50.25 करोड़ की लागत से बनी सूर्यधार झील का सीएम त्रिवेंद्र ने किया लोकार्पित

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट स्व. गजेन्द्र दत्त नैथानी, जलाशय सूर्याधार का लोकार्पण किया। 50.25 करोड़ रूपये की लागत से बनी इस झील की धारण क्षमता 77 हजार घन मीटर है। यह झील 550 मी. लम्बी, 28 मीटर चैड़ी एवं 10 मीटर गहरी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने झील पर नौकायन किया एवं मत्स्य के बीज डाले। यह झील मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में है।

मुख्यमंत्री ने विकासखण्ड डोईवाला में सुसवा नदी के दायें किनारे पर लाल माटी खाले से बडकली पुल तक सुरक्षात्मक कार्य के लिए 2.63 करोड़ की सुरक्षात्मक कार्ययोजना, विकासखण्ड रायपुर के बांदल नदी पर सरखेत ग्राम की 1.85 करोड़ रूपये की लागत की बाढ़ सुरक्षा योजना एवं डोईवाला विकासखण्ड के अन्तर्गत सिमलासग्रान्ट नहर के विस्तारीकरण व सुरक्षा एवं नवीनीकरण की 2.31 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने स्व. गजेन्द्र दत्त नैथानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सूर्याधार क्षेत्र में लोगों को संचार सुविधाओं हेतु जियो का टावर लगाया जायेगा।

सूर्यधार झील से 18 गांवों को ग्रेविटी वाटर मिलेगाः त्रिवेंद्र
कहा कि आज उत्तराखण्ड को एक ऐसा प्रोजेक्ट समर्पित किया जा रहा है, जिसके पीछे एक दूरगामी सोच है। इसका प्रयोजन व संदेश बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा कि इस झील को बनाने का उद्देश्य सिर्फ पेयजल एवं सिंचाई ही नहीं है, इसके व्यापक परिणाम आयेंगे। इससे पानी के सोर्स रिचार्ज होंगे, पर्यावरण के लिए बेहतर ईको सिस्टम होगा। राज्य सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बेहतर डेस्टिनेशन बने। इससे आने वाले समय में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि झील से 18 गांवों को ग्रैविटी वाटर की उपलब्धता होगी एवं 1247 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। पहले इस क्षेत्र में 534 हेक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई हो पाती थी। इस जलाशय के बनने से क्षेत्र की 30 हजार आबादी की प्रति व्यक्ति की प्रतिदिन 40 लीटर पानी की उपलब्धता से बढ़कर 100 लीटर प्रतिदिन हो जायेगी, अर्थात् प्रतिव्यक्ति को ढाई गुना अधिक पानी की उपलब्धता हो जायेगी। इस सूर्याधार में वाटर स्पोर्ट्स को विकसित करने के प्रयास किये जायेंगे। यहां पर साल में 3-4 दिन के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। स्व. गजेन्द्र दत्त नैथानी जी के नाम पर इस झील का नाम रखा गया है। नैथानी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया। वे हमेशा से आरएसएस संघ की विधारधारा से जुड़े रहे। समाज की सेवा करना ही उनका एकमात्र धेय था।

इस अवसर पर भाजपा के जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह पुण्डीर, राज्यमंत्री करन बोहरा, कृष्ण कुमार सिंघल, खेमपाल सिंह, सचिव सिंचाई नितेश झा, प्रमुख अभियंता सिंचाई मुकेश मोहन, जिलाधिकारी देहरादून आशीष श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी धीरेन्द्र पंवार, मुख्य अभियंता सिंचाई जयपाल सिंह, अधिशासी अभियंता सिंचाई डीके सिंह, स्व. गजेन्द्र दत्त नैथानी के भतीजे संजीव नैथानी आदि उपस्थित थे।

सीएम त्रिवेंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार बैराज निर्माण में नहीं हो लापरवाहीः महाराज

देहरादून। सूर्यधार बैराज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट है इसलिए इसके निर्माण में किसी भी तरह की लापरवाही और अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी। सूर्यधार बैराज के निर्माण में कई स्तर पर गड़बडियां हैं जिसकी सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की ओर से विशेष आदेश दिए हैं। महाराज ने आदेश देते हुए कहा है कि 1837.34 लाख रूपये की लागत के सापेक्ष 4100 लाख का अभी तक भुगतान किया जा चुका है। संभवतः अभी और भी किया जाना है।

उन्होंने कहा कि विचारणीय विषय यह है कि डीपीआर के उपलब्ध होने पर बैराज की ऊंचाई 8 मीटर से 10 मीटर तक किए जाने हेतु समिति की रिपोर्ट 6 सितंबर 2018 को आईआईटी अहमदाबाद से वैट एवं आईआरआई रुड़की से मॉडल स्टडी करवाया गया इन सबके बावजूद टेंडर को पुनर्रीक्षित कर अनुबंध क्यों नहीं किया गया। सतपाल महाराज ने अपने आदेश में यह कहा है कि जिस समिति का उल्लेख किया जा रहा है उसके द्वारा अपनी रिपोर्ट में ऊंचाई बढ़ाने की कहीं भी संस्तुति नहीं की गई है। तकनीकी सलाहकार ने 11 जून 2019 को अतिरिक्त कार्यों को कराने के लिए सलाह दी यह सलाह अनुबंध करने से पूर्व क्यों नहीं प्राप्त की गई इस सलाह का क्या औचित्य था। उन्होंने कहा कि सलाहकार को नियुक्त करने के लिए क्या प्रशासन से अनुमति ली गई और उनकी सलाह को मानने से पूर्व कार्यों का तकनीकी परीक्षण कराकर क्या शासन की अनुमति प्राप्त की गई। यह तमाम कारण हैं जिसके लिए सिंचाई मंत्री ने सूर्यधार बैराज के निर्माण से संबंधित कार्यों की विशेष जांच के आदेश दिए हैं। सिंचाई मंत्री ने सचिव सिंचाई को निर्देश दिए हैं कि इस बात की भी जांच की जाए कि जब अनुबंध पुरानी ऊंचाई 8 मीटर के आधार पर किया गया, बढ़ी हुई ऊंचाई के आधार पर नहीं, जबकि निविदा आमंत्रित करने से पूर्व ही ऊंचाई बढ़ाए जाने का निर्णय लिया जा चुका था जो कि प्रमुख अभियंता के मौखिक निर्देश के क्रम में हुआ। श्री महाराज ने कहा कि विभागीय कार्यों को कराए जाने का आधार विभागीय सेड्यूल ऑफ रेट होता है बाजार की दरों को कैसे एवं क्यों सम्मिलित किया वह भी निविदा की लागत का आंकलन करने में स्पष्ट नहीं है। इसलिए इसकी भी जांच की जाएगी।

सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सचिव सिंचाई को सूर्यधार बैराज निर्माण कार्यों की जांच के आदेश देते हुए सेड्यूल ऑफ रेट से 20 प्रतिशत अधिक दर पर सिविल कार्य कराए गये एवं इसी अनुबंध की दर के अंतर्गत ही अतिरिक्त कार्य भी कराए गये जिसके कारण सम्पूर्ण कार्य लगभग 62.00 करोड़ का कराया गया जो कि योजना हेतु स्वीकृत धनराशि 50. 24 करोड से लगभग 12 करोड़ अधिक है। स्वीकृत धनराशि से 12.00 करोड अतिरिक्त धनराशि व्यय किया जाना शासकीय धन का दुरुपयोग है।

उल्लेखनीय है कि सूर्यधार बांध परियोजना से भोगपुर, घमंडपुर व लिस्ट्राबाद के 18 गांव की 1287 हेक्टेयर भूमि पर पूरे साल पर्याप्त सिंचाई हो सकेगी। इस जलाशय के निर्माण से लगभग 33500 लोगों को पेयजल की समस्या से निजात मिल पायेगी। ज्ञात हो कि 27 अगस्त 2020 को सूर्यधार बैराज निर्माण परियोजना का सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने स्थलीय निरीक्षण कर परियोजना लागत बढ़ने पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसकी जांच की बात कही थी।