जानिए, सीएम धामी ने कैबिनेट में किन फैसलों पर सहमति दी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को कैबिनेट बैठक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में आयोजित की गई। मंत्रिमंडल ने देवस्थानम बोर्ड को रद् करने पर हामी भर दी है। बोर्ड को कैंसिल करने का प्रस्ताव अब विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। इसके साथ ही पुरानी व्यवस्थाओं को लागू किया जाएगा। इसके तहत श्री बदरीनाथ केदारनाथ टेंपल कमेटी अस्तित्व में आ जाएगी। धामी सरकार ने पूर्व सैनिकों को सातवें पे-कमीशन का लाभ दिए जाने पर भी मुहर लगा दी है।
नजूल नीति में जमा पैसों के अनुसार ही अब लाभार्थियों को मालिकाना हक मिल सकेगा। उत्तराखंड के सभी सरकारी अस्प्तालों, स्वास्थ्य केंद्रों आदि में अब सभ्ज्ञी दवाएं मुफ्त दी जाएंगी। कोई भी डॉक्टर अगर बाहर की दवा लिखते हुए पाया जाएगा तो कारण बताओ नोटिस भी दिया जाएगा। पॉलिटेक्निक सेंटरों में संविदा कर्मियों को नियमितीकरण करने का भी फैसला लिय गया है। मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि अतिथि शिक्षकों को अब उनके मूल जनपदों में ही तैनाती दी जाएगी।

इन्हें मिलेगा लाभ-
शहरों में 100 वर्ग मीटर भूमि पर यदि भवन बना है, या बनाना है, तो महज 100 रुपये में पानी का कनेक्शन मिलेगा। कैबिनेट ने 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने का निर्णय किया है। अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में एक रुपये में पानी का कनेक्शन देने का नियम बनाया गया था। सरकार ने शहरों में 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने की घोषणा की थी।
इसे कैबिनेट की भी मुहर लगवाई गई। जल जीवन मिशन ग्रामीण में एक रुपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। यहां भूमि के क्षेत्र की कोई बाध्यता नहीं थी। शहरों में आम लोगों को राहत दिए जाने को भूमि का क्षेत्र तय कर दिया गया है। 100 वर्ग मीटर भूमि पर बने भवनों को 100 रुपये में पानी का कनेक्शन दिया जाएगा।

अन्य फैसले-
-मैदानी क्षेत्र में 100 वर्ग मीटर जमीन वाले गरीब परिवारों को 100 रुपये में पेयजल कनेक्शन
-हरिद्वार में छह माह तक प्रशासक नियुक्त होंगे, विधयेक आएगा
-परिवहन निगम में चयनित 24 कर्मियों को दूसरे विभागों में करेंगे समायोजित
-कार्बेट में कोरोना काल में बुकिंग के पैसे रिफंड होंगे
-काशीपुर में इलेक्ट्रानिक पार्क बनेगा
-रोडवेज के दून व यूएसनगर फिटनेस सेंटर प्राइवेट सेक्टर को
-औद्योगिक क्षेत्रों के नए बिल्डिंग बायलॉज
-हटाए गए अतिथि शिक्षकों को दूसरे स्थानों पर मिलेगा मौका

मुख्यमंत्री का हरिद्वार में संतों ने किया भव्य स्वागत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का रविवार को श्री निरंजनी अखाड़ा, हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहन्त रविन्द्रपुरी और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहन्त हरिगिरि, जगतगुरू राजराजेश्वराश्रम, निरंजन पीठाधीश्वर कैलाशानन्द गिरि, आनन्द पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर बालकानन्द गिरि, जूना अखाड़ा के सभापति प्रेम गिरिजी, आह्वान आखाड़े के श्रीमहन्त सत्य गिरि, नया अखाड़ा उदासीन के श्रीमहंन्त भगतराम जी, श्रीमहन्त नारायण गिरि, महामण्डलेश्वर ललितानन्द गिरिजी महाराज ने आयोजित समारोह में शॉल ओढ़ाकर, प्रतीक चिह्न व गंगाजलि भेंटकर अभिनन्दन व स्वागत किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समारोह को सम्बोधित करते हुये जूना अखाड़ा दुःख हरण मन्दिर, जूना अखाड़ा घाट में सौन्दर्यीकरण और यहां की धार्मिक मान्यताओं की स्थापना हेतु एक त्रिशूल लगाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने समारोह में देवस्थानम बोर्ड का जिक्र करते हुये कहा कि विभिन्न सन्तों, हक-हकूक धारियों तथा धार्मिक संगठनों द्वारा देवस्थानम बोर्ड को वापस लेने या इसमें बदलाव लाने की मांग की जा रही थी, जिसके लिये मनोहर कान्त ध्यानी के नेतृत्व में कमेटी गठित की गयी थी तथा मंत्रिमण्डल की उप समिति ने भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि हम निश्चित रूप से जो भी फैसला करेंगे सबकी भावनाओं के अनुसार करेंगे। उन्होंने कहा कि पूज्य सन्तों की यही भावना थी। उन्होंने कहा कि इस समय सबके हित में, मुख्य सेवक के रूप में, देवस्थानम बोर्ड को वापस लेने का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम उत्तराखण्ड की 25वीं वर्षगांठ मनायेंगे, उस समय उत्तराखण्ड हर क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य होगा। इसके लिये हम सभी के विचार आमंत्रित कर रहे हैं तथा अगले 10 सालों का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पांच माह में 500 से अधिक फैसले लिये हैं, जो घोषणा की जा रही है, उसका शासनादेश भी तुरन्त जारी होता है। उन्होंने कहा कि हमने हर क्षेत्र में फैसले लिये हैं तथा हम चाहते हैं कि हर क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड के चौमुखी विकास लिये 18 हजार करोड़ की विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, किच्छा विधायक राजेश शुक्ला, पूर्व सांसद बलराज पासी, जिला अध्यक्ष भाजपा डॉ. जयपाल सिंह, जिला महामंत्री भाजपा विकास तिवारी, गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ सहित पुलिस व प्रशासन के सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

देवस्थानम बोर्ड भंग करने से तीर्थ पुरोहितों में खुशी की लहर

धामी सरकार के देवस्थानम बोर्ड भंग करने के साथ ही उत्तराखंड के समस्त मंदिरों के लिए अधिनियम को रद्द किए जाने की घोषणा से तीर्थ पुरोहितों में खुशी की लहर है। चारधाम हक हकूक धारी महापंचायत तीर्थ पुरोहित समिति ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है।
मंगलवार को तीर्थनगरी ऋषिकेश पहुंचे श्री केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती, सदस्य राजेश बागड़ी, किर्तेश्वर कपरूवाण का हरिद्वार रोड स्थित भगवान भवन आश्रम में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला और तुलसी मानस मंदिर के अध्यक्ष पंडित रवि शास्त्री ने फूलमाला से स्वागत किया। कांग्रेस नेता खरोला ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड भंग करने की घोषणा दर्शाती है कि सरकार की नीतियां गलत दिशा में जा रही थी। वहीं, पुराने बदरीनाथ मार्ग पर जयराम आश्रम में भी देवस्थानम बोर्ड भंग करने की घोषणा पर श्री केदार समिति के पदाधिकारियों का आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने स्वागत किया। मौके पर पार्षद मनीष शर्मा, विनोद अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

साहस का परिचय दे रहे धामी ने दमदार फैसलों से अपने को औरों से अलग साबित किया

यूं तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने साढ़े चार महीने के कार्यकाल में 500 से अधिक फैसले ले चुके हैं पर देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेना उनके लिए आसान काम नहीं था। तमाम वजहों से यह मुद्दा धामी सरकार के लिए पेचीदा बना हुआ था। एक तो अपनी ही पार्टी की पूर्व सरकार के फैसले पर उन्हें पुनर्निर्णय करना था। दूसरा, यह निर्णय इतने सलीके से लिया जाना था जिससे पार्टी पर उसका नकारात्मक प्रभाव ना पड़े और नाराज वर्ग भी संतुष्ट हो जाए। धामी अपने व्यक्तित्व के अनुरूप सभी पक्षों से सहजता से मिले, सरलता से उनको सुना और फिर उन्होंने सूझबूझ के साथ कदम आगे बढ़ाए। अंततः युवा नेतृत्व ने जिस बुद्धिमत्ता के साथ निर्णय लिया उसकी चौतरफा न केवल चर्चा है बल्कि प्रशंसा भी हो रही है। यह फैसला उनकी सियासी परिपक्वता और दूरदर्शिता को भी दर्शाता है।
देवस्थानम बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था, जिनमें केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धामों मंदिर भी शामिल थे। तब से ही तीर्थ-पुरोहित, हक-हकूकधारी और मंदिरों से जुड़ा हर पक्ष इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़ा था। जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री पद से त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अचानक विदाई में देवस्थानम बोर्ड के गठन को भी एक कारण माना गया। उनके बाद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपी गई तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले में पुर्नर्विचार किया जाएगा। सियासी परिस्थितियां बदलीं और इसी साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का टाइम बाउण्ड वादा किया। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो सीएम धामी ने फिर अपने सहयोगी मंत्रियों की एक कमेटी (पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अगुवाई में) गठित कर रिपोर्ट का अध्ययन करने और उस पर अपना सुझाव देने को कहा। बीते सोमवार को मंत्रियों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट संस्तुति समेत मुख्यमंत्री को सौंपी। धामी ने बिना कोई देर किए 30 नवंबर की सुबह देवस्थानम बोर्ड को भंग करने और इस एक्ट को वापस लेने का फैसला सुना दिया।
दरअसल, देवस्थानम बोर्ड छोटा मुद्दा नहीं था। सनातनी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़े होने के कारण यह बेहद संवेदनशील बन गया था। खासतौर से भाजपा के लिए जो खुद को सनातन संस्कृति और परम्पराओं का संवाहक मानती है। मामले को इसलिए भी व्यापकता मिली क्योंकि उत्तराखण्ड में स्थित चारधामों से देश और दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। देवस्थानम बोर्ड के गठित होते ही श्रृद्धा के केन्द्र बदरीनाथ और केदारनाथ जैसे मंदिरों की देखभाल, रखरखाव और उनकी व्यवस्थाओं के प्रबंधन से जुड़ी सदियों पुरानी परम्पराओं को बदलने के औचित्य पर चर्चा शुरू हो गई थी। एक पक्ष देवस्थानम बोर्ड की वकालत तो दूसरा इसके विरोध में खड़ा हो गया। मामला सिर्फ सोशल मीडिया में बहस तक सीमित नहीं रहा बल्कि हाईकोर्ट से होते हुए देश की सर्वाेच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। यही एकमात्र ऐसा मुद्दा था जिसे सुलझाने में धामी को अपनी सियासी परिपक्वता साबित करनी थी। चूंकि देवथानम बोर्ड का गठन भाजपा सरकार ने किया था लिहाजा दलगत मजबूरी के चलते धामी इसे एक झटके में वापस नहीं ले सकते थे, वरना इसके दुष्प्रभाव सामने आ जाते। बहुत ही समझदारी के साथ धामी ने स्वच्छ छवि के भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई। कमेटी ने चारधाम के तीर्थ पुरोहितों, विद्वान पण्डितों, हक-हकूकधारियों और मंदिरों से जुड़े भी वर्गों से सिलसिलेवार बात की। एक नहीं कई दौर की बातचीत में सबकी राय ली गई। तसल्ली के साथ सभी पक्षों को सुना गया। कमेटी ने जब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो उस पर संस्तुति देने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने फिर एक और कमेटी गठित की जिसमें उन्होंने अपने तीन सहयोगी मंत्रियों सतपाल महाराज, अरविन्द पाण्डेय और सुबोध उनियाल को शामिल किया। मंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट मिलने पहले धामी ने दिल्ली जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर उनसे इस पर निर्णय को लेकर सहमति ले ली। फिर मंगलवार की सुबह उन्होंने देवस्थानम बोर्ड पर वो फैसला सुनाया जिसका सभी को इंतजार था। अपने इस फैसले से पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव से ऐन पहले एक तीर से कई निशाने साध दिए हैं। उन्होंने एक ऐसा विषय जो चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता था उसे सुलझा लिया, साथ ही नाराज पंडा-पुरोहितों और हकदृहकूकधारियों को भी मना लिया। इस मुद्दे पर विपक्ष की हर रणनीति अब धरी की धरी रह गई है और पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर खुद को उत्तराखण्ड के भविष्य का नेता साबित कर दिया है।

देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की आप पार्टी ने उठाई मांग

छोटी दीपावली पर्व के बावजूद आप के कार्यकर्ताओं ने अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम अनुसार बुधवार की दोपहर नेपाली फार्म तिराहे पर वेदस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर प्रदेश सरकार पर हल्ला बोला।

प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए विधानसभा प्रभारी डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा तीर्थ की मयार्दाओं को तार-तार कर रही है जिसे किसी सूरतेहाल में बर्दाश्त नही किया जायेगा। उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को हिंदू धर्म के खिलाफ बताया है और इसे तुरंत भंग करने की मांग की। इस गंभीर मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई लड़ने का एलान करते हुए विधानसभा प्रभारी नेगी ने कहा कि अगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता में आते ही सबसे पहले इस काले कानून को समाप्त कर पार्टी तीर्थ पुरोहितों के पारंपरिक अधिकारों को बहाल करने का काम करेगी।

प्रदर्शनकारियों मे पार्टी के संगठन मंत्री दिनेश असवाल, दिनेश कुलियाल, महिला मोर्चा अध्यक्ष पुष्पा पांडेय, रजनी कश्यप, योगाचार्य भारती, चंद्रमोहन भट्ट,गोविंद रावत,मनसोधन यादव,आशु पाल,अधिवक्ता लालमणि रतूड़ी, मोनू कश्यप, मोनू भाई, पंकज गुसाईं, सुनील सेमवाल, जगदीश कोहली, प्रभात झा, अनूप रावत, देवराज नेगी, विक्रांत भारद्वाज, हिमांशु नेगी, नीरज कश्यप, अश्वनी सिंह, नरेंद्र सिंह, शीशपाल वर्मा, मनोज कश्यप, पंकज रस्तोगी, मूलचंद कश्यप, जयेन्द्र प्रसाद, सौरव पुंडीर, राहुल दुबे, जाकिर, दीपक कश्यप, पुरुषोत्तम साहू, विकास तोमर, शुभम देव, समीर भारद्वाज, राहुल भंडारी, अजय ठाकुर, समीर, मदन ठाकुर, अंकित डबराल आदि शामिल थे।

उच्चस्तरीय समिति में तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों को किया सदस्य नामित

सरकार ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर गठित उच्चस्तरीय समिति में नौ तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों को बतौर सदस्य नामित किया है। सचिव धर्मस्व एचसी सेमवाल की ओर से इसके आदेश किए गए।
चारधाम के तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे हैं। उनके विरोध को देखते हुए सरकार ने तीर्थ पुरोहितों एवं हकूकधारियों के सुझाव लेने के लिए उच्चस्तरीय समिति बनाई थी। इसकी कमान भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को दी गई है। ध्यानी इस मामले में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को दे भी चुके हैं। हालांकि, तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारी ध्यानी का भी विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ध्यानी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। इसलिए, सरकार ने इस समिति में नौ तीर्थपुरोहितों को सदस्य नामित किया है।

इन्हें नामित किया गया सदस्य
-बदरीनाथ धाम से विजय कुमार ध्यानी, संजय शास्त्री और रवींद्र पुजारी
-केदारनाथ धाम से विनोद शुक्ला और लक्ष्मी नारायण जुगराण
-गंगोत्री धाम से संजीव सेमवाल और रवीन्द्र सेमवाल

देवस्थानम बोर्ड पर उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट सरकार को मिली

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सोमवार को सचिवालय में देवस्थानम बोर्ड के सम्बन्ध में गठित उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहर कान्त ध्यानी ने भेंट की।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष मनोहर कान्त ध्यानी ने देवस्थानम बोर्ड के सम्बन्ध में उच्च स्तरीय समिति द्वारा तैयार की गई अन्तरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में कई बिन्दुओं पर तीर्थ पुरोहित समाज व पंडा समाज से वार्ता के बाद संशोधन का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। जिन बिन्दुओं पर आपत्ति है वे बिन्दुओं पर सरकार अब क्या एक्शन लेगी ये तो सरकार ही तय करेगी।

बलूनी ने भी दिए थे संकेत
तीर्थ पुरोहितों से जुड़े हुए कुछ पदाधिकारियों ने दिल्ली में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से भेट की थी। जिसके बाद तीर्थपुरोहितों की ओर से ये दावा किया गया था कि अनिल बलूनी ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के संकेत दिये है। हालांकि सांसद की ओर से ऐसा कोई बयान नही आया था। सूत्र बतातें है कि चुनावी वर्ष में अब सरकार इसके नफा नुकसान का आंकलन करके ही आगे की रणनीति के तहत कार्य करेगी।

धामी सरकार को मिली कामयाबी, हाईकोर्ट ने श्रद्धालुओं की संख्या से रोक हटाई

हाइकोर्ट नैनीताल ने बदरीनाथ-केदारनाथ सहित चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने के मामले को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। हाइकोर्ट ने चारों धाम में श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या से रोक हटा दी है। अब तीर्थ यात्री बेरोकटोक चारधाम यात्रा के लिए जा सकेंगे। साथ ही हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि शासन को कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करवाना होगा। कोर्ट के इस आदेश से सरकार सहित दूसरे प्रदेशों से आने वाले तीर्थ यात्रियों, चारधाम यात्रा रूट पर होटलों, दुकानदारों आदि स्थानीय लोगों को भी बड़ी राहत मिली है।
मुख्य न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने उत्तराखंड सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए तीर्थ यात्रियों की सख्यां को निर्धारित किया गया था। साथ ही, तीर्थ यात्रियों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की भी सख्त हिदायत दी गई थी।
माधिवक्ता द्वारा कहा गया कि चारधाम यात्रा करने के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी। लेकिन वर्तमान समय मे प्रदेश में कोविड के केस ना के बराबर आ रहे है। इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाए।कहा कि चारधाम यात्रा समाप्त होने में 40 दिन से कम का समय बचा हुआ है।
इसलिए जितने भी श्रद्धालु वहां आ रहे है उन सबको दर्शन करने की अनुमति दी जाए। जो श्रद्धालु ऑनलाइन दर्शन करने हेतु रजिस्ट्रेशन करा रहे है, वे भी नहीं आ पा रहे हैं। जिसके कारण वहां के स्थानीय लोगो पर रोजी-रोटी का खतरा उत्पन्न हो रहा है। सरकार द्वारा कोर्ट ने पूर्व दिए गए दिशा-निर्देशों का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा। चारधाम यात्रा में सभी सुविधाओं को उपलब्ध करा दिया गया है।
सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या से रोक हटाई जाए या फिर श्रद्धालुओं की संख्या तीन से चार हजार प्रतिदिन किया जाए ताकि दूसरे प्रदेशों से भी लोग दर्शन को आ सकें। कहा कि कोरोना महामारी पर कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन भी किया जा रहा है। सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने रोक हटा दी गई है।

सबसे ज्यादा बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं ने किये दर्शन

बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री सहित चारों धामों में अभी तक 17552 तीर्थ यात्री दर्शन कर चुके हैं। 18 सितंबर से 26 सितंबर के बीच इन श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। 26 सितंबर को श्री बदरीनाथ धाम में 750, श्री केदारनाथ धाम में 639, श्री गंगोत्री धाम में 461, श्री यमुनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। श्री हेमकुंड साहिब में 604 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
वहीं, उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष एवं हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज तिवारी रविवार सुबह पैदल यात्रा कर विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम पहुंचे। जहां उन्होंने परिवार के साथ विधिवत पूजा-अर्चना कर मां यमुना के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने यमुनोत्री यात्रा मार्ग सहित यमुनोत्री धाम में यात्रा व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। न्यायमूर्ति मनोज तिवारी शनिवार को जीआईसी बड़कोट में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उत्तरकाशी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बहुद्देश्यीय विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान उनके साथ सदस्य सचिव आरके खुल्बे भी मौजूद रहे। वहीं तीर्थ पुरोहितों ने न्यायमूर्ति मनोज तिवारी को ज्ञापन प्रेषित कर धाम में एक हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों को भेजने का आदेश पारित करने की मांग की।

अगर आप ने रजिस्ट्रेशन कराया है तो समय से पहले भी कर सकेंगे दर्शन

केदारनाथ-बदरीनाथ सहित चारधाम यात्रा के लिए पंजीकृत यात्री अब यात्रा के लिए तय किए गए दिन से पूर्व भी दर्शन कर सकेंगे। एक दिन में तय संख्या से कम यात्रियों के चारधाम पहुंचने के बाद यह निर्णय लिया गया है। हाईकोर्ट ने बदरीनाथ में 1000, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 तीर्थयात्रियों को दर्शन की इजाजत दी है। लेकिन देवस्थानम बोर्ड से ई-पास लेने वाले सभी यात्री दर्शन को नहीं पहुंच रहे हैं।
इसलिए अब सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। सचिव धर्मस्व एवं तीर्थाटन हरिचंद्र सेमवाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि यदि किसी धाम में एक दिन के लिए तय सीमा में श्रद्धालु नहीं पहुंचते तो ऐसे तीर्थ यात्रियों को दर्शन का मौका दिया जाएगा जिन्होंने आगे के लिए पंजीकरण कराया है। हालांकि एक दिन में धाम में दर्शन करने वालों की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस संदर्भ में गढ़वाल आयुक्त व सीईओ देवस्थानम बोर्ड रविनाथ रमन ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के डीएम और एसपी को कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं।

यहां पंजीकरण जरूरी है
चारधाम यात्रा को उत्तराखंड से बाहर के श्रृद्धालुओं को देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल http://smartcitydehradun.uk.gov.in में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। ई पास को देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट www.devasthanam.uk.gov.in या http:// badrinah- Kedarnath.uk.gov.in पर भी रजिस्ट्रेशन किया सकता है। प्रत्येक श्रद्धालु को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट अथवा वैक्सीन की डबल डोज लगी होने का सर्टिफिकेट जमा करना है। उत्तराखंड प्रदेश के लोगों को स्मार्ट सिटी पोर्टल में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।