विस अध्यक्ष बोले विधानसभा में आंतरिक सड़कों का हो रहा विकास

ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत साहबनगर में जनता संवाद कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने क्षेत्र में विभिन्न आंतरिक सड़क मार्गों के निर्माण के लिए अपनी विधायक निधि से 15 लाख रुपये देने घोषणा की। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह ईमानदारी से समान रूप से हर क्षेत्र का विकास कार्य कर रहे है एवं अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति के विकास के लिए संकल्पित है।
पंचायत भवन, साहबनगर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान स्थानीय जनता द्वारा प्रेमचंद अग्रवाल का फूल मालाओं से ज़ोरदार स्वागत किया गया। अग्रवाल ने भी जनता के इस प्रेम एवं उत्साह को देखकर धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने बुजुर्गों एवं महिलाओं को सम्मानित भी किया। इस दौरान अग्रवाल ने स्थानीय लोगों की समस्याओं को भी सुना साथ ही उनका समाधान करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जो भी मांगे हैं उन्हें वह पूरा कर रहे है।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जनकल्याण को सर्वाेपरी मानते हुए अभूतपूर्व कार्यों के माध्यम से विकास के नए प्रतिमान स्थापित किए गए हैं। आधारभूत विकास के साथ जन कल्याणकारी योजनाओं का समुचित लाभ पात्र व्यक्ति को सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार सभी वर्गों के कल्याण को संकल्पित होकर कार्यरत है। जिसके तहत आवास योजनाएं, उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना, स्वच्छ भारत मिशन, अटल स्वास्थ्य बीमा योजना समेत विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जन-जन को लाभान्वित किया जा रहा है।
इस दौरान क्षेत्र के कई स्थानीय लोगों ने संगठन की विचारधारा से जुड़ने का फैसला लिया जिनका विधानसभा अध्यक्ष ने माल्यार्पण कर संगठन में स्वागत किया।
इस मौके पर डोईवाला के ब्लॉक प्रमुख भगवान सिंह पोखरियाल, प्रदेश प्रधान संगठन के उपाध्यक्ष सोबन सिंह केंतुरा, प्रधान भगवान सिंह महर, सत्यानंद बहुगुणा, क्षेत्र पंचायत सदस्य अमर खत्री, अनीता राणा, महिला मोर्चा की अध्यक्ष समा पवार, वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञान सिंह कश्यप, पूर्व जिला पंचायत सदस्य विमला नैथानी, रोशन कुडियाल, आनंद सिंह कंडियाल, प्रिंस रावत, भूपेंद्र रावत, अंबर गुरंग, सुरेंद्र बिष्ट, भरत सिंह भंडारी, सुंदर सिंह कंडियाल, जगदंबा प्रसाद बडोनी, शैलेंद्र व्यास, ज्ञान सिंह रौथान, गीता रावत, सुशीला देवी, संगीता खत्री, मकानी देवी, मीना बिष्ट सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

अनुशासनहीनता के मामले में भाजपा ने जारी किया विधायक पूरन सिंह को नोटिस

अनुशासनहीनता के मामले में उत्तराखंड भाजपा ने अपनी ही पार्टी के विधायक पूरन सिंह फत्र्याल को नोटिस जारी किया है। प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार की ओर से जारी नोटिस में विधायक को सात दिन का समय जवाब देने को कहा गया हैं।

प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि पार्टी ने विधायक फत्र्याल के सार्वजनिक मंचों से की गई बयानबाजी का संज्ञान लिया है। कहा कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है, जो आचरण विधायक की ओर से किया गया है, उस संबंध में उनसे पूछा गया है। उन्होंने पार्टी फोरम से बाहर सार्वजनिक रूप से जो बयानबाजी की है, उससे सरकार और पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। कारण बताओ नोटिस में भी विधायक के विधानसभा में नियम 58 के तहत कार्य स्थगन का प्रस्ताव लाए जाने पर एतराज जताया गया है।

यह है मामला
लोहाघाट विधायक पूरन सिंह फर्त्याल का आरोप है कि सामरिक महत्व की टनकपुर-जौलजीवी सड़क के टेंडर में करोड़ों का घोटाला हुआ है। वे इस मामले में ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग पर इस प्रकरण में कई इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। ठेकेदार का टेंडर भी निरस्त हो चुका है। सरकार के फैसले के खिलाफ ठेकेदार ने कोर्ट में गुहार लगाई। आर्बिट्रेटर ने ठेकेदार के पक्ष में फैसला दिया। सरकार को आदेश दिया कि वह ठेकेदार को करीब सात करोड़ रुपये भुगतान करे। सरकार ने चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए सामरिक महत्व का तर्क दिया। कहा कि फैसले को अदालत में चुनौती देने से सड़क निर्माण का मामला लंबा खिंच जाएगा। इसलिए ठेकेदार को यह काम दे दिया गया और उसने भी सरकार से धनराशि नहीं ली। लेकिन विधायक इस पूरे मामले में गंभीर अनियमितता की शिकायत कर रहे हैं।

भाजपा की बढ़ी परेशानी, कैसे एडजस्ट होंगे भाजपा विधायक

राज्य सरकारों की ओर से संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रदेश भाजपा सरकार के साथ ही पार्टी विधायकों की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। इस निर्णय से सरकार के सामने अब विधायकों को सत्ता में एडजस्ट करने की चुनौती आ खड़ी हुई है तो सरकार में ओहदा पाने के अरमान पाले विधायकों को भी झटका लगा है।
प्रदेश में भाजपा भारी बहुमत से सत्ता में आई है। इस बहुमत के साथ ही भाजपा के सामने कई चुनौतियां भी आई हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती सभी पार्टी विधायकों को उचित सम्मान और सत्ता में हिस्सेदारी देने की भी है। प्रदेश में सरकार बनाने के बाद भाजपा ने क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधते हुए मंत्रिमंडल की संख्या अभी फिलहाल दस तक ही सीमित रखी है।
मंत्रिमंडल में अभी दो पद रिक्त चल रहे हैं। संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक उत्तराखंड में अधिकतम बारह सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। मंत्रिमंडल के इन दो रिक्त पदों पर कई वरिष्ठ विधायकों को दावा है। इनमें लगभग आधा दर्जन विधायक ऐसे भी हैं जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। गाहे-बगाहे ये विधायक अप्रत्यक्ष तौर पर वरिष्ठता के नाते रिक्त मंत्री पदों पर अपना दावा जताने से चूकते भी नहीं हैं।
विधायकों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण फिलहाल सरकार और मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल के दो पदों को भरने के मामले में चुप्पी ही साधे हुए हैं। हालांकि, निकट भविष्य में इन पदों का भरना तय है। माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरने के बाद भाजपा बड़ी संख्या में वरिष्ठ विधायकों का मान सम्मान रखने के लिए उनकी संसदीय सचिवों के रूप में तैनाती कर सकती है।
दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी इस परिपाटी के मुताबिक संसदीय सचिवों की तैनाती की थी। कांग्रेस ने सरकार में उठ रहे विरोधी स्वरों को शांत करने के लिए सात विधायकों को संसदीय सचिव का दायित्व दिया था। इन्हें कैबिनेट मंत्रियों जैसे अधिकार तो नहीं थे लेकिन इन्हें सभी सुविधाएं कैबिनेट मंत्रियों समान दी गई थी।
मौजूदा सरकार में भी माना जा रहा था कि आने वाले समय में भाजपा इसी परिपाटी को आगे बढ़ा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई व्यवस्था के बाद संसदीय सचिव बनाने की परंपरा भी समाप्त हो गई है। इससे सरकार के सामने विधायकों को एडजस्ट करने की चुनौती बढ़ गई है।