डायरेक्ट सेलिंग के लिए प्रदेश में निर्धारित की जायेगी गाईड लाइनः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के मध्य बेहतर तालमेल पर बल दिया है। उन्होंने उपभोक्ता एवं उत्पादकों को और अधिक नजदीक लाने के प्रयास किये जाने तथा उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए व्यापार में किस प्रकार बिचैलियों की भूमिका को कम किया जाय इस पर भी चिन्तन करने की जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भी प्रत्यक्ष बिक्री (डायरेक्ट सेलिंग) के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के दृष्टिगत समिति का गठन किया जायेगा। उन्होंने बदलते दौर में विकसित हो रही नई सोच के साथ इसके लिये प्रभावी तंत्र विकसित करने पर भी बल दिया।
राजपुर रोड स्थित एक होटल में पी.एच.डी चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री से सम्बन्धित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उपभोक्ता एवं उत्पादकों को और अधिक नजदीक लाने के प्रयास किये जाने तथा व्यापार में किस प्रकार बिचैलियों की भूमिका को कम किया जाय इस पर भी चिन्तन की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादकों द्वारा व्यापार में नई-नई विद्याओं के साथ अवस्थापना सुविधाओं के विकास में किये जा रहे व्यय के दृष्टिगत भी इसे नियमित करने के लिये तंत्र विकसित करने की प्रक्रिया पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डायरेक्ट सेलिंग की दिशा में उपभोक्ताओं को कोई परेशानी न हो, उन्हें धोखाधड़ी जैसी घटनाओं का सामना न करना पड़े, उत्पादक के प्रति उपभोक्ता का विश्वास बना रहे, इसके कारगर प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया में भी उपभोक्ताओं को फायदा होगा तथा इससे किसानों को भी अच्छा मूल्य मिलेगा। मुख्यमंत्री ने प्रोसेसिंग की दिशा में भी विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी, उनका कहना था कि पश्चिम के तौर-तरीकों को आज का युवा अपनाने लगा है अतः जरूरी है कि इसकी व्यवस्था में सुधार लाया जाय। बाजार की गुणवत्ता, उपभोक्ता की सन्तुष्टि व विश्वास के लिये जरूरी है कि इस दिशा में समग्र सोच के साथ हम आगे बढ़ें। उन्होंने पी.एच.डी चेम्बर से इस सम्बन्ध में सुझाव भी देने को कहा। सभी के सुझावों के आधार पर तैयार की गई नीति इस दिशा में सुधार लाने के साथ ही व्यापक व्यवस्था बनाने में मददगार रहेगी।
सचिव खाद्य एवं उपभोक्ता मामले सुशील कुमार ने कहा कि प्रदेश में उपभोक्ताओं के व्यापक हित में राज्य सरकार द्वारा कारगर प्रयास किये हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध में पर्वतीय क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण उपभोक्ताओं पर भी ध्यान दिये जाने एवं इस दिशा में सकारात्मक सोच के साथ कार्य करने की बात कही।
इंटरनेशनल कंज्यूमर पॉलिसी एक्सपर्ट विजोन मिश्रा ने कहा कि डाइरेक्ट सेलिंग क्या है, इसकी जानकारी आम आदमी को होनी चाहिए। उन्होंने इसके लिये राज्य सरकार व पी.एच.डी चेम्बर को संयुक्त रूप से आगे आने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड मोस्ट कन्ज्यूमर फ्रेंडली स्टेट है। उपभोक्ताओं के व्यापक हित में राज्य सरकार के प्रयास सराहनीय हैं। इस अवसर पर चेयरमैन उत्तराखण्ड पी.एच.डी चेम्बर वीरेन्द्र कालरा आदि ने भी अपने विचार रखे।

नेगी दा ने कहा, हिलटाॅप से किसानों को मिलेगा रोजगार

सरकार के लिए राहत की खबर है। हिलटाॅप शराब पर राज्य सरकार को अब लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी का साथ मिल गया है। नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा है कि जब राज्य में शराब की बिक्री और खपत बहुत ज्यादा है तो शराब की फैक्ट्री पर बैन क्यों लगना चाहिए? इस बयान के बाद राजनीतिक अर्थ निकाले जाने लगे है। सरकार के समर्थन में बयान देने के बाद सरकार के फैसले और बुलंद होने का अनुमान लगाए जाने लगे है।
दरअसल, आज मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी के आवास पर पहंुचे। उन्होंने श्री नेगी को साहित्य अकादमी के द्वारा सर्वोच्च सम्मान दिये जाने के लिए नामित होने पर बधाई दी। इसके बाद कुछ पत्रकारों ने श्री नेगी से सवाल किए। जिसमें उन्होंने हिलटाॅप शराब की फैक्ट्री पर उनकी राय जानी। जिस पर लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि क्या आपको पता है कि हमारे यहां शराब की खपत और बिक्री कितनी बढ़ गई है। ऐसे में हम बाहरी राज्यों से शराब मगांकर पी रहे है। या तो सरकार शराब पर पूर्ण पांबदी लगा दे। नही तो शराब फैक्ट्री लगाने का विरोध नही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में शराब बनेगी तो किसानों और काश्तकारों को भी फायदा पहुंचेगा। माल्टा और अन्य पहाड़ी उत्पादों को अच्छा दाम मिलेगा। सरकार राजस्व भी कमायेगी और राज्य की शराब राज्य में ही बिकेगी। उन्होंने अप्रत्यक्ष कहा कि ऐसे में शराब का गुण कम से कम रोजगार देने के काम तो आयेगा। वरना सभी जानते है कि शराब स्वास्थ के लिए हानिकारक है।
इस बयान के बाद नेगी दा के लिए आम लोगों की सोच कितनी बदलती है। यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन अपनी स्पष्ट बात रखकर श्री नेगी ने सरकार को अप्रत्यक्ष रुप से बड़ी राहत दे दी है। कुछ लोग श्री नेगी के बयान को सही भी ठहरा रहे है। लोगों का कहना है कि उत्तराखंड केवल शराब का कंज्यूमर ही बन गया है। ऐसे में शराब से रोजगार और राजस्व बढ़ता है तो दिक्कत कहां है। या तो सरकार शराब राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगा दे। नही तो शराब पर राजनीति नही होनी चाहिए।

आप भी सुनिए श्री नरेन्द्र सिंह नेगी ने क्या कहा…

गलोबल वार्मिंग से बचना है तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएंः रमेश भटट

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने भीमताल के ऐतिहासिक हरेला पर्व में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज हरेला पर्व के रुप में हमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे गये हैं जिसे हम सब को मिलकर आगे बढ़ाना है। उन्होंने हरेला पर्व से जुड़ी अपने बचपन की यादें भी ताजा की। बतातें चले कि मीडिया सलाहकार रमेश भटट भी भीमताल के ही रहने वाले है।
भीमताल के हरेला पर्व में पहंुचने पर स्थानीय लोगों और आयोजकों ने मीडिया सलाहकार रमेश भटटक ा जोरदार स्वागत किया। स्थानीय लोगों का मानना है कि रमेश भटट को मुख्यमंत्री का मीडिया सलाहकार बनाने से भीमताल को एक नई पहचान मिली है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहंुचे रमेश भटट ने सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। हमारे संवाददाता से बातचीत में उन्होंने कहा कि अपने लोगों के बीच पहंुचना और उनसे बातें करने से ऊर्जा का संचार होता है। भीमताल उनका घर है वह हर किसी को पहचानते है। कार्यक्रम में उन्होंने हरेला पर्व की सभी को शुभकामनायें दी। कहा कि आज हमारी संस्कृति को नई पहचान मिली है। हरेला पर्व आज कई प्रदेशों में मनाया जाने लगा है। उत्तराखंड ने पूरे विश्व को सिखाया है कि पर्यावरण की सुरक्षा कैसे की जाती है।

मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हरेला पर्व के माध्यम से विलुप्त हो रही नदियां और सूख रहे प्राकृतिक स्रोतों को फिर से पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री का मानना है कि नदियों के किनारे और सूख रहे प्राकृतिक स्रोतों को वृहद पौधरोपण कर फिर से जीवित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री के इस अभियान को व्यापक समर्थन मिल रहा है। रमेश भटट ने सभी से अधिक से अधिक पौधें लगाकर उनका सवंर्धन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा व वातावरण मिल सके इसके लिए सबको वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि हरेला सुख-समृद्धि व जागरूकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को अच्छा पर्यावरण मिले मिले इसके लिए हमें संकल्प लेना होगा।

मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने कहा कि आज पूरा विश्व गलोबल वार्मिग की समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में सभी की नजर वन आच्छादित उत्तराखंड में है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैव विविधता वाला राज्य है। भारत की कुल जैव विविधता में 28 प्रतिशत योगदान उत्तराखण्ड का है। ईकोलॉजी को बचाने की उत्तराखण्ड पर बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों की याद व बच्चों के जन्म व शादी पर वृक्षारोपण करने की पंरपरा को बनाये रखना होगा।

हरेला पर्व पर प्रदेश भर में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। इस बार हरेला पर्व पर 6.25 लाख पौधे लगाये जा रहे हैं। कार्यक्रम में उन्होंने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी दी और अधिक से अधिक लाभ उठाने को कहा। मीडिया सलाहकार रमेश भटट ने हरेला पर्व पर लगाई गई पांरपरिक स्टाॅलों का निरीक्षण भी किया। मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिताओं में अव्वल आने पर उन्होंने कई बच्चों और छात्रों को सम्मानित भी किया।

विभागों में रिक्त चल रहे पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश

प्रदेश में बेरोजगारों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न विभागों में रिक्त चल रहे पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ चयन सेवा आयोग और विभागों के बीच समन्वय बनाने और समयबद्ध भर्ती कराने के लिए भर्ती कैलेंडर बनाने के निर्देश दिए। कार्मिक विभाग नियमित रूप से इस कैलेंडर का परीक्षण करेगा। बैठक में यह बात सामने आई कि विभागों में डीपीसी न होने का एक बड़ा कारण कर्मचारियों की वार्षिक चरित्र पंजिका (एसीआर) का समय से पूरा न होना है। इस पर मुख्यमंत्री ने समय से कर्मचारियों की एसीआर न लिखने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में प्रदेश के सरकारी महकमों में रिक्त चल रहे पदों पर भर्ती प्रक्रिया की प्रगति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया विवाद रहित और पारदर्शिता के साथ की जाए। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को कहा कि आयोग को भेजे जाने वाले अधियाचन व सेवा नियमावली स्पष्ट रखी जाएं ताकि मामले न्यायालय में न जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दस प्रतिशत आर्थिक आरक्षण को शामिल करने के लिए विभागों को जो अधियाचन वापस भेजे गए हैं, उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आवश्यक कार्यवाही की जाए। लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेनि) आनंद सिंह रावत ने बताया कि आयोग स्तर पर 852 पदों पर भर्ती प्रक्रिया और 3080 पदों पर डीपीसी की प्रक्रिया चल रही है। 883 पदों पर आवश्यक संशोधन के लिए विभागों को वापस भेजा गया है।
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने कहा कि आयोग ने 3177 पद अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के माध्यम से भरने के लिए चिह्नित किए हैं। इनमें 2564 पद तकनीकी अर्हता व 613 पद गैर तकनीकी अर्हता के हैं। अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने कहा कि अभी तक कुल 32 विभागों ने रिक्त पदों के संबंध में जानकारी दी है। इन विभागों में लगभग 18 हजार पद रिक्त हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने इन पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कराने के निर्देश दिए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव शैलेश बगोली, नीतेश झा, डॉ. भूपिंदर कौर औलख, हरबंस सिंह चुघ, सुशील कुमार, लोक सेवा आयोग के सचिव राजेंद्र कुमार और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

समाज में महिलाओं को हुनरमंद बनाया जाना समय की जरूरतः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून की शहरी बस्ती चीड़ोवाली-कंडोली में उत्तराखण्ड महिला समेकित विकास योजना के अन्तर्गत कामन फेसिलिटी सेन्टर के अधीन संचालित द्विवर्षीय महिला कौशल प्रशिक्षण केन्द्र का शुभारम्भ किया। इस प्रशिक्षण केन्द्र में 120 स्थानीय महिलाओं को जूट व सूती बैग बनाने आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में महिलाओं को हुनरमंद बनाया जाना समय की जरूरत है। यदि महिलायें मजबूत हुई तो परिवार, समाज व देश मजबूत होगा। उन्होंने महिला व पुरूषों को समाज के विकास की गाड़ी के दो पहिए बताते हुए कहा कि दोनों सशक्त होंगे तो निश्चित रूप में समाज में बदलाव आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेती आदि के संसाधनों की सुविधा के साथ ही जीविका के साधनों का विकल्प रहता है, जिसका शहरी क्षेत्रों में अभाव रहता है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में जमीन आदि की कमी के कारण यह सुविधायें नहीं उपलब्ध हो पाती हैं। इसके लिये जरूरी है कि शहरों की गरीबों को दूर करने के लिये यहां की महिलाओं को हुनरमंद बनाया जाय, कौशल विकास के जरिये हम वेस्ट को बेस्ट में बदल सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिये राज्य सरकार द्वारा प्रभावी पहल की जा रही है। उद्यमिता के क्षेत्र में महिलायें 5 हजार तक ओवर ड्राफ्ट ले सकती हैं। महिला समूओं को एग्रोबेस उद्यम के लिये 5 लाख तक शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। हमारा उद्देश्य महिलाओं को दिये गये ऋण के सदुपयोग करने वाला बनाना है। ग्राम लाइट योजना व देव भूमि प्रसाद योजना महिलाओं को आर्थिक स्वावलम्बन की राह दिखा रही है। महिला समूह पहाड़ी भोजन भी तैयार कर रही है। पौड़ी में आयोजित कैबिनेट बैठक में उन्हीं के द्वारा तैयार किया गया भोजन परोसा गया। कम लागत में सबको खाना खिलाने का यह अच्छा प्रयास रहा। इससे एक प्रकार की उद्यमिता भी विकसित हुई है। यह सब हुनरमंद होने का ही परिणाम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष केदारनाथ में महिला समूहों ने 2 करोड़ का प्रसाद बिक्री किया। प्रदेश के 625 मन्दिरों में देवभूमि प्रसाद योजना का शुभारम्भ किया जा रहा है। मंशादेवी, बदरीनाथ, जागेश्वर, बागेश्वर से भी इसकी शुरूआत हो गयी है, इसका परिणाम है कि आज चैलाई 55 रू. किलो बिक रहा है। उन्होंने महिलाओं से उत्पादों की बेहतर पैकिंग पर ध्यान देने को कहा। इसमें लोगों का आकर्षण उत्पादों के प्रति बढ़ता है। यदि हम छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो अपने उत्पादों की बिक्री में भी मदद मिलेगी। उन्होंने महिलाओं से पुष्प उत्पादन, धूप-अगरबत्ती बनाने की दिशा में भी आगे आने को कहा। पर्यावरण अनुकूल सामग्री के उत्पादन से उसकी मांग देश व दुनिया में बढ़ेगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कामन फेसिलिटी सेन्टर व प्रशिक्षण केन्द्र का भी निरीक्षण किया तथा प्रशिक्षार्थी महिलाओं से भी संवाद किया। मुख्यमंत्री ने परियर में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया। क्षेत्रीय विद्यायक गणेश जोशी ने कहा कि इस प्रकार की पहल महिलाओं के आर्थिक उन्नयन में मददगार होती है, उन्होंने कहा कि महिलाओं की मजबूती समाज की मजबूती से जुड़ी है। महिलाओं को स्वालम्बी बनाने के लिये उन्हें प्रशिक्षित करने की भी उन्होंने जरूरत बतायी। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि महिला समेकित विकास योजना के तहत जानकी देवी एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा इस प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन किया जा रहा है। पालीथीन के स्थान पर जूट व सूती व फाइबर से बने विभिन्न उत्पादों व अन्य सामग्री का प्रशिक्षण एवं निर्माण यहां पर महिलाओं द्वारा किया जायेगा। इस अवसर पर निदेशक महिला एवं बाल विकास झरना कमठान, संस्था के चेयरमैन संजय जोशी, सचिव कविता चतुर्वदी और प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलायें आदि उपस्थित थे।

पैसा कमाने के लिए शराब बनाया जाना उत्तराखंड के लिए आत्महत्याः खंडूड़ी

देवप्रयाग के नजदीक और टिहरी में शराब के बॉटलिंग प्लांट को मंजूरी दिए जाने के फैसले के खिलाफ वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी भी उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि पैसा कमाने के लिए शराब बनाया जाना उत्तराखंड के लिए आत्महत्या जैसी बात है। देवप्रयाग से करीब 36 किलोमीटर दूर शराब के बॉटलिंग प्लांट को मंजूरी दी गई और वहां बॉटलिंग शुरू भी हो गई है। इसके अलावा टिहरी में भी एक कंपनी को बॉटलिंग प्लांट की अनुमति दी गई है।
हालांकि, ये फैसले पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए थे, लेकिन धरातल पर अब उतर रहे हैं। शराब के बॉटलिंग प्लांट को लेकर इन दिनों राज्य में सियासत गर्माई हुई है। प्रदेश में सत्तासीन भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस मसले पर एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने में लगे हैं।
वहीं, अब वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी भी शराब के बॉटलिंग प्लांट के विरोध में उतर आए हैं। दिल्ली में जारी वक्तव्य में पूर्व मुख्यमंत्री खंडूड़ी ने कहा कि शराब से पहाड़ के जनमानस का नुकसान हो और वहां के लोग जमीन जायदाद बेचकर शराब पिएं, इसके वे सख्त खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसी की भी, उसे यह अधिकार कतई नहीं कि वह उत्तराखंड के मूलस्वरूप एवं देवभूमि के खिलाफ जाने का काम करे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब को सुविधा के रूप में रखा जाना चाहिए न कि आय कमाने के रूप में। उन्होंने कहा कि पैसा कमाने के लिए शराब बनाया जाना गलत है और उत्तराखंड के लिए तो यह आत्महत्या जैसी बात है।

हरदा के विरोध को समझ रही जनता
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सेवा का अधिकार आयोग के भवन के उद्घाटन के दौरान पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में बॉटलिंग प्लांट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत को आड़े हाथ लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले तो ये लाइसेंस हमने नहीं दिए। देवप्रयाग को लेकर गलत ढंग से प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बॉटलिंग प्लांट देवप्रयाग से 40 किमी और राष्ट्रीय राजमार्ग से 10 किमी अंदर है। उन्होंने कहा कि इसका जो विरोध किया गया, वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया और उनके कार्यकाल में ही ये लाइसेंस दिए गए थे। उन्होंने कहा कि हरीश रावत क्यों विरोध कर रहे हैं, जनता इसे समझ रही है।

मुख्यमंत्री ने करोड़ो रुपये के बाढ़ सुरक्षा और नहर कार्यों का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कालूवाला देहरादून में सिंचाई विभाग की कुल 7 करोड़ 64 लाख 20 हजार की दो योजनाओं का लोकार्पण किया। जिसमें 4 करोड़ 94 लाख 58 हजार की लागत के बड़ोवाला नहर का पुनरोद्धार एवं 02 करोड़ 69 लाख 63 हजार की लागत का जौलीग्रांट नहर के हेड का विस्तारिकरण व पुनरोद्धार शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नथुवावाला-बालावाला-मियांवाला नहर सेवा मार्ग का जीर्णोद्धार, सांकरी नहर का पुनरोद्धार, धूड़ वाला नहर का पुनरोद्धार, राजीव नगर केशवपुरी बस्ती, सौंग नदी से बाढ़ सुरक्षा का कार्य, सीपैट संस्थान की सुरक्षा का कार्य, कालूवाला क्षेत्र में सिंचाई के लिए नलकूप निर्माण, कालूवाला में आंतरिक सड़कों के निर्माण, कालूवाला मंदिर के समीप खाली जमीन पार्क के निर्माण व कालूवाला क्षेत्र के लिए प्रवेश स्थल पर वीर शहीदों की स्मृति में शहीद द्वार बनाने की घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शहीद सैनिकों के परिजनों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री हैल्पलाईन 1905 बनाया गया है। किसी भी समस्या के लिए इस हैल्पलाईन पर कॉल किया जा सकता है। इसमें समाधान तब माना जायेगा, जब शिकायतकर्ता संतुष्ट हो जायेगा उनका समाधान हो चुका है। अभी तक सीएम हैल्पलाईन पर 23 फरवरी को शुरूआत होने से अब तक 14 हजार शिकायतें आयी हैं, जिनमें से 7 हजार शिकायतों का समाधान हो चुका है। सीएम हैल्पनाईन पर सुझाव भी प्राप्त हो रहे हैं, महत्वपूर्ण सुझावों को योजनाओं में सम्मिलित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि फेसबुक, ट्वीटर, इंस्ट्राग्राम व यूट्यूब पर जेतंूंजइरच आईडी पर अपने सुझाव दे सकते हैं। जनता से कई ऐसे सुझाव मिलते हैं जो विकास व कई योजनाओं को बनाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। जन सुझावों के आधार पर राज्य में थानो के लिए निधि बनाने का सुझाव आया। थानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए थाना विविध निधि बनाई गई जो काफी कारगर साबित हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले ढ़ाई साल में प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार ने हर संभव प्रयास किये हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाये और इसके सकारात्मक परिणाम आज हमारे सामने हैं। हर्रावाला में 300 बैड का जच्चा-बच्चा हॉस्पिटल खोला जा रहा है, जो लगभग 2 वर्ष में बनकर तैयार हो जायेगा। रानीपोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बन रही है। जौलाग्रांट एयरपोर्ट का विस्तार किया जा रहा है। कुंआवाला (हर्रावाला) में कोस्ट गार्ड भर्ती सेंटर खोला जा रहा। इसमें प्रतिवर्ष 1500 भर्तियां होंगी। उत्तराखण्ड फिल्म की शूटिंग के लिए डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। पिछले ढ़ाई साल में उत्तराखण्ड में 200 से अधिक छोटी व बड़ी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी। सूर्यधार, सौंग व मलढ़ूग परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन परियोजनाओं से देहरादून को पूर्ण ग्रेविटी का पानी उपलब्ध होगा। पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 600 करोड़ रूपये का इन्वेस्टमेंट सोलर पैनल के माध्यम से सोलर इनर्जी के लिए योजना लाई गई है। इस और आगे बढ़ाया जायेगा। पांच मेगावाट तक के प्रोजक्ट चाहे वे सोलर के हों या हाइड्रो के हों उत्तराखण्ड के निवासियों के लिए रिजर्व किये गये हैं, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिले व उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो।

लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प तलाशन में जुटी सरकार, जल्द तैयार होगा नया पुल

ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल को बंद किए जाने के फैसले पर राज्य सरकार अडिग है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जन सुरक्षा सरकार के लिए सवरेपरि है। इसीलिए लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही तुरंत रोकने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प जल्द ही तैयार कर लेगी। वहां वैकल्पिक पुल बनाने का निर्णय लिया गया है। लक्ष्मण झूला पुल को धरोहर के तौर पर संरक्षित रखने की कार्ययोजना भी बनाई जाएगी। वहीं, पुल पर पैदल आवाजाही जारी रखने से आम जन को राहत है। उधर, इस का असर अब रामझूला पुल पर पड़ने वाला है। रामझूला पुल पर अब दोगुना भार पड़ जाएगा, जो सुरक्षा की दृष्टि से इस पुल के लिए भी चिंता का विषय है।
शासन ने शुक्रवार को लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही रोकने के आदेश जारी किए, लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के कारण आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लग पाया है। इस बीच शनिवार को यमकेश्वर क्षेत्र की विधायक ऋतु खंडूड़ी ने लक्ष्मण झूला पुल के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि छह माह पहले आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों से लक्ष्मण झूला पुल की फिजिबिलिटी पर अध्ययन कराया गया। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार इस झूला पुल की स्थिति ऐसी नहीं है कि लोगों की आवाजाही को अनुमति दी जा सके। उन्होंने कहा कि कांवड़ मेले में भारी भीड़ को देखते हुए इस पर आवाजाही जारी रखना उचित नहीं होता।
उन्होंने कहा कि जनसुरक्षा के दृष्टिगत लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही को तुरंत रोकने का निर्णय किया गया है। साथ ही झूलापुल का विकल्प जल्द से जल्द तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल एक सांस्कृतिक धरोहर है। यह ऋषिकेश का प्रमुख आकर्षण का केंद्र और देश-विदेश में इसकी ख्याति है। कई फिल्मों का फिल्मांकन भी यहां हुआ है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल का समुचित रखरखाव करते हुए इसे धरोहर के तौर पर संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की राय से कार्ययोजना बनाई जाएगी।
उधर, शासन ने भले ही लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही पर रोक लगा दी हो, मगर शनिवार को भी इस पर लगातार आवाजाही होती रही। हालांकि, प्रशासन की ओर से शासन के फैसले का विरोध कर रहे लोगों को समझाने की कोशिशें की गईं, मगर यह परवान नहीं चढ़ पाईं। वहीं, माना जा रहा है कि इस झूला पुल के बंद होने से रामझूला पर अधिक दबाव बढ़ेगा। यही नहीं, तीन दिन बाद कांवड़ यात्रा भी शुरू होने जा रही है। ऐसे में कांवड़ में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही लक्ष्मण झूला पुल की सुरक्षा सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।

शिकायत मिलने के एक सप्ताह में कुछ न करने पर होगी कार्यवाही

जो अधिकारी सीएम हेल्पलाईन पर शिकायत प्राप्त होने के एक सप्ताह में कोई भी कार्यवाही नहीं करते हैं और बिना समाधान के शिकायत अगले स्तर पर चली जाती है तो ऐसे लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध शासकीय कार्यवाही की जाएगी। शिकायत निस्तारण की केवल खानापूर्ति करने या गलत तरीके से निस्तारण करने वाले अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाएगी। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी अधिकारियों को पत्र जारी कर सीएम हेल्प लाईन पर प्राप्त जन शिकायतों व जन समस्याओं पर समयबद्ध रूप से कार्यवाही कर रिपोर्ट सीएम हेल्पलाईन पर ऑनलाईन अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।
अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि सीएम हेल्पलाईन पर एल-3 एल-4 स्तर के अधिकारी, शिकायतों को फोर्स क्लोज या स्पेशल क्लोज तभी करें जब बहुत आवश्यक हो, विभागीय कार्यवाही की जा चुकी हो और शिकायतकर्ता से अधिकारियों और कॉल सेंटर द्वारा सम्पर्क किया जा चुका हो। मांग जैसी प्रतीत होने वाली शिकायतों को फोर्स क्लोज करने की बजाय मांग के रूप में परिवर्तित किया जाए, जिसे भविष्य में आवश्यकतानुसार घोषणाओं के लिए चिन्हित या सम्मिलित किया जा सके।
अधिकारियों की सुविधा के लिए सीएम हेल्पलाईन एप भी उपलब्ध है। कम्प्यूटर के अतिरिक्त स्मार्ट फोन पर भी सीएम हेल्पलाईन एप पर लॉगइन कर सकते हैं। प्रत्येक माह सभी एल 1, एल 2, एल 3 व एल 4 स्तर के अधिकारियों का शिकायतों के निस्तारण के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। हर महीने मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव द्वारा समीक्षा बैठक की जाएगी।

खुशखबरीः सरकार ने ओपीडी में सस्ता इलाज देने की तैयारी की

अटल आयुष्मान योजना में कार्ड धारकों को अब ओपीडी में भी सस्ता इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। मंत्रिमंडल की अगली बैठक में इस प्रस्ताव को लाया जाएगा।
वर्तमान में आयुष्मान योजना के तहत मरीज के भर्ती होने पर भी पांच लाख रुपये तक कैशलेस इलाज की सुविधा है। ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीजों का योजना का लाभ नहीं मिलता है।
अब सरकार सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में भी मरीजों को भी इलाज मुहैय्या कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए दो अलग-अलग श्रेणियों के लिए दरें तय की जाएगी।
त्रिवेंद्र सरकार ने अटल आयुष्मान योजना के तहत कार्डधारकों को ओपीडी में भी कैशलेस इलाज उपलब्ध कराने के लिए कवायद शुरू कर दी है। जिन लोगों के पास आयुष्मान योजना का हेल्थ कार्ड होगा।
उन्हें सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में कैशलेस इलाज की सुविधा मिल सकेगी। जिसमें पंजीकरण शुल्क, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, सिटी स्कैन, ब्लड और शुगर जांच, एक्स-रे समेत अन्य जांचें शामिल होंगी। जबकि जिन लोगों के पास कार्ड नहीं है, उन्हें इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी।

प्रदेश में 31 लाख लोगों के बन चुके कार्ड
प्रदेश में अब तक अटल आयुष्मान योजना के तहत 31 लाख लोगों के हेल्थ कार्ड बनाए गए हैं। जिसमें 44 हजार 460 लोगों ने योजना में अपना इलाज कराया है। इन पर करीब 45 करोड़ की धनराशि खर्च हुई है। माना जा रहा है कि ओपीडी में इलाज की सुविधा मिलने से प्रदेश में कार्ड धारकों की संख्या 50 से 60 लाख तक पहुंच सकती है।
स्वास्थ्य विभाग के सचिव नितेश कुमार झा ने बताया कि अटल आयुष्मान योजना में कार्ड धारकों को सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इलाज की सुविधा देने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जिसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा।