धामी के नेतृत्व का करिश्मा, देशभर में बज रहा उत्तराखंड का डंका

उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्त में उत्तराखंड विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले 2 दिनों में मिले 3 राष्ट्रीय पुरस्कारों ने यह बताने का काम किया है कि राज्य का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में है जो उत्तराखंड को 2025 में देश का अग्रणी राज्य बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है। इन दो दिनों में उत्तराखण्ड को भारत सरकार से तीन क्षेत्र में पुरस्कार मिले है। 16 सितम्बर 1975 को पिथौरागढ़ में जन्मे पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनकी अगुवाई में किसी पार्टी की लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी हुई। पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड को वर्ष 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने के विकल्प रहित संकल्प पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं। स्वयं धामी का मानना है कि देवभूमि को सर्वाेच्च शिखर पर पहुंचाने की यह यात्रा उनकी अकेली नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है।

पहला- ’फिल्म पुरस्कार’
भारत के राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा उत्तराखण्ड को 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के अन्तर्गत Most Film Friendly State (Special Mention) पुरस्कार प्रदान किया गया। राज्य सरकार की ओर से यह पुरस्कार महानिदेशक, सूचना एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद बंशीधर तिवारी द्वारा प्राप्त किया गया है।

दूसरा- ’रक्तदान पर पुरस्कार’
देशभर में आयोजित रक्तदान अमृत महोत्सव में उत्तराखंड को रक्तदाता कलेक्शन में दूसरा स्थान हासिल हुआ है। इस उपलब्धि पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर दिल्ली में एम्स सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया द्वारा उत्तराखंड के प्रभारी सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा डॉ आर राजेश कुमार को सम्मानित किया गया।

तीसरा- स्वच्छता पुरस्कार
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में 100 से कम निकाय वाले राज्यों में उत्तराखंड का स्थान टॉप 3 में आने पर शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल को राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया। बता दे कि उत्तराखंड के 5 शहरों (हरिद्वार, लंढोर कैंट, डोईवाला, नरेंद्रनगर और रामनगर) का भी चयन स्वच्छ भारत मिशन में होने पर सम्मानित किया गया।

विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा उत्तराखंड
मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर बहुत सी जिम्मेदारियां आ गईं, जिनको बखूबी निभाते हुए उन्होंने जनता का दिल जीत लिया। महज छह माह के कार्यकाल में धामी अपने जनहित के फैसलों से लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गए। धामी की काबीलियत पर विश्वास करते हुए भाजपा हाईकमान ने उन्हें वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया। मृदुभाषी, ईमानदार और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व से धामी ने भाजपा नेतृत्व के भरोसे पर खरे उतरे। चुनाव के अप्रत्याशित परिणाम आये और भाजपा प्रचण्ड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में लौट आाई। इस जीत के साथ ही धामी ने तमाम सियासी मिथक तोड़ डाले। उसी का परिणाम था कि खटीमा विधानसभा से हार के बाद भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनको दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। संवैधानिक बाध्यता के चलते धामी को चंपावत सीट से विधानसभा का उपचुनाव लड़ना पड़ा। वहां की जनता ने अपने युवा मुख्यमंत्री के लिए रेड कार्पेट बीच दिया। मतदान के दिन इस चमकते हुए सितारे के पक्ष में वोटों की बरसात कर दी। धामी ने पड़े वोटों के 94 फीसद मत हासिल कर देश में अबतक की सबसे बड़ी जीत अपने नाम कर ली।

मुख्यमंत्री धामी ने अब तक के अपने अल्प कार्यकाल में ताबड़तोड़ बड़े फैसले ले चुके हैं, जिनमें 10 वीं से स्नात्तक के छात्रों को टेबलेट, नौंवी से 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताबें, उत्तराखंड देव स्थानम बोर्ड को भंग करने, गेस्ट टीचरों, शिक्षा मित्रों व इंटर्न डाक्टरों का मानदेय बढाने के साथ ही सैन्य धाम, भ्रष्टाचार मुक्त ऐप-1064, सीएम वात्सलय योजना, महालक्ष्मी योजना, वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी, गरीब परिवारों को तीन मुफ्त सिलेंडर, बेहतर हवाई कनेक्टिविटी, कोरोना काल के दौरान विभिन क्षेत्रों को प्रोत्साहन राशि प्रदान करना, प्रदेश स्तर के विभिन्न पुरस्कारों में धन राशि की बढ़ोतरी, स्वरोजगार कैंपो के माध्यम से प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित करना आदि प्रमुख फैसले हैं।

इसके अलावा, प्रदेश में भ्रष्टाचार और नकल माफियाओं के खिलाफ भी मुख्यमंत्री ने फैसले लेते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की व प्रदेश में लंबे समय से चली आ रही समान नागरिक संहिता और भू-कानून की मांग को प्रदेश हित में लागू करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता दिखाई। आत्मविश्वास से लबरेज धामी अपने विकल्प रहित संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना ही उनका एकमात्र लक्ष्य है। वो जानते हैं कि जनसहभागिता से ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हर हाल में उन्हें देवतुल्य जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को पूर्ण करना है। जनता को सुशासन और पारदर्शी प्रशासन मिले इसके लिए उन्होंने नौकरशाहों को सरलीकरण, समाधान, निस्तारीकरण और सन्तुष्टि का मंत्र दिया है।

संदेश साफ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास सूत्रवाक्य को आत्मसात कर राज्य के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास पहुंचाना है। प्रदेश में सुदृढ़ वित्तीय अनुशासन एवं राजकोषीय प्रबंधन के लिए उन्होंने ठोस प्रयास शुरू कर दिए हैं। जरूरतमंदों की सेवा के साथ ही प्रदेश समृद्धि की ओर अग्रसर है। पर्यटन क्षेत्र में तीव्र विकास से समृद्ध उत्तराखण्ड का सपना संजोया गया है, जिसका रोडमैप तैयार है। शिक्षा को गुणवत्तापरक और कौशल विकास को रोजगारपरक बनाने की पहल शुरू हो चुकी है। निर्बल वर्गों का सशक्तीकरण करते हुए उनमें सामाजिक सुरक्षा का भाव जागृत किया जा रहा है। इतना ही नहीं स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता उत्तराखण्ड की नींव रखी जा चुकी है। सधे और संतुलित कदमों के साथ धामी निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं।