मुख्यमंत्री आवास में रोजगार के क्षेत्र में किये जा उद्यानिकी विभाग के ट्रायल हो रहे सफल

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री आवास में उद्यान विभाग के द्वारा राज्य के उद्यानिकी क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में कई प्रकार के ट्रायल किये जा रहे है। जिनसे युवा इन क्षेत्रों को रोजगार के रुप में अपनाये। इसी क्रम में मुख्यमंत्री आवास परिसर में उद्यान विभाग द्वारा एक पेड पर आम की 42 प्रजातियों की ग्राफ्टिंग की गयी। अरूनिमा, अरूनिका, अम्लिका, सूर्या, लालिमा, मल्लिका, निलय, आम्रपाली इत्यादि को मिलाकर कुल 42 प्रजातियों की ग्राफ्टिंग एक पेड पर की गयी।
मुख्य उद्यान अधिकारी देहरादून डाॅ0 मीनाक्षी जोशी द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को इन प्रजातियों के बारे में विस्तृत से जानकारी दी गयी। वहीं, आवास परिसर में मौनपालन से इस वर्ष 22 कि0ग्रा0 शहद का उत्पादन हुआ। जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा पुनः मौनपालन को बढ़ावा देने हेतु योजना बनाने हेतु निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री द्वारा उद्यान प्रभारी दीपक पुरोहित को आवास परिसर में औद्यानिकी की अन्य गतिविधियां भी शुरू करने हेतु निर्देशित किया गया। पुरोहित द्वारा बताया कि आवास परिसर में अगले वर्ष तक अनुमानित आम की 200 से भी अधिक प्रजातियाँ लगायी जायेंगी।

मुख्यमंत्री ने भूमि खाताधारक के साथ पत्नी का नाम भी शामिल करने का दिया सुझाव

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में आज को मुख्यमंत्री आवास में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की तीसरी बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा प्रस्तुत जनपद टिहरी की रिपोर्ट का विमोचन किया।
मुख्यमत्री ने कहा कि कोविड-19 के दृष्टिगत प्रदेशवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करना हमारी शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं। यह भी आकलन किया जाय कि उत्तराखण्ड में जो प्रवासी उत्तराखण्डी आये हैं, उनमें से कितने लोग प्रदेश में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए महिलाओं को बैंक से लोन लेने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए भूमि खाताधारक के साथ उनकी पत्नी का नाम भी शामिल किया जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्रदेशवासियों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराये जायेंगे। इसकी भी पूरी स्टडी की जाय कि किन क्षेत्रों में कार्य करने के लिए लोग अधिक रूचि दिखा रहे हैं। लोगों की आमदनी में कैसे वृद्धि की जा सकती है, किन क्षेत्रों में रोजगार की अधिक सम्भावना है। इसकी पूरी स्टडी की जाय। जो गांव अभी तक सड़क की सुविधाओं से नहीं जुड़ पाये हैं और जिन गांवों में पेयजल की समस्या है, उनको भी चिन्हित किया जाय। हमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उसकी, पैकेजिंग एवं मार्केटिंग की दिशा में भी विशेष प्रयास करने होंगे। ग्रामीण क्षेत्र की योजनाओं एवं जन कल्याणकारी योजनाओं की दिशा में और तेजी से कार्य करने की जरूरत है। चाल-खाल के निर्माण की दिशा में राज्य में तेजी से कार्य हो रहे हैं। जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में हमें प्रयास करने होंगे।
उपाध्यक्ष ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग डॉ. एस.एस.नेगी ने अवगत कराया कि आयोग द्वारा अब तक तीन रिपोर्टें राज्य सरकार को प्रस्तुत की गई हैं, जिसमें पलायन को कम करने हेतु सिफारिशें दी गई हैं। आयोग द्वारा जनपद अल्मोड़ा के ग्राम पंचायतों में पलायन के विभिन्न पहलुओं पर अंतरिम रिपोर्ट जून 2019 प्रस्तुत की गई। सितम्बर 2019 में ग्राम्य विकास के क्षेत्र में योजनाओं एवं कार्यक्रमों का विश्लेषण एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आयोग द्वारा सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत की गई। जनपद पिथौरागढ़ के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने एवं पलायन को कम करने से संबंधित रिपोर्ट आयोग द्वारा अक्टूबर 2019 में सरकार के समक्ष प्रस्तुत की गई।
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा आज जनपद टिहरी गढ़वाल के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। आयोग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर बैठकें आयोजित की गई एवं स्थानीय नागरिकों से संवाद किया गया। जनपद टिहरी की रिपोर्ट में विकास खण्डवार सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण एवं रूझान, पलायन की स्थिति, वर्तमान ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों के बारे में विश्लेषण तथा सिफारिशें की गई हैं।
बैठक में जानकारी दी गई कि आगामी वर्ष में जनपद चमोली, रूद्रप्रयाग एवं बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन और सबंधित आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने एवं पलायन को कम करने पर रिपोर्ट तैयार की जायेगी। कोविड-19 के प्रकोप के बाद उत्तराखण्ड राज्य में पर्वतीय जनपदों में घर लौटे प्रवासियों के आर्थिक पुनर्वास हेतु सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत करना आयोग की प्राथमिकता है।

उत्तराखंड में कृषि को व्यवसायिक बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने पंतजलि से मांगा सहयोग

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में पतंजलि योगपीठ के आचार्य बाल कृष्ण एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक संपन्न हुई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के दृष्टिगत बहुत से लोग प्रदेश में वापस आए हैं। इन्हें स्वरोजगार से जोड़ने और शॉर्ट टर्म में आजीविका उपलब्ध कराने में कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैव विविधता उत्तराखण्ड की विशेषता है। कृषि क्षेत्र में इसका लाभ लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती हमारे पूर्वजों की देन है। उन्होंने अनुभवों से इसका ज्ञान हासिल किया था। कृषि क्षेत्र में विकास के लिए परंपरागत खेती और आधुनिक तकनीक की मदद से किए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में खेती को व्यावसायिक सोच के साथ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार फसलों का चयन करना होगा। प्रदेश में गिलोय, मुलेठी, हींग, अदरक, हल्दी और नींबू जैसे उत्पादों को प्रोसेस कर इसके लिए क्लस्टर खेती को बढ़ावा देते हुए उत्पाद की मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि इसका अच्छा मूल्य मिल सके।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने और किसानों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने में पतंजलि हर सम्भव सहायता करेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के. एस. पंवार, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं सचिव कृषि आर. मीनाक्षी सुंदरम सहित अन्य विभागीय अधिकारी भी उपस्थित थे।

अब डिजिटल पेमेंट से करें मुख्यमंत्री राहत कोष में दान

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में शनिवार को कोविड -19 ( कोरोना राहत कार्यों) के लिए दानदाताओं द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष में धनराशि डिजिटल पेमेंट के माध्यम से ऑनलाइन जमा करने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष की वेबसाइट cmrf.uk.gov.in का लोकार्पण किया। अब सभी दानदाता घर बैठे ही ऑनलाइन माध्यम से कोविड-19 राहत कार्यों के लिए अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं। NEFT या IMPS के द्वारा एवं अन्य माध्यमों के द्वारा दानराशि जमा करने की जानकारी भी cmrf.uk.gov.in वेबसाइट में उपलब्ध है। मुख्यमंत्री राहत कोष में UPI (Unified Payment Interface) cmrfuk@sbi.in के द्वारा या वेबसाइट cmrf.uk.gov.in में QR कोड को स्कैन करके पेटीएम, भीम एप, गूगल पे, फ़ोन पे इत्यादि डिजिटल माध्यमों से भी पेमेंट कर सकते हैं।
PAYTM एप के सर्च बॉक्स में Uttarakhand Mukhyamantri Rahat Kosh लिखकर डायरेक्ट paytm के माध्यम से भी दानराशि जमा की जा सकती है। मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा की जाने वाली दानराशि 80G के अन्तर्गत इनकमटैक्स में छूट के लिए पात्र हैं, दानदाता इस बेबसाइट में 80G रसीद के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं एवं मुख्यमंत्री राहत कोष से संबंधित अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं।यह वेबसाइट CM Office द्वारा NIC के माध्यम से बहुत कम समय में तैयार की गई है।
मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की है कि कोरोना राहत कार्यों में सहयोग देने के लिए cmrf.uk.gov.in website एवं सभी डिजिटल पेमेंट माध्यमों का उपयोग कर अधिक से अधिक दान देकर सहयोग करें। वेबसाइट उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री के आई०टी० सलाहकार रवींद्र दत्त, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा, एनआइसी उत्तराखंड के उपमहानिदेशक के नारायण, एनआईसी के प्रोजेक्टर कॉर्डिनेटर अरुण शर्मा उपस्थित थे।

इस समय राहत और बचाव कार्यों को प्राथमिकता देंः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोविड-19 के दृष्टिगत सभी जिलाधिकारियों को जनपद की परिस्थिति के अनुकूल आम आदमी की समस्याओं के समाधान में मानवीय व व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि शादी विवाह में दूल्हा और दुल्हन दोनों के पक्षों की व्यावहारिकता देखें। ऐसे प्रकरण अंतर्जनपदीय भी हो सकते हैं। विवाह के लिए केन्द्र सरकार के सामाजिक दूरी व अन्य निर्देशों का अनुपालन करते हुए अनुमति प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए हैं कि जो लोग अपनी रिश्तेदारी आदि वजह से लॉक डाउन में फंस गए हैं उनका स्वास्थ्य परीक्षण करते हुए ग्रीन कैटेगरी के जनपदों में जाने की अनुमति प्रदान की जाए। यही नहीं जिन लोगों को क्वॉरेंटाइन में रखे हुए 14 दिन पूरे हो गए हैं उन्हें 15वें दिन स्वास्थ्य परीक्षण के बाद यथा स्थान भेजने की व्यवस्था कर दी जाए।
मुख्यमंत्री आवास में शासन के उच्चाधिकारियों के साथ सभी जिलाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोविड-19 के दृष्टिगत इससे संबंधित बचाव एवं राहत कार्यों की समीक्षा एवं भारत सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन के संबंध में व्यापक चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि काश्तकारों के व्यापक हित में आम व लींची के सीजन के दृष्टिगत इसे क्रय करने हेतु आने वाले ठेकेदारों को भी आवश्यक चिकित्सा सुरक्षा जांच के बाद आवागमन की सुविधा प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि मटर की खेती करने वाले किसानों के हित में फ्रोजन मटर की प्रोसेसिंग करने वाले उद्योगों को भी प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने गर्मी व सर्दी के मौसम में प्रदेश के सीमांत जनपदों उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ में माइग्रेट होने वाले लोगों के आवागमन, पशुओं को चारा-पानी, गर्मी के दृष्टिगत पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉक डाउन के कारण प्रदेश में हजारों लोगों ने रिवर्स माइग्रेशन किया है, लॉक डाउन के बाद भी इनकी संख्या और बढ़ सकती है इसके लिए एक प्रोफॉर्मा तैयार किया गया है जिसमें उनकी दक्षता आदि का पूरा विवरण तैयार किया जाना है। इसके लिए 30 हजार आवेदन भेजे जा चुके हैं। यह प्रक्रिया भविष्य की योजना तैयार करने में मददगार हो सकेगी। जिला अधिकारी अपने जनपदों में इसका भी ध्यान रखें। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रोत्साहित करने की भी अपेक्षा की। इस धनराशि से जनकल्याण के कार्यों में बड़ी मदद मिल सकती है। उन्होंने जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जो भी निर्देश राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के दृष्टिगत राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में जारी किए जा रहे हैं उनका पालन गंभीरता के साथ सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों से जनपद में मेडिकल स्टाफ की तैनाती के साथ ही उनके प्रशिक्षण पर ध्यान देने को कहा ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप कृषि व खेती से संबंधित कार्यों को सुचारू रूप से संचालन की व्यवस्था की जाए। माइग्रेट लेबरों के हित में उद्योगों से समन्वय कर उनकी आवश्यकता के दृष्टिगत उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि माइग्रेट कैम्पों में नियमित रूप से हेल्थ चेकिंग व उनके मनोबल को बढ़ाने के भी प्रयास किए जाएं।
कहा कि आवश्यक सामान लेकर जाने वाले ट्रक ड्राइवरों को कतिपय जनपदों में 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किए जाने की बात भी सामने आ रही है, ऐसे ड्राइवरों के स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें जाने दिया जाए। उन्होंने वितरित की जा रही सामग्री की एकाउंटिंग पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को कोविड-19 के दृष्टिगत वन विभाग के जिन कर्मचारियों की तैनाती की गई है उन्हें वनाग्नि के बचाव आदि कार्यों के दृष्टिगत कार्यमुक्त कर दें, इनके स्थान पर पीआरडी स्वयं सेवकों की तैनाती की जाए ।
अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप राष्ट्रीय राजमार्ग, चारधाम सड़क परियोजना, कुंभ मेले से संबंधित कार्य, पुलों, नाबार्ड, लोनिवि, राज्य योजना व जिला योजना से संबंधित 75 प्रतिशत प्रगति वाले निर्माण कार्य किए जाने हैं, इसका परिचालन मानकों के अनुरूप किया जाना है। उन्होंने निर्माण कार्यों के मजदूरों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही इसका साप्ताहिक अनुश्रवण किए जाने तथा कार्य स्थल पर अथॉरिटी इंजीनियर, जे.ई. की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा, इसकी व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी इनकी रहेगी।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव उद्योग मनीषा पंवार, सचिव स्वास्थ्य नितेश झा, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव शहरी विकास शैलेश बगोली, सचिव पेयजल अरविंद ह्यांकी, सचिव कृषि आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव खाद्य सुशील कुमार एवं पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने उनके स्तर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं पर जिलाधिकारियों से चर्चा की। जिलाधिकारियों ने अपनी समस्याओं से भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

कोरोना वायरस बचाव कार्यों में जो सहयोग न करें, सख्त कार्रवाई की जाए

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की स्थिति के संबंध में अपने आवास पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाऊन खुलने की स्थिति में भीङ को रोकने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कार्य योजना तैयार कर ली जाए। कोरोना वायरस से बचाव कार्यों में जो लोग सहयोग नहीं करते हैं उनके विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। लोग सरकार का साथ दें, इसके लिए सभी धर्मगुरूओं और समाज के प्रबुद्धजनों का सहयोग लिया जाए। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अनिल कुमार रतूङी, सचिव अमित नेगी, नितेश झा व एडीजी वी विनय कुमार उपस्थित थे।

सीएम ने की अपील, पांच अप्रैल के पीएम के आह्वान को बनाएं सफल
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर कोरोना वायरस के खिलाफ लङाई में एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए 05 अप्रैल 2020 को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए अपने घरों में लाईट बंद कर चार दीपक प्रकाशित करने का आग्रह किया है। यदि दीपक न हो तो मोमबत्ती, टार्च या मोबाईल की फ्लैश लाईट भी जला सकते हैं। हम सभी दीपक जलाकर कोरोना वायरस से लङने में अपनी एकजुटता और दृढ़ संकल्प का परिचय दें। परंतु हमें कुछ बातों का भी ध्यान रखना है। प्रधानमन्त्री ने केवल घरेलू लाईट बंद करने के लिए कहा है। बिजली के अन्य उपकरणों जैसे टीवी, फ्रिज आदि को बंद नहीं करना है। इसी प्रकार आवश्यक सेवाओं में भी लाइट बंद नहीं होगी। स्ट्रीट लाइट भी जली रहेंगी। अति उत्साह में पूरे सोसायटी, अपार्टमेंट या घर के मेन वितरण प्रणाली से बिजली आपूर्ति बंद न करें। घर से बाहर न निकलें और न ही इकट्ठे हों।

अब नही लगाने होंगे ट्रेजरी के चक्कर, पेंशनर ऑनलाइन भरे ई-जीवन प्रमाण पत्र

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक ओर कदम बढ़ाते हुए डिजिटल माध्यम से ई-जीवन प्रमाण पत्र प्रदान करने हेतु आईएफएमएस सॉफ्टवेयर का शुभारम्भ किया गया। इस सॉफ्टवेयर की सहायता से राज्य के पेंशनर देश या विदेश, कहीं से भी अपना ई-जीवन प्रमाण पत्र ऑनलाइन माध्यम से जमा करा सकेंगे। ई-जीवन प्रमाण पत्र को सीएससी केन्द्र से भरा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-जीवन प्रमाण पत्र के माध्यम से राज्य के पेंशनरों को बहुत राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक वर्ष ई-जीवन प्रमाण पत्र के लिए लाखों लोगों को परेशान होना पड़ता है। इस सेवा के शुरू होने से प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को ट्रेजरी के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे पास के सीएससी केन्द्र से अपना ई-जीवन प्रमाण पत्र ऑनलाइन जमा करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों के वृद्ध एवं अक्षम लोगों को सीएससी तक ना आना पड़े इसके लिए ई-जीवन प्रमाण पत्र जमा करवाने की व्यवस्था भी की जा सकती है। ई-जीवन प्रमाण पत्र अन्य राज्यों एवं विदेशों में रह रहे हमारे पेंशनर्स के लिए भी बहुत ही लाभदायक होगा। वे कहीं से भी अपना जीवन प्रमाण पत्र ऑनलाइन जमा करा सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ई ऑफिस लागू किया गया है। ई-जीवन प्रमाण पत्र, ई-ऑफिस की दिशा में एक ओर कदम है। उन्होंने कहा कि प्रदेश लगातार पेपरलेस व्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
सचिव श्री अमित नेगी ने बताया कि सीएससी के लोगों के साथ इस संबंध में बैठक एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं। ई-जीवन प्रमाण पत्र को कोषागार, उप कोषागार, सीएससी केन्द्र, पर्सनल कंप्यूटर, टैब और मोबाईल ऐप से भी भरा जा सकेगा, स्वीकृत होने पर इसकी सूचना मोबाईल नंबर और ई मेल आईडी पर भी उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि कोषागार, पेंशन एवं हकदारी विभाग लगातार डिजिटल की दिशा में अग्रसर हो रहा है। लगभग 1,56,000 कर्मचारियों की पे रोल ई सिस्टम से जेनरेट की का रही है। लगभग 1,52,000 पेंशनर्स और न्यू पेंशन स्कीम को भी ई गवर्नेंस से जोड़ दिया गया है।