कोर्ट ने चेक बाउंस के आरोपी को किया दोषमुक्त

न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने चेक बाउंस के 2014 के मामले में अपना फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त किया है।

न्यायालय में 06 फरवरी 2015 में एक वाद दायर किया गया। जिसमें बताया कि मोहन सिंह नेगी पुत्र स्व. मान सिंह निवासी प्रतीतनगर रायवाला और अखिलेश बडोला पुत्र जगदीश प्रसाद निवासी मालवीय नगर ऋषिकेश आपस में गहरे मित्र थे। बताया कि दोनों के बीच जमीन को लेकर सौदा हुआ। जिसमें अखिलेश ने मोहन को सात लाख रूपये का चेक 27 अक्टूबर 2014 को दिया, जो नोएडा गौतमबुद्ध नगर का था।

वाद में बताया गया कि वादी मोहन सिंह ने अपने बैंक में चेक 29 अक्टूबर 2014 को लगाया तो वह बाउंस हो गया। इसके बाद वादी ने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा और जवाब न मिलने पर न्यायालय में वाद दायर किया गया।

इस मामले में आरोपी बनाए गए अखिलेश बडोला के अधिवक्ता पवन शर्मा ने न्यायालय के समक्ष मजबूत पैरवी की और न्यायालय के समक्ष यह बता पाने में समर्थ रहे कि आरोपी अखिलेश के द्वारा वादी मोहन सिंह को किसी विधिक ऋण व दायित्वधीन नहीं दिया गया।
मामले में अधिवक्ता पवन शर्मा की दमदार पैरवी को आधार बनाते हुए न्यायाधीश राजेंद्र कुमार ने आरोपी अखिलेश बडोला पुत्र जगदीश प्रसाद को दोष मुक्त किया है।

ई-सेवा केन्द्र, अब वादी और प्रतिवादी को भटकना नहीं पड़ेगा

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय न्याय प्रणाली को और अधिक सरल व सुगम बनाने की दिशा में लगातार आगे कदम बढ़ा रहा है। इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उच्च न्यायालय परिसर में ई-सेवा केन्द्र की स्थापना की गयी है। जिससे न्याय प्रणाली में वादियों एवं प्रतिवादियों को जानकारी के अभाव में होने वाली दिक्कतों से बचाव हेतु जानकारी उपलब्ध कराने के लिए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की पहल पर न्यायालय परिसर में ई-सेवा केन्द्र की स्थापना की गयी है। जिसका शुभारंभ गुरूवार को मुख्य न्यायमूर्ति आरएस चौहान द्वारा फीता काट कर किया गया।
रजिस्ट्रार जनरल धनन्जय चतुर्वेदी ने बताया कि ई-सेवा केन्द्र उत्तराखण्ड राज्य का पहला सेवा केन्द्र है। इसके बाद अल्मोड़ा में शीघ्र ही ई-सेवा केन्द्र खोला जायेगा। इसकी महत्ता को देखते हुए भविष्य में सभी जनपदों के जिला न्यायालयों में ई-सेवा केन्द्रों की स्थापना की जायेगी। उन्होंने बताया कि स्थापित ई-सेवा केंद्र में वादो की अद्यतन स्थिति तथा सुनवाई तिथि के साथ ही सुनवाई हेतु निर्धारित कोर्ट की भी जानकारी उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि ई-न्यायालय परियोजना के तहत डिजिटल रूप से उपलब्ध सुविधाओं के सम्बन्ध में पूछताछ एवं सहायता, जजों के अवकाश की सूचना, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों, उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति से निःशुल्क कानूनी सेवाओं का लाभ उठाने के बारे में लोगों का मार्गदर्शन भी किया जायेगा। जस्टिस एप की जानकारी मुहैया कराने के साथ ही एप डाउनलोड करने में भी सहायता प्रदान की जायेगी।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति एनएस धानिक, न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे, न्यायमूर्ति रविन्द्र मैथानी, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार कम्प्यूटर अम्बिका पन्त, एडवोकेट जनरल एसएन बाबुलकर, बार अध्यक्ष एएस रावत, सचिव विकास बहुगुणा सहित सभी रजिस्ट्रार व अधिवक्तागण उपस्थित थे।