लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प तलाशन में जुटी सरकार, जल्द तैयार होगा नया पुल

ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल को बंद किए जाने के फैसले पर राज्य सरकार अडिग है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जन सुरक्षा सरकार के लिए सवरेपरि है। इसीलिए लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही तुरंत रोकने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प जल्द ही तैयार कर लेगी। वहां वैकल्पिक पुल बनाने का निर्णय लिया गया है। लक्ष्मण झूला पुल को धरोहर के तौर पर संरक्षित रखने की कार्ययोजना भी बनाई जाएगी। वहीं, पुल पर पैदल आवाजाही जारी रखने से आम जन को राहत है। उधर, इस का असर अब रामझूला पुल पर पड़ने वाला है। रामझूला पुल पर अब दोगुना भार पड़ जाएगा, जो सुरक्षा की दृष्टि से इस पुल के लिए भी चिंता का विषय है।
शासन ने शुक्रवार को लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही रोकने के आदेश जारी किए, लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के कारण आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लग पाया है। इस बीच शनिवार को यमकेश्वर क्षेत्र की विधायक ऋतु खंडूड़ी ने लक्ष्मण झूला पुल के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि छह माह पहले आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों से लक्ष्मण झूला पुल की फिजिबिलिटी पर अध्ययन कराया गया। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार इस झूला पुल की स्थिति ऐसी नहीं है कि लोगों की आवाजाही को अनुमति दी जा सके। उन्होंने कहा कि कांवड़ मेले में भारी भीड़ को देखते हुए इस पर आवाजाही जारी रखना उचित नहीं होता।
उन्होंने कहा कि जनसुरक्षा के दृष्टिगत लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही को तुरंत रोकने का निर्णय किया गया है। साथ ही झूलापुल का विकल्प जल्द से जल्द तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल एक सांस्कृतिक धरोहर है। यह ऋषिकेश का प्रमुख आकर्षण का केंद्र और देश-विदेश में इसकी ख्याति है। कई फिल्मों का फिल्मांकन भी यहां हुआ है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल का समुचित रखरखाव करते हुए इसे धरोहर के तौर पर संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की राय से कार्ययोजना बनाई जाएगी।
उधर, शासन ने भले ही लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही पर रोक लगा दी हो, मगर शनिवार को भी इस पर लगातार आवाजाही होती रही। हालांकि, प्रशासन की ओर से शासन के फैसले का विरोध कर रहे लोगों को समझाने की कोशिशें की गईं, मगर यह परवान नहीं चढ़ पाईं। वहीं, माना जा रहा है कि इस झूला पुल के बंद होने से रामझूला पर अधिक दबाव बढ़ेगा। यही नहीं, तीन दिन बाद कांवड़ यात्रा भी शुरू होने जा रही है। ऐसे में कांवड़ में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही लक्ष्मण झूला पुल की सुरक्षा सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।

लक्ष्मणझूला पुल पर खतरा बढ़ा, समय रहते नही जागी सरकार

ऋषिकेश में लक्ष्मणझूला पुल की मियाद खत्म हो चुकी है, लिहाजा इस पर बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही अब खतरे से खाली नहीं है। इस बात का खुलासा पीडब्ल्यूडी की सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। विभाग ने यह रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
मामला इसलिए और अहम है, क्योंकि एक सप्ताह बाद ही कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है। प्रशासन से कांवड़ियों के नीलकंठ जाने के लिए लक्ष्मणझूला के जरिये ही रूट तय किया है। लक्ष्मणझूला पुल का निर्माण 1929 में हुआ था, जिसे आवाजाही के लिए 1930 में खोला गया था। करीब 90 साल पुराने इस पुल समेत 1986 में बने रामझूला पुल का पीडब्ल्यूडी के डिजाइनर पीके चमोली ने कुछ दिन पहले तकनीकी सर्वे किया था।
इसमें पुल की लोडिंग क्षमता और आयु आदि की जांच की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 89 साल पहले के डिजाइन और क्षमता के हिसाब से पुल आज इस स्थिति में नहीं है कि इस पर अब बड़ी संख्या में लोग आवाजाही कर सकें।

रामझूला पुल सुरक्षित
पुराने समय में झूला पुलों का निर्माण करते हुए पुल की क्षमता का ध्यान नहीं रखा जाता था, जबकि वर्तमान में 500 किलोग्राम प्रति स्क्वायर मीटर की क्षमता के झूला पुल बनाए जाते हैं।
सर्वे रिपोर्ट से स्थानीय पुलिस को भी अवगत करा दिया गया है। पीडब्ल्यूडी (नरेंद्रनगर डिवीजन) के एक्सईएन मोहम्मद आरिफ खान का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार अगला कदम उठाया जाएगा। पीडब्ल्यूडी ने अपने सर्वे में हालांकि आवाजाही के लिहाज से रामझूला पुल को सुरक्षित पाया है। इससे आवाजाही की जा सकती है। बता दें कि इस पुल को बने हुए भी 33 साल हो चुके हैं।
वहीं, नरेंद्र नगर के विधायक सुबोध उनियाल ने बताया कि बोर्ड बैठक में यह मामला पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने उठाया था। अपर मुख्य सचिव, पीडब्ल्यूडी और डीएम पौड़ी को पुल के दोनों ओर बेरिकेडिंग लगाने को कहा गया है, ताकि एक बार में अधिक संख्या में लोग पुल पर न चढ़ें।

वाटरड्रोम के लिए एमओयू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

टिहरी झील में सी-प्लेन के संचालन की दिशा में ठोस शुरूआत की गई है। बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में टिहरी झील में सी-प्लेन के संचालन हेतु वाटरड्रोम की स्थापना के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण व राज्य सरकार के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। वाटर ड्रोम की स्थापना के लिए एमओयू करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। इसी प्रकार पिथौरागढ़ स्थित नैनी सैनी में हवाई सेवाओं के सफल संचालन के लिए भी सीएनएस-एटीएम (कम्यूनिकेशन, नेवीगेशन, सर्विलांस एंड एयर ट्रैफिक मेनेजमेंट सर्विसेज) एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए।
मुख्यमंत्री ने दोनों एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने इसे राज्य के लिए ऐतिहासित अवसर बताते हुए कहा कि टिहरी झील में सी-प्लेन के संचालन के लिए बड़ी शुरूआत हुई है। इससे टिहरी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। क्षेत्र में पर्यटन संबंधी गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी। जिससे स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों को लाभ होगा। पिछले कुछ समय में टिहरी की पहचान प्रमुख टूरिस्ट डेस्टीनेशन के तौर पर बनी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ राज्य का दूरस्थ क्षेत्र है। इसका सामरिक महत्व भी है। नैनी सैनी में हवाई सेवाओं के संचालन से पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों को भी बहुत सुविधा होगी। राज्य सरकार पिथौरागढ़ को डेस्टीनेशन के तौर पर विकसित कर रही है। वहां 50 हेक्टेयर में ट्यूलिप गार्डन बनाया जाएगा। जो कि देश का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन होगा।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार की संयुक्त सचिव उषा ने बताया कि यह एमओयू भारत सरकार के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। वाटरड्रोम के लिए पहली बार किसी राज्य के साथ एमओयू किया गया है। उड़ान योजना के क्रियान्वयन में मुख्यमंत्री जी व उत्तराखण्ड सरकार ने काफी सक्रियता दिखाई है। प्रदेश में हवाई सेवाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार ने हमेशा सहयोग दिया है। उड़ान योजना में एयरपोर्ट डेवलपमेंट की लागत का सौ प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

उषा ने कहा कि पिथौरागढ़ में हवाई सेवाओं के संचालन को बहुत गम्भीरता से लिया गया है। राज्य में 13 हेलीपोर्ट विकसित किए जाने हैं इनमें से 10 की डीपीआर दे दी गई है। जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट को भी विकसित किया जा रहा है। इसके टर्मिनल की क्षमता को 150 से बढ़ाकर 1800 किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगस्त माह में फिक्की के सहयोग से देहरादून में हेलीकाप्टर कान्क्लेव आयोजित किया जाएगा। उन्होंने पवन हंस की ओर से सीएसआर के अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में 60 लाख रूपए की सहयोग राशि दिए जाने की बात भी कही।
सचिव नागरिक उड्डयन, उत्तराखण्ड सरकार दिलीप जावलकर ने बताया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत सी-प्लेन संचालन के लिए टिहरी झील को चयनित किया गया है। योजना के तहत वाटरड्रोम की स्थापना व हवाई सेवाओं के संचालन के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण व उत्तराखण्ड सरकार के मध्य त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके लिए टिहरी झील के निकट 2.5 हैक्टेयर भूमि का चयन कर लिया गय है। वाटरड्रोम की स्थापना ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की तरह की जाएगी। उड़ान योजना के तहत अवस्थापना पर होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति भारत सरकार से की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा योजना के अंतर्गत संचालित होने वाली हवाई सेवाओं के लिए एटीएफ पर वैट की दर को घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया है।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष टिहरी सोना सजवाण, विधायक विनोद कण्डारी, धन सिंह नेगी, विजय सिंह पंवार, शक्ति लाल शाह, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक एस चड्ढा, अपर सचिव नागरिक उड्डयन उत्तराखण्ड सोनिका, डीएम टिहरी वी.षणमुगम, मुख्यमंत्री के नागरिक उड्डयन सलाहकार कैप्टन दीप श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

ब्रेक फेल होने से पेड़ से टकराई बस, एक घायल

प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन कर लौट रही एक बस ब्रेक फेल होने के कारण पेड़ से टकरा गइ। इससे एक व्यक्ति घायल हो गया।

पुलिस के अनुसार, एटा के तीर्थयात्री बस (यूपी 55 टी 1294) में सवार होकर नीलकंठ दर्शन कर तपोवन से ऋषिकेश बाई पास होते हुए एटा के लिए लौट रहे थे। इसी दौरान अचानक बस भद्रकाली के पास खड़े एक डंपर से टकरा गई और पेड़ पर जाकर अटक गई। इससे बड़ा हादसा होने से टल गया।

ढालवाला चौकी प्रभारी विनोद कुमार फोर्स के पहुंचे और घायल बस ड्राइवर अखिलेश पुत्र श्रीकांत को राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया। वहीं, बस को क्रेन की सहायता से उठाकर किनारे किया गया। साथ ही श्रद्धालुओं को अन्य बस से बस अड्डा पहुंचाया गया।

जिस्मफरोशी के धंधे का पुलिस ने किया भंडाफोड़, रेट जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

मुनिकीरेेती पुलिस ने जिस्म फरोशी करते छह महिलाओं सहित चार पुरुषों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से आपत्तिजनक सामाग्री भी बरामद की है। पुलिस की इस कामयाबी पर सभी प्रशंसा की है।
मुनिकीरेती पुलिस के अनुसार तपोवन स्थित होटल शिवान्ता में होटल संचालक की ओर से जिस्म फरोशी का व्यापार करने की सूचना एक महिला ने पुलिस को दी। मौके पर पुलिस क्षेत्राधिकारी उत्तम सिंह जिमिवाल, थानाध्यक्ष आरके सकलानी ने फोर्स के साथ होटल शिवान्ता में सोमवार की देर रात को दबिश दी। जहां छह महिलाएं और तीन पुरुष आपत्तिजनक स्थिति में मिले। पुलिस ने सभी नौ महिला-पुरुष तथा होटल संचालक को देह व्यापार अधिनियम में गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार आरोपी शाहनूर आपराधिक किस्म का व्यक्ति है। जिस पर थाना मुजफ्फरनगर में वर्ष 2018 में शस्त्र अधिनियम में मुकदमा पंजीकृत है। पुलिस अन्य लोगों के आपराधिक रिकॉर्ड खंगाल रही है।

इनकी महिला-पुरुषों की हुई गिरफ्तारी
मुनिकीरेती पुलिस ने गिरफ्तार महिला की पहचान 47 वर्षीय साधना पत्नी स्व. अशोक कुमार गुप्ता निवासी रामपुरी थाना मुजफ्फरनगर, 23 वर्षीय आयशा पुत्री आरीफ निवासी हापुड चुंगी मेरठ, 23 वर्षीय शिबा पुत्री शादाब निवासी खालापार मुजफ्फरनगर, 19 वर्षीय साहना पत्नी परवेज निवासी बुन्दुगढ थाना ननौता जिला सहारनपुर, 22 वर्षीय रेश्मा पुत्री मुस्तफ, 37 वर्षीय तोहमिना पत्नी स्व. मो. कलाम दोनों निवासी ग्राम चाकपडा थाना स्यालदा पश्चिम बंगाल के रूप में कराई। जबकि गिरफ्तार पुरुषों की पहचान 21 वर्षीय परवेज पुत्र आकिल निवासी ग्राम बुन्दुगढ थाना ननौता जिला सहारनपुर, 25 वर्षीय जान मोहम्मद उर्फ अमित पुत्र वसीरुद्घीन निवासी ग्राम ढण्ढेरा थाना ककरौली जिला मुजफ्फरनगर, 24 वर्षीय शाहनूर पुत्र गफूर निवासी जामियानगर थाना मुजफ्फरनगर को रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके अलावा होटल शिवान्ता संचालक 50 वर्षीय अनूप सिंह राणा पुत्र चंदन सिंह राणा निवासी मौहल्ला सिद्घपुरम, हर्रावाला थाना डोइवाला को भी गिरफ्तार किया है।

यह सामान हुआ बरामद
मुनिकीरेती पुलिस ने होटल शिवान्ता में दबिश के दौरान गिरफ्तार महिला-पुरुषों से 13 मोबाइल फोन बरामद किए है। इसके अलावा दो दर्जन सिम, भारी संख्या में आपत्तिजनक समाग्री तथा 10000 रुपए नगद बरामद किए है।

ऋषिकेश में चार माह पूर्व किराए में लिया था फ्लैट
पुुलिस क्षेत्राधिकारी उत्तम सिंह जिमिवाल ने बताया ‌कि गैंग की मुखिया साधना है, उसने पति अशोक की मृत्यु हो जाने के बाद राशिद उर्फ राहुल से ‌शादी कर ली। दोनों मुजफ्फरनगर में वर्ष 2008 से देह व्यापार में संलिप्त थे। दोनों ने चार माह पूर्व ही ऋषिकेश में सीमा डेंटल के एक फ्लैट किराए में लिया था। होटल शिवान्ता के संचालक अनूप राणा की मुलाकात इनसे मुजफ्फरनगर में हुई थी।

जस्ट डॉयल से करते थे ग्राहकों की तलाश
सीओ उत्तम सिंह ने बताया कि पूछताछ के दौरान साधना और राशिद ने बताया कि जस्ट डायल ऐप से जरिए यह ग्राहकों की तलाश किया करते थे। साधना ग्राहकों को तवोपन में अन्य होटलों पर कमरा किराए पर लेने को कहती थी। इसके बाद जान मोहम्मद उर्फ अमित ग्राहकों से रकम वसूल कर ‌होटल शिवान्ता में ग्राहकों की पसंद के मुताबिक महिलाओं को भेजता था।

एक घंटा का एक हजार, पूरी रात का सात हजार रुपए होता था चार्ज
थानाध्यक्ष आरके सकलानी ने बताया कि यह महिलाएं पूरी रात होटल में बिताने के पांच से सात हजार रुपए लेती थी। जबकि साधना व राशिद उक्त ग्राहकों से इससे दुगनी कीमत वसूलते थे। इसके अलावा दिन में यह ‌महिलाएं एक घंटे के एक हजार रुपए वसूलती थी।

फर्जी पहचान पत्र से लेते थे होटल में कमरा
पुलिस के अनुसार पकड़े गए लोगों में परवेज-साहना और शिबा-शाहनूर आपस में पति पत्नी है। जो सहमति से जिस्म फरोशी कराते थे। साधना व राशिद अन्य सभी महिलाओं को पहचान छुपाने के लिए फर्जी पहचान पत्र उपलब्ध कराते थे। इन फर्जी पहचान पत्र के आधार पर यह महिलाएं होटल में कमरा किराए पर लेती थी।

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के शुभारंभ पर कैलाश खेर ने दी संगीतमय प्रस्तुति

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने योग को भारत की विशिष्ट पहचान बताया है। उन्होंने कहा कि योग में मन और चित की मलिनता को दूर करने की ताकत है। योग ने मनुष्य की सुख शान्ति की राह प्रशस्त की है। महान ऋषि पतंजलि ने योग के माध्यम से लोगों को जीने की राह दिखाई है। हर मनुष्य का परम लक्ष्य सुख और शांति की प्राप्ति है, योग के द्वारा हमारे ऋषियों ने इसकी राह प्रशस्त की है।
मुख्यमंत्री ने गुरूवार को ऋषिकेश स्थित गंगा रिसोर्ट में उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद एवं गढवाल मण्डल विकास निगम के संयुकत तत्वाधान में 1 मार्च से 7 मार्च तक आयोजित हो रहे अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश को योग की राजधानी बताते हुए कहा कि योग के द्वारा आज दुनिया में हमारी विशिष्ट पहचान बनी है। यह आत्मा को परमात्मा से मिलाने का सेतु भी है। योग जोडने का कार्य करता है। इसी का प्रतिफल है कि आज दुनिया योग को अपना रही है तथा योग के लिये दुनिया भारत की ओर देख रही है। योग ने देश व दुनिया को स्वस्थता का भी संदेश दिया है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दुनिया में योग को विशेष पहचान दिलाने का कार्य किया है। जिससे आज भारत गौरवान्वित है। इसने दुनिया में भारत की पहचान बनाने का कार्य किया है। योगाचार्यों ने भी योग को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः….. अर्थात सब सुखी हो, सब निरोगी रहें हमारा धेय वाक्य रहा है। देश व दुनिया को इस लक्ष्य तक पहुंचाने की ताकत योग में है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बीटल आश्रम (चैरासी कुटिया) का भी भ्रमण किया तथा वहां पर योग की शिक्षाओं एवं क्रियाओं की व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। मुख्यमंत्री गंगा आरती में भी शामिल हुए।
इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने करो योग रहो निरोग का सन्देश देते हुए लोगों को योग अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष योग महोत्सव के लिए अधिक रजिस्ट्रेशन होने पर प्रसन्नता जाहिर की।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखण्ड में पर्यटन विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पर्यटन विभाग योग एवं अध्यात्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने 7 मार्च तक आयोजित हो रहे अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 2019 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस योग महोत्सव के लिए लगभग 1200 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। देश-विदेश के 44 योगाचार्य इस योग महोत्सव में आमंत्रित हैं।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह अन्तराष्ट्रीय योग महोत्सव दुनिया में योगा के प्रचार प्रसार में दुनिया के अन्दर ऋषिकेश को योगा की राजधानी बनने के साथ ही योगा के प्रचार प्रसार में अह्म भूमिका निभा रहा है। हम यह चाहते है कि योगा के क्षेत्र में भारत में जो विधाये एवं ज्ञान प्राप्त है वह पूरी दुनिया को मिले। उन्होंने कहा कि योग का अपने आप में बहुत महत्व है। आदि काल से योग ने हम सब को अपनी संस्कृति से जोड़ के रखा हुआ है। आज योग का महत्व पूरी दुनिया ने माना है। योग के क्षेत्र में भारत विश्व गुरू बने इसके लिये हम प्रयासरत है।

पर्यटन मंत्री ने कहा कि पर्यटन को बढावा देने के लिये राज्य सरकार होम स्टे योजना का विकास कर रही है। मुख्यमंत्री ने सन् 2020 तक 5000 होम स्टे का लक्ष्य रखा है। आज हम द्रोणागीरी एवं चोपता जैसे मनमोहक स्थलों का नाम सुनते हैं तो वहां जाना चाहते है परन्तु रहने की सुविधा जैसी परेशानियों के मद्देनजर हमें सोचना पड़ता है। होम स्टे जैसी योजना इन स्थलों को दुनिया के नजर में लाने में महत्वपूर्ण साबित होगी। अभी तक हम 875 होम स्टे रजिस्टर्ड कर चुके हैं। और हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखण्ड के जो सुदूर क्षेत्र, रिमोर्ट एरिया है जो पर्यटन के क्षेत्र से काफी मनमोहक है रहने की असुविधा न हो इस वजह से होम स्टे जैसी योजना का विकास किया जा रहा है।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने देश विदेश से आये योग उपासकों का स्वागत करते हुए कहा कि ऋषिकेश में पिछले तीन दशक से यह आयोजन हो रहा है जो हमारी पहचान बन गया है। हमारा उद्देश्य शास्वत एवं प्रमाणिक योग को जन-जन तक पहुंचाना है। इस महोत्सव के माध्यम से योेग की साधना एवं इस क्षेत्र में सहयोग देने वाले लोगों को पहचान दिलाने का भी कार्य किया जा रहा है।

इस अवसर पर योग गुरू सिद्धार्थ कृष्णा द्वारा योग सूत्र का पाठ किया गया। गायक कैलाश खैर द्वारा भजन की प्रस्तुति दी गयी।
इस अवसर पर अध्यक्ष गढ़वाल मण्डल विकास निगम महावीर रांगड़, नगर निगम ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाई, अध्यक्ष नगर पालिका मुनि की रेति रौशन रतूड़ी, ज्योति नीरज खैरवाल एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक टिहरी गढ़वाल योगन्द्र सिंह रावत आदि उपस्थित थे।

टिहरी झील को पर्यटन की दृष्टि से और विकसित करेंगे

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को टिहरी में तीन दिवसीय टिहरी लेक महोत्सव-2019 का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि टिहरी झील हमारे लिये अनमोल धरोहर की तरह है, जिसमें देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता है। इस झील में हमे उत्तराखण्ड के बच्चों का भविष्य नजर आता है। प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य एवं संकल्पना को साकार करने के लिये झील महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें प्रदेश को पर्यटन प्रदेश के रूप में विकसित करना है। खर्चीलें टूरिस्ट यहां आयेंगे तो इस क्षेत्र की आर्थिकी को और मजबूती मिल सकती है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि जो व्यक्ति टिहरी झील को देखेगा वह बार-बार यहां आयेगा। गत वर्ष 13 राज्यों के प्रतिभागी टिहरी झील महोत्सव में आये थे और इस बार 24 राज्यों के प्रतिनिधि इस महोत्सव में प्रतिभाग कर रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा 13 जिले 13 डेस्टीनेशन की योजना पर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई टिहरी क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए सरकार प्रयासरत हैं। डोबरा-चांठी पुल के निर्माण के बाद टिहरी के दोनो ओर होटल, रिजोर्ट एवं शिक्षण संस्थान बनेगें। इससे पर्यटकों को अधिक सुविधाये उपलब्ध हो सकेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टिहरी में आवागमन को सुगम बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक मुश्त रूपये 88 करोड़ डोबरा-चांठी पुल निर्माण के लिए अवमुक्त किये हैं। ऑलवेदर रोड़ पर भी कार्य चल रहा है। ऑलवेदर रोड़ बनने के बाद ऋषिकेश से नई टिहरी पहुंचने में मात्र डेढ घण्टे का समय लगेगा। टिहरी झील में सी प्लेन उतारने के लिए भारत सरकार द्वारा सर्वेक्षण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शीघ्र ही टिहरी झील में सी प्लेन उतारा जायेगा। अगले आने वाले 10-15 वर्षो में टिहरी का एक नया स्वरूप सामने आयेगा जो निश्चित रूप से देश व दुनिया को अपने ओर आकर्षित करने में मददगार रहेगा।
गंगा नदी की स्वच्छता एवं निर्मलता बनाये रखने का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने ‘‘यह कल-कल बहती गंगा की धारा क्या कहती….. ‘‘ पंक्तियों के माध्यम से पवित्रगंगा का स्मरण किया। उन्हांने कहा कि गंगा नदी हमें त्याग व समर्पण सीखाती है निर्मलता का संदेश देती है। हम सभी को गंगा की निर्मलता एवं स्वच्छता को बनाये रखने में योगदान देना होगा। उन्होंने टिहरी की जनता से अतिथि सत्कार की भावना विकसित करने की भी अपील की ताकि अधिक से अधिक पर्यटक टिहरी भ्रमण पर आने के लिए प्रेरित हों।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नई टिहरी साहसिक खेल अकादमी का नाम एवरेस्ट विजेता स्व दिनेश सिंह रावत के नाम पर रखे जाने की घोषणा की।

उन्होंने मां राजेश्वरी महिला स्वयं सहायता समूह को सिलाई व्यवसाय, जागृति महिला वचन समूह को डेरी व्यवसाय एवं भगवती महिला स्वयं सहायता समूह को अगरबत्ती उद्योग विकसित करने के लिए जीरो प्रतिशत ब्याज पर रूपये पांच-पांच लाख के ऋण के चेक वितरित किये।
इस अवसर पर जनपद के प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि टिहरी झील क्षेत्र के विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गत वर्षो से अभिनव प्रयास किये जा रहें है।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने अपने सम्बोधन में कहा कि शासन की सोची समझी रणनीति के तहत ही टिहरी लेक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सरकार का मकसद टिहरी झील क्षेत्र की सूरत बदलना है। इस महोत्सव के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों का ध्यान टिहरी क्षेत्र की ओर आकर्षित करना हैं। जिसके लिए शासन और प्रशासन कार्य कर रहा हैं।
कार्यक्रम को टिहरी सांसद मालाराज लक्ष्मी शाह एवं क्षेत्रीय विधायक धन सिंह नेगी ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर विधायक विजय सिंह पंवार व शक्तिलाल शाह, गढवाल मण्डल विकास निगम के अध्यक्ष महाबीर सिंह रांगड, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, स्वामी चिदानंद मुनी, जिलाधिकारी सोनिका, पुलिस अधीक्षक डॉ योगेन्द्र सिंह रावत, मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगांई आदि उपस्थित थे।

सीएम ने किया पुस्तक प्राचीन व वर्तमान टिहरी का विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भवानी प्रताव सिंह द्वारा संपादित पुस्तक प्राचीन एवं वर्तमान टिहरी का विमोचन किया। टिहरी महोत्सव कार्यक्रम में पहुंच सीएम में 31 करोड़ 95 लाख रूपये की विभिन्न विकास योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।

विधानसभा क्षेत्र टिहरी गढ़वाल के विकासखण्ड जाखणीधार के आवासीय भवनों हेतु एक करोड 57 लाख रूपये के निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया गया। विकासखण्ड जाखणीधार के कार्यालय भवन हेतु एक करोड़ आठ लाख 55 हजार रूपये के निर्माण कार्य का लोकार्पण किया। इसके अलावा जिन निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया गया। उनमें केन्द्रीय वित्त पोषित योजना ’स्वदेश दर्शन’ के अन्तर्गत कोटी में निर्मित टूरिस्ट पाथवे, पार्किंग, व्यू प्वाइंट, फ्लोटिंग हट तथा सर्विस सेटअप, चम्बा में मल्टी लेवल कार एवं बस पार्किंग एवं सिराई में ईको लॉज, मल्टीपरपस हॉल तथा यूटिलिटी भवन शामिल है।

मुख्यमंत्री ने भवानी प्रताप सिंह द्वारा सम्पादित पुराना दरबार ट्रस्ट की पुस्तक ’प्राचीन एवं वर्तमान टिहरी’ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ज्ञान सिंह नेगी को पेंशन का चैक देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि 16 मई को टिहरी झील में कैबिनेट कराने का जो निर्णय लिया, यह निर्णय भविष्य में पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को वैश्विक स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देने के लिये ’13 डिस्ट्रिक्ट 13 न्यू डेस्टिनेशन’ की सरकार की परिकल्पना है। जिसमें टिहरी जिले में टिहरी झील को शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से टिहरी झील में बड़ा पोटेंशियल दिखता है। इस तरह के आयोजनों से वैश्विक स्तर पर टिहरी झील एक प्रमुख डेस्टिनेशन के रूप में उभर कर आयेगा। वेलनेस, योगा टूरिज्म, एडवेंचर, फिल्म आदि के क्षेत्र में यहां अपार संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में टिहरी झील राज्य में युवाओं को आर्थिक एवं आध्यात्मिक रूप से भी मजबूत करेगी। उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को उत्तराखण्ड आने के लिये आकर्षित करता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को उत्तराखण्ड को प्रकृति द्वारा दी गई इस देन को समझना होगा।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिये जाने से पर्यटन राज्य की रोजी रोटी का जरिया बनेगा। उन्होंने कहा कि टिहरी महोत्सव के आयोजन से देश व विदेशीयों के लिये टिहरी झील आकर्षण का केन्द्र बनेगी। फ्लोटिंग हट्स यह कि विशिष्ट पहचान है। वॉटर स्पोर्ट्स, पैराग्लाइडिंग, ट्रेकिंग एवं अन्य गतिविधियां टिहरी में पर्यटन के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि पर्यटक स्थलों पर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना जरूरी है।

श्रद्धालुओं के लिये बद्रीनाथ धाम में लगा हारपरबेरिक ऑक्सीजन चैंबर

यात्रियों की आमद को देखते हुये सूबे के सीएम ने श्रद्धालुओं के चिकित्सा सुविधा की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए है। इसके तहत बद्रीनाथ धाम में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन चैंबर लगाया गया है, जबकि केदारनाथ धाम, गंगोत्री व यमुनोत्री में भी यह सुविधा जल्द शुरू होने वाली है।

उत्तराखंड सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने बताया कि यात्रा मार्ग पर चिकित्सा अधिकारी/फार्मेसिस्ट एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती कर दी गई है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप वाले लोगों एवं वरिष्ठ नागरिक को आकस्मिक उपचार के लिए इकोस्प्रिन एवं सोर्बिट्रेट दवाओं की व्यवस्था की गई है। अधिक ऊचाँई पर होने वाले रोगों के उपचार हेतु प्रशिक्षित ‘सिक्स सिगमा हेल्थ केयर’, नई दिल्ली द्वारा उत्तराखण्ड में चारांे धाम के यात्रा मार्गों पर 21 जून तक विशिष्ठ सेवाएं दी जायेगी। इस हेल्थ केयर सेंटर द्वारा केदारनाथ धाम में कार्डियोलॉजिस्ट, पल्मोनोलॉजिस्ट की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। यमुनोत्री धाम में भी शीघ्र ही कार्डियोलॉजिस्ट उपलब्ध कराये जाएंगे। चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नम्बर-104 को भी सुदृढ़ किया गया है। जिसके माध्यम से सभी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक सूचना दी जायेगी तथा शिकायत एवं सुझाव भी लिए जायेंगे। हेल्प लाइन के माध्यम से चारधाम यात्रा मार्गो पर श्रद्धाुलुओं को स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराई जायेगी।

उन्होंने बताया कि चारधाम यात्रा मार्गों में कुल 20 स्थानों पर मेडिकल रिलीफ पोस्ट बनाये गये हैं। 08 स्थानों पर फर्स्ट मेडिकल रिस्पोन्डर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जबकि 103 स्थानों पर चिकित्सा इकाईयां बनाई गई हैं। इसके अलावा विशेषज्ञ चिकित्सकों, फार्मासिस्टों एवं स्टाफ नर्स की समुचित व्यवस्था की गई है। चारधाम यात्रा मार्ग में 50 प्रमुख स्थानों पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई।

जल्द हटेगा अंग्रेजों कानून, पटवारी के बजाए पुलिस संभालेगी कानून व्यवस्था

अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड के लगभग बारह हजार गांवों में अंग्रेजों के बनाये कानून को दरकिनार करते हुये पर्वतीय जिलों में सभी जगह पुलिस थानों खोले जायेंगे।

दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1816 में कुमाऊं के तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर ने पटवारियों के 16 पद सृजित किए थे। इन्हें पुलिस, राजस्व संग्रह, भू अभिलेख का काम दिया गया था। साल 1874 में पटवारी पद का नोटिफिकेशन हुआ। रजवाड़ा होने की वजह से टिहरी, देहरादून, उत्तरकाशी में पटवारी नहीं रखे गए। साल 1916 में पटवारियों की नियमावली में अंतिम संशोधन हुआ। 1956 में टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून जिले के गांवों में भी पटवारियों को जिम्मेदारी दी गई।

वर्ष 2004 में नियमावली में संशोधन की मांग उठी तो 2008 में कमेटी का गठन किया गया और 2011 में रेवेन्यू पुलिस एक्ट अस्तित्व में आया। मगर गौर करने वाली बात यह कि रेवेन्यू पुलिस एक्ट बना तो दिया गया, लेकिन आज तक कैबिनेट के सामने पेश नहीं किया गया।

अंग्रेजों ने अपनी नीतियों के लिहाज से राजस्व वसूली और कानून व्यवस्था संभालने के लिए दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में पटवारी पद सृजित किए थे। तब से लेकर आज तक पर्वतीय जिलों में इसके मुताबिक काम हो रहा है। इन जिलों में सिविल पुलिस नहीं है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पटवारियों ने ब्रिटिश कमिश्नर की नियमावली में संशोधन की मांग उठाई, मगर उनकी आवाज दबकर रह गई।
कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता राज्य सरकार मदन कौशिक का कहना है कि पर्वतीय राज्यों में पुलिस थाने खोलने के संबंध में आए हाइकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ाएगी।

इस संबंध में एडीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार का कहना है कि पर्वतीय जिलों में पुलिस थाने खोलने के संबंध में हाइकोर्ट के आदेश को पढने के बाद आगे कदम उठाए जाएंगे।