मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के प्रोजेक्ट्स को हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ पूरा करने के निर्देश

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों के साथ ही उनमें डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर्स, पैरामेडिकल एण्ड एन्सिलरी स्टाफ के पद सृजन आदि की प्रक्रिया भी साथ-साथ संचालित करने की हिदायत स्वास्थ्य विभाग, वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग को दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह से निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों का समय पर संचालन शुरू हो पाएगा। मुख्य सचिव ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में 216 तथा पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज में 216 डॉक्टर्स के पदों से सम्बन्धित स्थिति को तत्काल स्पष्ट करने के निर्देश वित्त विभाग को दिए हैं। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के प्रोजेक्ट्स को हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ पूरा करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिए।
मेडिकल टूरिज्म की बेहतरीन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सीएस रतूड़ी ने पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज तथा नैनीताल के भवाली स्थित टीबी सेनेटोरियम के सम्बन्ध में एक बैठक पर्यटन विभाग के साथ आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में विधानसभा भवन में राजकीय मेडिकल कॉलेज पिथौरागढ़ के ढांचे के गठन में राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार के सापेक्ष संख्या में कम हो रहे पदों के संबंध में बैठक सम्पन्न हुई।
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के दृष्टिगत मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य के मैदानी जिलों के समान ही पर्वतीय जिलों में बनने वाले मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में भी पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ तथा अन्य स्टाफ की व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश स्वास्थ्य, वित्त एवं कार्मिक विभाग को दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज से न केवल पिथौरागढ़ जनपद को बल्कि जनपद चंपावत तथा जनपद बागेश्वर व अल्मोड़ा के एक बड़े भाग की आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं मिलेगी। साथ ही पड़ोसी देश नेपाल द्वारा भी यहाँ की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने की संभावना बढ़ जायेगी। पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज का संचालन आरम्भ होने के बाद इसके आस-पास के क्षेत्रों में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं अन्य सम्बन्धित सुविधाओं, उद्यमों के विकास एवं स्वरोजगार के नए अवसरों की संभावनाएं भी बढ़ेगी।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को हरिद्वार जिले में मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने गर्भवती माताओं एवं नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के फॉलोअप हेतु ट्रैकिंग सिस्टम बनाने, सभी गर्भवती महिलाओं की अनिवार्य प्रसवपूर्व जांच (एएनसी) करने, सभी गर्भवती माताओं का संस्थागत प्रसव करवाने के भी निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने मातृ मृत्यु दर की दृष्टि से हाई रिस्क एरियाज में आशा वर्कर हेतु विशेष ऑरियेण्टेशन प्रोग्राम संचालित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने आशा वर्कर्स के कार्यों के मूल्यांकन में मातृ मृत्यु दर को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में सचिव डा0 आर राजेश कुमार, वी. षणमुगम सहित स्वास्थ्य, वित्त, कार्मिक एवं न्याय विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

धामी सरकार करने जा रही अपना वादा पूरा, आंदोलनकारियों को मिलेगा आरक्षण

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों के सभी पात्र आश्रित भी राजकीय सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के हकदार होंगे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक पर गठित विधानसभा की प्रवर समिति ने यह सिफारिश की है। मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी। बुधवार को रिपोर्ट पर चर्चा के बाद विधेयक को मंजूरी देने की पूरी संभावना है।
प्रदेश सरकार ने आठ सितंबर 2023 को सदन में विधेयक पेश किया था। विधेयक में चिह्नित आंदोलनकारियों व उसके एक आश्रित सदस्य को क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया गया था। प्रवर समिति ने इसमें बदलाव करते हुए सभी पात्र आश्रितों को आरक्षण का योग्य माना है। साथ समिति ने आश्रित की परिभाषा में चिह्नित आंदोलनकारी की पत्नी अथवा पति, पुत्र एवं पुत्री जिसमें विवाहित, विधवा, पति द्वारा परित्यक्त, तलाकशुदा पुत्री को भी शामिल किया गया है।
प्रवर समिति ने ये सिफारिश भी की कि 11 अगस्त 2004 को या उसके बाद उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी शासनादेशों के अधीन विभिन्न राजकीय सेवाओं, पदों के लिए राज्य आंदोलनकारियों का चयन और नियुक्ति इस अधिनियम के तहत वैध माना जाए। जिस व्यक्ति का चिह्नीकरण सक्षम अधिकारी द्वारा राज्य आंदोलनकारी के रूप में किया गया हो, उसे प्रमाणपत्र या पहचानपत्र जारी हो। विधेयक में विभिन्न विभागों में तथा समूह घ के पदों पर सीधी भर्ती में नियुक्ति देने में आयु सीमा तथा चयन प्रक्रिया को एक बार शिथिल करने का प्रावधान के स्थान पर समिति ने राज्याधीन सेवाओं में चयन के समय चिह्नित आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की सिफारिश की है।

महिलाओं को बराबरी का अधिकारी दिलायेगा यूसीसी

देश के पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र तो नहीं, लेकिन कई नियमों के बदलाव में रूढ़ि, परंपरा और प्रथा को खत्म करने का आधार बनाया गया है। इद्दत, हलाला को भी प्रत्यक्ष तौर पर कहीं नहीं लिखा गया। हालांकि, एक विवाह के बाद दूसरे विवाह को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है।

इद्दत-हलाला को इस तरह परिभाषित किया
यूसीसी बिल में महिला के दोबारा विवाह करने (चाहे वह तलाक लिए हुए उसी पुराने व्यक्ति से विवाह करना हो या किसी दूसरे व्यक्ति से) को लेकर शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। संहिता में माना गया कि इससे पति की मृत्यु पर होने वाली इद्दत और निकाह टूटने के बाद दोबारा उसी व्यक्ति से निकाल से पहले हलाला यानी अन्य व्यक्ति से निकाह व तलाक का खात्मा होगा। यूसीसी में हलाला का प्रकरण सामने आने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

शाहबानो प्रकरण भी बना यूसीसी का आधार
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने के लिए इंदौर की शाहबानो के मामले को भी आधार बनाया गया। इसमें बताया गया कि कैसे 62 वर्ष की उम्र में शाहबानो को उनके पति ने तलाक दे दिया था। उनके पांच बच्चे थे। वह न्यायालय गईं तो उन्हें 25 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का निर्णय हुआ। इससे असंतुष्ट शाहबानो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय गईं, जिसने गुजारा भत्ता बढ़ाकर 179.20 रुपये प्रतिमाह कर दिया, मगर पति ने भत्ता देने से इन्कार कर दिया। अप्रैल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी।

बहु विवाह प्रतिबंधित किया गया
यूसीसी बिल में बहु विवाह को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया गया है। हर विवाह और तलाक का पंजीकरण ग्राम, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका के स्तर पर ही कराया जाना संभव होगा। इसके लिए पोर्टल भी एक माध्यम होगा। बिल में स्पष्ट किया गया है कि एक विवाह होने के बाद दूसरा विवाह पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है।

विवाह की आयु
सभी धर्मों के लिए विवाह की आयु समान की गई है। पुरुष के लिए कम से कम 21 वर्ष और स्त्री के लिए न्यूनतम 18 वर्ष। मुस्लिम पर्सनल लॉ में विवाह की आयु बालिग होने या 15 वर्ष निर्धारित की गई है, लेकिन अब प्रदेश में सबके लिए आयु की एक ही सीमा होगी। हालांकि, ये स्पष्ट किया गया कि इससे किसी धर्म, मजहब, पंथ, संप्रदाय और मत के अपने-अपने रीति रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। निकाह, आनंद कारज, अग्नि के समक्ष फेरे और होली मेट्रिमोनि रीति रिवाज अपनी मान्यताओं के अनुसार ही होंगे। हालांकि, इसमें ये भी स्पष्ट कर दिया है कि अनुसूचित जनजातियां यूसीसी के दायरे से बाहर रहेंगी।

विवाह का पंजीकरण कराना हुआ अनिवार्य

अगर आपका विवाह 26 मार्च 2010 के बाद हुआ है, तो उसका पंजीकरण कराना होगा। पहले जो करा चुके हैं, उन्हें दोबारा पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी। विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में यह प्रावधान है।
खास बात ये भी है कि कानून लागू होने के छह माह के भीतर पंजीकरण न कराने वालों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। पंजीकरण में गलत तथ्य देने वालों पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। यूसीसी में स्पष्ट किया गया कि विवाह करने वालों में से अगर स्त्री या पुरुष राज्य का निवासी होगा तो उसका पंजीकरण अनिवार्य होगा।
26 मार्च 2010 (उत्तराखंड अनिवार्य विवाह पंजीकरण एक्ट) तक के जो विवाह पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें यूसीसी लागू होने के बाद छह माह के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जो पहले से पंजीकृत हैं, उन्हें कानून लागू होने के छह माह के भीतर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में घोषणा पेश करनी होगी। 2010 के पूर्व के दंपती चाहें तो अपना पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन उनकी एक से अधिक जीवनसाथी न हों। आयु का मानक पूरा हो रहा हो।

ऐसे होगा पंजीकरण
यूसीसी लागू होने के बाद पति-पत्नी मिलकर एक फार्म भरेंगे। विवाह की तिथि से 60 दिन के भीतर सब रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत करेंगे। शर्त है कि दोनों में से एक राज्य में निवास करता हो। इसी प्रकार, 2010 के पहले के दंपती के लिए भी औपचारिकताएं होंगी।

सब रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार जनरल नियुक्त करेगी सरकार
यूसीसी के तहत राज्य सरकार सचिव स्तर के अधिकारी को रजिस्ट्रार जनरल (महानिबंधक) नियुक्त करेगी। इसके बाद उपजिलाधिकारी स्तर तक के अधिकारियों को रजिस्ट्रार और क्षेत्रों के लिए सब रजिस्ट्रार तैनात किए जाएंगे।

पुरुष की 21, स्त्री की 18 वर्ष आयु
यूसीसी में ये प्रावधान किया गया कि विवाह तभी होगा जबकि पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और स्त्री की न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो।

10 से 25 हजार रुपये तक जुर्माना
कोई भी व्यक्ति जो विवाह होने के बाद जानबूझकर पंजीकरण नहीं कराएगा या उपेक्षा करेगा, उस पर सब रजिस्ट्रार 10 हजार का जुर्माना लगा सकते हैं। जो व्यक्ति पंजीकरण में गलत तथ्य प्रस्तुत करेगा या कूटरचित दस्तावेज लगाएगा, उसे तीन माह की जेल और 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों लग सकते हैं। जो सब रजिस्ट्रार पंजीकरण प्रक्रिया, विच्छेद पर 15 दिन के भीतर एक्शन नहीं लेगा, उस पर भी 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

सब रजिस्ट्रार खुद भी ले सकते हैं संज्ञान
अगर कोई विवाह होता है और उसका पंजीकरण नहीं होता तो सब रजिस्ट्रार इसका खुद भी संज्ञान ले सकेगा। वह नोटिस भेजेगा, जिस पर 30 दिन के भीतर ज्ञापन प्रस्तुत करना होगा। ऐसा न करने पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। पंजीकरण न कराने पर कोई विवाह अविधिमान्य नहीं होगा।

सीएम ने पेश किया यूसीसी, सत्ता पक्ष ने की हौसला अफजाई

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक सदन में पेश किया। इस दौरान मुख्यमंत्री आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज नजर आए। विधेयक पटल पर रखने के बाद पूरे दिन सदन में डटे रहे। सदन की कार्यवाही स्थगित होने तक सीएम धामी यूसीसी पर चर्चा में शामिल रहे।
बुधवार को यूसीसी बिल सदन में पारित होना तय है। हालांकि विधेयक पर चर्चा जारी है। सदन में पारित होने के बाद उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने में देश का पहला होगा। सांविधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जा सकता है।
11 बजे मुख्यमंत्री स्वयं यूसीसी के ड्राफ्ट की प्रति लेकर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे। माथे पर तिलक, सफेद कुर्ता पैजामा, नारंगी रंग का वास्कट और गले में मफलर पहने धामी आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उनके के चेहरे पर संतुष्टि का भाव भी था। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने प्रदेश की जनता यूसीसी लागू करने का वादा किया था। इस वादे को पूरा करने के लिए सदन में सीएम उत्साहित नजर आए। साथ ही पूरे दिन सदन में डटे रहे। आमतौर पर व्यस्तता के चलते मुख्यमंत्री सदन में कम समय के लिए आते हैं। लेकिन यूसीसी पर चर्चा के लिए सीएम देर शाम तक सदन में रहे।

सवालः समान नागरिक संहिता से आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया?
जवाब : भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 25, सहपठित अनुच्छेद 342 के अंतर्गत तथा अनूसूचि छह के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। ड्राफ्ट समिति ने माना कि प्रदेश में निवास कर रही जनजातियों में महिलाओं की स्थिति प्रदेश में अन्य वर्गों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है।
सवाल : समान नागरिक संहिता किन पर लागू होगी?
जवाबः राज्य के मूल निवासी व स्थायी निवासियों पर। राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के स्थायी कर्मचारी, केंद्र या उसके किसी उपक्रम के राज्य में तैनात स्थायी कर्मचारी, राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहे व्यक्ति, राज्य या केंद्र की योजनाओं के लाभार्थी, जिसने राज्य निवासी होने का लाभ लिया हो।
सवाल : विवाह की आयु में कोई परिवर्तन क्यों नहीं किया गया?
जवाब : मुस्लिम वर्ग के अतिरिक्त सभी वर्गों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष, लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। मुस्लिम वर्ग के लिए न्यूनतम आयु उसका मासिक धर्म प्रारंभ होने से मानी जाती है। अब सबके लिए यह आयु समान होगी।
सवाल : यूसीसी में आनंद मैरिज एक्ट के लिए क्या कहा गया है?
जवाब : किसी भी वर्ग में विवाह के अनुष्ठानों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया। सप्तपदि, आशीर्वाद, निकाह, पवित्र बंधन, आनंद कारज, आर्य समाज विवाह, विशेष विवाह अधिनियम को इसमें संरक्षित किया गया।
सवाल : अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम प्रदेश में पहले से लागू है तो अब इसे समान नागरिक संहिता में लाने की जरूरत क्यों?
जवाब : वह अधिनियम समान नागरिक संहिता आने के बाद समाप्त हो जाएगा।
सवाल : अगर कोई विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो क्या वह निरस्त होगा?
जवाब : ऐसा विवाह निरस्त नहीं माना जाएगा बल्कि उस पर यूसीसी के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी।
सवाल : तलाक के लिए समान नागरिक संहिता में क्या तरीके होंगे?
जवाब : बिना न्यायिक प्रक्रिया अपनाए कोई भी विवाह विच्छेद नहीं होगा। ऐसा करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सवाल : समान नागरिक संहिता में पुत्र, पुत्री के बीच संपत्ति का बंटवार क्या समान होगा?
जवाब : हां
सवाल : यूसीसी में मृतक की संपत्तियों का विभाजन कैसे होगा?
जवाबः संपत्ति शब्द को हटाकर संपदा शब्द का प्रयोग यूसीसी में किया गया है। इसमें मृतक की सभी प्रकार की संपत्तियां जैसे चल, अचल, स्वयं अर्जित, पैतृक या जन्गम या संयुक्त, मूर्त या अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति में कोई भी हिस्सा, हित या अधिकारी को सम्मिलित किया गया है। यूसीसी लागू होने के बाद पैतृक संपत्ति अब व्यक्ति की स्वयं अर्जित संपत्ति ही मानी जाएगी। और उसका विभाजन उसके उत्तराधिकारियों के बीच स्वयं अर्जित संपत्ति के अनुसार ही किया जाएगा।
सवाल : कोई व्यक्ति अपनी कितनी संपदा की वसीयत कर सकता है?
जवाबः कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपदा की वसीयत कर सकता है। यूसीसी लागू होने से पहले मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के पृथक नियम थे, जो अब सबके लिए समान होंगे।

उत्तराखंड के नकलरोधी कानून को मॉडल के रूप में लागू करेगी केंद्र सरकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के नकलरोधी कानून को केंद्र सरकार ने भी मॉडल के रूप में लिया है। सोमवार को लोकसभा में केंद्र सरकार ने इसका बिल पेश कर उत्तराखंड के धामी सरकार के कठोर कानून पर भी अपनी मुहर लगा दी है। इधर, मुख्यमंत्री धामी ने केंद्र सरकार के इस निर्णय पर आभार जताया और कहा कि यह कानून नकल माफियों पर करारी चोट करेगा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए कवच बनेगा।
केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण बिल पेश किया है। यह बिल जल्द देश में नकलरोधी कानून का रूप लेगा। खासकर उत्तराखंड में इस तरह का कानून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने फरवरी 2023 में लागू किया। यह कानून अब तक देश के सबसे कठोर कानून में शुमार है। अब धामी सरकार के इस नकलरोधी कानून को केंद्र ने भी मॉडल के रूप में लेते हुए , जल्द देशभर में लागू करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार का यह निर्णय निश्चित ही उत्तराखंड की धामी सरकार के नकलरोधी कानून पर मुहर लगाता है। खासकर धामी सरकार ने भी कठोर नकलरोधी कानून लाकर नकल माफिया की कमरतोड़ कर दी है। कानून लागू होने के बाद इसके परिणाम भी देखने को मिले हैं। पूर्ववर्ती सरकारों में नकल माफियाओं के पूरे तंत्र को ध्वस्त कर धामी सरकार ने बड़ा संदेश दिया है। कानून का परिणाम यह है कि अब राज्य में प्रतियोगी परीक्षाएं न केवल समय पर हो रही हैं। बल्कि रिकॉर्ड समय में परिणाम जारी होने के बाद युवाओं को नौकरी भी मिल रही हैं। उधर, केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में सख्त नकलरोधी कानून का बिल पेश करने पर मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में लागू कठोर नकलरोधी कानून जैसा बिल पेश कर हमारा मनोबल बढ़ाया है।

ये है उत्तराखंड का कठोर नकलरोधी कानून
उत्तराखंड के कठोर नकलरोधी कानून में संगठित होकर नकल कराने और अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने वाले मामलों में आजीवन कैद की सजा तथा 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है। साथ ही आरोपियों की संपत्ति भी जब्त करने की व्यवस्था कानून में है। इसके अलावा नकल करते पकड़े जाने पर 10 वर्ष की सजा के साथ ही 10 लाख रुपये जुर्माना है। अभ्यर्थी के नकल करते पाए जाने पर आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए निलंबित किया जाएगा। दोष साबित होने पर उसे 10 वर्ष के लिए सभी परीक्षा देने से निलंबित कर दिया जाएगा। दोबारा नकल करते पाए जाने पर आरोप पत्र दाखिल करने से पांच से 10 साल के लिए निलंबित किया जाएगा। दोष साबित होने पर उसे आजीवन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल नहीं होने दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न घोषणाओं को दी वित्तीय स्वीकृति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र थैलीसैंण को उप जिला चिकित्सालय के रूप में उच्चीकृत किये जाने की स्वीकृति प्रदान की है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र थैलीसैंण के 50 शैय्यायुक्त उप जिला चिकित्सालय के रूप में उच्चीकरण से 1 लाख 02 हजार 673 जनसंख्या लाभान्वित होगी।
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास योजनान्तर्गत एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खटीमा, ऊधमसिंह नगर में बाउंड्रीवाल, गेट एवं गार्ड रूम बनाये जाने हेतु 1 करोड़ 83 लाख 78 हजार रू. की भी स्वीकृति प्रदान की है।

पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज को मेडिकल टूरिज्म से जोड़ने के निर्देश

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज को राज्य का एक आदर्श एवं बेहतरीन मेडिकल कॉलेज बनाने की कार्ययोजना पर गंभीरता एवं तत्परता से कार्य करने के निर्देश चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा कार्यदायी संस्था उत्तराखण्ड पेयजल निगम को दिए हैं।
सोमवार को विधानसभा भवन में आयोजित पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज की संशोधित प्रोजेक्ट की ईएफसी (व्यय वित्त समिति) की बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इसकी ईएफसी के प्रत्येक बिन्दु पर विस्तार से गहन चर्चा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट किया कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की एक महत्वकांक्षी परियोजना है। इसे प्रदेश के एक आदर्श मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित करने के साथ ही मेडिकल टूरिज्म से भी जोड़ा जाएगा।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि कार्यदायी संस्था पेयजल निगम द्वारा पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के प्रोजेक्ट को नेशनल मेडिकल कमीशन के मानकों के अनुरूप संशोधित कर दिया गया है। मुख्य सचिव ने पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के टीचिंग हॉस्पिटल में एक रैनबसेरे के निर्माण के भी निर्देश दिए हैं।
उत्तराखण्ड पेयजल निगम द्वारा पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज हेतु 768.89 करोड़ रूपये के संशोधित प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है। पेयजल निगम द्वारा इस प्रोजेक्ट को नेशनल मेडिकल कमीशन तथा इण्डियन पब्लिक हेल्थ स्टैण्डर्ड की गाइडलाइन्स के अनुसार संशोधित किया गया है।
बैठक में सचिव डा0 आर राजेश कुमार, श्री एस एन पाण्डेय सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री धामी ने 122 अभ्यर्थियों को दिये नियुक्ति पत्र

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में परिवहन निगम के अन्तर्गत चालक एवं परिचालक पद के लिए 106 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। इन अभ्यर्थियों को मृतक आश्रित के रूप में परिवहन विभाग में नियुक्ति दी गई है। परिवहन विभाग के अन्तर्गत चयनित 16 सहायक लेखाकारों को भी मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र प्रदान किये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा माह के अन्तर्गत राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा जन-जागरूकता रैली का फ्लैग ऑफ किया। इस अभियान के तहत सभी जनपदों में सड़क सुरक्षा के प्रति जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सड़क सुरक्षा कैलेण्डर और सड़क सुरक्षा पर आधारित डाटा बुक का विमोचन भी किया। 16 महिलाओं को परिवहन विभाग द्वारा निःशुल्क ड्राइविंग प्रशिक्षण देने के बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस भी प्रदान किये।
मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र प्राप्त करने पर परिवहन निगम और परिवहन विभाग के सभी अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपनी नौकरी की शुरूआत से ही अपने कर्तव्यों का ईमानदारी, सच्ची लगन और कड़ी मेहनत से निर्वहन करें। परिवहन सेवा को सुचारू रखने के लिए चालक और परिचालक का महत्वपूर्ण दायित्व होता है। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवा में आत्म अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि नौकरी की शुरुआती चरण से ही अपनी नियमित दिनचर्या के साथ कार्य करना शुरू करेंगे, तो यही दिनचर्या आदत में शामिल हो जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इनकी सुख-सुविधाओं को और बेहतर बनाने की भी परिवहन विभाग और परिवहन निगम पर बड़ी जिम्मेदारी है। इस दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने के लिए हम सबको अपने-अपने क्षेत्रों में अहम योगदान देना है, सबके सहयोग से उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए राज्य सरकार कृत संकल्प के साथ कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से अनेक भर्ती प्रक्रियाएं गतिमान हैं। पिछले दो सालों में तेजी से भर्ती प्रक्रियाएं पूर्ण की गई हैं। सभी भर्तियां पूर्ण पारदर्शिता के साथ हों, इसके लिए राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। इस कानून के लागू होने के बाद तेजी और पूर्ण पारदर्शिता से सभी परीक्षाएं सम्पन्न हुई हैं। मुख्यमंत्री ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए निःशुल्क ड्राईविंग प्रशिक्षण दिलाने के लिए परिवहन विभाग के प्रयासों की सराहना भी की।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सचिव परिवहन अरविंद सिंह ह्यांकी, प्रबंध निदेशक परिवहन निगम डॉ. आनन्द श्रीवास्तव एवं परिवहन विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

यूसीसी ड्राफ्ट को मिली मंजूरी, अब विधानसभा में होगा पेश

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून लागू करने के लिए धामी मंत्रिमंडल ने यूसीसी ड्राफ्ट को हरी झंडी दे दी है। 6 फरवरी को प्रदेश सरकार विधानसभा पटल पर यूसीसी बिल पेश करेगी।
रविवार शाम को सीएम आवास में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल बैठक हुई। जिसमें सुप्रीमकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई समिति की ओर से तैयार यूसीसी ड्राफ्ट का प्रस्तुतिकरण दिया गया। चार खंडों में 740 पेज के यूसीसी रिपोर्ट पर चर्चा के बाद मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से मुहर लगा दी। साथ ही यूसीसी विधेयक तैयार कर विधानसभा के पटल पर रखने को मंजूरी दे दी।
यूसीसी ड्राफ्ट में बहु विवाह रोकने, लिव इन की घोषणा, बेटियों को उत्तराधिकार में बराबरी का अधिकार देने, विवाह का रजिस्ट्रेशन करने, एक पति-एक पत्नी का नियम समान रूप से लागू करने जैसे तमाम प्रावधान हैं। बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, डॉ.धन सिंह रावत, गणेश जोशी, रेखा आर्या के अलावा मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन भी मौजूद थे।

कई दशक बाद धरातल पर उतरेगा यूसीसी
– 1962 में जनसंघ ने हिंदू मैरिज एक्ट और हिंदू उत्तराधिकार विधेयक वापस लेने की बात कही। इसके बाद जनसंघ ने 1967 के उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए एक समान कानून की वकालत की। 1971 में भी वादा दोहराया। हालांकि 1977 और 1980 में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
– 1980 में भाजपा का गठन हुआ। भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने। पार्टी ने 1984 में पहली बार चुनाव लड़ा, जिसमें केवल दो सीटें मिली।
– 1989 में 9वां लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किया। पार्टी की सीटों की संख्या बढ़कर 85 पहुंची।
– 1991 में देश में 10वां मध्यावधि चुनाव हुआ। इस बार भाजपा को और लाभ हुआ। उसकी सीटों की संख्या बढ़कर 100 के पार हो गई। इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, राम मंदिर, धारा 370 के मुद्दों को जमकर उठाया। ये सभी मुद्दे बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल थे, मगर संख्या बल के कारण ये पूरे नहीं हो पाए थे।
– इसके बाद 1996 में भाजपा ने 13 दिन के लिए सरकार बनाई। 1998 में पार्टी ने 13 महीने सरकार चलाई। 1999 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ बहुमत से सरकार बनाई। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।
– वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई और केंद्र में मोदी सरकार आई। मोदी सरकार ने पूरे जोर-शोर से अपने चुनावी वादों पर काम करना शुरू किया। अब केंद्र की सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है।
-उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वाेपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया। जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। अब विधानसभा का विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।

ये हैं ड्राफ्ट के संभावित प्रावधान
1- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
6- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
7- मेंटेनेंस- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
8- एडॉप्शन- सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
9- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
10- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।
11- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
12- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
13- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।