जोशीमठ में अबतक 207 प्रभावित परिवारों को अन्तरिम राहत मिली

सचिव आपदा प्रबन्धन डा0 रंजीत कुमार सिन्हा ने मंगलवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्याे की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार की ओर से विस्थापन हेतु अग्रिम के रूप 207 प्रभावित परिवारों को 3.10 करोड़ रूपये की धनराशि वितरित कर दी गयी है। राहत की खबर है कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो कि 6 जनवरी 2023 को 540 एल.पी.एम. था, वर्तमान में घटकर 123 एल.पी.एम. हो गया है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि भारत सरकार के स्तर पर केन्द्र के तकनीकी संस्थानों को जोशीमठ के अर्न्तगत आपदाग्रस्त क्षेत्र की अध्ययन रिपोर्ट उपलब्ध कराये जाने हेतु टाईमलाइन दी गयी है। सीबीआरआई के 10 वैज्ञानिकों की टीम को तीन सप्ताह, एनजीआरआई के 10 वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट तीन सप्ताह, वाडिया संस्थान के 07 वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट दो माह, जीएसआई के सात वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट दो माह, सीजीडब्ल्यूबी के 4 वैज्ञानिकों की टीम को प्रारम्भिक रिपोर्ट एक सप्ताह तथा अन्तिम रिपोर्ट तीन सप्ताह तथा आईआईआरएस को एक सप्ताह में प्रारम्भिक रिपोर्ट तथा तीन माह में अन्तिम रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि टी.सी.पी. तिराहा जोशीमठ के पास उद्यान विभाग की भूमि को मॉडल प्री-फैब्रिकेटेड हट बनाये जाने हेतु चिन्हित किया गया है। जे.पी. के 15 भवनों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें तोड़ने का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 615 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। अभी तक 849 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। सर्वेक्षण का कार्य गतिमान है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र/वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 167 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 250 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 838 है।
प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।

समय पर लोगों को राहत देने की दिशा में किया जा रहा कार्य-आपदा प्रबंधन सचिव

सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ नगर क्षेत्र में पहुंचकर औली रोपवे, मनोहरबाग, शंकराचार्य मठ, जेपी कालोनी आदि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ भू-वैज्ञानिक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
सचिव आपदा प्रबंधन ने औली रोपवे तथा शंकराचार्य मठ के निकट के क्षेत्र तथा घरों में पड़ी दरारों का निरीक्षण किया। सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि मकानों मे पड़ी दरारों तथा भू-धंसाव के पैटर्न रूट की निरंतर मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने औली रोपवे के टावर पर दरारों की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। डॉ सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को दरारों के पैटर्न तथा बढ़ोतरी की निरंतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद द्वारा प्रभावित क्षेत्र का भु-भौतिकीय अध्ययन किया जा रहा है। एनजीआरआई अंडर ग्राउंड वाटर चैनल का अध्ययन कर रही है। अध्ययन के पश्चात एनजीआरआई द्वारा जियोफिजिकल तथा हाइड्रोलॉजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जायेगा। यह मैप जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान तथा स्टेबलाइजेशन प्लान में काम आएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की दिशा में हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं। प्रभावित लोगों को त्वरित राहत एवं बचाव पहुंचाना राज्य सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। प्रभावित परिवारों को तात्कालिकता के साथ सुरक्षित स्थानों में भेजा जा रहा है। प्रभावित भवनों के चिन्हीकरण का कार्य निरन्तर जारी है। भूवैज्ञानिकों तथा विशेषज्ञों की टीमें भूधसांव के कारणों की जांच के कार्य में लगी है। प्रशासन प्रभावितों के निरन्तर सम्पर्क में है। राहत शिविरों में उनकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि सीबीआरआई, आईआईटी रुड़की, वाडिया इन्संटीयूट, जीएसआई, आईआईआरएस तथा एनजीआरआई जोशीमठ में कार्य कर रही है।

केंद्रीय मंत्री सहित सीएम ने किया 460 किमी लंबी कार रैली को रवाना

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढावा देने के लिए ‘सॉल ऑफ स्टील’ अल्पाइन चैलेंज का विधिवत शुभारंभ किया। चमोली जनपद के नीती गांव के लिए 460 किलोमीटर लंबी कार रैली ‘रोड़ टू द एंड’ को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज जसवंत ग्राउण्ड में आयोजित 7वां सशस्त्र सेना पूर्व सैनिक दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

केंद्रीय रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान उत्तराखंड राज्य के सैनिकों ने दुश्मन के खिलाफ मजबूती से खड़े होकर और अडिग भावना के साथ देश की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सशस्त्र बलों के जवानों के साहस और बलिदान के कारण, हमारे नागरिक सुरक्षित महसूस करते हैं और अपना सिर ऊंचा करके चलते हैं। “हमारे बहादुर सैनिकों ने दुनिया भर में भारत की छवि को एक शक्तिशाली और सम्मानित राष्ट्र के रूप में बदलने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। हमारे जवान हमारी एकता और अखंडता के रक्षक हैं। हम चौन से सोते हैं क्योंकि हमारे जवान सीमा पर रात दिन चौकस हैं।

केंद्रीय रक्षामंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों को प्रदान की जा रही पेंशन, चिकित्सा और अन्य सुविधाएं उनके द्वारा किए गए बलिदान और प्रतिबद्धता के प्रति देश के सम्मान का एक छोटा सा प्रतीक हैं। पूर्व सैनिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, केंद्रीय रक्षामंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए रक्षा पेंशन शिकायत निवारण पोर्टल का शुभारंभ किया गया है। कहा कि लोग पोर्टल के जरिए सशस्त्र सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष में योगदान कर सकते हैं। उन्होंने इसे पूर्व सैनिकों के कल्याणकारी प्रयासों से नागरिकों को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बताया। उन्होंने सभी भूतपूर्व सैनिकों और सशस्त्र सेना के सेवारत कर्मियों को उनके समर्पण और वीरता के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सैन्यधाम का रक्षामंत्री जी ने विधिवत् रूप से शिलान्यास किया था, जिस पर तेजी से कार्य चल रहा है। इस वर्ष दिसम्बर माह तक सैन्यधाम का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्र सर्वाेपरि की भावना से ओतप्रोत वीर सैनिकों ने देश की आनबान और शान को हमेशा अक्षुण रखने का कार्य किया है। भारत की सेना हमेशा विश्व की शक्तिशाली सेनाओं में से एक रही है। हमारे देश के वीर सैनिकों ने आजादी के बाद हुए प्रत्येक संघर्ष में अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए दुश्मन के छक्के छुड़ाने का काम किया है। देवभूमि उत्तराखण्ड ने अपने वीर सपूत देश को दिए हैं, जिन्होंने अदम्य साहस विश्व को दिखाया है। शान्ति का उपदेश देने वाली भारत की पुण्यभूमि समय आने पर शौर्य एवं पराक्रम द्वारा दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब देने की क्षमता रखती है। आज सम्पूर्ण विश्व भारत की शक्ति एवं सामर्थ्य से परिचित है, जिसका परिणाम है कि कोई भी दुश्मन हमारी ओर उंगली उठाने का साहस नहीं करता है। आज सैनिक दुश्मनों की गोली का जवाब गोलों से दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व एवं अथक प्रयासों से आज सैनिकों को सैन्य साजो की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। आज सेना को लगातार अच्छे साजो-सामान मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री एवं रक्षामंत्री लगातार सैनिकों का मनोबल बढाने का कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि सैन्य पुत्र होने के नाते राष्ट्र सेवा के प्रति वीर जवानों के समर्पण को नजदीक से देखा है। सैनिकों के लिए उनकी यूनिट ही उनका परिवार है। परिवार से अधिक समय वे इनके साथ बिताते हैं यही कारण है एक सैनिक का दूसरे सैनिक के साथ भाई-भाई जैसा नाता होता है। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि सेना के अधिकारियों का अपने अधीनस्थों के साथ प्रेमवत व्यवहार एवं सम्मान होता है, तथा उनका नाम आदर से लिया जाता है जो सभी के लिए अनुकरणीय है।

उन्होंने कहा कि सैनिकों के कल्याण के लिए जितने भी मामले आते हैं उस पर निरंतर कार्य करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार द्वारा गैलेंटरी अवार्ड विजेताओं की सम्मान राशि बढाने का काम किया है। उन्होंने कैन्टोमेंट बोर्ड की वेस्ट टू वैन्डर पहल कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल राजधानी को सुन्दर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। सरकार का प्रयास रहा है कि आने वाली पीढ़ी सेना के पराक्रम वीरता से भली भांति परिचित हो सके इसको ध्यान में रखते हुए आज शौर्य स्थल का विधिवत् उद्घाटन हुआ है।

इसके उपरान्त रक्षामंत्री, मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्य ने परिसर में उपस्थित पूर्व सैनिकों के पास जाकर उनके मुलाकात की तथा उनके साथ जलपान किया।

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, मध्य कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी, टिहरी गढ़वाल के सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, उत्तर भारत क्षेत्र लेफ्टिनेंट जनरल जे पी मैथ्यू, उत्तराखंड सब एरिया, मेजर जनरल संजीव खत्री, उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष मेजर जनरल मोहन लाल असवाल (सेवानिवृत्त), सहित अन्य गणमान्य एवं पूर्व सैनिक एवं उनके परिजन व सैनिक शामिल थे।

भारत सरकार के सीबीआरआई द्वारा प्रभावितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट निर्माण पर मिली सहमति

सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने आज जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्याे की मीडिया को जानकारी दी। बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रति परिवार विस्थापन हेतु अग्रिम के रूप 125 परिवारों को 187.50 लाख रूपये की धनराशि वितरित कर दी गयी है। भारत सरकार के स्तर पर सी0बी0आर0आई0 द्वारा विस्थापितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट में सहायता दी जा रही है। प्रशासन द्वारा शीतलहर को देखते हुए नगर पालिका जोशीमठ में 10 स्थानों पर अलाव जलाये गये हैं। राहत शिविरों में हीटर की व्यवस्था की गई है।

सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि राहत शिविरों की क्षमता में वृद्धि करते हुए अस्थायी रूप से जोशीमठ में कुल 615 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार 5000 रूपये की दर से घरेलू राहत सामग्री हेतु अभी तक कुल 73 ( कुल 3.65 लाख रूपये ) प्रभावितों को वितरित की गई है। तीक्ष्ण / पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन हेतु 10 प्रभावितों को 13.00 लाख रूपये धनराशि वितरित की गई है। मकान किराये के लिए 10 लोगों ने आवेदन किया है।

सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अभी तक 782 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 148 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 223 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 754 है।

प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।

जोशीमठ के लोगों को राहत देने के लिए धामी कैबिनेट ने लिये कई फैसले

जोशीमठ भू-धंसाव के संबंध में शुक्रवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता मंत्रीमंडल की बैठक आयोजित की गई। मंत्रीमण्डल की बैठक के बाद मुख्य सचिव डॉ. एस एस संधु एवं सचिव अपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने मंत्रीमण्डल के निर्णयों की बिंदुवार जानकारी दी।

1- जोशीमठ के आपदा प्रभावित भू-भवन स्वामियों/व्यक्तियों को स्थायी अध्यासन/विस्थापन नीति निर्धारित होने से पूर्व अग्रिम धनराशि ₹ 1 लाख (जिसका समायोजन किया जायेगा) तथा सामान की ढुलाई एवं तात्कालिक आवश्यकताओं हेतु गैर समायोज्य धनराशि ₹ 50 हजार अर्थात कुल 1.5 लाख आवंटित किये जाने हेतु राज्य आकस्मिकता निधि से ₹ 45 करोड़ की धनराशि पत्र दिनांक 11.01.2023 के द्वारा अवमुक्त की गयी है। उक्त के सम्बन्ध में मंत्रीमंडल द्वारा कार्याेत्तर अनुमोदन प्रदान किया गया।

2- जिला प्रशासन द्वारा चयनित भू-खण्डों (कोटी फार्म, पीपलकोटी, गोचर, ग्राम-गौख सेलंग, ग्राम-ढाक) के क्षेत्रीय सर्वेक्षण के उपरांत जोशीमठ के आपदा प्रभातियों के लघु कालिक पुर्नवास हेतु चयनित भू-खण्डों पर सर्वे के उपरान्त प्री-फेर्बीकेटेड स्ट्रक्चर्स का निर्माण किये जाने पर सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की गयी है। मंत्रिमण्डल द्वारा यह निर्देश भी दिये गये कि जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों/व्यक्तियों के मध्य सर्वे कराते हुए भवन दिये जाने अथवा पैकेज के रूप में धनराशि दिये जाने का निर्णय लिया जायेगा।

3- शासनादेश सं0 763, दिनांक 02.09.2020 के द्वारा आपदा प्रभावित ऐसे व्यक्ति, जो कि किराये के मकान पर निवास करते है, उनको किराये के रूप में अधिकतम 6 माह के लिये प्रतिमाह ₹ 4000 की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष से दिये जाने की व्यवस्था है। जोशीमठ के आपदा प्रभावित व्यक्तियों हेतु उक्त किराये की धनराशि ₹ 4,000 प्रतिमाह से बढाकर ₹ 5,000 प्रतिमाह किये जाने पर अनुमोदन प्रदान किया गया। उक्त के साथ ही जिलाधिकारी, चमोली की रिपोर्ट के आधार पर यदि उक्त किराये में और अधिक वृद्धि किये जाने की आवश्यकता होती है, तो इस सम्बन्ध में निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया।

4- भू-धंसाव/भू-स्खलन प्रभावित परिवारों को होटल/आवासीय ईकाईयों में राहत कैम्प के रूप में अधिवास करवाये जाने हेतु एस०डी०आर०एफ० के मानकों के अनुसार वास्तवित व्यय अथवा ₹950 प्रतिदिन प्रतिकक्ष, जो भी कम हो, उपलब्ध कराया जायेगा। उक्त के साथ ही राहत कैम्प की अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति हेतु भोजन के लिये प्रतिदिन ₹ 450 उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। यदि कोई व्यक्ति राहत कैम्प में भोजन करने का इच्छुक नही है, तो ऐसे व्यक्ति को भोजन हेतु प्रतिदिन ₹ 450 धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। एस०डी०आर०एफ० के मानकों के अनुसार पशुओं के प्रतिस्थापन हेतु ₹15 हज़ार दिए जाएँगे, इसके अतिरिक्त बड़े पशुओं के चारे के लिये ₹ 80/- प्रतिदिन तथा छोटे पशुओं के चारे के लिये ₹ 45/- प्रति दिन की धनराशि सम्बन्धित व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जाएगी ।

5- जोशीमठ नगर क्षेत्र के भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण तथा जल निकासी योजना इत्यादि कार्यों हेतु सिंचाई विभाग के स्तर पर शोर्टलिस्ट संस्थाओं को टो-इरोजन तथा भू-धसाव/भू-स्खलन से सम्वन्धित कार्य ई०पी०सी० मोड में कराये जाने हेतु एकल स्रोत के सम्बन्ध में कराये जाने हेतु यह निर्णय लिया गया कि सिंचाई विभाग एवं वैपकोस में से जो भी शीघ्र डी०पी०आर० तैयार करते हुए कार्य प्रारम्भ कर सकता है, उसके सम्बन्ध में निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।

6- भू-धंसाव/भू-स्खलन से प्रभावित भू-भवन स्वामियों का एक जनपद स्तरीय समिति के माध्यम से क्षति आंकलन का सर्वे कराते हुए, उसके उपरान्त उनकी भूमि तथा निर्मित भवन हेतु सहायता राशि उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल द्वारा एक सप्ताह के अन्दर पैकेज तैयार कर भारत सरकार को प्रेषित किये जाने के निर्देश दिये गये।

7- जोशीमठ की आपदा के दृष्टिगत भारत सरकार से राहत पैकेज के रूप में धनराशि प्राप्त होने तक राज्य सरकार के संसाधनों से अल्प कालिक एवं मध्य कालिक किये जाने वाले विभिन्न कार्यों पर धनराशि का व्यय किया जाना प्रस्तावित है, जिसका समायोजन भारत सरकार से राहत पैकेज के रूप में धनराशि प्राप्त होने पर कर लिया जायेगा।

8- भारत सरकार के पत्र दिनांक 10.10.2022 के द्वारा निर्गत एस०डी०आर०एफ० के नवीन मानकों में यह व्यवस्था की गयी है कि ऐसे परिवार जिनकी आजीविका का साधन आपदा के कारण प्रभावित हुआ है, उनके परिवार के दो व्यस्क सदस्यों को मनरेगा के अन्तर्गत निर्धारित मजूदरी की दरों के अनुसार अनुग्राहिक राहत प्रदान की जायेगी। जोशीमठ की आपदा को दृष्टिगत रखते हुये राहत शिविर में निवास कर रहे व्यक्तियों को एस०डी०आर०एफ० के मानकों से सम्बन्धित भारत सरकार के पत्र दिनांक 10.10.2022 के साथ संलग्न सूची के कमांक संख्या-01 (ड) को लागू करते हुये राहत शिविर में निवास करने की अवधि तक के लिये, मनरेगा में निर्धारित दरों के अनुसार अनुग्राहिक राहत राशि प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल का अनुमोदन प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।

इसके अतिरिक्त कैबिनेट द्वार 4 अन्य विषयों पर भी सहमति दी गई है।
1- माह नवम्बर, 2022 से आगामी छः माह तक के लिये जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों/व्यक्तियों के बिजली एवं पानी के विद्युत बिल माफ किये जाने का निर्णय लिया गया।

2- जोशीमठ के आपदा प्रभावित व्यक्तियों के बैंक इत्यादि से लिये गये ऋण की वसूली को एक साल के स्थगित किये जाने के सम्बन्ध में यह निर्देश दिये गये कि सहकारी बैंकों की ऋण वसूली तत्काल प्रभाव से स्थगित की जाय तथा अन्य कमर्शियल बैंक के स्तर से भी ऋण वसूली स्थगित किये जाने का अनुरोध भारत सरकार से किया जाए।

3- उत्तराखण्ड राज्य के सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता का अध्ययन किये जाने का निर्णय लिया गया है।

4- जोशीमठ की आपदा से सम्बन्धित विभिन्न प्रस्तावों पर शीघ्रता से निर्णय लिये जाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया।

5- जोशीमठ भू धंसाव प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए उत्तराखण्ड के सभी कैबिनेट मंत्री अपने एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देंगे।

जोशीमठ के लोगों की सुरक्षा को हर संभव कदम उठा रही सरकार-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की दिशा में हम चरणबद्ध ढ़ंग से आगे बढ़ रहे हैं। प्रभावित लोगों को त्वरित राहत एवं बचाव पहुंचाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। जोशीमठ के लोगों की जानमाल की सुरक्षा ही इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। प्रभावित परिवारों को तात्कालिकता के साथ सुरक्षित स्थानों में भेजा जा रहा है। प्रभावित भवनों के चिन्हीकरण का कार्य निरन्तर जारी है। भूवैज्ञानिकों तथा विशेषज्ञों की टीमें भूधसांव के कारणों की जांच के कार्य में लगी है। प्रशासन प्रभावितों के निरन्तर सम्पर्क में है। राहत शिविरों में उनकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू धंसाव से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र के लोगों के हित में राज्य कैबिनेट द्वारा लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावितों के व्यापक हित में बताया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपदा की इस घड़ी में हम प्रभावितों के साथ खड़े हैं इसमें कहीं किसी को भी किसी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए। प्रभावितों के हित में उनकी जो भी अपेक्षाएं हैं उन अपेक्षाओं के अनुरूप उनके पुनर्वास और सेटलमेंट के लिए काम कर रहे हैं, प्रधानमंत्री जी भी स्वयं और उनका कार्यालय भी लगातार इस बात की चिंता कर रहा है। प्रभावितों के विस्थापन के लिए उनके सुझावों के आधार पर इतनी बेहतर व्यवस्था की जायेगी यह पूरे देश के लिए नजीर बने।

प्रभावित लोगों को हितों का पूरा ध्यान रखते हुए बेहतर मुआवजा दिया जाएगाः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज जोशीमठ में अपने दिन की शुरुआत नरसिंह मंदिर में भगवान की पूजा अर्चना से की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावित परिवारों को अंतरिम पैकेज के पारदर्शी वितरण एवं पुनर्वास पैकेज की दर निर्धारित किए जाने हेतु गठित समिति के साथ बैठक की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर गठित समिति के सदस्यों के सुझावों पर बाजार दर तय की जाएगी। प्रभावित हितधारकों के हितों का पूरा ध्यान रखते हुए बेहतर से बेहतर मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों को मानसिक रूप से भी सबल बनाना है। सरकार की ओर से अधिकतम जो हो सकता है, वह किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फरवरी में औली में गेम्स होने है। कुछ महीने बाद चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। हमें यह भी देखना होगा की जोशीमठ से बाहर कोई गलत संदेश न जाए, ताकि स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित न हो। इसका हम सबको ध्यान में रखते हुए काम करना है।

जोशीमठ प्रकरण पर नवीन जानकारी के साथ ही बचाव कार्यो में तेजी लाने पर जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। कहा कि प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किए जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का कम्युनिकेशन गैप न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगा कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक असेसमेंट कमेटी बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है, जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए, और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने हेतु प्रचार प्रसार किया जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

जोशीमठ में एसडीआरएफ की टीम बढ़ा रही लोगों का मनोबल

जोशीमठ में हो रहे हैं भू धंसाव की वजह से घरों में दरारों के दृष्टिगत एसडीआरएफ टीमें अलर्ट मोड़ पर है। पुलिस महानिरीक्षक एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल के दिशा निर्देशन में एसडीआरएफ की आठ टीमों को प्रथम चरण में जोशीमठ में तैनात किया गया है। एसडीआरएफ की यह टीमें अन्य इकाईयों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए जहां एक ओर भूधंसाव वाले क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर रही है वहीं दूसरी ओर दिन व रात प्रभावित क्षेत्रों में कड़ी नजर रखते हुए प्रभावित लोगों का मनोबल बढ़ाने में भी प्रयासरत है।

सेनानायक एसडीआरएफ मणिकांत मिश्रा द्वारा स्वयं मौके पर पहुंचकर सम्पूर्ण स्थिति का जायज़ा लिया गया व जोशीमठ में ही कैम्प कर ग्राउंड जीरो पर एसडीआरएफ की कमान संभाली जा रही है। वस्तुस्थिति देखने के उपरान्त स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए तत्काल एसडीआरएफ टीमों को प्रभावित क्षेत्र में दिन के साथ साथ रात्रि में भी कड़ी निगरानी रखने हेतु निर्देशित किया गया। जिसके अनुपालन में रात्रि में भी एसडीआरएफ टीमों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावी गश्त के माध्यम से निगरानी करते हुए स्थिति पर नजर रखी जा रही है और आकस्मिक स्थिति होने पर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने में सहायता भी प्रदान की जा रही है। साथ ही वाहिनी मुख्यालय जॉलीग्रांट से एसडीआरएफ की अतिरिक्त टीमें मय आवश्यक रेस्क्यू उपकरणों के जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्र पहुंच गई है,जिससे किसी भी आकस्मिक स्थिति में कम से कम समय में त्वरित राहत एवं बचाव कार्य किया जा सके।
इसके साथ ही आसपास की अन्य पोस्टों पर भी एसडीआरएफ के जवानों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी अकस्मात स्थिति के उतपन्न होने पर सभी टीमें कम से कम समय मे त्वरित राहत और बचाव कार्य कर सके।
वाहिनीं मुख्यालय, जॉलीग्रांट में भी समस्त फ़ोर्स को हाई अलर्ट पर रखा गया है। किसी भी प्रकार के बैक अप की आवश्यकता पड़ने पर टीमें त्वरित रिस्पांस हेतु पूर्णतः तैयारी हालत में है। समस्त रेस्क्यू उपकरणों की भी क्रियाशीलता को जांचकर तैयारी हालत में रखा गया है।
एसडीआरएफ कंट्रोल रूम भी हाई अलर्ट पर है व समस्त स्टाफ को निर्देशित किया गया है कि समस्त सूचनाओं का आदान प्रदान त्वरित हो व प्रत्येक सूचना को गम्भीरता से लिया जाए और किसी भी अक्समात स्थिति पर त्वरित रिस्पांस सुनिश्चित किया जाए।

मुख्य सचिव ने जोशीमठ भू धंसाव के संबंध में ली उच्चाधिकारियों की बैठक

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को देखते हुए हमारे लिए एक-एक मिनट बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों को अविलम्ब सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए। मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में शासन में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर यह निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्र को अविलम्ब खाली कराए जाने के निर्देश दिए। साथ ही, लोगों को जिस स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है, वहां पेयजल आदि की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि पेयजल विभाग को भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र में टूटी पेयजल लाईनों, सीवर एवं विद्युत लाईनों आदि को भी दुरूस्त करने के निर्देश देते हुए कहा कि भू-धंसाव के कारण पेयजल की टूटी लाइनों से भू-धंसाव बढ़ने और विद्युत लाईनों से प्रभावित क्षेत्र में जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए लगातार क्षेत्र पर नजर बनाए रखते हुए उच्चाधिकारियों को भी क्षेत्र में बने रहने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने भू-धंसाव क्षेत्र में टॉ इरोजन को रोकने के लिए आज से ही कार्य शुरू किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि जिन भवनों में दरारें आ चुकी हैं और जर्जर हो चुके हैं, उन्हें शीघ्र ध्वस्त किया जाए ताकि वे भवन और अधिक नुकसान न करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विशेषज्ञों आदि को प्रभावित क्षेत्र में पहुंचने में समय न लगे इसके लिए चॉपर से पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने मैन पावर को बढ़ाकर कार्यां को शीघ्र पूर्ण किए जाने के भी निर्देश दिए।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव नितेश झा एवं डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा सहित अन्य सभी सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।