आनंद गिरि को लेकर सीबीआई हरिद्वार पहुंची

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत मामले में जांच के लिए सीबीआई की टीम गिरफ्तार आनंद गिरि को लेकर हरिद्वार पहुंची गई है। वहीं, इससे पहले सीबीआई देहरादून की टीम ने बुधवार को हरिद्वार पहुंच कर श्यामपुर क्षेत्र के गाजीवाला गांव स्थित आनंद गिरि के आश्रम के सेवादारों से पूछताछ कर मामले की जानकारी जुटाई थी।
सूत्रों के अनुसार, सीबीआई की टीम आनंद गिरी को जौलीग्रांट एयरपोर्ट से हरिद्वार लाई है। सीबीआई की टीम में कौन-कौन शामिल है, अभी यह जानकारी सामने नहीं आ पाई है। आश्रम के अंदर जाते वक्त आनंद गिरि ने कहा कि जांच एजेंसी अपना काम कर रही है। पूरी मामले की सच्चाई सामने आएगी। इससे पहले एचआरडीए की ओर से लगाए गई सील को काट दिया गया था। जिसके बाद आनंद गिरि को आश्रम के अंदर ले जाया गया।
सूत्रों की मानें तो सीबीआई की एक टीम आनंद का मोबाइल और लैपटॉप बरामद करने के लिए हरिद्वार आई है। वहां उनके आश्रम में तलाशी करके वांछित सामानों की बरादमगी भी की जाएगी। उनके लैपटॉप और मोबाइल में नरेंद्र गिरि के अश्लील वीडियो संबंधित साक्ष्य मिलने की उम्मीद है। सीबीआई उसे कब्जे में लेकर फोरेंसिक जांच कराएगी।
सीबीआई की दूसरी टीम आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी से पुलिस लाइन में पूछताछ कर रही है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में आरोपी बनाए गए आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को जांच एजेंसी ने कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को सात दिन के लिए कस्टडी रिमांड पर लिया था।
इन तीनों के खिलाफ महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में मौत का जिम्मेदार बताया था। 24 घंटे से अधिक समय तक आनंद गिरि को कस्टडी में रख, पूछताछ करने के बाद बुधवार दोपहर सीबीआई टीम उन्हें लेकर पुलिस लाइन से पीछे के रास्ते निकली। लगभग ढ़ाई बजे तक वह एयरपोर्ट पहुंच गई। वहां पर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया था।
बताया जा रहा है कि साढ़े तीन बजे की फ्लाइट से आनंद गिरि को लेकर सीबीआई हरिद्वार चली गई। बता दें कि आनंद गिरि निरंजनी अखाड़े से निकाले जाने के बाद हरिद्वार स्थित एक आश्रम में रुके थे। बुधवार को उसी आश्रम से सीबीआई आनंद गिरि का लैपटॉप समेत अन्य सामान बरामद करने की कोशिश करेगी। नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में जिस अश्लील वीडियो का जिक्र किया था, उसी के बारे में सुराग लगाने के लिए सीबीआई छानबीन कर रही है।

हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने दर्ज किया पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा

ऊधमसिंहनगर पुलिस के एक चैकी प्रभारी व उनकी टीम पर ढाबा संचालक को चरस के मुकदमे में झूठा फंसाने के आरोप में सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि चैकी प्रभारी, तीन सिपाहियों और दो एसपीओ ढाबे पर पहुंचे और संचालक से मारपीट की। इसके बाद उसके पास से चरस बरामद दिखाई। संचालक ने जब हाईकोर्ट की शरण ली तो सारी कहानी की पोल खुलनी शुरु हुई।
मामला केलाखेड़ा थाना की बेरिया दौलत पुलिस चैकी क्षेत्र का है। यहां हाईवे के पास अनिल शर्मा का पंडित ढाबा है। गत 28 जुलाई की शाम को वहां पर चार-पांच पुलिसकर्मी आए और कर्मचारियों से मारपीट करने लगे। एक कर्मचारियों का फोन भी छीन लिया और अपने मालिक को बुलाने को कहा। ढाबे पर मौजूद मालिक से भी उन्होंने मारपीट की। इसके बाद कर्मचारी को गाड़ी में बैठाकर ले गए और उसके पास से चरस बरामद दिखाई। लेकिन, यह सारी घटना ढाबे पर लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई। 
पुलिसकर्मियों की चालाकी यहीं नहीं रुकी। अगले दिन दो पुलिसकर्मी ढाबे पर आए और सीसीटीवी फुटेज को डिलीट कर दिया। साथ ही किसी को न बताने की धमकी भी दे गए। इसके बाद अनिल शर्मा ने गत सात अगस्त को इस मामले में हाईकोर्ट में रिट दायर की। हाईकोर्ट के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने एसएसपी ऊधमसिंह नगर से रिपोर्ट मांगी। इस मामले में एसएसपी ने केलाखेड़ा एसओ को लाइन हाजिर और चैकी प्रभारी व तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पूरे प्रकरण में सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल सर्विलांस समेत अन्य साक्ष्य भी पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे।
अनिल शर्मा ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 18 अगस्त को प्राथमिक जानकारी को दर्ज कर जांच शुरू कर दी। इसके अगले ही दिन हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। सीबीआई देहरादून शाखा ने चैकी प्रभारी बेरिया दौलत प्रकाश चंद टम्टा, सिपाही त्रिभुवन सिंह, चंदन सिंह बिष्ट, हरीश गिरी और स्पेशल पुलिस अफसर (कोरोना काल में जनता के बीच से बनाए गए थे) परवेज अहमद व राजवंत सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। मुकदमे की जांच इंस्पेक्टर हरीश सिंह कर रहे हैं। 

आईपीसी की धाराएं जिन पर मुकदमा हुआ है दर्ज
120बी-आपराधिक षडयंत्र रचना 
166- लोकसेवक रहते कानून की अवज्ञा करते हुए किसी को चोट पहुंचाना 
167-अशुद्ध दस्तावेज रचना
193- कोर्ट में झूठे साक्ष्य पेश करना। 
201- साक्ष्य छुपाना या मिटाना 
211- किसी को नुकसान पहुंचाने की नियत से झूठा आरोप लगाना। 
220-निर्दोष व्यक्ति को जबरन रोककर रखना। 
323- मारपीट करना। 
342- गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति को रोककर रखना। 
348-ज 465-जालसाजी।

जानिए, तिहाड़ जाने से अच्छा है घर में नजर बंद रहुं, किसने कहा?

दिल्ली की शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम की सीबीआई हिरासत पांच सितंबर तक बढ़ा दी है। चिदंबरम के वकील ने कहा कि वे फिलहाल अंतरिम जमानत पर जोर नहीं दे रहे हैं। उन्होंने इसकी सुनवाई पांच सितंबर को निर्धारित करने की मांग की। सीबीआई ने मामले में चिदंबरम की हिरासत में पूछताछ की अवधि दो दिन बढ़ाने की मांग की थी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पांच सितंबर तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे। शीर्ष अदालत ने चिदंबरम के वकील से कहा कि फिलहाल वह निचली अदालत में सोमवार को दायर अंतरिम जमानत याचिका पर पांच सितंबर तक जोर नहीं दें। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और उन्हें सीबीआई की हिरासत में भेजने के निचली अदालत के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर पांच सितंबर को सुनवाई की जाएगी। पीठ ने इस मामले को पांच सितंबर के लिये सूचीबद्ध करते हुए कहा कि हम इस बात के प्रति सजग हैं कि हमें संबंधित निचली अदालत का अधिकार क्षेत्र नहीं छीनना चाहिए।
इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने न्यायालय से कहा कि उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाए बल्कि घर में ही नजरबंद कर दिया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि निचली अदालत सोमवार को ही चिदंबरम के अंतरिम जमानत के अनुरोध पर विचार नहीं करती है तो उनकी सीबीआई हिरासत की अवधि और तीन दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी। पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह निचली अदालत द्वारा चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और बाद में उन्हें जांच ब्यूरो की हिरासत में देने के आदेश को चुनौती देने के मामले में अपना जवाब दाखिल करे।
सीबीआई की विशेष अदालत ने 30 अगस्त को पूर्व वित्त मंत्री को दो सितंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पर आरोप है कि वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने रिश्वत लेकर आईएनएक्स मीडिया को 2007 में 305 करोड़ रुपये लेने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से मंजूरी दिलाई थी।

हाइकोर्ट ने पंचकुला मामले में सरकार को लताड़ा, कहा हर मोर्चे पर रहे नाकाम

डेरा सच्चा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पंचकूला की सीबीआई की एक कोर्ट ने शुक्रवार को रेप के 15 साल पुराने मामले में दोषी माना। बाबा को दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद ही उनके समर्थक उग्र हो गए और हरियाणा-पंजाब समेत 5 राज्यों में उन्होंने तांडव मचाया। हिंसा का सबसे ज्यादा असर पंचकूला में देखने को मिला, जहां 29 लोगों की मौत हो गई। वहीं सिरसा में भी 2 लोगों की जान चली गई.हिंसा पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने खट्टर सरकार को लगातार तीसरे दिन जमकर लताड़ा है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जलने दिया. ऐसा लगता है कि सरकार ने सरेंडर कर दिया।
इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि स्वयंभू बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायियों द्वारा की जा रही हिंसा और आगजनी के कारण हुई क्षति की भरपाई डेरा सच्चा सौदा से कराई जाए। अदालत ने आदेश दिया कि कोई भी राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक नेता कोई भड़काऊ बयान नहीं दे और अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। पीठ ने आदेश में कहा, स्थिति से निपट रहे अधिकारी बिना भय के और निष्पक्षता के साथ अपना काम करे। अगर कोई अधिकारी कर्तव्य के निर्वहन में चूकता है तो उसके खिलाफ अदालत कड़ी कार्रवाई करेगी।

स्कूटर में 35 लीटर तेल पिलाने वाले के खिलाफ हो सीबीआई जांच: उपाध्याय

ऋषिकेश।
झंडा चौक स्थित श्री भरत मंदिर में मीडिया से मुखातिब होते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड की सभी सड़कें ऑल वैदर हैं तो फिर प्रधानमंत्री 12 सौ करोड़ की सड़क का शुभारंभ करते हुए उन सड़कों को ऑल वैदर का नाम क्यों दे रहे हैं। यह मात्र चुनावी जुमला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह उत्तराखंड के सुख-दुख से वाकिफ हैं तो उन्हें ढाई साल तक उत्तराखंड की याद क्यों नहीं आई। अब जब चुनाव नजदीक है तो उन्हें उत्तराखंड की याद आई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से गुजरात में पैसे लेने की बात पर प्रधानमंत्री क्यों नहीं बोले? प्रधानमंत्री पर राज्य के रोके गए पांच सौ करोड़, नमामि गंगे के तहत केन्द्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव, डैम का स्वामित्व राज्य सरकार के अधीन करने पर कुछ नहीं बोलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रैली में भीड़ मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, पौंटा साहिब से मंगाई गई थी। इस दौरान राज्यमंत्री जयपाल जाटव, पालिका चेयरमैन दीप शर्मा, प्रदेश महामंत्री राजपाल खरोला, महंत विनय सारस्वत, नगर कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष शिवमोहन मिश्रा, मधु जोशी, विमला रावत, जयेन्द्र चन्द्र रमोला, मदन मोहन शर्मा, सभासद अरविन्द जैन, मुमताज हाशिम, विनोद चौहान, विवेक तिवारी, हर्षवर्धन शर्मा, गौरव राणा, विकास अग्रवाल, सुमित त्यागी, सौरभ नैथानी सहित अन्य मौजूद थे।

हरीश रावत सीबीआई के सम्मन पर हाजिर नही हुए

देहरादून।
विधायकों की खरीद फरोख्त मामले से संबंधित कथित स्टिंग मामले में फंसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत तय तिथी के अनुसार सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हुए। उन्हें 26 दिसंबर यानि सोमवार के लिए सीबीआई ने समन जारी किया था। सीबीआई को सीएम हरीश रावत की ओर से अनुरोध पत्र मिला, जिसमें उन्होंने उपस्थित नहीं हो पाने की बात कही है। इसी वर्ष मार्च में उत्तराखंड विधानसभा में विनियोग विधेयक पर चर्चा के साथ कांग्रेस विधायकों के एक गुट ने मतदान की मांग करते हुए हंगामा किया था। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने विनियोग विधेयक को पारित घोषित कर दिया। इसके बाद बागी विधायकों ने भाजपा विधायकों के साथ राज्यपाल से मुलाकात की थी।
विश्वास मत प्राप्त करने के विशेष सत्र से पहले तत्कालीन मंत्री हरक सिंह रावत ने दिल्ली में एक स्टिंग की सीडी जारी की। इसमें कथित तौर पर सीएम रावत को बहुमत के लिए विधायक जुटाने के लिए मोलभाव की बातचीत करते दिखाया गया था। इस मामले की सीबीआइ जांच के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र की सीबीआइ जांच की अधिसूचना के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष सीएम की याचिका पर सुनवाई हुई। सीएम की ओर से अधिवक्ता देवीदत्त कॉमथ ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि सीबीआइ ने सीएम को पूछताछ के लिए 26 दिसंबर को सीबीआइ मुख्यालय में पेश होने को कहा है।
हरीश रावत के प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया था कि स्टिंग ऑपरेशन राजनीतिक दुर्भावना व साजिश के तहत किया गया और जांच एजेंसी साजिशकर्ताओं और मुख्य आरोपियों से पूछताछ की बजाय उन्हें परेशान कर रही है। इसलिए इस मामले की जल्द सुनवाई की जाए। सीबीआइ के अधिवक्ता संदीप टंडन ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने पूर्व के आदेश में मामले की जांच करने में किसी तरह की रोक नहीं लगाई है। यह भी कहा कि जांच एजेंसी मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले अदालत को सूचित करेगी।