अब पिरूल के जंगल नहीं जलेंगे: सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में उत्तराखण्ड सरकार एवं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) के मध्य पिरूल से तारपिन ऑयल और उसके कचरे से बॉयोफ्यूल तैयार करने के लिए सैद्धांतिक सहमति बनी। इसके लिए शीघ्र ही एमओयू किया जायेगा। एमओयू में मुख्य सचिव एस.रामास्वामी एवं निदेशक आईआईपी डॉ.अंजन रे हस्ताक्षर करेंगे। राज्य के आठ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी एवं उत्तरकाशी में पिरूल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किये जायेंगे। पिरूल एकत्रित करने वालों को इंसेटिव भी दिया जायेगा। इसके लिए आधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल किया जायेगा। तारपिन ऑयल एवं बॉयोफ्यूल का औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि यह वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित करने का एक प्रयास है। इससे गर्मियों में पिरूल के जंगलों में वनाग्नि से बचाव होगा। जंगल एवं जीव जन्तुओं का भी संरक्षण होगा। उन्होंने कहा कि प्रारम्भिक चरण में प्रतिदिन 40 टन पाइन निडिल की आवश्यकता पड़ेगी। जिसे पंचायतों एवं गांवों से खरीदा जायेगा। इससे जहां सरकार को राजस्व प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय लोगों को बेहतर रोजगार भी मिलेगा। उद्योगपति महेश मर्चेन्ट ने बताया कि इसके लिये शीशमबाड़ा में प्लान्ट बनाना प्रस्तावित है।