गढ़वाल विवि का परीक्षा कार्यक्रम जारी

गढ़वाल विवि में 19 सितंबर से स्नातक, स्नातकोत्तर और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होंगी। विवि के अनुसार, नए कार्यक्रम के तहत परीक्षा कार्यक्रम विवि की वेबसाइट में अपलोड कर दिया गया है। 
एमएचआरडी (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) और यूजीसी ने सभी विवि को 30 सितंबर तक परीक्षा कराने के निर्देश दिए हैं। पूर्व में विवि की ओर से एक सितंबर और 10 सितंबर से परीक्षा शुरू कराने का निर्णय लिया गया था, लेकिन परीक्षा बार-बार टालनी पड़ी।
अब विवि ने एक बार फिर नई तिथि तय की है। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. आरसी भट्ट ने बताया कि विवि के परिसरों और संबद्ध शिक्षण संस्थानों में  19 सितंबर से बीए, बीएससी, बीकॉम, बीपीएड के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होेंगी। 

परीक्षा तिथियां
एलएलबी – 20 से 26 सितंबर
बीएध्बीएससी – 19 सितंबर से 9 अक्तूबर 
एमससी – 19 से 3 अक्तूबर
एमकॉम- 20 से 3 अक्तूबर
एमए- 28 से 10 अक्तूबर 
नेट – 16 से 25 सितंबर 
बीफार्मा – 19 से 29 सितंबर
एमबीए- 20 से 30 सितंबर
जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन – 19 से 27 सितंबर
बीसीए, बीएससी (आईटी) और बीएससी (सीएस) – 19 से 27 सितंबर
एमएससी (आईटी) व एमएससी (सीएस) की परीक्षा- 19 से 1 अक्तूूबर

14 सितंबर से 12 अक्टूबर तक संपन्न कराई जायेंगी परीक्षाएं

श्रीदेव सुमन विवि की परीक्षाओं को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। विवि ने स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम सेमेस्टर का परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। विवि की परीक्षाएं 14 सितंबर से 12 अक्टूबर तक संपन्न कराई जाएगी। कोरोना संकट के दौर में विवि ने छात्रों की सुविधा के लिए ओएमआर सीट के माध्यम से परीक्षा कराने का निर्णय लिया है।
यूजीसी से अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं कराने की हरी झंडी मिलने के बाद श्रीदेव सुमन विवि ने एक सितंबर से पूर्व कराने का निर्णय लिया था। इस बीच केंद्र सरकार ने अनलॉक की नई गाइडलाइन जारी करते हुए 31 अगस्त तक सभी महाविद्यालयों को बंद रखने का आदेश जारी कर दिया था, जिससे कॉलेज बंद होने के कारण विवि ने परीक्षाएं स्थगित कर दी थी।
अब विवि ने दोबारा से एमएचआरडी, यूजीसी और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार नया परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। विवि की यूजी और पीजी अंतिम सेमेस्टर, स्नातक प्रथम वर्ष और बीएड मुख्य परीक्षाएं 14 सितंबर से 12 अक्टूबर के बीच कराई जाएगी।
कोविड-19 के दौर में परीक्षार्थियों की सुविधा को देखते हुए विवि की सभी परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों के आधार पर होगी। साथ ही परीक्षा ओएमआर सीट के माध्यम से संपन्न करवाई जाएगी। परीक्षा कार्यक्रम को विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।
श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट, एमएचआरडी, यूजीसी और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर से परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है। परीक्षा केंद्रों को कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित करने को कहा है। नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराने के लिए उड़नदस्तों की टीम का गठन किया गया है। 

प्रधानमंत्री ने जिस कहावत का जिक्र किया वह क्या है, आइए जानते है

एक कहावत है-यथा अन्नम तथा मन्न्म यानी जैसा अन्न होता है, वैसा ही हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है। पीएम ने भी आज मन की बात कार्यक्रम में इस कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि नेशन और न्यूट्रीशन के बीच गहरा रिश्ता है। उन्होंने प्राकृतिक आपदा में सहायक की भूमिका निभाने वाले बहादुर क्वहे के बलिदान को याद किया। शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए पीएम ने कहा कि कोरोना काल में शिक्षक अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं।
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Nation और Nutrition के बीच संबंधों को गहरा बताया और कहा कि पोषण आंदोलन को जन-भागीदारी ही सफल बनाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पोषक तत्वों को ध्यान में रखते हुए मौसम के मुताबिक सम्पन्न आहार योजना बनानी चाहिए और पोषण माह में पौष्टिक खाने और स्वस्थ रहने के लिए सभी को प्रेरित करना चाहिए। स्वतंत्रता दिवस पर प्रकाशित दिलचस्प खबरों पर प्रकाश डालते हुए पीएम ने कहा कि सुरक्षाबलों के पास बहादुर श्वान हैं जो देश के लिये अपनी प्राण न्यौछावर कर देते हैं।
आगामी शिक्षक दिवस को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये छात्रों तक शिक्षा का लाभ पहुंचाने में शिक्षकों से अहम भूमिका निभाने का आह्वान किया।
पीएम ने युवा पीढ़ी से कहा कि वो आजादी की जंग के नायकों को कभी न भूलें। पीएम ने शिक्षकों से देश के हजारों लाखों गुमनाक नायकों को छात्रों के सामने लाने का आग्रह किया। साथ ही देश की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से ष्दो गज की दूरी, मास्क जरुरीष्, संकल्प के साथ स्वस्थ और सुखी रहने की अपील की।

बाल आयोग ने लिया संज्ञान, व्हाट्सअप माध्यम को नही माना ऑनलाइन क्लास

बाल आयोग की ओर से अभिभावक, स्कूल प्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों के वेबीनार में प्राइवेट स्कूलों की ट्यूशन फीस को लेकर मनमानी के साथ ही ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर व्हाट्सअप से पढ़ाने का मामला सामने आया है। आयोग की ओर से इस पर मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
वेबीनार में अभिभावकों ने बताया कि कई स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर बच्चों को व्हाट्सअप के माध्यम से पढ़ा रहे हैं। वहीं, स्कूल की ओर से 4 दिन के भीतर परीक्षा आयोजित की जा रही है। इस पर बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। 
वेबीनार में ये शिकायतें भी आईं
– हरिद्वार के एक अभिाभवक ने बताया कि उनके स्कूल की ओर से उन्हें आधी तनख्वाह दी जा रही है।
– हरिद्वार के एक अभिभावक ने कहा कि उनका बच्चा ऑनलाइन क्लास नहीं पढ़ पा रहा है और ना ही स्कूल द्वारा उसे पढ़ाया जा रहा है, इसलिए वह स्कूल से टीसी लेना चाहते हैं, लेकिन स्कूल टीसी नहीं दे रहा है।
– एक अन्य अभिभावक ने बताया कि स्कूल द्वारा रीएडमिशन के नाम पर 25 से 30 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं। इस पर बाल आयोग की अध्यक्ष ने संबंधित स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
– बैठक में एक विद्यालय के शिक्षकों द्वारा बताया गया कि उनके स्कूल प्रबंधन की ओर से उनके वेतन में भारी कटौती कर दी गई है, इसके अलावा पिछले 7 महीने से उन्हें वेतन भी नहीं दिया गया। इस पर बाल आयोग की अध्यक्ष ने जांच कराकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
– कई अभिभावकों ने कहा कि प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस से अधिक फीस वसूल रहे हैं। 
– अधिवक्ता पुनीत कंसल ने बताया कि अभिभावकों की समस्या के आधार पर उनके द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखा गया था, जिस पर स्कूल की फीस का निर्धारण 500 से 700 किया गया। आयोग की अध्यक्ष ने अधिवक्ता से पत्र उपलब्ध कराने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि वह पत्र उपलब्ध कराया जाए, उसका संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों को स्कूलों को ट्यूशन फीस देनी चाहिए। जबकि जो अभिभावक किसी कारण से फीस देने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें स्कूलों के प्रिंसिपल को इस संबंध में प्रार्थना पत्र देना चाहिए। मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार आनंद भारद्वाज ने कहा कि आरटीई के तहत अब तक स्कूलों को 9 करोड़ का भुगतान किया गया है। वहीं, अधिक फीस मामले में स्कूलों पर एक लाख रुपये का जुर्माना किया जा रहा है। बैठक में शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

ई-मीटिंग प्रणाली का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में ई-मीटिंग सॉफ्टवेयर का शुभारम्भ किया। ई-मीटिंग सॉफ्टवेयर एक स्मार्ट मीटिंग मैनेजमेंट सिस्टम है। जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय एवं सचिवालय में होने वाली बैठकों को आईटी के माध्यम से और बेहतर तरीके से क्रियान्वित किया जा सकेगा। बैठक में प्रतिभाग करने वाले अधिकारी, बैठक का एजेंडा और प्रस्तावित चर्चा के बिंदु बैठक से दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए भेंजेंगे, अनुमोदन के बाद ही बैठक होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया की सोच की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ई-मीटिंग प्रणाली से ऊर्जावान युवा सोच को बढ़ावा मिलेगा। राज्य में ई-मंत्रीमण्डल, ई-ऑफिस के बाद ई-मीटिंग की शुरूआत हुई है। ई-मीटिंग प्रणाली से अधिकारियों के कार्य करने की गति में और तेजी आयेगी। राज्य सरकार का प्रयास है कि योजनाओं का लाभ समाज में अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। इसके लिए लीक से हटकर आधुनिक तकनीक अपनाने की जरूरत है। ई-मीटिंग प्रणाली से शासन एवं अन्य विभागों के कार्यों में भी तेजी आयेगी। मॉनिटरिंग व ट्रेकिंग के माध्यम से कार्यों को एफिशिएंट व प्रोडक्टिव बनाकर समयबद्धता के साथ निस्तारण के स्थान पर निपुणता पर केन्द्रित किया जाना चाहिए। जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सचिवालय को सरकारी सिस्टम का हृदय माना जाता है। सचिवालय में फाइलों की ट्रेकिंग से विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को जल्द मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम वर्चुअल इंडिया की तरफ बढ़ रहे हैं। आज वर्चुअल ने एक्चुअल को साधने का दृढ़ निश्चय कर लिया है। राज्य सरकार का मुख्य विजन राज्य को आईटी हब बनाने का है।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि यह ई-गवर्नेंस की दिशा में अच्छा प्रयास है। ई-मीटिंग प्रणाली से पूर्व में ली गई बैठकों के निर्णय भी सहजता से उपलब्ध होंगे और पेपरलेस कार्य भी होंगे। मंत्रीगणों एवं मुख्य सचिव की बैठकों के लिए भी ई-मीटिंग प्रणाली अपनाई जाय। इसके लिए निजी सचिवों को प्रशिक्षण भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाय कि दिसम्बर तक सभी सन्दर्भ ई-ऑफिस पर आ जायें।
ई-मीटिंग का सॉफ्टवेयर एनआईसी द्वारा आईटी विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के सहयोग से बनाया गया है। अब मुख्यमंत्री कार्यालय की बैठक मीटिंग मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से होंगी। ई-मीटिंग सॉफ्टवेयर का एक पोर्टल बनाया गया जिसकी वेबसाइट मउममजपदह.ना.हवअ.पद है। ई-मीटिंग तकनीक के माध्यम से बैठक का एजेंडा एवं कार्यवृत्त ऑनलाईन स्टोर किये जायेंगे। बैठक के आयोजन के लिए अधिकृत अधिकारी बैठक की तैयारियों एवं बैठक के समय दिखाये जाने वाले डाटा का मीटिंग से पूर्व वैरिफाई करेंगे। मीटिंग में प्रतिभाग करने वाले अधिकारियों की उपस्थिति ऑन लाईन दर्ज की जायेगी। मीटिंग के दौरान दिये गये लक्ष्यों की समय सीमा पूर्ण होने पर ऑटोमैटिक अलर्ट ईमेल और एसएमएस द्वारा अधिकारियों को मिलेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आईटी आर. के. सुधांशु, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा एवं विभिन्न विभागों के सचिव, अपर सचिव, एनआईसी के उप महानिदेशक के.नारायणन एवं तकनीकी निदेशक नरेन्द्र सिंह नेगी उपस्थित थे।

नई शिक्षा नीति के तहत अब प्रदेश में उच्च शिक्षा आयोग का गठन करने की तैयारी

राज्य में अब उच्च शिक्षा आयोग के गठन की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही वार्षिक परीक्षा प्रणाली को खत्म कर सेमेस्टर सिस्टम को लागू करने की बात भी हो रही है। सचिवालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा के दौरान इन बिन्दुओं पर उच्च शिक्षा मंत्री और अधिकारियों के बीच इस पर सहमति बनती दिख रही है।
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई बैठक में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विस्तृत अध्ययन के लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं उच्च शिक्षा सलाहकार प्रोफेसर एमएसएम रावत की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। यह कमेटी 40 दिनों में अपने सुझाव प्रस्तुत करेगी। नई शिक्षा नीति पर चर्चा के दौरान कई विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये। जिनमें प्रमुख रूप से राज्य शिक्षा आयोग के गठन, राज्य के कई महाविद्यालयों को विश्वविद्यालय व स्वायत्तशासी महाविद्यालय बनाए जाने, बहुविषय विश्वविद्यालय की स्थापना, कोर्स स्ट्रक्चर तैयार किए जाने, वार्षिक परीक्षा प्रणाली खत्म कर सेमेस्टर सिस्टम को शुरू कर क्रेडिट बेस्ड सिस्टम लागू करने, प्रत्येक जिले में समावेशी महाविद्यालय बनाए जाने पर सहमति बनी। 
बैठक में निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तृत अध्ययन के लिए जो कमेटी गठित की गई है। उसमें राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों के कुलपति, निदेशक उच्च शिक्षा, उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा, उन्नयन समिति व शासन स्तर के अधिकारी बतौर सदस्य शामिल रहेंगे। चर्चा के दौरान उच्च शिक्षा विशेषज्ञों की ओर से यह भी बताया गया कि बहुविषयक शिक्षा के प्रावधान के तहत स्नातक तीन या चार वर्ष की अवधि की होगी। जिसमें छात्रों को किसी भी विषय या क्षेत्र में एक साल पूरा करने पर प्रमाणपत्र, दो साल पूरा करने पर डिप्लोमा, तीन वर्ष की अवधि के बाद स्नातक की डिग्री प्रदान की जाएगी। जबकि चार वर्ष के कार्यक्रम में शोध सहित डिग्री प्रदान की जाएगी। पीएचडी के लिए या तो स्नातकोत्तर डिग्री या शोध के साथ चार वर्ष की स्नातक डिग्री अनिवार्य होगी। 
इसके अलावा नई शिक्षा नीति के तहत तीन प्रकार के शिक्षण संस्थान होंगे। जिसमें अनुसंधान विश्वविद्यालय, शिक्षण अनुसंधान, स्वायत्त महाविद्यालय शामिल हैं। इसमें एफिलेटिंग विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों का कंसेप्ट समाप्त हो जाएगा।

शिक्षा मंत्री से अधिकारियों ने की, राज्य के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में समान पाठ्यक्रम लागू करने की पैरवी

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने राज्य में शिक्षा नीति के लिए टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की। यह बात उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर वर्चुअल मंथन के दौरान कही। मंथन के दौरान अधिकारियों ने सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में एक समान पाठ्यक्रम और फीस ऐक्ट लाने पर जोर दिया। इस दौरान अपर निदेशक, सीईओ, डीईओ व डायट प्राचार्यों ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि खासकर बेसिक स्तर पर सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में मातृभाषा में एक समान पढ़ाई होनी चाहिए।

शिक्षा नीति में प्री-प्राइमरी की व्यवस्था को क्रांतिकारी फैसला बताते हुए अफसरों ने प्री-प्राइमरी में भी बाल मनौविज्ञान में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की पैरवी की। साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षकों के अनिवार्य तबादले वाली व्यवस्था खत्म कर सिर्फ अनुरोध के आधार पर तबादले किए जाने चाहिए।

संवाद के अंत में शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लागू करने से पहले सरकार राज्य के सामाजिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन करेगी। आज मिले सुझावों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

इनके आधार पर राज्य के अनुसार संशोधन करते हुए नीति लागू की जाएगी। इसका खाका तैयार करने को शिक्षा अधिकारी व गैरसकारी विशेषज्ञों की राज्यस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है।

कार्यों की पारदर्शिता के लिए कार्यों का ऑडिट होना जरूरीः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रायपुर, देहरादून में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, उत्तराखण्ड के लोकार्पण के अवसर पर कहा कि 2017 में सरकार बनने के बाद से ही हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ हमने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी। सचिवालय एवं मुख्यमंत्री कार्यालय को हमने भ्रष्ट व माफिया तत्वों से मुक्त किया है। कार्यों की पारदर्शिता के लिए कार्यों का ऑडिट होना जरूरी है। आवश्यकता पड़ने पर थर्ड पार्टी ऑडिट होना चाहिए। सरकार के प्रति जनता का विश्वास होना जरूरी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि चावल घोटाले का जो मसला है, वह वर्ष 2016-17 की तत्कालीन सरकार के समय का मामला है। भाजपा सरकार बनने के बाद हमने इस मामले की जांच करवाई। केवल कागजों में राशन दिखाई जा रही थी, जरूरतमंदों तक राशन पहुंचती नहीं थी। आज गरीबों को जो राशन मिल रही है, वह उच्च गुणवत्ता की राशन है। प्रधानमंत्री जी का आह्वाहन रहता है कि हमारी नजर गरीबों पर होनी चाहिए। जब तक गरीबों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, तब तक देश का उत्थान नहीं हो सकता।

लोक सेवा आयोग से पीएस की भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही है। लोक सेवा आयोग में अधिक वर्कलोड होने के कारण भर्ती प्रक्रिया मे समय अधिक लगता है। लोक सेवा आयोग को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है। कोविड-19 की वजह से भी भर्ती प्रक्रिया में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की गतिविधियों के बेहतर क्रियान्वयन के उपायों को सुझाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री कार्यालय में एक प्रकोष्ठ गठन किया गया।

नई शिक्षा नीतिः इंजीनियरिंग के साथ कला और मानविकी विषयों पर भी रहेगा जोर

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत तकनीकी संस्थानों सहित देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में संगीत, थिएटर, कला अ ौर मानविकी के लिए अलग से विभाग बनाया जाएगा। नई नीति के तहत आईआईटी समेत देश के सभी तकनीकी संस्थान होलिस्टिक अप्रोच (समग्र दृष्टिकोण) अपनाएंगे। इसके तहत इंजीनियरिंग के साथ-साथ तकनीकी संस्थानों में कला और मानविकी के विषयों पर जोर दिया जाएगा।

विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों का काम अकादमिक और रिसर्च पर फोकस रहेगा। परीक्षा से लेकर दाखिले तक का काम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के तहत होगा। कौशल आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

लिबरल एजुकेशन में देश की 64 कलाओं को बढ़ावा मिलेगा। विभिन्न विषयों में दक्षता और क्षमता के आधार पर डिग्री की पढ़ाई होगी। इसका मतलब ज्ञान के साथ कौशल विकसित करना है, जिससे रोजगार के मौके मिलें। स्नातक तक कोर्स 3-4 वर्ष का होगा और कभी भी प्रवेश और पढ़ाई छोड़ने का विकल्प सर्टिफिकेट के साथ मिलेगा।

शिक्षा सुधार योजनाओं में हिंदू मठ, आश्रम, गुरुद्वारा, ईसाई मिशनरी संस्थान, इस्लामिक ट्रस्ट, बौद्ध और जैन समुदाय को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसका मकसद विभिन्न वर्गों को जोड़ना और वैचारिक मतभेद दूर करना है। स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्त्रस्म में बिजनेस व इंडस्ट्री के सुझाव पर बदलाव होगा, ताकि रोजगार पर फोकस किया जा सके। इसके अलावा पूर्व छात्र और स्थानीय समुदाय से सुरक्षा, सफाई पर मदद ली जाएगी।

सीएम ने दी बधाई, कहा नई शिक्षा नीति से बदलेगा भारत
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश में 28 साल बाद नई शिक्षा नीति लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति भारत के भविष्य को संवारने में मददगार होगी। इसमें शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने और कक्षा पांच तक मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही गई है। पारम्परिक मूल्यों का समावेश करते हुए नई शिक्षा नीति को आने वाले समय की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है।

मुख्यमंत्री ने डोईवाला विधानसभा में करोड़ो रुपये के कार्यो का शिलान्यास किया

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शहीद दुर्गामल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला में शहीद दुर्गामल्ल की मूर्ति का अनावरण किया। इस अवसर पर उन्होंने डिग्री कॉलेज में छात्रावास एवं तहसील डोईवाला के भवन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। डोईवाला डिग्री कॉलेज में छात्रावास 2 करोड़ 76 लाख 51 हजार एवं तहसील भवन 4 करोड़ 2 लाख 28 हजार की धनराशि से बनाया जायेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महाविद्यालय की जब शुरूआत हुई थी। तब लच्छीवाला में प्राइमरी स्कूल के दो कमरों में इसकी कक्षाएं चलती थी। बाद में स्थानीय लोगों ने महाविद्यालय को भूमि दान में दी। अनेक प्रयासों के बाद महाविद्यालय में भवन एवं कक्षा कक्षों का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि यह अच्छा संकेत हैं कि वर्तमान में इस महाविद्यालय में 1600 से अधिक विद्यार्थी अघ्ययनरत है। जिसमें से छात्राओं की संख्या एक हजार से अधिक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 85 प्रतिशत सीएम घोषणाएँ पूर्ण की जा चुकी है। प्राथमिकताओं के आधार पर कार्य किये जा रहे हैं। डोईवाला में सीपैट खोला गया है। हमारा प्रयास है कि यहां पर विभिन्न प्रकार के कोर्स करायें जाय, ताकि युवाओं को अच्छे प्रशिक्षण के साथ रोजगार के अवसर बढ़ें। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भी जल्द राज्य में खुल जायेगी। हर्रावाला में कैंसर एवं जच्चा-बच्चा अस्पताल खोला जा रहा है। कोस्टगार्ड के रिक्रूटमेंट सेंटर की प्रक्रिया भी गतिमान है। उन्होंने कहा कि राज्य में जल्द ही नेशनल स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोला जायेगा। यह सेंटर हंस फाउण्डेशन के सहयोग से बनाया जा रहा है। इसमें अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ ही बेहतर प्रशिक्षकों की व्यवस्था की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि क्वान्टिटी के बजाय क्वालिटी पर अधिक ध्यान दिया जाय। राज्य में विज्ञान एवं तकनीकि पर आधारित एक रेजिडेंशियल विद्यालय खोलने की योजना बनाई जा रही है। हमारा प्रयास है कि प्रदेश के युवा साइंस एवं तकनीकि के क्षेत्र में देशभर में अपना योगदान दे सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 5 विश्वविद्यालयों एवं 104 महाविद्यालयों को ई-ग्रंथालय से जोड़ा गया है। 500 विद्यालयों में वर्चुअल क्लास शुरू की गई है। जल्द ही 700 और विद्यालयों में वर्चुअल क्लास शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि सचिवालय के 16 ऑफिस ई-ऑफिस बन चुके हैं। देहरादून कलक्ट्रेट ई कलक्ट्रेट बन चुका है। देहरादून के सभी एसडीएम कार्यालय भी जल्द ई-कार्यालय बन जायेंगे। राज्य में ई-कैबिनेट का आयोजन किया जा रहा है। गैरसैंण विधानसभा को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार किया है। कार्य में पारदर्शिता के लिए जनता एवं जन प्रतिनिधियों के बीच विश्वास कायम होना जरूरी है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि छात्रावास एवं डोईवाला तहसील भवन यहां की स्थानीय जनता को बड़ी सौगात मिली है। डोईवाला में यह छात्रावास एक साल के अन्दर बनकर तैयार हो जायेगा। इस छात्रावास में 100 छात्राओं के लिए निःशुल्क छात्रावास की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में सभी डिग्री कॉलेजों में शत प्रतिशत प्राचार्यों की नियुक्ति की गई है। 92 प्रतिशत फैकल्टी डिग्री कॉलेजों में जल्द ही कुछ और असिस्टेंट प्रोफेसर राज्य को मिल जायेंगे। एक माह के अन्दर सभी महाविद्यालयों में नेट कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जायेगी।
इस अवसर पर मेयर वन पंचायत सलाहकार परिषद् के उपाध्यक्ष करन बोहरा, भाजपा के देहरादून जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह पुण्डीर, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनन्द वर्द्धन, जिलाधिकारी देहरादून डॉ. आशीष श्रीवास्तव, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. कुमकुम रौतेला, प्राचार्य शहीद दुर्गामल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला डॉ. डी.सी नौटियाल आदि उपस्थित थे।