कोर्ट ने चेक बाउंस के आरोपी को किया बरी


चेक बाउंस मामले में न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट,ऋषिकेश श्रेय गुप्ता की अदालत ने आरोपी इंद्रपाल पुत्र राजेंद्र निवासी रूषा फार्म, गुमानीवाला, ऋषिकेश को दोषमुक्त किया है। आरोपी की ओर से अधिवक्ता शुभम राठी ने मजबूत पैरवी की थी।

अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि गुमानीवाला निवासी विपिन पोखरियाल ने न्यायालय में वाद दर्ज करते हुए कथन किया कि इंद्रपाल द्वारा उनसे 2,50,000 रुपए उधार लिए थे जिन्हे लोटाने के एवज में एक चेक उन्हें दिया जो की बैंक में लगाने पर बैंक से बिना भुगतान अनादृत हो गया जिसके संबंध में न्यायलय में मुकदमा किया गया।

आरोपी इंद्रपाल द्वारा कोर्ट में बताया गया कि वह विपिन को जानता ही नहीं है और विपिन ने किसी और से इंद्रपाल का चेक प्राप्त कर झूठा मुकदमा किया है। इंद्रपाल के अधिवक्ता शुभम राठी ने परिवादी विपिन से जिरह की तथा अधिवक्ता शुभम राठी द्वारा पूछे गए सवालों का कोई भी संतोषजनक जवाब परिवादी नहीं दे पाए। जिसके पश्चात न्यायालय ने यह माना की परिवादी आरोपी के साथ अपनी जान पहचान या लेन देन साबित नही कर पाया और अधिवक्ता की ठोस पैरवी के चलते आरोपी इंदरपाल को दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया।

कोर्ट फैसलाः दस वर्ष पुराने मारपीट मामले में कोर्ट ने किया बरी

न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने दस वर्ष पुराने मारपीट के मामले में आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया है।

सर्वहारा नगर काले की ढाल, ऋषिकेश निवासी महेंद्र मधेशिया द्वारा 20 सितंबर 2013 को एक रिपोर्ट दर्ज करवाई। जिसमें बताया था कि उसकी स्थान कोयल घाटी ऋषिकेश स्थित पान की दुकान है। 20 सितंबर 2013 की रात्रि वह अपने साथियों के साथ अपनी दुकान बंद कर अपने घर जा रहा था तभी आवास विकास निवासी मनिंद्र तिवारी, सुभाष तिवारी, नीतीश बामराडा, मनीराम मार्ग निवासी अक्षय भल्ला व हरिधाम कालोनी निवासी वरुण तनेजा द्वारा महेंद्र और उसके साथियों पर लाठी खुखरी से जान लेवा हमला कर दिया जिससे वह और उसके साथी बुरी तरह घायल हो गए।
पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया तथा उसके बाद मुकदमा न्यायिक मैजिस्ट्रेट, ऋषिकेश के न्यायालय में विचाराधीन रहा ।

आरोपियों की ओर से अधिवक्ता शुभम राठी और पवन कुमार द्वारा कोर्ट में ठोस पैरवी की गई। दस साल पुराने इस मामले में अभियोजन द्वारा कुल छः गवाह पेश किए गए, जिनसे अधिवक्ता शुभम राठी द्वारा जिरह की गई।
कोर्ट ने पाया कि मामले में पेश किए गए गवाहो की गवाही में गंभीर विरोधाभास थे तथा कोई भी गवाह बचाव पक्ष के अधिवक्ता के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। साथ ही मामले में पुलिस द्वारा अभियुक्तगणों से कोई भी बरामदगी नहीं की गई तथा अभियोजन अपना मामला संदेह से परे साबित करने में असफल रहा।
न्यायालय न्यायिक मैजिस्ट्रेट, ऋषिकेश जिला देहरादून द्वारा सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया।

चेक बांउस के मामले पर कोर्ट ने सुनाया फैसला, आरोपी से हटाए आरोप

न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने चेक बाउंस के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी को दोषमुक्त किया है।

अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा और अधिवक्ता राजकिशोर शर्मा ने बताया कि न्यायालय में दाखिल एक वाद में बताया गया कि राजंेंद्र त्यागी पुत्र ओमप्रकाश त्यागी निवासी छिद्दरवाला की कैलाश मणी रतूड़ी पुत्र विशालमणी निवासी छिद्दरवाला से अच्छी जान पहचान है, जिसके आधार पर राजेंद्र ने वर्ष 2014 में पांच लाख रूपये उधारी के तौर पर कैलाशगणी को दिए। मगर, तय समय पर वापस न लौटाने पर जब कैलाशमणी से कहा गया तो उस पर दो चेक दिए गए, जो बाउंस हो गए।

अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा और अधिवक्ता राजकिशोर शर्मा ने न्यायालय के समक्ष कैलाशमणी की ओर से जोरदार पैरवी की। उनकी मजबूत पैरवी की बदौलत आरोप लगाने वाला पक्ष अपनी पांच लाख रूपये देने की क्षमता को न्यायालय के सम्मुख साबित नहीं कर सका। साथ ही परिजनों से जान पहचान भी साबित नहीं कर पाया। जिसके आधार पर न्यायिक मजिस्ट्रेट उर्वशी रावत की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कैलाशमणि रतूड़ी को दोषमुक्त किया है।

कोर्ट ने नौ साल पुराने मामले में आरोपी को दिया संदेह का लाभ

न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश ने लापरवाही से वाहन चलाने के नौ साल पुराने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया है। मामला वर्ष 2013 का है जो थाना ऋषिकेश में दर्ज किया गया था।

ऋषिकेश पुलिस ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में बताया कि 05 जुलाई 2013 को विजयपाल अपने साथी सुरेंद्र सिंह राणा और धनवीर सिंह नेगी के साथ माया मार्केंट गए थे। इसी बीच ट्रक संख्या यूए08जी 9796 ने विजयपाल को जोरदार टक्कर मारी, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, उपचार के दौरान विजयपाल की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने रवित कुमार पुत्र नरपाल सिंह को चालक दिखाते हुए लापरवाही से वाहन चलाने सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता अमित अग्रवाल ने न्यायालय को इस मामले में विभिन्न तर्क दिए।
1. बताया कि पुलिस द्वारा मौके पर जो नक्शा नजरी बनाई गई, वह चश्मदीनों की गवाही के बाद विरोधाभास देखने को मिला, जो संदेहास्पद है।
2. अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि आरोपी रवित कुमार पुत्र नरपाल सिंह 05 जुलाई 2013 को न ही वाहन चला रहा था और न ही घटना स्थल पर मौजूद था, ऐसे में पुलिस द्वारा यह कहना कि रवित द्वारा लापरवाही से वाहन चलाना गलत है।
3. अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि साक्ष्यों में विरोधाभास है, क्यों कि एक चश्मदीन का कहना है कि घटना के बाद मौके पर ट्रक चालक को पकड़कर उसका नाम पूछा गया, जिसमें रवित नाम पाया गया, जबकि अन्य गवाहों ने कहा कि चालक को नहीं जानते और उनका नाम नहीं पूछा गया।
कोर्ट ने इन बातों पर भी विरोधाभास पाया कि मौके पर चालक का नाम पूछा गया और चालक की गिरफ्तारी दो दिन बाद पुलिस ने दिखाई।
न्यायिक मजिस्ट्रेट उर्वशी रावत ने तमाम दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने आरोपी रवित पुत्र नरपाल सिंह निवासी पिथनेडी निकट प्राइमरी स्कूल तहसील नगीना कोतवाली देहात जिला बिजनौर को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया है।