जनपदों में असुरक्षित भवनों को सुरक्षित करने के लिए बनेगी सात सदस्यीय समिति

जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के बाद अब सरकार प्रदेश के समस्त जनपदों के डेंजर जोन के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता पर सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। यह समिति अपनी रिपोर्ट देगी, इसके बाद उन भवनों को सुरक्षित किया जाएगा। यह जानकारी प्रदेश के आवास मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने दी।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने जानकारी देकर बताया कि धामी सरकार जोशीमठ आपदा के बाद राज्य के सभी जनपदों में वर्तमान में निर्मित ऐसे भवन जों भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि की दृष्टि से जोखिम भरे भवनों की श्रेणी में आते हैं। उन्हें चिन्हित कर सुरक्षित करने को मानक संचालन प्रक्रिया संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि समस्त जनपदों में भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि जोखिम संभावित भवनों के चिन्हिकरण कर सुरक्षित करने को सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। डा. अग्रवाल ने बताया कि अपने-अपने जनपदों में जिलाधिकारी इस समिति की अध्यक्षता करेंगे, जबकि अन्य छह इसके सदस्य रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि जिलाधिकारी के अलावा इन छह सदस्यों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अथवा सचिव, संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी, लोकनिर्माण विभाग अथवा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता, सहायक भू-वैज्ञानिक (भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग), आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक अथवा उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि और संबंधित नगर निकाय के अधिशासी अधिकारी रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि इन सात सदस्यीय समिति में आवश्यकतानुसार कोई भी संबंधित विशेषज्ञ को आमंत्रित सदस्य के रूप में नाम किया जा सकता है। बताया कि यह समिति प्रत्येक जनपद में ऐसे निर्मित भवन जो जोखिम संभावित भवनों की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 30 डिग्री से अधिक ढाल पर निर्मित भवन, नदियों के अंतर्गत अथवा फ्लड जोन के अंतर्गत निर्मित भवन आदि ऐसे समस्त भवन जो असुरक्षित हों।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि ऐसे असुरक्षित भवनों का भी चिन्हिकरण किया जाएगा, जिन्हें रेट्रोफिटिंग द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है। बताया कि समिति इनके चिन्हिकरण के बाद आपदा न्यूनीकरण भवनों को सुरक्षित किये जाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करेगी।

जन्मदिन विशेष-धामी के लिए गये फैसले जो आज बन गये नजीर

उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूसरे कार्यकाल के डेढ़ साल पूरे हो चुके हैं। उनकी सरकार का यह कालखण्ड सेवा, समर्पण और सुशासन के लिए समर्पित रहा। इस कालखण्ड में समूचा प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर रहा। पहाड़ और मैदान का भेद किए बगैर सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास का आधार तैयार किया गया। क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकताओं के आधार पर योजनाएं तैयार की गईं। जनसरोकार से जुड़े तमाम मुद्दे सुलझाए गए और जनहित में ताबड़तोड़ फैसले भी लिए गए। लेकिन, इसी बीच कई ऐसे अप्रत्याशित विवाद चुनौती के रूप में सामने आए जिनसे निपटना आसान नहीं था। ये चुनौतियां भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अपराध से सम्बंधित थीं। अहम बात यह थी कि इन विवादों में सत्ताधारी दल से जुड़े कुछ लोगों की संलिप्तता रही, जिन पर सूझबूझ के साथ प्रभावी कार्रवाई करके पुष्कर सिंह धामी ने खुद को मजबूत और साहसिक फैसले लेने वाला मुख्यमंत्री साबित किया। अपना पराया किए बगैर आरोपियों पर की गई सख्त कार्रवाई से धामी सरकार पर जनता का विश्वास बढ़ा है।
वर्ष 2022 के शुरुआत में उत्तराखण्ड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की सत्ता में जबरदस्त वापसी हुई। चुनाव युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में लड़े गए थे। इस चुनाव में कई इतिहास बदले और कई रिकॉर्ड टूट गए। इसके अलावा अंधविश्वास को भी गहरी चोट पहुंची। 21 मार्च 2022 को बतौर मुख्यमंत्री की दूसरी पारी शुरू करते ही पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के विकास और पारदर्शी शासन पर फोकस शुरू कर दिया। सरकारी सिस्टम में सुधार की कवायद तेज हो गई। दूर दराज के क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का जाल बिछाने का रोडमैप तैयार किया गया, जिसे तेजी से धरातल पर उतारा जा रहा है। सामाजिक समरसता कायम करने और कामन सिविल कोड लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा चुका है। कमेटी कामन सिविल कोड का ड्रफ्ट तैयार कर चुकी है। इसके अलावा हर तरह के माफिया पर शिकंजा कसते हुए आम लोगों को राहत पहुंचाई जा रही है। वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वाेत्तम प्रदेश बनाने के लक्ष्य की ओर धामी बढ़ रहे हैं। प्रगति और सुशासन के इस माहौल के बीच कुछ अप्रत्याशित चुनौतियां भी समय समय पर मुख्यमंत्री धामी के सामने आईं।
जुलाई 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जानकारी मिली कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से संचालित की जा रही भर्ती परीक्षाओं में लम्बे समय से धांधली हो रही है। एक संगठित गिरोह पेपर लीक कर परीक्षार्थियों से मोटी रकम वसूल रहा है, जिससे पात्र युवाओं का चयन नहीं हो पा रहा है। यह बात सामने आई कि 4-5 दिसंबर 2021 को आयोग ने विभिन्न विभागों में स्नातक स्तर के 916 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसके छह माह बाद 22 जुलाई 2022 को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिकायत की। इस पर मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच कराने का आदेश दिया। पुलिस महानिदेशक के आदेश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई। तफ्तीश से निकला कि आयोग ने लखनऊ के जिस प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. को पेपर छापने और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी, उसके मालिक ने ही नकल माफिया से मिलीभगत कर पेपर लीक किया था। एसटीएफ अब तक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक सहित तीन दर्जन से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि सत्ताधारी दल से जुड़ा उत्तरकाशी जिले का जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह भी इस नकल माफिया गिरोह की अहम कड़ियों में से एक है। यह बात सामने आते ही विपक्ष धामी सरकार पर हमलावर हो गया। धामी ने डीजीपी को आदेश दिए कि कोई आरोपी कितना भी रसूखदार क्यों न हो या किसी भी राजनैतिक दल से जुड़ा हो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
इसके बाद विधानसभा में चल रहा नियुक्तियों का गोरखधंधा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आया। सोशल मीडिया के जरिए बात सामने आई कि विधानसभा में अपने अपनों को रेवड़ियां बांटने का गोरखधंधा वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड के पृथक राज्य बनते ही शुरू हो गया था। सरकारें बनीं, बदलीं लेकिन नौकरियां बांटने और बेचने का कारोबार बदस्तूर जारी रहा। श्अपात्रश् नौकरी पाते रहे और श्पात्रश् के हिस्से में सिर्फ निराशा आती रही। ये काम इतने शातिराना तरीके से हुए कि धामी सरकार का राज शुरू होने पर भी नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा में 72 नियुक्तियां कर दी गईं। नौकरी पाने वालों में आरएसएस और भाजपा से जुड़े कुछ लोग भी शामिल थे। चूंकि मामला विधानसभा अध्यक्ष के कानूनी अधिकार क्षेत्र का था जिससे सरकार के हाथ बंधे थे। फिर भी मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को पत्र लिखकर नियुक्तियों में हुए भाई भतीजेवाद और फर्जीवाड़े की जांच करने और अवैध नियुक्तियों को तत्काल निरस्त करने का आग्रह करके सबको चौंका दिया। उनका यह कदम लीक से हटकर है। अब तक के मुख्यमंत्री बाखबर होते हुए भी श्सब चलता है चलता रहेगाश् की सोच से बंधे रहे। जब धामी ने पत्र लिखा तो उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी विदेश दौरे पर थीं। लौटते ही उन्होंने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की और विवादित सचिव को फोर्स लीव पर भेज दिया। उसी समय कार्रवाई इतनी सख्ती से की गई कि सचिव का दफ्तर तक सील करवा दिया गया। जांच कमेटी को हर हाल में एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए। इस कार्रवाई में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को सीएम धामी का पूरा सपोर्ट मिला। कमेटी ने दिन रात एक करते हुए विधानसभा में नियुक्तियों से सम्बंधित सभी दस्तावेज खंगाले और निर्धारित समयावधि से पहले ही अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी। रिपोर्ट के आधार पर विधानसभध्यक्ष ने इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द कर दीं। विधानसभा सचिव को भी निलम्बित कर दिया गया। समिति ने अपनी जांच में पाया है कि इन भर्तियों में नियमों का पालन नहीं किया गया। न विज्ञप्ति निकाली और न आवेदन मांगे, अपनाई गई यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद-14 और अनुच्छेद-16 का उल्लंघन है। किसी मुख्यमंत्री के लिए इस तरह के मामलों में कार्रवाई की पहल करना इतना आसान नहीं होता क्योंकि रद्द की गईं 250 नियुक्तियों में से 72 तदर्थ नियुक्तियां 2021 में भाजपा शासनकाल में ही हुई थीं। फिर भी उन्होंने पूरी निष्पक्षता से मामले की जांच करने और नियमों के विरुद्ध हुई नियुक्तियों को निरस्त करने का लिखित आग्रह विधानसभा अध्यक्ष से किया।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और फिर विधानसभा में करीबियों को नियम विरुद्ध नौकरियां दिए जाने के विवाद अभी थमे नहीं थे कि रूह कंपा देने वाला एक हत्याकाण्ड सामने आ गया। योग नगरी ऋषिकेश के पास एक आलीशान रिजॉर्ट में अंकिता भण्डारी नाम की लड़की की हत्या कर दी गई। इस हत्याकाण्ड से पूरे उत्तराखण्ड के उबाल आ गया। पुलिस जांच में रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य और उसके दो मैनेजर हत्यारे निकले। पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य पूर्व दर्जाधारी राज्य मंत्री रहे हैं जबकि उसका भाई अंकित आर्य मौजूदा समय में उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष था। दोनों ही भाजपा के सदस्य थे। यह तथ्य सामने आते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दिए। इसके साथ ही इस हत्याकाण्ड को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की पहल भी की है ताकि आरोपियों को जल्दी से जल्दी सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके। इधर, भाजपा ने भी मुख्य आरोपी पुलकित के पिता विनोद आर्य और भाई अंकित आर्य को भाजपा से निष्कासित कर दिया है। अंकित आर्य को उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। भ्रष्टाचार, अनियमितता और उपराध से जुड़े इन तीनों मामलों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आरोपियों पर जिस तरह से निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई की है, उससे युवाओं में उम्मीद बंधी है कि भविष्य में उनके हक सुरक्षित रहेंगे।

धामी कैबिनेट में यह रहे अहम फैसले, आप भी जानें…

सीएम पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने के लिए विधेयक लाने को मंजूरी दी है। इसी मानसून सत्र में विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में 22 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। सूत्रों ने बताया कि यह विधेयक 2004 से तब से लागू माना जाएगा। जब से राज्य आंदोलनकारियों को नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हुआ था। ताकि इस अवधि में आरक्षण का लाभ लेने वाले कर्मचारियों के भी हित सुरक्षित हो सकें। दरअसल, एनडी तिवारी सरकार ने सबसे पहले आंदोलनकारियों को 2004 में आरक्षण का लाभ दिया था। तब सात दिन से अधिक जेल में रहने वाले अथवा घायलों को समूह ग के पदों पर जिलाधिकारियों के मार्फत सीधी नौकरियां दी गई थी। वहीं, सात दिन से कम जेल में रहने वाले अथवा चिन्हित आंदोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण देनेका प्रावधान किया था। लेकिन ये सभी लाभ जीओ के आधार पर मिल रहे थे।

26 अगस्त, 2013 को हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी थी, जबकि मार्च 2018 में आरक्षण के लाभ सेसंबंधित जीओ, नोटिफिकेशन और सरकुलर सभी को खारिज कर दिया था। दिसंबर,15 में हरीश रावत सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पारित कर राजभवन को भेजा था, लेकिन तब से यह विधेयक राजभवन में लंबित पड़ा रहा।

सितंबर, 22 में धामी सरकार ने इस विधेयक को राजभवन से वापस मंगाते हुए आंशिक संशोधन के लिए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में सब कमेटी गठित की थी।

मार्च, 23 में गैरसैंण कैबिनेट बैठक में सब कमेटी की सिफारिशें लागू करने व नए सिरे से संशोधित विधेयक लाने को हरी झंडी दी गई। अब धामी सरकार आंदोलनकारियों से किए वादे के मुताबिक उसे साकार करने जा रही है।

कैबिनेट के प्रमुख फैसले
-संविदा, तदर्थ व नियत वेतनमान कर्मचारियों को भी बाल्य देखभाल व पितृत्व अवकाश
– उत्तराखंड आयुष नीति को मंजूरी
-सरकारी विश्व विद्यालय के लिए अंब्रेला एक्ट
-निजी विश्व विद्यालयों में 25 फीसदी सीटें स्थानीय छात्रों के लिए आरक्षित
-स्टेट इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट रामनगर के ढांचा स्वीकृत
-एकल संवर्गपदों पर रिजल्ट घोषित होनेपर प्रतीक्षा सूची भी बनेगी
-अनुपूरक बजट को मंजूरी
-इंदिरा मार्केट रि डेवलपमेंट परियोजना को मिला एक्सटेंशन
-उत्तराखंड माल एवं सेवाकर संशोधन विधेयक को मंजूर

प्रदेश सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। यही नहीं सुरक्षित जननी विकसित धारिणी की अवधारणा को भी साकार किया जा रहा है इसी के दृष्टिगत महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग उत्तराखण्ड द्वारा केंद्र पोषित महत्त्वकांक्षी प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत 4944 गर्भवती/धात्री महिलाओं को रु. 1.15 करोड़ की धनराशि डी. बी. टी. के माध्यम से डिजिटली सीधे बैंक खाते मे भेजी गयी है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का उद्देश्य काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी की भरपाई करने के लिए मुआवजा देना और उनके आराम और उचित पोषण को सुनिश्चित करना है। यह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत निम्नलिखित तीन किस्तों मे किया जाता है। जिसमें पहली किस्त 1000 रुपए गर्भावस्था के पंजीकरण के समय, दूसरी किस्त 2000 रुपये, यदि लाभार्थी छह महीने की गर्भावस्था के बाद कम से कम एक प्रसवपूर्व जांच कर लेते हैं, जबकि तीसरी किस्त 2000 रुपए, जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और बच्चे को बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी और हेपेटाइटिस-बी सहित पहले टीके का चक्र शुरू होता है, दी जाती है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे कठोर कार्यवाही करने वाले सीएम हैं धामी

भाजपा ने बेरोजगारों के आंदोलन के दौरान युवाओं पर दर्ज मुकदमो को वापस लेने की सीएम की घोषणा को शानदार और स्वागत योग्य कदम बताया।

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि युवाओं के हित मे यह शानदार निर्णय है। यह घटना दुखद है, लेकिन जिस तरह से मुकदमे वापस लिए जायेंगे वह सुखद है। कहा कि युवाओं को मोहरा बनाकर कांग्रेस स्वार्थ सिद्धि की राजनीति करती आयी है। जबकि युवा सीएम धामी ने युवा और बेरोजगारों के हित देखते हुए कई कठोर निर्णय लिए है। पारदर्शी परीक्षाओं से युवाओं का भविष्य सुरक्षित होगा और कोई उनके हक पर डाका नही डाल पायेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य मे कड़ा नकल विरोधी कानून देश के दूसरे राज्यों के लिए भी नजीर है। हालांकि कांग्रेस जैसे दलों को यह उपलब्धि नही पच रही है और अपनी कारगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए वह विरोध पर उतर आयी है। राज्य के 22 वर्ष के इतिहास मे ऐसे निर्णय लेने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी ही है, जिन्होंने बिना काल खंड देखे घपले घोटालों की जाँच की और आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजा। यह उनका नैतिक साहस और भ्रष्टाचार के खिलाफ अडिग होकर जीरो टॉलरेंस की नीति का अनुपालन करना था। कहा कि विगत दिवस गैरसैण मे पारित वजट मे उन्होंने युवाओं को फोकस कर पर्याप्त प्रावधान किये है।

आज पूरी पारदर्शिता और समयबद्धता से परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। तीन परीक्षाओं का सफलतापूर्वक आयोजन किया जा चुका है। अन्य परीक्षाओं का आयोजन जारी केलेण्डर के अनुसार किया जा रहा है। समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं को नकल विहीन बनाने का संकल्प अब फलीभूत होने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार सभी वायदों पर खरी उतर रही है। इसमे समान नागरिक संहिता के लिये गठित समिति जनप्रतिनिधियों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं, आमजन आदि से सुझाव लेकर ड्राफ्ट तैयार कर रही है। दूसरे राज्य भी उत्तराखंड के ड्राफ्ट को बेहतर बता रहे है। सरकार ने सख्त धर्मांतरण कानून बनाया है तो प्रदेश की महिलाओं को सरकारी नौकरी में उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए हमने 30 प्रतिशत महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण देने का जो फैसला लिया था, उसे कानून बनाकर धरातल पर उतारने का कार्य किया है। राज्य आंदोलनकारियों को भी दस प्रतिशत आरक्षण, अपणि सरकार पोर्टल, ई-ऑफिस, सीएम हेल्पलाईन आदि सुधारों के द्वारा कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है। सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये भ्रष्टाचार मुक्त एप 1064 लांच किया है। इस एप प्राप्त शिकायतों पर गम्भीरतापूर्वक कार्यवाही हो रही हैं। 46 लाख 70 हजार से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। इससे आम जन को लाभ मिल रहा है।

हर लंबित मांग और समस्या का समाधान निकाल रहे युवा सीएम धामी

देवभूमि के लाल धामी तूने फिर कर दिया कमाल… यह लाइन आज उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक होने के बाद हुए एक बहुप्रतिक्षित निर्णय को लेकर कहा जा रहा है। राज्य आंदोलनकारियों को पिछले 12 वर्षों से आरक्षण का लाभ नही मिल पा रहा था। ऐसे में संवेदनशील मुख्यमंत्री धामी ने आज की कैबिनेट में ऐतिहासिक निर्णय लेकर साबित कर दिया कि जनहित के मुद्दों को लेकर धामी सरकार केन्द्र की मोदी सरकार की तरह संवेदनशील है।
केन्द्र की मोदी सरकार ने शायद पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया ही इस लिए है कि देवभूमि जब युवा अवस्था में होगा तो राज्य देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में ना केवल शुमार होगा, बल्कि देश का प्रतिनिधित्व करने वाला अग्रणी हिमालय राज्य भी होगा। मुख्यमंत्री धामी राज्य के विकास के लिए साहसिक निर्णय ले रहे है तो इस बात की तस्दीक भी हो रही है। वैसे भी इस बात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार देवभूमि आगमन पर खुले मंच से कह भी चुके है। ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री उसको चरितार्थ भी कर रहे है।

राज्य आंदोलनकारियों की हितैषी धामी सरकार
राज्य आंदोलन में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने वालों को राज्य सरकार कैसे भूल सकती है। यह कहना है मुख्यमंत्री धामी का। अपने पहले कार्यकाल में धामी सरकार ने अल्प समय में राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन में वृद्धि की। उसके बाद जिला मुख्यालयों में वर्षो से बंद पड़ी चिन्हित प्रक्रिया की फाइलों को दुबारा से खुलवाया। उसके बाद राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिलाने के लिए सब कमिटी का गठन किया। पिछली कैबिनेट बैठक में कमेटी के द्वारा रिपोर्ट ना आने पर नाराजगी जताते हुए धामी ने अगली बैठक में इसे ना रखने पर कार्रवाई की चेतावनी तक दे डाली। आज कैबिनेट ने इस सब कमेटी के निर्णय को स्वीकार कर राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिलाने पर मुहर लगा दी।

’’साहसिक और राज्य हित में निर्णय ले रही धामी सरकार’’
राज्य की हर समस्या और मांग पर धामी सरकार सही और साहसिक निर्णय ले रही है। धामी सरकार-2 अपने 1 वर्ष के कार्यकाल को पूरा करने जो रही है। अगर इन एक साल में धामी सरकार के निर्णय और कार्यशैली को देखे तो कई फैसले साहसिक और कठोर रहे है जो राज्य के विकास और आम आदमी को कई दशकों तक राहत देते हुए नजर आ रहे है।

-सीएम धामी ने सरकारी नौकरियों में गड़बड़ियों पर साहसिक फैसला लेते हुए संदेह के घेरे में आई कई परीक्षाओं की जांच कराई। यह जानते हुए भी कि जिसकी सरकार में ऐसी जांच होती है सिंडिकेंट उसकी सरकार को हर तरफ से प्रभावित करता है। इन सबी परवाह ना करते हुए जांच में नकल माफिया की मिलीभगत की पुष्टि होने के बाद कई परीक्षाएं रद्द हुई और कई माफिया, सफेदपोश नेता, सरकारी कर्मचारी जेल भेजे गये। 22 वर्षो के अंतराल में कोई भी सरकार नकल विरोधी कानून नही ला पाई जिससे राज्य को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है यह जानकर धामी ने देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लाकर माफिया की कमर ही तोड़ दी।

-राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण देकर धामी ने उत्तराखंड की महिलाओं का भविष्य सुरक्षित कर दिया। कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाकर महिलाओं को सशक्त और आर्थिक रुप से मजबूत करने का कार्य भी धामी सरकार कर रही है।

-देवभूमि के अस्तित्व को बचाने के लिए धामी ने देश का सशक्त धर्मान्तरण कानून लाकर अन्य राज्यों के लिए भी नजीर पेश की। जिसके बाद अन्य राज्यों ने भी इस कानून की दिशा में कदम बढ़ाये।

-सिविल कोड कानून के लिए कमेटी का गठन कर देश के लिए बड़ा संदेश देने में कामयाब रहे कि एक देश एक कानून आज समय की मांग ही नही हर देशवासी के हितों के लिए भी जरुरी है। जो लोग खाते तो हिन्दुस्तान का है और गाते दुश्मन देश का है उन्हें धर्म के नाम पर लूट मचाने और कानून का उल्लंघन करने के इजाजत उत्तराखंड में तो कई नही मिलेगी।

धामी सरकार की कैबिनेट ने आज लिए ये फैसले-
इस दौरान राज्‍य की नई सौर ऊर्जा नीति को मंजूरी मिली।
वहीं राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की सब कमिटी की रिपोर्ट भी स्वीकृत की गई। अब उक्‍त विधेयक राजभवन भेजा जाएगा।
बैठक में विधायक निधि बढ़ाने को भी मंजूरी मिली।
विधायक निधि 3 करोड़ 75 लाख से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की गई।
मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए अब एक साल में 25 लाख के बजाय 50 लाख रुपये मिलेंगे।
महिला मंगल दलों को मिलने वाली राशि 25 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये की गई।

ढाक गांव, चमोली में मॉडल प्री फैब शेल्टर निर्माण हेतु भूमि का चयन

सचिव आपदा प्रबन्धन डा0 रंजीत कुमार सिन्हा ने सोमवार को मीडिया सेन्टर, सचिवालय में जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत व बचाव तथा स्थायीध्अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्यो की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जोशीमठ में अग्रिम राहत के तौर पर 3.45 करोड़ रूपये की धनराशि 261 प्रभावित परिवारों को वितरित की गई है। उद्यान विभाग, एचडीआरआई, जोशीमठ के पास स्थित भूमि पर केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की के सहयोग से वन बीएचके, टू बीएचके व थ्री बीएचके के मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफ्रेब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण कार्य आरम्भ हो चुका है। ढाक गांव, चमोली में वन बीएचके, टू बीएचके व थ्री बीएचके के मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफ्रेब्रिकेटेड शेल्टर निर्माण हेतु भूमि चयन होने के बाद भूमि समतलीकरण, बिजली, पानी, सीवर आदि की व्यवस्था हेतु कार्यवाही प्रारम्भ हो चुकी है। आवश्यकता पड़ने पर भराणीसैंण विधानसभा के हॉस्टलों में विस्थापितों के रहने की व्यवस्था का विकल्प खुला रखा गया है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी है कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो कि 06 जनवरी 2023 को 540 एल.पी.एम. था, वर्तमान में घटकर 180 एलपीएम हो गया है। अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 656 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2940 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। अभी तक 863 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 278 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 933 है।

आखिर जिला प्राधिकरण की आड़ में त्रिवेन्द्र ने तीरथ पर साधा निशाना

अपनी गद्दी जाने के बाद से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने राजनीतिक कार्यों से अधिक अपने बयानों से मीडिया में सक्रिय रहे हैं। इस बार उन्होंने अपना जिला प्राधिकरणों को लेकर दिया है। ज्ञातव्य हो कि त्रिवेंद्र सरकार द्वारा गठित जिला प्राधिकरणों को तीरथ सरकार ने स्थगित कर दिया था।
अब जोशीमठ आपदा के बाद जब धामी सरकार ने इन प्राधिकरणों को पुनः प्रारंभ किया तो त्रिवेंद्र सिंह अपनी पीठ ठोकने के चक्कर में फिर से गच्चा खा गए और पुनः एक अनावश्यक बयान दे डाला और कहा कि “कभी कभी कम योग्य व्यक्तियों को कोई बड़ा पद मिल जाता है तो ऐसा ही होता है। अब ये देखना बड़ा ही रोचक है कि आखिर क्यों त्रिवेंद्र रावत ने तीरथ सिंह पर निशाना साधा?
सूत्रों का ये भी कहना है कि राज्य में अपने राजनीतिक कैरियर को खत्म होता देख त्रिवेंद्र रावत अब संसद सदस्य बनना चाहते हैं, और जो एक सीट वर्तमान में उनको अपने लिए थोड़ी मुफीद जान पढ़ रही है वो पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पौड़ी सीट है। पर इस सीट पर दावा ठोकने के लिए त्रिवेंद्र रावत ने जिस “बयान“ का सहारा लिया है, वो अब उनके लिए ही गले की हड्डी बन गया है क्योंकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पहले ही त्रिवेंद्र को अपने अनावश्यक बयानों से बचने के लिए आगाह कर चुका है। पर त्रिवेंद्र तो त्रिवेंद्र ठहरे… उन्होंने फिर से जो मन में था वो बोल डाला।
खैर अब जो भी हो पर ये पक्का है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की राजनीति ऐसे बयानों के बाद शायद ही भविष्य में फिर से परवान चढ़ सके, इसीलिए शायद कहा गया है कि “जिसका जबान पर संयम नहीं राजनीति उसके लिए नहीं“।
अब ये देखना रोचक रहेगा कि आसन्न लोकसभा चुनावों को देखते हुए आलाकमान त्रिवेंद्र के बयानों को कितनी गंभीरता से लेता है और उनके भविष्य पर क्या फैसला करता है।

राज्य के विकास में अपनी अग्रणी भूमिका निभाये पत्रकार-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को चंपावत जिला पत्रकार संगठन के निर्वाचित पदाधिकारियों अध्यक्ष कमलेश भट्ट, उपाध्यक्ष भगवान राम उर्फ हयात राम, सचिव दीपक धामी एवं कोषाध्यक्ष दिनेश भट्ट के शपथ ग्रहण समारोह में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम का शुभारंभ किया और सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी पदाधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन भली भांती कर जिले के विकास में अपनी सहभागिता व सहयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कलम की ताकत हमेशा क्रांति लाई है और समाज व देश को आगे बढ़ाने का काम किया है, लोगों के अंदर राष्ट्र की भावना जागृत करने और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। हमारा संकल्प वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसमें मीडिया अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने जनपद के पत्रकारों के अनुरोध को स्वीकारते हुए कहा कि पत्रकारों की सुविधा के लिए चंपावत मुख्यालय में प्रेस क्लब बनाने के लिए प्रस्ताव बनाया जाएगा। साथ ही पत्रकारों की सुविधा के लिए जो भी आवश्यक कार्य होंगे किए जायेंगे।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय, नगरपालिका अध्यक्ष चंपावत विजय वर्मा, टनकपुर विपिन कुमार, लोहाघाट गोविंद वर्मा, ब्लाक प्रमुख चंपावत रेखा देवी, बाराकोट विनीता फर्त्याल, पाटी सुमंलता, ज्येष्ठ प्रमुख मोनिका बोहरा, भाजपा प्रदेश मंत्री हेमा जोशी, भाजपा जिलाध्यक्ष निर्मल महरा, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश तिवारी, हरगोविंद बोहरा, गोविंद सामंत एवं पत्रकारगण उपस्थित रहे।

महिला आरक्षण पर बोले सीएम राज्य की महिलाओं के सर्वागींण विकास के लिए जरुरी है आरक्षण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से रोक मिलने का स्वागत किया है। राज्य सरकार ने एक साल के भीतर सरकारी विभागों में 19 हजार भर्तियां करने का लक्ष्य रखा है।
शुक्रवार को महिला क्षैतिज आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सीएम धामी ने त्वरित टिप्पणी की है। सीएम धामी की मंजूरी के बाद ही महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। उसी पर सर्वाेच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फ़ैसले स्वागत किया। कहा कि हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। राज्य सरकार ने महिला आरक्षण को यथावत् बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने के लिए भी पूरी तैयारी कर ली थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की।
सीएम धामी पहले ही साफ कर चुके हैं कि एक वर्ष के भीतर सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों में 19 हजार नई भर्तियों का फैसला लिया है। ताजा आदेश के बाद अब इन भर्तियों में तेजी आने की उम्मीद है। दरअसल, पहले उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग भर्ती घपला और फिर हाईकोर्ट के 30 फीसदी महिला आरक्षण पर रोक के बाद भर्ती प्रक्रिया थम गई। इससे बेरोजगार अभ्यर्थियों में आक्रोश पनप रहा था, लेकिन अब फिर भर्तियों की राह जोर पकड़ सकती हैं।

एक्ट बनाने से नहीं फंसेगा फेंच
उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में अभी महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण सिर्फ एक जीओ के आधार पर मिल रहा है। 18 जुलाई, 2001 को नित्यानंद स्वामी सरकार ने इसकी शुरूआत की थी। तब 20 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था। तब से सरकार ने इसके लिए कोई एक्ट नहीं बनाया है, जिससे भविष्य में भी इस जीओ को चुनौती मिल सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को यह लाभ यथावत देने के लिए अध्यादेश या फिर विधानसभा के पटल पर विधेयक लाना होगा, ताकि इसे कानूनी तरह से अमली जामा पहनाया जा सके। पिछले माह हुई बैठक में कैबिनेट मुख्यमंत्री को महिला आरक्षण को लेकर अध्यादेश लाने की मंजूरी देने को अधिकृत भी कर चुकी है।

न्याय विभाग से भी इसका परीक्षण कराया जा चुका है। चूंकि, फिलहाल सरकार को राहत मिल चुकी है तो अध्यादेश या फिर विधेयक दोनों में कोई एक विकल्प सरकार चुन सकती है। एक्ट बनने से भविष्य में राज्य में महिला आरक्षण पर पेंच नहीं फंसेगा।

एसएलपी में ये दिए थे तर्क
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी में आरक्षण यथावत रखने के लिए विभिन्न तर्क दिए थे। इसमें कहा गया था कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं और पर्वतीय महिलाओं की विकट जीवन शैली है। चूल्हे से लेकर खेत-खलिहान सभी उन्हीं के जिम्मे है। वहीं, सरकारी नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधत्व काफी कम है। लिहाजा समाज के मुख्य धारा में महिलाओं को शामिल करने के लिए उनके लिए क्षैतिज आरक्षण जरूरी है।

कई राज्यों में है महिला आरक्षण
विभिन्न राज्यों में सभी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण देने का प्रावधान है। इनमें बिहार में सबसे अधिक 35 फीसदी आरक्षण है, जबकि मध्यप्रदेश और राजस्थान में 30-30 फीसदी आरक्षण है। यूपी ने भी 20 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया था, लेकिन वर्ष 2019 में इलाहाबादा हाईकोर्ट में चुनौती मिलने के बाद इस पर रोक लगी है।

कब क्या हुआ
18 जुलाई, 2001 में नौकरियों में मिला था स्थानीय महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण
24 जुलाई, 2006 में एनडी सरकार में इसमें बढ़ोत्तरी कर 30 फीसदी किया
10 अक्तूबर,2022 में हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगाई
24 अगस्त, 2022 को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन की दायर

वहीं, वित्त, संसदीय, शहरी विकास व आवास, पुनर्गठन व जनगणना मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य में 30 प्रतिशत महिला आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का स्वागत किया है। राज्य सरकार ने इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट में ठोस पैरवी की थी। उसी के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को यथावत रखने का आदेश सुनाया है। डा. अग्रवाल ने कहा कि जहां उत्तराखंड राज्य यहां की महिलाओं के संघर्ष के बाद प्राप्त हुआ। महिलाओं के लिए यह राज्य सदैव ऋणी रहेगा। उत्तराखंड में महिलाओं को मां, बहन और बेटी के रूप में पूजा जाता है।
डा. अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस वक्त में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब पूरा उत्तराखंड अपना लोकपर्व इगास मना रहा है। आज ही के दिन ग्राम्य विकास विभाग द्वारा लखपति दीदी योजना परवान चढ़ी है। डा. अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने लखपति दीदी योजना में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से एक वर्ष में एक लाख से अधिक की आय अर्जित करने वाली महिलाओं को लखपति दीदी के रूप में सम्मानित किया।
डा. अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कार्यरत है, 2025 तक सरकार ने सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य निश्चित किया है।