465 पेटी अंग्रेजी शराब के साथ दो युवक गिरफ्तार, कीमत 27 लाख रूपए

रायवाला पुलिस ने देहरादून से पहाड़ों में ट्रक से ले जाई जा रही 465 पेटी अंग्रेजी शराब के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार शराब की कीमत करीब 27 लाख रुपए है।
थानाध्यक्ष रायवाला अमरजीत सिंह रावत ने आरोपियों की पहचान 28 वर्षीय नवीन कुमार पुत्र त्रिलोक राम निवासी गोरा पड़ाव थाना हल्द्वानी जिला नैनीताल और 19 वर्षीय चंदन सिंह बिष्ट पुत्र राम सिंह बिष्ट निवासी जैती पोस्ट जाख थाना लम्गड़ा जिला अल्मोड़ा के रूप मेें कराई।

थानाध्यक्ष ने बताया कि देहरादून के पथरिया पीर में जहरीली शराब के सेवन से हुई मौतों व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए अवैध रूप से तस्करी कर लाई जाने वाली शराब के खिलाफ विशेष रूप से अभियान चलाया जा रहा है। इसी बीच पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि देहरादून की तरफ से एक ट्रक में भारी मात्रा में शराब तस्करी के लिए लाई जा रही है। इसकी सप्लाई कोटद्वार के रास्ते पहाड़ में होनी है।

सूचना पाकर पुलिस टीम ने थाना रायवाला से आगे बैरियर लगाकर सघन चेकिंग की। कुछ ही देर में एक ट्रक देहरादून की तरफ से तेजी से आते दिखाई दिया, जिसे पुलिस ने बैरियर लगाकर बामुश्किल रोका।

थानाध्यक्ष ने बताया कि ट्रक नंबर यूके- 07-सीबी-6339 की तलाशी लेने पर ट्रक के अंदर 465 पेटियां अंग्रेजी शराब की बरामद हुई। उत्तराखंड ब्रांड की बरामद शराब की कीमत लगभग 27 लाख रुपये है। पुलिस टीम में उप निरीक्षक विक्रम सिंह नेगी, ताजवर सिंह, कांस्टेबल दिनेश महर, सचिन सैनी, प्रवीण सिंधू शामिल रहे।

सेना की भर्ती में फर्जी सर्टिफिकेट लेकर सात पहुंचे, पुलिस ने पकड़कर की पूछताछ

चंपावत के बनबसा सेना छावनी में आयोजित भर्ती के दौरान सात ऐसे युवक यूपी और हरियाणा के पाए गए। जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सेना में भर्ती को पहुंचे थे। मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) और मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के साथ इन सातों को पकड़ा लिया है। इनसे पूछताछ के बाद एलआईयू और पुलिस ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले बुलंदशहर, यूपी निवासी सरगना को कार ड्राइवर व एक अन्य के साथ बनबसा में दबोच लिया।

उनके पास यूपी के हाईस्कूल-इंटर और बागेश्वर जिले की तहसीलों के फर्जी निवास प्रमाण पत्र बरामद हुए हैं। पुलिस के अलावा विभिन्न जांच एजेंसियां उनसे पूछताछ कर रही हैं। बनबसा सेना छावनी में मंगलवार सुबह कुछ युवकों के फर्जी दस्तावेजों के साथ पहुंचने की सूचना मिली।

पुलिस पूछताछ के बाद मुख्य आरोपी को भी दबोच लिया गया। पकड़े गए युवकों में दीपक भाटी (30) निवासी शाहजहांपुर-बल्लभगढ़, फरीदाबाद एवं उसका भाई जगदीश भाटी (22), प्रमोद कुमार (20) निवासी मोखमपुर गौतमबुद्ध नगर यूपी, पंकज कुमार (22) निवासी बागपुर, पलवल (हरियाणा), लोकेश चौहान (20) निवासी मित्रौल पलवल, अनुज रावत (23) निवासी दुरियाई दादरी गौतमबुद्ध नगर, कुणाल चौधरी (20) निवासी दुरियाई गौतमबुद्ध नगर शामिल हैं। पकड़े गए सरगना समेत सभी युवकों के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471,120बी लगाई है।

पुलिस ने लगाया जोर, तो हुआ शराब कांड का सरगना गिरफ्तार

उत्तराखंड का जनपद देहरादून के पथरिया पीर में जहरीली शराब के सेवन से हुई छह लोगों की मौत के मामले में पुलिस मुख्य सरगना को गिरफ्तार कर लिया है। 22 सितंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सख्त रूख के बाद पुलिस ने जोर लगाया तो पूर्व पार्षद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरूण मोहन जोशी ने बताया कि वांछित चल रहे भाजपा से निष्कासित पूर्व पार्षद अजय सोनकर उर्फ घोंचू को गिरफ्तार कर लिया गया है। घोंचू की योजना कोर्ट में आत्मसमर्पण करने की थी, लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया। कानून से बचने के लिए घोंचू ने खूब जुगाड़ लगाए थे, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया।

उन्होंने बताया कि पथरिया पीर में छह लोगों की मौत के बाद से यह बात सामने आ रही थी कि गौरव, राजू उर्फ राजा नेगी और पूर्व पार्षद अजय सोनकर उर्फ घोंचू इलाके में अवैध रूप से शराब बेचते थे।

ओएलएक्स से बाइक खरीदने के लिए आनलाइन रूपए की ट्रांसफर, अब लगा रहा पुलिस के चक्कर

मुनिकीरेती थाना क्षेत्र में दो लोगों के साथ ओएलएक्स साइट के जरिये ऑनलाइन ठगी करने का मामला सामने आया है। पीड़ितों को बाइक बेचने के नाम 76,500 रुपये की ठगी हुई है। मुनिकीरेती पुलिस ने तहरीर के आधार जांच शुरू कर दी है। मनीष देवराड़ी निवासी कुराड़ थराली, जिला चमोली ने तहरीर दी कि ओएलएक्स के जरिये एक व्यक्ति ने उन्हें बाइक लेने को कहा। उन्हें बाइक की स्थिति सही लगी तो उन्होंने पेटीएम अकाउंट पर 51 हजार रुपये भेज दिए। उन्होंने बताया कि तथाकथित विक्रेता ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर बुलाया। जब वहां कोई मौजूद नहीं मिला तो उसे ठगी का अहसास हुआ।
मनीष ने बताया कि जिस नंबर से उन्हें कॉल आई थी उसकी डिटेल के आधार पर पहचान इरफान खान नामक युवक के रूप में हुई, जबकि उसने अपना नाम विनोद सिंह बताया था। इसी तरह तपोवन नीरगड्डू निवासी सुनील सिंह को भी ओएलएक्स के बहाने शातिर ने ठग लिया। सुनील ने अपनी तहरीर में बताया कि उन्होंने ठग के झांसे में आकर बाइक लेने के लिए पेटीएम अकाउंट से 25,500 की रकम ट्रांसफर कर दी है। अब ठग का नंबर बंद आ रहा है। दोनों की तहरीर मिलने के बाद मुनिकीरेती पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। इसके लिए साइबर सेल टीम की मदद ली जा रही है।

मुनिकीरेती पुलिस ने बिना वीजा और पासपोर्ट 18 साल से रह रहे विदेशी को पकड़ा

बिना पासपोर्ट और वीजा के पिछले 18 वर्षों से एक विदेशी नागरिक साधुवेश में तीर्थनगरी में डेरा डाले हुए है। कई साल से अवैध निवास कर रहे विदेशी नागरिक के बारे में पुलिस और एलआईयू को शुक्रवार को पता चल पाया। पुलिस सूचना मिलने के बाद मुनिकीरेती क्षेत्र स्थित नावघाट पहुंची। जब नागरिक से उसके वैध दस्तावेज मांगे गए तो उसने काफी देर तक एलआईयू टीम को प्रवचन के झांसे में उलझाए रखा। आखिरकार स्वीकार किया कि उसके पास कोई पासपोर्ट, वीजा या निवास का कोई वैध दस्तावेज नहीं है।
अवैध रूप से निवास कर रहा जर्मन नागरिक जर्गेन रुडोल्फ 1981 में भारत आया था। इस दौरान पिछले 38 साल से वह महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों में रहा। पिछले 18 साल से वह ऋषिकेश क्षेत्र में स्थान बदल-बदल कर रह रहा है। फिलहाल उसका मौजूदा ठिकाना मुनिकीरेती स्थित नावघाट बना हुआ है। वह गंगा किनारे बने सीढ़ी पर टेंट डालकर रह रहा है। अवैध तरीके से रहने की सूचना मिलने के बाद करीब 12 बजे मुनिकीरेती पुलिस और एलआईयू की सब इंस्पेक्टर उमा चैहान अपनी टीम के साथ पूछताछ को पहुंचे। पूछताछ के दौरान जर्गेन रुडोल्फ ने पहले तो आनाकानी की। बाद में अपना मूल निवास भी बताने से इनकार कर दिया।
बाद में उसने कुछ दस्तावेज दिखाए जिसके मुताबिक वह जर्मन नागरिक है, और 1981 में भारत आ गया था। तब से वह गेरुआ वस्त्र पहने पिछले 18 सालों से तीर्थनगरी में अलग-अलग स्थानों पर रह रहा है। एलआईयू एसआई उमा चैहान के मुताबिक अवैध निवास कर रहे जर्मन नागरिक की सूचना संबंधित एंबेसी को दी जाएगी। फिलहाल अभी मामले की पड़ताल की जा रही है। वहीं थाना अध्यक्ष मुनिकीरेती आरके सकलानी का कहना है कि विदेशी नागरिक के अवैध प्रवास संबंधी मामले की गहन छानबीन हो रही है। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, विदेशी जर्गन रुडोल्फ का कहना है कि उसके पास वीजा, पासपोर्ट सहित सभी वैध दस्तावेज थे। कई साल पहले कुछ बदमाशों ने रुपयों के लालच में सारे दस्तावेज फाड़कर फेंक दिए। उनके पास पैसे भी नहीं हैं। जर्मन एंबेसी में एक बार मदद की गुहार लगाई थी। इसके बावजूद एंबेसी के लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं। रुडोल्फ का कहना है कि अब उसने भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर लिया है। उसका नया नाम आशाराम गिरि है। पूरा विश्व मेरा कुटुंब है। परिवार में कोई नहीं है। मां गंगा ही मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक है।

आखिर किसका था दबाव, पुलिस ने 30 घंटे तक जहरीली शराब का मामला दबाए रखा!

जहरीली शराब कांड के सामन के आने के बाद पता चला कि 30 घंटे तक घटना में पर्दा डाले रखने वाली पुलिस ने गुरुवार सुबह से शुक्रवार दोपहर तक हुई चार मौतों को डेंगू का प्रकोप बताकर पिंड छुड़ाना चाहा था। यही नहीं, इन चारों शवों का पोस्टमार्टम कराने की पुलिस ने जहमत भी नहीं उठाई। ऐसे में मृतकों के परिवारजन शवों का अंतिम संस्कार भी कर चुके थे। जब मामला बिगड़ा तो पुलिस को होश आया और आनन-फानन में दो शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। हैरत की बात है कि राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, जिलाधिकारी आवास व एसएसपी आवास के महज एक किमी के दायरे एवं विधायक आवास से महज 20 मीटर दूर पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब से मौत का कहर बरपा। लेकिन पुलिस शुक्रवार दोपहर तक इस मामले को डेंगू की आड़ में ‘दफन’ करने की कोशिशों में जुटी रही।
यहां तक की जहरीली शराब से चार मौत की सूचना के बाद भी पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराना जरूरी नहीं समझा। पीड़ित परिवारों का कहना था कि गुरुवार रात ही तीन मौतों की सूचना विधायक गणेश जोशी और संबंधित पुलिस अधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई जरूरी कदम नहीं उठाए। आरोप हैं कि जांच करने के बजाय पुलिस पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाकर दावा करती रही कि डॉक्टरों ने मौत की वजह डेंगू बताई है। मामले में पुलिस न केवल सवालों में है बल्कि उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पथरिया पीर इलाके में जो कुछ हुआ, वह तंत्र की भूमिका को कठघरे खड़ा कर रहा है। हैरानी यह कि थाने की पुलिस ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि भी मामले को दबाने की जुगत भिड़ाते रहे।
शहर के बीचों-बीच हुए इस घटनाक्रम के 30 घंटे बाद भी सरकार पूरी तरह अनजान रही। शुक्रवार शाम विधायक के आवास पर हंगामे की सूचना पर सरकार को मामले की भनक लगी और शाम सात बजे अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई। छह मौत की जानकारी के बाद सरकार हरकत में आई। पथरिया पीर कांड ने सरकार से लेकर प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया। इसके गुनाहगार कौन थे, इन्हें पनाह कौन दे रहा था, यह सामने आना अभी बाकी है। इस बीच, सरकार ने फौरी कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाल शिशुपाल सिंह नेगी, धारा चैकी इंचार्ज कुलवंत सिंह, आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने दो आबकारी निरीक्षकों शुजात हसन व मनोज फत्र्याल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने कोतवाली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया था कि इलाके में अवैध तरीके से शराब बेचे जाने की एक नहीं कई बार शिकायत की गई थी,। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि इस प्रकरण में सीओ सिटी की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस की भूमिका की जांच एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल को सौंपी गई है। यह भी देखा जा रहा है कि शराब कहां से आती थी और कैसे बेची जाती थी? क्या वाकई में इलाकाई पुलिस को इस बात की जानकारी थी। इसके लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज से लेकर कॉल डिटेल रिकार्ड तक चेक किए जाएंगे। जो भी दोषी होगा, वह किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के नेशविला रोड में जहरीली शराब के सेवन से हुई जनहानि पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव, डीजीपी व आबकारी आयुक्त को इस मामले में दोषी पाए जाने वालों पर शीघ्र कारवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने महानिदेशक स्वास्थ्य व सीएमओ देहरादून को चिकित्सालयों में भर्ती लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी निर्देशित किया है।

क्या हकीकत में देश की सबसे बड़ी एफआइआर उत्तराखंड में लिखी जा रही? जानिए…

कहा जा रहा है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर अपने राज्य में दर्ज होने जा रही है। अभी तक पांच दिन में 43 पेज की लिखत-पढ़त हो चुकी है। जबकि अभी 11 पेज और लिखा जाना बाकी है। इन पेजों के लेखाजोखा में पुलिस के भी पसीने छूट रहे हैं। इसके पीछे का कारण स्वास्थ्य विभाग है। जिसने आयुष्मान योजना में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर के रूप में दे दी है। वहीं एसएसपी ऊधमसिंहनगर बरिंदरजीत सिंह का इस बारे में कहना है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर है, ऐसा कहना संभव नहीं है। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। एफआइआर लंबी है, इसलिए समय अधिक लग रहा है। विवेचक को विवेचना करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। तथ्यों के आधार पर विवेचना की जाएगी।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत एमपी मेमोरियल अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच में सामने आया कि अस्पताल के संचालक नियमों के खिलाफ मरीजों के फर्जी इलाज के बिलों का क्लेम वसूल रहे हैं। एमपी अस्पताल में मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद भी उनको कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाया गया। इसके अलावा आइसीयू में भी क्षमता से ज्यादा रोगियों का इलाज होना बताया गया। मामले की पूरी जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पूरी जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के लिए दे दी। स्वास्थ्य विभाग की जांच ही पुलिस के गले की फांस बनी हुई है। यदि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच का निष्कर्ष निकालकर दिया गया होता तो पुलिस को इतनी दिक्कतें नहीं झेलनी पड़तीं। हालांकि बांसफोड़ान पुलिस चैकी में देवकी नंदन अस्पताल संचालक पुनीत बंसल के खिलाफ 22 पेज की एफआइआर लिखी जा चुकी है। जबकि अभी एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का सिलसिला जारी है।
एफआइआर को लिखने में लिपिक के सामने सबसे बड़ी दिक्कत भाषाएं बनी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एफआइआर लिखने को दी गई जांच रिपोर्ट हिंदी-अंग्रेजी और गणित की भाषा में है। जिससे एक पेज लिखने में घंटों का समय लग रहा है। हालांकि मैनुअली लिखे जाने के साथ ही एफआइआर को साथ ही साथ पुलिस के सॉफ्टवेयर सीसीटीएनएस दर्ज किया जा रहा है। कटोराताल पुलिस चैकी में एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ लिखी जा रही एफआइआर में अभी तक आठ रिफिल लग चुके हैं। जबकि अभी तीन-चार रिफिल और खर्च हो सकते हैं। इतना ही नहीं एफआइआर को लिखने में लिपिक को प्रतिदिन 14 घंटे का समय देना पड़ रहा है। जिसके बाद अन्य काम किए जा रहे हैं।

हरिद्वार और यूएस नगर में बिजली चोरी को रोकने को प्राधिकृत होंगे दो थानें

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विद्युत लाईनों को ठीक करते हुए होने वाली दुर्घटनाओं को राकने के लिए पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। इन दुर्घटनाओं के प्रभावितों को तुरंत मुआवजा उपलब्ध कराया जाए। बिजली चोरी को रोकने के लिए उच्च अधिकारी भी फील्ड में जाएं। सौर ऊर्जा व पिरूल आधारित ऊर्जा परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को और प्रभावी बनाया जाए। सरकारी भवनों को सोलर रूफ टॉप अंतर्गत लाया जाए। एलईडी उपकरणों की बाजार में मांग का विश्लेषण कर उसी अनुरूप इनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर में बिजली चोरी को रोकने के लिए दो थानों को प्राधिकृत कर दिया जाए। मुख्यमंत्री सचिवालय में ऊर्जा विभाग की सीएम डेशबोर्ड ‘उत्कर्ष’ में केपीआई के आधार पर समीक्षा कर रहे थे।

बैठक में सचिव राधिका झा ने बताया कि जल विद्युत परियोजनाओं से इस वर्ष 13.5 मेगावाट क्षमता की वृद्धि हो जाएगी। अगले छः माह में सरकारी कार्यालयों में 25 किलोवाट तक के प्री-पैड मीटर लगा दिए जाएंगे। जिन क्षेत्रों में विद्युत हानि अधिक है वहां ओपेक्स मॉडल पर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। ऊर्जा विभाग में 10 केपीआई लिए गए हैं। इसमें 13 हाइड्रो पो्रजेक्ट से 4700 मिलियन यूनिट उत्पादन के सापेक्ष 4663 मिलियन यूनिट उत्पादन किया जा रहा है। 2.25 लाख घरों की मीटरिंग के लक्ष्य के सापेक्ष 2.32 लाख घरों की मीटरिंग की जा चुकी है। एटी एंड सी हानियों को 16.53 प्रतिशत तक लाया जा चुका है। इसे 14 प्रतिशत तक लाया जाना है। 7.76 लाख एलईडी बल्ब का वितरण किया जा चुका है। औसत बिजली उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में 23.20 घंटे प्रतिदिन व शहरी क्षेत्रों में 23.35 घंटे है। बिलिंग एफिशिएंसी 85.78 प्रतिशत की जा चुकी है। सौर ऊर्जा की 148.85 मेगावाट की परियोजनाएं आवंटित की जा चुकी हैं। पिरूल नीति के अंतर्गत 675 कि0वा0 की परियोजना आवंटित की जा चुकी हैं।

रूपया जमा करने पहुंचे युवक से दो युवकों ने की लूट, पुलिस ने गंग नहर से आरोपियों को पकड़ा

जिला हरिद्वार के रुड़की में पिरान कलियर क्षेत्र में बैंक में पैसा जमा करने आए युवक से दो युवकों ने दुस्साहस करते हुए बैंक के अंदर से ही हजारों की नकदी लूट ली और भागने लगे। युवक ने शोर मचाकर उनका पीछा किया तो दोनों गंगनहर में कूद गए। वहीं, सूचना पाकर मौके पर पुलिस पहुंची और दोनों दोनों आरोपियों को गंगनहर से बाहर निकाला। पुलिस ने दोनों के खिलाफ लूट का केस दर्ज कर लिया है।

भगवानपुर थाना क्षेत्र के मानुबास गांव निवासी शहजाद का कलियर-रुड़की मार्ग स्थित पंजाब नेशनल बैंक में खाता है। बृहस्पतिवार को वह खाते में पैसे जमा करने बैंक आए थे। अभी उन्होंने फार्म भरना शुरू ही किया था कि दो युवक उनके पास पहुंचे।

दोनों ने खुद को अनपढ़ बताते हुए शहजाद से अपना भी पैसे जमा करने वाला फार्म भरने कहा। इस पर शहजाद ने अपने करीब साढ़े बारह हजार रुपये काउंटर पर ही रख दिए और उनका फार्म भरने लगा।
इस बीच शहजाद का ध्यान हटते ही एक युवक ने रुपये उठा लिए और उनकी जगह रुमाल में लपटेकर नोटनुमा कागज के टुकड़े रखकर भाग निकला। इसी बीच दूसरा युवक भी बिना फार्म जमा करवाए ही भागने लगा। शक होने पर शहजाद ने रुमाल उठाकर देखा तो रुपये गायब थे। इसके बाद उन्होंने शोर मचाते हुए भाग रहे युवकों का पीछा किया।

देखते ही देखते कई लोग युवकों को पकड़ने के लिए दौड़ पड़े। भीड़ को आता देख दोनों युवकों ने पुरानी गंगनहर में छलांग लगा दी। साथ ही रुके पानी में खड़ी (समुंदर सोक) घास में छिप गए। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और दोनों की तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला।

लिहाजा कलियर पुलिस ने जल पुलिस के जवानों को बुलाकर दोनों की तलाश शुरू की। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद जल पुलिस के जवानों ने दोनों युवकों को तलाश कर गंगनहर से बाहर निकाला।

इसके बाद पुलिस उन्हें पकड़कर थाने ले आई और उनके पास से लूटी गई रकम बरामद कर ली। एसओ अजय सिंह ने बताया कि इमरान निवासी खजूरी, दिल्ली और राजू गोम्स निवासी कलकत्ता हाल निवासी सोनिक सिटी, गाजियाबाद के खिलाफ लूट का केस दर्ज कर दोनों का आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है।

परीक्षा में पास कराने के नाम पर हुई ठगी, युवक काट रहा कोतवाली के चक्कर

कोतवाली ऋषिकेश क्षेत्र में 10वीं की परीक्षा पास करवाने के नाम पर 18 हजार ऐंठने का मामला प्रकाश में आया है। खुद को इंस्टीट्यूट की संचालिका बताने वाली एक महिला ने पीड़ित की परीक्षा भी कराई लेकिन छह माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी परीक्षा का परिणाम नहीं आया। पीड़ित ने जब संचालिका से संपर्क करने की कोशिश की तो उससे बात हो पाई। आफिस भी महीनों से बंद पड़ा हुआ है। ठगी का एहसास होने पर पीड़ित ने कोतवाली पुलिस को तहरीर भी दी है। वहीं पुलिस तहरीर के आधार पर मुकदमा लिखने को राजी नहीं दिख रही है। बता दें कि महिला ने स्वयं को एनआईओएस का अधिकारी भी बताया था।

तहरीर में शिवाजी नगर निवासी शिवा मंडल ने बताया कि वह हरिद्वार मार्ग स्थित एक संस्थान में गया। यहां संस्थान की संचालिका डूटिमॉनी बगलानी ने बताया कि उनकी एक ओपन स्कूल में अच्छी बातचीत है। वह 10 कक्षा में उन्हें पास करा देंगी। इसके लिए संचालिका ने बीते वर्ष नौ जुलाई 2018 को छह हजार रुपये जमा करवाने को कहा और रसीद दी। पीड़ित का कहना है कि अचानक नवंबर माह में संचालिका ने दूसरी किश्त में नौ हजार रुपये और जमा करने को कहा। यह धनराशि भी पीड़ित ने 27 नवंबर 2018 को जमा कर दी। इसके बाद उसने दिसंबर में देहरादून स्थित केंद्रीय विद्यालय में परीक्षा भी दी। छह माह से अधिक समय बीत जाने और परीक्षा का रिजल्ट नहीं आने पर पीड़ित ने उक्त महिला से संपर्क करना चाहा। उक्त महिला का आफिस भी बंद है और महिला का फोन भी बंद आ रहा है।