गुलदार से हो रही घटनाएं रोकने को प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर गम्भीर चिंता प्रकट की है। उन्होंने गुलदार और बाघों के हमले की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए वन सचिव एवं वन्यजीव प्रतिपालक को प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में विभाग को चौबीसों घंटे अलर्ट मोड पर रखा जाए और प्रशिक्षित वनकर्मियों की क्विक रिस्पांस टीम गठित कर उसे तत्काल मौके पर भेजा जाए। जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए गांव और जंगल की सीमा पर सोलर फेंसिंग (तार बाड़) लगाई जाए।
सीएम धामी ने कहा कि लंबे समय से यह देखने में आ रहा है कि राज्य के अलग अलग हिस्सों में वन्य जीवों के हमलों को रोकने में वन विभाग बेबस हो रहा है। इसे दृष्टिगत रखते हुए इन घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाए। प्रशिक्षित पशु चिकित्सक मानव वन्यजीव संघर्ष की दृष्टि से इलाक़ों में चौबीस घंटे तैनात रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर गुलदार और बाघों से भरे पड़े हैं। अब वहां अन्य पकड़े गए वन्य जीवों को रखने की जगह नहीं है, लिहाजा इसके लिए भी तुरंत कार्ययोजना बनाई जाए।
यहां बता दें कि सीएम धामी ने बीते माह आला अफसरों की आपात बैठक लेकर वन्य जीव प्रतिपालक को निर्देश दिए थे कि राज्य के रेस्क्यू सेंटर के गुलदार और बाघों को दूसरे राज्यों के चिड़ियाघर/ वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट करने के लिए वहां के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करें, ताकि यह समस्या हल हो सके। इस दिशा में अभी तक कोई अपेक्षित प्रगति नहीं होने पर मुख्यमंत्री ने आज शुक्रवार को पुनः इस सम्बंध में तत्काल कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वन्यजीव संघर्ष की घटना की स्थिति में स्थानीय स्तर पर कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है। इस मामले में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने जिम्मेदार अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि जंगलों से सटे गांवों में शत प्रतिशत शौचालय और गैस कनेक्शन दिए जाने की योजना बनाई जाए ताकि लोग जंगलों का रुख न करें।

मुख्य सचिव ने वन व पशुपालन विभाग के अधिकारियों संग की बैठक

मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने सचिवालय में वन एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की। मुख्य सचिव ने कहा कि बन्दरों और जंगली सुअरों के द्वारा प्रदेश में खेती को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। इसके लिए बन्दरों की संख्या को सीमित करने हेतु बन्दरों का बन्ध्याकरण किया जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि बन्दरों के बन्ध्याकरण के लिए बन्दर बन्ध्याकरण केंद्रों की संख्या बढ़ायी जाए। इसके लिए पशुपालन विभाग द्वारा पशुचिकित्सकों एवं अन्य सहायक स्टाफ की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मुख्य सचिव ने फसलों को जंगली सुअरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए भी योजना तैयार किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि होगा।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने पिरूल से ईंधन के रूप में प्रयोग होने वाले पैलेट्स तैयार करने और ईको पार्क योजना की प्रगति की जानकारी भी ली। उन्होंने अधिकारियों को योजनाओं की निरन्तर मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, वन विभाग प्रमुख (हॉफ) अनूप मलिक एवं सचिव पशुपालन डॉ. बीवीआरसी पुरूषोत्तम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

कैंपा के तहत शोध कार्यों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ.एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड कैंपा की संचालन समिति की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को उत्तराखण्ड कैंपा के अन्तर्गत शोध कार्यों पर विशेष ध्यान दिए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा प्रदेश से सम्बन्धित विषयों और मुद्दों पर शोध किए जाने की आवश्यकता है जिससे प्रदेश और प्रदेशवासियों को लाभ मिल सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के लिए वनाग्नि एक बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि को किस प्रकार से काबू किया जा सकता है, इस पर शोध किया जाए। इसी प्रकार फसलों को जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए शोध किए जा सकते हैं। जंगली सूअर, हाथी और बंदरों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किस प्रकार से बायो फेंसिंग कारगर साबित हो सकती है, इन विषयों पर शोध हमारी उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को बायो फेंसिंग सेल गठित किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिकारी को इसका दायित्व दिया जाए।
मुख्य सचिव ने कार्यक्रम संचालन की वार्षिक योजना (एपीओ) को दिसंबर माह तक केंद्र सरकार को भिजवा दिए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि योजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाए। समस्त कार्यों को निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत पूर्ण कर लिया जाए।
बैठक के दौरान बताया गया कि कार्यक्रम संचालन की वार्षिक योजना (एपीओ) के लिए 411.88 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। बैठक में उत्तराखण्ड कैंपा की संचालन समिति द्वारा संस्तुति प्रदान की गयी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, पीसीसीएफ (हॉफ) अनूप मलिक, सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

वनाग्नि रोकने को आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग किया जाएः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि की रोकथाम के संबंध में समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि वनाग्नि को रोकने के लिए वनाग्नि से प्रभावित जनपदों में शीघ्र वन विभाग के उच्चाधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया जाय। जनपदों में डीएफओ द्वारा लगातार क्षेत्रों का भ्रमण किया जाए।
वन विभाग, राजस्व, पुलिस एवं अन्य संबंधित विभागों के साथ ही जन सहयोग लिया जाए। महिला मंगल दल, युवक मंगल दल, स्वयं सहायता समूहों एवं आपदा मित्रों से भी वनाग्नि को रोकने में सहयोग लिया जाय। वनाग्नि को रोकने के लिए आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग किया जाए। रिस्पांस टाइम कम से कम किया जाए। चारधाम यात्रा के दौरान वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाय।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए शीतलाखेत (अल्मोड़ा) मॉडल को अपनाया जाय। शीतलाखेत के लोगों ने जंगलों और वन संपदा को आग से बचाने के शपथ ली। उन्होंने संकल्प लिया कि वे पूरे फायर सीजन में वे अपने खेतों में कूड़ा और कृषि अवशेष नहीं जलायेंगे। इस क्षेत्र में ग्रामीणों महिला मंगल दल और युवक मंगल दल ने ओण दिवस के रूप में जंगल बचाओ, पर्यावरण बचाओ की शपथ ली। वनाग्नि को रोकने के लिए दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक दोनों योजनाएं बनाई जाए। दीर्घकालिक योजनाओं के लिए अनुसंधान से जुड़े संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों से समन्वय स्थापित कर योजना बनाई जाए। इकोनॉमी और ईकॉलॉजी का समन्वय स्थापित करते हुए कार्य किये जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए एक नई कार्य संस्कृति एवं कार्य व्यवहार से सभी को कार्य करना होगा। वन सम्पदाओं के संरक्षण के साथ ही वन सम्पदाओं से लोगों की आजीविका को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पिरूल के एकत्रीकरण एवं उससे लोगों की आजीविका कैसे बढ़ाई जा सकती है, इसके लिए ठोस नीति बनाई जाए। राज्य में वन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसा मॉडल तैयार किया जाए कि इसका संदेश देश-दुनिया तक जाए। वन्य जीवों की सुरक्षा एवं जल स्रोतों के संरक्षण के लिए प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। वनाग्नि को रोकने एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता के लिए स्कूलों में करिकुलर एक्टिविटी करवाई जाए।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारी जन सहभागिता पर विशेष ध्यान दें। वन सम्पदाओं से लोगों की आर्थिकी को जोड़ने के लिए सुनियोजित रणनीति बनाई जाए। वन पंचायतों में फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट कमेटी बनाई जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, वर्चुअल माध्यम से गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार एवं सभी जनपदों से जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं डीएफओ उपस्थित थे।

वनाग्नि रोकने के लिये किए जाएं समेकित प्रयासः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड कैम्पा की बैठक आयोजित हुयी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वनों के विकास के लिए वनाग्नि रोकने के लिये प्रभावी प्रयास किये जायें। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाय।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि वन प्रहरियों की व्यवस्था, स्वयं सेवी संस्थाओं, वन पंचायतों तथा इको डेवलपमेंट कमेटी के माध्यम से की जाय। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि वन रक्षक चैकियों, रेस्क्यू सेन्टरों के निर्माण तथा अन्य अवस्थापना सुविधाओं के निर्माण कार्यों में आरईएस तथा आरडब्लूडी को कार्यदायी संस्था नामित किया जाय ताकि निर्माण कार्यों में तेजी लायी जा सके। उन्होंने हाथियों के आवागमन के रास्तों पर विद्युत तारों को अण्डर ग्राउण्ड करने अथवा उनकी ऊंचाई बढ़ाये जाने पर बल दिया ताकि बिजली के तारों से होने वाली दुर्घटनाओं से उनका बचाव हो सके।

उन्होंने कहा कि कैम्पा के तह सृजित कार्यक्रमों के माध्यम से रोजगार सृजन के क्षेत्र में प्रभावी पहल की जाय। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु जल संरक्षण, पौधारोपण, नर्सरी विकास एवं वन सम्पत्ति की सुरक्षा के क्षेत्र में रोजगार सृजित किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भेला, ढेला, सुसवा, पिलखर, नन्धौर तथा कल्याणी नदियों में अग्रिम मृदा कार्य के तहत जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन से सम्बन्धित कार्यों के क्रियान्वयन में तेजी लायी जाय। मुख्यमंत्री ने बुग्यालों के संवर्द्धन के लिए कॉयर नेट और पिरूल चेकडैम के साथ ही भीमल के इस्तेमाल पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि वन्य पशुओं से सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग बहुत ही कारगर है परन्तु सोलर फेंसिंग की सुरक्षा के लिए लोगों को भी जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष रोकथाम के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि वन विभाग द्वारा वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कैम्पा के तहत स्वीकृत कार्यों में तेजी लाने के लिये भी उन्होंने निर्देश दिये।

कैम्पा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे.एस.सुहाग ने बताया कि कैम्पा के तहत इस वर्ष की कार्य योजना में 225 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करायी गई है। जबकि अगले वर्ष के लिये कैम्पा के तहत 675 करोड़ प्राविधानित है।

इस अवसर पर पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एवं सलाहकार मुख्यमंत्री एस.एस.नेगी, प्रमुख सचिव वन आनन्द वर्धन, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी एवं वन विभाग के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

बाघ बाड़े का निरीक्षण कर स्पीकर ने जानी वनाधिकारियों से बाघों को लाने की प्रक्रिया

स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने राजाजी नेशनल पार्क मोतीचूर रेंज में बन रहे बाघ बाड़े का निरीक्षण किया। उन्होंने वन अधिकारियों से बाघ बाडे की प्रगति के बारे में जानकारी ली।

अवगत करा दें कि राजाजी नेशनल पार्क का 550 वर्ग किमी का मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र वीरान सा है। वहां पिछले सात साल से सिर्फ दो बाघिनें ही हैं। दरअसल, पार्क से गुजर रहे हाइवे और रेल लाइन के कारण बाघों की आवाजाही एक से दूसरे क्षेत्र में नहीं हो पाती। यही वजह है कि गंगा के दूसरी तरफ के चीला, गौहरी और रवासन से बाघ मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में नहीं आ पाते।इस सबको देखते हुए कॉर्बेट या दूसरे क्षेत्रों से मोतीचूर- धौलखंड क्षेत्र में बाघ शिफ्ट करने की योजना बनी। जिसके मद्देनजर मोतीचूर रेज में बाघ बाड़ा बनाया जा रहा है।

विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा निरीक्षण के दौरान पूछने पर रेंजर महेंद्र गिरी ने बताया कि बाघ शिफ्टिंग के मद्देनजर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बाघों को यहां लाकर मोतीचूर में बनाए गए बाड़े में रखा जाएगा। वहां इनके व्यवहार पर नजर रखी जाएगी और फिर इन्हें मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। रेडियो कॉलर से इन पर निरंतर नजर रखी जाएगी। बताया कि बाघ बाड़े की हाथियों से सुरक्षा के दृष्टिगत इसके चारों तरफ सोलर पावर फेंसिंग भी की जा रही है।रेंजर ने बताया कि बाड़े में पाँच बाघों को लाने की योजना बनायी गई है जिन्हें चरणबद्ध तरीके से बाड़े में लाया जाएगा।

स्पीकर ने जंगल सफारी का लुप्त भी उठाया। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने वन अधिकारियों से राजाजी नेशनल पार्क में आने वाले सैलानियों एवं पर्यटक की संख्या के बारे में जानकारी ली।

इस अवसर पर मोतीचूर रेंज के रेंजर महेंद्र गिरी, वन दरोगा देवी प्रसाद, वन दरोगा उदय सिंह, वन दरोगा नरेंद्र सिंह, वन आरक्षी नवीन ध्यानी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

क्लीन गंगा के तहत मुनिकीरेती स्लज मैनेजमेंट प्लांट परियोजना के लिए मिले 8 करोड 67 लाख रूपए

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जल शक्ति मंत्रालय के नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत चोरपानी, मुनिकीरेती में स्लज मैनेजमेंट प्लांट परियोजना के लिए आठ करोड़ 67 लाख रूपये की प्रशासनिक और व्यय की स्वीकृति के साथ ही उत्तराखण्ड वन विभाग को ‘फोरेस्ट्री इनटरवेंशन फॉर गंगा’ के लिये 39 करोड़ 95 लाख 58 हजार रूपये की धनराशि स्वीकृत करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है।

जल शक्ति मंत्रालय के नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत चोरपानी, मुनिकीरेती में स्लज मैनेजमेंट प्लांट परियोजना के लिए 8 करोङ 67 लाख रूपये की प्रशासनिक और व्यय की स्वीकृति दी गई है। यह योजना शत प्रतिशत केन्द्र पोषित होगी। इस सम्बन्ध में स्पष्ट किया गया है कि स्वीकृति के दिनांक से चार माह के भीतर परियोजना अवार्ड कर दी जानी होगी, जबकि अवार्ड किए जाने के बाद 6 माह में इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखंड पेयजल निगम इसकी कार्यदायी संस्था होगी।

इसके साथ ही जल शक्ति मंत्रालय के नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा द्वारा उत्तराखंड के वन विभाग को ‘फोरेस्ट्री इनटरवेंशन फॉर गंगा’ के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2020-21 के लिए 39 करोङ 95 लाख 58 हजार रूपये की प्रशासनिक और व्यय की स्वीकृति प्रदान की है। शत-प्रतिशत केंद्र पोषित इस परियोजना का उद्देश्य स्वच्छ गंगा में योगदान करना है। विशेष रूप से नदी क्षेत्र में भूगर्भीय व पारिस्थितिकीय पूर्णता को बनाए रखते हुए अनंत वन धारा विकसित करने का कार्य इसमें शामिल है।

अब वन एवं वन्य जीवों से सम्बन्धित समस्याओं का होगा त्वरित समाधानः त्रिवेंद्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वन विभाग द्वारा तैयार की गई वन एवं वन्य जीव हेल्पलाइन 1926 का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस हेल्पलाइन की शुरूआत को वनों की सुरक्षा एवं मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा मे की गई प्रभावी पहल बताया है।

वन विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विभागीय अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हेल्पलाइन आम जनता को वन एवं वन्य जीवों के कारण होने वाली समस्याओं के समाधान में तभी कारगर साबित होगी जब विभागीय अधिकारी प्राप्त शिकायतों का तत्परता के साथ निराकरण करेंगे। कहा कि इससे वनों में होने वाली घटनाओं, वनों की तस्करी रोकने, जंगली जानवरों के अवेध शिकार जैसी तमाम समस्याओं का त्वरित समाधान हो सकेगा।

कहा कि जंगली पशुओं के फसलों को हो रहे नुकसान को कम करना भी एक बड़ी समस्या है। इसके लिए वनों में वन्य जीवों के लिए भोजन की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए कार्ययोजना बनाये जाने की भी जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में समय-समय पर व्यापक जन जागरूकता अभियान संचालित किये जाने के भी निर्देश दिये ताकि वनों एवं वन्यजीवों के संरक्षण में जन सहभागिता भी सुनिश्चित हो सके।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार, आईटी सलाहकार रवीन्द्र दत्त, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव रंजना काला, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जेएस सुहाग, विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ. पराग मधुकर धकाते आदि उपस्थित थे।

पौधों का सर्वाईवल रेट बढ़ाने पर दिया जाए ध्यानः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखण्ड कैम्पा की बैठक हुयी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वनों के विकास के लिए पौधारोपण के साथ-साथ उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। पौधों का सर्वाईवल रेट बढ़ाने के लिए लगातार मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग रोजगार सृजन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दृष्टि गांवों को लौटे प्रदेशवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु जल संरक्षण, पौधारोपण, नर्सरी विकास एवं वन सम्पत्ति की सुरक्षा के क्षेत्र में रोजगार सृजित किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपने प्रदेश को वापस लौटे लोगों को रोजगार की आवश्यकता है। राज्य सरकार द्वारा लगभग 10 हजार लोगों को ऊर्जा विभाग के माध्यम से 25 वॉट के सोलर प्लांट्स के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वन विभाग द्वारा भी कम से कम 10 हजार लोगों को रोजगार देने के प्रयास किए जाएं। इससे हमारे गांव एवं हमारे वन दोनों लाभान्वित होंगे।

मुख्यमंत्री ने बुग्यालों के संवर्द्धन के लिए कॉयर नेट और पिरूल चेकडैम के साथ ही भीमल के इस्तेमाल पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि वन्य पशुओं से सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग बहुत ही कारगर है परन्तु सोलर फेंसिंग की सुरक्षा के लिए लोगों को भी जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष रोकथाम के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जल संवर्धन हेतु वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जल संवर्धन हेतु चेकडैम, चालखाल एवं ट्रेंच निर्माण के अच्छे परिणाम रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन दिवस के अवसर पर प्रदेश के स्कूल एवं कॉलेजों को 10 हजार पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रति जागरूकता के लिए 10-10 हजार रूपए की राशि उपलब्ध कराई जा सकती है। इससे स्कूल एवं कॉलेज के माध्यम से प्रकृति के प्रति जनजागरूकता फैलायी जा सकेगी।

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि वन विभाग द्वारा वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। श्रम विभाग द्वारा लगभग 10 हजार लोगों को भीमल के लिए प्रशिक्षण दिया गया था। इन प्रशिक्षित लोगों का प्रयोग बुग्यालों के संवर्धन हेतु कॉयर नेट और पिरूल चेकडैम आदि के निर्माण के लिए किया जा सकता है।

राज्य सरकार 35 बीघा भूमि पर हुए अतिक्रमण को तीन माह के भीतर करेगी ध्वस्त

नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रविकुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष ऋषिकेश के वीरभद्र में स्वामी चिदानंद द्वारा किए गए अतिक्रमण मामले की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने राज्य सरकार को तीन माह का अल्टीमेटम देकर 35 बीघा वन भूमि पर हुए अतिक्रमण को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। तीन माह के भीतर हुई कार्रवाई से सरकार को न्यायालय के समक्ष अपनी रिपोर्ट भी पेश करनी होगी।

मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि ऋषिकेश के निकट वीरपुरखुर्द वीरभद्र में स्वामी चिदानंद मुनि ने रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा करके वहां 52 कमरे, एक बड़ा हॉल और गोशाला का निर्माण कर लिया है।