हरिद्वार जिले में धर्मस्थल हटाने की कार्रवाई ने लिया राजनीतिक रंग

हरिद्वार जिले में सरकारी भूमि पर बनाए गए धर्मस्थलों को कोर्ट के आदेश पर हटाने के अभियान का विरोध दिल्ली और लखनऊ तक पहुंच गया है। मंगलवार शाम यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की ओर से इस मुद्दे पर ट्वीट किए जाने के बाद मामला और गरमा गया। दूसरी ओर, झबरेड़ा से भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल भी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि एक भी मंदिर को तोड़ने नहीं दिया जाएगा।
जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार को जिलेभर में सरकारी जमीन पर बनाए गए धर्मस्थलों को हटवाने की मुहिम चलाई थी। इस दौरान लक्सर, लंढौरा, खानपुर और पथरी क्षेत्र सहित कई स्थानों से धर्मस्थल हटाए गए थे, लेकिन कई स्थानों पर विधायकों के नेतृत्व में जनता की ओर से विरोध किए जाने पर प्रशासन को बैरंग लौटना पड़ा था। ऐसे कई मामलों को लेकर गतिरोध बरकरार है।
मंगलवार दोपहर यह मामला उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया जब बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट कर हरिद्वार के बादशाहपुर क्षेत्र स्थित संत रविदास मंदिर हटाने के फैसले गलत बताया। उन्होंने कहा कि बसपा ऐसे निर्णय की निंदा करती है। सरकार को इसका समाधान निकालना चाहिए। मायावती के ट्वीट के बाद बसपा के स्थानीय नेता भी सक्रिय हो गए।
प्रदेश अध्यक्ष नरेश गौतम ने कहा कि प्रशासन का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है। आस्था के केंद्रों को तोड़ने नहीं दिया जाएगा। इस बारे में बसपा का एक प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिलेगा। प्रशासन के सामने कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की बाध्यता है तो कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए। प्रदेश उपाध्यक्ष मो. शहजाद ने कहा कि कोई भी धर्मस्थल तोड़ा जाना उचित नहीं है। आपसी विचार विमर्श के आधार पर समस्या का कोई समाधान निकाला जाना चाहिए।
दूसरी ओर, भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल भी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली कूच कर गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, राष्ट्रीय सह महामंत्री शिव प्रकाश सहित कई नेताओं को पत्र लिखकर धर्मस्थल तोड़े जाने के निर्णय पर सवाल उठाया है।

दो वर्षों में राज्यपाल ने राज्य के हर व्यक्ति तक संपर्क साधने की कोशिश की

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखण्ड राज्य की 7वीं राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। 26 अगस्त, 2020 को राज्यपाल के कार्यकाल का द्वितीय वर्ष पूर्ण हो रहा है। राज्यपाल पद पर शपथ ग्रहण करने के उपरांत राज्यपाल ने कहा था कि संविधान की मर्यादा का निर्वहन करते हुए वे अपने कत्र्तव्यों का पालन करेंगी। बालिका शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, गरीब और वंचितों का कल्याण यह उनकी प्राथमिकताओं में सम्मिलित हैं।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री जी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित ‘जल जीवन मिशन-हर घर जल’ भी राज्यपाल की शीर्ष प्राथमिकता है। वे ‘जल जीवन मिशन’ हेतु गठित राज्यपाल समूह की सदस्य भी हैं और गत वर्ष राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में उन्होंने इस पर एक प्रस्तुतीकरण भी दिया था। उत्तराखण्ड के भी कई जनपद जल संकट की दृष्टि से संवेदनशील हैं इसलिये राज्यपाल ने इस मिशन को बहुत गंभीरता से लिया है। राज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर अपने संवैधानिक दायित्वों का गरिमापूर्वक निर्वहन करते हुए राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने अपने लम्बे प्रशासनिक तथा सार्वजनिक जीवन के अनुभव का लाभ राज्य की प्रगति व विकास में दिया है।
गत दो वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने महिला सशक्तिकरण, बच्चों के कल्याण, महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन, पर्यावरण संरक्षण, महिलाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा देने, जैविक खेती को प्रोत्साहित करने, नशे के विरूद्ध युवाओं को जागरूक करने पर विशेष बल दिया।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने पिछले दो वर्षों में प्रदेश के सभी जनपदों का व्यापक भ्रमण किया है। जनपद भ्रमण के दौरान उन्होंने सदैव वहाँ की महिलाओं और ग्रामीणों से भेंट की है। महिला स्वयं सहायता समूहों का उत्साह बढ़ाया है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य का दृढ़ विचार है कि महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा प्रदेश में महिलाओं की आर्थिकी को सुधारा जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 के अवसर पर श्रीमती मौर्य ने राज्यभर के श्रेष्ठ महिला स्वयं सहायता समूहों को सम्मानित किया।
राजभवन में अतिथियों को भेंट करने हेतु या राजभवन के उपयोगार्थ वस्तुओं को भी प्राथमिकता के आधार पर महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा ही लेने का निर्णय लिया गया।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने अगस्त 2019 में राजभवन में ’‘महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण’’ पर एक कार्यशाला आयोजित की जिसमें राज्य की विभिन्न आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस, पी.सी.एस, सचिवालय सेवा पुलिस एवं अन्य सेवाओं की महिला अधिकारी सम्मिलित थीं। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य न सिर्फ महिला अधिकारियों का उत्साहवर्द्धन था बल्कि उन्हें महिलाओं के प्रति उनके कत्र्तव्यों हेतु जागरूक, संवेदनशील और प्रेरित करना भी था।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने समय-समय पर विभिन्न मंचों से ड्रग्स के विरुद्ध भी आवाज उठाई है। उन्होंने स्कूली विद्यार्थियों और प्रधानाचार्यों की नैनीताल में एक बैठक ली। राजभवन देहरादून में अगस्त 2019 में एक ‘एण्टी ड्रग्स’ कार्यशाला का आयोजन भी किया जिसमें पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
महिला एवं बाल विकास कार्यक्रमों के प्रति राज्यपाल श्रीमती मौर्य की संवेदनशीलता उनके प्रत्येक कार्यक्रम में दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री कुपोषण उन्मूलन अभियान के प्रोत्साहन हेतु उन्होंने स्वयं एक अति कुपोषित बालिका को गोद लिया है, जिसका पिछले 10 महीनों में नियमित राजभवन एवं दून अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों के कार्यक्रम में बालिकाओं के लिए अलग से शौचालय बनाने हेतु निर्देश दिये। कोविड-19 के लाॅकडाउन में विभिन्न गावों और कन्टेनमेण्ट जोन में बालिकाओं और महिलाओं के लिए 2000 से अधिक सैनेटरी पैड वितरित करवाये।
प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल श्रीमती मौर्य का राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने तथा विश्वविद्यालयों को नीति-निर्माण में सहायक बनाने पर विशेष बल है। राज्यपाल ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की है कि वे मौलिक शोध तथा अध्ययन को बढ़ावा दें। राज्यपाल श्रीमती मौर्य का मानना है कि विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों का असर ‘लैब’ से निकल कर ’लैण्ड’ तक पहुँचे। राज्य के पंतनगर और भरसार कृषि एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालयों को किसानों की आय दो गुनी करने, जैविक कृषि को बढ़ावा देने, फल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया है।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य प्रत्येक तीन-चार माह में एक बार कुलपतियों की बैठक आयोजित कर अपने विचार साझा करती हैं। कोरोना लाॅकडाउन में भी उन्होंने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से कुलपतियों से नियमित वार्तालाप किया और आॅनलाइन शिक्षा, सामुदायिक सेवा, परीक्षाओं के आयोजन आदि के संबंध में उनको निर्देश दिये।

5100 दिये जलाकर मनाया गया दीपोत्सव, सीएम त्रिवेन्द्र बोले जन समर्थन से सपना हुआ साकार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या में किये गये राम मन्दिर शिलान्यास को भविष्य के भारत के प्रति प्रधानमंत्री की स्पष्ट सोच को प्रदर्शित करता है। उन्होंने इसे सबका साथ सबका विश्वास का भी मंत्र बताया है।

बुधवार को राम मन्दिर शिलान्यास के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री आवास में अपनी पुत्री श्रृजा के साथ दीपोत्सव कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 21 वीं सदी में इस भूमि पर प्रधानमंत्री द्वारा किये गये राम मन्दिर के शिलाल्यास से यह संदेश भी गया है कि भविष्य के भारत के प्रति प्रधानमंत्री की सोच क्या है। उन्होंने कहा कि आज देश का बहुप्रतीक्षित सपना पूरा हुआ है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली दृढ़ इच्छा शक्ति वाली सरकार तथा जन समर्थन से यह सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज देश व प्रदेश में दीपावली जैसा माहौल है, उन्होंने सबको साथ लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प भी दोहराया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि माता सीता का उत्तराखण्ड से भी सम्बंध रहा है। पौड़ी जनपद के सितोलस्यूँ पट्टी में फलस्वाड़ी के सीतासैण के पास विदाकोटी स्थान पर माता सीता ने भूसमाधि ली थी उसके पास ही ऋषि वाल्मीकि का उत्तराखण्ड का अकेला मन्दिर है जो माता सीता के मन्दिर की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि यहां पर मेला भी आयोजित होता है। इस स्थान पर माता सीता का भव्य मन्दिर बनाकर उसे पहचान दिये जाने की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मन्दिर के शिलान्यास से राम जन्म भूमि आन्दोलन के साक्षी रहे लोगों को असीम सुख की प्राप्ति हुई है तथा इस आन्दोलन में अपना जीवन उत्सर्ग करने वालों की आत्मा को निश्चित रूप से शांति मिली होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए जब 1989 में आन्दोलन चल रहा था, तब वे मेरठ में थे। भेष बदलकर हमने इस आन्दोलन में भाग लिया था। हमारे साथ हजारों लोगों ने इस आन्दोलन में भाग लिया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वे परिस्थितियां सामान्य होते ही अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे।

डीजीपी ने यूपी से लगती सीमाओं में सख्ती बरतने के दिए निर्देश

(एनएन सर्विस)
यूपी कानपुर के कुख्यात विकास दुबे और उसके गिरोह के उत्तराखंड पहुंचने की आशंका से हड़ंकप मचा हुआ है। राज्य की पुलिस ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद है। इसके तहत उत्तर प्रदेश से सटी सीमाओं पर पुलिस टीम को सघन चेकिंग करने के निर्देश जारी किये गये है। सूत्रों ने बताया कि आला अधिकारी उत्तर प्रदेश की पुलिस से विकास और उसके गिरोह के सदस्यों के मूवमेंट पर पल-पल का इनपुट ले रहे हैं। इसके साथ ही डीजीपी अनिल के रतूड़ी ने एडीजी इंटेलीजेंस को भी स्थिति पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिये है।
बता दें कि कानपुर में दबिश के दौरान डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद उत्तराखंड पुलिस ने भी ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए गंभीरता से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। वहीं, सोमवार को डीजीपी अनिल के रतूड़ी और पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने एडीजी इंटेलीजेंस पी. विनय कुमार के साथ उत्तर प्रदेश के इस प्रकरण पर चर्चा की।
डीजीपी अनिल के रतूड़ी ने कहा कि प्रदेश में भी शातिर अपराधियों की धरपकड़ के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार होनी चाहिए। दबिश के लिए जाने वाली टीम इसके लिए अच्छी तरह प्रशिक्षित हो। साथ ही जिस व्यक्ति को पकड़ने के लिए दबिश दी जा रही है, उसकी पूरा विवरण और मूवमेंट की जानकारी हो। पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि कानपुर घटना के बाद उत्तर प्रदेश से लगती राज्य की सीमाओं पर चैकसी बढ़ा दी गई है। उत्तर प्रदेश और दिल्ली की ओर से जितने भी वाहन और लोग आ रहे हैं, उनकी सघन चेकिंग की जा रही है।

राज्यपाल की ममता से दिव्यांग को मिला सहारा

(एनएन सर्विस)
सही समय पर किसी को दी जाने वाली सहायता उसके जीवन में आमूल चूल परिवर्तन ला सकती है। इसका एक उदाहरण देवरी रोड आगरा के निवासी जितेंद्र कुमार है, जो एक दुर्घटना में दोनो पैर खो चुके थे। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राज्यपाल बनने के पहले वर्ष 2018 में जितेंद्र को एक ट्राई साइकल भेंट की थी। कुछ माह बाद उनके प्रयासों से जितेंद्र को कृत्रिम पैर भी मिल गए। अपनी दिव्यंगता से हार न मानते हुए जितेंद्र ने एक नया जीवन प्रारम्भ किया और ई रिक्शा के माध्यम से अपना रोजगार शुरू किया। लॉकडाउन में भी जितेंद्र ने हार नहीं मानी।
लॉकडाउन के उपरांत जितेंद्र ने फिर से ई रिक्शा चलाना शुरू कर दिया है। अपने आगरा प्रवास पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने जितेंद्र की कुशल क्षेम पूछी और उनको सम्मानित भी किया। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में जब समाज का हर वर्ग परेशान है, ऐसे में दिव्यांगों के समक्ष भी चुनौतियाँ है। जितेंद्र ने अपने साहस और धैर्य से यह दिखा दिया है कि दिव्यांग भी किसी से कम नहीं हैं, बस उन्हें सही समय पर सही मदद मिल जाय। दिव्यांग भी आत्मनिर्भर हो सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि दिव्यांगता शारीरिक अथवा मानसिक हो सकती है किन्तु सबसे बड़ी दिव्यांगता समाज की उस सोच में होती है जो दिव्यांग जनों के प्रति हीन भाव रखती है।
अब दिव्यांग लोगों के प्रति अपनी सोच को बदलने का समय आ गया है। दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में तभी शामिल किया जा सकता है जब समाज इन्हें अपना हिस्सा समझें। दिव्यांग को किसी बहुत बड़ी मदद की जरूरत नहीं होती बल्कि थोड़ी मदद और प्रोत्साहन से वो अपना मार्ग खुद बनाने में सक्षम हैं। हाल के वर्षों में दिव्यांगो के कल्याण के प्रति प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कई योजनाएँ लागू की है। राज्यपाल ने कहा कि जितेंद्र के उदाहरण ने दिव्यांगों के कल्याण के प्रति उनकी संकल्प शक्ति को और मजबूती दी है । उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वे उत्तराखंड में दिव्यांग और अशक्तजनों के कल्याण और पुनर्वास की योजनाओं की भी समीक्षा करेंगी।
राज्यपाल ने दिव्यांगजनो का भी आह्वान किया है कि वे समाज की मुख्यधारा का अभिन्न अंग हैं और किसी भी स्थिति में अपने को किसी से कम न समझें।

राहतः इस वर्ष नही होगी कांवड़ यात्रा, कोविड-19 के तहत लिया गया निर्णय

(एनएन सर्विस)
कोविड-19 महामारी के खतरे को देखते हुए इस साल कांवड़ यात्रा का आयोजन नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संदर्भ में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से चर्चा की। वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये हुई इस चर्चा में तीनों मुख्यमंत्री ने जनहित को देखते हुए इस वर्ष कांवड़ यात्रा स्थगित रखने पर सहमती जताई है। बता दें कि तीनों प्रदेशों के धर्मगुरुओं और कांवड़ संघों ने भी अपनी सरकारों को यात्रा स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था।
आपको बता दें कि हर साल श्रावण में होने वाली कांवड़ यात्रा में लाखों शिवभक्त शामिल होते हैं। सभी हरिद्वार से जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए अपने यहां शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी अमले को कानून-व्यवस्था, यातायात व अन्य इंतजामों में लगाना पड़ता है। कांवड़ियों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आती है। इसके चलते तीनों राज्यों ने इस बारे में चर्चा करने का फैसला किया था। बैठक के दौरान तीनों राज्यों के अधिकारियों ने कांवड़ियों की भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग को असंभव बताते हुए संक्रमण फैलने की आशंका जताई थी।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यात्रा में पंजाब, राजस्थान और दिल्ली से आने वाले श्रद्धालुओं के चलते वहां के मुख्यमंत्रियों से भी जल्द ही वार्ता करने का निर्णय लिया है। इन राज्यों को भी कोविड-19 के चलते यात्रा संचालन में आने वाली दिक्कतें बताई जाएंगी। साथ ही इस बार यात्रा संचालित नहीं करने की स्थितियों की जानकारी भी दी जाएगी।

ऋषिकेश पुलिस ने कोरोना से मृत महिला का कराया दाह संस्कार

राज्य में कोरोना से शुक्रवार की देर रात हुई दूसरी मौत के बाद शनिवार शाम मृतका का अंतिम संस्कार पुलिस ने कराया। मृतका की चिता को मुखाग्नि उनके पति ने दी। कोरोना वायरस (पॉजिटिव) एवं कैंसर से पीड़ित महिला की मृत्यु के पश्चात, पुलिस व प्रशासन द्वारा सुरक्षा के समस्त उपाय व पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार कराया गया।

शनिवार को कोतवाली पुलिस व प्रशासन के द्वारा करोना संक्रमण से बचाव करते हुए उत्त मृतक महिला का अंतिम संस्कार चंद्रेश्वर नगर स्थित मुक्तिधाम में कराया गया। इसके बाद अंतिम संस्कार के पूरे स्थान को सैनिटाइज करवाया गया।

योगी आदित्यनाथ के पिता पंचतत्व में विलीन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता स्व. आनंद सिंह बिष्ट मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हुए। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, योग गुरु बाबा रामदेव, स्वामी चिदांनद सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने उनके अंतिम दर्शन किए। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पिता के पार्थिव शरीर को सबसे बड़े पुत्र मानवेन्द्र सिंह बिष्ट ने मुखाग्नि दी। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिग का पूरा ख्याल रखा गया।
मंगलवार सुबह ठीक नौ बजे पंचूर गांव से स्व. आनंद सिंह बिष्ट का पार्थिव शरीर एंबुलेंस के जरिए फुलचट्टी पहुंचा। एंबुलेंस से पिता के पार्थिव शरीर को सबसे बड़े पुत्र मानवेन्द्र सिंह, तीसरे नंबर के पुत्र शैलेन्द्र मोहन, चैथे नंबर के पुत्र महेन्द्र सिंह और परिवार के अन्य सदस्य लेकर गंगा घाट पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा मंत्री धन सघ्ंिह रावत, बदरीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट, संगठन मंत्री अजेय, यूपी के एडिशनल रेजीडेंट कमिश्नर सौम्य श्रीवास्तव, यूपी सीएम के ओएसडी राजभूषण सिंह रावत, मुख्य व्यवस्था अधिकारी यूपी राजीव तिवारी, योग गुरु बाबा रामदेव, स्वामी चिदानंद सरस्वती आदि ने पार्थिव शरीर को पुष्पचक्र अर्पित व शॉल चढ़ाकर श्रद्घांजलि दी। इसके बाद शोक शस्त्र सलामी दी गई। साथ ही दो मिनट का मौन भी रखा गया।

पार्थिव शरीर को गंगा स्नान कर हिंदू रीति रिवाज से दाह संस्कार की प्रक्रिया अपनाई गई। स्व. आनंद सिंह बिष्ट के सबसे बड़े पुत्र मानवेन्द्र सिंह बिष्ट ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान योग गुरु बाबा रामदेव वैदिक मंत्रो का उच्चारण करते रहे। इस मौके पर पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, यूपी की गोविंदनगर विधानसभा के विधायक सुरेन्द्र मैथानी, गन्ना एवं चीनी उद्योग बोर्ड के अध्यक्ष भगतराम कोठारी, एसएसपी पौड़ी दिलीप सिंह कुंवर, एडिशनल एसपी पौड़ी प्रदीप कुमार रॉय, एसडीएम यमकेश्वर श्याम सिंह राणा, पुलिस उपाधीक्षक संचार अनूप काला, सीओ सदर वंदना वर्मा, सीओ कोटद्वार अनिल जोशी, कोतवाल पौड़ी मनोज असवाल, थानाध्यक्ष लक्ष्मणझूला राकेन्द्र सिंह कठैत आदि उपस्थित रहे।

बालिकाओं की शिक्षा पर था जोरः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्व. आनंद सिंह रावत जीवन के अंतिम समय में पूरी तरह से संतुष्ट थे। उन्होंने डेढ़ माह पूर्व यह बात मुझसे कही थी। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर जोर देते हुए एक प्राइवेट महाविद्यालय की स्थापना की। योगी आदित्यनाथ जैसे पुत्र को जन्म देने वाले स्व. आनंद सिंह ने सामाजिक जीवन जिया। आज पिता के गुण को आत्मसात करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार, गुंदागर्दी, माफियाराज रोकने में कामयाब हुए है। योगी सन्यासी होते हुए न सिर्फ राज्य चला रहे है बल्कि सनातम धर्म की पताका को भी फैला रहे है।

घाट में प्रवेश को लेकर पुलिस रही सतर्क
कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी को देखते हुए फुलचट्टी स्थित गंगा घाट पर पौड़ी प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए। पुलिस कर्मियों ने घाट में प्रवेश करने वाले प्रत्येक सदस्य को सैनिटाइजर से हाथ धुलवाए। इसके अलावा पार्थिव शरीर को श्रद्वांजलि देने के बाद सभी को सैनिटाइज भी किया गया। साथ ही पार्थिव शरीर को मुखाग्नि के दौरान भी सोशल डिस्टेंस का पालन हुआ। मुख्य घाट पर सिर्फ 20 सदस्यों को ही जाने की अनुमति दी गई। इस दौरान मीडिया कर्मियों को दूर से ही कवरेज करने को कहा गया।

42 के बजाए बस में बैठे थे 148 यात्री, हुई सीज

देहरादून से लखीमपुर जा रही उत्तर प्रदेश नंबर की एक प्राइवेट बस को डग्गामारी करने पर सीज किया गया है। सीज की कार्रवाई परिवहन विभाग व निगम की टीम ने की। बस में 42 सीटर में पास थी, जबकि उसमें 148 यात्री सवार थे।

परिवहन निगम के सहायक महाप्रबंधक पीके भारती ने बताया कि शासन के निर्देशा पर परिवहन निगम व विभाग की ओर से नेपाली फार्म पर संयुक्त अभियान चलाया गया। इस दौरान शाम सात बजे उत्तर प्रदेश नंबर यूपी15डीटी-9920 की एक बस आती दिखाई दी। विभागीय अधिकारियों ने बस को रुकने का इशारा किया तो बस चालक ने बस की स्पीड बढ़ा दी।

इस पर रायवाला पुलिस को सूचना देकर बैरियर लगवाए गए। साथ ही अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। पुलिस की मदद से बस को रोका गया। बताया कि बस की चेकिंग करने पर उसमें 148 यात्री पाए गए, जबकि बस 42 सीटर है।

बस चालक से कागजात मांगने पर वह उपलब्ध नहीं करा पाया। उन्होंने बताया कि चालक बस का परमिट, लाइसेंस और टैक्स के कागजात भी उपलब्ध नहीं करा पाया। इस बस को सीज कर दिया गया।

शरजील पीएफआई के संपर्क में था, फंडिंग की जांच में जुटी पुलिस

देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू के स्कॉलर शरजील इमाम से पूछताछ में पुलिस को चैंकाने वाली जानकारियां मिल रही हैं। पता चला है कि शरजील पीएफआई के नौ लोगों के संपर्क में था। इनसे उसकी लगातार बातचीत होती थी। ये सभी व्हाट्स ऐप ग्रुप ‘मुस्लिम स्टूडेंट ऑफ जेएनयू’ और ‘मुस्लिम स्टूडेंट ऑफ जामिया’ से जुड़े थे।
वहीं, शरजील के मोबाइल की जांच के बाद पुलिस ने जामिया और अलीगढ़ विश्वविद्यालय के 15 छात्रों की पहचान की है। ये शरजील के संपर्क में थे। पुलिस ने इनको पूछताछ के लिए नोटिस दिया है। शरजील का रिमांड सोमवार को खत्म होने के बाद उसे साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के घर पेश किया गया। वहां उसका रिमांड तीन दिन और बढ़ा दिया गया है। हालांकि पुलिस को उसके किसी आतंकी संगठन से जुड़े होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शरजील के लैपटॉप और डेस्कटॉप की जांच के दौरान पता चला है कि शरजील ने जामिया हिंसा से पूर्व उर्दू और अंग्रेजी में कुछ भड़काऊ पोस्टर बनाए थे। इनको उसने विभिन्न व्हाट्स ऐप ग्रुप पर पोस्ट किया था। दूसरी ओर, उसके बैंक खातों की जांच के दौरान किसी बाहरी फंडिंग की अभी जानकारी नहीं मिली है।
पुलिस खातों की डिटेल की जांच कर रही है। पुलिस ने शरजील के मोबाइल का डिलीट डाटा भी बरामद कर लिया है। मोबाइल से मिले कई वीडियो में शरजील भड़काऊ भाषण देता दिखा है। शरजील को भड़काऊ बातें बोलने में महारथ हासिल है। उसने अपनी बातचीत के जरिये पुलिस को भी गुमराह करने की कोशिश की थी।
मोबाइल से मिले वीडियो में शरजील लोगों से सीएए और एनआरसी के खिलाफ लामबंद होने के लिए कह रहा है। जामिया मिल्लिया और शाहीन बाग में प्रदर्शन शुरू होने के बाद वह देश के दूसरे शहरों में भी इसी तरह के प्रदर्शन खड़े करने की कोशिश कर रहा था।