ऊधम सिंह नगर में स्थापित होगा एम्स ऋषिकेश का सेटेलाइट केंद्र

उधम सिंह नगर जनपद के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध जमीन पर एम्स ऋषिकेश का सेटेलाइट केंद्र संचालित होगा जो कुमायूं मंडल के मरीजों के लिए एम्स की सुविधाएं प्रदान कर उपचार की सेवाओं को उपलब्ध कराएगा। ऊधम सिंह नगर में एम्स ऋषिकेश द्वारा सैटेलाइट केंद्र खोले जाने संबंधित पत्र भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार निलाम्बुज शरण की ओर से एम्स ऋषिकेश के डायरेक्टर को प्राप्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री द्वारा ऋषिकेश (एम्स) की भांति कुमांऊ क्षेत्र में भी एम्स की स्थापना का अनुरोध भारत सरकार से किया जाता रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे कुमांऊ क्षेत्र की जनता के साथ उप्र के समीपवर्ती जनपदों के लोगों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। मुख्यमंत्री के उपरोक्त अनुरोध के क्रम में भारत सरकार द्वारा तात्कालिक रूप से शीघ्र ही जनपद ऊधमसिंह नगर में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गई जमीन पर एम्स ऋषिकेश के सेटलाइट केन्द्र संचालित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार सरन के पत्र में एम्स भुवनेश्वर द्वारा उड़ीसा के बालासोर में संचालित सेटेलाइट केंद्र की तर्ज पर एम्स ऋषिकेश द्वारा उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर में एम्स का सेटेलाइट केंद्र संचालित करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं किए जाने के लिए कहा है। भारत सरकार के पत्र मिलने के बाद अब राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध जमीन की उपयोगिता एवं एम्स के सेटेलाइट केंद्र के रूप में संचालित होने की क्षमता का आकलन स्वास्थ्य मंत्रालय की टेक्निकल टीम द्वारा शीघ्र ही किया जाएगा, जिसमें एम्स निदेशक की अगुवाई में वहां के इंजीनियर तथा चीफ आर्किटेक्ट जमीन का भ्रमण कर उपयोगिता का परीक्षण करेंगे। परीक्षण के उपरांत एम्स की टीम चिन्हित स्थान पर एम्स के सेटेलाइट केंद्र के संचालन हेतु अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को प्रस्तुत करेगी। भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार द्वारा इस प्रकरण को तेजी से निष्पादित करने का अनुरोध भी एम्स निदेशक से किया गया है।

सारी दवा खरीदो, एक नही दूंगा तीमारदार को कहकर लौटा दिया

एम्स रोड पर प्राइवेट मेडिकल स्टोर संचालक पर मरीज के तीमारदारों को दवा नहीं देने और बदसलूकी करने कि शिकायत पर ड्रग्स इंस्पेक्टर ने कार्रवाई की। ड्रग्स इंस्पेक्टर ने मेडिकल स्टोर से संबंधित दस्तावेज आदि की जांच की। बताया कि आरोप साबित होने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
शनिवार को ड्रग्स इंस्पेक्टर अनीता भारती देहरादून से ऋषिकेश एम्स रोड पहुंची। यहां एम्स संस्थान से सटे एक प्राइवेट मेडिकल स्टोर में पहुंचकर स्टोर संचालक से जवाब तलब किया। इस दौरान दवा का स्टॉक, एक्सपाइरी डेट आदि की जांच की। कार्रवाई से एम्स रोड पर मेडिकल स्टोर चला रहे संचालकों में हड़कंप की स्थिति रही। ड्रग्स इंस्पेक्टर अनीता भारती ने बताया कि एम्स रोड पर साईं मेडिकल स्टोर संचालक ने एम्स में भर्ती एक मरीज के तीमारदार को यह कहकर दवा नहीं दी कि सभी दवाई यहां से खरीदे। पर्चे में लिखी एक दवा नहीं दूंगा। जबकि तीमारदार पर्चे में लिखी अन्य दवाएं एम्स परिसर में खुले मेडिकल स्टोर से ले चुका था। एक दवा नहीं मिली तब वह बाहर मेडिकल स्टोर पर आया। ड्रग्स इंस्पेक्टर ने बताया कि एक दवा नहीं देना नियम विरुद्ध है। मामले की गहनता से जांच की जाएगी। साथ ही मेडिकल स्टोर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी खंगाली जाएगी। आरोप साबित होने पर स्टोर का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।

टीकाकरण अभियान-एम्स ऋषिकेश में 50 हजार डोज लगाई गई

अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान, ऋषिकेश के टीकाकरण केंद्र के तत्वावधान में अब तक लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की 50,000 डोज लगाई जा चुकी है। शुक्रवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की उपस्थिति में 50,000 वीं डोज लगाई गई। शुक्रवार को एम्स,ऋषिकेश कोविड-19 वैक्सीनेशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान 50,000 वीं को​विड 19 वैक्सीन की डोज ऋषिकेश निवासी खुशीराम को लगाई गई। इस अवसर पर विशेषरूप से मौजूद भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एम्स ऋषिकेश की इस उपलब्धि पर बधाई दी एवं हैल्थ केअर स्टाफ के कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूड़ी भी उपस्थित रहीं। इस उपलब्ध के लिए विधायक ऋतु खंडूड़ी के साथ ही एम्स निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी ने भी एम्स संस्थान के हेल्थकेयर स्टाफ को बधाई दी।
आयोजित कार्यक्रम के दौरान संस्थान के डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. अश्वनी कुमार दलाल, वैक्सीनेशन नोडल ऑफिसर तथा कम्युनिटी एवं फैमिली मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सैना के अलावा अन्य चिकित्सकों व एम्स प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में केक काटा गया। इस अवसर पर कोविड-19 वैक्सीनेशन सेंटर, एम्स ऋषिकेश के प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया कि इस केंद्र पर भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत 16 जनवरी-2021 को कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रारंभ हुआ। जिसके तहत अब तक 50,000 डोज लगाई जा चुकी हैं। इसमें 27,616 प्रथम डोज व 22,384 द्वितीय डोज लगाई गई हैं। इनमें से 10,846 डोज हेल्थ केयर स्टाफ, फ्रंटलाइन वर्कर्स तथा 39,154 डोज सामान्य जनता को लगाई गई है।
केंद्र प्रभारी ने बताया कि अब तक इस सेंटर पर 223 वैक्सीनेशन सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। पिछले 9 महीने से यह केंद्र निरंतर टीकाकरण का कार्य कर रहा है। यहां पर कोविशील्ड तथा को-वैक्सीन दोनों ही कोविड-19 वैक्सीन की डोज सभी आयुवर्ग (18 वर्ष एवं उससे अधिक) के लिए उपलब्ध है। संस्थान के कम्युनिटी एवं फैमिली मेडिसिन विभाग द्वारा संचालित इस केंद्र पर संकायगण, जूनियर डॉक्टर, इन्टर्नस, नर्सिग स्टाफ एवं पैरामेडिकल की टीम चिकित्सा विभाग, उत्तराखंड सरकार के सहयोग से कोविड-19 वैक्सीनेशन के शतप्रतिशत लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए सततरूप से कार्यरत है। इस अवसर पर प्रो. कमर आजम, डॉ. अजीत भदौरिया, डॉ. योगेश बहुरूपी, डा. मधुर उनियाल, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, प्रशासनिक अधिकारी संतोष, पुस्तकालयाध्यक्ष संदीप सिंह, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट घेवर चंद,नर्सिंग इंचार्ज जिमिमा, एएनएस जितेंद्र आदि मौजूद रहे।

एम्स ने कोडिंग करने की जानकारी दी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यशाला में तृतीयक देखभाल वाले अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में आईसीडी-10 की उपयोगिता और इसको बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। बताया गया कि मेडिकल और स्वास्थ्य से संबंधी अनुसंधान के क्षेत्र में हेल्थ रिकॉर्ड का विशेष महत्व होता है।
एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग लखनऊ के क्षेत्रीय कार्यालय के तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ’प्रमोट टू यूज ऑफ आईसीडी-10 इन टेरटियरी केयर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज’ विषय पर आधारित इस कार्यशाला में मेडिकल स्टूडेट्स और कार्यरत मेडिकल स्टाफ को विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई, कि किस प्रकार इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज में मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड की उपयोगिता महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण का दसवां संस्करण ’आईसीडी-10’ चिकित्सीय वर्गीकरण की सूचियों का समूह है।
डीन रिसर्च प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना ने बताया कि अभी तक भारत के कुछ बड़े अस्पतालों में ही आईसीडी-10 की ऑनलाइन कोडिंग व्यवस्था है। मरीजों के हित के लिए अब उत्तराखंड में भी इसे शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसी प्रक्रिया के तहत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आईसीडी-10 मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड पर आधारित ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली है, जिससे चिकित्सकों को मरीज की पूरी हिस्ट्री देखने के लिए अलग-अलग कई रिपोर्ट नहीं पढ़नी पड़ेगी। इस सुविधा से सिर्फ आईसीडी-10 कोड की मदद से मरीज की पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाएगी।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के उप निदेशक डॉ. सचिन कुमार यादव ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बीमारियों के उपचार के लिए संबंधित रिसर्च, प्रोग्रेस रिपोर्ट अथवा दवा निर्माण आदि में मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड का विशेष महत्व होता है। बताया कि मेडिकल क्षेत्र में जितना बेहतर सूचनाओं का डाटा होगा, उतना ही हमें रिसर्च में मदद मिलेगी। उन्होंने निकट भविष्य में राज्य में आईसीडी-10 के क्रियान्वयन के लिए एम्स ऋषिकेश के सहयोग की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि आईसीडी-10 व्यवस्था में रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण किया गया है, जिसमें रोगों, उनके लक्षणों, समस्याओं, तथा सामाजिक परिस्थितियों आदि की कोडिंग की गई है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित है। इस दौरान कार्यशाला में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के डॉ. वीपी श्रीवास्तव ने आईसीडी-10 के क्रियान्वयन का प्रतिभागियों को विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मरीज से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियों को कोडिंग करने की बारिकी से जानकारी दी।
इस बाबत जानकारी देते हुए कार्यशाला के समन्वयक एवं सीएफएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. योगेश बहुरूपी ने बताया कि निकट भविष्य में इस कार्यशाला का एम्स ऋषिकेश को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस सिस्टम को राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में सुचारू रूप से लागू करने के लिए एम्स ऋषिकेश पूर्ण सहयोग देगा। कार्यशाला में अस्पताल प्रशासन के प्रोफेसर यूबी मिश्रा, जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी धर, फिजियोलॉजी विभाग की डॉ. सुनीता मित्तल, सीएफएम विभाग के डॉ.महेन्द्र सिंह, डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. मीनाक्षी खापरे सहित 100 से अधिक मेडिकल स्टाफ मेंबर्स मौजूद रहे।

विश्व दृष्टि दिवस पर लोगों को नेत्र संबंधी विकार की जानकारी दी

विश्व दृष्टि दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में नेत्र विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने लोगों से आंखों से संबंधित विभिन्न रोगों के प्रति जागरुक रहने को कहा है। उन्होंने बताया कि जागरुक रहकर व किसी भी नेत्र संबंधी विकार होने पर समय पर उपचार से ही दृष्टिबाधिता की समस्या से बचा जा सकता है। उधर विभाग की ओर से त्रिवेणीघाट पर नेत्र संबंधी विकारों को लेकर जागरुक किया गया।
एम्स ऋषिकेश में नेत्र विभाग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में चिकित्सकों ने आमजन को आंखों के विभिन्न रोगों, लक्षणों और उनसे बचाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि देश में लगभग 6 करोड़ लोग विघ्भिन्न तरह के दृष्टिबाधिता रोगों से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि आम नागरिकों व मरीजों को यह समझना होगा कि शुगर बढ़ने से आंखों की बीमारियों को सीधा नुकसान होता है। इस अवसर पर उन्होंने विश्व दृष्टि दिवस के उद्देश्य पर भी प्रकाश डाला।
ऑफिसिएटिंग डीन प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कहा कि ’जान है तो जहान है’ तभी सार्थक है, जब हमारी आंखें निरोगी हों और हम संसार को अपनी आंखों से देख सकें। उन्होंने बताया कि वर्तमान भाग-दौड़भरे जीवन और प्रदूषण युक्त वातावरण के कारण जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी आंखों की स्वच्छता व उनकी बीमारियों के प्रति गंभीरता बरते व किसी भी प्रकार की नेत्र संबंधी दिक्कतें सामने आने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
कार्यक्रम के दौरान नेत्र विभाग के विभिन्न चिकित्सकों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से आंखों की विभिन्न बीमारियों उनके लक्षणों, बचाव और उपचार के बारे में आमजन को विस्तारपूर्वक समझाया। डॉ. हिमानी पाल ने दृष्टिदोष के लक्षण बारीकी से समझाए। बताया कि दृष्टिदोष की समस्या किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है। उन्होंने आंखों से धुंधला नजर आना, पढ़ते समय सिरदर्द होना, दूर व नजदीक का स्पष्ट नहीं दिखाई देना, किताबें पढ़ते समय आंखों से पानी आना आदि बीमारी के लक्षणों, कारण और उनके उपचार के बारे में बताया। डॉ. संध्या यादव ने कार्नियल अंधता के बाबत बताया कि बच्चों में विटामिन-ए की कमी से यह परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कार्निया खराब होने पर कार्निया प्रत्यारोपण की तकनीक विकसित हो चुकी है। उन्होंने जोर दिया कि कार्नियल अंधता से ग्रसित लोगों को इस तकनीक का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है।
डॉ. दिव्या सिन्धुजा ने सफेद मोतिया, डॉ. सुचरिता दास ने काला मोतिया, डॉ. श्री राम जे. ने रेटिना से संबंधित विभिन्न बीमारियों और डॉ. लक्ष्मी शंकर ने कम रोशनी के दौरान पढ़ाई-लिखाई करने व अन्य कार्य करने से आंखों में होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कम रोशनी में किताबें पढ़ने से आंखों की रेटिना में जोर पड़ता है और उन्हें नुकसान हो सकता है। इसलिए हमेशा पढ़ते समय पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए।
विभाग की फैकल्टी सदस्य डा. रामानुज सामंता ने बताया कि आम लोगों को आंखों के प्रति जागरुक करने के लिए हम सभी को संचार और प्रचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर सामाजिक जागरुकता लानी होगी। कार्यक्रम में आई बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नीति गुप्ता समेत विभाग के कई अन्य चिकित्सक, सीनियर रेजिडेंट्स और स्टाफ सदस्य मौजूद थे। उधर विभाग की ओर से सांयकाल त्रिवेणीघाट पर आयोजित कार्यक्रम में आम जन को नेत्र संबंधी बीमारियों के प्रति जागरुक किया गया।जिसमें विभागाध्यक्ष डा. संजीव मित्तल ने कार्नियल दृष्टिहीनता के मुख्य कारणों के बारे में बताया,जिसमें चोट से जख्म, कुपोषण संक्रमण, रसायनिक जलन, जन्मजात गड़बड़ी, ऑपरेशन के बाद जटिलताएं या संक्रमण संबंधी जानकारी दी। डा. अजय अग्रवाल ने बताया कि काला मोतिया बीमारी के कारणों पर प्रकाश डाला। बताया कि आंख की नस जो दिमाग से जुड़ी होती है उसके खराब होने से यह बीमारी होती है, इससे रोशनी को जितना नुकसान हो जाता है वह दोबारा ठीक नहीं की जा सकती। उन्होंने काला मोतिया के लक्षण आंख लाल होना, लगातार सिर दर्द होना, देखने का दायरा छोटा होना बताया। आई बैंक की निदेशक व कार्निया स्पेशलिस्ट डा. नीति गुप्ता ने कार्निया दृष्टिहीनता के बाबत विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया घ्कि इसका समाधान सिर्फ कार्निया प्रत्यारोपण ही है। बताया कि कार्निया आंख की पुतली होती है, बीमारी, जख्म अथवा अन्य किसी भी कारण से पुतली खराब हो जाए तो कार्निया प्रत्यारोपण ही इसका एकमात्र समाधान है। इस दौरान उन्होंने लोगों से नेत्रदान के लिए आगे आने की अपील भी की, उन्होंने बताया कि नेत्रदान से ही कार्निया प्राप्त कर नेत्रहीनों का जीवन रोशन किया जा सकता है।

टेली हेल्थ कंसल्टेशन से स्वास्थ्य सुविधाओं को बनाया जायेगा और बेहतर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल एवं आईआईटी रुड़की के संयुक्त तत्वावधान में उड़ान एक आउटरीच “टेली हेल्थ कंसल्टेशन” बनाया गया है, जिसे शनिवार को लांच किया गया। बताया गया ​कि इसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्रों में जरुरतमंद लोगों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। गौरतलब है कि अभी कोविड-19 महामारी पूर्णरूप से खत्म नहीं हुई है, लिहाजा कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए निकट भविष्य में आने वाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के दृष्टिगत एम्स की ओर से इस ऐप को तैयार किया गया है,जिसके माध्यम से अति दुर्गम स्थानों के लोग एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों से ​चिकित्सकीय परामर्श ले सकेंगे। इस ऐप की खाशियत यह है कि जिन सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा नहीं हो, ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इस ऐप के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा व चिकित्सकीय परामर्श ले सकते हैं।
शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी व एम्स ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष (शैक्षणिक) प्रो. मनोज गुप्ता ने उड़ान मॉडल का संयुक्तरूप से वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने अपने संबोधन में सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की चिंता एवं उसके निराकरण के लिए एम्स ऋषिकेश और आईआईटी रुड़की का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि बहुत जल्दी ही वह विशेषज्ञों के साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी ने कहा कि स्वास्थ्य लाभ को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए तैयार उड़ान मॉडल आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश की पहल सराहनीय है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कोने-कोने तक जनमानस को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना है और इसके लिए आईआईटी हर कदम पर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों के साथ है।
एम्स के संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि टेलीमेडिसिन ने स्वास्थ्य जगत में अनोखा आयाम प्रस्तुत किया है, उन्होंने उम्मीद जताई कि एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल एवं आईआईटी रुड़की के संयुक्त तत्वावधान द्वारा तैयार किया गया यह मॉडल उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य को लेकर एक नया मोड़ लाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सोशल आउटरीच सेल उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों में अब तक एक लाख से अधिक मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के अलावा सैकड़ों स्वास्थ्य शिविर, जनजागरुक एवं अन्य सामाजिक विषयों पर शिविर आयोजित कर चुका है।
एम्स के सोशल आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के अनुभवों से यह ऐप बनने की प्रेरणा मिली है, अपने अनुभव साझा करते हुए डा. संतोष ने बताया कि जब उन्होंने देखा कि सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में संपर्क साधना बहुत ही मुश्किल हो रहा है, जिससे कि ग्रामीणों को स्वास्थ के संबंध में समय पर उचित चिकित्सकीय परामर्श नहीं मिल पा रहा है, तो इसी के मद्देनजर इस मॉडल को तैयार करने का विचार आया है। उन्होंने बताया कि उड़ान मॉडल द्वारा हम ऐसे क्षेत्रों में पहुंच पाएंगे, जहां इंटरनेट नहीं है, यह ऐप 5 चरणों में कार्य करेगा। जिसमें सर्वाधिक बीमारी वाले गांवों को चिह्नित करके संस्थान के द्वारा उक्त गांवों में बीमारियों से बचाव के लिए ठोस रूपरेखा तैयार की जाएगी। उद्घाटन कार्यक्रम में संस्थान के डीएचए प्रोफेसर यूपी मिश्रा, सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना, प्रोफेसर ब्रिजेंद्र सिंह, डा. मोहित ढींगरा, प्रो. डी. के. त्रिपाठी, डॉ. कुमार सतीश रवि, डॉ. योगेश के अलावा रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष संदीप सिंह, विधि अधिकारी प्रदीप पांडेय आदि मौजूद थे।

यूजेवीएनएल के चीला पावर हाउस पहुंचा एम्स का ट्रॉमा रथ

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश की ओर से आयोजित ट्रॉमा सप्ताह के तहत एम्स का ट्रॉमा रथ बुधवार को चीला पावर हाउस पहुंचा। यहां ट्रॉमा विशेषज्ञों ने यूजेवीएनएल के पावर हााउस में कार्य करने वाले कर्मचारियों को औद्योगिक दुर्घटनाओं के दौरान बचाव के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण दिया।
एम्स ऋषिकेश का ट्रॉमा रथ बुधवार को उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के चीला पावर हाउस पहुंचा। इस दौरान ट्रॉमा विशेषज्ञों ने विद्युत उत्पादन गृह चीला में मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों को आघात चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशेषज्ञों ने पावर हाउस में कार्य करने वाले तकनीकि और मिनिस्ट्रियल स्टाफ को टरबाइनों के संचालन के दौरान संभावित दुर्घटनाओं से बचाव के तौर तरीके बताए। मशीनों में कार्य करते समय होने वाली दुर्घटनाओं के दौरान प्राथमिक उपचार और जीवन बचाने के बारे में उन्होंने बारीकी से जानकारी दी। प्रशिक्षण मे बताया गया कि मशीनों में कार्य करते हुए किसी तरह की दुर्घटना होने पर किस प्रकार के प्राथमिक उपचार के बाद घायल व्यक्ति को शीघ्रातिशीघ्र अस्पताल पहुंचाया जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि मशीनों में कार्य करते हुए कई बार व्यक्ति के हाथ-पैर अथवा शरीर के अन्य अंग चपेट में आ जाते हैं। इस दौरान अपनाई जाने वाली बचाव प्रक्रिया और अन्य मेडिकली सावधानियों को भी प्रशिक्षण में समझाया गया।
कार्यक्रम के दौरान नर्सिंग प्रोफेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (एनडीपीए) एम्स के नर्सिंग स्टाफ ओमप्रकाश और स्वप्ना श्रुति के नेतृत्व में मॉक ड्रिल का आयोजन भी किया गया। ड्रिल में बताया गया कि जलाशयों में व्यक्ति के डूब जाने पर उसे किस विधि अथवा तकनीक से बचाया जा सकता है। उधर आघात चिकित्सा के प्रति आम लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से बुधवार की सुबह 6 बजे एम्स के गेट नंबर-तीन से साईकिल रैली निकाली गई। नर्सिंग ऑफिसर प्रकाश चंद मीणा के नेतृत्व में निकली रैली को ट्रॉमा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कमर आजम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। साईकिल रैली बैराज मार्ग से होकर विभिन्न स्थानों से होकर निकली, इस ट्रॉमा जन-जागरुकता रैली का समापन ऋषिकेश बैराज में हुआ। इस अवसर पर यूजेवीएनएल के अधिशासी अभियंता ललित टम्टा, ट्रॉमा रथ के प्रभारी व ट्रॉमा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल, डॉ. अजय कुमार, डॉ. भास्कर सरकार समेत विभाग के कई अन्य चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ मेंबर मौजूद रहे।

राज्यभर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में पहुंचेंगे एम्स ट्रामा के विशेषज्ञ

उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश द्वारा ट्रॉमा रथ को रवाना किया गया। यह रथ सप्ताहभर तक राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में जाकर हेल्थ केयर वर्करों को आघात चिकित्सा के प्रति जागरुक कर दुर्घटनाओं में घायल लोगों के उपचार को लेकर उन्हें प्रक्षिक्षित भी करेगा।
विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले पहाड़ी राज्य में आपदाओं के अलावा सड़क दुर्घटनाएं साल दर सल बढ़ रही हैं। इन सड़क दुर्घनाओं में प्रति वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती हैं। ट्रॉमा विशेषज्ञों के अनुसार सड़क दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए पहले 3 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आम लोगों सहित हेल्थ केयर वर्करों को दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति की जान बचाने और समय रहते उपचार की गहन तकनीक का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर एम्स ऋषिकेश ने सप्ताहभर का एक राज्यस्तरीय वृहद कार्यक्रम आयोजित किया है।
सप्ताहभर के इस राज्यस्तरीय अभियान के तहत एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल, ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम और गायनी विभाग की हेड प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने संयुक्तरूप से हरी झंडी दिखाकर एम्स के ’ट्रॉमा रथ’ को रवाना किया। गौरतलब है कि 17 अक्टूबर को ’वर्ल्ड ट्रॉमा डे’ है। प्रत्येक वर्ष विश्वस्तर पर मनाए जाने वाले इस दिवस पर दुर्घटनाओं को रोकने और आघात चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है।
इस बाबत ट्रॉमा रथ के प्रभारी और एम्स के ट्रॉमा सर्जन डॉ. अजय कुमार एवं डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि यह कार्यक्रम एम्स ऋषिकेश और राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्तरूप से संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस दौरान ट्रॉमा रथ में मौजूद ट्रॉमा विशेषज्ञ व चिकित्सक राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पहुंचकर हेल्थ केयर वर्करों तथा मेडिकल स्टूडेंट्स को ट्रॉमा के प्रति जागरुक कर उन्हें आघात चिकित्सा का प्रशिक्षण देंगे। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश की पहल पर इस विषय पर राज्यभर के मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा संस्थान एक ही मंच पर आए हैं। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करना है। ’डिस्बिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर’ (डेली) पर फोकस यह कार्यक्रम 17 अक्टूबर को वर्ल्ड ट्रॉमा डे पर समाप्त होगा।

एम्स के गायनी विभाग में स्थापित हुआ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सेंटर

एम्स ऋषिकेश में अब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सेंटर (आईवीएफ) सुविधा शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में इस नई उपलब्धि के शुरू होने से उन परिवारों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा, जिन दंपतियों के शारीरिक कमी की वजह से बच्चे नहीं हो पाते हैं। इस सुविधा के शुरू होने से अब बांझपन का दंश झेल रहे लोगों की समस्या का समाधान हो सकेगा। इसके साथ ही उत्तराखंड में एम्स, ऋषिकेश पहला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान बन गया है जहां यह सुविधा शुरू की गई है।
गौरतलब है कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक सहायक प्रजनन तकनीक है, जहां भ्रूण के उत्पादन के लिए एक प्रयोगशाला में एक अंडे को शुक्राणु के साथ जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया में एक महिला रोगी के अंडाशय को हार्माेनल दवाओं के साथ उत्तेजित करना, अंडाशय (डिंब पिकअप) से अंडों को निकालना और शुक्राणु को एक प्रयोगशाला में एक विशेष तकनीक के माध्यम से उन्हें निषेचित करना शामिल है। निषेचित अंडे (जाइगोट) के 2 से 5 दिनों के लिए भ्रूण संवर्धन से गुजरने के बाद, इसे एक सफल गर्भावस्था की स्थापना के लिए उसी या किसी अन्य महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। इस तकनीक का उपयोग महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों (ट्यूबल क्षति, एंडोमेट्रियोसिस, खराब डिम्बग्रंथि रिजर्व, पीसीओएस आदि) या पुरुष कारक (असामान्य वीर्य पैरामीटर आदि) या दोनों वाले जोड़ों में किया जाता है।
एम्स ऋषिकेश के निदेशक और सीईओ प्रोफेसर अरविंद रघुवंशी ने संस्थान के गायनी विभाग में आईवीएफ सेंटर का विधिवत उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में कई दंपति बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। जो महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रसित हैं, उन्हें सामाजिक कलंक, वर्जना और मानसिक प्रभावों का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश में आईवीएफ केंद्र खुलने से उत्तराखंड और आसपास के शहरों में रहने वाले ऐसे सभी लोगों को लाभ मिल सकेगा जो संतान सुख से वंचित हैं और इस सुविधा से माता-पिता का सुख प्राप्त करना चाहते हैं।
डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि इस सुविधा को शुरू करने वाला एम्स अस्पताल स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य का पहला सरकारी संस्थान है। उन्होंने कहा कि क्योंकि अभी तक यह बेहद जटिल और महंगा इलाज हुआ करता था, इसलिए अब एम्स ऋषिकेश में शुरू की गई इस सुविधा से मध्यम वर्ग के दंपति भी अपना उपचार करा सकेंगे।
मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आज के दौर में ऐसे मेरीड कपल्स की संख्या ज्यादा बढ़ रही है जिनकी अपनी कोई संतान नहीं है। इस सुविधा से पुरुष बांझपन और महिला बांझपन दोनों की समस्याओं का निदान संभव है।
प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की प्रमुख तथा एम्स के आईवीएफ केंद्र की प्रभारी प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने इस बाबत बताया कि गायनी विभाग पिछले 4 वर्षों से बांझपन वाले जोड़ों का प्रबंधन कर रहा है। इसमें बांझ दंपति का काम, ओव्यूलेशन इंडक्शन, फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग, बांझपन के लिए लेप्रोस्कोपिक और हिस्टेरोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह विभाग इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन के अनुसार 45 वर्ष तक की महिलाओं और 50 वर्ष तक के पुरुषों के लिए यह सुविधा प्रदान करेगा।
आईवीएफ केन्द्र की नोडल अधिकारी डॉ.लतिका चावला ने केन्द्र में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में कहा कि आईवीएफ केंद्र में पुरूष शुक्राणुओं की जांच हेतु एंड्रोलॉजी लैब ने कार्य करना शुरू कर दिया है और केन्द्र में अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (आईयूआई) की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अलावा इस केन्द्र में आईवीएफ प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में एम्स ऋषिकेश संतान से वंचित ऐसे माता-पिता का भी इलाज करेगा, जिनके शरीर में अण्डाणु या शुक्राणु नहीं बनते और जिन्हें स्पर्मदाता की आवश्यकता होती है।
कार्यक्रम के दौरान अस्पताल प्रशासन के प्रोफेसर यूबी मिश्रा, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, वित्तीय सलाहकार कमांडेंट पीके मिश्रा, गायनी विभाग की प्रोफेसर शालिनी राजाराम, डॉ. अनुपमा बहादुर, डॉ. कविता खोईवाल, डॉ. अमृता गौरव सहित कई अन्य मौजूद थे।

युवा मुख्यमंत्री के विजन पर प्रधानमंत्री ने लगाई मुहर

देवभूमि उत्तराखंड को अगले कुछ सालों में देश के नंबर वन राज्य बनाने का संकल्पित युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुहर लगा दी है। एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ना सिर्फ़ युवा ऊर्जावान और उत्साही मुख्यमंत्री कहा बल्कि उन्हें “मित्र” कहकर संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को इस सहज भाव और अपनेपन से सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड देव भूमि है, वीर भूमि है। केन्द्र सरकार सैनिकों के हितों के लिये गम्भीर है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी एक सैनिक पुत्र हैं।
प्रधानमंत्री मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने संबोधन में पुष्कर सिंह धामी को युवा चेहरा और उत्साह से लवरेज मुख्यमंत्री बताया। प्रधानमंत्री ने 22 साल के उत्तराखंड को अगले तीन सालों में डबल इंजन की मदद से देश के शीर्ष राज्यों में शामिल करने का भरोसा दिलाया है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड गठन के 25 साल में पूरे हो जाएंगे, यही समय है सही समय है कि युवा और ऊर्जावान टीम के साथ केंद्र सरकार यहां के लोगों के सपनों को नई बुलंदी पर पहुंचाए।
प्रधानमंत्री ने धामी सरकार द्वारा युद्धस्तर पर चलाए जा रहे कोविड टीकाकरण अभियान को लेकर तारीफ करते हुए कहा कि राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट का ही नतीजा है कि उत्तराखंड जल्द शत-प्रतिशत टीकाकरण वाला राज्य बन जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन तमाम बातों से यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी युवा सोच के साथ विकास के जिस रोड मैप को लेकर चल रहे हैं, आने वाले समय में युवा उत्तराखंड हर क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार होगा।