उत्तरायणी मेले पर प्रदेशभर में किया जाएगा भव्य आयोजन-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उत्तरायणी मेले, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस एवं वीर बाल दिवस की तैयारियों को लेकर बैठक ली।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तरायणी मेले में प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। यह मेला संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन को बढ़ावा देता है। 14 जनवरी को पूरे देश में अलग-अलग रूपों में सूर्य उपासना के पर्व मनाये जाते हैं। उत्तरायणी मेले का उत्तराखण्ड की संस्कृति में विशेष महत्व है। 14 जनवरी को उत्तरायणी उत्सव का मुख्य आयोजन बागेश्वर में किया जायेगा। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से भव्य आयोजन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को उत्तरायणी मेले के महत्व की जानकारी हो और अन्तराष्ट्रीय फलक पर इसे पहचान दिलाने के लिए प्रदेशभर में भव्य आयोजन किये जाएं। पंच प्रयागों एवं राज्य के अन्य संगम स्थलों एवं महत्वपूर्ण घाटों पर भी उत्तरायणी के दिन सूर्य उपासना के पर्व का आयोजन किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तरायणी पर्व पर सौर ऊर्जा के प्रति जन जागरूकता के लिए इससे सबंधित योजनाएं लांच की जाएंगी। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में सौर ऊर्जा एवं ऊर्जा संरक्षण पर निबंध एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए। बागेश्वर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाए। जिसमें लोक गीत, लोक नृत्य एवं अन्य आयोजन भी किये जाए। इस पर्व पर उत्तराखण्ड की प्रमुख हस्तियों को भी सांस्कृतिक संध्या के लिए आमंत्रित किया जाए। संगमों पर भव्य आरती की व्यवस्था भी की जाए। हस्तशिल्प एवं फूड फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर सुशासन दिवस के अवसर पर प्रदेश में भव्य आयोजन किये जायेंगे। सभी जनपदों में ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा। जिनमें मंत्रीगण एवं अन्य जन प्रतिनिधि भी प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर वे स्वयं भी ग्राम चौपाल में प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन दिवस पर प्रदेश के सभी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रमाण पत्रों का वितरण किया जायेगा। 25 दिसम्बर 2022 से 09 फरवरी 2023 तक प्रमाण पत्रों के वितरण की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस पर सिख समाज के दसवें गुरू, गुरू गोविन्द सिंह के पुत्रों साहिब जादा जोरावर सिंह और साहिब जादा फतेह सिंह के बलिदान दिवस पर राज्य स्तर पर मुख्य कार्यक्रम देहरादून में आयोजित किया जायेगा। जिला मुख्यालयों पर भी कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। प्रदेश के सभी स्कूलों में वीर बाल दिवस मनाया जायेगा।
बैठक में विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, एच.सी.सेमवाल, विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, अपर सचिव जगदीश चन्द्र काण्डपाल उपस्थित रहे।

उत्तरायणी का त्योहार और मकर सक्रांति का पर्व हिन्दुओं के लिए है महत्वपूर्ण

उत्तराखंड में हर तीज-त्योहार का अपना अलग ही उल्लास है। यहां शायद ही ऐसा कोई पर्व होगा, जो जीवन से न जोड़ता हो। ये पर्व-त्योहार उत्तराखण्डी संस्कृति के प्रतिनिधि भी हैं और संस्कारों के प्रतिबिंब भी। हम ऐसे ही अनूठे पर्व ‘मकरैंण’ से आपका परिचय करा रहे हैं। यह पर्व गढ़वाल, कुमाऊं व जौनसार में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है।
मकर संक्रान्ति का त्यौहार उत्तराखण्ड में उत्तरायणी, उत्तरैण आदि नामों से जाना जाता है। उत्तरायणी शब्द उत्तरायण से बना है। उत्तरायण मतलब जब सूर्य उत्तर की ओर जाना शुरू होता है। दरअसल, त्योहार एवं उत्सव देवभूमि के संस्कारों में रचे-बसे हैं। पहाड़ की ‘पहाड़’ जैसी जीवन शैली में वर्षभर किसी न किसी बहाने आने वाले ये पर्व-त्योहार अपने साथ उल्लास एवं उमंगों का खजाना लेकर भी आते हैं।
हिन्दुओं के सबसे पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक मकर सक्रांति भी है। सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ रहा है। मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। साल 1982 में उत्थान मंच में उत्तरायणी मेले का पहली बार आयोजन किया गया था। चार दशक बाद भी पूरे रीति-रिवाजों के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे “संक्रांति” कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे “पोंगल पर्व” के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं असम में “बिहू पर्व” के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर कुमाऊ क्षेत्र के बागेश्वर जिले में प्रसिद्ध उत्तरायणी कौथिक (मेला) का आयोजन किया जाता है। यह उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में आयोजित सबसे बड़े मेलों में से एक है और हर साल 14 जनवरी को आयोजित होने वाले मकर संक्रांति उत्सव के दौरान मनाया जाता है। उत्तरायणी महोत्सव उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में मनाया जाता है। मेले में आने वाले देश-विदेश के पर्यटक व स्थानीय लोग यहां पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों के साथ मनोरंजन का भी आनंद लेते हैं। साथ ही, स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठा सकते हैं और राज्य के हस्तनिर्मित शिल्प खरीद सकते हैं। भारत में सबसे लोकप्रिय मेलों में से एक के रूप में जाना जाता है, उत्तरायणी मेला बागेश्वर में शुरू हुआ, लेकिन अब उत्तराखंड के अंदर और बाहर विभिन्न शहरों में फैल गया है। यह त्योहार स्थानीय लोगों के लिए अपनी संस्कृति, विरासत, नृत्य और संगीत को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।

यह है घुघुति की कथा
एक राजा था, जिसकी कोई संतान नहीं थी तो मंत्री हर वक्त इस षड्यंत्र में रहता था कि राजा के बाद राज्य उसे मिल जाए। लेकिन एक संत के आशीर्वाद से राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। प्रसन्न होकर रानी मां बेटे को एक माला पहना दी। युवराज थोड़ा बड़ा हुआ और खेलने-कूदने लगा। उसे ये माला बहुत प्रिय थी। रानी अपने बेटे को प्यार से घुघुतिया कहकर बुलाती थी। जब राजकुमार शैतानी करता तो वह कहती कि तंग मत कर नहीं तो तेरी माला कौंवे को दे दूंगी।
फिर वह कहने लगती, काले कौंवा काले घुघुति माला खा ले। यह सुनकर बहुत से कौंवे आ जाते थे। रानी मां उनके लिए भी रोटी और दाने डाल देती। धीरे-धीरे वे कौंवे राजकुमार के मित्र बन गए। उधर मंत्री का षड्यंत्र जारी था। एक दिन उसने राजकुमार का अपहरण कर लिया। जब मंत्री के साथी राजकुमार को लेकर जंगल जा रहे थे तो उसके रोने की आवाज सुनकर बहुत से कौवे आ गए। उन्होंने उसकी घुघती माला पहचान ली और गले से झपट कर उड़ गए। तभी से उत्तराखंड में घुघुती माला बनाए जाने की पंरपरा चल पड़ी। बच्चे घुघुती की बनी माला गले में डाल लेते हैं और कौवों को बुलाते हैं। काले कौवा काले घुघुति माला खा ले। उत्तराखंड की वादियों में ये आवाज आज भी गूंज रही है।

उत्तरायणी का त्यौहार जीवन में सकारात्मक सोच के साथ सदैव कर्म के पथ पर आगे बढ़ने की भी प्रेरणा देता है। यह पावन पर्व मांगलिक कार्यों के शुभारम्भ से भी जुड़ा है। भगवान सूर्य की आराधना का यह पर्व हम सबके जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है। कोरोना काल में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन कर पर्व मनाएं। शासन व प्रशासन की ओर से सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं।
-दिलीप जावलकर, सचिव पर्यटन

कोविड वैक्सीनेशन में केन्द्र ने दिया पूरा सहयोग-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशवासियों को संबोधित मन की बात को सुना। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, डॉ. धन सिंह रावत, स्वामी यतीश्वरानंद एवं मेयर सुनील उनियाल गामा भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में उत्तराखंड में शत प्रतिशत कोविड टीकाकरण की प्रथम डोज लगाने पर उत्तराखंड सरकार की सराहना की। मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री ने बागेश्वर जनपद की हेल्थ वर्कर पूनम नौटियाल से बात की। पूनम नौटियाल ने कहा कि हमने अपने क्षेत्र में लोगों को कोविड टीकाकरण के लिए प्रेरित किया। एक दिन में पर्वतीय क्षेत्रों में 8 से 10 किमी की दूरी तय कर कोविड टीकाकरण किया। बुजुर्गों, दिव्यांगों एवं धात्री महिलाओं का उनके घरों पर जाकर टीकाकरण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूनम नौटियाल के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कि उन्होंने आउट ऑफ द वे जाकर लोगों का टीकाकरण किया।
मन की बात कार्यक्रम को सुनने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात हम सभी को देशहित और समाज हित में सोचने और काम करने के लिए प्रेरित करती है। प्रधानमंत्री ने एक अभिभावक की तरह मार्गदर्शन किया। उनका सक्षम नेतृत्व ही था कि ’सबको वैक्सीन मुफ्त वैक्सीन’ अभियान से देश, 100 करोङ वैक्सीनैशन डोज का पङाव पार कर चुका है। आज देश एक नये उत्साह और ऊर्जा से आगे बढ रहा ही। आज भारत ने कोविड वैक्सीनैशन में दुनिया को राह दिखाई है। निस्संदेह इसमें हमारे हेल्थ वर्कर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। कोविड वारियर्स की दिन रात की मेहनत से ही हम कोविड से बाहर निकल रहे हैं। परंतु हमें अभी भी सावधानी रखनी है। हम उत्तराखण्डवासियों के लिए सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री ने राज्य की हेल्थ वर्कर पूनम नौटियाल से बात की। उत्तराखण्ड के हेल्थ वर्कर्स का जज्बा ही है कि दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखण्ड में 100 प्रतिशत पहली डोज का लक्ष्य पूरा किया जा चुका है। हम जल्द ही शतप्रतिशत सेकेंड डोज का लक्ष्य भी हासिल करेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का जो मंत्र दिया है, हम सबको मिलकर इसे साकार करना है। त्योहारों का सीजन चल रह है, इस दौरान हमें स्थानीय उत्पादों को अधिक से अधिक बढ़ावा देना है। वोकल फॉर लोकल का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही स्थानीय लोगों की आमदनी को बढ़ाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता के लिए हम सभी को अपनी दिनचर्या का अंग मानकर प्रयास करने होंगे। अपने घरों के साथ ही आसपास के क्षेत्रों में भी स्वच्छता पर ध्यान देना होगा। आइये, हम संकल्प लें कि स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढाते हुए हम सब मिलकर अपने देश को पूरी तरह स्वच्छ बनाएंगे और स्वच्छ रखेंगे।
मुख्यमंत्री ने मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने वाली बागेश्वर जनपद की पूनम नौटियाल से फोन से वार्ता कर उनके सराहनीय कार्य के लिए बधाई दी।

बागेश्वर में सीएम ने किया जिला भाजपा कार्यालय का उद्धाटन

बागेश्वर। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विधानसभा क्षेत्र बागेश्वर की 12 योजनाओं का शिलान्यास धनराशि 4032.91 लाख तथा 05 योजनाओं का लोकार्पण धनराशि 848.33 लाख से किया। वहीं, विधानसभा कपकोट की 15 योजनाओं का शिलान्यास धनराशि 4480.59 लाख तथा 09 योजनाओं का लोकार्पण धनराशि 1825.34 लाख इस प्रकार 14 योजनाओं का लोकार्पण तथा 27 योजनाओं का शिलान्यास कुल धनराशि 11187.17 लाख के विभिन्न विभागों के योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया गया। मुख्यमंत्री ने जिला कार्यालय भाजपा का भी उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य व अवस्थापना के क्षेत्र पर कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार विकास को प्राथमिकता देते हुए अपना कार्य कर रही है। साढ़े तीन वर्षों में प्रदेश सरकार ने अपनी साफ सुथरी छवि बनाई है, इसी का परिणाम है कि इस अवधि में कोई भी भ्रष्टाचार का मामला नहीं आया। कोविड के दौरान भी प्रदेश सरकार ने विकास कार्यों को रूकने नहीं दिया। कोरोना संक्रमण के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए स्वास्थ को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए प्रत्येक जनपद में आईसीयू तथा ऑक्सीजन बैड की उपलब्धता सुनिश्चित करायी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्तमान समय में 2400 डॉक्टर कार्यरत है तथा 720 डॉक्टर तथा नर्सेज की भर्ती की जा रही है। उत्तराखण्ड अटल आयुष्मान योजना की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है। इस योजना के अन्तर्गत देश के 22 हजार अस्पतालों में 05 लाख रूपये की राशि तक की चिकित्सा सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगले सत्र से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में कक्षायें शुरू हो जायेंगी तथा पिथौरागढ़, हरिद्वार व रूद्रपुर में मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृति मिल चुकी है।

महिला समूहों को 05 लाख तक का ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज पर दे रही है तथा आगामी 09 नवम्बर से किसानों को 03 लाख तक का ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज पर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ऑगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चे स्वस्थ रहे इस ओर प्रदेश सरकार कार्य कर रही है जिससे ऑगनबाड़ी केन्द्रों में पढ़ने वाले बच्चों को 02 दिन दूध, 02 दिन अण्डा और 02 दिन फल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऑगनबाड़ी केन्द्रों में सबसे अधिक पैसा देने वाले में देश के टॉप थ्री प्रदेशों में उत्तराखण्ड का भी नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकत्रियों का पिछले 05 साल का मानधन की धनराशि का बकाया 25000 रूपये उनके खाते में डाला गया है तथा प्रदेश सरकार ने इसे सालाना रू0 5000 से बढाकर रू0 18000 सालाना किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं, किसानों व डॉक्टरों आदि के संबंध में अपनी घोषणाओं के अनुसार कार्य कर रही है।

मौके पर प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, अध्यक्ष जिला पंचायत बागेश्वर बसंती देव, क्षेत्रीय विधायक चन्दन राम दास, विधायक कपकोट बलवन्त सिंह भौर्याल आदि मौजूद रहे।

यूटयूब में वेस्ट मेटिरियल से उपयोगी वस्तुएं बनाना सीखा और जीत लिया राष्ट्रीय पुरस्कार

केशव भट्ट (वरिष्ठ पत्रकार)
आज के वक्त में कोई भी चीज बेकार नहीं होती हैं, घर के पुराने वेस्ट मेटिरियल हों या पुराने अखबार। इनसे भी घर को नया लुक दिया जा सकता है, बशर्ते उसका बखूबी इस्तेमाल करने का हुनर आपके पास हो। इस बात को सच साबित करने में लगी है बागेश्वर जिले के मेलाडुंगरी गांव की अर्चना भंडारी। लॉकडाउन में ऑनलाइन शिल्पकला के अपने हुनर से अर्चना ने न केवल राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय शिल्पकला प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया, बल्कि अब वो स्वयं शिल्पकला में अभिनव प्रयोग करने के साथ 20 अन्य बालिकाओं को भी पुराने अखबार, गत्ते व अन्य वैस्ट मैटीरियल का सदुपयोग कर उपयोगी सामान बनाने का प्रशिक्षण देने में जुटी पड़ी है।
कोरोना काल के लॉकडाउन में अर्चना की प्रतिभा निखर कर सामने आई। शुरूआत में उसने कोरोना वायरस से बचाव के लिए घर में ही मॉस्क बनाकर बांटने शुरू कर दिए। समय था तो उसने यूटयूब से वेस्ट मेटिरियल से उपयोगी वस्तुएं बनाना भी सीखना शुरू कर दिया और ऑनलाइन शिल्पकला में राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में द्वितीय पुरूष्कार भी हांसिल कर लिया। इससे उसके सांथियों ने भी शिल्पकला सीखने की बात कही तो अब वो 20 बालिकाओं को भी पुराने अखबार, गत्ते व अन्य वैस्ट मैटीरियल का सदुपयोग कर उपयोगी सामान बनाने का प्रशिक्षण देने में लगी है। अर्चना, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के सांथ ही स्वरोजगार अभियान को लेकर काफी जागरूक है। कई नुक्कड़ नाटकों में प्रतिभाग कर वो इसका संदेश भी दे चुकी हैं। अभी रक्षाबंधन के त्यौहार पर उन्हें पांच सौ राखियों की डिमांड मिली है तो वो सभी राखियां बनाने में जुटी पड़ी हैं।

हर दिन सुबह आठ से दस बजे तक के प्रशिक्षण में हाईस्कूल, ग्रेजुएशन कर रहे छात्राओं के सांथ ही नौकरीपेशा भी अर्चना से कलमदान, पेन स्टैंड, न्यूज पेपर होल्डर, फोटो फ्रेम, ज्यूलरी बॉक्स समेत राखी बनाना सीख रहे हैं। लगातार अभ्यास से वो अब पारंगत होते जा रहे हैं और अभी तक उन्होंने तीन हजार से भी ज्यादा सजावटी सामान बना दिए हैं। गुजरात सूरत के एक स्कूल में सुपरवाईजर पोस्ट पर तैनात भावना नयाल लॉकडाउन में स्कूल बंद होने पर गांव आ गई और अब वो भी यहां शिल्पकला का प्रशिक्षण ले खुश हैं।
अर्चना की इस पाठशाला में हर कोई अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए पूरी मेहनत से जुटे हैं। वहीं अर्चना भी उनका उत्साहवर्धन कर बेटियों की प्रतिभा को सामने लाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को सच साबित कर समाज को नया संदेश देने में लगी है।

सरकारी योजनाओं और स्वरोजगार अपनाने के लिए मीडिया सलाहकार दे रहे महत्वपूर्ण जानकारी

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य के लोगों को रोजगारपरक जानकारी दे रहे है। साथ ही सरकार की वह कौन सी नीतियां है जो उनके लिए स्वरोजगार में सहायक बन सकती है, इसकी भी सिलसिलेवार जानकारी दे रहे है। यह जानकारी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो अपना स्वरोजगार करने के इच्छुक है। युवा भी बड़ी संख्या में सोशल मीडिया में उन्हें फाॅलो कर रहे है। साथ कई सवालों के माध्यम से स्वरोजगार की दिशा में कदम भी बढ़ा रहे है।

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट की कलम से ….

मेरा प्रयास रहता है कि मैं हर उत्तराखंडी को ये भरोसा दिला सकूं कि हम राज्य में रहकर भी बहुत कुछ कर सकते हैं।
90 के दशक में भीमताल में फूलों की खेती ने लोगों को नई दिशा दिखाई थी, फूलों से अच्छा खासा रोजगार लोगों को मिला। भीमताल की महाशीर के बारे में देश-दुनिया मे कौन नहीं जानता।
मैंने बचपन मे अपने पिता से सुना था, अंग्रेजो के समय में लंदन में आयोजित होने वाली टी एक्जीबिशन में बेरीनाग की चाय, टी क्वीन का खिताब जीतती रही।
आज जब बड़े पैमाने पर प्रवासी भाई बहन घर लौटे हैं, तो एक नया विश्वास पैदा हो रहा है। जैसा कि हमारे मुख्यमंत्री जी का कहना है, आवा अपणु गौं का वास्ता कुछ करा। तो ये सही समय भी है, और सरकार ने मौका भी दिया है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की है जिसमें स्वरोजगार के लिए भारी सब्सिडी मिल रही है। इसी तरह प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के जरिये भी स्वरोजगार के लिए ऋण मिलता है। नाबार्ड, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत भी स्वरोजगार शुरू करने के लिए उचित दरों व सब्सिडी के साथ लोन की सुविधा है।

हमारा उत्तराखण्ड विविधताओं से भरा है। उत्तराखंड में प्रकृति ने सभी ऋतुयें और सभी तरह की भौगोलिक परिस्थिति प्रदान की है। इस लिहाज से वोकल फॉर लोकल से आत्मनिर्भर बनने के लिए यह उचित समय भी है और मौका भी है।
प्रदेश के हर जिले और हर घाटी की अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और जलवायु है। पर्वतीय क्षेत्रों में साग- भाजी का उत्पादन है, तो कहीं फलों का, कहीं फूलों का और कहीं अनाज का। उत्तरकाशी जिला जहां फल और सब्जी पट्टी के लिए विख्यात है, वहां की राजमा अपने विशिष्ट स्वाद के लिए पहचानी जाती है। उसी तरह हमारे पर्वतीय जिलों में नींबू, नारंगी, माल्टा, खुमानी, आलू बुखारा, नाशपाती, काफल आदि का भरपूर उत्पादन होता है। गढ़वाल कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में मंडवा, झंगोरा, जौ, गहत, भट्ट, मसूर, तोर और रामदाना (स्थानीय भाषा मे चुआ) का भरपूर उत्पादन होता है।
हम चाहें तो अपने बुरांस के जूस को प्रमोट करके कोला पेप्सी के टक्कर का बना सकते हैं। हम चाहें तो काफल को चेरी के जैसी मार्केट दे सकते हैं। हमारे सीमांत जिलों में बड़ी मात्रा में भेड़-बकरी पालन होता है। उनकी ऊन से पीढ़ियों से लोग कालीन निर्माण में प्रयोग होती है।

बागेश्वर को तो ताम्र नगरी ही कहा जाता है। जहां तांबे से बर्तन, वाद्य यंत्र आदि अनेक उपयोगी वस्तुएं बनती हैं, चंपावत में लौह से बनी वस्तुओं का प्रचलन है। रिंगाल, कंडाली, भीमल, भांग के रेशे पहाड़ में हर जगह व्याप्त हैं जिनसे अच्छी खासी इंडस्ट्री खड़ी हो सकती है। की।
रानीखेत का चैबटिया गार्डन सेव के लिए और सेब की प्रजातियों पर शोध के लिए प्रसिद्ध है। रानीखेत के निकट की गगास घाटी साग सब्जी के क्षेत्र में सबके लिए प्रेरणा है।
हमारा गैरसैण और नौटी का क्षेत्र तथा कुमाऊँ में चैकोड़ी में शानदार चाय के बागान है।
हमारे तराई के जिले गेहूं, चावल, गन्ना सब्जियां भरपूर मात्रा में उत्पन्न करते हैं।
हमारे उच्च हिमालयी क्षेत्र में जड़ी बूटी उत्पादन की प्रबल सम्भावनाएं हैं। कुटकी, अतीश, जटामाशी, हरड़, बहेड़ा, आंवला का उत्पादन फार्मा कंपनियों की जरूरत है।
इस तरह हमारा हर गांव, हर क्षेत्र, हर जिला एक विशेषता लिए है। अब जरूरत है, हमें उन विशेषताओं को अर्थव्यव्स्था से जोड़ने की, स्वरोजगार अपनाने की।
मुझे विश्वास है, हमारा उत्तराखण्ड स्वरोजगार के रास्ते आत्मनिर्भर जरूर बनेगा।

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के लिए विशेष फंड की व्यवस्था होः बलूनी

उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने उत्तराखंड में हो रहे भारी पलायन की समस्या के निदान के उद्देश्य से उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों के लिए आगामी बजट में विशेष फंड के प्रावधान की माग की है। बलूनी ने इस सिलसिले में नई दिल्ली में मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट की।
सासद बलूनी ने केंद्रीय वित्त मंत्री से भेंट के दौरान कहा कि उत्तराखंड में पलायन के कारण सैकड़ों गाव निर्जन (घोस्ट विलेज) घोषित हो चुके हैं और यह क्रम अब भी तेजी से जारी है। इस भयावह समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता है ताकि मूलभूत सुविधाओं और सामान्य से रोजगार के लिए होने वाले पलायन के उन्मूलन के लिए धरातल पर व्यवहारिक नीति बन सके और ठोस कार्य हो सके। उत्तराखंड के पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़ तथा नैनीताल जिलों का पर्वतीय क्षेत्र पलायन की समस्या से अत्यधिक ग्रस्त है।
सासद बलूनी ने कहा की आगामी बजट में अगर उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के लिए विशेष फंड की व्यवस्था होती है तो यह राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस हिमालयी राज्य के लिए जीवनदान भी होगा। उन्होंने कहा कि वह इस क्रम में विभिन्न मंत्रालयों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों से संवाद कर इस कड़ी को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर ढाचागत अवस्थापना विकास के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो वह पलायन रोकने में कारगर होगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार इस विषय में गंभीरता से विचार करेगी।

पंत के सपनों को अब कौन लगायेगा पंख!

उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत की मौत के साथ ही उनकी ये दिली इच्छा भी अधूरी रह गई। प्रकाश पंत उत्तराखंड के जागेश्वर और बागेश्वर को एक ट्रैक रूट में जोड़कर पांचवां धाम बनाने की ख्वाहिश रखते थे। वित्त मंत्री प्रकाश पंत आखिरी बार 14 जनवरी को उत्तरायणी मेले का शुभारंभ करने के लिए बागेश्वर आए थे। यहां की जनता और जन प्रतिनिधियों ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाने की मांग की थी। इस पर उन्होंने आश्वासन दिया था कि अल्मोड़ा के प्रसिद्ध जागेश्वर और कुमाऊं की काशी के बागनाथ मंदिर तक सैलानियों की आमद बढ़ाने के लिए एक रूट बनाएंगे।

यह भी पढ़े …
ठीक होकर आने का वादा किया था, लेकिन साथ छोड़ दिया- मुख्यमंत्री

इसको नाम दिया जाएगा पांचवां धाम। उन्होंने कहा था कि उनकी ख्वाहिश भी है कि उत्तराखंड में चार धाम के साथ एक और पांचवां धाम बनाया जाए। पंत के आश्वासन के बाद बागनाथ नगरी में पर्यटन की उम्मीदें बढ़ीं थीं, लेकिन उनके निधन के साथ ही यह ख्वाहिश भी अधूरी रह गई है।नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन पर शोक जताते हुए बताया कि, पर्यटन के लिहाज से पिछड़े जिलों में टूरिज्म को बढ़ाने का उनका लक्ष्य था। इस वजह से उन्होंने देश और दुनिया में मशहूर उत्तरायणी मेले के लिए बागेश्वर को पांचवां धाम बनाने का आश्वासन दिया था। पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने बताया कि जनता लंबे समय से उत्तरायणी मेले को राजकीय बनाने की मांग कर रही थी। इस पर पंत ने उत्तरायणी मेले को राजकीय मेला घोषित करने के लिए हर मदद का आश्वासन दिया था।

आशाओं की हुई मांग पूरी, वेतन में ₹1000 की वृद्धि

आशा कार्यकत्रियों के मानदेय में एक हजार रूपये की वृद्धि की जायेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बागेश्वर ने गरूड़ में अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के शुभारम्भ के अवसर पर यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की आशा कार्यकत्रियों को वर्ष 2012-13 से रूकी हुई वार्षिक प्रोत्साहन धनराशि हेतु 33 करोड़ रूपये जारी किये गये। वर्ष 2012 से आशा कार्यकत्रियों को 5 हजार रूपये प्रतिवर्ष प्रोत्साहन राशि देने की योजना शुरू की गयी थी, जिसका कभी भी नियमित रूप से भुगतान नहीं हो पाया। आशा कार्यकत्रियों द्वारा इसकी लगातार मांग की जा रही थी। आशा कार्यकत्रियों की मांग का संज्ञान लेते हुए लम्बित पूर्ण 33 करोड़ की धनराशि जारी की गयी। इससे प्रदेश की 12 हजार आशा कार्यकत्रियों को फायदा हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बागेश्वर जनपद की लगभग 65 करोड़ से निर्मित विभिन्न 36 योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री ने जनपद बागेश्वर में अटल आयुष्मान योजना का शुभारम्भ किया तथा लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड वितरित किये। उन्होंने कहा कि सभी लोग जल्द से जल्द इस योजना के अन्र्तगत अपना कार्ड बनवायें। जिसके लिए जिला प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों को दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ कार्य करना होगा। उन्होंने जनता से अपील की कि कुछ लोगों द्वारा इस महत्वकांक्षी योजना के बंद होने की अफवाह फैलाई जा रही है जो बिलकुल निराधार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारम्भ की गयी आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत बीपीएल एवं अन्त्योदय परिवारों को सम्मिलित किया गया था।

राज्य के सभी परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिले इसके लिये प्रदेश में अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना शुरू की गयी। इस योजना के तहत प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा रहा है। एक माह में तीन हजार से अधिक लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए दिल्ली के प्रसिद्ध अस्पतालों द्वारा भी उत्तराखण्ड सरकार से एमओयू हेतु प्रस्ताव किये जा रहे है जिनमें वेदान्ता अस्पताल दिल्ली भी शामिल है।
बागेश्वर की प्रभारी मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गयी आयुष्मान भारत योजना के वास्तविक लक्ष्यों को पाने हेतु राज्य में मुख्यमंत्री द्वारा अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना का शुभारम्भ किया गया है। जिससे प्रत्येक लाभार्थी चयनित अस्पतालों में अपना एवं अपने परिवार का निःशुल्क उपचार करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का मुख्य लक्ष्य समाज के अन्तिम व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा में जोड़ना है जिसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर विधायक चन्दन राम दास, विधायक बलवंत सिंह भौर्याल, जिला पंचायत सदस्य शिव सिंह बिष्ट, जिलाधिकारी रंजना राजगुरू आदि उपस्थित थे।

अव्यवस्था देख नाराज हुई डीएम, ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश

बागेश्वर में जिलाधिकारी रंजना ने राजकीय बद्रीदत्त पांडे स्नातकोत्तर महाविद्यालय का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने बीएससी भवन को ठीक करने के निर्देश दिए। नौ साल पहले यह भवन अभी तक महाविद्यालय को हैंडओवर नहीं हुआ है। उन्होंने संबंधित ठेकेदार के खिलाफ विभाग को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।
डीएम रंजना ने शनिवार को पीजी कालेज का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने नौ साल पहले बने बीएसएसी भवन की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्लास्टर गिर रहा है। छत की ढाल ठीक नहीं है। अभी तक महाविद्यालय को भवन हैंडओवर भी नहीं हुआ है। उन्होंने कार्यदायी संस्था जल निगम को भवन की मरम्मत कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि ठेकेदार मरम्मत नहीं करता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। उन्होंने पुस्तकालय देखा तो कंप्यूटर कक्ष धूल से सना मिला। एक साल से कक्ष बंद था। उन्होंने बीएसएनएल को कालेज में वाईफाई सेवा जोड़ने के निर्देश दिए। ई-लर्निंग कक्षाओं का संचालन नहीं होने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन की सुविधा नहीं मिल पा रही है। छात्रावास में गंदगी मिली। कूड़ा और खाली बोतल फेंक हुए मिले। उन्होंने स्वच्छता के प्रति कालेज प्रशासन को सावधान किया। डीएम ने कालेज में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने लैब को अपडेट रखने को कहा। उन्होंने कहा कि कालेज को ग्रॉंड दिलाने के लिए शासन स्तर पर बात करने का भरोसा दिलाया। डीएम ने कहा कि कालेज स्तर की समस्याओं को स्वयं ठीक किया जा सकता है। जिला प्रशासन भी इसमें मदद करेगा। उन्होंने पानी टंकी आदि का भी निरीक्षण किया।