दल बदल को तैयार बैठे है सियासी कद्रदान

कांग्रेस पार्टी में पहली सूची जारी होने से पहले ही नैनीताल में पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। इस सीट से दावेदारी पेश कर रही पूर्व विधायक और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकती हैं। सरिता आर्या ने कहा है कि अगर पार्टी में सम्मान नहीं मिलेगा तो उनके सामने दूसरे विकल्प खुले हैं। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार देर रात उनकी भाजपा नेताओं से मुलाकात हुई। इस मुलाकात में भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक मौजूद थे।
शुक्रवार रात करीब साढ़े दस बजे डालनवाला स्थित भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के फ्लैट में यह मुलाकात करीब एक घंटे चली। बताया जा रहा है कि भाजपा सरिता आर्य को नैनीताल विधानसभा सीट से प्रत्याशी बना सकती है। सरिता कांग्रेस से टिकट की दावेदारी पेश कर चुकी हैं, लेकिन इस सीट पर विधायक रहे संजीव आर्य को पार्टी हाईकमान पहले ही प्रत्याशी बनाने का वादा कर चुका है। संजीव के पार्टी में आने के बाद से ही सरिता आर्य के तेवर तल्ख हैं। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें मनाने के प्रयास किए, लेकिन वह टिकट से इतर कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। बताते चलें कि सरिता आर्य वर्ष 2012 के चुनाव में विधायक बनीं थीं। जबकि वर्ष 2017 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान में सरिता प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष हैं।
सूत्र बताते हैं कि ऐसा रणनीति के तहत किया जा रहा है, ताकि टिकट मिलने के बाद किसी के पाला बदलने से फजीहत न हो। कुछ सीटों पर पार्टी अब भी किसी के आने का इंतजार कर रही है। वहीं महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य कहा है कि अगर पार्टी में सम्मान नहीं मिलेगा तो उनके सामने दूसरे विकल्प खुले हैं। मीडिया के सवाल पर आज कांग्रेस मुख्यालय में उन्होंने कहा वह भाजपा का भी दामन थाम सकती हैं।
वहीं एक और बयान में पूर्व विधायक और प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सरिता आर्य ने कहा डालनवाला स्थित जिस बिल्डिंग की बात कही जा रही है, उसमें दूसरे लोग भी रहते हैं। मैं फ्लैट संख्या 27 में शुक्रवार रात अपने एक रिश्तेदार से मिलने गई थी। कांग्रेस पार्टी छोड़ने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मुझे तो बाद में पता चला, इस बिल्डिंग में भाजपा के कोई नेता भी रहते हैं।

चुनाव आयोग ने इंडोर मीटिंग की अनुमति दी, लेकिन 22 तक रैली और रोड शो की मनाही

चुनाव आयोग ने 22 जनवरी तक चुनावी राज्यों, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनावी रैलियों और रोड शो पर रोक लगा दी है। हालांकि, आयोग ने पार्टियों और उम्मीदवारों को कुछ राहत देते हुए इंडोर मीटिंग की अनुमति दी, लेकिन इसमें शर्त होगी कि इन बैठकों में केवल 300 लोग या फिर हॉल या वेन्यू की 50 प्रतिशत क्षमता के साथ ही मीटिंग कर सकते हैं।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को अधिकतम 300 व्यक्तियों या 50 प्रतिशत हॉल की क्षमता के साथ इनडोर बैठकें आयोजित करने की अनुमति दी है। आयोग ने राजनीतिक दलों को आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और कोविड-19 पर व्यापक दिशानिर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया।
चुनाव आयोग ने राज्य और जिला प्रशासन को चुनाव आचार संहिता और महामारी नियंत्रण उपायों से जुड़े सभी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड मणिपुर, गोवा और पंजाब के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए, चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक सार्वजनिक रैलियों, रोड शो और इसी तरह के फिजिकल प्रचार कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने का एक अभूतपूर्व कदम उठाया था। अब यह प्रतिबंध एक और हफ्ते के लिए बढ़ा दिया गया है।
आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए 16-सूत्रीय दिशानिर्देशों को भी लिस्टेड किया था, जिसके तहत सार्वजनिक सड़कों और चौराहे पर श्नुक्कड़ सभाओंश् (कोने की बैठकों) पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसमें डोर-टू-डोर कैंपेन के लिए लोगों की संख्या को पांच तक सीमित कर दिया गया था। साथ ही मतगणना के बाद प्रत्याशीओं के विजय जुलूसों पर भी रोक लगा दी गई।