ऋषिकेश के द्वितीय महंत अशोक प्रपन्नाचार्य का निधन, शोक की लहर

(एनएन सर्विस)
आज प्रात: 7:30 बजे श्री भरत मन्दिर के महन्त अशोक प्रपन्नाचार्य महाराज ने अतिंम सांस ली। उनके देहावसान की खबर से पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गयी। शहर के साथ ही देहरादून और अन्य स्थानों से लोगो ने उनके आवास पहुचकर परिवार को सान्त्वना दी। शहर के कई व्यापारियों ने अपने अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
आपको बता दे कि श्री महन्त का जन्म 10 फ़रवरी 1942 को तत्कालीन महंत परशुराम जी के घर उनके बेटे ज्योति प्रसाद शर्मा के यहा हुआ। अशोक प्रपन्नाचार्य परिवार में बड़े पुत्र थे उनसे बड़ी एक बहन व छोटी बहन व छोटे भाई श्री हर्षवर्धन शर्मा हैं। उनके दादा श्री भरत मन्दिर के गद्दी नसीन मंहन्त परशुराम जी महाराज जोकि नगर पालिका परिषद ऋषिकेश के प्रथम अध्यक्ष भी रहे। उनके पश्चात अशोक प्रपन्नाचार्य श्री भरत मन्दिर ऋषिकेश की गद्दी वर्ष 1956 में शुषोभित हुए। इसके साथ ही श्री भरत मन्दिर द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज, श्री भरत मन्दिर संस्कृत महाविद्यालय, ज्योति विशेष विद्यालय के साथ ही उत्तराखंड एवं अन्य स्थानों की धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं के संचालन व संवर्द्धन में सराहनीय भूमिका रही।
अशोक प्रपन्नाचार्य श्री भरत मंदिर एजुकेशन सोसाइटी व शिक्षण संस्थाओं के संचालक मंडल के अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे।
पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, शान्तिप्रपन्न शर्मा राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश व कई अन्य संस्थाओं को वृहत्तर भूखंड प्रदान कर क्षेत्र के युवाओं के लिए उच्च शिक्षा के प्रवेश द्वार खोले व नगरीय क्षेत्र के साथ गढ़वाल के नागरिकों की स्वास्थ्य सुविधाओं के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध में भारतीय सेनाओं को शिविर कैम्प संचालित करने के लिये महन्त अशोक प्रपन्नाचार्य ने श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज के विशाल प्रांगढ को प्रदान करने के साथ ही रायवाला में सेना को छावनी बनाने का सुझाव प्रदान किया था।
स्वाधीनता संग्राम में भी श्री भरत मंदिर परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी के चाचा शान्ति प्रपन्न शर्मा कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक व उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन, उद्योग व ऊर्जा मंत्री पद पर रहे। ऋषिकेश में आईडीपीएल की स्थापना का सुझाव तत्कालीन केन्द्र सरकार को उनके द्वारा ही प्रदान किया गया था।
स्वर्गीय मंहन्त अशोक प्रपन्न शर्मा के छोटे भाई हर्षवर्धन शर्मा क्षेत्र के सार्वजनिक, सामाजिक सेवा जीवन के साथ शिक्षण संस्थाओं के संचालन में प्रबंधकीय व्यवस्था देखते हैं।
उत्तरकाशी भूकंप,केदारनाथ आपदा व कोरोना महामारी में लॉक डाउन के दौरान स्व० मंहन्त जी व उनके परिवार द्वारा राहत कार्यों में बड़े स्तर सहायता प्रदान की।
स्वर्गीय मंहन्त अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं आपके दो पुत्र वत्सल शर्मा व वरुण शर्मा हैं। वे भी सामाजिक, शिक्षण संस्थाओं व धार्मिक संस्थाओं के संचालन व संवर्धन में सक्रिय हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अशोक प्रपन्नाचार्य महाराज विगत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे, उनका अंतिम संस्कार ऋषिकेश चंद्रेश्वर घाट मुक्ति धाम पर अपराह्न 3 बजे सम्पन्न होगा।

राहतः इस वर्ष नही होगी कांवड़ यात्रा, कोविड-19 के तहत लिया गया निर्णय

(एनएन सर्विस)
कोविड-19 महामारी के खतरे को देखते हुए इस साल कांवड़ यात्रा का आयोजन नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संदर्भ में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से चर्चा की। वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये हुई इस चर्चा में तीनों मुख्यमंत्री ने जनहित को देखते हुए इस वर्ष कांवड़ यात्रा स्थगित रखने पर सहमती जताई है। बता दें कि तीनों प्रदेशों के धर्मगुरुओं और कांवड़ संघों ने भी अपनी सरकारों को यात्रा स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था।
आपको बता दें कि हर साल श्रावण में होने वाली कांवड़ यात्रा में लाखों शिवभक्त शामिल होते हैं। सभी हरिद्वार से जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए अपने यहां शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी अमले को कानून-व्यवस्था, यातायात व अन्य इंतजामों में लगाना पड़ता है। कांवड़ियों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आती है। इसके चलते तीनों राज्यों ने इस बारे में चर्चा करने का फैसला किया था। बैठक के दौरान तीनों राज्यों के अधिकारियों ने कांवड़ियों की भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग को असंभव बताते हुए संक्रमण फैलने की आशंका जताई थी।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यात्रा में पंजाब, राजस्थान और दिल्ली से आने वाले श्रद्धालुओं के चलते वहां के मुख्यमंत्रियों से भी जल्द ही वार्ता करने का निर्णय लिया है। इन राज्यों को भी कोविड-19 के चलते यात्रा संचालन में आने वाली दिक्कतें बताई जाएंगी। साथ ही इस बार यात्रा संचालित नहीं करने की स्थितियों की जानकारी भी दी जाएगी।

सूर्य ग्रहण के दिन साल का सबसे बड़ा दिन, जानिए ग्रहण की जानकारी

(एनएन सर्विस)
21 जून को सूर्यग्रहण है। भारतीय ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह साल का पहला सूर्य ग्रहण है। यह ग्रहण ग्रह एवं नक्षत्रों का ऐसा संयोग बना रहा है, जो पिछले 500 वर्षों में नहीं बना। इस दिन एक खगोलीय घटना होने वाली है, जिसमें सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर आयेगा। यह साल का सबसे बड़ा दिन भी होगा। यह दूसरा ऐसा सूर्य ग्रहण है, जो 21 जून को हो रहा है। इससे पहले 2001 में 21 जून को सूर्य ग्रहण हुआ था।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ग्रहण का सूतक एक दिन पहले यानि की आज रात से लगेगा। सूर्यग्रहण स्पर्श से 12 घंटे पहले यानी रात 10 बजकर 24 मिनट पर सूतक काल शुरू होगा। इस काल में मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। कोई शुभ कार्य नहीं होगा। सूर्यग्रहण पर कंकणाकृति चंद्रमणि आकार बनेगा। वहीं सूर्य ग्रहण का राशियों पर विशेष प्रभाव भी पड़ रहा है।।

ग्रहण काल-
ग्रहण का समय-सूतक काल-शनिवार रात 10. 24 मिनट से शुरू। 
सूर्यग्रहण काल-रविवार सुबह 10.24 बजे प्रारंभ। 
सूर्यग्रहण मोक्ष काल-दोपहर 1.48 बजे। 
कुल ग्रहण काल समय-3 घंटे 25 मिनट 17 सेकेंड। 

ग्रहण के दौरान यह उपाय फल्दायी होंगे-
सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ व यात्रा न करें। पत्र छेदन, लकड़ी काटना, कपड़े सिलना, भोजन बनाना भी उचित नहीं माना गया है। ग्रहण काल से पूर्व स्नान कर अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। ग्रहण के मध्य पुनः स्नान कर मंत्र जाप हवन व दान करें। गर्भवती महिलाओं को धारदार एवं चाकू से फल, सब्जी नहीं काटनी चाहिए। ग्रहण पूर्ण होने के बाद स्नान करें और स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।

राशियों पर असर-
मेष – लाभप्रद रहेगा। 
वृष- अत्यन्त कष्टकारी रहेगा ।
मिथुन- शरीर को कष्ट होगा।
कर्क- धन व मन की हानि होगी ।
सिंह- शुभ फल, श्री प्राप्ति होगी।
कन्या- स्वास्थ का ध्यान जरूर रखें। 
तुला- संतान स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। 
वृश्चिक- मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है।
धनु- पत्नि कष्ट संभव हो सकता है।
मकर- अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
कुम्भ- मान, सम्मान में कमी हो सकती है।
मीन- सुख समृद्धि बढ़ेगी।

बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, नम हुई आंखें

(एनएन सर्विस)
परिवार में बेटियां बेटों से कम नही है। वे घरेलू कामों से लेकर समाज के रीति रिवाजों में पुरानी परंपराओं को तोड़ रूढ़ीवादी प्रथाओं को नजर अंदाज कर अपने कर्तव्यों को निभाने आगे आने लगी हैं। मंगलवार को चंद्रेश्वर नगर मुक्ति धाम में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जहां एक बेटी ने अपनी मां के निधन पर अंतिम संस्कार की रस्में पूरी की।
मंगलवार की सुबह करीब पांच बजे आवास विकास निवासी 80 वर्षीय छाया अरोड़ा लंबी बीमारी से जुझते हुए परलोक सिधार गईं। उनके दोनों पुत्रों का निधन पूर्व में ही हो चुका है। ऐसे में उनकी बेटी दीपा सहगल जो शादी के घ्बाद रूड़की रह रही थी। उन्होंने चंद्रेश्वर नगर मुक्तिधाम में हिंदू रीति रिवाज के साथ मां को मुखाग्नि दी। दिवंगत छाया अरोड़ा की पौत्री काजोल अरोड़ा ने बताया कि उनकी दादी को करीब 20 वर्षों से डायबिटीज की बीमारी थी। वर्तमान में वह हार्ट और किडनी की समस्या से भी जूझ रही थी। उनके एक पुत्र की मौत बीमारी के चलते तो दूसरे की सड़क दुर्घटना में हुई थी।

नियमों का उल्लंघन करने को लेकर दायर याचिका में हाईकोर्ट ने महाराज को दिया नोटिस

कोरोना संक्रमण के दायरे में आए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को आज हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। उन्हें तीन हफ्ते के अंदर जवाब भी दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज द्वारा कोरोना वायरस से बचने के लिए जारी केंद्र सरकार की गाइड लाइन का उल्लंघन करने के मामले में एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। इस पर आज सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ ही मंत्री को भी नोटिस जारी किया।
हाईकोर्ट ने पूछा है कि जब आम लोगों पर क्वारंटीन के नियमों का उल्लंघन करने पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है तो संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के खिलाफ कार्यवाही अमल में क्यों नहीं लाई जा रही है। इसे लेकर हाईकोर्ट कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार व मंत्री को तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में मंत्री सतपाल महाराज व उनकी पत्नी सहित उनके परिवार के पांच सदस्य, उनके कर्मचारी भी कोरोना संक्रमित मिले थे। संक्रमित पाए जाने से पहले महाराज कैबिनेट की बैठक में भी गए थे। बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सभी कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और शासन के अन्य उच्च अधिकारी मौजूद थे। जिसके बाद एहतियात बरतते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, सुबोध उनियाल और हरक सिंह रावत ने सेल्फ क्वारंटीन में जाने का निर्णय लिया है। हालांकि कल देर रात को मुख्यमंत्री की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है।

सतपाल महाराज पाॅजीटिव, कैबिनेट में शामिल हुए मंत्री और अधिकारी होंगे क्वारंटीन

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व उनके परिवार और स्टाफ के 23 सदस्य कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। बेटे, बहुएं और पांच साल के पोते में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है। जबकि बड़े बेटे का सैंपल दोबारा जांच के लिए भेजा गया है। कल पूर्व मंत्री अमृता रावत कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने महाराज और उनके परिवार के सभी सदस्यों के साथ ही आवास में काम करने वाले कर्मचारियों के सैंपल जांच के लिए भेजे थे।
इनमें कैबिनेट मंत्री महाराज, उनके छोटे बेटे सुयश, बड़ी बहू आराध्य, छोटी बहू मोहिनी, पांच साल के पोते श्रेयांश में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। जबकि बड़े बेटे श्रद्धेय का सैंपल दोबारा से जांच के लिए भेजा जा रहा है। वहीं, महाराज के आवास में काम करने वाले 17 कर्मचारी भी संक्रमित मिले है।
महाराज और उनका परिवार कोरोना संक्रमित मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। महाराज की पत्नी अमृता रावत को रविवार सुबह ही एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था, इसके बाद दोपहर में महाराज और अन्य लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। जिसके बाद महाराज समेत लोगों को भी एम्स ऋषिकेश में भर्ती करा दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि कैबिनेट मंत्री महाराज और उनके परिवार के सदस्यों व स्टाफ में कोरोना की पुष्टि हुई है। विभाग की ओर से 41 सैंपल जांच के लिए गए थे। इसमें 22 सैंपल कोरोना पॉजिटिव आए हैं। सभी को भर्ती कराया गया है। इन सभी के संपर्क में आए लोगों को चिन्हित करने की कोशिश की जा रही है।

वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के परिवार में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने पर प्रशासन ने सर्कुलर रोड, डालनवाला स्थित उनके आवास के आसपास का क्षेत्र पाबंद (सील) कर दिया है। क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बना दिया है। अगले आदेश तक यहां के लोग क्षेत्र से बाहर नहीं जाएंगे। इस दौरान क्षेत्र के बैंक, दुकानें और अन्य प्रतिष्ठान भी बंद रहेंगे।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने रविवार को इसके आदेश जारी कर दिए हैं। पर्यटन मंत्री के सर्कुलर रोड स्थित आवास के पूरब में कर्जन रोड, पश्चिम में अब्दुल्ला खान का मकान, उत्तर में अमित अग्रवाल का मकान और दक्षिण में 13 म्यूनिसिपल रोड के क्षेत्र को पाबंद किया है। डीएम ने कहा कि इस क्षेत्र में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति अब प्रशासन कराएगा।
परिवार का एक सदस्य खरीदारी के लिए बाहर निकल सकता है। मोबाइल वैन के जरिए पाबंद क्षेत्र में दूध की सप्लाई की जाएगी। नगर निगम को क्षेत्र की साफ-सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ मुनादी कर लोगों को जागरूक करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा पुलिस क्षेत्र की बैरिकेडिंग करेगी। सीएमओ को सामुदायिक स्वास्थ्य पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि अगर कोई इमरजेंसी है तो कंटेनमेंट जोन के लोग पुलिस के टोल फ्री नंबर 112 पर संपर्क कर सकते हैं। आदेश का पालन न करने वाले लोगों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

एहतियात बरतते हुए होंगे होम क्वारंटीन
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के कोरोना पॉजिटिव आने से सरकार पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। पॉजिटिव आने से पहले महाराज मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल हुए थे। इस बैठक में मुख्यमंत्री समेत सभी कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित शासन के अन्य उच्च अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एहतियात बरतते हुए सभी बैठकें निरस्त कर दी हैं, जबकि कई मंत्री होम क्वारंटीन में चले गए हैं।
हालांकि आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार मंत्रिमंडल की बैठक जिस फार्मेट में होती है, वह संक्रमण के लिहाज से लो रिस्क श्रेणी में आती है। महाराज के पॉजिटिव आते ही सरकार में हड़कंप मच गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को अपनी सभी बैठकें निरस्त कर दी। उन्होंने किसी से मुलाकात भी नहीं की।
वहीं अधिकांश मंत्रियों ने खुद को होम क्वारंटीन कर लिया है। महाराज के साथ बैठक में मौजूद होने से कई मंत्री भी सहमे हुए हैं कि कहीं उनमें कोरोना का लक्षण न आ जाए। मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने बताया कि मंत्रिमंडल में जो भी अधिकारी शामिल थे, उनमें से आधे अधिकारी होम क्वारंटीन होंगे और आधे वर्क फ्रॉम होम करेंगे।

रात्रिकालीन कर्फ्यू रहेगा, रात नौ से सुबह पांच बजे तक पाबंदी

बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच देश को फिर से पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने 68 दिनों की बंदी के बाद चरणबद्ध तरीके से बंदिशें हटाने का एलान कर दिया। 30 जून तक चलने वाले लॉकडाउन-5.0 के दौरान पाबंदियां सिर्फ कंटेनमेंट जोन में रहेंगी। इसके अलावा बाकी जगहों पर सभी गतिविधियां चरणबद्ध तरीके से शुरू होंगी। एक जून से पूरे देश में कहीं भी लोग आ जा सकेंगे। इसके लिए किसी पास या मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। वहीं, देशभर में रात का कर्फ्यू अब रात नौ बजे से सुबह पांच बजे तक रहेगा। इस दौरान सिर्फ आवश्यक गतिविधियों की मंजूरी होगी।
अनलॉक-1 के पहले चरण में केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक आठ जून से सभी धार्मिक स्थल, होटल, रेस्टोरेंट और शॉपिंग मॉल खुल सकेंगे। वहीं, दूसरे चरण में स्कूल-कॉलेज समेत सभी शिक्षण संस्थानों को खोलने की तैयारी है। हालांकि इसकी तारीख राज्यों से पहले चरण के फीडबैक के आधार पर जुलाई में तय होगी। इसके बाद तीसरे चरण में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें, मेट्रो रेल, स्वीमिंग पूल, जिम, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल, राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने पर फैसला होगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनलॉक-1 के विस्तृत दिशा-निर्देश के तहत कंटेनमेंट जोन में पाबंदियां पहले की तरह ही 30 जून तक लागू रहेंगी। कंटेनमेंट जोन का निर्धारण संक्रमण स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन करेगा। इस जोन में सिर्फ चिकित्सा तथा आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की ही मंजूरी होगी। राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र कंटेनमेंट जोन के बाहर बफर जोन तय कर हालात के मुताबिक कुछ पाबंदियां लगा सकते हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी जरूरत के हिसाब से पाबंदियां लगाई जा सकेंगी।

दूसरे राज्य में जाने के लिए पास जरूरी नहीं, नियम तोड़ने पर होगी सजा
सोमवार से एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने या राज्य के भीतर कहीं भी लोगों और वस्तुओं की आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं होगी। इसके लिए अलग से कोई मंजूरी या ई-पास भी जरूरी नहीं होगा। हालांकि कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश अगर स्वास्थ्य कारणों से आवाजाही रोकना चाहता है तो इस बारे में पहले व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करना होगा। श्रमिक स्पेशल, विशेष ट्रेनें, घरेलू विमान सेवाएं तथा विदेश में फंसे भारतीयों की वापसी जारी रहेगी। कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश वस्तुओं की आपूर्ति या आवाजाही पर रोक नहीं लगा सकेगा।

नियम तोड़ने पर सजा का प्रावधान
महामारी के दौरान सरकार आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 और आईपीसी की धारा-188 के तहत कार्रवाई करेगी। आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत निमभन परिस्थितियों में कार्रवाई की जाएगी।
अकारण किसी अधिकारी या अन्य सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने पर धारा-51 के तहत एक साल की सजा व जुर्माना
केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करने पर भी धारा-51 के तहत एक साल की सजा व जुर्माना
सरकारी राहत कार्यों को लेकर किसी तरह का झूठा दावा करने पर धारा-52 के तहत दो साल की सजा व जुर्माना
राहत अभियान के तहत मिले सामान या पैसे में घपला करने पर धारा-53 की तहत दो साल की सजा व जुर्माना
आपदा या महामारी को लेकर किसी तरह की झूठी अफवाह फैलाने पर धारा-54 के तहत एक साल की सजा या जुर्माना
किसी सरकारी विभाग की तरफ से किए गए अपराध के लिए विभागीय प्रमुख होगा दोषी, धारा-55 (1) के तहत कार्रवाई
यदि यह साबित हो कि अपराध विभागीय प्रमुख के बजाय अन्य अधिकारी ने किया है तो धारा-55 (2) के तहत कार्रवाई
बिना इजाजत लिए आपदा के दौरान ड्यूटी से गायब रहने वाले सरकारी अधिकारी को धारा-56 के तहत एक साल की सजा या जुर्माना
धारा-65 के तहत दिए गए आदेश का पालन करने में असफल रहने वाले व्यक्ति को एक साल कैद या जुर्माना या दोनों सजा
कंपनियों द्वारा अधिनियम के तहत जारी निर्देशों का पालन नहीं करने पर धारा-58 के तहत आपराधिक कार्रवाई
धारा-55 व धारा-56 के तहत किए गए अपराध में अभियान की कार्रवाई धारा-59 के तहत पूरी की जाएगी
अधिनियम की धारा-60 के तहत कोई भी अदालत कुछ खास परिस्थितियों में मामले का संज्ञान नहीं लेगी

पहला चरण
धार्मिक स्थल, सार्वजनिक पूजा स्थल, होटल, रेस्तरां और शॉपिंग मॉल आठ जून से खुलेंगे। इनके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय दिशा-निर्देश जारी करेगा।

दूसरा चरण
स्कूल, कॉलेज, कोचिंग आदि शिक्षण संस्थान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चर्चा के बाद खुलेंगे। राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अभिभावकों तथा शिक्षण संस्थान संचालकों से विचार विमर्श कर केंद्र को फीडबैक देंगे। इसके आधार जुलाई में इन्हें खोलने पर फैसला होगा।

तीसरा चरण
अंतरराष्ट्रीय उड़ानों, मेट्रो रेल, सिनेमाघर, जिम, स्वीमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थियेटर, बार, सभागार, सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक समारोह और अन्य बड़े कार्यक्रमों को शुरू करने की तारीखों का फैसला हालात के आकलन के बाद तीसरे चरण में होगा।
कार्य स्थलों के लिए ये हैं दिशानिर्देश, चेहरा ढकना और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य
सार्वजनिक जगहों, कार्य स्थलों और सफर के दौरान चेहरा ढकना अनिवार्य होगा।
सार्वजनिक स्थलों पर हर किसी को दो गज (छह फुट) की दूरी का पालन करना होगा।
बड़ी सार्वजनिक सभाओं व कार्यक्रमों पर रोक रहेगी। शादी में 50 से ज्यादा और अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर पाबंदी।
सार्वजनिक जगहों पर थूकना होगा दंडनीय अपराध, लगेगा जुर्माना।
सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीना, गुटखा और तंबाकू इत्यादि खाने पर रहेगी रोक।
 
कार्यालयों के लिए दिशानिर्देश
यथासंभव वर्क फ्रॉम होम लागू हो
दफ्तरों, कार्यस्थलों, दुकानों, बाजारों, उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में बिजनेस ऑवर का पालन हो
कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग, हाथ धोने और आने जाने वाले द्वार पर हैंड सैनिटाइजर की व्यवस्था हो
कार्यस्थलों में नियमित तौर पर सैनिटाइजेशन हो। शिफ्ट बदलने के दौरान भी रखें सफाई का ध्यान
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो। शिफ्ट के बीच पर्याप्त अंतराल हो
कर्मचारियों के आरोग्य सेतु एप का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाए

कल होगा निर्णय, धार्मिक स्थल एक जून से खुलेंगे या पहले की तरह रहेगा पांबदी

लॉकडाउन के कारण उत्तराखंड में पिछले दो महीने से बंद पड़े धर्मस्थलों को लॉकडाउन-चार समाप्त होने के बाद एक जून से श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सकता है। राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने इसके संकेत दिए हैं।
लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही सभी धार्मिक स्थलों को भी बंद कर दिया गया था। करीब दो महीने से मंदिरों में धार्मिक गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं। इस बार नवरात्र और अन्य पर्वों पर भी मंदिरों में सन्नाटा रहा। केवल सुबह और शाम को पूजा की अनुमति दी गई थी। पिछले दिनों सरकार ने पुजारियों को थोड़ी राहत देते हुए अनुष्ठान की अनुमित जरुर थी। लाॅकडाउन में अन्य क्षेत्रों में राहत देने पर विभिन्न मंदिर समितियों और तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से लगातार मांग की जा रही है कि मंदिरों को श्रद्धालुओं के लिए भी खोला जाए। इसी मांग को लेकर पिछले दिनों एक प्रतिनिधिमंडल कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से मिला था। कल एक समाचार एजेंसी से बातचीत में शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि एक जून से कुछ शर्तों के साथ धार्मिक स्थलों को खोले जाने पर विचार किया जा रहा है। 31 मई को इस पर निर्णय लेकर आदेश जारी किए जाएंगे।

चारधामः ऑनलाइन दर्शन और ऑडियो के माध्यम से पूजा-अर्चना करने की सुविधा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड की पहली बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वभर में उत्तराखण्ड आध्यात्म का केन्द्र है। उत्तराखण्ड के मन्दिरों की प्राचीन शैली इसकी विशिष्टता है। इसको बनाये रखने के लिए यह सुनिश्चित किया जाय कि मन्दिरों का प्राचीन स्वरूप बना रहे। जो लोग मन्दिरों के ऑनलाइन दर्शन करना चाहते हैं, उन्हें गर्भगृह को छोङकर बाकी मन्दिर परिसर के ऑनलाइन दर्शन एवं ऑडियो के माध्यम से पूजा-अर्चना करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही इसमें धार्मिक मान्यताओं का भी पूरा ध्यान रखा जाय। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थाम प्रबन्धन बोर्ड में सबके हक-हकूकों का ध्यान रखा जायेगा। बैठक में मन्दिरों एवं उनसे जुड़ी प्रमुख पाण्डुलिपियों एवं अन्य ऐतिहासिक महत्व के सामग्री संग्रहण के लिए संग्रहालय बनाने की बैठक में चर्चा की गई है।
बोर्ड की इस पहली बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार द्वारा धार्मिक यात्रा के समुचित संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जायेगा। उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड का अलग लोगो बनाया जायेगा। मन्दिरों की सम्पति, निधि, बहुमूल्य वस्तुओं को बोर्ड के प्रबंधन में अन्तरित करने हेतु मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अधिकृत किया गया है, इसके लिए कार्यवाही सबंधित जिलाधिकारियों द्वारा की जायेगी। उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड का अलग बैंक एकाउण्ट होगा। इसके लिए बैठक में राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ रूपये की धनराशि की स्वीकृति दी गई है। बदरी-केदार मंदिर समिति की अवशेष धनराशि भी उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड में ट्रांसफर की जायेगी। बद्री-केदार मंदिर समिति के कार्मिकों का समायोजन उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड में किया जायेगा। बोर्ड के लिए अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति की जायेगी एवं वित्त नियंत्रक का एक पद सृजित किया जायेगा। उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड में विभिन्न न्यायिक मामलों के लिए ट्रिब्यूनल बनाई जायेगी। एनआईसी द्वारा बदरी-केदार मंदिर समिति के लिए बनाई गई वेबसाइट का अधिग्रहण कर इसका अपग्रेडेशन किया जायेगा। इस अवसर पर उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने कोविड-19 के दृष्टिगत बदरी-केदार मन्दिर समिति के कार्मिकों द्वार दिये गये एक दिन के वेतन का 5 लाख रूपये का चेक मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपा।
उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष सतपाल महाराज ने मानव उत्थान सेवा समिति के माध्यम से भी बोर्ड को 5 लाख एक रूपये की धनराशि देने की घोषणा की। इस अवसर पर उन्होंने अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी रखे।
बैठक में विधायक बदरीनाथ महेन्द्र भट्ट, विधायक गंगोत्री गोपाल सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव पर्यटन एवं संस्कृति दिलीप जावलकर, सचिव वित्त सौजन्या उपस्थित थे।

धनिष्ठा नक्षत्र में सुबह साढ़े चार बजे खुले बदरीनाथ धाम के कपाट

शुक्रवार सुबह विधि-विधान से पूजा अर्चना के बाद सुबह 4.30 बजे धनिष्ठा नक्षत्र में बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए। कपाटोद्घाटन मे मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी भूवन चन्द्र उनियाल, राजगुरु, हकहकूकधारियो सहित केवल 11 लोग ही शामिल हुए।

भगवान बदरी विशाल के गर्भ गृह के द्वार खुलते ही सबसे पहले बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी ने गर्भ गृह में सबसे पहले प्रवेश किया। शीतकाल में जिस ऊनी घृत कम्बल को भगवान ओढ़ाया गया था उसे रावल जी ने श्रद्धा पूर्वक निकाला। इसके बाद रावल ने पवित्र जलों से भगवान का स्नान करवाया और भव्य अभिषेक किया। इस दौराना सभा मंडप में धर्माधिकारी और अपर धर्माधिकारी वेद पाठी मंत्रोच्चार करते रहे।

मंदिर परिसर को किया सैनिटाइज
कपाट खोलने से पहले बदरीनाथ सिंह द्वार, मंदिर परिसर, परिक्रमा स्थल, तप्त कुंड के साथ ही विभिन्न स्थानों को सैनिटाइज किया गया। योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में कुबेर जी, उद्धव जी और गरुड़ जी की विशेष पूजाएं हुईं। हक-हकूकधारियों ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए भगवान श्री बदरीनाथ की पूजा अर्चना की और पुष्प अर्पित किए। 

ऋषिकेश पुष्प सेवा समिति ने सजाया बदरीनाथ मंदिर
बदरीनाथ धाम को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को सजाया गया। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को सजाया गया है।