महत्वपूर्ण 11 फैसलों पर शिक्षा मंत्री ने लगाई मुहर

राज्य सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने प्रदेश शिक्षा विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी, निदेशक प्राथमिक, माध्यमिक, एससीईआरटी एवं विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
समीक्षा बैठक में शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने प्रदेश में शिक्षा एवं शिक्षा व्यवस्था के उन्नयन हेतु सम्बंधित अधिकारियों को निम्नवत निर्देशित किया।
अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में स्क्रीनिंग परीक्षा के पश्चात शिक्षकों की तैनाती की स्थिति, शिक्षकों के शेष रिक्त पदों को भरने हेतु योजना, प्रधानाचार्य की तैनाती विषयक, अनुश्रवण की योजना, नवीन प्रवेशओं की स्थिति, व्यापक प्रचार प्रसार के संबंध में ।
प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों/प्रधानाचार्य के रिक्त पदों को भरने हेतु योजना के संबंध में।
प्रदेश के शून्य/अति न्यून संख्या वाले हाईस्कूल/इंटर कॉलेजों एवं उनमें कार्यरत अध्यापकों की सूचना तथा समीक्षा के संबंध में।
वन केंपस वन स्कूल के संबंध में पूर्व दिए गए निर्देशों के अनुपालन की स्थिति के संबंध में।
राजीव गांधी नवोदय विद्यालय तथा राजीव गांधी अभिनव विद्यालयों के संबंध में पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की स्थिति के संबंध में।
प्रदेश में प्रस्तावित फीस एक्ट के संबंध में।
प्राथमिक शिक्षक भर्ती के संबंध में।
वर्तमान शैक्षणिक सत्र हेतु समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत विद्यालयों हेतु महत्वपूर्ण योजनाएं, प्राप्त बजट की स्थिति तथा योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु समृद्धि कार्य योजना के संबंध में।
सी.आर.पी/बी.आर.पी. की तैनाती के संबंध में।
छात्र-छात्राओं को पुस्तकें उपलब्ध कराने हेतु धनराशि की डीबीटी की स्थिति के संबंध में।
आगामी 27 अगस्त को वर्चुअल माध्यम से राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के अभिभावकों से वर्चुअल संवाद के संबंध में।

आनलाइन पढ़ाई से वंचित करने पर सरकार गंभीर, जिले में नोडल अधिकारी किया नियुक्त

राज्य में आनलाइन पढ़ाई के नाम पर फीस के लिए मानसिक उत्पीड़न करने वाले स्कूलों के खिलाफ जिला स्तर पर नोडल अफसर नियुक्त किया गया है। अभिभावक तत्काल सीईओ से शिकायत कर सकते हैं। हाल में कुछ स्कूलों द्वारा फीस न चुकाने पर छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई से ब्लॉक करने की शिकायतों को सरकार ने गंभीरता से लिया है।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि कोरोनाकाल में पढ़ाई को सुचारु रखने को ऑनलाइन व्यवस्था की गई है और इसी आधार पर स्कूलों को फीस लेने का हक दिया है। यदि इसमें लापरवाही बरती जाती है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी संबंध में प्रत्येक जिले में मुख्य शिक्षा अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। बता दें कि मार्च माह से राज्य के शैक्षणिक संस्थान बंद हैं।

शिक्षामंत्री ने निर्देश देकर स्कूलों को बंद ही रखने को कहा

21 सिंतबर से उत्तराखंड में स्कूल न खोलने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस मामले में निर्देश दिए हैं। बता दें कि 21 सिंतबर से 50 प्रतिशत स्टाफ स्कूल आने और कंटेनमेंट जोन से बाहर के स्कूलों में कक्षा नौ से 12 तक के बच्चों को स्कूल आने की इजाजत दी गई थीं। मगर, इस संबंध में अभिभावकों की लिखित अनुमति अनिवार्य रखी गई थी। मगर, राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को भांपते हुए प्रदेश में स्कूल बंद ही रखने का ऐलान किया है।

विदित है कि प्रदेश में पाॅजीटिव मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में 33 हजार के पार इसके मरीज हो गए है। वहीं, एक्टिव केस 10374 के करीब है।

शिक्षा विभाग ने तैयार की 174 सरकारी स्कूलों की लिस्ट, प्रत्येक ब्लाॅक में बनने हैं अटल आदर्श स्कूल

अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने की सरकार की कोशिश अब धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी है। प्रत्येक ब्लाॅक में बनने जा रहे अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों की सूची शिक्षा विभाग ने तैयार कर ली है। विभाग ने 174 अटल आदर्श स्कूलों की सूची तैयार कर ली है, जबकि 16 और स्कूलों का चयन अभी किया जाना बाकी है। साथ ही इन स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में बेहतरीन पकड़ वाले शिक्षकों की भी सूची तैयार हो चुकी है।

एपीडी-समग्र शिक्षा अभियान डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि हर ब्लॉक के दो स्कूल के हिसाब से 190 स्कूलों को चुना जाना था। इन स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारियों का कैडर अलग होगा। सालाना तबादलों में इन शिक्षकों को केवल अटल आदर्श स्कूलों में ही भेजा जाएगा। केवल उन्हीं शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो खुद भी अंग्रेजी में पारंगत हों।

अटल आदर्श स्कूलों में कम होगी फीस
अटल आदर्श स्कूलों पर सरकार का विशेष फोकस है। इन स्कूलों में फीस कम होगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी छात्रों को बेहतर विकल्प मिलेगा। इनमें सरकारी मिड डे मील, यूनिफार्म, मुफ्त किताब योजना, विभिन्न स्कॉलरशिप योजनाएं यहां भी लागू रहेंगी।

शिक्षा मंत्री से अधिकारियों ने की, राज्य के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में समान पाठ्यक्रम लागू करने की पैरवी

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने राज्य में शिक्षा नीति के लिए टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की। यह बात उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर वर्चुअल मंथन के दौरान कही। मंथन के दौरान अधिकारियों ने सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में एक समान पाठ्यक्रम और फीस ऐक्ट लाने पर जोर दिया। इस दौरान अपर निदेशक, सीईओ, डीईओ व डायट प्राचार्यों ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि खासकर बेसिक स्तर पर सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में मातृभाषा में एक समान पढ़ाई होनी चाहिए।

शिक्षा नीति में प्री-प्राइमरी की व्यवस्था को क्रांतिकारी फैसला बताते हुए अफसरों ने प्री-प्राइमरी में भी बाल मनौविज्ञान में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की पैरवी की। साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षकों के अनिवार्य तबादले वाली व्यवस्था खत्म कर सिर्फ अनुरोध के आधार पर तबादले किए जाने चाहिए।

संवाद के अंत में शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लागू करने से पहले सरकार राज्य के सामाजिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन करेगी। आज मिले सुझावों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

इनके आधार पर राज्य के अनुसार संशोधन करते हुए नीति लागू की जाएगी। इसका खाका तैयार करने को शिक्षा अधिकारी व गैरसकारी विशेषज्ञों की राज्यस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है।

शिक्षा मंत्री ने स्कूलों की मान्यता प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करने के दिये निर्देश

शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय की अध्यक्षता में माध्यमिक तथा बेसिक शिक्षा की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। शिक्षा मंत्री ने समस्त अधिकारियों को निर्देश दिए कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शत् प्रतिशत छात्रों को स्कूल में पंजीकृत कराकर शिक्षा का लाभ दिलाये। उन्होंने कहा कि 10 छात्र संख्या से कम वाले 600 स्कूलों को आस-पास के स्कूलों में संविलियन किया जाए तथा ऐसे विद्यालयों में अतिरिक्त अध्यापक तैनात कर छात्रों को शिक्षा अधिकार अधिनियम के मानक को पूरा करते हुए गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए तथा विद्यालयों के मान्यता प्रकरणों को समाधान हेतु प्रत्येक माह का प्रथम बुधवार निश्चित किया जाए। शिक्षा मंत्री ने विकासखण्ड स्तर पर खण्ड शिक्षा अधिकारी तथा शासन स्तर पर इस दिन मान्यता प्रकरणों को तेजी से निपटाने के निर्देश दिए। उन्होंने मान्यता के प्रकरणों में अनदेखी न करने के निर्देश देते हुए पारदर्शिता से मान्यता प्रकरण निस्तारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रायः इस कार्य में लापरवाही से विभाग की छवि खराब होती है। यह बात उन्होंने वित्त विहीन विद्यालयों के मान्यता प्रकरणों की समीक्षा के दौरान दिए। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2017-18 में आए 114 प्रकरण में 67 प्रकरण पर मान्यता दी गई तथा 42 प्रकरण समिति द्वारा स्थगित किये गए तथा 05 प्रकरण शासन स्तर पर विचाराधीन है। वर्ष 2018-19 में शिक्षा परिषद को प्राप्त 128 प्रकरण में से 60 प्रकरण में मान्यता प्रदान की गई तथा 37 प्रकरण स्थगित एवं 31 प्रकरण लंबित जिनमें 13 प्रकरण शासन स्तर पर विचाराधीन तथा 18 प्रकरण जिला स्तर में संस्तुति के उपरान्त रखे जाने है। वर्ष 2019-20 में कुल 86 प्रकरणों में से 04 प्रकरणों में मान्यता प्रदान की गई तथा 61 प्रकरण स्थगित किए गए तथा 21 प्रकरण शासन स्तर पर लंबित है।
शिक्षा मंत्री ने बुक बैंक स्थापना योजना में जिस विद्यालय में अच्छी व्यवस्था होगी, वहां के नामित अध्यापक को सम्मानित करने की भी घोषणा की तथा विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षकों से गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की अपील की। पाण्डेय ने अध्यापकों की नियुक्ति विषय पर चर्चा के दौरान माननीय न्यायालय में लंबित प्रकरणों को तेजी से निपटाने के लिए प्रयास करने के निर्देश दिए तथा तदालोक में रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया सत्र आरंभ होने से पहले पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुपालन में गेस्ट टीचरों की नियुक्ति की अद्यतन स्थिति की जानकारी प्राप्त करते हुए किन्हीं कारणों से ज्वाइन न करने वाले गैस्ट टीचरों के स्थान पर तत्काल प्रतीक्षा सूची से अध्यापक को ज्वाइन करवाकर विद्यालय की पढ़ाई सुचारू करने के निर्देश दिए। समीक्षा के दौरान बताया गया कि प्रवक्ता संवर्ग में 4598 पद रिक्त है तथा 4066 पदों के सापेक्ष 1729 गेस्ट टीचर्स का चयन किया गया है एवं 04 जनपदों में यथा टिहरी, उत्तरकाशी, बागेश्वर एवं अल्मोड़ा में 1517 पदों पर कांउसिलिंग की जानी है। वहीं सहायक अध्यापक(एल.टी.) संवर्ग में 2180 पद रिक्त है तथा 834 पदों के सापेक्ष 402 गेस्ट टीचर्स का चयन किया गया है तथा उपरोक्त चारों जनपदों में 273 पदों पर कांउसिलिंग की जानी है। बैठक में प्रधानाचार्य के रिक्त पदों पर चर्चा के दौरान अवगत कराया गया कि वर्तमान में पदोन्नति प्रक्रिया बाधित होने के कारण रिक्त पदों में पदोन्नति का कार्य किया जाना है। समीक्षा के दौरान बताया गया कि प्रधानाचार्य के 1387 पदों के सापेक्ष 220 पद पूर्णकालिक तथा 292 पद तदर्थ प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत है। शिक्षा मंत्री ने रिक्त 875 पदों पर वरिष्ठ अध्यापकों को नियंत्रण अधिकारी के रूप में आदेश जारी करने के निर्देश दिए। इसी प्रकार प्रधानाध्यापक के रिक्त 493 पदों पर भी वरिष्ठतम शिक्षकों को नियंत्रण अधिकारी के रूप में आदेश जारी करने के निर्देश दिए। नियंत्रण अधिकारियों को आहरण वितरण का अधिकार दिलाने पर भी चर्चा हुई। आगामी सत्र में विद्यालयों में नामांकन वृद्धि के बिन्दु पर शिक्षा मंत्री ने निर्देश दिए कि आगामी 07-08 अप्रैल में प्रत्येक विद्यालय में प्रवेशोत्सव के माध्यम से छात्र-छात्राओं का प्रवेश सुनिश्चित कराया जाए तथा इन समारोह में अधिकारियों तथा विधायकों को भी प्रतिभाग कराया जाए। उन्होंने स्वयं भी किसी विद्यालय में प्रतिभाग करने की जिज्ञासा व्यक्त की।
प्राथमिक शिक्षा में प्रत्येक विकासखण्ड में स्थापित दो प्राथमिक तथा एक उच्च प्राथमिक मॉडल स्कूलों में विकासखण्ड तथा जिला स्तर के शिक्षा अधिकारियों को निरंतर भ्रमण करने के निर्देश दिए तथा इन विद्यालयों में आवश्यकतानुसार प्रत्येक विषय के अध्यापक तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश मुख्य शिक्षा अधिकारियों को दिए। उन्हांने सत्रारंभ में डी.बी.टी. के माध्यम से छात्रों के खाते में पुस्तक क्रय करने हेतु धन क्रेडिट करना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए तथा निःशुल्क ड्रेस छात्रों को प्रदान कर ब्लाकवार रिपोर्ट मुख्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

खुशखबरीः सरकार ने अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया शुरु की

प्रदेश के अशासकीय स्कूलों में लटकी शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भर्ती के प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री के अनुमोदन के बाद भर्ती का रास्ता साफ हो गया। शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को लोक सभा और इसके बाद पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते पूरा नहीं किया जा सका था।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के मुताबिक भर्ती की अधूरी प्रक्रिया को अब पूरा किया जाएगा। प्रदेश के अशासकीय स्कूलों में शिक्षकों, प्रिंसिपलों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की इसी वर्ष जनवरी और फरवरी में भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
विभिन्न जनपदों की ओर से इसके लिए नियुक्ति विज्ञप्ति निकालकर अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक तीन महीने के भीतर भर्ती की प्रक्रिया पूरी होनी थी, लेकिन फरवरी 2019 में लोक सभा चुनाव और इसके बाद पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते भर्ती प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका। शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों एवं कर्मचारियों के विभिन्न पदों पर लटकी भर्ती को पूरा करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन से अनुमोदन मांगा गया था। शासन की ओर से प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को भेजा गया था।
शिक्षा मंत्री के मुताबिक शुक्रवार को इस पर अनुमोदन दे दिया गया है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि भर्ती केवल उन पदों पर होगी, जिन पदों पर इसकी प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा सका था। वहीं, राज्य युवा कल्याण परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रविंद्र जुगरान के नेतृत्व में अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री से मिलकर शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भर्ती चयन प्रक्रिया पूरी करने की मांग की।

सत्ताधारी विधायकों ने शुरु की शिक्षा मंत्री की घेराबंदी


तबादलों को लेकर शिक्षा मंत्री की घेराबंदी शुरू हो गई। घेराबंदी सत्ताधारी भाजपा के विधायक कर रहे हैं। इसको लेकर आने वाले दिनों में सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है।
कड़क मिजाज शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की संख्ती का रंग पांच शिक्षकों के अटैचमेंट के बाद उतरने लगा है। शिकायत एवं सुझाव प्रकोष्ठ में अटैच किए गए पांच शिक्षकों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि सरकार इसे जायज बताते हुए अपने स्टैंड पर कायम है।
इस बीच, चहेते शिक्षकों का पसंद के स्कूल में तबादले को लेकर भाजपा के विधायकों ने शिक्षा मंत्री पांडे की घेराबंदी करनी शुरू कर दी है। विधायक मंत्री के सम्मुख अटैच किए गए शिक्षकों का मामला रख रहे हैं। इसी तर्ज पर अपने लोगों के लिए सुविधा मांगी जा रही है।
हालांकि अभी तक शिक्षा मंत्री हर किसी को तबादले के लिए दो टूक ना कर रहे हैं। नियमों का हवाला भी दे रहे हैं। बावजूद इसके विधायकों और संगठन से जुड़े नेताओं का दबाव बढ़ रहा है। इससे शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे स्वयं को असहज महसूस कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक पहुंच गया है। तबादलों के लिए सिफारिश की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है। इसके साथ ही शिक्षा मंत्री की घेराबंदी की सघनता बढ़ रही है।