शिया बोर्ड के हलफनामे से राम जन्म भूमि विवाद में नया मोड़ आने के संकेत

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल निकलने की उम्मीद प्रबल होती जा रही है। शुक्रवार सेे सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ मामले की सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लंबित चुनौतियों के साथ यूपी शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दायर हलफनामे पर विशेष पीठ सुनवाई करेगी। साथ ही बोर्ड द्वारा विवादिल स्थल पर मालिकाना हक जताने की अपील पर साथ में सुनवाई कर सकती है।
रामलला विराजमान, हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत तमाम पक्षकारों हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के 30 सितंबर 2010 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दो-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था। सर्वोच्च अदालत ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाएं विचारार्थ स्वीकार की थीं और हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। साथ ही कहा था कि मामला लंबित रहने तक संबंधित पक्षकार विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखेंगे। इसके बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्शनार्थियों के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की जिसका विरोध मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद हाशिम ने की थी। लेकिन अदालत ने स्वामी की मांग को मुख्य मामले के साथ सुनवाई करने का निर्णय लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तीन न्यायाधीशों जस्टिस दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की विशेष पीठ का गठन मामले पर सुनवाई के लिए किया। शुक्रवार, 11 अगस्त को दोपहर दो बजे से इस मामले पर नियमित सुनवाई होगी या फिर अंतरिम राहत की मांग वाले आवेदनों पर विचार किया जाएगा। यह सुनवाई के दौरान ही विशेष पीठ स्पष्ट करेगी। दरअसल इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन करते हुए अदालत ने यह स्पष्ट नहीं किया है और रजिस्ट्री ने संबंधित पक्षकारों को ऐसी कोई सूचना दी है जिससे यह साफ हो कि विशेष पीठ मामले के किस पहलू पर गौर करेगी। साथ ही अदालत से स्वामी ने भी आवेदन में जल्द सुनवाई की मांग कई बार की है और अदालत ने उन्हें जल्द सुनवाई करने का भरोसा भी दिलाया था।
सुनवाई की तिथि से कुछ दिन पहले ही शिया बोर्ड ने हलफनामा दाखिल कर मामले में समुचित समझौते का रुख व्यक्त किया। उसने कहा कि विवादित स्थल से समुचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में एक मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है। इसके बाद ठीक अगले दिन शिया बोर्ड ने ढहाए जा चुके विवादिल स्थल की जमीन के मामले में 1946 में दिए गए ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दे दी। सात दशक बाद दायर याचिका में उसने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले में खामी बताई और सुप्रीम कोर्ट से मामले पर विचार कर फैसला करने की गुजारिश की। इस अपील में कहा गया है कि मस्जिद बाबर ने नहीं, मीर बाकी ने बनवाई थी जो एक शिया था।
खास बात ये है कि हलफनामे में शिया वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड शांतिपूर्ण तरीके से इस विवाद का हल नहीं चाहता। इस मसले को सभी पक्ष आपस में बैठकर सुलझा सकते हैं जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट उन्हें समय दे। बोर्ड ने कहा कि इसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जाए। सर्वोच्च अदालत इस मामले को बातचीत के जरिए हल करने को पहले ही कह चुका है। ऐसे में शिया बोर्ड का हलफनामा इस मामले का अदालत का रुख बदल सकता है और सभी पक्षकारों से समझौते को लेकर अदालत सवाल कर सकती है।

टोल दिए बिना ही अखिलेश ने काफिले को कराया पार!

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव बुधवार को उस वक्त विवादों में घिर गए जब बाराबंकी के एक टोल प्लाजा मैनेजर ने आरोप लगाया कि अखिलेश के काफिले की लगभग 175 गाड़ियां टोल का भुगतान किए बिना ही निकल गईं।
टोल प्लाजा के मैनेजर ने एक विडियो मीडिया के सामने जारी किया। इस विडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से समाजवादी पार्टी के बैनर और झंडे वाली गाड़ियों का काफिला टोल प्लाजा पर रुके बिना ही तेजी से निकलता है। इस काफिले में लग्जरी गाड़ियों के अलावा बाइकें भी शामिल थीं।
सबसे पहले इस विडियो में लाल रंग का समाजवादी पार्टी के बैनर-झंडे से सजा एक रथ निकलता है और उसके पीछे गाड़ियों का काफिला। हालांकि, विडियो में अखिलेश यादव कहीं दिख नहीं रहे हैं लेकिन दावा किया जा रहा है कि इस काफिले की ही किसी गाड़ी में अखिलेश बैठे थे। यह पहली बार नहीं है जब अखिलेश के काफिले पर टोल नहीं देने का आरोप लगा है, इससे पहले भी नवंबर में विकास यात्रा के दौरान उनके काफिले की गाड़ियों पर टोल न चुकाने के आरोप लगे थे।

गैरकानूनी ढंग से कब्जाई जमीन से हटाना होगा राजीव गांधी ट्रस्ट को अपना कब्जा

आखिरकार लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अमेठी जिला प्रशाषन ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर चल रहे चौरिटी ट्रस्ट द्वारा गैरकानूनी ढंग के कब्जा की गई जमीन को खाली करने का आदेश जारी कर दिया गया है। राजीव गांधी चौरिटेबल ट्रस्ट ने अमेठी के रोखा गांव में लगभग 1 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा जमा रखा था। यह जमीन स्वयं सेवी ग्रुप के सदस्यों को वोकेश्नल ट्रेनिंग देने के लिए आवंटित किया गया था लेकिन इसपर राजीव गांधी ट्रस्ट ने कब्जा कर लिया था।
गौरतलब है कि राजीव गांधी ट्रस्ट द्वारा जमीन पर कब्जे की बात सबसे पहले केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उठाया था। ईरानी 2014 लोकसभा चुनावों में अमेठी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ लड़ी थी लेकिन उन्हें चुनावों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। लेकिन केन्द्रीय मंत्री की ट्रस्ट द्वारा जमीन कब्जे के आरोप पर तत्कालीन अखिलेश सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। लेकिन 2017 में राज्य में बीजेपी की योगी सरकार बनने के बाद राज्य सरकार ने स्मृति ईरानी के आरोपों की जांच करते हुए पाया कि गांव की जमीन पर राजीव गांधी ट्रस्ट ने गैरकानूनी कब्जा कर रखा था।
राज्य सरकार द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए राजीव गांधी ट्रस्ट को पहली नोटिस 27 मार्च 2017 को दी गई। इसके बाद अलग-अलग स्तर से 10 अप्रैल और 28 अप्रैल को ट्रस्ट को राज्य सरकार की तरफ से दूसरा और तीसरा नोटिस जारी किया गया। नोटिस के जरिए ट्रस्ट से जमीन पर अधिपत्य के कारण और जमीन के इस्तेमाल पर सवाल किया गया था। राजीव गांधी ट्रस्ट को जमीन पर कब्जे को उचित दिखाने के लिए दस्तावेज जमा करने के लिए भी कहा गया।
राज्य सरकार के मुताबिक इन तीन नोटिस के बाद राजीव गांधी ट्रस्ट की तरफ से दिया गया बयान अधूरा था और जमीन पर उसके मालिकाना हक को साबित नहीं किया जा सका। जिसके बाद राज्य सरकार ने ट्रस्ट को जल्द से जल्द जमीन से अपना कब्जा हटाने का फैसला सुनाया है।

अयोध्या रामजन्म भूमिः देश दुनिया की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकेगी

देश विदेश में अयोध्या का नाम सुनते साथ ही हिन्दूओं की आस्था के प्रतीक श्रीराम की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। इस मामले में नया घटनाक्रम यह है कि अब अयोध्या रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 11 अगस्त से करने का फैसला किया है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 जजों की स्पेशल बेंच तैयार की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने का सुझाव दिया था। ये एक ऐसा विवाद है, जिसकी आंच में भारतीय राजनीति आजादी के बाद से ही झुलसती रही है। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी, जिसका मुकदमा आज भी लंबित है।
आपकों बताते चले कि देश की आजादी से पूर्व इस स्थान को लेकर दोनों पक्षों में विवाद है। एक ओर हिन्दू इसे श्री राम की जन्म स्थली बताकर राम मंदिर का निर्माण करना चाहते है वहीं मुस्लिम इसे बाबरी मस्जिद बताकर अपना पक्ष रख रहे है। दोनों के दावे अब तक कई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गये है। पूर्व में इलाहाबाद कोर्ट ने उक्त स्थान की खुदाई करवाकर जिस पक्ष के अवशेष मिलेंगे, उसका दावा पुख्ता माना जायेगा कहा था। जिस पर खुदाई के दौरान हिन्दूओं से संबधित अवशेष मिले जिस पर कोर्ट ने इस स्थान को हिन्दुओं का माना। मुस्लिम पक्ष के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे किये।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने का सुझाव भी दिया। लेकिन कोई ठोस निर्णय सामने नही आ सका। अब फिर सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई 11 अगस्त से करने का फैसला किया है। अब देश दुनिया की नजरें फिर से हिन्दुस्तान की ओर होंगी। सुप्रीम कोर्ट के ट्रायल और फैसले से देश की राजनीति में इसका सीधा असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

लोकसभा उप चुनाव में मायावती के लड़ने से भाजपा में बैचेनी!

राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मायावती का अगला कदम क्या होगा? आखिर किस तरीके से मायावती अपने पॉलिटिकल करियर में निखार लाएंगी? मिली जानकारी के मुताबिक मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा गुस्से में आकर नहीं दिया है बल्कि ये इस्तीफा एक प्लानिंग के तहत हुआ है। मायावती अपनी राजनीति सेट करने के लिए फूलपुर से लोकसभा का उप-चुनाव लड़ सकती हैं और इस लड़ाई में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी उनका साथ देंगे।
फूलपुर से यूपी में हो सकती है महागठबंधन की शुरुआत
राजनीति के गलियारों में एक सुगबुगाहट और जोर पकड़ रही है। दबी जुबान में बीएसपी के खेमे में चर्चा है कि बहन जी उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा से उप चुनाव में खड़ी हो सकती हैं। वह भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के समर्थन के साथ। यानी साल 2019 से लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में महागठबंधन का एक प्रयोग फूलपुर लोकसभा के उप चुनाव के वक्त किया जा सकता है।
मायावती को मिल सकता है अखिलेश का साथ
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस तरह के गठबंधन पर सकारात्मक बयान दे ही चुके हैं। वहीं मायावती ने भी पिछले दिनों भाजपा को रोकने के लिए किसी के भी साथ हाथ मिलाने का बयान दिया था। भाजपा को शिकस्त देने की तैयारी में जुटा विपक्ष इसके लिए यूपी में महागठबंधन की तैयारी में जुटा है। बिहार में राजनीतिक संकट के बीच जहां लालू यादव का विपक्ष को एकजुट करने को लेकर 27 अगस्त की रैली अभी प्रस्तावित ही है। बसपा सूत्रों की माने तो यूपी की विधानसभा चुनाव के बाद खाली हुई लोकसभा सीट में महागठबंधन मायावती को प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रहा है।
फुलपुर में होना है उपचुनाव
दरअसल उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट से मौजूदा वक्त में भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य सांसद हैं। यूपी विधानसभा चुनाव के बाद मौर्य, यूपी सरकार में उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लिहाजा उप राष्ट्रपति चुनाव के बाद उनका और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का अपनी गोरखपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा देना तय है। जिसके बाद फूलपुर और गोरखपुर में उप चुनाव होंगे।
मुश्किल में बीजेपी !
लोकसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा की अभीतक की रणनीति के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस उपचुनाव से दूर रहेंगे। ऐसे में जाहिर है कि सीएम योगी आदित्नाथ पर ही लोकसभा की दोनों सीटें जीतने का दबाव होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि मायावती के महागठबंधन की प्रत्याशी बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक कौशल की भी पूरी परीक्षा हो जाएगी।

350 करोड़ की घोषणाओं ने अयोध्या में दिए चुनाव के संकेत!

आस्था की नगरी अयोध्या में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ पहली बार गए तो उनके जाने के सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं।
दरअसल, विवादित ढांचा विध्वंस के बाद अयोध्या जाकर रामलला का दर्शन करने वाले योगी दूसरे मुख्यमंत्री हैं। 15 वर्ष पहले 2002 में राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए रामलला के दर्शन किए थे। यह भी संयोग है कि जाने से एक दिन पहले योगी ने ढांचा विध्वंस के मामले में सीबीआई कोर्ट में पेश होने आए पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई प्रमुख लोगों की लखनऊ में अगवानी की। मिशन 2019 में फिर प्रचंड बहुमत से मोदी की सरकार बनाने में जुटी भाजपा और राज्य सरकार के लिए अयोध्या भी एक माध्यम है। सरकार सिर्फ मंदिर मुद्दे पर ही नहीं बल्कि वहां के विकास को लेकर भी सक्रिय है।

योगी ने कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन के साथ ही राम की नगरी अयोध्या को भी नगर निगम का दर्जा देकर अयोध्या के विकास का संकेत दिया है। काशी के साथ ही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से अयोध्या को जोड़ने का एलान भी इसकी एक कड़ी है। बुधवार को मुख्यमंत्री ने वहां न केवल कानून-व्यवस्था की समीक्षा की बल्कि विकास से जुड़ी करीब 350 करोड़ रुपये की योजनाओं की घोषणा भी अयोध्या के लिए की। जाहिर है कि सरकार, अयोध्या एजेंडे पर गंभीर है और इसे लेकर आगे भी बढ़ रही है।

गंगा की तर्ज पर सरयू आरती भी
योगी ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी की गंगा आरती की तर्ज पर सरयू आरती शुरू करने की बात करके पर्यटकों को आकर्षित किया है। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या जाने की पहली पृष्ठभूमि 21 अप्रैल को बनी थी। उस दिन मनिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास के जन्म महोत्सव में आमंत्रित करने के लिए उनके शिष्य कमल नयन दास यहां आए थे। आठ जून तक चलने वाले इस महोत्सव में जाने के लिए योगी ने उसी दिन हामी भर दी थी लेकिन, तब भी उन्होंने प्रतिनिधि मंडल से अयोध्या के विकास पर चर्चा की थी। योगी वहां गए तो विकास परक योजनाओं का प्रस्ताव भी उनके साथ था।

कहीं अयोध्या न बने चुनाव क्षेत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शपथ लिए करीब ढाई माह बीतने को हैं। शपथ से छह माह में उन्हें विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है। गोरखपुर से 1998 से ही जनता के बीच से चुने जाने वाले योगी के लिए यूं तो कई विधायक भी अपनी सीट खाली करने को तैयार हैं लेकिन, भगवान शंकर की नगरी काशी से प्रधानमंत्री की तरह ही राम की नगरी अयोध्या से मुख्यमंत्री के प्रतिनिधित्व की भूमिका भाजपा तैयार कर सकती है। योगी पहले से भी अयोध्या के संतों के बीच आते-जाते रहे हैं।

लापता प्रेमी युगल के शव पेड़ में लटके मिले

उत्तर प्रदेश।
यूपी के जनपद हापुड के थाना धौलाना के गांव ककराना मे 27 तारीख से लापता प्रेमी युगल के शव मिलने से सनसनी फैल गई। दोनों के शव जंगल मे पेड़ से लटके मिले है। गांव का एक व्यक्ति सुबह अपने खेत पर जा रहा तभी उसने दोनों के शव को लटके देखा और उसने गांव मे इस बात की सूचना दी। गांव मे दोनों के शवों की बात आग की तरह फैलने लगी। गांव और आसपास के लोगों देखने के लिए मौके पर जुटने लगे । मौके से इस बात की सूचना दुसरे गांव वालों को दी ।
आपको बता दें थाना धौलाना के गांव ककराना मे पांच दिन पहले पंकज और कोमल नाम के प्रेमी युगल गायब हो गया था। कोमल के पिता ने पंकज सहित परिवार के लोगों पर अपहरण का मुकदमा दर्ज करा रखा था। आज ककराना के जंगल मे गांव के रहने वाले व्यक्ति ने दोनों के शवों को पड़े लटके देखा तो गांव मे सनसनी फैल गई। जब इस घटना के बारे मे पुलिस को बता चला तो पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गये। पुलिस ने दोनों के शवों को पड़े उतार कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। दोनों के शव कई दिन पुराने लग रहे है। मगर पुलिस आत्महत्या बताकर अपना पला झाड़ रही है। चर्चा के अनुसार, दोनों की हत्या से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। पुलिस के बड़े अधिकारी दोनों बिन्दुओ की जांच कर रहे है।

तीन तलाक को हवस बताने पर मौर्या पर चौतरफा हमला

उत्तर प्रदेश।
तीखे बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने लंबे समय बाद कल जब चुप्पी तोड़ी तो बड़ा बम फोड़ दिया। बसपा को छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या अब योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। उनके बयान के बाद मुस्लिम संगठनों ने उनको बर्खास्त करने की मांग की है। बस्ती में तीन तलाक के मामले पर कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने ऐसा बयान दिया है, जिसपर बवाल मच गया है। अपने विवादित बयान में मौर्य ने कहा कि मुस्लिम तीन तलाक देकर हवस को पूरा करते हैं और लगातार बीवियां बदलते हैं।
मौर्या का कहना है कि मुस्लिम अपनी पत्नियों को केवल इसलिए तलाक देते है ताकि वे दूसरी बीवी लाकर अपनी हवस को पूरा कर सके। मौर्या ने कहा तीन तलाक के मुद्दे पर भाजपा मुस्लिम महिलाओं के साथ है। उन्होंने कहा कि यह अब नहीं चलेगा कि मुस्लिम पुरुष जब चाहे अपनी पत्नियों को बेवजह तलाक दे दें। यह लोग तालक देकर अपने बीवी-बच्चों को सड़क पर भीख मांगने पर मजबूर कर देते है। मौर्य ने कहा कि महिलाओं के अधिकार और उन्हें न्याय दिलाने के लिए बीजेपी हमेशा पीडि़त मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ी है। हम किसी भी हाल में उनके साथ गलत नहीं होने देंगे। कल बस्ती में स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि मुस्लिम बिना कारण के, बेवजह और मनमाने तरीके से जब चाहे अपनी पत्नियों को तलाक दे देते हैं। उन्होंने कहा कि तलाक देकर वह अपनी हवस को पूरा करने का काम कर रहे हैं। तलाक की वजह से उनकी पत्नी और बच्चों को सड़क पर आना पड़ता है और भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

मौर्या को बर्खास्त करने की मांग
स्वामी प्रसाद मौर्या के इस बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ी आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मौर्या को बर्खास्त करने की मांग की है। मौर्या के इस बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा कि एक तरफ मुस्लिम महिलाएं अन्याय के खिलाफ लड़ रही हैं तो दूसरी तरफ स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे कैबिनेट मंत्री इस तरह के बयान दे रहे हैं। उन्हें इसकी कड़ी सजा दी जानी चाहिए और पद से हटा दिया जाना चाहिए। अंबर ने कहा कि मैं योगी जी से अपील करूंगी कि स्वामी प्रसाद मौर्या को पागलखाने भेजा जाए।

मायावती पर भी साधा निशाना
इस कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्या ने बसपा मुखिया मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि जब मैंने पार्टी छोड़ी तो मायावती ने कहा था कि जो बसपा छोड़ेगा उसकी राजनीति खत्म हो जाएगी, लेकिन हुआ उलटा… राजनीति उनकी खत्म हुई जो मायावती के बंधुआ मजदूर बन कर रह रहे हैं। मौर्या ने कहा कि वह संघर्षों से निकले नेता हैं और मायावती की राजनीति खत्म करके ही दम लेंगे।

योगी का तंज इतनी छुट्टी तो काम कब करोगे भाई

लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने आज पांच महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। इनमें एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित होगा। महापुरूषों के नाम पर होने वाली १५ छुट्टियां निरस्त कर दी हैं। १५ मई से एक सप्ताह का विधानसभा का विशेष सत्र चलेगा। सार्वजनिक स्थलों पर धर्म के नाम पर कब्जा नहीं कर सकेंगे और कैबिनेट ने आज सुकमा के शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी।
सरकार ने तय किया कि भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की निगरानी में विशेष हेल्पलाइन बनेगी। गृह विभाग के प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन में टोल फ्री नंबर स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मायावती सरकार में बिकी चीनी मिलों की जांच के आदेश के साथ ही सरकार 2007 से 2012 के बीच भूमि, जेएनयूआरएम, यूपीएसआइडीसी, पेंशन, सड़क निर्माण, शीरा, खनन विभाग में हुई अनियमितताओं के पुराने दस्तावेज खंगाल रही है। 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने इन विभागों में घोटाले का आरोप लगाकर एक रिपोर्ट जारी की थी। तब भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री किरीट सोमैया भ्रष्टाचार उजागर समिति के संयोजक के रूप में बसपा सरकार के कारनामों का कच्चा चिट्ठा खोल रहे थे। उन्होंने मायावती के 100 महाघोटालों की एक रिपोर्ट भी जारी की थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि 15 वर्षो में भ्रष्टाचार के एक-एक बिंदु की जांच होगी और कोई भी दोषी बचेगा नहीं।
योगी आदित्यनाथ सरकार बसपा-सपा की सरकार में की गई गड़बडिय़ों की छानबीन में जुट गई है। आज कैबिनेट की चौथी बैठक में भू-माफिया को जड़ से उखाड़ फेंकने का फैसला लिया गया। इसके लिए भू-माफिया रोधी टास्क फोर्स गठित की जाएगी। सार्वजनिक स्थानों पर किसी हाल में धर्म के नाम पर कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। ऐसे सभी जमीन हथियाने वाले लोग दो माह में चिह्नित कर लिए जाएंगे। समझा जाता है कि 15 वर्षो की गड़बड़ियां चिह्नित करने के लिए दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश से गुंडाराज और भ्रष्टाचार के कलंक को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था।
अब सरकार बनने पर भाजपा सरकार ने सपा सरकार में गोमती रिवर फ्रंट, आगरा एक्सप्रेस-वे, जेपी सेंटर निर्माण तथा मायाकाल में चीनी मिल बिकने की जांच के आदेश दिए हैं। गोमती रिवर फ्रंट की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर 45 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है। समाजवादी पेंशन की गड़बड़ियों की भी जांच के आदेश हैं। यहीं नहीं बसपा शासनकाल में स्मारक को सपा ने सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। तब सपा के लोग कहते थे कि सत्ता में आने के बाद स्मारक घोटाले के दोषियों को जेल भेजा जाएगा।
सपा सरकार ने स्मारक घोटाला और लैकफेड घोटाले की जांच शुरू कराई। लैकफेड घोटाले में तो बसपा सरकार के चार मंत्री चंद्रदेव राम यादव, रंगनाथ मिश्र, बादशाह सिंह और बाबू सिंह कुशवाहा पर शिकंजा जरूर कसा लेकिन, अदालत में किसी पर आरोप साबित नहीं हो सका। स्मारक घोटाले की फाइल दब गई। जनवरी 2014 में सतर्कता अधिष्ठान ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 अफसरों और अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर करीब 15 अरब रुपये के स्मारक घोटाले की जांच शुरू की थी। यह जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। हालांकि भाजपा की सरकार बनने के बाद सतर्कता अधिष्ठान ने फाइलों की जमी धूल झाड़ ली है और गुनहगारों के खिलाफ साक्ष्यों और गवाहों को सहेजा जाने लगा है।

योगी का फैसला, गरीब मुस्लिम लड़कियों का निकाह करायेगी यूपी सरकार

लखनऊ।
मंगलवार रात अल्पसंख्यक कल्याण, महिला कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभागों के प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने ये निर्देश दिए। उन्होंने गरीब मुस्लिम लड़कियों के सामूहिक विवाह राज्य सरकार की ओर से करवाए जाने के भी निर्देश दिए।
योगी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का प्रस्तुतीकरण के दौरान निर्देश दिया कि मदरसों के पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाया जाए। इसमें इतिहास, भूगोल, विज्ञान, गठित, अंग्रेजी आदि की शिक्षा को भी शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि मदरसों में व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास के पाठ्यक्रम को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए प्रत्येक जिले में कम्युनिटी सेण्टर के लिए भूमि की व्यवस्था की जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि हज यात्रियों के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं और उनकी समस्याओं का समाधान तत्परता से किया जाए।
महिला एवं बाल विकास विभाग प्रस्तुतीकरण के दौरान श्री योगी ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। लोक कल्याण पत्र 2017 के अन्तर्गत भाग्य लक्ष्मी योजना को लागू करने के लिए उन्होंने वृहत प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने का निर्देश अधिकारियों को दिया। इस योजना के तहत प्रदेश के हर गरीब परिवार में बेटी के जन्म पर 50,000 रुपये का विकास बाण्ड दिया जाएगा। बेटी के कक्षा 6 में पहुंचने पर तीन हजार रुपये,कक्षा 8 में पहुंचने पर पांच हजार रुपये, कक्षा 10 में पहुंचने पर सात हजार रुपये, कक्षा 12 में पहुंचने पर आठ हजार रुपये दिये जाएंगे। बेटी के 21 वर्ष की होने पर 2 लाख रुपये दिये जाएंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि लाभार्थियों की पात्रता को भली प्रकार सुनिश्चित करके ही योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। यह प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि कोई भी पात्र व्यक्ति योजना के लाभ से वंचित भी न हो। आधार कार्ड से सम्बद्ध करके लाभार्थियों की सत्यता सुनिश्चित की जाए। लाभार्थियों को धनराशि का भुगतान उनके बैंक खाते में ही किया जाए।
यह निर्देश भी दिये कि प्रदेश के विधानमण्डल द्वारा विगत 20-25 वर्षों में पारित कानूनों के सम्बन्ध में नियमावलियां बनाकर लागू की गयीं या नहीं, इसका अध्ययन करा लिया जाए। साथ ही, ऐसे कानून जो वर्तमान स्थितियों में अनुपयोगी हो गये हैं, को समाप्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाए। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कारों की तारीफ की और निर्देश दिया कि रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष के तहत विधवा और ऐसी महिलाओं जिनके पति शराबी हैं और उनका कोई अन्य आय का स्रोत भी नहीं है, की सहायता के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने बाल संरक्षण योजना तथा महिला शरणालयों में मिल रहे भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने सभी विधवा महिलाओं को निराश्रित महिला पेंशन योजना के अन्तर्गत लाने का निर्देश देते हुए कहा कि प्रारम्भिक चरण में 500 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराते हुए सहायता बढ़ाने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने पति की मृत्यु के उपरान्त निराश्रित महिलाओं से पुनर्विवाह करने पर दम्पत्ति को दिये जाने वाली पुरस्कार राशि को 11,000 से बढ़ाकर 51,000 करने, दहेज पीड़ित महिलाओं को प्रति माह 125 रुपये की आर्थिक सहायता राशि को बढ़ाकर प्रथम चरण में 500 रुपये करने तथा दहेज पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता के रूप में एकमुश्त मिलने वाली 2500 रुपये की सहायता धनराशि को बढ़ाकर 10,000 रुपये करने के निर्देश दिये।