विभिन्न विकास कार्यों को सीएम ने दी वित्तीय स्वीकृति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री घोषणा के क्रम में विधानसभा क्षेत्र चम्पावत के अंतर्गत ब्यानधुरा बाबा मंदिर तक पेयजल आपूर्ति एवं सड़क निर्माण कार्य हेतु 3.58 करोड़ के सापेक्ष प्रथम किश्त के रूप में 1 करोड की धनराशि की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा चम्पावत के अन्तर्गत पंचमुखी गौशाला धाम बनाये जाने हेतु 1 करोड़, घटोत्कच मंदिर परिसर में चाहरदीवारी व दो कक्षों के निर्माण कार्य एवं मंदिर के सौन्दर्यीकरण हेतु 1 करोड़ एवं टनकपुर में मीडिया सेंटर एवं गेस्ट हाउस हेतु भूमि एवं भवन उपलब्ध कराने के लिये प्रथम चरण के कार्य हेतु 11 लाख 86 हजार धनराशि की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा क्षेत्र खटीमा के अन्तर्गत वार्ड खटीमा शहीद स्थल पर तिरंगा निर्माण कार्य हेतु 47 लाख 82 हजार की वित्तीय स्वीकृति भी प्रदान की है।

समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता की शक्ति-मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गुरुवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में प्रदेश में समान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पारित होने पर गर्मजोशी से स्वागत के साथ सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। स्वर्णिम देवभूमि परिषद द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में बडी संख्या में बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने के लिये मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सभी ने प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता की शक्ति बताते हुये कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की देवतुल्य जनता का भी आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे देश का नेतृत्व आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम हाथों में है, जिनके लिए देश सर्वप्रथम है, जो इस देश को ही अपना परिवार समझते हैं और अपने परिवारजनों का सुख-दुःख ही उनका सुख-दुःख है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनता के हैं और जनता हमारी है, यह कानून जनता के लिये है, जनता की भलाई, समता और समानता के लिये बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मन्त्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, जनता जर्नादन के आदेश को सिर माथे पर रखते हुए हमने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की। इस समिति के सदस्यों में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, समाजसेवी मनु गौड, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह एवं दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल को सम्मिलित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के सीमांत गांव माणा, जिसे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का प्रथम गांव घोषित किया है, वहां से प्रारंभ हुई जनसंवाद यात्रा के दौरान 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों द्वारा किसी कानून के निर्माण के लिए अपने सुझाव देने का देश में यह पहला अतुलनीय उदाहरण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 2 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है उसी प्रकार राज्य विधान सभा से पारित समान नागरिक संहिता के रूप में निकलने वाली समान अधिकारों की संहिता रूपी ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह एक आदर्श धारणा है, जो हमारे समाज की विषमताओं को दूर करके, हमारे सामाजिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा-यमुना का यह प्रदेश, भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, आदि कैलाश, ऋषि-मुनियों-तपस्वियों, वीर बलिदानियों की इस पावन धरती ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाये रखा गया। 1985 के शाह बानो केस के साथ इसी देवभूमि की बेटी सायरा बानो ने दशकों तक न्याय के लिये संघर्ष किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता, विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा और जो प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है। समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत का सपना देखने के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में सैंकड़ों वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हुए हैं, और मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस संहिता में पुरुष व महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते हुए विवाह विच्छेद से संबंधित मामलों में विवाह विच्छेद लेने के समान कारण और समान अधिकार दिए गए हैं। समान नागरिक संहिता में महिला के दोबारा विवाह करने से संबंधित किसी भी प्रकार की रूढ़िवादी शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे इस कदम से उन कुप्रथाओं का अंत होगा जिनसे महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती थी।
मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देकर उनसे किए गए वादे को निभाया है। उन्होंने कहा कि इन सभी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि हमने इस दशक में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है। वही दशक जिसका हमारी माताएं-बहनें, बरसो से इंतजार कर रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश हित में यू.सी.सी. के साथ कठोर नकल विरोधी कानून बनाया है। अब भारत की संसद ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रदेश में अवैध अतिक्रमण के विरूद्ध सख्ती से कार्यवाही कर 05 हजार है. सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया गया है। देवभूमि के स्वरूप को बनाये रखने के लिये, धर्मांतरण को रोकने के लिये भी कानून बनाया गया है। भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये 1064 एप पर शिकायत की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में भ्रष्टाचार किसी भी रूप में बरदास्त नहीं किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें कई देशों में जाने का अवसर मिला। वे जहां भी गये वहां लागों का देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति लगाव उन्हें देखने को मिला, जो इस महान देवभूमि की महिमा का ही परिणाम है।

सीएम धामी का पुष्प वर्षा कर स्वागत

विधानसभा से समान नागरिक संहिता कानून पारित होने के पश्चात विधान सभा के गेट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने आतिश बाजी कर अपनी खुशी का इजहार भी किया। इसके पश्चात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का प्रदेश भाजपा कार्यालय में भी गर्मजोशी से स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री ने भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भी प्रतिभाग किया तथा सभी का आभार जताया।

देवभूमि की विधानसभा ने समान नागरिकता कानून पारित कर देश में की नई शुरूआत-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधान सभा सदन में बहुमत से पास होने पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं, उन्होंने सदन के सदस्यों तथा उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का आभार जताया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक पल है जब देवभूमि के अन्दर देवभूमि की विधानसभा सदन से देश के पहले समान नागरिकता कानून को मंजूरी मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा से पारित नागरिकता संहिता कानून संवैधानिक प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 12 फरवरी 2022 को प्रदेश की जनता से समान नागरिक संहिता कानून को प्रदेश में लागू करने का वायदा किया था। आज वह वायदा पूर्ण हो गया है मुख्यमंत्री ने कहा कि जो संकल्प हमारी सरकार ने लिया था वह आज सिद्धि तक पहुँच गया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना ने इस समानता के कानून को लागू करने की प्रेरणा दी है।” यह कानून समानता और एकरूपता का कानून है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कानून किसी के विरुद्ध नहीं है। बल्कि यह कानून महिलाओं को कुरीतियों और रूढ़िवादी प्रथा से दूर करते हुए सर्वांगीण उन्नतिका रास्ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस क़ानून के निर्माण हेतु पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था इसके बाद लगभग 2 सालों के कालखंड में समिति ने हर वर्ग, समुदाय, संप्रदाय के लोगों के साथ बातचीत करते हुए 10 हज़ार से अधिक लोगों के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत, करते हुए 72 बैठकों के बाद 2 लाख 33 हज़ार सुझावों को इस कानून में शामिल किया है।मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों से भी अपेक्षा की है वे भी इस कानून की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य हित में जो भी निर्णय लिया जाना उचित होगा वह लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप उत्तराखण्ड बना है। वे स्वयं खटीमा, मसूरी तथा मुजफ्फरनगर काण्ड के साक्षी रहे है। राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिये गठित विधान सभा की प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधान सभा द्वारा आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक को मंजूरी प्रदान करने को भी उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान बताया है।

ऐतिहासिक, सीएम धामी के नेतृत्व में पास हुआ यूसीसी बिल

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक उत्तराखंड 2024 बुधवार को विधानसभा में पारित कर दिया गया। विधेयक पर दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई। सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। इस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा आजाद भारत के इतिहास में समान नागरिक संहिता का विधेयक पारित करने वाली पहली विधानसभा बन गई है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 को विधानसभा में पेश किया था। आज बुधवार को सदन में विधेयक पर चर्चा के बाद सदन ने इसे पास कर दिया। अब अन्य सभी विधिक प्रक्रिया और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। विधेयक में सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। महिला-पुरुषों को समान अधिकारों की सिफारिश की गई है। अनुसूचित जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है।
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से किए गए वायदे के अनुसार पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई। समिति ने व्यापक जन संवाद और हर पहलू का गहन अध्ययन करने के बाद यूसीसी के ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए प्रदेश भर में 43 जनसंवाद कार्यक्रम और 72 बैठकों के साथ ही प्रवासी उत्तराखंडियों से भी समिति ने संवाद किया।

कुप्रथाओं पर लगेगी रोक
समान नागरिक संहिता विधेयक के कानून बनने पर समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर रोक लगेगी, लेकिन किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे। बाल और महिला अधिकारों की यह कानून सुरक्षा करेगा।

यूसीसी के अन्य जरूरी प्रावधान
विवाह का पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वंचित।
पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूर्णतः प्रतिबंधित।
सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार।
सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।
संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया है।
किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया ।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा और उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

“हमारे देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रऋषि नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है”
“समान नागरिक संहिता का विधेयक आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है”
“यूसीसी के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है”
-पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री उत्तराखंड

मुख्य सचिव ने नवोदय आवासीय विद्यालयों के निर्माण को टेंडर प्रक्रिया शुरु करने के दिए निर्देश

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बुधवार को विधानसभा भवन में उत्तरकाशी के दिवारीखोल तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालय की ईएफसी (व्यय वित्त समिति) की बैठक में इन प्रोजेक्ट्स के सम्बन्ध में नाबार्ड से स्वीकृति लेकर जल्द टैण्डर की प्रक्रिया आरम्भ करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने इन विद्यालयों के भवनों के निर्माण के साथ-साथ ही इनमें विभिन्न स्टाफ की भर्तियों के अनुमोदन, फर्नीचर आदि की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग तथा ब्रिडकुल को इन विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था करने, रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, सोलर पैनल एवं सोलर लाइट तथा उरेडा की सहायता से वाटर हीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने निर्देश दिए कि इन विद्यालयों में छात्राओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। विशेषकर विद्यार्थियों की सुरक्षा के दृष्टिगत सीएस ने प्रस्तावित नवोदय विद्यालयों में निर्माण के दौरान इलेक्ट्रिकल विंग का सर्टिफिकेशन लेने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने इन विद्यालयों में पुख्ता वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने, किचन गार्डन तथा कम्पोस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सीएस ने इन विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की सुविधा तथा ऑनलाइन शिक्षा हेतु बेहतरीन वाईफाई सुविधा उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने इन विद्यालयों में बच्चों से मिलने आने वाले अभिभावकों के लिए अतिथि कक्षों की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तरकाशी के दिवारीखोल तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालयों के निर्माण कार्य को 18 महीने के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य में नवोदय विद्यालयों को सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। उत्तरकाशी के दिवारीखोल तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालयों के आरम्भ होने से दूरस्थ एवं दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के स्थानीय बच्चों को लाभ मिलेगा। इन विद्यालयों में बच्चों को अच्छी सुविधाएं दी जानी चाहिए।
210 छात्र-छात्राओं की क्षमता तथा 3973.25 लाख रूपये की लागत से बनने वाले उत्तरकाशी के दिवारीखोल में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग है तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित 4486.77 लाख रूपये की लागत से निर्मित होने वाले राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालय की कार्यदायी संस्था ब्रिडकुल है।
बैठक में अपर सचिव रंजना राजगुरू, विजय कुमार जोगदण्डे सहित कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग व ब्रिडकुल के सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।

मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के प्रोजेक्ट्स को हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ पूरा करने के निर्देश

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों के साथ ही उनमें डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर्स, पैरामेडिकल एण्ड एन्सिलरी स्टाफ के पद सृजन आदि की प्रक्रिया भी साथ-साथ संचालित करने की हिदायत स्वास्थ्य विभाग, वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग को दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह से निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों का समय पर संचालन शुरू हो पाएगा। मुख्य सचिव ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में 216 तथा पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज में 216 डॉक्टर्स के पदों से सम्बन्धित स्थिति को तत्काल स्पष्ट करने के निर्देश वित्त विभाग को दिए हैं। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के प्रोजेक्ट्स को हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ पूरा करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिए।
मेडिकल टूरिज्म की बेहतरीन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सीएस रतूड़ी ने पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज तथा नैनीताल के भवाली स्थित टीबी सेनेटोरियम के सम्बन्ध में एक बैठक पर्यटन विभाग के साथ आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में विधानसभा भवन में राजकीय मेडिकल कॉलेज पिथौरागढ़ के ढांचे के गठन में राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार के सापेक्ष संख्या में कम हो रहे पदों के संबंध में बैठक सम्पन्न हुई।
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के दृष्टिगत मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य के मैदानी जिलों के समान ही पर्वतीय जिलों में बनने वाले मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में भी पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ तथा अन्य स्टाफ की व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश स्वास्थ्य, वित्त एवं कार्मिक विभाग को दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज से न केवल पिथौरागढ़ जनपद को बल्कि जनपद चंपावत तथा जनपद बागेश्वर व अल्मोड़ा के एक बड़े भाग की आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं मिलेगी। साथ ही पड़ोसी देश नेपाल द्वारा भी यहाँ की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने की संभावना बढ़ जायेगी। पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज का संचालन आरम्भ होने के बाद इसके आस-पास के क्षेत्रों में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं अन्य सम्बन्धित सुविधाओं, उद्यमों के विकास एवं स्वरोजगार के नए अवसरों की संभावनाएं भी बढ़ेगी।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को हरिद्वार जिले में मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने गर्भवती माताओं एवं नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के फॉलोअप हेतु ट्रैकिंग सिस्टम बनाने, सभी गर्भवती महिलाओं की अनिवार्य प्रसवपूर्व जांच (एएनसी) करने, सभी गर्भवती माताओं का संस्थागत प्रसव करवाने के भी निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने मातृ मृत्यु दर की दृष्टि से हाई रिस्क एरियाज में आशा वर्कर हेतु विशेष ऑरियेण्टेशन प्रोग्राम संचालित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने आशा वर्कर्स के कार्यों के मूल्यांकन में मातृ मृत्यु दर को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में सचिव डा0 आर राजेश कुमार, वी. षणमुगम सहित स्वास्थ्य, वित्त, कार्मिक एवं न्याय विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

धामी सरकार करने जा रही अपना वादा पूरा, आंदोलनकारियों को मिलेगा आरक्षण

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों के सभी पात्र आश्रित भी राजकीय सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के हकदार होंगे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक पर गठित विधानसभा की प्रवर समिति ने यह सिफारिश की है। मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी। बुधवार को रिपोर्ट पर चर्चा के बाद विधेयक को मंजूरी देने की पूरी संभावना है।
प्रदेश सरकार ने आठ सितंबर 2023 को सदन में विधेयक पेश किया था। विधेयक में चिह्नित आंदोलनकारियों व उसके एक आश्रित सदस्य को क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया गया था। प्रवर समिति ने इसमें बदलाव करते हुए सभी पात्र आश्रितों को आरक्षण का योग्य माना है। साथ समिति ने आश्रित की परिभाषा में चिह्नित आंदोलनकारी की पत्नी अथवा पति, पुत्र एवं पुत्री जिसमें विवाहित, विधवा, पति द्वारा परित्यक्त, तलाकशुदा पुत्री को भी शामिल किया गया है।
प्रवर समिति ने ये सिफारिश भी की कि 11 अगस्त 2004 को या उसके बाद उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी शासनादेशों के अधीन विभिन्न राजकीय सेवाओं, पदों के लिए राज्य आंदोलनकारियों का चयन और नियुक्ति इस अधिनियम के तहत वैध माना जाए। जिस व्यक्ति का चिह्नीकरण सक्षम अधिकारी द्वारा राज्य आंदोलनकारी के रूप में किया गया हो, उसे प्रमाणपत्र या पहचानपत्र जारी हो। विधेयक में विभिन्न विभागों में तथा समूह घ के पदों पर सीधी भर्ती में नियुक्ति देने में आयु सीमा तथा चयन प्रक्रिया को एक बार शिथिल करने का प्रावधान के स्थान पर समिति ने राज्याधीन सेवाओं में चयन के समय चिह्नित आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की सिफारिश की है।

महिलाओं को बराबरी का अधिकारी दिलायेगा यूसीसी

देश के पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र तो नहीं, लेकिन कई नियमों के बदलाव में रूढ़ि, परंपरा और प्रथा को खत्म करने का आधार बनाया गया है। इद्दत, हलाला को भी प्रत्यक्ष तौर पर कहीं नहीं लिखा गया। हालांकि, एक विवाह के बाद दूसरे विवाह को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है।

इद्दत-हलाला को इस तरह परिभाषित किया
यूसीसी बिल में महिला के दोबारा विवाह करने (चाहे वह तलाक लिए हुए उसी पुराने व्यक्ति से विवाह करना हो या किसी दूसरे व्यक्ति से) को लेकर शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। संहिता में माना गया कि इससे पति की मृत्यु पर होने वाली इद्दत और निकाह टूटने के बाद दोबारा उसी व्यक्ति से निकाल से पहले हलाला यानी अन्य व्यक्ति से निकाह व तलाक का खात्मा होगा। यूसीसी में हलाला का प्रकरण सामने आने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

शाहबानो प्रकरण भी बना यूसीसी का आधार
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने के लिए इंदौर की शाहबानो के मामले को भी आधार बनाया गया। इसमें बताया गया कि कैसे 62 वर्ष की उम्र में शाहबानो को उनके पति ने तलाक दे दिया था। उनके पांच बच्चे थे। वह न्यायालय गईं तो उन्हें 25 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का निर्णय हुआ। इससे असंतुष्ट शाहबानो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय गईं, जिसने गुजारा भत्ता बढ़ाकर 179.20 रुपये प्रतिमाह कर दिया, मगर पति ने भत्ता देने से इन्कार कर दिया। अप्रैल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी।

बहु विवाह प्रतिबंधित किया गया
यूसीसी बिल में बहु विवाह को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया गया है। हर विवाह और तलाक का पंजीकरण ग्राम, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका के स्तर पर ही कराया जाना संभव होगा। इसके लिए पोर्टल भी एक माध्यम होगा। बिल में स्पष्ट किया गया है कि एक विवाह होने के बाद दूसरा विवाह पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है।

विवाह की आयु
सभी धर्मों के लिए विवाह की आयु समान की गई है। पुरुष के लिए कम से कम 21 वर्ष और स्त्री के लिए न्यूनतम 18 वर्ष। मुस्लिम पर्सनल लॉ में विवाह की आयु बालिग होने या 15 वर्ष निर्धारित की गई है, लेकिन अब प्रदेश में सबके लिए आयु की एक ही सीमा होगी। हालांकि, ये स्पष्ट किया गया कि इससे किसी धर्म, मजहब, पंथ, संप्रदाय और मत के अपने-अपने रीति रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। निकाह, आनंद कारज, अग्नि के समक्ष फेरे और होली मेट्रिमोनि रीति रिवाज अपनी मान्यताओं के अनुसार ही होंगे। हालांकि, इसमें ये भी स्पष्ट कर दिया है कि अनुसूचित जनजातियां यूसीसी के दायरे से बाहर रहेंगी।

विवाह का पंजीकरण कराना हुआ अनिवार्य

अगर आपका विवाह 26 मार्च 2010 के बाद हुआ है, तो उसका पंजीकरण कराना होगा। पहले जो करा चुके हैं, उन्हें दोबारा पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी। विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में यह प्रावधान है।
खास बात ये भी है कि कानून लागू होने के छह माह के भीतर पंजीकरण न कराने वालों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। पंजीकरण में गलत तथ्य देने वालों पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। यूसीसी में स्पष्ट किया गया कि विवाह करने वालों में से अगर स्त्री या पुरुष राज्य का निवासी होगा तो उसका पंजीकरण अनिवार्य होगा।
26 मार्च 2010 (उत्तराखंड अनिवार्य विवाह पंजीकरण एक्ट) तक के जो विवाह पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें यूसीसी लागू होने के बाद छह माह के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जो पहले से पंजीकृत हैं, उन्हें कानून लागू होने के छह माह के भीतर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में घोषणा पेश करनी होगी। 2010 के पूर्व के दंपती चाहें तो अपना पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन उनकी एक से अधिक जीवनसाथी न हों। आयु का मानक पूरा हो रहा हो।

ऐसे होगा पंजीकरण
यूसीसी लागू होने के बाद पति-पत्नी मिलकर एक फार्म भरेंगे। विवाह की तिथि से 60 दिन के भीतर सब रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत करेंगे। शर्त है कि दोनों में से एक राज्य में निवास करता हो। इसी प्रकार, 2010 के पहले के दंपती के लिए भी औपचारिकताएं होंगी।

सब रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार जनरल नियुक्त करेगी सरकार
यूसीसी के तहत राज्य सरकार सचिव स्तर के अधिकारी को रजिस्ट्रार जनरल (महानिबंधक) नियुक्त करेगी। इसके बाद उपजिलाधिकारी स्तर तक के अधिकारियों को रजिस्ट्रार और क्षेत्रों के लिए सब रजिस्ट्रार तैनात किए जाएंगे।

पुरुष की 21, स्त्री की 18 वर्ष आयु
यूसीसी में ये प्रावधान किया गया कि विवाह तभी होगा जबकि पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और स्त्री की न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो।

10 से 25 हजार रुपये तक जुर्माना
कोई भी व्यक्ति जो विवाह होने के बाद जानबूझकर पंजीकरण नहीं कराएगा या उपेक्षा करेगा, उस पर सब रजिस्ट्रार 10 हजार का जुर्माना लगा सकते हैं। जो व्यक्ति पंजीकरण में गलत तथ्य प्रस्तुत करेगा या कूटरचित दस्तावेज लगाएगा, उसे तीन माह की जेल और 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों लग सकते हैं। जो सब रजिस्ट्रार पंजीकरण प्रक्रिया, विच्छेद पर 15 दिन के भीतर एक्शन नहीं लेगा, उस पर भी 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

सब रजिस्ट्रार खुद भी ले सकते हैं संज्ञान
अगर कोई विवाह होता है और उसका पंजीकरण नहीं होता तो सब रजिस्ट्रार इसका खुद भी संज्ञान ले सकेगा। वह नोटिस भेजेगा, जिस पर 30 दिन के भीतर ज्ञापन प्रस्तुत करना होगा। ऐसा न करने पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। पंजीकरण न कराने पर कोई विवाह अविधिमान्य नहीं होगा।