकान से कुल 4.25 लाख व दो ब्लैक चौक बरामद किए हैं।

इस धनराशि में से एक लाख दस हजार रुपये पटवारी भर्ती और तीन लाख पन्द्रह हजार रुपये व दोनों चौक एई /जेई भर्ती से सम्बन्धित छात्रों से लिए गए थे। आरोपित के भाई सुधीर व बहन के दामाद दीपेन्द्र पंवार उर्फ सोनू निवासी मुकन्दरपुर थाना गदरपुर जिला उधमसिंह नगर (कोचिंग संचालक) को पूर्व में ही गिरफ्तार किया जा चुका है। दोनों अभियोगों पटवारी और जेई-एई में वर्तमान तिथि तक कुल 38 आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके हैं। जांच अभी चल रही है।

नकल माफिया की संपत्ति का मूल्यांकन, कुर्क करने की तैयारी शुरु

नकल माफिया की कमर तोड़ने की दिशा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक और कड़ा कदम उठाया है। पटवारी और एई-जेई पेपर लीक प्रकरण के मुख्य आरोपी संजीव चतुर्वेदी समेत कुल पांच नकल माफिया को चिन्हित कर उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की धारा 14(1) में कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इसके तहत इनकी कुल 75 लाख 60 हजार की सम्पत्ति का मूल्यांकन किया गया है।

भर्ती परीक्षाओं में धांधली करने वालों के खिलाफ राज्य की धामी सरकार लगातार कठोर कदम उठा रही है। अब तक 80 से ज्यादा आरोपितों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। राज्य के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिहाज से देश का सबसे सख्त नकल रोधी कानून भी उत्तराखंड में लागू कर दिया गया है।
इसी क्रम में राज्य सरकार ने पटवारी एवं एई-जेई की परीक्षा में धांधली करने वालों पर शिकंजा कसना तेज कर दिया है। इस मामले के मास्टर माइंड संजीव चतुर्वेदी, रितु चतुर्वेदी सहित गैंग के कुल 5 सदस्यों पर गैंगस्टर एक्ट में कार्यवाही करते हुए इनकी कुल 75 लाख 60 हजार की सम्पत्ति का मूल्यांकन कर लिया गया है। हरिद्वार के थाना कनखल में गैंगस्टर एक्ट की धारा 14(1) के तहत कार्यवाही करते हुए नकल माफिया संजीव चतुर्वेदी व रितु चतुर्वेदी सहित गैंग से जुड़े 05 सदस्यों की चिन्हित सम्पत्ति में 4,150,000/- (इकतालीस लाख पचास हजार रुपये) नगदी व 3,412,000/- (चौंतीस लाख बारह हजार रुपये) कीमत के प्लॉट शामिल हैं। साथ ही सम्पत्ति जब्तिकरण (Property Attachment) के लिए जिलाधिकारी हरिद्वार को रिपोर्ट प्रेषित की गई है।

अभियुक्तों का विवरण जिन पर धारा 14(1) गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की जा रही है-

1- संजीव चतुर्वेदी पुत्र त्रिपुरारी निवासी मौहल्ला कदम्भ चौराहा बड़ी मठिया के सामने थाना सदर जिला बलिया उ.प्र. हाल निवासी भगीरथ आवासीय परिसर, टाईप-03, एफ-4 लोक सेवा आयोग कनखल हरिद्वार

2- रितु चतुर्वेदी पत्नी संजीव चतुर्वेदी निवासी उपरोक्त

3- राजपाल पुत्र स्व. फूल सिंह निवासी ग्राम कुलचन्दपुर उर्फ नथौड़ी थाना गागलहेड़ी, जिला सहारनपुर, उ.प्र.

4- संजीव कुमार दुबे पुत्र स्व. मांगेराम निवासी उपरोक्त

5- रामकुमार पुत्र सुग्गन निवासी सेठपुर लक्सर, हरिद्वार, उत्तराखंड।

नकल माफिया गिरोह की कमर तोड़ रहे धामी, अब संपत्ति कुर्क होनी शुरु

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का इसे कड़ा एक्शन ही कहिए कि राज्य में नकल माफिया गिरोह का भंडाफोड़ ही नही हो रहा बल्कि संपत्ति कुर्क जैसी बड़ी कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है। दशकों से उत्तराखंड को खोखला कर रहे नकल माफिया को अगर किसी ने सिर्फ एक शिकायत पर पकड़ा तो उसका श्रेय वर्तमान मुख्यमंत्री धामी को जाता है।

यही नही लगातार हो रही गिरफ्तारियां इस बात का सबूत है कि धामी सरकार किसी को भी नही छोड़ने वाली है। ऐसे माफियाओं पर सख्त कानूनी कार्रवाई के लिए धामी सरकार नकल विरोधी कानून लेकर आई, जिससे ऐसे कार्यों में संलिप्त लोगों पर कठोरत्तम कार्रवाई अमल में लाई जा सके। धामी सरकार की इच्छा शक्ति का पता लगातार हो रही कार्रवाई को देखकर भी पता चलता है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) परीक्षा घोटाले के मास्टरमाइंड हाकम सिंह की हरिद्वार में चिह्नित की गई संपत्ति को देहरादून जिलाधिकारी के आदेश पर गैंगस्टर एक्ट में कुर्क किया गया है। एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने हरिद्वार तहसीलदार को इस संपत्ति का रिसीवर नियुक्त किया गया। तहसीलदार रेखा आर्य ने सोमवार को मौके पर पहुंचकर नोटिस चस्पा करते हुए संपत्ति को कब्जे में ले लिया।

परीक्षा घोटाले की जांच कर रही उत्तराखंड एसटीएफ की जांच में सामने आया था कि नकल माफिया हाकम सिंह ने विभिन्न परीक्षा घोटालों से प्रदेश भर में करोड़ों की संपत्ति जुटाई। हरिद्वार से लेकर देहरादून व उत्तरकाशी जिलों में बेशकीमती संपत्तियां होने की जानकारी भी मिली। अवैध रूप से जुटाई गई संपत्तियां जब्त करने के लिए हाकम के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसकी जांच उत्तराखंड एसटीएफ के इंस्पेक्टर कुंदन सिंह राणा को सौंपी गई थी।

अवैध कमाई से अर्जित की गई संपत्ति की खोजबीन के दौरान हाकम की हरिद्वार के रानीपुर झाल क्षेत्र में भी एक संपत्ति होने की जानकारी एसटीएफ को मिली थी। छानबीन में सामने आया है कि यह संपत्ति हाकम सिंह ने बिल्केश्वर कालोनी निवासी वासुदेव अग्रवाल से लगभग 84 लाख रुपये में खरीदी थी। प्लाट पर मकान का निर्माण होता पाया गया था।

विवेचक इंस्पेक्टर कुंदन सिंह राणा ने संपत्ति जब्त करने की रिपोर्ट जिलाधिकारी देहरादून को भेजी थी। जिस पर जिलाधिकारी देहरादून सोनिका ने संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी किए। इस कार्रवाई का हवाला देते हुए उत्तराखंड एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने जिलाधिकारी हरिद्वार को पत्र भेजा। जिसके आधार पर जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने हरिद्वार तहसीलदार को इस संपत्ति का रिसीवर नियुक्त कर दिया है।
सोमवार को तहसीलदार रेखा आर्य, नायब तहसीलदार अनिल गुप्ता सहित टीम को लेकर मौके पर पहुंची और संपत्ति पर नोटिस चस्पा करते हुए अपनी कब्जे में ले लिया। हरिद्वार में हाकम का बैंक खाता भीहरिद्वार में हाकम की सिर्फ संपत्ति ही नहीं, बल्कि एक बैंक खाता भी मौजूद है। एसटीएफ की खोजबीन में इस बैंक खाते का पता चला। हालांकि, खाते में कोई खास रकम मौजूद नहीं है।

सूत्र बताते हैं कि रानीपुर मोड स्थित पीएनबी की अहमदपुर ब्रांच में हाकम का बैंक खाता खुला हुआ है। इस खाते में चंद रुपये ही मौजूद हैं। हरिद्वार में खाता खुलवाने के पीछे हाकम का क्या उद्देश्य था, वह इसमें रकम क्यों नहीं जमा कर पाया, यह जांच का विषय है, लेकिन हरिद्वार में खाता खुलवाने पर हाकम की मंशा पर सवाल जरूर उठ रहे हैं।

मोर्चा ने जम्मू और कश्मीर बनने से बचाने को आखिर क्यों दिया ज्ञापन

जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी नेतृत्व में तहसील घेराव/प्रदर्शन कर बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग करने वाले व पत्थर बरसाने वाले पत्थरबाजों को चिन्हित कर इनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उप जिलाधिकारी, विकासनगर को सौंपा। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नेगी ने कहा कि लगभग 20-25 दिन पहले एसएसपी/डीआईजी, देहरादून दिलीप सिंह कुंवर ने दावा किया था कि बेरोजगार आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटस व राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामले का पर्दाफाश नहीं कर पाई, जोकि अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि उक्त फंडिंग मामले का पर्दाफाश होना देशहित में बहुत जरूरी है। अगर इसी प्रकार फंडिंग के माध्यम से आंदोलन हुए तो उत्तराखंड जैसे प्रदेश को जे एंड के जैसा प्रदेश बनने में देर नहीं लगेगी। अगर आंदोलन में कोई फंडिंग नहीं हुई है तो डीआईजी का बयान निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है।
नेगी ने कहा कि फंडिंग के माध्यम से आंदोलन करने को उकसाने वाले व पत्थरबाजों के आकाओं/साजिशकर्ताओं पर भी रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह ने कहा कि पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की नौबत आई, जिसकी मोर्चा घोर निंदा करता है एवं पुलिस-प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग सरकार से करता है।
घेराव/प्रदर्शन में विजय राम शर्मा, विनय कांत नौटियाल, हाजी असद, सलीम (मुजीब-उर-रहमान), बृजलाल टम्टा, के.सी. चंदेल, भजन सिंह नेगी, जयकृत नेगी, जयदेव नेगी, इदरीश, प्रवीण शर्मा पिन्नी, अमित जैन, रहबर अली, किशन पासवान, भगत सिंह नेगी, विक्रम पाल, मुकेश पसबोला, रूपचंद, शहजाद, राजेंद्र पंवार, नरेंद्र तोमर, आशीष सिंह, दीपांशु अग्रवाल, दिनेश राणा, इंतजार अली, अमित कुमार, गोविंद सिंह नेगी, सलीम मिर्जा, गुरविंदर सिंह, सुशील भारद्वाज, मनोज राय, संजय पटेल, कुंवर सिंह नेगी, संगीता चौधरी, प्रदीप सिंह, नीरज ठाकुर, प्रमोद शर्मा, देव सिंह चौधरी, चौधरी मामराज, प्रवीण कुमार, मो. आसिफ, जयपाल सिंह, फकीर चंद पाठक, विनोद रावत, सुरजीत सिंह, मदन सिंह, संध्या गुलेरिया आदि मौजूद रहे।

पुलिस ने पत्थरबाजों को फंडिंग करने वाले एक बैंक खाते को किया चिन्हित

दून पुलिस ने नौ फरवरी को गांधी पार्क के पास धरना प्रदर्शन के दौरान हुई पथराव की घटना मुकदमा दर्ज किया था। इसमें 10 पत्थरबाजों को चिन्हित किया गया है, जबकि पत्थरबाजों को फंडिंग करने वाले एक बैंक खाते को भी पुलिस ने फ्रीज किया है।

थाना कोतवाली नगर में मुकदमा अपराध संख्या 57/23 धारा 147/186/188/307/332/341/ 353/34/427/324 भादवी तथा 3/4 लोक संपत्ति निवारण अधिनियम व 7 क्रिमिनल लॉ एक्ट के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया है। अभियोग की विवेचना के दौरान पुलिस टीम द्वारा अब तक पथराव की घटना में शामिल 10 पत्थरबाजों को चिन्हित किया गया है, साथ ही विधि विरुद्ध जमाव में सम्मिलित तथा पुलिस में पथराव करने वाले उपद्रवियों को वित्तीय पोषण देने वाले एक संदिग्ध खाते को फ्रीज किया गया है।

उपद्रवियों को वित्तीय पोषण देने वाले व्यक्तियों / संगठनों को चिन्हित कर उन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है, इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया फ्लेटफॉर्म्स पर सतर्क दृष्टि रखते हुए भ्रामक सूचना फैलाने वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनकी लगातार निगरानी की जा रही है।