पीएम मोदी के मार्गदर्शन में आपदा के बाद पुनर्निमाण के कार्य अब अंतिम चरण मेंः तीरथ सिहं रावत

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में श्री केदारनाथ उत्थान ट्रस्ट व तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के मध्य श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट स्प्रीचवल टाउन के रूप में विकसित करने को लेकर लगभग 100 करोड़ के कार्यों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। समझौता पत्र पर पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से सचिव तन्नू कपूर व उत्तराखंड की ओर से पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने हस्ताक्षर किए।

सचिवालय में वर्चुअल रूप से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद पुनर्निर्माण के कार्य शुरू हुए थे जो कि अब अपने अंतिम चरणों में हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बदरीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया। यहां आगामी 100 वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास कुल 85 हेक्टेयर भूमि में चरणबद्ध तरीके से कार्य किये जाने हैं। बदरीनाथ धाम में यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।

इसी के साथ यहां पर व्यास गुफा, गणेश गुफा व चरण पादुका आदि का भी पुनर्विकास किया जाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बदरीनाथ धाम के विकास में तेल कंपनियों का योगदान सराहनीय है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का फोकस क्षेत्र में होमस्टे को बढ़ावा देने पर है ताकि श्रद्धालुओं को यहां आने पर सस्ती सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी तीन वर्षों में बदरीनाथ धाम के कायाकल्प के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने बदरीनाथ धाम में किये जा रहे कार्यों के लिए विशेष तौर पर प्रधानमंत्री जी व पेट्रोलियम मंत्री का विशेष आभार जताया।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उत्तराखण्ड के चार धामों का विशेष महत्त्व है। बदरीनाथ धाम के कायाकल्प को लेकर तेल कंपनियां प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बदरीनाथ व केदारनाथ धामों की भांति ही उत्तरकाशी में गंगोत्री व यमनोत्री धामों के लिए भी कुछ कार्य कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ धाम को प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप स्मार्ट स्प्रीचवल टाउन के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां पर अलकनंदा नदी के तटबंध कार्यों के अलावा प्लाजा, जल निकासी, सीवेज, लाइट, सीसीटीवी, पीए सिस्टम, शौचालय, पुल आदि के सौंदर्यीकरण व पुनर्निर्माण के कार्य होने प्रस्तावित हैं।

प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यो के दौरान हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे। प्रथम चरण में यहां पर अस्पताल के विस्तारीकरण का कार्य प्रस्तावित है। इसके अलावा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, तटबंधों में सुदृढ़ीकरण, लैंड सकेपिंग, भीड़ होने पर होल्डिंग एरिया, पुलों की रेट्रोफिटिंग आदि कार्य होने हैं। मौके पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से एक वीडियो भी दिखाया गया जिसमें यहां होने वाले विभिन्न कार्यों के बारे में बताया गया।

नजरियाः अब श्रद्धालु आसानी से जा सकेंगे बदरीनाथ धाम

डोबराचांटी पुल के बाद त्रिवेन्द्र सरकार ने एक और ऐसे प्रोजेक्ट का काम पूरा कर लिया है जो बीते ढाई दशकों (26 वर्ष) से अटका हुआ था। बदरीनाथ धाम की यात्रा में नासूर बने ‘लामबगड़ स्लाइड जोन’ का स्थायी ट्रीटमेंट कर लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की इच्छाशक्ति और सख्ती की बदौलत यह प्रोजेक्ट महज दो वर्ष में ही पूरा हो गया। तकरीबन
500 मीटर लम्बे स्लाइड जोन का ट्रीटमेंट 107 करोड़ की लागत से किया गया। अब बदरीनाथधाम की यात्रा निर्बाध हो सकेगी, जिससे तीर्थयात्रियों को परेशानियों से निजात मिलेगी।

सीमांत जनपद चमोली में 26 साल पहले ऋषिकेश-बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर पाण्डुकेश्वर के पास लामबगड़ में पहाड़ के दरकने से स्लाड जोन बन गया। हल्की सी बारिश में ही पहाड़ से भारी मलवा सड़क पर आ जाने से हर साल बदरीनाथधाम की यात्रा अक्सर बाधित होने लगी। लगभग 500 मीटर लम्बा यह जोन यात्रा के लिए नासूर बन गया। पिछले ढाई दशकों में इस स्थान पर खासकर बरसात के दिनों मे कई वाहनों के मलवे में दबने के साथ ही कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। करोड़ों खर्च होने पर भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। पूर्व मे जब लामबगड़ में बैराज का निर्माण किया जा रहा था, तब जेपी कंपनी ने इस स्थान सुरंग निर्माण का प्रस्ताव रखा, लेकिन उस वक्त यह सड़क बीआरओ के अधीन थी और बीआरओ ने भी सुरंग बनाने के लिए हामी भर दी थी। दोनों के एस्टीमेट कास्ट मे बड़ा अंतर होने के कारण मामला अधर मे लटक गया था। इसके बाद वर्ष 2013 की भीषण आपदा में लामबगड स्लाइड जोन में हाईवे का नामोनिशां मिट गया। तब सडक परिवहन मंत्रालय ने लामबगड स्लाइड जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी एनएच पीडब्लूडी को दी। एनएच से विदेशी कम्पनी मैकाफेरी नामक कंपनी ने यह कार्य लिया। फॉरेस्ट क्लीयरेंस समेत तमाम अड़चनों की वजह से ट्रीटमेंट का यह काम धीमा पड़ता गया।

वर्ष 2017 में त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आते ही ये तमाम अड़चनें मिशन मोड में दूर की गईं और दिसम्बर 2018 में प्रोजेक्ट का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ। महज दो वर्ष में अब यह ट्रीटमेंट पूरा हो चुका है। अगले 10 दिन के भीतर इसे जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। इसे त्रिवेन्द्र सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है।