पारंपरिक खाद्यान्नों का अपना विशिष्ट स्वादः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल 2019 के अंतर्गत उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा आयोजित उत्तराखंड फूड फेस्टिवल में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने मसूरी कार्निवाल में शामिल पर्यटकों व अन्य लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि फूड फेस्टिवल के माध्यम से राज्य के व्यंजनों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने होटल व्यवसायियों से अपने मैन्यू में स्थानीय व्यंजनों को शामिल करने को कहा। उन्होंने कहा कि हमें अपनी लोक संस्कृति, परंपरा एवं खानपान पर गर्व होना चाहिए। हमारे उत्पाद देश व दुनिया में अपनी पहचान बनाये इसके भी प्रयास होने चाहिए। हमारे पारंपरिक खाद्यान्न पौष्टिकता से भरपूर हैं, इनका अपना विशिष्ट स्वाद है, इसकी बेहतर ब्रांडिंग के जरिये हम इनकी पहचान बनाने में सफल हुए तो इससे इनके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा तथा ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर पर श्रेष्ठ व्यंजन बनाने वालों को पुरस्कृत भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य का प्राकृतिक सौंदर्य बेजोड़ है, यह प्रकृति का हमें अनमोल उपहार है, उन्होंने कहा कि राज्य में नये पर्यटन स्थलों के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। मसूरी एवं नैनीताल जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल आज जैसे हैं, उन्हें इस स्वरूप में आने में लगभग 200 साल लगे हैं। किसी स्थान को विकसित होने में समय लगता है। राज्य सरकार पर्यटन को बढावा देने के लिए 13 जिलों में 13 नये गंतव्यों को विकसित कर रही है। आल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन एवं एयर कनेक्टिविटी के विस्तार से संबंधित कार्य तेजी से चल रहे हैं।

राज्य में फिल्मांकन को प्रोत्साहन देने के लिए भी अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जा रहा है, इसके लिए आरामदायक उत्तम श्रेणी के बड़े होटलों की स्थापना एवं फिल्मांकन के अनुकूल स्थलों की पहचान पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देहरादून-मसूरी रोपवे के निर्माण से पर्यटकों को आवागमन में सुविधा होगी, इस दिशा में कार्यवाही गतिमान है। मसूरी में पार्किंग समस्या के समाधान की दिशा में भी कारगर प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लगाये गये विभिन्न स्टालों का भी अवलोकन किया तथा उनके प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।

छह मिनट के वीडियो गीत में दिखेगी उत्तराखंड की सौंदर्यता, सीएम ने किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में रमेश भट्ट द्वारा गाए उत्तराखंडी वीडियो गीत ‘जै जै हो देवभूमि’ को रिलीज किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ छह मिनट में देवभूमि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य को प्रस्तुत करने का प्रयास रमेश भट्ट ने अपने इस वीडियो गीत में किया है। उनका यह प्रयास उत्तराखण्ड को नई पहचान दिलाने में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि इस वीडियो गीत के माध्यम हम समूचे उत्तराखण्ड का सिंहावलोकन कर सकते हैं।

यह गीत प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत व लोक संस्कृति को भी बढ़ावा देने में सहायक होगा। उनकी भावनायें उत्तराखण्ड से जुड़ी हैं, उनके इस गीत में गीत संगीत अभिनय की व्यापक झलक मिलती है।

रमेश भट्ट बहुमुखी प्रतिभा के धनीः त्रिवेन्द्र
सीएम ने रमेश भट्ट को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए राज्य के प्रति उनके लगाव एवं समर्पण की भी सराहना की। उन्होंनें कहा कि समाज में छिपी प्रतिभाओं को निखारने तथा उन्हें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किये जाने के प्रयास किये जाने चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा जागर गायिका पद्म बसंती बिष्ट, शिक्षक प्रोफेसर के.डी. सिंह आदि को सम्मानित भी किया गया।

विस अध्यक्ष और सांसद ने की सराहना
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल तथा सांसद अजय भट्ट ने भी रमेश भट्ट के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारी लोक संस्कृति हमारी पहचान है। यह वीडियो देश व दुनिया के लोगों को उत्तराखण्ड आने का भी आमन्त्रण देता है। रमेश भट्ट के गुरू श्री के.डी.सिंह ने कहा कि इस अवसर पर उन्हें सम्मान देकर श्री भट्ट ने गुरू शिष्य परम्परा को जीवन्तता प्रदान की है। उन्होंने इस प्रयास को मिट्टी के ऋण से उऋण होने जैसा प्रयास बताया।

गीत से राज्य की अदभुत संुदरता के होंगे दर्शनः रमेश भट्ट
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने कहा कि इस गीत में उत्तराखंड की सुंदरता के अद्भुत दृश्य दिखाने के प्रयास किये गये हैं। इसमें उत्तराखंड के उच्च हिमालयी चोटियों, आध्यात्मिक- धार्मिक स्थलों, सांस्कृतिक मेलों, पहाड़ की संस्कृति और जैव विविधता के दर्शन होंगे। इस गीत के बोल स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने लिखे हैं। इस गीत को नए कलेवर में पेश करने का उन्होंने प्रयास किया है।

चारधाम सहित हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी से एक बार फिर ठंड बढ़ी

उत्तराखंड में मौसम के मिजाज में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में एक बार फिर से हिमपात होने से ठंड में एकाएक बढ़ोत्तरी हुई है। चार धाम के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात से कड़ाके की ठंड जारी है। प्रदेश के आठ शहरों में न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से भी कम है। इतना ही नहीं अधिकतम तापमान भी सामान्य से पांच से सात डिग्री सेल्सियस कम बना हुआ है। देहरादून स्थित राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शनिवार को प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं, वहीं निचले इलाकों में बादल छाए रहेंगे और हल्की बूंदाबांदी भी संभव है।
उत्तराखंड में शीतलहर का असर बना हुआ हैं। मसूरी, चमोली के जोशीमठ और कुमाऊं के चम्पावत में पारा तीन डिग्री सेल्सियस से भी कम है। शीतलहर के असर को देखते हुए हरिद्वार और नैनीताल में शुक्रवार को एक से बारहवीं तक के स्कूलों में अवकाश रहा। वहीं देहरादून में स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि रविवार तक प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) का प्रभाव बना रहेगा। बताया कि इस दौरान उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश व बर्फबारी हो सकती है।
गंगा घाटी में भारी हिमपात से ठंड का कहर अपने चरम पर है। हाल ये है कि भीषण ठंड के कारण झाला से लेकर गंगोत्री तक कई झरने और नाले जम चुके हैं। गंगोत्री में भागीरथी (गंगा) के जिस हिस्से में बहाव कम है वहां भी पानी बर्फ बन चुका है। शीतलहर के कारण हर्षिल घाटी और गंगोत्री में पेयजल संकट गहरा गया है। लोग पानी का इंतजाम बर्फ गलाकर कर रहे हैं। गंगोत्री में इन दिनों 55 और भैरवघाटी में 40 लोग रह रहे हैं। ठंड के कहर का सबसे अधिक असर 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में है। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 65 किमी दूर गंगोत्री की ओर सुक्की टॉप गांव से लेकर गंगोत्री तक अपनी सुंदरता बिखेरने वाले 40 से अधिक झरने व नाले जम चुके हैं। हर्षिल घाटी के आठ गांवों के अलावा गंगोत्री को पेयजल आपूर्ति करने वाले पेयजल स्रोत जम गए हैं।
हर्षिल के लोगों का कहना है कि हर्षिल घाटी में पाइपों के अंदर पानी जम चुका है। ऐसे में लोगों को पीने के पानी के लिए बर्फ पिघलानी पड़ रही है। झाला और धराली के बीच जो छोटी नदियां गंगा में मिलती हैं, उनका पानी भी मुहाने पर जम चुका है। शीतलहर के कहर से बर्फ बने नाले और झरने पर्यटकों को रोमांचित कर रहे हैं। लेकिन, स्थानीय लोगों के लिए के लिए यह किसी सजा से भी कम नहीं है।

पर्यटन विभाग में पंजीकृत होम स्टे की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान रखेंः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में सिंचाई, शहरी विकास, पर्यटन, युवा कल्याण, परिवहन और आवास विभागों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि पार्किंग स्थलों के लिए एक स्टैंडर्ड मॉडल बनाया जाए। विभिन्न उद्देश्यों के लिए भवन-निर्माण का जरूरत के अनुसार हो। पर्यटन स्थलों, शहरी क्षेत्रों में बनाए जाने वाले शौचालयों की गुणवत्ता का निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए। नगर पंचायत भवन निर्माण को प्राथमिकता दी जाए। साहसिक खेल निदेशालय की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। इको टूरिज्म पॉलिसी बनाई जाए। अगले वर्ष वैलनेस समिट की तैयारी शुरू की जाए। पर्यटन विभाग में पंजीकृत होम स्टे की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

आवास विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्वीकृत मल्टी-पार्किंग के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी से एक समान मॉडल बनवा लिया जाए। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि पर्वतीय क्षेत्रों में पार्किंग स्थल विकसित करने में कंक्रीट का भारी भरकम स्ट्रक्चर न बनाया जाए। आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाए। जहां अधिक आवश्यकता न हो, वहां ओपन पार्किंग की व्यवस्था की जाए। बताया गया कि विभिन्न स्थानों के मास्टर प्लान बनाने की प्रक्रिया चल रही है।

कूड़ा निस्तारण में सेग्रीगेशन की प्रक्रिया को अपनाया जाए
शहरी विकास विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों के सभी शौचालयों की गुणवत्ता का निरीक्षण करवा लिया जाए। कूड़ा निस्तारण के लिए सेग्रीगेशन की व्यवस्था की जाए। जगह-जगह लगाए जाने वाले साईनेज में समरूपता हो। बताया गया कि नरेंद्र नगर में गंगा पथ पर मैरीन ड्राईव का निर्माण कुम्भ के तहत कराया जाएगा। पौड़ी में कूड़ा निस्तारण के लिए कार्यवाही गतिमान है। विद्युत शवदाह गृह चित्रशिला घाट, रानीबाग के लिए आंगणन प्रेषित किया गया है। मसूरी में भी वैंडर जोन बनाया जाएगा।

पुनर्जीवन अभियान के लिए जिलों में नदियां चिन्हित
सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जिले में एक-एक नदी के संरक्षण व संवर्धन के काम में तेजी लाई जाए। बूढ़ाकेदार में आस्था पथ निर्माण, सहसपुर में मालडूग जलाशय निर्माण व कपकोट में सरमूल सौधारा के विकास के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को जल्द पूरा किया जाए। बताया गया कि जनपद देहरादून में रिस्पना, अल्मोड़ा में कोसी, नैनीताल में शिप्रा, उधमसिंहनगर में कल्याणी, रूद्रप्रयाग में क्वाली-सौंदा, मरगांव-सेमल्ता, ढोढा-कोतली, चमोली में मोटूगांव, पौड़ी में लंगेरीगाड़ व सीलगाड़, हरिद्वार में पीलीनदी, उत्तरकाशी में कमलनदी, टिहरी में हेवल नदी, पिथौरागढ़ में गुर्जीगाड़, चम्पावत में गोडी नदी को चिन्हित किया गया है। गैरसैंण में झील निर्माण के लिए कार्य गतिमान है। बाढ़ सुरक्षा के कार्य नाबार्ड के तहत कराए जा रहे हैं। देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रूड़की, हरिद्वार व भगवानपुर में ड्रेनेज प्लान का प्रोक्योरमेंट रूल्स के तहत क्यू.सी.बी.एस. करा लिया गया है। नैनीताल झील के संरक्षण के लिए 3 करोड़ 17 लाख रूपए की राशि स्वीकृत की जा चुकी है।

इको टूरिज्म पॉलिसी बनाई जाएगी
पर्यटन विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ में गौरीकुण्ड मंदिर के समीप कुण्ड निर्माण में उसके प्राचीन स्वरूप को बरकरार रखते हुए किया जाए। साहसिक खेल निदेशालय की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। इको टूरिज्म पॉलिसी बनाई जाए। पर्यटन विभाग में पंजीकृत होम स्टे की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। बताया गया कि प्रत्येक जनपद में एक-एक नए पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए मास्टर प्लान के अनुसार डीपीआर बनाई जा रही है। टिहरी के कोटी कालोनी में साहसिक पर्यटन की गतिविधियां की जा रही हैं। पर्यटन विभाग के अंतर्गत अभी तक 1700 होम स्टे पंजीकृत किए जा चुके हैं जबकि 600 जल्द ही हो जाएंगे। पौड़ी में कण्डोलिया के सौंदर्यीकरण और श्रीनगर-पौड़ी, खिर्सू-लैंसडौन को टूरिस्ट सर्किट के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक धनराशि अवमुक्त की गई है।

हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रशासन की टीम ने किया परमार्थ निकेतन का निरीक्षण, हुआ चौकाने वाला खुलासा

51 वर्षों से बिना लीज अनुबंध के परमार्थ निकेतन चल रहा है। इसका खुलासा शनिवार को हुई पैमाइश के बाद हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी पौड़ी धीरज गर्ब्याल ने प्रशासन की एक टीम को पैमाइश करने के लिए परमार्थ निकेतन भेजा। इस दौरान राजस्व, सिंचाई और वन विभाग के अधिकारियों ने परमार्थ निकेतन स्थित गंगा घाट की पैमाइश की। इस दौरान सामने 51 वर्ष पहले ही परमार्थ निकेतन की वन विभाग से हुई लीज डीड की अवधि समाप्ति वाली बात निकलकर आई।

हाईकोर्ट ने पौड़ी डीएम को सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में 16 दिसंबर को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक याचिका के बाद दिया है। याचिका में यह आरोप है कि परमार्थ निकेतन ने सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण किया है। पैमाइश के दौरान खुलासा हुआ कि वन विभाग ने परमार्थ निकेतन को 2.3912 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। लीज की अवधि वर्ष 1968 में ही समाप्त हो चुकी है। इस तथ्य की पुष्टि राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो ने की है। उन्होंने बताया कि परमार्थ निकेतन का वन विभाग के साथ केवल 15 वर्षों का अनुबंध हुआ था, लेकिन लीज अनुबंध खत्म होने के बाद अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। पैमाइश करने वाली टीम में एसडीएम श्याम सिंह राणा, सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सुबोध मैठाणी, रेंज अधिकारी धीर सिंह, पटवारी कपिल बमराड़ा शामिल थे।

परमार्थ निकेतन का भूमि संबंधी विवाद वीरपुर खुर्द में भी जोर पकड़ रहा है। दरअसल यहां परमार्थ की ओर से संचालित गुरुकुल भी वन विभाग की भूमि पर संचालित है। आरोप है कि निकेतन ने यहां 27 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। इस संदर्भ में पशुपालन विभाग ने भी कोर्ट में काउंटर दाखिल कर स्पष्ट किया है कि उक्त भूमि वन विभाग की है। इस मामले में डीएफओ देहरादून राजीव धीमान का कहना है कि परमार्थ निकेतन की ओर से वीरपुर खुर्द में संचालित गुरुकुल का लीज अनुबंध 1978 में समाप्त हो चुका है। फिलहाल यहां हुए अवैध कब्जे को खाली करवाने के मामले में अफसर अभी चुप्पी साधे हुए हैं। परमार्थ निकेतन के प्रभाव को देखते हुए अफसरों में भी कार्रवाई को लेकर संशय बना हुआ है।

उधर, टाईगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रों ने अनुसार केवल 15 वर्षों के लिए परमार्थ को लीज पर भूमि दी गई थी। वर्ष 1968 में परमार्थ निकेतन के साथ वन विभाग का लीज अनुबंध समाप्त हो गया था। वर्ष 2003 तक परमार्थ निकेतन टाईगर रिजर्व को कर शुल्क जमा करता रहा। लीज के नवीनीकरण के लिए आश्रम की ओर से कई बार कहा गया। वर्ष 1980 में वन अधिनियम के तहत लीज पर देने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। इस कारण लीज के नवीनीकरण का मामला रुक गया।

एमडीडीए और रेलवे लैंड डेवलपमेंट प्राधिकरण के मध्य किया गया एमओयू

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण एवं रेलवे लैंड डेवेलपमेंट प्राधिकरण के मध्य देहरादून रेलवे स्टेशन पुनर्विकास परियोजना हेतु समझौता ज्ञापन हस्तारक्षित किया गया। एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव एवं रेलवे लैंड डेवेलपमेंट प्राधिकरण के उपाध्यक्ष वेदप्रकाश ने उक्त समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है। यह पहला ऐसा पीपीपी मॉडल है जिसे देश में उदाहरण के तौर पर अपनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट निर्धारित समय सीमा के अन्दर पूरा कर लिया जाएगा। उत्तराखण्ड में एक अच्छी परम्परा शुरू हो रही है। प्रदेश के विकास के लिए शुरू किए गए विभिन्न प्रोजेक्ट्स अपनी निर्धारित समय सीमा से पूर्व ही पूर्ण किए गए हैं। इससे जहां एक ओर प्रोजेक्ट की उपयोगिता बनी रहती है, वहीं दूसरी ओर प्रोजेक्ट्स में आर्थिक रूप से बचत भी होती है।

एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अब देहरादून रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के कार्य को प्रारंभ कर दिया जाएगा। परियोजना के लिए फीजिबिलिटी स्टडी, डिटेलड मास्टर प्लानिंग, अर्बन प्लानिंग व डीपीआर इत्यादि से संबंधित कार्य कर लिया गया है। लगभग 507 करोड़ रूपए की अनुमानित लागत से निर्मित होने वाले इस प्रोजेक्ट को तीन वर्षों में पूर्ण कर लिया जाएगा। रेलवे स्टेशन का निर्माण उत्तराखण्ड की वास्तुकला के आधार पर किया जाएगा। इसमें बजट एवं स्टार होटल, कमर्शियल स्पेस, पार्किंग, किड्स जोन, दिव्यांग लोगों के लिए विशेष प्रोविजन, रेलवे स्टेशन हेतु मेन रोड पर मुख्य द्वार का निर्माण, ओल्ड टेहरी की तर्ज पर क्लॉक टावर का निर्माण, पैदल यात्री प्लाजा, अंडर पास, यातायात के सुगम प्रबंधन एवं यात्रियों की सुविधाओं हेतु रेलवे स्टेशन पर आवागमन हेतु दूसरे छोर (भण्डारी बाग) की ओर से भी द्वार बनाया जाएगा, स्टेशन पर आने एवं निकासी के लिए पृथक व्यवस्था की जायेगी।

ऋषिकेश नगर निगम के एक वर्ष पर संकल्प से शिखर की ओर शीर्षक पुस्तक का सीएम ने किया विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सोमवार को श्रीभरत मन्दिर इण्टर कॉलेज, ऋषिकेश में नगर निगम ऋषिकेश के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नगर निगम ऋषिकेश के अन्तर्गत लगभग 3 करोड़ 80 लाख रूपये की विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने खाण्ड गांव बाईपास रोड एवं कृष्णा नगर कालोनी को नगर निगम ऋषिकेश में शामिल किये जाने, भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज को फर्नीचर के लिए 10 लाख रूपये प्रदान करने। ऋषिकेश में लोक निर्माण विभाग के भवन का पुनरूद्धार कर एक अतिथि गृह बनाये जाने की घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नगर निगम ऋषिकेश के लिए 10 कूड़ा निस्तारण वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया एवं नगर निगम की विकास पुस्तिका ‘संकल्प से शिखर की ओर’ का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ऋषिकेश नगर निगम में पिछले एक साल में विकास के अनेक कार्य हुए। 2021 में हरिद्वार में भव्य महाकुंभ का आयोजन किया जायेगा। इस महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आयेंगे। इस दृष्टि से हमें सुनियोजित तरीके व तेजी से कार्य करने होंगे। ऋषिकेश में जो सीवरेज ओर पाईपलाईन का कार्य चल रहा है, उनमें और तेजी लाने के निर्देश उन्होंने दिये। विश्व में देवभूमि के रूप में उत्तराखण्ड की पहचान है। सरकार का प्रयास है कि धार्मिक स्थलों का नियोजित विकास हो। उत्तराखण्ड चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इस वर्ष 36 लाख 50 हजार से अधिक श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आये। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालुओं को सुविधायुक्त तथा सुरक्षित कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों के सुनियोजित विकास के लिए चारधाम श्राइन बोर्ड का गठन किया जा रहा है। यह श्राइन बोर्ड हमारी भविष्य की जरूरत है। इससे सभी के हितों को संरक्षित रखने का प्रयास किया जायेगा। देश के अनेक बड़े मन्दिरों के लिए श्राइन बोर्ड की व्यवस्था है। राज्य में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के दृष्टिगत चारधाम श्राइन बोर्ड का गठन राज्य सरकार का अहम सुधारवादी कदम है। ऋषिकेश में स्वछता, सीवरेज, पेयजल व अन्य कार्यो के लिए 2100 करोड़ रूपये की योजना बनायी गई है। हमारा प्रयास है कि आगामी कुम्भ स्वच्छ एवं ग्रीन कुंभ के रूप में आयोजित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए स्वच्छता में सबको अपना योगदान देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 24 हजार खाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया गतिमान है। युवा सरकारी सेवाओं में जाने के लिए पूरी लगन से पढ़ाई करें।

मेयर ऋषिकेश अनिता ममगाईं ने कहा कि पिछले एक साल में नगर निगम ऋषिकेश के विकास के लिए हर संभव प्रयास किये गये हैं। स्वच्छता, पथ प्रकाश, सीवरेज, पेयजल एवं निर्माण कार्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है। पिछले एक साल में 09 करोड़ से अधिक के कार्य किये गये एवं 07 करोड़ के कार्य प्रगति पर हैं।

कश्मीर अब खुले में सांस लेने लगा हैः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में फिल्म मुद्दा 370 जे एंड के फिल्म का टीजर रिलीज किया। उन्होंने फिल्म को ऐतिहासिक तथ्यों तथा समसामयिक विषय पर आधारित बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि धारा 370 के हटने से कश्मीर को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने में मदद मिली है। इस धारा के कारण कश्मीर देश की मुख्य धारा से अलग ही नहीं था, बल्कि तमाम बन्दिशों का भी सामना कर रहा था। अब कश्मीर खुले में सांस लेने लगा है, आने वाले समय में इसके दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे तथा कश्मीर पुनः धरती का स्वर्ग बनेगा।

उन्होंने फिल्म की 50 प्रतिशत शूटिंग उत्तरकाशी के जखौल, मोरी, पुरोला क्षेत्र में किये जाने की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में फिल्मांकन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के साथ ही प्रदेश व अन्य क्षेत्र भी फिल्मांकन के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के जखौल क्षेत्र के विकास के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं।

वहां पर हेलीपैड के साथ ही हॉस्पिटल भी स्थापित किया गया है। इस क्षेत्र को हिमाचल से जोड़ने के लिये 12 कि.मी सडक का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड माउन्टेनियरिंग का भी पसंदीदा स्थल है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि राज्य में फिल्मों के निर्माण से देश व दुनिया के सामने यहां के नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य की पहचान बनेगी तथा अनेक अनछुए क्षेत्र, देश व दुनिया के सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वे अपनी अगली फिल्म पी.ओ.के का निर्माण आरम्भ करेंगे।

फिल्म के निर्माता भवर सिंह पुंडीर तथा निर्देशक राकेश सावंत ने बताया कि यह फिल्म कश्मीर के ज्वलंत मुद्दों तथा कश्मीर से हुए पलायन के दर्द को बयां करती है। उन्होंने कहा कि फिल्म की 50 प्रतिशत शूटिंग उत्तराखण्ड में की गई है। उनका मानना था कि उत्तराखण्ड का सौन्दर्य कश्मीर से कम नहीं है। स्वामी दर्शन भारती ने कहा कि यह फिल्म देश भर के थियेटरों में प्रदर्शित की जायेगी। कश्मीर के लिये उत्तराखण्ड का परोक्ष रूप से बड़ा योगदान रहा है। यहां के सैनिकों ने वहीं पर अपना बलिदान दिया है। इसी के दृष्टिगत मुख्यमंत्री से इसका टीजर रिलीज करने का अनुरोध किया गया है।

कार्बेट पार्क में पर्यटकों की सुविधाएं बढ़ायेगी सरकार

कार्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन किया जाए। मानव वन्य जीव संघर्ष से प्रभावित गांवों में वॉलण्टरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। कॉर्बेट व राजाजी पार्क में टाइगर व हाथी की अधिकतम धारण क्षमता का अध्ययन कराया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर बंदरों को पीड़क घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में गरतांग गली ट्रेल में मार्ग निर्माण, उसके प्राचीन स्वरूप को बनाए रखते हुए किया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। मंगलवार को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित राज्य वन्य जीव बोर्ड की 14 वीं बैठक में उक्त निर्णय लिए गए।
गैण्डे के रिइन्ट्रोडक्शन के संबंध में प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियां गैण्डे के अनुकूल है। गैण्डे द्वारा मानव के साथ संघर्ष की जीरो सम्भावना होती है और यह अन्य जीवों के लिए भी सहायक होता है। इससे राज्य में पर्यटन गतिविधियां भी काफी बढ़ेंगी। इस पर बोर्ड द्वारा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रायोगिक तौर पर गैण्डे का रिइन्ट्रोडक्शन पर सहमति दी गई।
मछलियों को पकड़ने में अवैधानिक तरीकों के प्रयोग को रोकने के लिए युवक मंगल दलों, महिला मंगल दलों, वन पंचायतों का सहयोग लिया जाए। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के निकट स्थित टोंगिया व अन्य ग्रामों में सोलर लाईट, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं नियमानुसार उपलब्ध करवाने के काम को प्राथमिकता से लिया जाए। संरक्षित क्षेत्रों से दूसरे स्थानों पर बसाए जाने पर वन्य ग्रामों के लोगों भूमि संबंधी वही अधिकार मिलने चाहिए जो कि उन्हें अपनी पहले की भूमि पर प्राप्त थे। इसके लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए।
राज्य वन्य जीव बोर्ड द्वारा संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत व संरक्षित क्षेत्रों के 10 किमी परिधि में आने वाली वन भूमि हस्तांतरण व अन्य प्रकरणों पर स्वीकृति प्रदान की गई। इनमें लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि की राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव भेजने, रूद्रप्रयाग के उखीमठ नगर पंचायत में पेयजल योजना के लिए पाईप लाईन बिछाने की अनुमति, जनपद अल्मोड़ा में एनटीडी-कफड़खान मोटरमार्ग के 2 किमी से ग्राम भूल्यूड़ा सब्जी उत्पादन क्षेत्र हेतु मोटरमार्ग का नवनिर्माण, रामनगर-लालढांग मोटर मार्ग के 9 किमी व 13 किमी में सेतु का निर्माण, सोनप्रयाग से त्रिजुगीनारायण व कोठियालसैण से ऊषाड़ा तक मोटरमार्ग के किनारे ओएफसी लाईन बिछाए जाने की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजना प्रमुख हैं।
बैठक में वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत, विधायक सुरेश राठौर, दीवान सिंह बिष्ट, प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन, मुख्य वन संरक्षक जयराज, डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार सहित वन विभाग के अधिकारी और राज्य वन्य जीव परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने दिये इन शहरों में पाॅलीथिन बंद करने के निर्देश

सचिवालय सभागार में आज मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के समक्ष प्रदेश के पांच शहरों देहरादून, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल एवं हल्द्वानी को सन् 2020 तक प्लास्टिक मुक्त करने विषयक कार्य योजना का शहरी विकास विभाग द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया।
प्रस्तुतीकरण के दौरान अवगत कराया गया, कि विभाग द्वारा 50 माईक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक थैलों को पूर्णतः प्रतिबन्धित करने का शासनादेश के अनुपालन में सख्ती से कार्रवाई की जा रही है तथा सिंगल यूज प्लास्टिक के विषय मेंं व्यापार मण्डल, स्कूली छात्र, समाचार पत्रों आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार लगातार किया जा रहा है। बताया गया, कि उत्तराखण्ड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम 2016 दिनांक 30-11-2016 के अंतर्गत अब तक 1560 चालान कर रू0 7.57 लाख का अर्थ दण्ड दोषियों से वसूला गया है। बैठक में बताया गया, कि उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नियमावली व प्रतिबंधित प्लास्टिक के प्रकार की सूची बनाई जा रही है। प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया कि नगर निकाय क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी प्रकार के प्लास्टिक व थर्माकोल से बनी थैलियां, पत्तल, ग्लास, कप, पैकिंग सामग्री इत्यादि का इस्तेमाल तत्काल प्रभाव से पूर्णतः प्रतिबंधित है।
प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया, कि प्रथम चरण में प्रदेश के पांच शहरों देहरादून, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल एवं हल्द्वानी में निर्धारित प्राविधान के तहत 4947 लोगों से चालान द्वारा अक्टूबर 2019 तक रू 58.13 लाख की वसूली की गई तथा 11 सितम्बर से 27 अक्टूबर, 2019 तक प्रदेश में चलाये गए ‘‘स्वच्छता ही सेवा‘‘ अभियान के अंतर्गत 35.76 मी0टन प्लास्टिक संग्रहण किया गया तथा 13.88 मी0टन प्लास्टिक रिसाईकिल किया गया। प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी में प्लास्टिक काम्पेक्टर के लिए धनराशि जारी कर दी गई है तथा मसूरी में प्लास्टिक काम्पेक्टर उपलब्ध है एवं नैनीताल से संग्रहित प्लास्टिक का रिसाईक्लिंग कार्य हल्द्वानी में किया जायेगा। प्रस्तुतीकरण में यह भी बताया गया कि प्लास्टिक से ईंधन बनाने की योजना हरिद्वार में प्रस्तावित है, जिसके लिए शीघ्र ही आर0एफ0पी0 प्रकाशित की जा रही है।
बैठक में सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव वन अरविन्द सिंह ह्यांकी, अपर सचिव चन्द्रेश यादव सहित विभिन्न विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।