सीएम ने की केंद्र पोषित योजनाओं की समीक्षा बैठक

राज्य में संचालित केन्द्र पोषित योजनाओं के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त होने वाली धनराशि का विकास कार्यों में शत प्रतिशत धनराशि खर्च किया जाए। इसके लिए विभागाध्यक्ष एवं सचिव की जिम्मेदारी तय की जायेगी। केंद्र पोषित योजनाओं के तहत निगरानी के लिए शासन स्तर पर एक मॉनिटरिंग सेल बनाया जाय। विभाग द्वारा केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे जाने तथा प्रस्ताव पर स्वीकृति के बाद विभागों द्वारा किये जा रहे कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग की जाय। यह निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में केंद्र पोषित योजनाओं एवं बाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को दिये।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि केंद्र पोषित योजनाओं के तहत योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए किसी भी विभाग को कोई समस्या आ रही है तो मुख्यमंत्री कार्यालय को समस्या से शीघ्र अवगत कराया जाय। समस्या के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर समाधान निकाला जायेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये कि विभिन्न विकास योजनाओं के तहत केंद्र सरकार से धनराशि स्वीकृत होने के बाद फाइल अनावश्यक रूप से शासन में लंबित न रहे। विभागीय सचिव अपने स्तर से स्वीकृत धनराशि जारी करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र पोषित योजनाओं का राज्य को पूरा फायदा मिल सके, इसके लिए सभी विभाग समन्वय के साथ कार्य करें। सभी विभाग योजनाओं के सफल क्रियान्वयन की दिशा में अपनी ओर से बेस्ट परफॉर्मेंस दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम्य विकास विभाग के तहत जिन केंद्र पोषित योजनाओं के तहत कार्य हो रहे हैं, मार्च 2024 तक विभाग ने इसके लिए क्या प्लान बनाया है, वह प्लान प्रस्तुत किया जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अवस्थापना विकास से संबंधित कार्यों में तेजी लाई जाय। कार्यदाई संस्थाओं के चयन के लिए विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद चयन प्रक्रिया अविलम्ब प्रारम्भ कराई जाये, ताकि योजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब न हो। राज्य की कार्यदाई संस्थाओं को पहले प्राथमिकता दी जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान 50 करोड़ रूपये से अधिक बजट की 22 विभागों की 42 केन्द्र पोषित योजनाओं की समीक्षा की। बाह्य सहायतित योजनाओं के कार्यों में भी और तेजी लाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिये।

बैठक में बताया गया कि केन्द्रीय पोषित योजनाओं के तहत राज्य के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये कुल 15 हजार 583 करोड़ रूपये का प्राविधान किया गया है। इस वित्तीय वर्ष में 31 जुलाई 2023 तक 04 हजार 204 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है। जिसके सापेक्ष 01 हजार 759 करोड़ रूपये की धनराशि व्यय की जा चुकी है। 31 जुलाई 2023 तक बजट के सापेक्ष 27 प्रतिशत धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है। स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष अभी तक 42 प्रतिशत धनराशि व्यय की जा चुकी है। जबकि राज्य में 8338 करोड़ रूपये की 12 बाह्य सहायतित परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जबकि 17165 करेाड़ की 10 बाह्य सहायतित परियोनाएं पाईपलाईन में हैं।

बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, एल. फैनई, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, दिलीप जावलकर, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, बृजेश कुमार संत, दीपेन्द्र चौधरी, डॉ. आर. राजेश कुमार, चन्द्रेश कुमार यादव, विजय कुमार यादव, अपर सचिव योगेन्द्र यादव, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी एवं संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

यूएचएसडीपी से एनएबीएच एक्रिडिएशन को जुटाये जायेंगे संसाधन

केन्द्र पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम्स डेवलपमेंट परियोजना के जरिये जिला अस्पतालों की सूरत बदली जायेगी। परियोजना के प्रथम चरण में सूबे के पांच जिला चिकित्सालयों का चयन कर सुधारीकरण का कार्य गतिमान है। जिसके तहत अस्पतालों की गुणवत्ता संवर्द्धन के लिये एनएबीएच स्तरीय मानकों के अनुरूप संसाधन जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं। ताकि आने वाले समय में जिला अस्पतालों को आसानी से एनएबीएच मान्यता मिल सके।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य महानिदेशालय देहरादून में एनएचएम के अंतर्गत केन्द्र पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम्स डेवलपमेंट परियोजना की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने अधिकारियों को परियोजना के अंतर्गत चयनित पांच जिला चिकित्सालयों अल्मोड़ा, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, चमोली तथा जिला महिला चिकित्सालय पिथौरागढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़करण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत चयनित चिकित्सालयों में एनएबीएच स्तरीय मानक पूर्ण करने के लिये गैप एसेसमेंट के आधार पर शासन द्वारा पूर्व में ही डीपीआर अनुमोदित कर लगभग रूपये 74 करोड़ की धनराशि जारी की जा चुकी है। जिसके तहत चयनित जिला चिकित्सालयों में 10 विशेषज्ञ चिकित्सक, 10 स्टॉफ नर्स, 2 लैब टेक्निशियन, एक एक्स-रे टेक्नीशियन तथा एक मैट्रन तैनात किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा परियोजना के अंतर्गत अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इस कार्य हेतु रूपये 20 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी गई है जबकि शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान आईआईएचएमआर जयपुर एवं एएससीआई हैदराबाद के माध्यम से सीएमओ, सीएमएस व एसीएमओ को कौशल संबर्द्धन हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी प्रकार चयनित चिकित्सालयों में लोक निजी सहभागिता के अंतर्गत कम्युनिकेशन कार्य योजना एवं डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान भी अपडेट किया जा रहा है। विभागीय मंत्री ने उम्मीद जताई है कि वर्ष 2023 तक परियोजना के पूर्ण क्रियान्वयन पर चयनित जिला चिकित्सालयों में अमूलचूल परिर्वतन देखने को मिलेगा, जिससे चिकित्सालयों को एनएबीएच एक्रिडिएशन कराने में खासी मदद मिलेगी।
समीक्षा बैठक में प्रभारी अधिकारी डॉ0 अमित शुक्ला ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत विशेषज्ञ चिकित्सकों के स्वीकृत 50 पदों के सापेक्ष 28 पदों पर तैनाती दे दी गई है। इसी प्रकार स्टॉफ नर्स के स्वीकृत 50 पदों, एक्स-रे टेक्नीशियन तथा मैट्रन के 05 पदों एवं लैब टेक्नीशियन के 10 पदों के सापेक्ष पूर्ण तैनाती कर दी गई है। जबकि अधिकारियों के प्रशिक्षण का कार्य गतिमान है।

बैठक में प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ0 आर0 राजेश, निदेशक एनएचएम डॉ0 सरोज नैथानी, एपीडी यूएचएसडीपी डॉ0 प्रेम लाल, संयुक्त निदेशक पीपीपी डॉ0 अमित शुक्ला, वित्त नियंत्रक बिरेन्द्र कुमार, डॉ0 विपुल विश्वास, डॉ0 राजन अरोड़ा सहित विभगाय अधिकारी उपस्थित रहे।

जहां दूरसंचार कनेक्टिविटी नहीं, वहां प्राथमिकता के साथ सुविधा देंः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा राज्य स्तरीय दिशा समिति की बैठक आयोजित की गई। इसमें केंद्र पोषित योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा हुई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समिति के सदस्य सांसदगणों और विधायकगणों को आवश्यक सूचनाएं समय पर उपलब्ध कराई जाए। जिला स्तर की बैठकों का आयोजन सुनिश्चित किया जाए। विभिन्न योजनाओं में दिए गए टार्गेट समय पर पूरे हों। कार्यों की क्वालिटी पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। कोविड-19 के कारण हुई देरी की भरपाई करने के लिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिज क्षेत्र कल्याण योजना में पर्याप्त मात्रा में धन उपलब्ध है। इसमें अवस्थापनात्मक, सामाजिक क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित काम कराए जाएं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में प्लेसमेंट को प्रमुखता दी जाए। डिजिटल भारत भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम को सभी जिलों में तेजी से लागू किया जाना है। मनरेगा में अच्छा काम किया गया है। इसमें सुनिश्चित किया जाए कि नए जॉब कार्ड बनाने में कोई परेशानी न हो। जिन गांवों में दूरसंचार की कनेक्टिविटी नहीं है, उन्हें कनेक्टिविटी से जोड़ने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) द्वारा 41 केंद्र पोषित योजनाओं व कार्यक्रमों की समीक्षा की जाती है। इसका उद्देश्य चुने हुए जनप्रतिनिधियों के सहयोग से उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना और तालमेल को बढ़ाना है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति और सांसदगण की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय समिति बनाई गई हैं। राज्य स्तरीय समिति में सभी सांसदगण और कुछ विधायकगण भी सदस्य होते हैं। समिति समन्वय और निगरानी के साथ ही धन प्रवाह की समीक्षा, भूमि, स्थान जैसे मामलों को हल करना, योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार के लिए आवश्यतानुसार सुझाव भारत सरकार को दे सकती है।
बैठक में पीएमजीएसवाई, एनआरएलएम, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, मनरेगा, सर्व शिक्षा अभियान, मिड-डे मील, डिजिटल इंडिया, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, सुगम्य भारत अभियान, अमृत, प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, एकीकृत विद्युत विकास योजना, डिजिटल भारत भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, परम्परागत कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-नाम, जल जीवन मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, समेकित बाल विकास योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, टेलीकॉम, रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम आदि कार्यक्रमों व योजनाओं की समीक्षा की गई।
बैठक में सांसद अजय भट्ट, अजय टम्टा, विधायक राजेश शुक्ला, धन सिंह नेगी, राम सिंह कैड़ा, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव आरके सुधांशु, शैलेश बगोली, नीतेश झा, आर मीनाक्षी सुंदरम सहित शासकीय अधिकारी उपस्थित रहे।