चिंतन शिविर के बिंदुओं पर मुख्य सचिव ने की चर्चा

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस संधु ने सोमवार को सचिवालय में 22-23 नवंबर, 2022 को आयोजित चिंतन शिविर के बिंदुओं पर चर्चा की। मुख्य सचिव ने प्रदेशभर के शहरों में सेंट्रल प्लाजा और यूनिटी मॉल की तर्ज पर सिटी पार्क विकसित किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों को विकसित कर इनमें वाहनों की एंट्री प्रतिबंधित करते हुए शहरों में इनका प्रावधान किया जाए। यह सोशल इंटरेक्शन के लिए भी आवश्यक है।
मुख्य सचिव ने कहा कि मलिन बस्तियों की समस्या को कम करने के लिए किराया आधारित आवास मॉडल पर शीघ्र कार्य किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दिए जाने के साथ ही सड़कों के लेवल को फिक्स्ड किए जाने की भी बात की। उन्होंने कहा कि सड़कों पर बार बार काम जोन से सड़कों की ऊंचाई लगातार बढ़ते जाने से घरों के लिए ड्रेनेज की समस्या आती है, इसके लिए सड़कों को स्क्रैब करके ही पुनः कार्य कराए जाना चाहिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि शहरों में साइकिल ट्रैक भी विकसित किए जाने पर तेजी से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाए जाने हेतु विभिन्न कदम उठाए जाने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि आईटी का प्रयोग करके वर्ल्ड क्लास स्तर के लेक्चर्स के माध्यम से छात्र छात्राओं को शिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों में ड्राइव चलाकर इसकी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। उन्होंने प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्थाएं सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही सभी जनपदों में पुस्तकालयों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में एक समिति बनाए जाने के भी निर्देश दिए। यह समिति विभिन्न विभागों और स्कूलों के एसेट (भवनों और मैदानों) को स्कूलों और कार्यालयों की छुट्टी के बाद कैसे कैसे प्रयोग कर सकते हैं इस सम्बन्ध में निर्णय ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेजों के प्ले ग्राउंड और पार्किंग को स्कूल की छुट्टी के बाद खुले रखे जाने चाहिए ताकि उनका आसपास के युवा खेल और पार्क के रूप में घूमने के लिए प्रयोग कर सकें।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, सचिव श्री शैलेश बगोली, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, श्री रविनाथ रमन, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, श्री विजय कुमार यादव उपाध्यक्ष एमडीडीए श्री बंशीधर तिवारी एवं अपर सचिव श्री रोहित मीणा सहित अन्य सभी विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

चिंतन शिविर के संकल्पों को लेकर शहरी विकास विभाग की भावी योजनाएं तैयार-अग्रवाल

शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेमचन्द अग्रवाल ने बताया कि केन्द्र सरकार की ’स्पेशल असिस्टेन्ट टू स्टेट फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेन्ट’ योजना के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य का चयन किया गया है। योजना में लगभग 100 करोड रुपए का अनुदान केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को अर्बन रिफॉर्म हेतु दिया जाना है। राज्य ने योजना के अन्तर्गत छः घटकों की अनुपालन आख्या का प्रस्तुतीकरण भारत सरकार को प्रस्तुत किया गया। जिसके उपरान्त ही राज्य सरकार को अनुदान हेतु पात्रता प्राप्त हुई हैं।
मंत्री ने बताया कि राज्य में स्वच्छ भारत मिशन शहरी के अंतर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मद में 91 निकायों हेतु 64 परियोजनाए भारत सरकार से स्वीकृत करा ली गई है। जिनमें से 89 निकायों हेतु 62 परियोजनाओं की धनराशि रु० 71.63 करोड़ (35 प्रतिशत) वी०जी०एफ० के रूप में प्राप्त की गई है तथा शेष 65 प्रतिशत रु० 221.31 करोड़ राज्य सरकार व स्थानीय निकायों द्वारा वहन की जायेगी। बताया कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में 1535.50 मी०टन ठोस अपशिष्ट प्रति दिन उत्पन्न होता है। जिसमें से 1062.07 मी०टन अर्थात 69 प्रतिशत का प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) प्रतिदिन किया जाता है। इस हेतु 38 मटीरियल रिकवरी फेसिलिटी केन्द्रों, 60 अपशिष्ट कॉम्पेक्टर तथा 855 कम्पोस्ट पिट निकायों में संचालित है। उदहारण के तौर पर दूरस्थ पालिका जोशीमठ द्वारा 1200 टन अजैविक कूड़े का विक्रय कर लगभग 79 लाख की आय अर्जित की गई है। लीगेसी वेस्ट निस्तारण हेतु 07 नगर निगमों की रु० 80.00 करोड़ की परियोजनाएं भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है तथा प्रथम किस्त रु० 29.00 करोड राज्य को अवमुक्त किया गया है।
मंत्री ने बताया कि शहरी विकास विभाग के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि मण्डल द्वारा जर्मनी में रिसाइकलिंग एवं वेस्ट टू एनर्जी, ई०पी०आर० आदि के क्षेत्र में किये जा रहे नवाचारों का एक सप्ताह का अध्ययन किया गया तथा जी0आई0जेड के तकनीकि सहयोग से इन नवाचारों को राज्यों में क्रियान्वित किये जाने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना अंतर्गत 2993 महिला स्वयं सहायता समूहों एवं 73 क्षेत्र स्तरीय संघ का गठन किया गया, विपणन हेतु नगर पालिका परिषद चम्पावत, टनकपुर तथा नगर निगम रुद्रपुर में नगर आजीविका केन्द्रों (सी०एल०सी०) को स्वीकृत किया गया है। 20870 फेरी व्यवसायियों को सर्वेक्षण कर पेंडिंग सेटिफिकेट एवं पहचान पत्र उपलब्ध कराया गया है। निकायों में फेरी व्यवसायियों को सुव्यवचित करने हेतु कुल 333 वेंडिंग जोनों का चिन्हिकरण किया गया है, महिला फेरी व्यवसायियों हेतु नगर निगम हरिद्वार में पिंक वेंडिंग जोन, तथा नगर निगम में देहरादून में स्मार्ट वेंडिंग जोन की स्थापना की गई है। 7422 शहरी गरीबों को स्वरोजगार हेतु बैको के माध्यम से 103 करोड़ का ऋण की स्वीकृति तथा रू0 448 करोड़ का व्याज सब्सिडी अनुदान निर्गत किया गया है।
मंत्री ने कहा कि डे०एन०यू०एल०एम० योजना के अंतर्गत शहरी बेघरों हेतु आश्रय (एस0यू0एच0) के अन्तर्गत 801 आश्रितों की क्षमता के 14 रैन बसेरो का संचालन निराश्रित बेघरों हेतु किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) अंतर्गत 151 स्वीकृत परियोजनाओं में से वर्तमान तक रू0 339.45 करोड़ की 117 योजनाएं पूर्ण की जा चुकी है, 34 योजनाएं रू0 253.52 करोड़ की गतिमान है जिन्हे मार्च 2023 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। योजना अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा रू0 593.02 के सापेक्ष रू0 591.02 करोड़ (केन्द्राश व राज्यांश को जोड़कर) अवमुक्त किये जा चुके है। 66203 उपभोक्ताओं को ष्पेयजल कनेक्शनष् तथा 67219 सीवरेज कनेक्शन उपभोगक्ताओं को दिया गया है। निकाय अंतर्गत 82337 सोडियम लाईटों को एल०ई०डी० लाईट में परिवर्तित किया गया। उन्होंने बताया कि अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन 2.0 (अमृत 2.0) के अंतर्गत पूर्व चयनित 7 अमृत नगरों में सीवर/सैप्टेज निस्तारण तथा प्रदेश के सभी नगरों में जल संयोजन दिया जाना निर्धारित है। 111 शहरों (102 स्थानीय निकाय तथा 09 कन्टेनमेंट बोर्ड) हेतु केन्द्रांश 582.00 करोड़ तथा राज्यांश रू0 64.66 करोड़, कुल 646.66 करोड़ की धनराशि निर्धारित की गई है, प्रथम चरण हेतु किस्त रू0 233.74 करोड, केन्द्रांश तथा राज्यांश रू0 25.97 कुल 259.71 करोड़ के सापेक्ष केन्द्रांश (20ः) धनराशि रू0 42. 08 अवमुक्त कर दी गयी है। योजना के अन्तर्गत कुल 65915 जल संयोजन दिया जाना प्रस्तावित है। शास्त्रीनगर वार्ड (देहरादून) को 24ग्7 किया जायेगा।
मंत्री ने बताया कि वित्तीय सुदृढीकरण-राज्य में म्युनिसिपल एकॉउटिंग मैनुवल, 2021 तैयार कर लागू कर दिया गया है एवं सम्बन्धित अधिनियमों में संशोधन कर दिया गया है। सिंगल एन्ट्री सिस्टम से डबल एन्ट्री एकॉउंटिंग सिस्टम सभी नगर निकायों में लागू किया जा रहा है। म्युनिसिपल एकॉउटिंग मैनुवल को लागू करने हेतु म्युनिसिपल एकॉउटिंग सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। म्युनिसिपल एकॉउटिंग ऑडिट रूल्स तैयार किये जा रहे है। इसके अतिरिक्त 08 नगर निगमों में सैल्फ एस्सेमेन्ट लागू है एवं 68 निकायों के सम्पत्ति रजिस्टर को डिजिटाईज किया जा चुका है। 07 अमृत शहरों हेतु क्रेडिट रेटिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना सबके लिए आवास (शहरी) प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी आधारित निर्माण घटक अंतर्गत 22175 आवासों की स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त की गई है, जिनमें में 6175 आवासों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है तथा 8000 आवासों से अधिक पर कार्य प्रगति पर हैं। अफडेबल रेंटल हाउसिंग काम्पलेक्स शहरी गरीबों हेतु प्रदेश में 600 से अधिक आवासों को चयनित किया गया। लालकूओं में 100 आवास व देहरादून में 70 आवास आवंटित किया गया, भागीदारी में किफायती आवास घटक अंतर्गत 13 आवासीय कालोनियों में 14500 आवासों का शिलान्यास व वर्तमान में कार्य प्रगति पर है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के ए०एच०पी० घटक में भारत सरकार से 21 योजनाओं (17304 आवास) की स्वीकृति कराकर 464 आवासों का कब्जा लाभार्थियों को दिया जा चुका है। शेष समस्त आवास वर्ष 2024 तक पूर्ण कर कब्जा दिया जाना प्रस्तावित है। लाभार्थियों के आवास की बुकिंग आवंटन एवं लॉटरी हेतु ऑनलाईन पोर्टल शुरू किया गया है तथा इसके माध्यम से आवास की बुकिंग सुविधा प्रदान की गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य अवस्थापना निधि में राज्य सेक्टर के अंतर्गत समस्त निकायों में ओपन जिम पार्क निर्माण हेतु नगर निगमों को रू0 3.00 लाख नगर पालिका परिषद को रु0 2.00 लाख तथा नगर पंचायतों को रू0 1.50 लाख अवमुक्त किये गये।

’आवास विभाग की उपलब्धियां/भावी योजनाएं’
1. समस्त विकास प्राधिकरणों के कार्यों (मानचित्र स्वीकृति, प्रशासनिक कार्य, सूचना का अधिकार शिकायतों का निस्तारण) ईज एप के माध्यम से ऑनलाईन किया गया है। 2. एकल आवासीय एवं गैर एकल आवासीय मानचित्रों की स्वीकृति हेतु समय-सीमा क्रमशरू 15 एवं 30 दिवसों का निर्धारण।
3. मानचित्र स्वीकृति हेतु अनापत्ति प्रक्रिया का सरलीकरण/समय-सीमा निर्धारण एवं डीम्ड अनापत्ति व्यवस्था की गयी है।
4. भवन निर्माण विकास उपविधि (बिल्डिंग बॉयलाज) में मार्ग, ऊंचाई, एफ०ए०आर० आदि मानकों का शिथिलीकरण किया गया है।
5. सीएससी के माध्यम से मानचित्र जमा किये जाने की सुविधा प्रदान की गयी है।
6. भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया का सरलीकरण एवं प्रतिनिधायन, 4000 से 10000 वर्गमीटर तक प्राधिकरण स्तर पर 10000 से 50000 वर्गमीटर तक उड़ा स्तर पर भू-उपयोग परिवर्तन संभव है।
7. भू-उपयोग परिवर्तन की शुल्क की पूर्व दरों 100 से 150 प्रतिशत को घटाकर 10 से 15 प्रतिशत किया गया है।
8. सभी नगर निकायों की मास्टर प्लान बनाये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गयी है।
9. पार्किंग परियोजना हेतु सभी जिलाधिकारियों एवं प्राधिकरणों के मध्य सामंजस्य स्थापित करते हुए राज्य के 158 स्थानों पर पार्किंग, जिसमें सरफेस पार्किंग की 51, मल्टीलेवल कार पार्किंग की 87, ऑटोमेटेड कार पार्किंग की 09 तथा टनल पार्किंग हेतु 11 स्थान चिन्हित किये गये हैं, जिसमें 91 स्थानों हेतु डी०पी०आर० तैयार कर ली गयी है, जिसमें 33 परियोजनाओं में रू0 5286.07 लाख की धनराशि स्वीकृत कर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है।
10. शहरी क्षेत्रों में टी०डी०आर० (ज्तंदेमिततंइसम क्मअमसवचउमदज त्पहीजे) नीति अधिसूचित की गयी है।
11. मुख्य यातायात मार्गों एवं मेट्रो परियोजनाओं में प्रस्तावित स्टेशनों के समीप नियोजित विकास हेतु टी०ओ०डी० नीति अधिसूचित की गयी है।
12. मेट्रो रेल परियोजना हेतु डी०पी०आर० राज्य सरकार स्तर से अनुमोदित करते हुए भारत सरकार को प्रेषित की गयी है। भारत सरकार स्तर पर स्वीकृति की प्रक्रिया गतिमान है।
13. आमजन की सुविधाएं हेतु भू-सम्पदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) में अनुमोदित किया गया है।
14. शहरों के विसंकुलन कम करने हेतु उत्तराखण्ड आवास एवं विकास परिषद् द्वारा निजी सहभागिता से छोटे टाउनशिप परियोजना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किये गये है।
15. नये शहरों की स्थापना हेतु मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है। राज्य के सभी जिलों में नये शहरों की संभावना हेतु अन्तर विभागीय समिति का गठन कर प्रारम्भिक सर्वे कराया गया है, जिसमें 23 शहरों का स्थलीय परीक्षण पूर्ण कर लिया गया है।

आईएएस अधिकारियों को पूरी प्रशासनिक नेतृत्व क्षमता से कार्य करना होगा-मुख्यमंत्री

उत्तराखण्ड को 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए सभी आई.ए.एस. अधिकारियों को पूरी प्रशासनिक नेतृत्व क्षमता से कार्य करना होगा। राज्य के समग्र विकास एवं जन समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारण के मंत्र के साथ आगे बढ़ना है। यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स कांफ्रेंस के शुभारंभ के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिए मसूरी में आयोजित चिंतन शिविर में जो सुझाव सामने आये हैं, उन सभी सुझावों को धरातल पर लाया जाए। जन समस्याओं के समाधान के लिए प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि अपने कार्यों के लिए आम जन को अनावश्यक रूप से दफ्तरों में न आना पड़ें। फाईल सिस्टम को ऑनलाईन लाने पर फोकस किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि शासन स्तर पर फाइलें अनावश्यक रूप से लम्बित न हों। जो फाइलें रूकी हैं, उनका दुबारा परीक्षण करवाया जाए। अनावश्यक रूप से फाइलें लंबित होने पर संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जाए। जनपदों में जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी की सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह सुनिश्चित किया जाए कि समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले। सभी जनपदों के तहसील दिवस और बीडीसी की बैठकें नियमित रूप से की जाए। अधिकारियों का जन सामान्य के साथ अच्छा व्यवहार होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुशासन दिवस पर ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा, इसमें सभी आई.ए.एस अधिकारी अलग-अलग क्षेत्रों में ग्राम चौपालों में प्रतिभाग करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ जनपदों में जिलाधिकारियों द्वारा अपने कार्यों के साथ ही अतिरिक्त समय में जन सेवा के कार्य किये जा रहे हैं, यह सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपने प्रशासनिक कार्यों के अलावा जिस क्षेत्र में दक्ष हैं, अगर अपनी दक्षता से जन सेवा कर रहे हैं, तो यह राज्य हित में एक अच्छा प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2023 में भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन होगा। जी-20 से दो दल उत्तराखण्ड भी आयेंगे। इस दौरान हम उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प एवं अन्य क्षेत्रों में क्या कर सकते हैं, इस कांफ्रेंस में इस पर व्यापक चर्चा की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत काल शुरू हो चुका है, इस अवधि में राज्य में क्या महत्वपूर्ण कार्य हो सकते हैं, इस पर भी मंथन किया जाए। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने कहा कि आईएएस वीक का मूल मंत्र एक दूसरे को जानना है। इससे एक दूसरे के साथ रहने से जो बॉन्डिंग होती है, यह हमारी कार्यकुशलत बढ़ा देती है। इससे धीरे -धीरे हमारी ऑफिसियल वर्किंग में बहुत सुधार आता है। मुख्य सचिव ने कहा कि अपने कार्यालय में फैमिलियर माहौल बनाने से भी कुशलता बढ़ती है। जिलों में तैनात अधिकारियों से उन्होंने कहा कि जनपद की सड़क, बिजली, पानी की समस्या या आमजन की किसी भी प्रकार की समस्याओं को सुनने के लिए हम कितने संवेदनशील हैं, इससे बहुत फर्क पड़ता है। समस्याओं को दूर करने के लिए समस्याओं को समझना जरूरी है और उसके लिए अधिकारी के मन में आमजन के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। आप उनकी समस्याओं को समझ जाएंगे, और साथ ही यह भी समझ जाएंगे कि इनकी समस्याओं को हल करना आपकी जिम्मेदारी है, तो उस समस्या को हल करने का रास्ता आप निकाल ही लेंगे।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमें हमेशा सकारात्मक रहना है। यह हम सभी के लिए, हमारी सर्विस लाईफ और पर्सनल लाईफ दोनों के लिए बेहतर है। उन्होंने कहा कि नियम काम को आसान बनाने के लिए बने हैं। इंटरप्रिटेशन की बात है, कई अधिकारी कर्मचारी नियमों की इस प्रकार व्याख्या करते हैं कि रूल्स में यह नहीं लिखा कि यह हो सकता है, परंतु इसमें व्याख्या इस प्रकार भी तो सकती है कि यह कहां लिखा है कि आप यह नहीं कर सकते हैं। अधिकारी सकारात्मक होगा तो यह कहेगा कि आमजन के लिए लाभप्रद है, और इस काम के लिए रोका नहीं गया है तो किया जा सकता है। हमें सकारात्मक सोच रखनी है। मुख्य सचिव ने कहा कि आपको यदि कोई दिक्कत आती है तो आपके पास वरिष्ठ अधिकारी हैं, आपको लगता है कि इस मामले ने आपको कौन अधिकारी गाइड कर सकता है, उन्हें लेटर लिखने से पहले फोन लगाकर बात कर लें। मैं हमेशा आप लोगों के लिए उपलब्ध हूं।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमारे प्रदेश में फूलों, फलों और सब्जी उत्पादन में बहुत अधिक सम्भावनाएं हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में पॉलीहाऊस की बहुत अधिक मांग है, जिला प्लान से हम बहुत कम दे रहे हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों को 31 मार्च 2023 तक पॉलीहाऊस 100 प्रतिशत सैचुरेशन करने की बात कही। उन्होंने रिवर्स माईग्रेशन को रोकने के लिए ओल्ड एज लोगों से बात करके उन्हें शामिल करते हुए, उनकी आवश्यकताओं को जानकर उनके लिए सुविधाएं उपलब्ध कराकर रिवर्स माईग्रेशन को रोक सकते हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमें अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रख कर संवेदनशील रहना है और करियर की शुरूआत में आईएएस ज्वाईन करते समय कुछ कर दिखाने का हम सपना देखते हैं, उसे मरने नहीं देना है। बहुत से ऑफिसर सर्विस ज्वाईन करने के बाद सोचते हैं कि नौकरी में आ गए अब सब खत्म, ये एंड नहीं है, ये बिगिनिंग है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, एल. फैनई, सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली एवं अन्य आई.ए.एस अधिकारी उपस्थित रहे।

एक नए जोश के साथ एक नई सुबह देखने के लिए तैयार युवावस्था में खड़ा उत्तराखंड

उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक देश के अग्रणी राज्यों में शुमार करने का लक्ष्य लेकर चल रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर प्रदेश में पहली बार आयोजित हुआ तीन दिवसीय चिंतन शिविर राज्य की नौकरशाही को एक नई ऊर्जा से लबरेज कर गया है। इस चिंतन शिविर में जहां कार्यप्रणाली की पुरानी जड़ता को खत्म करने का प्रयास हुआ तो साथ ही नौकरशाहों को चिंतन शिविर यह भरोसा भी देने में कामयाब रहा कि युवावस्था में खड़ा उत्तराखंड एक नए जोश के साथ एक नई सुबह देखने के लिए तैयार है।
प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली से बेहद प्रभावित हैं। यूं भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का देवभूमि से गहरा लगाव है और पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में विशेषरूप से पर्वतीय जिलों पर ध्यान केंद्रित कर ऑल वेदर रोड से लेकर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम गतिमान है। इन योजनाओं का सीधा लाभ पहाड़ की आर्थिकी को अभी से मिलने लगा है। बहरहाल, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नक्शे कदमों पर चलते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से राज्य में पहली बार आयोजित हुआ नौकरशाहों का चिंतन शिविर भी उसी तर्ज पर आयोजित हुआ जिस तरह पीएम मोदी केंद्र एवं इससे पहले गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए कर चुके हैं।
पहाड़ों की रानी मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में तीन दिनों तक चले चिंतन शिविर में राज्य के पर्वतीय जिलों को केंद्र में रखकर आगामी वर्षों का विकास का एजेंडा तय किया गया। शिविर में खासतौर से इस बात पर जोर दिया गया कि अब समय आ गया है कि जब हम देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंहनगर से इतर एक समग्र राज्य की सोच के साथ आगे बढ़ें। योजनाएं अगर केवल इन 3 जिलों के साथ ही पर्वतीय जिलों को ध्यान में रखकर बनेंगी तो न केवल बेरोजगारी बल्कि पलायन जैसी गंभीर समस्या भी खुद ब खुद गायब हो जाएगी।
शिविर के पहले दिन जिस अंदाज में मुख्य सचिव एसएस संधू ने अपने अनुभव को नौकरशाहों के समक्ष निचोड़ कर रख डाला तो युवा अधिकारियों को वह ये भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि उत्तराखंड उनके युवा जोश का। इस्तकबाल करने के लिए तत्पर है। वहीं, उन्होंने जूनियर और सीनियर अफसरों में तारतम्य एवं योजनाओं को लेकर खुलकर निर्णय लेने की भी मंशा जाहिर की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने पहले दिन के वक्तव्य और फिर दूसरे दिन एकाएक चिंतन शिविर में एक विद्यार्थी की तरह उपस्थित रहकर दर्शाया कि राज्यंक टॉप माइंड द्वारा जो मंथन किया जा रहा था उससे निकलने वाले अमृत से उत्तराखंड का कोना-कोना तृप्त हो जाये। यह मुख्यमंत्री धामी के अपने अफसरों पर भरोसे का ही असर था कि तीन दिन तक चले चिंतन में अधिकारी इस कदर मशगूल हुए की निर्धारित समयसीमा को भी वे भूल बैठे। सुबह 10 बजे से शुरू होने वाले मंथन शिविर में शत प्रतिशत उपस्थिति रात 8 बजे तक यह बता रही थी कि उत्तराखंड के नवनिर्माण में सब एकजुट हैं।
तीन दिनों तक चले चिंतन शिविर में पर्वतीय जिलों पर फोकस करते हुए बागवानी, पर्यटन, हाइड्रो पावर, योगा, कृषि आधारित सेक्टरों को बढ़ावा देने की दिशा तय हुई।

मोदी सरकार हिमालयी राज्यों के सतत विकास के लिए कर रही कार्य-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में चिंतन शिविर का अपना एजेंडा है, जो आने वाले समय में राज्य में होने वाले विकास को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा हमारे राज्य का एजेंडा है कि 25 सालों के लिए रोडमैप तैयार हो, साथ ही 2025 तक उत्तराखण्ड हर क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बने। उन्होंने कहा चिंतन शिविर चीजों के सरलीकरण एवं कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में विकास को सुनिश्चित तरीके से किए जाने हेतु रखा गया था। जिसके अंतर्गत प्रदेश के आला अधिकारियों, विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बीते 3 दिनों में कई बैठके एवं डिस्कशन सेशन किए गए। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने 21वी सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का बताया था, जिसके अनुरूप राज्य सरकार कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार पलायन जैसी वृहद समस्या के निराकरण के लिए भी निरंतर प्रयासरत है। राज्य सरकार द्वारा बड़े स्तर पर रोजगार देने का कार्य किया जा रहा है। रिक्त चल रहे विभिन्न सरकारी पदों पर जहां एक ओर भर्ती प्रक्रिया जारी है वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, होमस्टे योजना, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना के अंतर्गत युवाओं को स्टार्टअप हेतु प्रेरित किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हर संभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा इकोनॉमी और इकोलॉजी के अंतर्गत हम प्रदेश के समुचित विकास के साथ ही यहां के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए भी कार्य कर रहे हैं।
केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण पर बोलते हुए सीएम ने कहा कि भगवान शिव अपने भक्तों को ही अवसर देते हैं। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का सौभाग्य मोदी को मिला। उन्होंने इसे बखूबी कर दिखाया। इस बार रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाओं से बचाव एवं उन्हें कम किए जाने पर कार्य किया जा रहा है। डिजास्टर मैनेजमेंट एसडीआरएफ एवं सेना मिलकर आपदाओं से निपटने हेतु हमेशा तैयार है। उन्होंने कहा चमोली एवं धारचूला में नियमित रूप से हेलीकॉप्टर की सेवाएं जारी रखी गई है, ताकि आपदा के समय इनकी मदद ली जा सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर उत्तराखंड राज्य के विकास को आगे ले जाने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चार धाम में सुगम यात्रा हेतु ऑल वेदर रोड का निर्माण कार्य किया गया है। आज चार धाम यात्रा श्रद्धालुओं के लिए कितना आसान हो गयी है। ये है डबल इंजन का फायदा। उन्होंने कहा केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, बद्रीनाथ मंदिर में मास्टर प्लान के तहत कार्य शुरू हो गया है। पर्वतमाला, हवाई सेवाओं के विस्तार हुआ है। साथ ही केदारनाथ व हेमकुंड में रोपवे की सौगात मिली है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का जीवन अनुशासन संकल्प एवं संघर्ष से भरा पड़ा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार पौराणिक इमारतों लोक संस्कृति एवं सभ्यताओं के संरक्षण पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा राज्य सरकार मानसखंड कॉरिडोर बनाने पर कार्य कर रही है जिसके अंतर्गत कुमाऊं क्षेत्र में पड़ने वाले समस्त पौराणिक मंदिरों, स्थलों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। अग्निवीर योजना के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर जन संवाद चलाया गया। उत्तराखंड राज्य के प्रत्येक परिवार से कोई ना कोई देश की सेवा में होता है। उन्होंने कहा अग्निवीर जवान जो 4 साल देश की सेवा के उपरांत वापस आएंगे, उन्हें उत्तराखंड सरकार अन्य सेवाओं में भी प्राथमिकता देने का कार्य करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में आने वाले समय में जल्द ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किया जाएगा। जिस पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा आमजन के फीडबैक के उपरांत फाइनल ड्राफ्ट बनाकर तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा सीमा पर रहने वाले लोग हमारी सीमाओं के प्रहरी हैं, जो सीमांत क्षेत्र को जीवित रखने एवं सेना के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं।
छावला केस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव कोशिश पुरजोर तरीके से कर रही है।

अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को ध्यान में रख बने योजनाएं-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में सशक्त उत्तराखण्ड @ 2025 चितंन शिविर के समापन सत्र में संबोधित करते हुए कहा कि 2025 तक उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए पिछले 3 दिनों से जो मंथन हुआ, इसके आने वाले समय में सुखद परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए अधिकारियों द्वारा जो रोडमैप बनाया जा रहा, इसका प्रस्तुतीकरण देखकर अच्छा प्रतीत हो रहा है। अधिकारियों ने राज्य हित से जुड़ विषयों पर काफी मेहनत की है। उन्होंने कहा कि इस चिंतन शिविर में जो भी सुझाव आये हैं, इनको कार्ययोजना में लाया जायेगा। महत्वपूर्ण सुझावों को कैबिनेट में भी लाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के मंत्र के साथ आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के समग्र विकास के लिए गांवों का विकास जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को चौपाल लगाकर जन समस्याएं सुननी होंगी, ताकि उन समस्याओं का शीघ्रता से समाधान हो।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राज्य में अनेक कार्य हो रहे हैं। प्रधानमंत्री उत्तराखण्ड के विकास के प्रति हमेशा चिंतित रहते हैं। चारधाम आल वेदर रोड, पर्वतमाला, हवाई सेवाओं के विस्तार, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन, केदारनाथ पुनर्निर्माण, बद्रीनाथ मास्टर प्लान पर तेजी से काम हो रहा है। केदारनाथ व हेमकुंड के रोपवे की सौगात हमें मिली है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का मुख्य सेवक होने के नाते कुछ बिंदु नीति आयोग उपाध्यक्ष के समक्ष उन्होंने रखें है। उम्मीद है हमारी अपेक्षाओं को नीति आयोग अपना सहयोग प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा संचालित फ्लैगशिप कार्यक्रमों के संबंध में सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि इनका तेजी से क्रियान्वयन हो।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित कराया जाए कि जन समस्याओं का समाधान शीघ्रता से हो। जिन समस्याओं का समाधान तहसील या जिला स्तर पर हो सकता है, वह अनावश्यक रूप से शासन, मंत्रियों और मुख्यमंत्री तक न पहुंचे। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। स्वच्छ भारत अभियान के साथ ‘टीम उत्तराखंड’ की थीम लेकर हम आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि जो अच्छा काम करने वाले अधिकारी हैं, उनका प्रोत्साहन होना चाहिए। इसके लिए उत्कृष्टता पुरस्कार दिये जाने की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह का आयोजन अगले छह माह में फिर से करने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि एक सामान्य व्यक्ति जैसे सोचता है, वैसे ही सरल तरीके से लोगों की समस्याओं का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करें। यह भी अच्छी पहल है कि कि जूनियर अधिकारी प्रस्तुतिकरण दे रहे थे और सीनियर सवाल कर रहे थे।
कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि इस तीन दिवसीय चिंतन शिविर में विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञों एवं कर्मवीरों द्वारा जो मंथन किया गया, इसके भविष्य में सुखद परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि राजस्व व्यय को कम करने की दिशा में प्रयास करने होंगे। राज्य में आय के स्रोतों को बढ़ाना होगा। राज्य के समग्र विकास के लिए शहरी क्षेत्रों के साथ पर्वतीय क्षेत्रों का सुनियोजित विकास हो, इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र पोषित योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाय। विभिन्न कार्यों एवं योजना के लिए केंद्र से प्राप्त होने वाली धनराशि का सुनियोजित तरीके से समय पर व्यय किया जाय। राजस्व वृद्धि की दिशा में हमें और प्रयास करने होंगे।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि इस प्रकार के चिंतन शिविर समय समय पर होते रहें। जिससे राज्य हित में आगे की योजनाएं बन सके। उन्होंने कहा कि जन सुविधा के दृष्टिगत प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में प्रयास किए जाय। चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा मिले, इस दिशा में और प्रयास किए जाय। राज्य में शीतकालीन यात्रा को भी बढ़ावा देना होगा। राज्य में एडवेंचर टूरिज्म के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने से राज्य की आर्थिकी में तेजी से वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की संस्कृति के संरक्षण के लिए भी और प्रयासों की जरूरत है। पंचायतों को सशक्त बनाने की दिशा में हमें और प्रयास करने होंगे।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि 2025 में जब राज्य स्थापना की रजत जयंती मनाएगा तब तक अपने विभागों के माध्यम से राज्य के विकास में हम क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इसके लिए सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने होंगे। उन्होंने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि राज्य में जय जवान, जय किसान को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी उन्हें दी गई है। उन्होंने कहा की उत्पादों में आंकड़ों के बजाय गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। अधिकारी सुनिश्चित करें कि योजनाओं का लाभार्थियों तक लाभ समय पर पहुंचे।
कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि 2025 को लेकर जो ये चिंतन शिविर हुआ है, राज्य को हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने में सहायक सिद्ध होगा। इस तरह का चिंतन शिविर विभागवार भी होना चाहिए। जिलाधिकारियों को और अधिक अधिकार मिले, हमें इस दिशा में सोचना होगा। अच्छे कार्य करने वाले अधिकारियों को सराहना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2025 तक हमें 5 संकल्प पर कार्य करना होगा। सम्पूर्ण शिक्षा, भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड, क्षय रोग मुक्त उत्तराखंड, गरीबी एवं नशा मुक्त उत्तराखंड के संकल्प को पूरा करना होगा।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिए कार्यपालिका एवं विधायिका के बीच सही समन्वय जरूरी है। जंगलों को बचाने के लिए एवं लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिए सामुदायिक सहभागिता पर विशेष ध्यान देना होगा। वन पंचायतों के माध्यम से लोगों की आजीविका बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। इको टूरिज्म की संभावनाओं को और बढ़ाना होगा। एरोमेटिक फार्मिंग की दिशा में राज्य में प्रबल संभावनाएं हैं। इसके लिए स्थानीय लोगों को एरोमेटिक फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाय। साइंटिफिक तरीके से नदियों, नालों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में प्रयास करने होंगे। हर्बल सेक्टर में भी लोगों को जागरूक किया जाय।
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि 2025 तक उत्तराखण्ड को अग्रणी राज्य बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण एवं युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में विशेष ध्यान देना होगा। महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।
कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास ने कहा कि आज हम बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 03 साल में राज्य में परिवहन विभाग ने 35 प्रतिशत राजस्व वृद्धि की है। एमएसएमई के तहत राज्य में तेजी से कार्य हो रहे हैं। हमें पर्वतीय क्षेत्रों में लघु उद्योगों को तेजी से बढ़ावा देना होगा।
कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में लोगों की आजीविका बढ़ाने के राज्य में विशेषकर पर्वतीय जनपदों में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिए यह एक अच्छा सैक्टर है। मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में हमें इनोवेटिव मार्केटिंग की जरूरत है। उत्तरा फिश प्रोजेक्ट को प्रारम्भ किया गया है। राज्य में वेटनरी एम्बुलेंस को लांच किया गया है। डेरी उत्पादों को राज्य में प्रमोट किया गया है। राज्य में गोट वैली कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

चिंतन शिविर के दूसरे दिन कृषि बागवानी, पर्यटन, वन विषयों पर हुआ मंथन

मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में चल रहे चिंतन शिविर के द्वितीय दिन आज कृषि-बागवानी, पर्यटन, वन आदि विषयों पर मंथन हुआ। इस दौरान मुख्य सचिव एसएस संधू ने सत्र के शुरुआती उद्धबोधन में सभी अधिकारियों से कहा कि तीन दिन तक चलने वाले इस मंथन शिविर की प्रत्येक को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रेषित करनी होगी। उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर में होने वाला ब्रेन स्टॉर्मिंग सेशन की असली चिंतन शिविर है। उन्होंने कहा कि इस शिविर में जो भी नए एवं इन्नोवेटिव विचार सामने आ रहे हैं उन पर हमें व्यापक विचार करना होगा।

इसके उपरांत सर्वप्रथम सचिव कृषि बीवीआरसी पुरुषोत्तम द्वारा अर्थव्यवस्था एवं रोजगार के अंतर्गत कृषि एवं बागवानी के अलावा एनिमल हसबेंडरी, डेयरी विकास एवं मत्स्य पालन पर प्रस्तुतिकरण पेश किया गया। इस दौरान उनके द्वारा बताया गया कि आज हमें कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में रिफार्म लाने की जरूरत है। पर्वतीय जिलों में बीज की गुणवत्ता सुधार की जरूरत है। पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन की सेहत सुधार पर भी जोर दिया गया। आर्गेनिक के क्षेत्र को और आगे ले जाने पर जोर देते हुए बताया कि इससे कम से कम 50 हजार कृषकों को लाभ पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में हमें रिसोर्स, टेक्नोलॉजी एवं इनोवेशन पर ध्यान देना होगा। साथ ही यह भी बताया कि वर्तमान में इस क्षेत्र में कई विभाग काम कर रहे हैं, इसके लिए हमको सबको साथ लाने का प्रयास करना होगा। अलग-अलग विभागों की ओर से होने वाले जीओ के बजाय हमको कॉम्प्रीहेन्सिव जीओ लाने होंगे। इसके अलावा क्लस्टर फार्मिंग पर जोर देने के साथ ही लैंड रिफार्म दोबारा किये जाने पर बल दिया गया। इससे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में मदद मिलेगी। यह भी बताया कि अगले पांच वर्षों में 5 फलों के क्षेत्र में 5 सेंटर फार एक्सेलेन्स बनाने का लक्ष्य है। इस दौरान रुद्रप्रयाग में स्टेट ऑफ आर्ट होमस्टे के अलावा नैनीताल जनपद में जिलाधिकारी धीराज गबर्याल द्वारा क्लस्टर बेस्ड कृषि प्रयासों की विशेष सराहना की गई।

प्रस्तुतिकरण में जोर दिया गया कि लाइवस्टॉक में सुधार के लिए हमें बाहर से भी इन्हें लेना चाहिए और बद्री गाय को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ऐसा करके रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा 13 जिलों में गोट वैली विकसित किये जाने पर बल दिया गया। इस अवसर पर बिसन जी द्वारा सक्सेस स्टोरीज पर प्रस्तुतिकरण (पीएम गतिशक्ति) दिया गया।

हमें नियमित चिंतन शिविरों की है आवश्यकताः मुख्य सचिव

सशक्त उत्तराखंड/25 चिंतन शिविर के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने कहा कि आगामी तीन दिनों तक हम राज्य को लेकर महत्वपूर्ण मंथन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें मंथन केवल तीन दिन नहीं बल्कि समय-समय पर करते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया अब तेजी से बदल रही है। बदलती परिस्थितियों के हिसाब से हमें परिवर्तन लाने होंगे। पहले पंच वर्षीय योजना बनती थी लेकिन समय के साथ हमें इस मॉडल से बाहर आना पड़ा है। यही वजह है कि पंच वर्षीय कार्यक्रम की जगह नीति आयोग की जरूरत पड़ी है। उन्होंने कहा कि हमें नियमित चिंतन शिविरों की बहुत आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि कई बार देखने में आता है कि अफसर फैसले लेने से डरते हैं और यस के बजाए नो कहने में अधिक दिलचस्पी लेते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी सोच रखने वाले नौकरशाहों को स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी काम के प्रति बेहद सकारात्मक हैं। अगर कोई शासनादेश या नियम किसी विकास योजना या अच्छे कार्य में आड़े आ रहा है तो उसको बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी आदेशों को आम भाषा एक व्यक्ति क़ानून को मिसयूज न कर पाए इस सोच के चलते 99 लोगों को फायदा न होने देने की सोच गलत है। उन्होंने कहा कि नौकरशाह एक मुद्दा रोज लें कर फिर उसको सुलझाएं। उन्होंने कहा कि कायर नौकरशाह ही ज्यादा आपत्ति लगाते हैं। किसी चीज पर फैसला न लेना जनता को परेशान करने के समान है।

मुख्य सचिव ने कहा कि पर्यटन, योगा, हाइड्रो पावर, हॉर्टिकल्चर वो तमाम क्षेत्र हैं जिनमें अभी बहुत कुछ करने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण से लोग भाग रहे हैं। जिस तरह से सड़कों का जाल बिछ रहा है हम दिल्ली एनसीआर का हिस्सा होंगे। इस लिहाज से हमें अपने देहरादून व अन्य शहरों में सुविधाओं को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि चिंतन हमें केवल तीन दिन नहीं बल्कि हर रोज करना है। उन्होंने कहा कि काम करने का एटीट्यूड बहुत महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर लाल बहादुर प्रशाशनिक अकादमी के निदेशक श्रीनिवास आर कतीकीथला ने अकादमी में चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि आधी आबादी को ध्यान में रखकर हमें योजनाएं बनानी होंगी। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर बल दिया और समाज में होने वाली घटनाओं के अनूरूप नीतियों को बनाने पर बल दिया। नियोजन सचिव श्री आर मीनाक्षी सुंदरम ने राज्य की अर्थव्यवस्था पर अपना प्रेजेंटेशन दिया। इस अवसर पर सभी वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित रहे।