डोबरा चांठी पुल की गाथा पुस्तक का हुआ विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में वरिष्ठ पत्रकार व लेखक शीशपाल गुसांई द्वारा लिखित पुस्तक ’भारत के सबसे बड़े सस्पेंशन पुल डोबरा-चांठी की गाथा’ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस पुस्तक में लेखक ने डोबरा चांठी पुल की ऐतिहासिक कहानी के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में टिहरी के आस-पास एवं टिहरी बांध से जुड़ी उपलब्धियों की जानकारी एवं चित्रण के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों का सुन्दर प्रस्तुतीकरण किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तकें पाठकों को विगत एवं भविष्य की ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होती हैं। इस पुस्तक में लेखक ने डोबरा-चांठी पुल के अलावा भागीरथी एवं भिलंगना घाटियों में बने अन्य पुलों एवं इन क्षेत्रों की विभिन्न क्षेत्रों के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व की जानकारी उपलब्ध कराई है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक पाठकों को पुरानी टिहरी की यादों को तरोताजा करने में भी मददगार होगी।

पुस्तक के लेखक शीशपाल गुसांई ने कहा कि इस पुस्तक में देश के सबसे बड़े झूला पुल डोबरा चांठी के निर्माण की शुरू से और लोकार्पण तक की कहानी लिखी गई है। इस पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने में जो समय लगा, उससे क्षेत्रवासियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

इस अवसर पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, मुख्यमंत्री के मीडिया कॉर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत, वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र जोशी, अर्जुन सिंह बिष्ट, प्रो. दीपक भट्ट, भवानी प्रताप सिंह पंवार, राजेन्द्र काला, जीतमणि पैन्यूली आदि उपस्थित थे।

स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर टिहरी में बहुप्रतीक्षित डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण कर टिहरी वासियों को बड़ी सौगात दी है। पुल का लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 364.98 लाख लागत के 1.948 किलोमीटर लम्बे इस भारी वाहन झूला पुल की क्षेत्रवासी पिछले 14 वर्षों से इंतजार में थे पुल पर आवाजाही शुरू होने से अब आवागमन सुविधाजनक होने के साथ ही समय की बचत होगी।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कुल 4 अरब 73 करोड़ 8 लाख 56 हजार की विभिन्न 60 योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण भी किया। जिसमें 3 अरब 7 करोड़ 83 लाख लागत की 30 योजनाओं का लोकार्पण तथा 1 अरब 2 करोड़ 25 लाख की 30 योजनाओं का शिलान्यास शामिल है। लोकार्पण की गई योजनाओं में 9 योजनायें लोनिवि, 7 पीएमजीएसवाई, 10 शिक्षा विभाग, 2 पर्यटन एवं 1-1आयुर्वेदिक व क्रीड़ा विभाग से संबंधित है जबकि शिलान्यास योजनाओं में 7 लोनिवि, 20 पीएमजीएसवाई, 1 पर्यटन, 1 शिक्षा व 1 उद्यान विभाग से संबंधित है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजकीय इंटर कालेज मजफ के प्रान्तीकरण की भी घोषणा की।

प्रताप नगर की जनता के लिए खुला विकास का द्वारः त्रिवेंद्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रताप नगर की जनता ने देश हित में बहुत बड़ा योगदान दिया है जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंचाई की उपलब्धता एवं निर्बाध विद्युत आपूर्ति संभव हो सकी है। कहा कि आज प्रताप नगर की जनता के लिए विकास का दरवाजा खुल चुका है वहीं यह पुल क्षेत्रीय जनता एवं आने वाली भावी पीढ़ियों के लिए खुशहाली एवं समृद्धि का स्रोत बनेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 42 किलोमीटर लंबी टिहरी झील पूरी दुनिया को आकर्षित करने की क्षमता रखती है। टिहरी झील साहसिक पर्यटन का भी केन्द्र बनेगी तथा इसके आस पास अनेक पर्यटन गतिविधियों की शुरूआत होगी इससे पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने के साथ ही आर्थिक समृद्धि की राह भी प्रशस्त होगी।

कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, विधायक विजय सिंह पंवार, धन सिंह नेगी, शक्ति लाल शाह, राज्यमंत्री अब्बल सिंह बिष्ट, रोशन लाल सेमवाल, महावीर रांगड़, जिलाधिकारी इवा आशीष आदि उपस्थित रहे।

डोबरा-चांठी पुल से जाने पर हरक सिंह रावत का रास्ता ग्रामीणों ने रोका

डोबरा-चांठी पुल के रास्ते सेम मुखेम मंदिर परिवार के साथ जा रहे वन मंत्री हरक सिंह रावत को ग्रामीणों ने जाने नहीं दिया। ग्रामीणों की जिद के आगे हरक सिंह रावत को हारना पड़ा और उन्हें दूसरे रास्ते से जाने पर मजबूर होना पड़ा।

दरअसल कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अपने परिवार सहित प्रताप नगर के सेम मुखेम मंदिर में दर्शनों के लिए जा रहे थे। इस दौरान जल्दी मंदिर पहुंचने के लिए वन मंत्री का काफिला डोबरा चांठी पुल के ऊपर से गुजर रहा था। पुल के दूसरी तरफ चांठी गांव की तरफ रोलाकोट गांव के ग्रामीण पिछले एक सप्ताह से विस्थापन की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। ग्रामीणों ने उनका काफिला रोक लिया और अपनी समस्याएं बताई। बताया कि लंबे समय से ग्रामीण विस्थापन की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार उनका विस्थापन नहीं कर रही है।