पैक्ड फूड व पेय पदार्थों से पैदा हो रही बीमारियां, चिकित्सकों ने बंद करने दिया जोर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में आयोजित कार्यशाला में देश के राष्ट्रीय महत्व के चिकित्सा संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सकों ने जनमानस को एनसीडी और मोटापे के संकट को दूर करने के लिए फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल (एफओपीएल) पर तत्काल कार्रवाई का मांग की है। उनका कहना है कि पैक्ड फूड व पेय पदार्थों के बढ़ता चलन लोगों के अनेक घातक बीमारियों से ग्रसित होकर असमय मृत्यु का कारण बन रहा है, लिहाजा इसे रोका जाना चाहिए।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंसेज, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन, इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड एपिडेमियोलॉजिकल फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने अन्य शीर्ष चिकित्सा संस्थानों के प्रमुख ​चिकित्सकों के साथ अनिवार्य फ्रंट-ऑफ-पैक फूड लेबल के लिए विशेष मांग की है।

बताया गया है कि 135 मिलियन लोग मोटापे और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण होने वाली मौतों की वर्तमान वृद्धि दर है, जबकि भारत खराब भोजन के विनाशकारी प्रभाव का सामना कर रहा है। पैकेज्ड जंक फूड जो अस्वास्थ्यकर आहार का एक प्रमुख घटक है। विशेषज्ञ चिकत्सकों के अनुसार दुनियाभर में किसी भी अन्य जोखिम कारक की तुलना में अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है और मोटापे, टाइप- 2 मधुमेह, हृदय रोग (सीवीडी) और कैंसर का एक प्रमुख कारण है। मोटापे की महामारी और एनसीडी के प्रसार में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में शर्करा, सोडियम और संतृप्त वसा के उच्च स्तर वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की बाजार उपलब्धता में तेजी का हवाला देते हुए, भारत के शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपील की है कि इसकी रोकथाम के लिए एक प्रभावी एफओपीएल को अपनाना आवश्यक है।

एम्स ऋषिकेश द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंसेज, पीजीआईएमईआर, आईपीएचए, नेशनल हेल्थ मिशन, उत्तराखंड और अन्य चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञों ने दावा किया कि यदि देश में नमक, चीनी, संतृप्त वसा के लिए वैज्ञानिक कट-ऑफ सीमा लागू करता है और पैकेज्ड उत्पादों पर स्पष्ट और सरल चेतावनी लेबल अनिवार्य करता है, जैसा कि चिली, मैक्सिको और ब्राजील जैसे देशों में किया गया है तो ऐसा करने से इन तमाम वजहों से होने वाली अकाल मौतों को रोका जा सकता है।

निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने देश के लिए एक मजबूत और प्रभावी एफओपीएल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि भारत का चिकित्सा समुदाय इस महत्वपूर्ण नीतिगत उपाय के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है, जिससे कि हजारों भारतीय लोगों की जीवन रक्षा हो सकती है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड डॉ. सरोज नैथानी ने कहा कि स्वस्थ भोजन हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होना चाहिए, हमारे पूर्वजों द्वारा कहा गया है कि “भारत की एक समृद्ध परंपरा है जो ऐसे भोजन की वकालत करता है जो पौष्टिक, शुद्ध और स्वादिष्ट हो, लेकिन बाजार में पैक्ड खाद्य पदार्थों के आने से हमारा जीवन, खानपान बदल गया है। उन्होंने बताया कि युवा आमतौर पर प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड के आदी होने लगे हैं और इस तरह का भोजन आमतौर पर हरेक घर में इस्तेमाल किया जाने लगा है। जो कि स्वास्थ्य वर्धक न होकर जनस्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। उनका कहना है कि इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि य​दि ऐसी खाद्य सामग्री पर कड़ाई से रोक लगाई जाती है तो लगतार बढ़ती हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

उनका कहना है कि आंकड़ों के मुताबिक लगभग 5.8 मिलियन लोग यानि 4 में से 1 व्यक्ति की 70 वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले ही एनसीडी से मृत्यु हो जाती है।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष डॉ. सुनीला गर्ग के अनुसार मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग या कैंसर जैसी कई अन्य घातक बीमारियां पैक्ड फूड व पेय पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बढ़ रही हैं। लिहाजा दुनियाभर के कई देश इस बात को स्वीकार करने लगे हैं कि उपभोक्ताओं को उनके स्वास्थ्य के अधिकार के हिस्से के रूप में इन उत्पादों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है जो कि उन्हें दिया जाना चाहिए।

उनका कहना है कि दुनिया के देश बीते वर्ष जब कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव का सामना कर रहे थे, तब खाद्य और पेय उद्योग जनस्वास्थ्य के लिए खतरनाक पैक्ड फूड व शर्करा युक्त पेय पदार्थों के अपने बाजार का विस्तार कर रहे थे। यूरोमॉनिटर के अनुमान के मुताबिक, भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की बिक्री 2005 में प्रति व्यक्ति 2 किलोग्राम से बढ़कर 2019 में 6 किलोग्राम हो गई है और 2024 में 8 किलोग्राम तक बढ़ने की उम्मीद है।
एम्स ऋषिकेश द्वारा शुरू की गई इस मुहिम के तहत आयोजित कार्यक्रम के समन्वयक व सीएफएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि एम्स द्वारा की गई यह पहल जन-जन तक पहुंचनी चाहिए। उनका कहना है कि इसके जनजागरुकता अभियान बनने से ही समुदाय एवं आम नागरिकों का स्वास्थ्य लाभ संभव हो सकता है।
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आईपीएचए) के अध्यक्ष डॉ. संजय राय ने जोर दिया कि एफओपीएल वास्तव में सार्वजनिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।

अंधतत्व निवारण को नगरभर में निकली साइकिल रैली, नेत्रदान का हुआ आह्वान

एम्स ऋषिकेश के तत्वावधान में आयोजित नेत्रदान पखवाड़े के तहत आज नगरभर में साइकिल जनजागरूकता रैली निकाली गई। इसके माध्यम से लोगों से ब्लाइंडनेस को कम करने के लिए नेत्रदान का संकल्प लेने का आह्वान किया गया। एम्स निदेशक ने इस रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस मौके पर उन्होंने समाज से अंधतत्व निवारण हेतु इस तरह के जनजागरूकता कार्यक्रमों को नितांत आवश्यक बताया, साथ ही रैली में प्रतिभाग करने वाले लोगों का आभार व्यक्त किया। रैली में 150 से अधिक लोग शामिल हुए। जनजागरूकता रैली एम्स से बैराज मार्ग, कोयल घाटी, हरिद्वार रोड तिलक रोड, अंबेडकर चौक होते हुए आगे बढ़ी व देहरादून रोड स्थित जीजी आईसी, हीरालाल मार्ग, परशुराम चौक होते हुए एम्स परिसर में सम्पन्न हुई।

ऋषिकेश आई बैंक की ओर से आयोजित रैली में एम्स फैकल्टी सदस्यों, वरिष्ठ चिकित्सकों, पीजी डॉक्टरों, सिक्योरिटी गार्ड्स, संस्थान के आई बैंक स्टाफ के सदस्यों के साथ ही रेड राइडर्स ग्रुप, ब्लू राइडर्स, ऋषिकेश साइकिल ग्रुप, लायंस क्लब के सदस्यों, विभिन्न स्कूल कॉलेजों के छात्रों व स्थानीय गणमान्य नागरिकों ने बढ़चढ़कर प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर संस्थान के डीन प्रोफेसर मनोज गुप्ता, आईबीसीसी प्रमुख व वरिष्ठ सर्जन प्रोफेसर बीना रवि, डीएचए प्रो. यूबी मिश्रा, संस्थान के नेत्ररोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल, आई बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नीति गुप्ता, वरिष्ठ चिकित्सक डाक्टर रोहित गुप्ता, डा.पीके पांडा, डा.अनुभा अग्रवाल, डा.अनुपम, डा. रामानुज सामंता, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, विधि अधिकारी प्रदीप पांडे, विक्रम सिंह के अलावा नगर के गणमान्य व्यक्तियों में जयेंद्र रमोला, राकेश मियां, गोपाल नारंग, शैलेंद्र बिष्ट, ज्योति प्रकाश शर्मा, नीरज शर्मा, जितेंद्र बिष्ट, सरदार बूटा सिंह, यशपाल सिंह चौहान आदि मौजूद थे।

एम्स पहुंचे सांसद नरेश बंसल, वैक्सीनेशन को लेकर एम्स की चिकित्सकीय टीम की प्रशंसा की

राज्य सभा सांसद नरेश बंसल जी ने मंगलवार को एम्स ऋषिकेश स्थित कोविड टीकाकरण केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने संस्थान द्वारा संचालित किए जा रहे कोविड टीकाकरण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी ली और अभियान में जुटे चिकित्सकों की टीम की सराहना की।
राज्य सभा सांसद नरेश बंसल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के आयुष भवन में पहुंचे। उन्होंने यहां बनाए गए कोविड टीकाकरण केंद्र का निरीक्षण कर संचालित की जा रही व्यवस्थाओं को देखा। इस दौरान आयुष विभाग व कम्युनिटी एंड फेमिली मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना जी ने उन्हें केंद्र में संचालित टीकाकरण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। प्रो. वर्तिका सक्सैना जी ने बताया कि टीकाकरण के दौरान केंद्र में कोविड गाइडलाइन का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन अभियान की सफलता के लिए केंद्र में आयुष विभाग के अलावा कम्युनिटी एवं फेमिली मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों व अन्य स्टाफ की टीम भी टीकाकरण कार्य में जुटी है।
सांसद ने इस दौरान केंद्र में बनाए गए वेटिंग एरिया, पंजीकरण कक्ष, टीकाकरण कक्ष और निगरानी कक्ष आदि की व्यवस्थाएं परखीं और संबंधित जानकारी हासिल की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड का न सिर्फ सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है, बल्कि यहां उच्च प्रशिक्षित चिकित्सकों की टीम भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। ऐसे में केंद्र सरकार के इस अभियान को सफल बनाने में एम्स की भूमिका सराहनीय है। इस अवसर पर सीएफएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. प्रदीप अग्रवाल, संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट घेवर चंद, मनीष शर्मा, भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष कुसुम कंडवाल, मंडल अध्यक्ष दिनेश सती, वीरभद्र मंडल अध्यक्ष अरविंद चैधरी, पार्षद सुंदरी कंडवाल, सुदेश कंडवाल आदि भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।