दर्जाधारी राज्यमंत्री की सूचना पर गंगा पार फंसे बछड़े की बची जान

ऋषिकेश।त्रिवेणीघाट पर गंगा पार गाय का एक बछड़ा फंस गया। वन विभाग की क्विक रिस्पांस टीम रेस्क्यू में जुटी। काफी मशक्कत के बाद बछड़े को पानी से बचाकर सुरक्षित बाहर ले आए।
वन विभाग के मुताबिक आज गाय का एक बछड़ा भटककर गंगा के पार चला गया। वापस आते समय वह पानी से भरे एक गड्ढे में फंस गया। इसी बीच उसे पानी में फंसा देख पशु प्रेमी चारू कोठारी ने दर्जा धारी राज्य मंत्री पति भगतराम कोठारी सूचना दी।

कोठारी मौके पर पहुंचे और प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून को सूचित किया। सूचना के करीब एक घंटे बाद देहरादून से वन विभाग की क्विक रिस्पांस टीम त्रिवेणीघाट पहुंची और राफ्ट लेकर गंगा पार गई। जहां पानी से भरे गड्ढे में फंसे गाय के बछड़े को निकालने के लिए रेस्क्यू शुरू किया।

वनक्षेत्राधिकारी महेंद्र सिंह रावत ने बताया कि करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद क्विक रिस्पांस टीम बछड़े को सुरक्षित बाहर निकाल ले आयी। दर्जाधारी राज्य मंत्री और उनकी पत्नी ने रेस्क्यू टीम का आभार जताया व 5100 की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। मौके पर रवि जोशी, जीत सिंह, अजय त्यागी मौजूद थे।

दर्जाधारी राज्यमंत्री ने पारम्परिक लोक गीत ’झुमका’ का किया लोकार्पण

उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाता प्रसिद्ध लोक नृत्य गीत झुमैला का अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा की ओर से लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। वीडियो गीत को दर्जाधारी राज्यमंत्री भगतराम कोठारी व महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजे नेगी ने संयुक्त रूप से किया।

गीत में अपनी आवाज लोकगायक अजय नौटियाल और गायिका पूनम सती ने दी है। महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने बताया कि युवा गीतकार कमल जोशी व अजय नोटियाल द्वारा इस लोकगीत को पुनर्रचित कर और परिष्कृत व रुचिकर बनाने का प्रयास किया है। निर्माता दौलत राणा व एसडीई प्रोडक्शन के बैनर तले बने इस गीत का निर्देशन अंकुश सकलानी फिल्मांकन एवं सम्पादन रज्जी गोसाईं ने किया है। अभिनय फौजी जवान तारा सिंह व अभिनेत्री शालिनी सुंदरियाल ने किया है। लोक गायक अजय ने बताया कि यह गीत उत्तराखण्डी संस्कृति को गौरवपूर्ण रूप से दर्शाता है इसमें नायक नायिका के बीच बेहद दिलचस्प संवाद हैं कि नायिका झुमैला खेलना (पारंपरिक सामूहिक नृत्य करना) तो चाहती है लेकिन क्योंकि उनके जेठ भी झुमैला देख रहे हैं तो वो नृत्य में प्रतिभाग नही कर सकती। आज भी उत्तराखंड के गांवों में पति के बड़े भाई यानी जेठ से बहुओं का पर्दा करने की परंपरा है जिसे गढ़वाली में छौं भचना कहते हैं, यह संयुक्त परिवारों के ताने बाने को बनाये रखने के लिए परिवार के बड़ों को छोटों द्वारा सम्मान देने का एक बेहतरीन तरीका था। मौके पर लोक गायक कमल जोशी, समाजसेवी नरेंद्र मैठाणी, जगदीश कोठारी, प्रियांशु कोठारी, मयंक भट्ट आदि मौजूद रहे।