विभिन्न विभागों के प्रस्तावों को मिसिंग लिंक द्वारा फंडिंग किये जाने पर बनी सहमति

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में मिसिंग लिंक से पोषित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। बैठक के दौरान विभिन्न विभागों के प्रस्तावों को मिसिंग लिंक द्वारा फंडिंग किए जाने पर सहमति बनी।

मिसिंग लिंक के तहत् ऐसे प्रस्तावों को स्वीकृति दी जाती है जिन्हें जनपदों में किसी भी योजना के तहत फंडिंग नहीं हो पाती, ऐसे प्रोजेक्ट्स को मुख्य सचिव कोष से फंडिंग की जाती है। बैठक के दौरान अधिकतर प्रस्तावों को विभागीय बजट से ही स्वीकृति मिली।

मुख्य सचिव ने कहा कि पूर्व में स्वीकृत प्रस्तावों की प्रगति को पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर लगातार अपलोड किया जाए। उन्होंने कहा कि पीएम गति शक्ति में लगातार इन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन विभागों के प्रस्ताव डीपीआर, टीएसी अथवा डीएफसी स्तर पर अटके हैं, उनकी लगातार मॉनिटरिंग कर योजनाओं में तेजी लाई जाए।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को सभी पुराने एवं नए बनाए जाने वाले सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने की संभावनाओं को तलाशते हुए प्रस्ताव तैयार किए जाने के निर्देश दिये। उन्होंने दिव्यांगजनों हेतु टॉयलेट्स के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित योजना का लाभ लेते हुए सभी जनपदों में सार्वजनिक टॉयलेट्स में दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के भी निर्देश दिये।

इस अवसर पर सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, सी. रविशंकर, एच. सी. सेमवाल एवं अपर सचिव रोहित मीणा सहित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

आपदा मोचन तथा आपदा न्यूनीकरण निधि के प्रस्तावों को लेकर हुई बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य आपदा मोचन निधि एवं राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के प्रस्तावों के अनुमोदन हेतु राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित हुयी।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समिति में प्रस्तावों के लाने से पूर्व जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय मूल्यांकन समिति द्वारा प्रस्तावों की जांच अनिवार्य रूप से करा ली जाए। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर विभिन्न जनपदों द्वारा प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए अलग-अलग प्रक्रियाएं अपनाई जा रही है। इसमें सुधार लाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी जनपदों से सुझाव मांगते हुए प्रस्तावों के अनुमोदन के लिए एक समान प्रक्रिया अपनाए जाने के निर्देश दिए।

शीतलहर को देखते हुए मुख्य सचिव ने जनपदों द्वारा आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त धनराशि के प्रस्ताव शासन को शीघ्र प्रेषित किए जाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित समिति की बैठक में वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य में शीतलहर के प्रकोप से बचाव के लिए जनपद पौड़ी के लिए 15 लाख सहित बाकी 12 जनपदों को 10 -10 लाख (कुल ₹135 लाख) आबंटित कर कार्याेत्तर स्वीकृति सहित विभिन्न प्रस्तावों को स्वीकृति दी गयी।

इस अवसर पर सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों से जिलाधिकारी सहित शासन से अन्य वरिष्ठ उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

ईको पार्क को लेकर डीएम और डीएफओ के साथ मुख्य सचिव ने की बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में ईको पार्क के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों एवं डीएफओ के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश का अधिकतम भूभाग वन क्षेत्र होने के कारण यह प्रदेश की आर्थिकी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हमें इकोलॉजी का ध्यान रखते हुए प्रदेश के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराना है। ईको पार्क तैयार कर स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान किया जा सकता है।
मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से जनपदों के प्रस्तावों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। कहा कि सीजन में प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों में क्षमता से अधिक पर्यटक आ रहे हैं। आसपास के खूबसूरत स्थलों को ईको टूरिज्म की दृष्टि से विकसित कर पर्यटकों को इन पर्यटन स्थलों की ओर मोड़ने की आवश्यकता है। इससे इन नए पर्यटन स्थलों के आसपास रोजगार के अवसर बनेंगे। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग के आसपास अधिक से अधिक ईको पार्क विकसित किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि उधमसिंह नगर कुमांऊ क्षेत्र का द्वार है, इसके आसपास बहुत सी वाटर बॉडीज हैं, जिन्हें बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए विकसित कर आर्थिकी से जोड़ा जा सकता है।
मुख्य सचिव ने ईको पार्क विकसित करने में कम से कम कंक्रीट और स्टील का प्रयोग करने के निर्देश भी दिए। कहा कि अधिक से अधिक लकड़ी और बांस का प्रयोग किया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि सभी कार्य समय से पूर्ण हो इसके लिए प्रत्येक स्तर की समय सीमा निर्धारित की जाए। प्रोजेक्ट्स की लगातार मॉनिटरिंग की जाए। वन विभाग से सम्बन्धित प्रस्तावों को वन विभाग को शीघ्र भेजे जाएं।
सभी जिलाधिकारियों ने अपने अपने जनपदों के प्रस्तावों पर विस्तार से जानकारी दी। जिलाधिकारियों द्वारा बताया गया कि अधिकतर प्रस्तावों में डीपीआर तैयार हो चुकी है। कुछ योजनाओं में कार्य प्रारम्भ भी हो चुका है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, वन प्रमुख (हॉफ) अनूप मलिक एवं एसीईओ यूटीडीबी युगल किशोर पंत सहित सभी जनपदों से जिलाधिकारी एवं डीएफओ एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

यातायात संकुलन को कम करने को हर प्रकार के कदम उठाए जाने की आवश्यकताः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में देहरादून में यातायात संकुलन को कम करने को लेकर यूनिफाइड मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूएमटीए) की बैठक ली। मुख्य सचिव ने कहा कि देहरादून की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। यातायात संकुलन को कम करने के लिए हर प्रकार के छोटे से लेकर बड़े और महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि यातायात संकुलन को कम करने के लिए सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि हमें इस स्तर की यातायात व्यवस्था आमजन को देनी है कि यात्री को शहर के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने में मात्र 200 से 300 मीटर से अधिक पैदल न चलना पड़े और वाहन बदलने पर 5 से 7 मिनट्स से अधिक का इंतजार न करना पड़े। इसके साथ ही अन्य बिंदुओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यातायात संकुलन के मुख्य स्थानों को चिन्हित कर उन तिराहों और चौराहों के सुधारीकरण का कार्य किया जाए।

मुख्य सचिव ने यातायात संकुलन कम करने के लिए प्रवर्तन को सख्ती से लागू करने पर जोर देते हुए कहा कि पार्किंग सुविधाओं को बढ़ाए जाने और नो पार्किंग ज़ोन में वाहन खड़ा करने पर अधिक से अधिक चालान किए जाने से काफी हद तक यातायात संकुलन को कम किया जा सकता है। उचित स्थान और उपयोगिता के अनुसार अंडर पास और फुट ओवर ब्रिज, एलिवेटेड रोड, रोप-वे और पीआरटी जैसी सेवाओं को कहां कहां शुरू किया जा सकता है, इस पर योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि बाईपास सड़कों के निर्माण से भी काफी हद तक यातायात दबाव कम किया जा सकता है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी देहरादून सोनिका, प्रबन्ध निदेशक उत्तराखण्ड मैट्रो रेल जितेन्द्र त्यागी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर मुख्य सचिव ने ली जिलाधिकारियों की वर्चुअल बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में सरकारी संपत्तियों से अतिक्रमण हटाए जाने के सम्बन्ध में सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली। मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को सरकारी भूमि को अतिक्रमण से बचाने के लिए उसका चिन्हांकन किए जाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी भूमि के चिन्हांकन के साथ ही भूमि के रिकॉर्ड ठीक करने के लिए भी अलग से टीम लगाई जाए। उन्होंने कहा कि जिस सरकारी भूमि पर कोई अतिक्रमण नहीं है, उस भूमि को सुरक्षित रखने के लिए सीमांकन आदि का कार्य पूर्ण करा लिया जाए। जिन भूमियों पर अतिक्रमण हो चुका है, उन्हें खाली करवाया जाए, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अतिक्रमण फिर से न हो सके। भूमियों पर अतिक्रमण न हो इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि भूमि किसके नाम दर्ज है, यह देखने के लिए पिछले 60, 70 या 80 वर्षों के रिकॉर्ड की भी जांच करवाई जाए। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही भूमि का रिकॉर्ड के लिए पोर्टल तैयार हो जाएगा। आगे से इसी पोर्टल पर भूमि की सम्पूर्ण जानकारी अपलोड की जाएगी।

मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से सरकारी भूमि के चिन्हांकन में आ रही समस्याओं के सम्बन्ध में भी जानकारी ली एवं इनके निराकरण के लिए सुझाव भी मांगे। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि को अतिक्रमण से बचाने के लिए डिजिटल मैप तैयार किए जाएं। फोटो एवं वीडियो के माध्यम से लगातार अतिक्रमण रोकने के प्रयास किए जाएं।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु एवं अपर सचिव नितिन भदौरिया सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने वन व पशुपालन विभाग के अधिकारियों संग की बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने सचिवालय में वन एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की। मुख्य सचिव ने कहा कि बन्दरों और जंगली सुअरों के द्वारा प्रदेश में खेती को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। इसके लिए बन्दरों की संख्या को सीमित करने हेतु बन्दरों का बन्ध्याकरण किया जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि बन्दरों के बन्ध्याकरण के लिए बन्दर बन्ध्याकरण केंद्रों की संख्या बढ़ायी जाए। इसके लिए पशुपालन विभाग द्वारा पशुचिकित्सकों एवं अन्य सहायक स्टाफ की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मुख्य सचिव ने फसलों को जंगली सुअरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए भी योजना तैयार किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि होगा।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने पिरूल से ईंधन के रूप में प्रयोग होने वाले पैलेट्स तैयार करने और ईको पार्क योजना की प्रगति की जानकारी भी ली। उन्होंने अधिकारियों को योजनाओं की निरन्तर मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, वन विभाग प्रमुख (हॉफ) अनूप मलिक एवं सचिव पशुपालन डॉ. बीवीआरसी पुरूषोत्तम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने को जिलाधिकारियों व डीएफओ संग की बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आज जनपद नैनीताल, पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी और चमोली के जिलाधिकारियों और डीएफओ के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश का अधिकतर भाग वन क्षेत्र होने के कारण यहां ईको टूरिज्म की अत्यधिक संभावनाएं हैं। ईको टूरिज्म में अधिक से अधिक रोजगार सृजन की संभावनाएं हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि वन विभाग को इसके लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट अधिकारियों को नियामक मानसिकता से बाहर निकल कर बिना पर्यावरण और वन को नुकसान पहुंचाए प्रदेश के विकास में अपनी भागीदारी निभानी होगी। कहा कि सभी जनपदों को इस दिशा में कार्य करना है, जो भी जनपद अच्छा कार्य करेंगे उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रोफेशनल गाइड प्रशिक्षण प्रदान कर अच्छे से प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म साइट्स को विकसित करने के लिए प्राकृतिक सामग्रियों का अधिक से अधिक प्रयोग कर कंक्रीट स्ट्रक्चर्स से परहेज किया जाए। उन्होंने ईको टूरिज्म साइट्स को जानकारी के लिए सभी होटल और रिजॉर्ट्स में पैंपलेट्स आदि रखने के निर्देश दिए ताकि पर्यटकों को अपने आसपास स्थित ऐसे स्थानों की जानकारी मिल सके, गूगल मैप में भी आसपास के पुराने पर्यटन स्थलों के साथ नए स्थल भी पर्यटकों को मिल सकें।
मुख्य सचिव ने प्रमुख वन संरक्षक को सभी डीएफओ को वन क्षेत्र में स्वीकार्य और अस्वीकार्य गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी प्रकार के पर्यटन स्थलों में पर्यटकों से फीडबैक लिए जाने हेतु सिस्टम विकसित करने के भी निर्देश दिए। कहा कि पर्यटकों से कमियों की जानकारी और सुझाव लेकर उन्हें दूर किए जाने की दिशा में कार्य किए जाने की आवश्यकताएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 80-90 प्रतिशत साइट्स में रॉक क्लाइंबिंग की संभावनाएं हैं, इन्हें विकसित करते हुए सभी ऐसी साइट्स पर एक्सपर्ट भी अवश्य लगाया जाए। उन्होंने सभी गतिविधियों में स्थानीय लोगों को शामिल करते हुए उस कार्य में लगे लोगों के सुझाव लेकर योजना को सफल बनाए जाने की दिशा में काम किया जाए।
बैठक के दौरान आज जनपद नैनीताल, पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी और चमोली के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उक्त जनपदों के डीएफओ द्वारा चिन्हित स्थलों के लिए प्रस्तावित गतिविधियों पर प्रस्तुतीकरण दिया गया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु एवं प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) विनोद सिंघल सहित जनपदों से जिलाधिकारी और डीएफओ उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने ली एलोपैथिक चिकित्सकों को आयुर्वेंद का प्रशिक्षण के संबंध में बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने अधिकारियों के साथ आयुष विभाग द्वारा एलोपैथिक चिकित्सकों को आयुर्वेद का प्रशिक्षण दिए जाने के सम्बन्ध में बैठक ली।

मुख्य सचिव ने कहा कि एलोपैथी और आयुर्वेद को एक दूसरे के विरोधाभाषी के तौर पर न देख कर एक दूसरे के पूरक के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यह होना चाहिए कि एलोपैथिक चिकित्सकों के मन में जो आयुर्वेद को लेकर विरोधी मानसिकता और शंकाएं हैं, उन्हें दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि एलोपैथिक चिकित्सकों को आयुर्वेद के प्रशिक्षण के दौरान तथ्यों एवं आवश्यक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुतिकरण दिया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि आयुर्वेद को मात्र एक चिकित्सा पद्धति के रूप में न देखते हुए एक जीवन शैली के रूप में देखना चाहिए। यह मात्र बीमारियों का इलाज ही नहीं करती बल्कि आयुर्वेद को अपनाकर हम अपने शरीर को बीमारियां होने से रोक भी सकते हैं। इसे हमारी दिनचर्या का हिस्सा बनाने के लिए इसके प्रभावों और होने वाले लाभों को आमजन तक पहुंचाना होगा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के विकास से उत्तराखण्ड को विभिन्न प्रकार से लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश पूरे विश्व में योग के लिए जाना जाता है। योग और आयुर्वेद उत्तराखण्ड की आर्थिकी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसे अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए।

बैठक में बताया गया कि आयुष विभाग शीघ्र ही एलोपैथिक चिकित्सकों के लिए 6 दिवसीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से सम्बन्धित प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत आयुर्वेद के सम्बन्ध में तथ्यों और सबूतों के माध्यम से बहुत सी भ्रांतियां दूर की जाएंगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन उत्तराखण्ड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के माध्यम से किया जायेगा।

इस अवसर पर सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय एवं आर. राजेश कुमार सहित उत्तराखण्ड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी और एचएनबी उत्तराखण्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने ली मसूरी की धारण क्षमता की प्रथम बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा मसूरी की धारण क्षमता एवं सुरक्षा उपायों को लेकर गठित 9 सदस्यीय समिति की प्रथम बैठक संपन्न हुई।

बैठक के दौरान मसूरी क्षेत्र के हिमालयी क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय, वाहन, यातायात प्रबन्धन, ठहरने, फ्लोरा फौना सहित पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों के वहन क्षमता आदि का समग्र अध्ययन पर चर्चा की गई। बैठक के दौरान बताया गया कि विभिन्न संस्थानों द्वारा पिछले कुछ समय में मसूरी को लेकर कुछ अध्ययन किए गए हैं।

मुख्य सचिव द्वारा समिति के सभी सदस्यों से मसूरी क्षेत्र के लिए उनके स्तर पर किए गए अब तक के सभी अध्ययनों का समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिए जाने के निर्देश दिए गए। साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया कि गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान अब तक किए गए सभी अध्ययनों को संकलित रिपोर्ट तैयार करेगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि एनजीटी द्वारा मांगे गए सभी प्रकार के अध्ययनों की रिपोर्ट्स को निर्धारित समय में पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि समिति के अंतर्गत सभी संस्थानों द्वारा इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर लिए जाएं।

इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य सचिवएम.सी. घिल्डियाल, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, देहरादून, गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कुमाऊं विश्वविद्यालय, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र अहमदाबाद, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉ मैकेनिक्स, बेंगलुरु सहित केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी उपस्थित थे।

मोटे अनाजों को बढ़ावा देने को मुख्य सचिव ने दिए यह निर्देश

प्रदेश के सभी जनपदों में मिलेट्स के उत्पादन और बाजार उपलब्ध कराए जाने के लिए अच्छे रेस्टोरेंट में इनसे बने पकवानों के लिए कॉर्नर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मोटे अनाजों को बढ़ावा दिए जाने को लेकर मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने सचिवालय में बैठक के दौरान यह निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के स्थानीय मोटे अनाज उत्पादों का पौष्टिक मूल्य बहुत अधिक होने के कारण बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मैदानी क्षेत्रों में मंडुवा, झंगोरा आदि के प्रचार प्रसार की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि बाजार उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के किसान मोटे अनाजों के उत्पादन में रुचि दिखाएं इसके लिए किसानों को उचित मूल्य और बाजार की सुनिश्चितता का विश्वास दिलाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के मोटे अनाजों को स्वस्थ भोजन के रूप में बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि छात्र छात्राओं को पौष्टिक भोजन की जानकारी और मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए छोटी -छोटी विडियोज के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

इस अवसर पर सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।