जानिए, उत्तराखंड की कैबिनेट की बैठक में क्या रहे निर्णय

कैबिनेट के निर्णय
1. अंतिम विधानसभा सत्रावसान की औपचारिक अनुमोदन प्रदान किया गया।

2. हरिद्वार जिला पंचायत निर्वाचन के संबंध में निर्णय लिया गया कि एडवोकेट जनरल से उक्त के संबंध में विधिक पहलू से अवगत करायेंगे। इसके पश्चात कैबिनेट निर्णय लेगी।

3. प्रदेश के सभी अंत्योदय कार्ड धारकों को प्रति वर्ष तीन गैस सिलेंडर मुफ्त दिया जायेगा। इससे संबंधित लाभार्थियों की संख्या 1 लाख 84 हजार 1 सौ 42 होंगे तथा इस पर कुल 55 करोड़ रू. का व्यय भार होगा।

4. गेंहू खरीद से संबंधित हर वर्ष की तरह कृषकों को प्रति क्विंटल 20 रू. बोनस देने का निर्णय दिया गया।

5. गन्ना विभाग द्वारा शासकीय गारंटी दी जाती है इसके ऊपर प्रतिभूति शुल्क गन्ना विभाग को देना होता है, अधिनियम के अनुसार यह धनराशि गन्ना विभाग, शासन को निशुल्क रूप में देगा। यदि गन्ना मूल्य भुगतान के लिये गन्ना विभाग को धन की आवश्यकता होगी तो उसकी प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। यदि इस शुल्क को देने के लिये धन की आवश्यकता होगी तो सरकार वित्तीय सहायता देगी।

6. पशुपालन विभाग में कृत्रिम गर्भाधान के लिये जाने वाले कार्मिकों को पूर्व की भांति मैदान में 40 रू. और पहाड़ में 50 रू. दिया जायेगा।

7. श्री केदारनाथ निर्माण के संबंध में जिन भवनों को 1 मंजिल से बढ़ाकर 2 मंजिल करनी है उनके लिये संबंधित ठेकेदार को उसी दर पर कार्य करने की मंजूरी दी गयी।

राज्य सरकार कार्मिकों की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव तत्पर

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से गुरूवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच के अध्यक्ष रमेश चन्द्र पाण्डे एवं अन्य पदाधिकारियों ने भेंट की। मंच के पदाधिकारियों ने कोरोना काल के दौरान कार्मिकों के वेतन से की जा रही कटौती को बन्द करने व प्रदेश पर लगे हड़ताली तमगे को हटाने के लिए कार्मिक संघों और विभागाध्यक्षों के बीच संवाद कायम करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कार्मिकों की समस्याओं के समाधान के प्रति सदैव तत्पर रही है। प्रदेश के विकास में कार्मिकों की महत्वपूर्ण भागीदारी रहती है। उन्होंने कर्मचारी संगठनों का आह्वाहन किया कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आपसी संवाद एवं समन्वय को माध्यम बनाये। आपसी संवाद एवं सहयोग से ही समस्याओं के समाधान की राह प्रशस्त होती है। प्रदेश की जनता की भलाई व राज्य हित हम सबके लिए सर्वोपरि होना चाहिए।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच द्वारा अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से भेंट की। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में हड़ताल की स्थिति न आने देने के लिए कार्मिक एकता मंच द्वारा की जा रही पहल की सराहना करते हुए कहा कि कार्मिक संघों और विभागाध्यक्षों के बीच हर तीसरे माह बैठक सुनिश्चित करायी जायेगी। इस अवसर पर आयोजित बैठक में बेसिक से एलटी में समायोजित पदोन्नत शिक्षकों को चयन प्रोन्नत वेतनमान दिये जाने के मामले में शिक्षा व वित्त सचिव को मंच के साथ बैठक करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में प्रोन्नत वेतनमान की व्यवस्था में उत्तम व अतिउत्तम श्रेणी पर आपत्ति उठाते हुए मंच ने कहा कि पदोन्नति की प्रक्रिया के लिए प्रविष्टयों का जो मापदण्ड निर्धारित है, उसी को एसीपी के लिए भी आधार बनाया जाय। इस पर सहमति हुई और वित्त विभाग को संशोधन हेतु निर्देश दिए गए।

बैठक में राज्य के दिब्यांग कार्मिकों की पदोन्नति हेतु अलग गैलरी होने के कारण उनकी वरिष्ठता सूची पृथक से बनाये जाने की मांग की गयी जिस पर सहमति हुई। बैठक में दिब्यांग कार्मिकों के वाहन भत्ते की राशि को पुनरीक्षित किये जाने पर भी सहमति हुई। बैठक में बन निगम कार्मिकों से आडिट आपत्ति के नाम पर की जा रही वसूली के मामले में शीघ्र उच्च स्तरीय बैठक बुलाने पर भी सहमति हुई।

बैठक में शासन की ओर से सचिव वित्त सौजन्या, उप सचिव कार्मिक महावीर सिंह, अनुभाग अधिकारी संदीप शर्मा थे जबकि एकता मंच की ओर से महासचिव दिगम्बर फुलोरिया, दिनेश गुंसाई, बीएस रावत, प्रदीप पपनै, ई अजय बेलवाल, बीपी सिंह थे।

महामारी के प्रभाव तक ही बढ़ा किराया रहेगा लागू, बस व्यवसायियों को दी राहत

(एनएन सर्विस)
उत्तराखंड सरकार ने बसों के किराये में दोगुने से अधिक वृद्धि कर दी है। किराये में वृद्धि महामारी अधिनियम के प्रभावी रहने तक लागू रहेगी। एक्ट हटते ही बढ़ा किराया कम हो जाएगा। कोविड-19 के चलते बसों में सोशल डिस्टेसिंग के मानकों के अनुसार 50 प्रतिशत यात्रियों को ही बैठाया जाना है। ऐसे में परिवहन व्यवसायी सरकार से किराया बढ़ाने की मांग कर रहे थे। बसों का संचालन करने में भी दिक्कत आ रही थी। व्यवसायियों का कहना था कि आधी सवारी के किराये से तेल का खर्च भी नही निकल पा रहा है। ऐसे में उनके सामने रोजी रोजी का संकट उत्पन्न हो गया है। सरकार ने यह निर्णय परिवहन व्यवसाय को बचाने के लिए लिया है।
शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि कोविड-19 के कारण प्रदेश में बसों को सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों के अनुरूप 50 प्रतिशत सवारी ले जाने की अनुमति है। लेकिन बस संचालकों ने 50 प्रतिशत सवारी के साथ मौजूदा किराया दर पर वाहन संचालन में असमर्थता जताई। घाटा होने की स्थिति में वे बसें नहीं संचालित कर रहे थे। इससे यात्रियों को टैक्सी के माध्यम से आना जाना पड़ रहा था, जिससे जनता पर बोझ पड़ रहा था। ऐसे में सरकार ने बसों के किराये में वृद्धि का निर्णय लिया है। बसों का किराया दोगुना बढ़ाया जा रहा है, लेकिन यह तभी तक प्रभावी होगा, जबतक महामारी एक्ट राज्य में लागू है।

किराए की लिस्ट-सिटी बस में किराया दर 
पहले दो किमी    – 07 से बढ़ाकर 14 रु
दो से छह किमी   – 10 से बढ़ाकर 20 रु
छह से 10 किमी  – 15 से बढ़ाकर 30 रु
10 से 14 किमी  –  20 से बढ़ाकर 40 रु
14 से 19 किमी  – 25 से बढ़ाकर 50 रु
19 से 24 किमी  – 30 से बढ़ाकर 60 रु
24 से 29 किमी  – 35 से बढ़ाकर 70 रु
29 किमी से अधिक- 40 से बढ़ाकर 80 रु

नॉन-डीलक्स बस किराया
साधारण बसें (मैदानी क्षेत्र) – 1.05 से बढ़ाकर 2.10 रुपये प्रति किमी
साधारण बसें (पर्वतीय क्षेत्र)- 1.50 से बढ़ाकर 3 रुपये प्रति किमी

वातानुकुलीत श्रेणी में
थ्री बाय टू सीटर बसें – 1.25 गुणा वृद्धि
टू बाय टू सीटर बसें  – 1.9 गुणा वृद्धि
सुपर डीलक्स (वॉल्वो) – तीन गुणा वृद्धि

14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन को बढ़ाने के लिए केंद्र को संस्तुति भेजेगा राज्य

शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कोरोना वायरस कोविड-19 के सम्बन्ध में कैबिनेट निर्णय के बारे में जानकारी साझा की। इसके तहत निम्न निर्णय लिए गए है-

1. भारत सरकार की गाईडलाईन के अनुसार मुख्यमंत्री, मंत्री और समस्त विधायको के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती, कोविड-19 फंड के लिए की जाएगी तथा आगामी दो वर्षो में विधायक निधि के अंतर्गत एक-एक करोड रूपये की कटौती कोविड-19 फंड के लिए की जाएगी।

2. प्रदेश में कोरोना संक्रमित जामातियों की संख्या बढने के कारण कोरोना वाईरस कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन बढाने की संस्तुति केन्द्र सरकार को भेजी जाएगा।

3. खाद्यान सुरक्षा योजना के अन्तर्गत सभी नागरिकों को पर्याप्त राशन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। इसके तहत अंत्योदय योजना के अन्तर्गत 35 किग्रा राशन गेहूँ और चावल के रूप में 03 माह का राशन उपलब्ध रहेगा।

खाद्यान सुरक्षा योजना सफेद कार्ड धारक को प्रति यूनिट पांच किग्रा चावल, दाल फ्री उपलब्ध कराया जाएगा। उन दोनों कार्ड से अलग 40 लाख युनिट वाले 10 लाख राशन कार्ड धारकों को 7.5 किग्रा राशन की मात्रा को दोगुना कर 15 किग्रा राशन कार्ड धारकों को अप्रैल, मई, और जून तीन माह के लिए वितरण किया जाएगा। जिसके पास कोई भी राशन कार्ड नहीं होगा उन्हें राशन किट दिया जाएगा।

4. कोरोना वाईरस कोविड-19 के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विभाग, टैक्निशियन संवर्ग विभिन्न पदों हेतु कुल 347 पदों पर नियुक्ति की जाएगी।

5. खाद्यान वितरण-कार्य के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया कि एनजीओ इत्यादि प्रशासन के माध्यम से कार्य करायें।

6. रोजाना आवश्यक सामग्री के खरीद हेतु दी गई समय सीमा को कम करने का अधिकार मुख्यमंत्री को सौंपा गया।

तो कम्पाउडिंग से रुकेगा अनधिकृत निर्माण, कैबिनेट का ये कैसा फैसला

अनधिकृत निर्माण को न्यूनतम करने के लिए सरकार ने कैबिनेट में नियमों और मानकों में ढील देते हुए एक बार फिर कई कदम उठाए हैं। इसके पीछे मंशा ये ही है कि भवन निर्माण की जटिलताओं को कम से कम किया जाए, साथ ही ज्यादा से ज्यादा अवैध निर्माणों के नियमितीकरण के लिए रास्ता खुल सके। सरकार का मानना है कि नियमों में शिथिलता के बाद अवैध निर्माण के लिए कम से कम गुंजाइश रहेगी। इसके बावजूद, यदि अवैध निर्माण किए जाते हैं, तो इसके लिए भारी भरकम जुर्माने की भी सरकार व्यवस्था करने जा रही है।
त्रिवेंद्र सरकार ने इस वर्ष की शुरुआत में वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू की थी। यह योजना छह महीने चलकर जून 2019 में खत्म हो गई। हालांकि इसका बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया। इसकी वजह ये भी रही कि सरकार का इन पिछले महीनों में चुनावी चुनौती से निबटने में ज्यादा ध्यान रहा। अब स्थिति सामान्य होने के बाद सरकार ने इस योजना में कुछ एक बातों को और शामिल करते हुए तीन महीने के लिए इसकी अवधि बढ़ा दी है।
सरकार ने भवन उपविधि में भी आमूलचूल संशोधन किए हैं। आवास मंत्री मदन कौशिक के अनुसार, हमने यह कोशिश की है कि अवैध निर्माण के लिए कोई गुंजाइश न रहने पाए। इसलिए छोटी-छोटी तकनीकी बातों का भी ध्यान रखा गया है। इसके बावजूद, यदि अवैध निर्माण किए जाते हैं, तो यह बर्दाश्त नहीं होंगे। इसके लिए जल्द ही जुर्माना राशि को बढ़ाने की व्यवस्था भी की जा रही है।

वन टाइम सेटलमेंट की अब ये होगी व्यवस्था
पूर्व व्यवस्था में एकल आवासीय भवन में बैक सेटबैक में 40 प्रतिशत निर्माण की अनुमन्यता है, जिसकी ऊंचाई सात मीटर तक अनुमन्य है। संशोधित प्राविधान के अनुसार, 40 प्रतिशत निर्माण दस मीटर तक की ऊंचाई तक अनुमन्य होगा। यानी अतिरिक्त तीन मीटर ऊंचाई अनुमन्य होगी। 150 वर्ग मीटर तक भूखंड में बैक सेटबेक 100 फीसदी तक कंपाउंडिंग हो सकेगी। व्यवसायिक मामलों में पूर्व प्राविधान के साथ अतिरिक्त दस फीसदी तक की सुविधा दी गई है।