सात राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बीआरओ द्वारा निर्मित 29 पुलों और छह सड़कों का रक्षा मंत्री ने किया उद्घाटन

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 19 जनवरी को सीमांत क्षेत्र जोशीमठ ढाक से बीआरओ द्वारा निर्मित 35 इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए देश को समर्पित किया। इसमें सात राज्यों की 06 सड़कें और 29 ब्रिज शामिल है। परियोजनाओं को बीआरओ द्वारा 670 करोड़ की लागत पर पूरा किया गया। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत रक्षामंत्री के साथ मौजूद रहे।

रक्षा मंत्री ने सात राज्यों की जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया उनमें उत्तराखंड में 03 ब्रिज, जम्मू-कश्मीर में 01 सड़क व 10 ब्रिज, लद्वाख में 03 सड़के व 6 ब्रिज, हिमांचल प्रदेश में 01 ब्रिज, सिक्किम में 02 सडकें, अरूणाचल प्रदेश में 08 ब्रिज तथा मिजोरम में 01 ब्रिज शामिल है। उत्तराखंड राज्य में भारत चीन सीमा को जोड़ने वाले जोशमठ-मलारी मार्ग पर ढाक ब्रिज एवं भापकुंड ब्रिज और सुमना-रिमखिम मोटर मार्ग पर रिमखिम गाढ ब्रिज को शिवालित परियोजना द्वारा 33.24 करोड़ लागत से तीनों ब्रिज बनाए गए है। जिससे सीमांत क्षेत्रों में आवागमन सुगम हो गया है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। और साथियों, इसमें हमें सबका सहयोग मिल रहा है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की सेवा की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी परियोजना को समय पर पूरा करना संगठन की प्रतिबद्वता के कारण संभव हुआ है। साथ ही उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल अधिकतम राष्ट्रीय सुरक्षा और कल्याण के मंत्र के साथ काम करने का आह्वान भी किया।

रक्षा मंत्री ने देश के सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बीआरओ की सराहना की और कहा कि सड़क, पुल आदि का निर्माण करके, संगठन दूर-दराज के इलाकों को भौगोलिक दृष्टि से देश के बाकी हिस्सों से जोड़ रहा है, साथ ही दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोगों के दिलों को बाकी नागरिकों के साथ भी जोड़ रहा है।

रक्षामंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों को मुख्यधारा का हिस्सा मानती है न कि बफर जोन। “एक समय था जब सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। सरकारें इस मानसिकता के साथ काम करती थीं कि मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग ही मुख्यधारा के लोग हैं। उन्हें चिंता थी कि सीमा पर घटनाक्रम का इस्तेमाल दुश्मन द्वारा किया जा सकता है। इसी संकीर्ण मानसिकता के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों तक विकास कभी नहीं पहुंच सका। ये सोच आज बदल गई है। पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हम इन क्षेत्रों को बफर जोन नहीं मानते हैं।’’ वे हमारी मुख्यधारा का हिस्सा हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को सिर्फ मौसम संबंधी घटना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बेहद गंभीर मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय इसे बहुत गंभीरता से ले रहा है और इस संबंध में मित्र देशों से सहयोग मांगेगा। श्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए हाल ही में शुरू किए गए सिलकियारा टनल ऑपरेशन में बीआरओ के योगदान का भी विशेष उल्लेख किया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार संगठन से जुड़े लोगों की मेहनत को मान्यता देती है। “हमने सशस्त्र बलों के बराबर बीआरओ के स्थायी नागरिक कर्मियों के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ता सुनिश्चित किया है। कैजुअल मजदूरों का अनुग्रह मुआवजा दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है। हाल ही में, मैंने हमारे सीपीएल के लिए 10 लाख रुपये के बीमा के प्रावधान को मंजूरी दी है। ये कदम हमारे सशस्त्र बलों के कर्मियों, नागरिक कर्मचारियों और बीआरओ में सीपीएल के मनोबल को बढ़ाने में मदद करेंगे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोशीमठ ढाक में सीमा सड़क संगठन के जवानों से भी मिले और उनसे बातचीत करते हुए उनका मनोबल बढ़ाया। विपरीत परिस्थितियों में देश की सीमाओं पर कनेक्टिविटी को सुदृढ़ बनाने में बीआरओ के कार्याे की जमकर सराहना भी की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवभूमि आगमन पर रक्षा मंत्री का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए सीमांत क्षेत्रों की विकास परियोजनाओं के लोकार्पण पर आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राज्य के सामरिक, धार्मिक व पर्यावरणीय महत्व को समझते हुए बड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया है। चारधाम ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, सीमांत क्षेत्र विकास परियोजना व पर्वतमाला जैसी योजनाएं विकास के साथ-साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तराखंड राज्य में तेजी से विकास कार्याे को आगे बढाने का काम किया जा रहा है। उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार विकल्प रहित संकल्प के साथ पूरे मनोरथ से काम कर रही है। सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना विकास कार्याे को गति प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री ने बीआरओ की पूरी टीम को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल, थराली विधायक भूपाल राम टम्टा, जिला अध्यक्ष रमेश मैखुरी, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, पुलिस अधीक्षक रेखा यादव, बीआरओ से लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन उपस्थित थे।

सीएम ने बीआरओ के हीरक परियोजना के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में किया प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को टनकपुर, स्थित बी.आर.ओ के हीरक परियोजना के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने परियोजना के अंतर्गत कार्य कर रहे वीर जवानों एवं अधिकारियों के साथ मुलाकात कर उनका कुशल क्षेम जाना।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बीआरओ राष्ट्रीय निर्माण के कार्य में मिशन कर्म योगी की तरह अपना अहम योगदान देता रहा है। कठिन परिस्थितियों में बनने वाले मार्गाे एवं सड़कों के निर्माण में बीआरओ के कर्मचारी हमेशा आगे रहते है। उन्होंने कहा मिलम, जोहर, दारमा एवं व्यास घाटी में चल रहे सड़क निर्माण कार्य प्रदेश के साथ देश के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन सड़कों का निर्माण पूर्ण होने से वहां रह रहे लोगों के जीवन शैली में बदलाव आ रहा है। राज्य सरकार ने संकल्प लिया है कि कुमाऊं क्षेत्र में पड़ने वाले सभी प्रमुख एवं पौराणिक मंदिरों का जीर्णाेद्धार किया जायेगा, जिसके लिए मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के अंतर्गत कुमायूं के प्राचीन मंदिरों को भव्य बनाने की योजना है, इन मंदिरों को जोड़ने वाले मार्गों का विस्तार किया जाएगा, साथ ही उनका चौड़ीकरण किया जायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम की पावन भूमि से कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा। जिसके परिणाम अब दिखने लगे हैं, इस बार चार धाम यात्रा में अभी तक 40 लाख से अधिक रजिस्टर्ड श्रद्धालुओं ने यात्रा की है। मां गंगा एवं बाबा केदार के आशीर्वाद से यात्रा सुगम एवं सुरक्षित चल रही है। कावड़ यात्रा के दौरान करीब 4 करोड कावड़िए शिव भक्त उत्तराखंड आए। पहली बार राज्य सरकार ने कावड़ यात्रा में बजट का प्रावधान किया। उन्होंने कहा सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल को जोड़ने का कार्य कर रही है जिसके अंतर्गत चमोली से सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी को सीधे सड़क मार्ग से जोड़ने का कार्य चल रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में सड़क से संबंधित जितनी भी योजनाएं चल रही हैं वह पूरी गुणवत्ता एवं तय समय पर पूरी की जाएंगी। उन्होंने कहा मुझे बीआरओ के कर्मचारियों पर पूर्ण विश्वास है कि आप लोग परिश्रम, मेहनत से और इमानदारी से काम कर रहे हैं। बीआरओ द्वारा अन्य लोगों को भी रोजगार देने का काम किया जा रहा है जिसमें वह किसी भी परियोजना में 90ः से भी ज्यादा लोग स्थानीय स्तर के लोग काम कर रहे हैं। इस दौरान बीआरओ के मुख्य अभियंता विमल गोस्वामी द्वारा हीरक परियोजना के अंतर्गत उच्च हिमालई क्षेत्रों में किए जा रहे सड़क निर्माण कार्यों के बारे में भी अवगत करवाया गया।
इस अवसर पर सांसद अजय टम्टा, अध्यक्ष वन विकास निगम उत्तराखंड कैलाश चन्द्र गहतोड़ी, अध्यक्ष जिला पंचायत ज्योति राय, विधायक रानीखेत प्रमोद नैनवाल, प्रदेश महामंत्री भाजपा विकास शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष दीप पाठक, प्रदेश मंत्री भाजपा हेमा जोशी, नगरपालिका अध्यक्ष टनकपुर विपिन कुमार, जिलाधिकारी नरेन्द्र सिंह भंडारी, पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र पींचा एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

सड़कों के पैचवर्क का काम जल्द पूरा हो-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में लोक निर्माण विभाग, एनएच और बीआरओ के प्रदेश में निर्माणाधीन और प्रस्तावित कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने मानसखण्ड कोरिडोर को राज्य सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम बताते हुए इसमें प्रस्तावित कामों में तेजी लाने के निर्देश दिये। बजरंग सेतु को तय समय सीमा दिसम्बर 2022 तक पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी निर्णय लेने हैं उन पर बैठक में अंतिम रूप से तय कर लिया जाए। बैठकों का आउटपुट दिखना चाहिए।

डार्क स्पॉट का सर्वेक्षण कर जरूरी कदम उठाए जाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने भी पुल और फ्लाईओवर हैं, वहां गति सीमा के बोर्ड लगाए जाएं। वहां ड्रैनेज की पूरी व्यवस्था हो। दुर्घटनाओं की दृष्टि से प्रदेश में डार्क स्पॉट का सर्वेक्षण कर जरूरी कदम उठाए जाएं। चारधाम यात्रा मार्ग और अन्य मार्गों पर सुरक्षा मानकों के अनुरूप क्रेश बैरियर में कुछ प्रगति हुई है, इसमें और तेजी लाई जाए। सड़कों के पैच वर्क का काम शीघ्रता से किया जाए।

लैंडस्लाइड जोन के ट्रीटमेंट प्लान पर गम्भीरता से काम हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि लैंडस्लाइड जोन के ट्रीटमेंट प्लान पर गम्भीरता से काम किया जाए। जहां सम्भव हो, आपदा प्रबंधन के मिटीगेशन फंड से प्रस्ताव बनाया जाए। वर्षाकालीन में मलबा आने वाले स्थानों का स्थाई समाधान हो।

केंद्रीय योजनाओं की राज्य स्तर से जरूरी प्रक्रियाओं को समयबद्धता से पूर्ण करना सुनिश्चित हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के स्तर से संबंधित सभी प्रकरणों पर विस्तृत विवरण बना लिया जाए। केन्द्रीय मंत्रालय के साथ बैठक से पहले हमारी पूरी तैयारी होनी चाहिए। राज्य स्तर से जरूरी प्रक्रियाओं को समयबद्धता से पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाए।

बेस्ट प्रेक्टीसेज काम में ली जाएं
गढवाल-कुमाऊँ कनेक्टीवीटी के लिए ज्योलिकोट से कर्णप्रयाग मार्ग में तेजी लाई जाए। कैंचीधाम में बाईपास निर्माण के लिए आवश्यक प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए। शहरों में सङको की स्थिति के बारे में शहरी विकास, आवास और लोक निर्माण विभाग की बैठक आयोजित कर ली जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि काम की गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो और सरलीकरण भी हो। बेस्ट प्रेक्टीसेज को प्रयोग में लाया जाए।

निर्माण कार्याे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एसओपी निर्गत की जा रही
बैठक में बताया गया कि निर्माण कार्याे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एसओपी निर्गत की जा रही है। मोबाइल लैब की व्यवस्था की कार्यवाही गतिमान है। ऑनलाइन एनआईएस लागू की गई है। ई ऑफिस से पत्रावलियों का निस्तारण किया जा रहा है।

बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम सहित लोक निर्माण विभाग, एनएच, बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

पीडब्ल्यूडी कार्यों में तेजी के साथ गुणवत्ता का रखें विशेष ध्यान-मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में लोक निर्माण विभाग, एन.एच.ए.आई, एन.एच.आई.डी.सी.एल एवं बी.आर.ओ के कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी कार्य निर्धारित समयावधि के अन्दर पूर्ण किये जाये। कार्यों की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाय। लोक निर्माण विभाग द्वारा जल्द ही सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जाए। वर्षाकाल पूर्ण होते ही 15 सितम्बर से यह कार्य अभियान के रूप में किये जाए। जिन स्थानों पर स्मार्ट सिटी एवं लोक निर्माण विभाग के कार्य साथ-साथ चल रहे, ऐसे स्थानों के लिए प्रोपर प्लान तैयार किये जाय। रोप वे कनेक्टिविटी नेटवर्क बढ़ाने के लिए लोक निर्माण विभाग में रोप वे डिविजन का गठन किया जाय। सचिव लोक निर्माण विभाग एवं सचिव स्मार्ट सिटी इस संबध में संबधित अधिकारियों की शीघ्र बैठक लें। गाड़ियों की पार्किंग हेतु टनल पार्किंग के लिए पायलट बेस पर एक स्थान चिन्हित किया जाए।

सड़क कनेक्टिविटी में केन्द्र से मिल रहा है राज्य को पूरा सहयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ाने में केन्द्र सरकार से राज्य सरकार को काफी सहयोग मिल रहा है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार भी व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑल वेदर रोड, एन.एच.ए.आई. एवं भारतमाला जैसी परियोजनाओं से राज्य में सड़क कनेक्टिविटी को काफी मजबूती मिली है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि एन.एच के तहत सड़को एवं पुलों के लिए, रोपवे और टनल के लिए और प्रपोजल बनाये जाय। जल्द ही सभी प्रपोजल केन्द्र सरकार के समक्ष रखे जायेंगे।

देहरादून एवं हल्द्वानी रिंग रोड की कार्यवाही में तेजी लाई जाय
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून एवं हल्द्वानी रिंग रोड की कार्यवाही में तेजी लाई जाय। देहरादून रिंग रोड 114.9 किमी एवं हल्द्वानी में 50.43 किमी रोड बनाई जानी प्रस्तावित है। जसपुर बाई पास एवं भवाली बाईपास का कार्य सितम्बर 2021 तक एन.एच.ए.आई को पूर्ण करने के निर्देश दिये गये हैं। चारधाम परियोजना, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं भारतमाला परियोजना के तहत किये जा रहे कार्यों में सभी कार्यदायी संस्थाओं द्वारा तेजी लाई जाय।

सी.आर.आई.एफ के तहत पिछले चार वर्षों 1124 करोड़ रूपये की स्वीकृतियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय सड़क अवस्थापना निधि के तहत स्वीकृत कार्यों में भी तेजी लाई जाय। सी.आर.आई.एफ के तहत राज्य स्थापना से मार्च 2017 तक 615 करोड़ रूपये के कार्य स्वीकृत हुए,जबकि पिछले चार वर्षों 1124 करोड़ रूपये की स्वीकृतियां प्रदान हुई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग की सीएम घोषणाओं को निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जाय।

सड़क परियोजना के तहत हो रहे कार्यों का ड्रोन सर्वे भी किया जाय- मुख्य सचिव
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु ने कहा कि विभिन्न सड़क परियोजनाओं के तहत जो भी कार्य हो रहे हैं, उन सबका ड्रोन सर्वे भी किया जाय। सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना लोगों तक हो, इसके लिए प्लेटफॉर्म विकसित किया जाय। इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी की जाय। सभी कार्यदायी संस्थाएं आपसी समन्वय के साथ कार्य करें।
बैठक में अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग हरि ओम शर्मा, रिजनल ऑफिसर एन.एच.ए.आई सी.के. सिन्हा एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

प्रदेश में सड़कों को पेचलैस मुक्त करे विभाग-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ.एस.एस.सन्धु ने उनके सचिवालय सभागार में प्रदेश में सड़कों को पेचलैस मुक्त किये जाने के सम्बन्ध में आयोजित बैठक में सम्बन्धित विभागों को उपरोक्त दिशा-निर्देश दिये। उन्होंने लोक निर्माण विभाग, एनएचआई (डीसीएल), एनएचएआई और बीआरओ के विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रदेश में जहा पर यातयात अधिक है और सड़कों की कंडीशन भी खराब हैं उनको उच्च प्राथमिकता में लेते हुए सड़क सुधारीकरण के कार्य पूर्ण करें। उसके पश्चात् सड़क की दशा के अवरोही (घटते) क्रम में सुधारीकरण के कार्य पूर्ण करें। उन्होंने चारों विभागों के अधिकारियों से सड़कों की वस्तुस्थिति की जानकारी लेते हुए प्रमुख अभियन्ता लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (डीसीएल), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एआई) और सडक सीमा संगठन (बीआरओ) तीनों विभागों की सड़कों की वस्तुस्थिति और सुधारीकरण कार्य की गुणवत्ता का ड्रोन सर्वे कराते हुए शीघ्रता से रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
मुख्य सचिव ने निर्माणदायी विभागों और एजेंसियों को सड़क की वास्तविक दशा और सुधारीकरण की जरूरत के अनुसार पुनर्निर्माण और सुधारीकरण के प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये। साथ ही निर्माण कार्य के दौरान ये सुनिश्चित करने को कहा कि सडक पर यातायात के आवागमन में और लोगों को मूवमेंट के दौरान अनावश्यक परेशानी ना हो। अव्यवस्थित तरीके की कार्यप्रणाली को स्वीकार नहीं किया जायेगा। उन्होंने विभागों से सड़क को पेचलैस (गड्ढा मुक्त) करने और सुधारीकरण की हेतु टाइमलाइन तय करते हुए निर्धारित अवधि में उस कार्य को पूरा करने के निर्देश दिये। उन्होंने सडकों की रियल टाइम मॉनिटरिंग करने हेतु रोड असेस्मेंट सॉफ्टवेयर को एक्टिव करते हुए सभी स्टेटस को ऑनलाइन मोड पर प्रजेंट करने को कहा। उन्होंने प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु को निर्देशित किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में पार्किंग की समस्या के संबंध में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन से समन्वय करते हुए समाधान तलाशें।
इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, अपर सचिव अतर सिंह, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग हरिओम शर्मा, निदेशक बीआरओ विवेक श्रीवास्तव, परियोजना निदेशक एनएचएआई पी.एस गोसाईं, डीजीएम प्रोजेक्ट एनएच (डीसीएल) प्रेमचन्द सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सीमांत क्षेत्र विकास योजना के लिए स्वीकृत की 10 करोड़ की धनराशि

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा सहायतित सीमांत क्षेत्र विकास योजना के साथ ही मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना के तहत क्षेत्रीय विकास पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों की अवस्थापना सुविधाओं के विकास से पलायन रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने देश की सुरक्षा की दृष्टि से राज्य के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन रोकने को देश की सुरक्षा से जुड़ा विषय भी बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना के लिए 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है।

आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल के साथ पहुंचे अधिकारियों एवं शासन के उच्च अधिकारियों के साथ आइटीबीपी से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सीमांत जनपदों के सीमा क्षेत्रों में आईटीबीपी की चौकियों को नियमित विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की कार्ययोजना अविलंब तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में सीपीडब्लूडी द्वारा निर्मित सड़को की मरम्मत बीआरओ के द्वारा कीे जाय। इन क्षेत्रों में मोबाइल टावरों की स्थापना के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी देहरादून को आईटीबीपी को फ्रंटियर हेड क्वार्टर के लिए लगभग 15 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं। सचिव राजस्व को आईटीबीपी को उनके जोशीमठ केम्पस की भूमि का स्वामित्व प्रदान करने के लिए प्रस्ताव कैबिनेट में लाने के भी निर्देश उन्होंने दिए हैं। मुख्यमंत्री ने महानिदेशक आईटीबीपी को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा सीमान्त क्षेत्रों में आवाजाही बढ़ाई जाने एवं इन क्षेत्रों से लोगों का पलायन रोकने के लिए प्रभावी प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आईटीबीपी द्वारा साहसिक पर्यटन की गतिविधियों के प्रति विशेष ध्यान दिए जाने के साथ ही इससे संबंधित तकनीकी दक्षता भी है। उन्होंने इसके लिए पर्यटन एवं आइटीबीपी के अधिकारियों का वर्किंग ग्रुप बनाए जाने तथा विन्टर टूरीज्म सेल से समन्वय बनाने पर भी बल दिया।

मुख्यमंत्री ने सीमान्त क्षेत्र विकास के तहत सीमांत क्षेत्रों के ट्रेक रूटों की मरम्मत के लिये आई0टी0बी0पी0 को धनराशि उपलब्ध कराने, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में औषधीय वनस्पति के उत्पादन पर ध्यान देने, दूरस्थ सीमान्त क्षेत्रों मलारी, माणा, हर्षिल, नेलांग जैसे क्षेत्रों मे पर्यटन से सम्बन्धित योजनाओं में शामिल करने पर भी ध्यान देने को कहा, इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने आईटीबीपी को राज्य सरकार द्वारा यथा सम्भव सहयोग का भी आश्वासन दिया गया।

आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में उनकी 5 बटालियन हैं। मसूरी अकादमी के साथ ही फ्रंटियर हेड क्वार्टर भी यहां से संचालित होता है। उन्होंने फ्रंटीयर हेड क्वार्टर के लिए देहरादून के आस पास 15 एकड़ भूमि की व्यवस्था करने का अनुरोध करते हुए जोशीमठ की भूमि का स्वामित्व प्रदान करने एवं उनकी सीमांत 42 चौकियों में ग्रिड से बिजली आपूर्ति, सीपीडब्ल्यूडी द्वारा सीमांत क्षेत्रों में निर्मित सड़कों के रखरखाव, चौकियों के आसपास मोबाइल टावरों की स्थापना आदि की भी बात रखी।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि सीमान्त क्षेत्रों के गांवों में आवाजाही बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। सीमा क्षेत्रों में आवाजाही से वहां तैनात बलों को भी सुविधा रहती है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों द्वारा बॉर्डर तक आवाजाही बढ़ाई गई है हमें भी अपने क्षेत्रों में केवल अपने देश के लोगों को इनर लाइन परमिट की व्यवस्था करनी चाहिए। अभी इन क्षेत्रों में ग्रास लैंड के लिए ही कैटल ग्रीजिंग के लिए परमिट जारी किए जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने दिया, सीमांत क्षेत्र की सड़क कनेक्टिविटी को सुधारने पर जोर

(एनएन सर्विस)
उत्तराखंड सरकार ने चीन और नेपाल सीमा की सामरिक महत्व की सड़कों को लेकर समीक्षा की। सीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में सड़कों के निर्माण को तय समय में पूरा करने और मानसून में सड़कों पर यातायात को बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश करना तय किया गया। 
सामरिक महत्व को देखते हुए सीमा सड़क की समीक्षा बैठक को गोपनीय रखा गया। शासन के आला अफसरों से लेकर सूचना विभाग ने तक जानकारी देने से इनकार किया। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सीमा सड़क संगठन के अधिकारी भी शामिल थे। तय किया गया कि केंद्र के संबंधित मामलों पर केंद्रीय स्तर पर बातचीत की जाएगी। यह भी कहा गया कि मानसून में भूस्खलन से सीमा की सामरिक महत्व की सड़कें अगर बंद होती हैं तो इन सड़कों को जल्द से जल्द खोला जाए।
यह भी बताया गया कि इस तरह के मामलों में चीन सीमा से लगी चमोली जिले की नीति घाटी में मलारी मार्ग के लिए 35 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण होना है। इसमें राजस्व विभाग से कहा गया है कि मुआवजे की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इसी तरह नेपाल सीमा से लगी सड़कों के प्रस्ताव पर भी सीएम ने तेजी से काम करने को कहा है। बैठक में सीमांत क्षेत्र विकास योजना के तहत सीमांत क्षेत्र की सड़क कनेक्टिविटी को सुधारने के लिए अधिक प्रस्ताव बनाने पर जोर दिया गया।
बाद में सचिवालय में मीडिया कर्मियों से बातचीत में सीएम ने कहा कि सामरिक महत्व की सड़कों को मानसून में बंद न होने देने के लिए अधिकारियों को कहा गया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार के साथ ही राजस्व, लोक निर्माण विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, बीआरओ के अधिकारी शामिल थे। 

रैंजर्स कालेज मैदान की भूमि राज्य सरकार को हस्तांतरित करने की मांग

वन भूमि हस्तांतरण में 5 हैक्टेयर तक की स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया जाए। राज्य सरकार की परियोजनाओं में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए डिग्रेडेड फारेस्ट लैंड को अनुमन्य किया जाए। सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भेंट कर उत्तराखण्ड से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कैम्पा के अंतर्गत 2019-20 की वार्षिक कार्ययोजना को अनुमोदित करने, रैंजर्स कालेज मैदान की रिक्त भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि आपदा क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्यों की तात्कालिकता, चारधाम आलवेदर रोड़, पीएमजीएसवाई, ग्रामीण विद्युतिकरण आदि महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए वन भूमि हस्तांतरण विषयों पर जल्द निर्णय लिए जाने की आवश्यकता होती है। इसलिए कार्यहित में 5 हैक्टेयर तक के प्रकरणों में स्वीकृति का अधिकार राज्य सरकार को दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरओ की सड़क परियोजनाओं, केंद्र सरकार व केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की परियोजनाओं के लिए क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण, डिग्रेडेड फारेस्ट लैंड पर किए जाने की अनुमति प्रदान की गई है। परंतु केंद्र पोषित परियोजनाओं व राज्य सरकार की समस्त परियोजनाओं में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए दोगुनी मात्रा में सिविल भूमि की अनिवार्यता की गई है। राज्य में अधिकांश भाग वनाच्छादित व पर्वतीय है। यहां सिविल भूमि की सीमितता को देखते हुए केंद्र पोषित, बाह्य सहायतित व राज्य पोषित समस्त परियोजनाओं के लिए भी डिग्रेडेड फारेस्ट लैंड पर क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की अनुमति प्रदान की जाए।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भारत सरकार से कार्ययोजना के प्राविधानों के अनुसार 1000 मीटर से ऊपर स्थित प्रौढ़ वृक्षों के पातन का समय-समय पर अनुरोध किया गया है। वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा भी एक वैज्ञानिक अध्ययन के बाद ऐसे पातन के लिए संस्तुति की गई है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से इसकी अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों पर वाटर सैस एकत्र कर भारत सरकार के कोष में जमा किया जाता था, जिसका 80 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा राज्य प्रदूषण बोर्ड को उपलब्ध कराया जाता था। परंतु जीएसटी एक्ट के बाद यह व्यवस्था समाप्त हो गई है। इससे राज्य सरकार को औसतन 3 करोड़ 25 लाख रूपए की वार्षिक आय बंद हो गई है। भारत सरकार के निर्देशानुसार राज्य के 5 नगरों में नियमित एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन, एनवायरमेंटल डाटा सेंटर व एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए 142 अतिरिक्त स्टेशन स्थापित करने के लिए कुल 20 करोड़ रूपए की लागत संभावित है। यह राशि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाए।
देहरादून में रेंजर्स कालेज का संचालन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के अधीन है। यहां काफी रिक्त भूमि है जिसका उपयोग निकट भविष्य में स्मार्ट सिटी देहरादून की योजना को क्रियान्वित करने, नेशनल गेम्स आदि कार्यक्रम आयोजित करने में किया जा सकता है। इसलिए रेंजर्स कालेज की रिक्त भूमि राज्य सरकार को हस्तांतरित की जाए।

चीनी बॉर्डर पर सरकार का निर्देश, जल्द सड़क बनाने के दिए आदेश

चीन और भारत में डोकलाम विवाद के बीच सरकार ने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) की फाइनेंशियल और एडमिनिस्ट्रेटिव पावर बढ़ा दी हैं। सरकार ने इसलिए ये कदम उठाया ताकि 3,409 किलोमीटर लंबे इंडिया-चीन बॉर्डर के पास सड़कें बनाने का काम तेजी से किया जा सके। दरअसल, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इंडिया-चीन बॉर्डर से लगे 61 प्रोजेक्ट लंबे समय से अटके हुए हैं। इंडिया-चाइना बॉर्डर रोड के तहत बनने वाले ये प्रोजेक्ट स्ट्रैटेजिकली इम्पॉर्टेंट हैं व ऐसे इलाकों को सड़कों से जोड़ने का काम कर रहा है, जहां पहुंचना मुश्किल है। असलियत में, सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं। करीब 2 महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। डिफेंस मिनिस्ट्री नेे कहा, बीआरओ में बदलाव लाने का मकसद काम को सही रफ्तार से पूरा करना है, ताकि आर्मी जरूरत के मुताबिक नतीजे हासिल किए जा सकें। बता दें कि इससे पहले बीआरओ के डायरेक्टर जनरल के पास स्वदेशी मशीनरी और इक्विपमेंट के लिए 7.5 करोड़ और विदेश मशीनरी के लिए 3 करोड़ रुपए के अप्रूवल अथॉरिटी थी।
डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा, बीआरओ को बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों के साथ बातचीत की भी आजादी दे दी गई है, ताकि काम को जल्द पूरा करने में मदद मिल सके। चीफ इंजीनियर और टास्क फोर्स कमांडर लेवल तक फाइनेंशियल पावर दे दी गई हैं ताकि चीफ इंजीनियर और बीआरओ डायरेक्टर जनरल और डिफेंस मिनिस्ट्री के बीच बातचीत के नजरिए से भी काम में किसी तरह की रुकावट ना आए।