भगवान जगन्नाथ के जयकारों से गूंज उठी ऋषिनगरी

रथ में विराजे भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदेव के दर्शन कर पुण्य के भागी बने श्रद्धालु

ऋषिकेश।
मधुबन आश्रम की ओर से आयोजित भगवान जगन्नाथ यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। रथ में भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलदेव और बहन सुभद्रा भी विराजमान थे। श्रद्धालुओं ने जहां उनके दर्शन किए, वहीं रथ खींचकर पुण्य का लाभ कमाया। इस दौरान भगवान जगन्नाथ के जयकारों ने ऋषिनगरी गूंज उठी।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर रविवार कैलाशगेट स्थित मधुबन आश्रम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी। सबसे पहले सुबह नौ बजे श्री प्रभुपाद रथ में विराजमान हुए। 48 फुट ऊंचे रथ को बेहद आकर्षक फूलों से सजाया गया था। सुबह साढ़े नौ बजे मधुबन आश्रम के भक्तियोग स्वामी महाराज ने विशेष झाड़ू लगाकर रथयात्रा का शुभारंभ किया। रथयात्रा कैलाशगेट से शुरू हुई और हरिद्वार मार्ग होते हुए नगर पालिका ऋषिकेश में संपन्न हुई।
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रथयात्रा का विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों ने फूल से स्वागत किया। शोभायात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ की आरती की और भोग भी लगाया। रथयात्रा की डोर खींच रहे श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगा रहे थे।
नगर पालिका ऋषिकेश के प्रांगण में रथयात्रा का समापन हुआ। इस मौके पर नगर पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल, पूर्व विधायक सुबोध उनियाल, जयेन्द्र रमोला, प्रेम केडिया, हर्ष, परमानंद दास, पवन, रामानंद राय दास, डीके वार्ष्णेय, किरन आदि मौजूद थे।
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स्कूल के बच्चे भी शामिल
जगन्नाथ रथयात्रा में स्कूल बच्चे भी शामिल हुए। हालांकि पूर्व के वर्षों की भांति छात्रों की संख्या कम रही, लेकिन रथयात्रा में शामिल छात्रों का उत्साह देखते ही बन रहा था। एनसीसी कैडेट भी रथयात्रा के दौरान व्यवस्था बनाते नजर आए।

खुद को नहीं रोक सके विदेशी
रथयात्रा में श्रद्धालु का उत्साह देखते ही बन रहा था। भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु हरे कृष्ण-हरे कृष्ण की धुन पर नृत्य कर रहे थे। इस दौरान विदेशी पर्यटक भी खुद को नहीं रोक सके। हरे कृष्ण की धूम पर नृत्य करने लगे। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने विदेशियों का स्वागत किया।

रथयात्रा की शोभा कम रही
हर वर्ष जगन्नाथ रथयात्रा में विभिन्न प्रकार की झांकियां रहती हैं, लेकिन इस बार रथयात्रा की शोभा कम रहने से लोगों को मायूसी झेलनी पड़ी। रथयात्रा में दूर-दूराज के लोग भी शिरकत करते हैं। यात्रा का विशेष आकर्षण रथ और झांकियां ही रहती हैं।