मुख्य सचिव ने वन व पशुपालन विभाग के अधिकारियों संग की बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने सचिवालय में वन एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की। मुख्य सचिव ने कहा कि बन्दरों और जंगली सुअरों के द्वारा प्रदेश में खेती को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। इसके लिए बन्दरों की संख्या को सीमित करने हेतु बन्दरों का बन्ध्याकरण किया जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि बन्दरों के बन्ध्याकरण के लिए बन्दर बन्ध्याकरण केंद्रों की संख्या बढ़ायी जाए। इसके लिए पशुपालन विभाग द्वारा पशुचिकित्सकों एवं अन्य सहायक स्टाफ की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मुख्य सचिव ने फसलों को जंगली सुअरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए भी योजना तैयार किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि होगा।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने पिरूल से ईंधन के रूप में प्रयोग होने वाले पैलेट्स तैयार करने और ईको पार्क योजना की प्रगति की जानकारी भी ली। उन्होंने अधिकारियों को योजनाओं की निरन्तर मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, वन विभाग प्रमुख (हॉफ) अनूप मलिक एवं सचिव पशुपालन डॉ. बीवीआरसी पुरूषोत्तम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मेरीनों भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही उत्तराखण्ड तथा आस्ट्रेलियन ब्रीडर के मध्य एमओयू

उत्तराखण्ड में मेरीनों भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही आस्ट्रेलियन ब्रीडर से एक एमओयू करने जा रहे हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डेरी विकास तथा पशुपालन विभाग को उत्तराखण्ड की आर्थिकी में सुधार के उद्देश्य से अन्य प्रदेशों से आयातित दूध व दुग्ध पदार्थाे, पोलट्री उत्पादों की निर्भरता को कम करने का लक्ष्य दिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में गन्ना विकास विभाग, पशुपालन विभाग, डेरी विकास विभाग तथा मत्सय विभाग की विभागीय योजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को स्पष्ट किया कि उक्त विभाग योजनाओं का समयबद्धता के साथ प्रभावी क्रियान्वयन करें। धरातल पर योजनाओं के क्रियान्वयन को मात्र औपचारिकता न समझे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में डेरी विकास के लिए 600 बहुउददेशीय दुग्ध सहकारी समितियों की स्थापना, चारे की कमी के दृष्टिगत 20 फोडर एफपीओं के गठन, दुग्ध समितियों के क्लस्टर में 50 दुग्ध उत्पादक सेवा केन्द्रों की स्थापना, 16 बद्री गाय ग्रोथ सेन्टर की स्थापना, दुग्ध समिति तथा दुग्ध संघ के कार्याे का आटोमेशन, दुग्ध संघों के ओवर हैड व्ययों को कम करने, पर्वतीय क्षेत्रों में सामुदायिक भूमि पर 10 लाख चारा वृक्षों के रोपण कर चारे की समस्या को कम करने का कार्य तथा उत्तराखण्ड की समस्त दुग्ध समितियों तथा समस्त दुग्ध संघों को लाभ में लाने के लक्ष्य डेरी विकास विभाग समयबद्धता से पूरे करें। मुख्यमंत्री श्री धामी ने डेरी विकास विभाग को राज्य में डेरी विकास को प्रोत्साहित करने हेतु डेरी विकास में सफल अन्य राज्यों के अध्ययन के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने पशुपालन विभाग को राज्य में मेरीनों भेड़ों के पालन को बढ़ाने के प्रस्ताव पर गम्भीरता से कार्य करने के निर्देश दिए। इस दिशा में जल्द ही आस्ट्रेलियन ब्रीडर से एक एमओयू किया जाएगा।

गन्ना विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कहा कि उत्तराखण्ड की चीनी मिलों को ऑपरेशन प्रोफिट में लाने के लिए अधिकारियों को प्रोएक्टिव मोड पर कार्य करना होगा। उन्होंने गन्ना विकास विभाग को अल्पकालिक लक्ष्यों के तहत बाजपुर एवं किच्छा चीनी मिलों के आधुनिकीकरण, राज्य में गन्ना बीज बदलाव, जीपीएस के माध्यम से गन्ना सर्वेक्षण का कार्य तथा प्रदेश में जैविक गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

गन्ना विकास विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री धामी को जानकारी दी कि चीनी मिलों द्वारा विगत सत्र के सापेक्ष इस सत्र में 10 प्रतिशत अधिक गन्ने की पेराई की गई है।

मत्सय विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए कि राज्य में मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने मत्स्य उत्पादन हेतु 468.68 हैक्टेयर नए जलक्षेत्रों के विस्तार, 863 नए ट्राउट रेसवेज के निर्माण, 200 नये केजो का संयोजन, 33000 मेट्रिक टन मत्स्य उत्पादन, 80.0 लाख वार्षिक ट्राउट मत्स्य बीज उत्पादन के लक्ष्य को समयबद्धता से पूरा करने के निर्देश दिए।
बैठक में कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, अपर मुख्य सचिव आनंदवर्धन, सचिव डा0 आर मीनाक्षी सुन्दरम, डा0 बी वी आर एस पुरूषोत्तम तथा सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

हमारा राज्य देश के लिए हर क्षेत्र में एक मॉडल राज्य बन सकता है-मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सर्वे ऑफ इण्डिया सभागार, देहरादून में भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित ए हेल्प योजनान्तर्गत पशु सखी के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा 23 ए हेल्प कार्यकत्रियों को ए हेल्प किट वितरित किए गए।
पशु सखी प्रशिक्षण के पश्चात ए हेल्प कार्यकत्री पशुपालन विभाग एवं पशुपालकों के बीच संयोजक कड़ी का काम करेंगी तथा पशुपालकों को सरकार की सभी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध करायेगी। ए हेल्प योजना द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों को विभिन्न योजनाओं में भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। ए हेल्प कार्यकत्री, क्षेत्र के समस्त पशुधन और कुक्कुट संख्या का रिकॉर्ड भी ब्लॉक स्तर के पशु चिकित्सकों के साथ साझा करेंगी। इससे पशुपालन गतिविधियों का क्रियान्वयन आसान तो होगा ही दुग्ध उत्पादन पर भी सीधा असर पड़ेगा। इसके अलावा वे चारा उत्पादन के लिये पशुपालकों को प्रोत्साहित भी करेंगी जिससे वे चारे की पूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनें। प्रत्येक ए-हेल्प कार्यकत्री को फर्स्ट-एड किट भी दी जायेगी जिससे वे पशुपालकों की प्रारंभिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश और कश्मीर के बाद पशु सखी ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करने वाला देश का तीसरा राज्य बन गया है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में मॉडल स्टेट बनाया जा सकता है। भारत सरकार की विभिन्न क्षेत्रों की योजनाओं का उत्तराखण्ड में शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने की अच्छी संभावनाएं हैं। यह देश के लिए हर क्षेत्र में एक मॉडल राज्य बन सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि एक बेटे व भाई के रूप में वह राज्य की मातृ शक्ति का आत्मविश्वास बनाये रखने व सेवा के लिए सदैव तत्पर है। किसी भी समाज की रीढ़ उसकी सशक्त महिलाएं ही हैं, यदि किसी राज्य की नारी शक्ति प्रगति कर रही है तो उस राज्य का विकास सुनिश्चित है, उसे कोई रोक नहीं सकता। हमारे प्रदेश के निर्माण में महिलाओं ने अपना विशेष योगदान दिया है। एक ओर जहां प्रदेश की मातृशक्ति ने पूरे समाज को विपरीत परिस्थितियों में जीना सिखाया, जूझना सिखाया, वहीं दूसरी ओर हर परिस्थिति में जीतना भी सिखाया है। मुझे प्रसन्नता है कि आज प्रदेश के दुर्गम गांव-गांव में महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर कुटीर उद्योगों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर रही हैं। महिलाओं के पास कौशल की कभी कोई कमी नहीं रही और अब यही कौशल उनकी और उनके परिवारों की आर्थिकी को शक्ति प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की महिलाएं मल्टीनेशनल कम्पनियों के उत्पादों से भी बेहतर उत्पादों का निर्माण कर रही है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्वकाल में आज देशभर में करीब 23 करोड़ महिलाओं को जन धन खातों के साथ ही सर्वाधिक विभिन्न योजनाओं का लाभ सीधे महिला शक्ति को मिल रहा है। आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढाने का कार्य किया है। आज वित्तीय समावेश से लेकर सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा से लेकर आवास, शिक्षा से लेकर उद्यमिता तक, हमारी नारी शक्ति को भारत की विकास यात्रा में सबसे आगे रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। यह प्रयास आने वाले समय में और भी अधिक उत्साह के साथ जारी रहेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने भी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण का संपूर्ण लाभ देने के लिए जिस तेज गति से काम किया, उससे आप राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को समझ सकते हैं। आज प्रदेश की समस्त माताओं और बहनों ने अपने अथक परिश्रम से जहां एक ओर आर्थिक रूप से अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया है वहीं देवभूमि की सभ्यता और संस्कृति को भी जीवंत रखा है। पूर्ण विश्वास है कि आज प्रारंभ हो रही यह विशिष्ट योजना हमारी सरकार के “सशक्त मातृशक्ति सशक्त राज्य“ के संकल्प को और अधिक मजबूत करेगी। जिस प्रकार मातृ शक्ति ने समय-समय पर अपनी क्षमताओं से प्रदेश का गौरव और सम्मान बढ़ाने का कार्य किया है, उसी प्रकार हमारी सरकार के सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड निर्माण के “विकल्प रहित संकल्प“ की सिद्धि के लिए भी मातृ शक्ति अपना योगदान सुनिश्चित करेंगी।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि प्रधानमंत्री के किसानों, पशुपालकों की आय दुगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में यह एक बड़ा कदम हैं। केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड सरकार को हर क्षेत्र की भांति पशुपालन में भी अभूतपूर्व सहयोग मिल रहा है। यह योजना मातृ शक्ति के सशक्तीकरण तथा स्वालम्बन हेतु महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर भारत सरकार से अपर सचिव वर्षा जोशी, सचिव पशुपालन उत्तराखण्ड डा. बी वी आर सी पुरुषोत्तम, उत्तराखण्ड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल व विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों व महिला मंगल दलों के सदस्य व महिलाएं मौजूद रही।

उत्तराखंड में गोट वैली योजना का शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सर्वे स्टेडियम, हाथीबड़कला देहरादून में पशु पालन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग कर राज्य में 60 मोबाइल पशु चिकित्सालय इकाइयों का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने गोट वैली योजना का शुभारंभ किया एवं नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेन्ट फण्ड (आई.आर.डी.एफ) योजना के अन्तर्गत पशुलोक ऋषिकेश, में हीफर रियरिंग फार्म का लोकार्पण भी किया। रजिस्ट्रार, उत्तराखण्ड पशु चिकित्सा परिषद, देहरादून के परिसर में नवीन प्रशिक्षण केन्द्र का लोकार्पण एवं राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम योजना के अन्तर्गत एकत्रीकरण सह प्रजनन फार्म का लोकार्पण तथा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा प्रायोजित नवीन अतिहिमीकृत वीर्य प्रयोगशाला का शिलान्यास भी मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि पशु चिकित्सकों को एन.पी.ए दिया जायेगा। राज्य में पशुओं में आर्टिफिशियल इंस्यूमिनेशन सेक्स शार्टेड सीमन को बढ़ावा दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मोबाइल वेटनरी यूनिटों के शुभारंभ से राज्य के दूरस्थ पर्वतीय स्थानों पर आपातकालीन पशुचिकित्सा सेवायें एवं पशुपालन सम्बन्धी अन्य विभागीय सेवायें आसानी से प्रदान की जा सकेंगी। इस सेवा के लिए टोल फ्री नम्बर 1962 जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अन्तर्गत श्यामपुर में नवीन प्रयोगशाला का शिलान्यास भी किया जा रहा है। जिससे पशुधन विकास में हमारे प्रदेश को लाभ मिल सकेगा। इस योजना के अन्तर्गत नेशनल डिजिटल लाइवस्टॉक मिशन को चम्पावत एवं ऊधमसिंहनगर जिलों में भी प्रारंभ किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य को हर क्षेत्र में केन्द्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। जिसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा पशुपालन एवं कृषि उत्तराखण्ड के लाखों परिवारों की आर्थिकी की रीढ़ है। 80 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्रदान करने वाला पशुपालन व्यवसाय न केवल उनकी आजीविका का मुख्य साधन है, बल्कि प्रदेश के संतुलित पोषण का भी मुख्य आधार है। पशुपालन व्यवसाय का राज्य सकल घरेलू उत्पादन में 3 प्रतिशत योगदान है। सभी छोटे पशुपालकों व दुग्ध व्यवसायियों के सम्मिलित प्रयासों के फलस्वरूप आज हमारा देश डेरी पदार्थों के उत्पादन में शीर्ष पर है। उन्होंने कहा पशुपालन व्यवसाय में निवेश ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का भी मुख्य साधन हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में पहली बार डेरी पशुओं का सबसे बड़ा डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत प्रत्येक डेयरी पशु को एक विशिष्ट टैग लगाया जा रहा है। भारत की डिजिटल क्रांति डेरी क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। डेरी व्यवसाय क्षेत्र के लिए विकसित किया गया डिजिटल पेमेंट सिस्टम भी बदलते भारत का उदाहरण है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने महिलाओं को डेयरी क्षेत्र की वास्तविक नायिकाएं बताया है, क्योंकि आज भी पशुओं की देखभाल अधिकतर मातृ शक्ति ही करती है। उन्होंने कहा गांवों में मातृ शक्ति को सबसे अधिक समस्या चूल्हे में खाना बनाने से होती थी, पर केंद्र सरकार ने जो गोवर्धन योजना प्रारंभ की है उससे गावों में गोबर गैस प्लांट लगाकर इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य आधार भी पशुधन ही है।
मुख्यमंत्री ने कहा केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों को प्रभावी तरीके से लागू करके राज्य सरकार ने राज्य में लम्पी स्किन डिजीज को पूरी तरह से नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है। इस रोग के नियंत्रण के लिए प्रदेश में लगभग 6 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा जैविक कृषि के मुख्य आधार भी पशुधन ही है। इसके लिए पशुओं के गोबर को जैविक फार्म्स तक पहुंचाने के लिए भी सरकार विशेष प्रयास कर रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे नवीन प्रयासों से न केवल हमारे राज्य में युवाओं को स्वरोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि ग्रामीण आर्थिकी भी मजबूत होगी और रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को नई गति मिलेगी।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। जनपद बागेश्वर से गोट वैली की शुरुआत की गई है। राज्य सरकार का प्रयास है कि गाय के दूध के साथ ही बकरी के दूध को भी तेजी से बढ़ावा दिया जाय। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को 2025 तक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने का लक्ष्य दिया गया है। पशुपालन के क्षेत्र में इस दिशा में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। पशुपालन के माध्यम से उत्तराखंड की मातृ शक्ति को सशक्त बनाने एवं रिवर्स माइग्रेशन के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री पशुपालन एवं डेयरी विकास डॉ. संजीव कुमार बालियान, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सौरभ बहुगुणा, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक उमेश शर्मा काऊ, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेन्द्र अन्थवाल, सचिव पशुपालन भारत सरकार राजेश कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम, निदेशक पशुपालन डॉ. प्रेम कुमार एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

मुख्य सचिव ने गोवंश और कांजी हाउस के संबंध में ली अधिकारियों की बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने पशुपालन विभाग के साथ गोवंश और कांजी हाउस के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी स्थानीय निकायों विशेषकर नगर निगम और नगर पालिकाओं के आसपास कांजी हाउस बनाए जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि गोवंश की देखभाल एवं कांजी हाउस हेतु नीति तैयार की जाए। साथ ही, त्यागे गए गोवंशों को इसमें शामिल करते हुए कांजी हाउस तैयार किए जाएं। उन्होंने कहा कि पूर्व से संचालित हो रहे कांजी हाउसों के विस्तारीकरण की संभावनाओं को तलाशा जाए। इसके साथ ही स्वयं सेवकों, एनजीओ एवं व्यक्तिगत रूप से संचालित किए जा रहे कांजी हाउसों को भी विस्तारित किया जा सकता है, जिसके लिए सरकार द्वारा हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि शहरी विकास विभाग को शामिल कर इसके लिए प्लान तैयार किया जाए। इस प्रकार के कांजी हाउस संचालित करने वालों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझने एवं निराकरण करने के प्रयास किए जाएं, साथ ही उनसे सुझाव भी लिए जाएं। मुख्य सचिव ने इस दिशा में कम्युनिटी पार्टिसिपेशन पर फोकस किए जाने पर जोर दिया।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्धन एवं सचिव वी वी आर सी पुरुषोत्तम सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

पशु पालन को आर्थिकी का जरिया बनाने के निर्देश

कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मंगलवार को सचिवालय में मत्स्य, डेयरी विकास एवं पशुपालन विभाग की समीक्षा की। इस बैठक में सभी जनपदों के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे।
कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने प्रदेश में व्यावसायिक बकरी पालन हेतु बकरी घाटियां तैयार किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने बकरियों के उत्पादन, परिवहन व विपणन आदि में सुगमता हेतु वर्तमान में चल रही इससे सम्बन्धित सभी योजनाओं के लिये विशेष क्षेत्र चिह्नित कर उस क्षेत्र को बकरी घाटी कलस्टर के रूप में विकसित करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक बकरी पालन के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर सृजित होंगे, जिससे ग्रामीण आर्थिकी और मजबूत होगी।
कैबिनेट मंत्री ने डेयरी विकास विभाग के अंतर्गत आँचल के दूध एवं दुग्ध पदार्थों की बिक्री हेतु मिल्क बूथों की स्थापना में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दुग्ध समितियों के दुग्ध उत्पादकों को तकनीकी निवेश सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से आंचल दुग्ध उत्पादक सेवा केन्द्रों की स्थापना की जाय। उन्होंने समस्त जिलाधिकारियों को जनपदों में आँचल मिल्क बूथ स्थापित किये जाने हेतु सरकारी कार्यालयों एवं शहरी स्थानों में भूमि का चयन करते हुए उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होंने माह सितम्बर तक चारधाम यात्रा मार्गों में उक्त मिल्क बूथ एवं कैफे को स्थापित करने के भी निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये।
कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मत्स्य पालन विकास विभाग के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में अमृत सरोवरों के निर्माण संबंधी कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, जिला योजना एवं राज्य योजना के अन्तर्गत मात्स्यिकी विकास हेतु कन्वर्जन्स कर कार्यक्रमों का संचालन किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने रोजगार की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत मात्स्यिकी क्षेत्र के विकास हेतु सभी जनपदों के अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से रूचि लेकर इस योजना को आगे बढ़ने पर बल दिया।
बैठक में सचिव डा वी0बी0आर0सी0 पुरुषोत्तम एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

सचिव पशुपालन ने श्री केदारनाथ धाम में अब की कार्रवाई का विवरण दिया

सचिव पशुपालन विभाग डॉ. वी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम ने जानकारी देते हुए बताया कि श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग में हो रही पशुओं की मृत्यु पर विभाग पूरी तरह से गंभीर है। उन्होंने जानकारी दी कि पशुपालन विभाग यात्रा मार्ग पर निरंतर स्थिति का निरीक्षण कर रहा है। विभाग द्वारा पशुओं को निरंतर चिकित्सा एवं उनके मालिकों को सुविधाएं प्रदान की जा रही है। उन्होंने जानकारी दी कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में अभी तक 140 पशुओं की मृत्यु हुई है।
पशुपालन विभाग द्वारा अभी तक 6880 पशुओं का निरीक्षण किया गया है। जिनमें 1804 पशुओं को चिकित्सा प्रदान की गई है। 118 पशुओं को यात्रा हेतु अयोग्य पाया गया। इसके साथ ही 91 पशु मालिकों के चालान भी किए गए हैं। 411 पशुओं को यात्रा प्रतिभाग से ब्लॉक भी किया गया तथा 9 एफ आई आर भी दर्ज़ की गई है। साथ ही निरंतर पानी व चारे की व्यवस्था की जा रही है।

पशुपालन और पंतजलि गो मूत्र और साइलेज का कारोबार करेंगे

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक बैठक में पतंजलि संस्था के साथ प्रस्तावित ’सहयोग’ कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर वन मंत्री डाॅ.हरक सिंह रावत तथा पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने विभागों को निर्देश दिये कि जिन बिन्दुओं पर सहमति बनी है उनके क्रियान्वयन हेतु सभी पक्षो पर विचार कर विस्तृत एम.ओ.यू. तैयार कर अग्रिम कार्यवाही की जाए। उन्होंने जड़ी-बूटी उत्पादन विपणन को प्रोत्साहित करने के लिये सिंगल विण्डो सिस्टम की आवश्यकता बताई। जड़ी-बूटी खेती को किसानों के लिये लाभकारी बनाना होगा। जड़ी बूटियों के लिये बीज और नर्सरी उपलब्ध कराना जरूरी है। गांवों में पर्यटन और आयुष गतिविधियों पर आधारित रोजगार के अवसर उत्पन्न करने जरूरी है। पशुपालन और औद्यानिकी को क्लस्टर्स में योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाना होगा। उन्होंने पतंजलि द्वारा इस दिशा में सकारात्मक सहयोग पर संतोष व्यक्त करते हुए बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण को धन्यवाद भी दिया।
बैठक में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के शोधार्थियों हेतु पतंजलि द्वारा लैब सुविधाएं उपलब्ध कराने पर सहमति बनी। पतंजलि संस्था लैब कार्यों के लिये शीघ्र ही ’आइटमाइज्ड’ दरें उपलब्ध करायेगी, जो बाजार दरो से कम होगी। उत्तराखण्ड के किसानों से मोटे अनाज के क्रय हेतु पतंजलि को क्लस्टरवार विपणन हेतु उपलब्ध अनाज उत्पादन का विवरण उपलब्ध कराया जायेगा। इसके साथ ही पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में पतंजलि किसी एक ग्राम या क्लस्टर में कान्ट्रैक्ट फार्मिंग भी शुरू करेगी। पतंजलि को राज्य सरकार उपलब्ध जड़ी बूटियों की सूची तथा उनके बीज की उपलब्धता का विवरण देगी। पतंजलि द्वारा जडी बूटियों के लिये शीघ्र ही न्यूनतम क्रय मूल्य घोषित किया जायेगा।
पतंजलि मुनिकीरेती में वन विभाग के डाॅ.सुशीला तिवारी हर्बल गार्डेन को माॅडल हर्बल गार्डेन एवं नर्सरी में विकसित करेगा। इस हर्बल गार्डेन को पर्यटक आकर्षण का केन्द्र भी बनाया जायेगा। पशुपालन विभाग के पास गो-मूत्र उपलब्ध है जबकि पतंजलि के पास साइलेज (पशुचारा) की उपलब्धता है। दोनो परस्पर विनियम की शर्तें निर्धारित करते हुए गो-मूत्र एवं साइलेज का आदान प्रदान करेंगे। अगले तीन माह के लिये पशुपालन विभाग द्वारा 1073 मीट्रिक टन साइलेज की मांग की गई। पशुपालन विभाग द्वारा टेस्टिंग प्रक्रिया के रूप में पतंजलि को दूध आपूर्ति भी की जा रही है। शीघ्र ही 12000 लीटर दूध की आपूर्ति प्रारम्भ की जायेगी। इसके साथ ही चंपावत में नरियाल गांव में बद्री गाय संवर्द्धन योजना को भी पतंजलि द्वारा संचालित किया जायेगा। पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्ताव दिया गया कि राज्य में ऐसे 12 गांवों में जहां ए.डी.बी. द्वारा अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जा रही है वहां स्थानीय लोगों को पतंजलि के माध्यम से पंचकर्म, योग आदि में प्रशिक्षित कर पर्यटक केन्द्र विकसित किया जा सकता है। इसी प्रकार बंद पडे टूरिस्ट सेंटरों में से कुछ सेंटर पतंजलि पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में ले सकता है। पतंजलि संस्था द्वारा हरिद्वार जनपद के सभी आंगनबाडी केन्द्रों पर हाईजीन सुविधाएं विकसित करने हेतु सहमति दी गई। बैठक में सहकारिता, एरोमैटिक प्लांट, मधुमक्खी पालन, जड़ी बूटी पादप डाक्यूमेंटेशन आदि विषयों पर भी चर्चा हुई।