न्यायालय ने चेक बाउंस में आरोपी बनाए व्यक्ति को किया बरी

चेक बाउंस के मामले पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश ने अपना फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त किया है।

अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि सुनील रावत पुत्र केएस रावत निवासी नटराज चौक ढालवाला टिहरी गढ़वाल ने न्यायालय में वाद दायर किया। जिसमें वादी ने बताया कि बलवीर सिंह पुत्र सतनाम निवासी गढ़ीमयचक ऋषिकेश से अच्छी जान पहचान थी। वादी के अनुसार बलवीर सिंह के साथ एक जमीन का सौदा किया। जिसके बयाने के लिए वादी ने 12 लाख 50 हजार रूपये दिए। मगर, कुछ समय बाद जमीन का सौदा निरस्त हो गया। इस पर सुनील रावत ने बलवीर से अपने रूपये वापस मांगे। जिस पर बलवीर ने चेक दिया, जो बाउंस हो गया।

अधिवक्ता शुभम राठी ने इस मामले में आरोपी बनाए गए बलवीर सिंह की ओर से मजबूत पैरवी की। उन्होंने न्यायालय को बताया कि बलवीर सिंह ने सुनील रावत से 12 लाख 50 हजार रूपये नहीं लिये थे। सिर्फ 10 लाख रूपये लेकर एक ब्लैंक चेक दिया था, जिसे वापस न देने पर जमीन पर कब्जा करने को लेकर सहमति बनी थी। अधिवक्ता ने न्यायालय में यह आवश्यक दस्तावेज के जरिए यह साबित कर दिखाया कि सिर्फ 10 ही लाख रूपये लिए थे, जो वापस भी लौटा दिए।

अधिवक्ता शुभम राठी की ठोस पैरवी को आधार बनाते हुए न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेंद्र कुमार ने बलवीर सिंह को दोषमुक्त किया है।

चेक बाउंस-छह माह के कठोर कारावास की सजा सुनाई

चेक बाउंस के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोष सिद्ध होने पर आरोपी को छह माह के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दो महीने में परिवादी को क्षतिपूर्ति धनराशि 16 लाख 50 हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया है। निर्धारित अवधि के भीतर क्षतिपूर्ति नहीं देने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।
अधिवक्ता अमित अग्रवाल ने बताया कि अक्तूबर 2015 में राजेंद्र सिंह ने अपने एक परिचित अनुज कालिया निवासी ऋषिकेश से 15 लाख रुपये उधार लिए थे। दो महीने बाद उधार की रकम चुकाने के एवज में 5 दिसंबर 2015 को 15 लाख का चेक दिया। विश्वास दिलाया कि चेक अनादरित नहीं होगा।
अनुज कालिया ने तय तारीख आने पर चेक बैंक में प्रस्तुत किया। करीब एक महीने बाद बैंक ने चेक यह कहकर लौटा दिया कि संबंधित खाते में रकम नहीं है। चेक बाउंस होने पर अनुज कालिया ने आरोपी को कोर्ट नोटिस भिजवाया। नोटिस प्राप्त करने के बाद भी आरोपी ने उधार की रकम नहीं लौटायी। परिवादी अनुज कालिया ने मामले की शिकायत कोर्ट में दर्ज करायी। कोर्ट में विचाराधीन मामले की अंतिम सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भवदीप की अदालत में हुई। आरोप साबित होने पर कोर्ट ने सजा सुनायी है।