प्लास्टिक मुक्त दून बनाने में देहरादून वासियों का भरपूर सहयोग मिल रहाः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को ‘‘पॉलीथीन मुक्त ग्रीन दून मिशन ’’ अन्तर्गत नगर निगम, देहरादून द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। पॉलीथीन मुक्त, स्वच्छ एवं सुंदर दून बनाने के उद्देश्य से आयोजित 50 किमी की इस विशाल मानव श्रृंखला में एक लाख से अधिक लोगों ने प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मियांवाला चौक से राजपुर रोड होते हुए घंटाघर तक मानव श्रृंखला में प्रतिभाग कर रही जनता का उत्साहवर्धन किया। प्रातः 10ः00 बजे, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं मेयर देहरादून सुनील उनियाल गामा ने मानव श्रृंखला में शामिल होकर देहरादून को स्वच्छ-सुंदर एवं पॉलीथीन मुक्त बनाने के लिए जनता से आह्वान किया। इस मानव श्रृंखला में जनप्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संस्थाओं, शासन एवं प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों तथा स्कूली बच्चों ने प्रतिभाग किया। यह मानव श्रृंखला, मियांवाला से मसूरी डायवर्जन, घंटाघर, जीएमएस रोड, सहारनपुर रोड होते हुए घंटाघर तक बनाई गई।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का जो आह्वान किया है, देहरादून इसमें लीड ले चुका है। उन्होंने सभी प्रदेश वासियों को पॉलीथीन मुक्त उत्तराखण्ड बनाने में सकारात्मक सहयोग देने पर उनका आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक मुक्त, स्वस्थ-सुंदर एवं ग्रीन दून बनाने के लिए सभी देहरादून वासियों का पूरा सहयोग मिल रहा है। हमने पॉलीथीन मुक्त दून बनाने का संकल्प लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्लास्टिक का इस्तेमाल, सामाजिक बुराई बन गई है। मानव जीवन एवं जीव-जन्तुओं पर इसके अनेक दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। पॉलीथीन मुक्त देहरादून के लिए नगर निगम देहरादून द्वारा जो अभियान चलाया जा रहा है, इसके काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। प्रदेश को पॉलीथीन मुक्त बनाने के लिए जन सहयोग के साथ ही सभी को पॉलीथीन का उपयोग न करने का दृढ़ निश्चय करना होगा।

मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि स्वच्छ एवं ग्रीन दून के लिए देहरादून नगर निगम द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। पॉलीथीन के बहिष्कार के लिए व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पिछले तीन माह में जन जागरूकता से देहरादून में पॉलीथीन के उपयोग में 70 प्रतिशत कमी आयी है। जन सहयोग से जल्द ही देहरादून को पूर्ण रूप से सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त किया जायेगा।

जितना योगदान उत्तराखंड का देश को सैनिक देने में है, उतना किसी अन्य का नहीं

सोमवार को राज्य स्थापना सप्ताह के तहत आयोजित कार्यक्रम ‘‘मेरे सैनिक मेरा अभिमान’’ के अंतर्गत पहले सत्र में ‘राष्ट्रीय सुरक्षाः चुनौतियों के बदलते आयाम पर चर्चा की गयी। सत्र में वक्ता के रूप में पूर्व वाइस आर्मी चीफ ले. जन एएस लांबा, ले. जन ओपी कौशिक व पूर्व रॉ चीफ आलोक जोशी ने प्रतिभाग किया।
‘‘मेरे सैनिक मेरा अभिमान कार्यक्रम’’ के द्वितीय सत्र में ‘आंतरिक सुरक्षा और सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण व आधुनिकीकरण’ विषय पर चर्चा की गयी। इस सत्र में वक्ता के रूप में कमांडेंट, आईएमए ले.जन. एस.के.झा, पूर्व कमांडेंट, आईएमए ले.जन. जी.एस.नेगी, ले.जन.के.के. खन्ना व डीजी लॉ एंड ऑर्डर (उत्तराखण्ड पुलिस) अशोक कुमार ने प्रतिभाग किया।

‘‘मेरे सैनिक मेरा अभिमान कार्यक्रम’’ के तृतीय सत्र में ‘सैनिक कल्याण एवं सेवानिवृत्ति के बाद गरिमा’ पर चर्चा की गयी। इस सत्र में वक्ता के रूप में निदेशक सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर के.बी.चंद व एमडी उपनल ब्रिगेडियर पी.पी.एस पाहवा ने प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय परिवहन राज्य मंत्री (रि.)जनरल वी.के. सिंह भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वी.के सिंह का उत्तराखंड से गहरा लगाव है। उनके लोकसभा क्षेत्र में उत्तराखंड के ज्यादातर लोग रहते हैं। केन्द्रीय परिवहन राज्य मंत्री (रि.)जनरल वी.के. सिंह ने कहा कि जिस देश में सैनिकों का सम्मान नहीं होता वह देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता। देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें सैनिकों का मनोबल बढ़ाना होगा। उत्तराखंड ऐसा राज्य है जिसके हर दूसरे घर में एक सैनिक है। यहां देश के सर्वोत्तम शौर्य मेडल से सम्मानित जवान हैं। वर्तमान में 70 हजार से ज्यादा सैनिक सेना में कार्यरत है। जितना योगदान उत्तराखंड का देश को सैनिक देने में रहा है उतना और किसी का नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार रिटायर्ड सैनिकों का सही इस्तेमाल कर सकती है। इससे प्रदेश की प्रगति होगी। हमारे सैनिक हमेशा ये सोचते हैं कि कैसे हमारे देश का नाम दुनिया में हो। ऐसे में हमें उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए।

‘‘मेरे सैनिक मेरा अभिमान कार्यक्रम’’ के चतुर्थ सत्र में ‘देश की सुरक्षा में उत्तराखण्ड का योगदान’ विषय पर चर्चा की गयी। चतुर्थ सत्र में वक्ता के रूप में पूर्व राज्यसभा सांसद तरूण विजय, ब्रिगेडियर के.जी.बहल, अध्यक्ष एक्स सर्विसमैन लीग ब्रिगेडियर आर.एस.रावत ने प्रतिभाग किया।

पिसा परीक्षा की तैयारियों को लेकर निशंक ने किया संवाद

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने केंद्रीय विद्यालय संगठन एवं नवोदय विद्यालय समिति के उपायुक्तों के साथ संवाद किया। इस अवसर पर केंद्रीय मन्त्री ने (pisa) 2021 की तैयारियों की समीक्षा की और सभी उपायुक्तों को इस परीक्षा में भारत को सफलता दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करने का निर्देश दिया।
इस अवसर पर निशंक ने कहा कि भारत 2021 में होने वाली पिसा (pisa) की प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहा है। यह परीक्षा भारतीय प्रतिभा को वैश्विक पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण मंच है। हमारे विद्यार्थियों में योग्यता, अनुशासन एवं प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस आवश्यकता इस बात की है कि उन्हें सही दिशा और मार्गदर्शन मिले। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें संकल्प लेना है कि इस परीक्षा में हमें दुनिया भर में अव्वल स्थान पर आना है और इसके लिए हमें बहुत मेहनत करनी होगी। हमें हमारी शिक्षण व्यवस्था को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना होगा तभी हमारे विद्यार्थी वैश्विक परीक्षाओं में अपना बेहतर स्थान सुनिश्चित कर पाएंगे। हमें किताबी ज्ञान के साथ-साथ अनुभवात्मक शिक्षा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है तभी हम इस कठिन परीक्षा में सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएंगे।
निशंक ने कहा कि पिसा (pisa) परीक्षा अब बहुत दूर नहीं है इसलिए इसकी तैयारी अब युद्ध स्तर पर की जाएगी। उन्होंने मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे की अध्यक्षता में प्रत्येक 15 दिन में समीक्षा बैठक करने का निर्देश दिया। मंत्री जी ने आशा जताई कि धोत्रे के नेतृत्व में पिसा परीक्षा की तैयारियां सही दिशा में आगे बढ़ेंगी एवं इस कठिन परीक्षा में देश अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पायेगा।
निशंक ने सभी उपायुक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हम संकल्प ले लें तो 2021 की पिसा परीक्षा में इतिहास रच सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि सफलता के लिए समय का प्रबंधन एवं अनुशासन जरूरी है और ये दोनों गुण हमें विद्यार्थियों में विकसित करने होंगे। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए हमें विद्यार्थियों में गहन सोच की क्षमता विकसित करने की जरूरत है।
पिसा (pisa) आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी मूल्यांकन कार्यक्रम है, जिसमें विश्व के अनेक देश भाग लेते हैं। भारत ने 2021 में इस परीक्षा में भाग लेने का निर्णय लिया है। इस परीक्षा में केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के विद्यार्थी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

एमवी एक्ट में राज्य सरकार की ओर से दी गई छूट की मियाद खत्म, अब लगेगा कंपाउंडिंग शुल्क

बृहस्पतिवार से राज्य सरकार की ओर से संशोधित मोटरयान अधिनियम में प्रदूषण जांच और चाइल्ड सीट बेल्ट के मामले में एक माह की छूट खत्म हो रही है। शुक्रवार से ध्वनि और वायु प्रदूषण जांच न कराने वालों पर वाहनों से नई दरों पर 25 सौ रूपए का कंपाउंडिंग शुल्क वसूला जाएगा।

परिवहन विभाग ने 31 अक्तूबर तक प्रदूषण करने वाले वाहनों से नई दरों के हिसाब से जुर्माना न वसूलने का फैसला किया था। शुक्रवार से चाइल्ड सीट बेल्ट का प्रयोग न करने पर भी जुर्माना लागू हो जाएगा।

प्रदेश सरकार ने पिछले महीने मोटरयान अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के मामले में कंपाउंडिंग शुल्क संशोधित कर लागू किया था, लेकिन प्रदूषण जांच और चाइल्ड सीट बेल्ट के मामले में वाहन स्वामियों व चालकों को एक महीने की मोहलत दी थी।

ये छूट सरकार ने इसलिए दी ताकि वाहनों के प्रदूषण की जांच कराने का कुछ समय मिल सके और चाइल्ड सीट बेल्ट को लेकर लोगों में जागरूकता आ सके। शासन ने इन दोनों धाराओं में कंपाउंडिंग शुल्क एक नवंबर से वसूलने का फैसला किया था। शुक्रवार को यह समयसीमा खत्म हो जाएगी।

इस तरह रहेगा कंपाउंडिग शुल्क
ध्वनि और वायु प्रदूषण की जांच न कराने पर पहली बार में 2500 रुपये जबकि दूसरी और उसके बाद पकड़े जाने पर कंपाउंडिंग शुल्क दर पांच हजार रुपये हो जाएगी। इसके अलावा चाइल्ड सीट बेल्ट न लगाने पर परिवहन विभाग 1000 रुपये कंपाउंडिंग शुल्क वसूलेगा।

समर्पण की भावना से ही किया जा सकता है लक्ष्य हासिलः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को आईआईएम काशीपुर द्वारा उद्यमिता को बढावा देने के लिये आयोजित उत्तिष्ठ-19 कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान अपने आप में एक विशेष स्थान रखता है। इसमे अध्यनरत विद्यार्थी उद्यमिता व कृषि के क्षेत्र में प्रदेश का ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन करेगें। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड के कृषि विश्वविद्यालय, कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। किसी प्रदेश के विकास में संस्थानो का अहम योगदान होता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न राज्यों के 37 प्रशिक्षु विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिये प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि मैनेजमेंट के लिये कौशल विकास एवं संवाद होना आवश्यक है तभी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। उन्होने कहा कि हम सभी को कृषि व उद्योगों के विकास के क्षेत्र में कार्य करना होगा, तभी प्रदेश का चहुंमुखी विकास होगा। समर्पण की भावना व अपने कार्यो के प्रति दृढता होनी चाहिये तभी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आईआईएम काशीपुर में छात्रावास बनाने की भी बात कही। मुख्यमंत्री ने आईआईएम द्वारा विभिन्न क्षेत्रो में उत्पादित सामग्री व यंत्रों की प्रदर्शनी का रिबन काट कर उदघाटन किया व स्टालो का निरीक्षण किया।

सांसद अजय भट्ट ने कहा कि इस प्रतिष्ठान में जो विद्यार्थी अध्ययन कर रहे है वे देश का भविष्य हैं। आने वाले समय में ये बच्चे देश व प्रदेश का नाम रोशन करेगें। उन्होंने आईआईएम के और विस्तार के लिये भारत सरकार से भी बात करने को कहा।

एनआईटी की आधारशिला के बाद अब यहां नियमित रूप से पठन पाठन का कार्य होगाः राज्यपाल

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने सुमाड़ी, पौड़ी गढ़वाल में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), उत्तराखण्ड के स्थायी परिसर का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया।

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने संबोधन में कहा कि आज एक ऐसे संस्थान का भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ है जिसकी वर्षों से प्रतीक्षा थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक एवं उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अथक प्रयासों से सुमाड़ी में एनआईटी का शिलान्यास संभव हुआ है। देवभूमि उत्तराखण्ड में आईआईटी, आईआईएम व एनआईटी जैसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय संस्थान हैं। पिछले 10 वर्षों से एनआईटी का स्थाई कैम्पस नहीं होने के कारण यहां के शिक्षकों व छात्रों ने अनेक चुनौतियों का सामना किया। एनआईटी की आधारशिला रखने के बाद अब इसमें नियमित रूप से पठन-पाठन का कार्य होगा। उम्मीद है कि 2022 में भारत की स्वत्रंता के 75 वर्ष पूर्ण होने तक एनआईटी का निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लोगों के मन में संशय था कि एनआईटी श्रीनगर में रहेगा या बाहर जायेगा। मगर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मानव संसाधन विकास मंत्री की जिम्मेदारी दी, तो सबके मन से यह संशय हट गया था। इसके परिणामस्वरूप ही आज सुमाड़ी में एनआईटी के स्थायी परिसर का भूमि पूजन व शिलान्यास किया गया है। एनआईटी में पेयजल की उपलब्धता के लिए 20 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये हैं। 05 करोड़ रूपये आकस्मिक निधि से रिलीज कर दिये हैं। एनआईटी के लिए आन्तरिक सड़को के लिए खर्चा भी राज्य सरकार वहन करेगी। एनआईटी के लिए बिजली के लिए अलग से सुविधा दी जायेगी, जिस पर लगभग 30 करोड़ रूपये का खर्चा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्यदायी संस्था एनआईटी के निर्माण में तेजी से कार्य करे, राज्य सरकार द्वारा धनराशि देने में कोई विलम्ब नहीं किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि श्रीनगर हमारे उत्तराखण्ड का केन्द्र बिन्दु है, तमाम शैक्षणिक संस्थाएं, मेडिकल कॉलेज और आने वाले समय में यहां रेल भी पहुंचने वाली है, आल वेदर रोड़ एवं रेल का काम तेजी से चल रहा है। हमारी कोशिश है कि 2024-25 तक रेल कर्णप्रयाग तक पहुंच जाए। 80 प्रतिशत रेलवे लाईन टनल के अन्दर है, श्रीनगर के पास तथा अनेक स्थानों पर टनल निर्माण का कार्य अत्याधुनिक रोबोटिक मशीनों द्वारा बहुत तेजी से किया जा रहा है। भविष्य में श्रीनगर में रेलवे स्टेशन बनेगा जिससे श्रीनगर का विकास होगा, उद्योगों की स्थापना होगी। यहां कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रों के सामने एक मौका है जिससे हम अपने क्षेत्र का चहुंमुखी विकास कर सकेंगे।

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि आज यहां पर एनआईटी का भूमि पूजन व शिलान्यास हो रहा है। एनआईटी से अनेक प्रतिभाशाली छात्र निकल रहे हैं। यहां के छात्र प्रशासनिक, इंजीनियरिंग व अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि यहां हम एनआईटी के साथ केन्द्रीय विद्यालय भी बनायें, ताकि यहां के बच्चे यहीं अध्ययन कर सकें। सुमाड़ी में एनआईटी की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री ने अनेक प्रयास किये। इस भवन निर्माण का कार्य 02 साल के अन्दर पूर्ण किया जायेगा। परिसर बनने के बाद दुनियाभर से छात्र यहां अध्ययन के लिए आयेंगे।

तीन माह के भीतर सीबीएसई का क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून में खुलेगा

राज्य में पांच नए केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने सीबीएसई, एनआईटी, जेएनवी, केविएस, एनआईओएस, इग्नू के अधिकारियों की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य सचिव को जमीन उपलब्ध कराने को कहा हैं।

सीबीएसई के 90 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ओएनजीसी तेल भवन परिसर में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह ने मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को स्मृति चिह्न भेंट किया। इसके बाद उन्होंने सीबीएसई की कार्यप्रणाली की जानकारी दी। चर्चा के दौरान डॉ. निशंक ने सीबीएसई चेयरमैन से फोन पर वार्ता कर तीन माह के भीतर देहरादून में क्षेत्रीय कार्यालय की बिल्डिंग का शिलान्यास करने के निर्देश दिए। बैठक में केंद्रीय विद्यालयों का मुद्दा प्रमुखता से उठा।

केंद्रीय विद्यालयों में 187 पदों के सापेक्ष अभी तक केवल 60 प्रतिशत ने ज्वाइन किया है। इनमें से 40 प्रतिशत ने ज्वाइन नहीं किया है। इस पर मंत्री ने उनकी जगह दूसरों को मौका देने की बात कही। इसके अलावा गौचर, बनबसा, हल्द्वानी, श्रीनगर और ऋषिकेश में केंद्रीय विद्यालय के लिए मुख्य सचिव को जमीन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। बैठक में सभी केंद्रीय संस्थानों के अधिकारी मौजूद रहे।

अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रेविटी का जल मिले, इसके लिए राज्य सरकार प्रयासरत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को एटलांटिस क्लब पंडितवाडी, देहरादून मे इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन, देहरादून सेंटर द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमिनार का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने सेमिनार से सम्बन्धित विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया। सेमिनार में देश के 12 राज्यों एवं विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जल संरक्षण एवं स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर इस सेमिनार में मंथन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच सालों में हर घर में जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। हर घर तक शुद्ध जल पहुॅचें इसके लिए इंजीनियरों को मंथन करने की जरूरत है कि कैसे पानी की बचत हो और कैसे बेहतर इस्तेमाल किया जा सके। आज सेमिनार में विषय विशेषज्ञ एक दूसरे के साथ अपने अनुभवों को सांझा करेंगे। जिसके भविष्य में अच्छे परिणाम मिलेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल का कैसे बैहतर तरीके से संरक्षण और पूर्ति हो, इसके लिए लोगों में भी जागरूकता लाने की जरूरत है। जल संचय का सबसे अच्छा तरीका वर्षा जल का एकत्रीकरण है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

सीएम ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि उत्तराखण्ड के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रेविटी का जल मिल सके, इसके लिए सौंग, सूर्यधार व मलुढूंग बांध पर कार्य किया जा रहा है। सौंग बांध का कार्य शुरू होने से 350 दिनों में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। सूर्यधार डेम पर कार्य प्रारम्भ हो गया है। इससे 29 गांवों को ग्रेविटी वाटर उपलब्ध होगा। पंचेश्वर बांध बनने से ऊधमसिंह नगर एवं चम्पावत के तराई क्षेत्र में ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा।

कोई अधिवक्ता व बार हड़ताल का आह्वान करें, तो बार काउंसिल आफ इंडिया करे कार्रवाई

हरिद्वार, यूएस नगर और देहरादून में 34 साल से शनिवार को होने वाली वकीलों की हड़ताल और कार्य बहिष्कार को नैनीताल हाईकोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया है। कोर्ट ने यह फैसला एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।

हाईकोर्ट ने साफ कहा कि कोई भी अधिवक्ता या बार काउंसिल हड़ताल करता या हड़ताल का आह्वान करता है तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया उस पर कार्रवाई करे। कोर्ट ने कहा कि यदि अधिवक्ता हड़ताल पर जाएंगे तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि यदि अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहते हैं तो जिला जज इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को करेंगे और हाईकोर्ट उस रिपोर्ट के आधार पर हड़तालियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। देहरादून निवासी ईश्वर शांडिल्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि दून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में पिछले 34 वर्षों से शनिवार को अधिवक्ताओं की ओर से हड़ताल की जाती रही है।
इससे वादकारियों को न्याय से वंचित होना पड़ रहा है। याची ने हड़ताल को गैर कानूनी घोषित करने की मांग की थी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने वादकारियों के हित में अहम फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने कहा कि समस्त न्यायिक कार्य सुचारु रूप से चलते रहेंगे। कोई भी न्यायिक अधिकारी हड़ताल की वजह से मुकदमे की तारीख नहीं टालेगा। यदि हड़ताल की वजह से सुनवाई टली तो इसकी जवाबदेही न्यायिक अधिकारी की होगी।

कोर्ट ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों को हड़ताल के समय न्यायालयों को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है ताकि न्यायिक कार्यों में किसी तरह का व्यवधान न हो सके। कोर्ट ने कहा कि यदि वकीलों को किसी भी न्यायिक अधिकारी से शिकायत है तो शिकायत पर हाईकोर्ट जांच करेगा और आरोप सही पाए जाने पर हाईकोर्ट संबंधित के खिलाफ कार्रवाई भी करेगा।

स्कूलों में दैनिक प्रार्थना में बच्चों को मौसमी बीमारियों से बचाव व उपचार की जानकारी देंः टीएसआर

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा के बारे में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मौसमी बीमारियों से बचाव व उपचार की तैयारियां पहले से ही कर ली जानी चाहिए। सर्दियों में फैलने वाले इस इन्फ्लुएंजा से बचाव की जानकारी अधिक से अधिक लोगां तक पहुंचाई जाए। विशेष रूप से स्कूलों में जाकर दैनिक प्रार्थना के समय बच्चों को इसके बारे में बताया जाए कि किन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से इससे बचा जा सकता है। मुख्यमंत्री आवास में एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा से बचाव व उपचार की तैयारियों पर स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा कर रहे थे। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी व मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी भी समीक्षा बैठक में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा को लेकर आम लोगों में भय न हो, इसके लिए बीमारी और इससे बचाव के उपायों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। उपचार के लिए आवश्यक दवाईयां भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहे।

बैठक में बताया गया कि एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा एक सामान्य किस्म का इन्फ्लुएंजा है। इससे घबराने जैसी कोई बात नहीं होती है। इसके मरीजों का बहुत कम प्रतिशत होता है जिन्हें कि भर्ती कराए जाने की जरूरत पड़ती है। इसमें सामान्य सर्दी, जुखाम जैसे लक्षण ही होते हैं। घर पर ही इसका उपचार हो जाता है। बाजार में इसकी दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। परंतु यह दवा केवल डाक्टर का पर्चा दिखाने पर ही दी जा सकती है। केवल डायबिटिज, दमा आदि के रोगियों व उम्रदराज लोगों को सावधानी बरतनी होती है। अधिक से अधिक तरल पदार्थ व पौष्टिक आहार लिया जाना चाहिएा। अगर किसी बच्चे में इसके लक्षण दिखें तो स्कूल नहीं भेजा जाना चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जिला अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति की भी जानकारी ली।