मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष में आयोजित दीनदयाल गाथा कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। पंडित दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोजित कथा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन की सभी विचार सुंदर ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। इससे पंडित दीनदयाल की संदेशों पर आचरण करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। सरकार द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की एकात्म मानवतावाद की भावना के अनुरूप देश से गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को समाप्त करने के लिए कार्य किया जा रहा है।
मौके पर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कार्यक्रम में प्रतिभाग करने हेतु मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन कथा वाचक अजय भाई ने किया।
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कौन थे दीनदयाल उपाध्याय के सवाल पर घिरे आईएएस
छत्तीसगढ़।
कांकेर जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ शिव अनंत तायल ने बीते दिनों फेसबुक पर एक सवाल किया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय कौन थे, उनकी उपलब्धि क्या थी? आईएएस का यह सवाल शासन को इतना खटका कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए 5 करोड़ की किताबें छपवा दी र्गइं। वह भी बिना टेंडर निकाले।
फेसबुक वॉल की इस टिप्पणी के कारण तायल को कांकेर से हटाकर मंत्रालय में अटैच कर दिया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी पर पंचायतों की मूलभूत राशि से 13 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना दी गई और उनकी जीवनी पर आधारित 15 खंड की किताब भी प्रकाशित करवा दी गई जबकि, नियम के मुताबिक इसके लिए टेंडर निकालना चाहिए था। लेकिन गुपचुप तरीके से 5 करोड़ रुपए खर्च कर 10 हजार 971 पुस्तकों का प्रकाशन दिल्ली के प्रभात प्रकाशन से करा दिया गया। जिम्मेदारों की दलील है, जो भी हुआ है, वह शासन के निर्देश पर ही हुआ है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25 सिंतबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके लिए आनन-फानन में एक समिति का गठन भी कर लिया गया। इसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक पुस्तक देने का फैसला किया गया, जिसे पंचायत के आत्मानंद वाचनालय को सौंपा जाएगा।