200 विद्यालयों में नये सत्र से शुरू होंगे सात व्यावसायिक पाठ्यक्रम

सूबे में शिक्षा के डिजिटलाइजेशन को लेकर राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में वर्ष 2023-24 तक सूबे के 1124 स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज तैयार कर बच्चों को हाईब्रिड माध्यम से पढ़ाया जायेगा। इसके लिये शिक्षा विभाग ने समग्र शिक्षा के अंतर्गत आईसीटी परियोजना के तहत विद्यालयों का चयन किया है। इसके साथ ही राज्यभर के 200 अन्य विद्यालयों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शुरू किये जायेंगे। समग्र शिक्षा के अंतर्गत बीआरपीध्सीआरपी सहित राज्य व जिला स्तर पर रिक्त सभी पदों को प्रतिनियुक्ति एवं आउटसोर्स के माध्यम से मार्च 2023 से पहले भरने का निर्णय लिया गया है।
शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज विद्यालयी शिक्षा महानिदेशालय में समग्र शिक्षा की समीक्षा बैठक ली। डॉ0 रावत ने बताया कि सूबे के 1124 स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज के माध्यम से पढ़ाई कराई जायेगी, जिसके लिये शीघ्र ही सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज तैयार करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेशभर में चयनित 840 स्कूलों में से 500 विद्यालयों में वुर्चअल क्लासेज चलाई जा रही है, जबकि शेष 340 स्कूलों में भी वर्चुअल क्लासेज शीघ्र ही शुरू कर दी जायेगी। इसी प्रकार वर्ष 2023-24 के अंतर्गत सूबे के कक्षा-01 से कक्षा-12 तक के 1124 विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेज स्थापित की जायेगी, जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शिक्षा मंत्री डॉ0 रावत ने बताया कि सूबे के 200 स्कूलों में नये शैक्षिक सत्र से कृषि, ऑटोमोटिव, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं हार्डवेयर, ब्यूटी एंड वेलनेस, टूरिज्म एंड हॉसपिटालिटी तथा पलम्बर सहित सात व्यावसायिक कोर्स संचालित किये जायेंगे, जबकि इससे पूर्व भी 200 विद्यालयों में आठ व्यावसायिक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें 18 हजार 300 बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 रावत ने समग्र शिक्षा के अंतर्गत राज्य व जिला स्तर पर लम्बे समय से रिक्त चल रहे विभिन्न श्रेणी के पदों को न भरे जाने पर नाराजगी जताते हुये अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि बीआरपीध्सीआरपी के 955 पदों सहित अन्य सभी रिक्त पदों को मार्च 2023 से पूर्व प्रतिनियुक्ति एवं आउटसोर्स के माध्यम से भरने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये।
बैठक में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव योगेन्द्र यादव, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, एपीडी समग्र शिक्षा डॉ0 मुकुल सती, संयुक्त निदेशक एस.बी.जोशी सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

पाठ्यक्रम में शामिल की जायेगी हमारी विरासत पुस्तक-शिक्षा मंत्री

स्कूलों में बच्चों के भारी-भरकम बस्तों का बोझ कम करने के लिये राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्ड के साथ विचार-विमार्श कर कोई तरीका निकाला जायेगा, जिससे बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जा सके। इसी के साथ स्कूली बच्चों का तनाव कम करने के उद्देश्य से माह में एक दिन बैग फ्री डे निर्धारित करते हुये उनसे स्कूलों में अन्य गतिविधियां कराई जा सकती है।
यह बात शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज देहरादून के एक निजी होटल में उत्तराखंड अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय एवं एससीईआरटी द्वारा आयोजितएनईपी-2020 के क्रियान्वयन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्द्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि कही। डॉ0 रावत ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्कूली बच्चों के बस्तों का बोझ उनके वजन से भी ज्यादा बढ़ गया है, जिसको कम करना उनके सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्डों के अधिकारियों एवं शिक्षाविदों के साथ विचार-विमर्श कर बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने का कोई नया तरीका निकालना होगा। इसके लिये चाहे बच्चों के पाठ्यक्रम को त्रिमासिक एवं अर्द्धवार्षिक के हिसाब से बांटते हुये पाठ्य पुस्तकों एवं नोट बुक्स का चयन भी किया जा सकता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चे कई बार लगातार पढ़ाई से ऊब जाते हैं जिससे वह तनाव में आ जाते हैं। उनकी इस समस्या को दूर करने के लिये माह में एक दिन को बैग फ्री डे निर्धारित करते हुये उस दिन बच्चों से केवल खेल-कूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, कृषि कार्य, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही अन्य कौशल विकास से संबंधी गतिविधियां कराई जा सकती है। उन्होंने कार्यशाला में मौजूद विभागीय अधिकारियों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करने तथा हमारी विरासत पुस्तक नाम से एक पाठ्य पुस्तक तैयार करने को कहा ताकि बच्चों को अपने जनपद, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की विरासत एवं इतिहास पुरूषों के बारे में जानकारी मिल सके। उन्होंने कार्यशाला में आये उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, विद्या भारती एवं नेफा नई दिल्ली से आये शिक्षा अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुये उनके राज्य में एनईपी पर किये गये कार्यों के प्रस्तुतिकरण के लिये आभार जताया। डॉ0 रावत ने कहा कि एनईपी के अंतर्गत किये गये कार्यों के साथ करने से सभी राज्यों को एक-दूसरे से कुछ नया सीखने को मिलेगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि निकट भविष्य में राज्य में संचालित विभिन्न बोर्डों के साथ टीचिंग शेयरिंग को लेकर अनुबंध किया जायेगा ताकि अच्छे शिक्षकों को एक-दूसरे बोर्ड के स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिये बुलाया जा सकेगा, जिसका फायदा छात्र-छात्राओं को मिलेगा। कार्यशाला में शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में 220 दिन अनिवार्य रूप से पठन-पाठन किया जायेगा, इसके लिये उन्होंने अधिकारियों को नवीन शैक्षिणिक सत्र शुरू होने से पूर्व पूरी कार्ययोजना तैयार कर शैक्षिक कैलेंडर बनाने के निर्देश दिये। साथ ही उन्होंने भविष्य में स्कूली बच्चों को जुलूस-प्रदर्शनों एवं विभाग से इतर अन्य गतिविधियों में शामिल ने किये जाने के निर्देश दिये।
कार्यशाला में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन ने कहा कि राज्य में एनईपी-2020 को लेकर जनपदों में भी कार्याशालाओं का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के 4500 से अधिक प्री-प्राइमरी पाठशालाओ एवं आंगनबाडी केन्द्रों में एनईपी लागू कर ली गई है, अन्य कक्षाओं में भी धीरे-धीरे इसे लागू किया जायेगा।
कार्यशाला में गुजरात से आये आसिफ सामंत एवं कल्पेश कुमार द्वारा नवाचार के अंतर्गत सूचना और तकनीकी का समन्वयन विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया। जिसमें बताया गया कि गुजरात में विद्यार्थियों तथा शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति, छात्रों का ऑनलाइन मूल्यांकन एवं प्रत्येक छात्र की यूनिक पहचान संख्या के द्वारा ऑन लाइन अनुश्रवण किया जाता है। इसी क्रम में एनसीईआरटी नई दिल्ली से प्रो0 इन्द्राणी भादुडी ने ग्रेड थ्री से कक्षा-12 तक बच्चों का समग्र मूल्यांकन पर प्रस्तुतिकरण दिया। जिसमें उन्होंने बताया कि बच्चों का सम्पूर्ण मूल्यांकन 360 डिग्री प्रगति कार्ड तैयार कर अभिभावक, छात्र तथा शिक्षकों के लिये शैक्षणिक प्रगति के साथ ही उनके स्वास्थ्य, अभिरूचि मूल्यों तथा जिज्ञासों का आंकलन किया जाता है।
कार्यशाला में विधायक लैंसडाउन दीलीप रावत, सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं सीमैट सीमा जौनसारी, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक राम कृष्ण उनियाल, अपर निदेशक माध्यमिक गढ़वाल महावीर सिंह बिष्ट, विरेन्द्र सिंह रावत, एस0पी0 खाली, डॉ0 आर0डी0 शर्मा, अजय नौडियाल, संयुक्त निदेशक दिनेश चन्द्र गौड़ सहित डायट के प्रधानाचार्य, जिला शिक्षा अधिकारी एवं खंड शिक्षाधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 मोहन सिंह बिष्ट ने किया।

सरकारी स्कूलों में किताब बांटने में देरी पर आज हुई बड़ी कार्रवाई

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में किताबें में बांटने में हुई देरी को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने 600 से ज्यादा अधिकारी-कार्मिकों के वेतन पर रोक लगा दी। खुद को भी नैतिक रूप से जिम्मेदार मानते हुए खुद तिवारी ने भी सभी छात्रों को किताब न मिलने तक वेतन नहीं लेने का निर्णय किया है।
ब्लॉकवार शतप्रतिशत किताब वितरण का प्रमाणपत्र देने पर ही वेतन जारी किया जाएगा। यह पहला मौका है जबकि शिक्षा विभाग इस इतने बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई है। महानिदेशक ने बताया कि कि सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जहां जहां किताबें नहीं बंट पाई हैं, वहां छुट्टियों के दौरान भी घर घर जाकर किताबें मुहैया कराई जाएं। इसके लिए एक हफ्ते का वक्त मुकर्रर किया गया है। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशकों से किताबों के समय पर न बंटने के लिए जिम्मेदार अफसर-कार्मिकों की सूची सोमवार तक मुहैया कराने के निर्देश भी दिए हैं।
अप्रैल के पहले हफ्ते तक किताबें मुहैया कराने के दावे के बावजूद आज तक शिक्षा विभाग शतपतिशत छात्रों को किताबें नहीं दे पाया। यह बात दीगर है कि महानिदेशक की अध्यक्षता में 17 मई को हुई बैठक में अधिकांश अधिकारियों ने दावा किया था कि वो शतप्रतिशत किताबें बंटवा चुके हैं।
हाल में विभिन्न जिलों में हुए मुआयनों में अधिकारियों के किताब वितरण के दावे हवाई साबित हुए। आज महानिदेशक ने सुबह सुबह ही अधिकारियों के वाट्सअप ग्रुप में तीन बिंदुओं पर कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया। साथ ही शाम को चार बजे वर्चुअल बैठक भी बुला ली।
बैठक में महानिदेशक ने किताबें का वितरण समय पर न होने के लिए कड़ी नाराजगी जाहिर की। कहा कि प्रत्येक छात्रों को किताबें मुहैया कराना सीईओ की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। किताब वितरण से जुड़े बेसिक, माध्यमिक शिक्षा निदेशक समेत सभी अफसर और जिला और ब्लॉकवार कार्मिकों का वेतन पुस्तक वितरण पूरा होने तक रुका रहेगा।
वहीं, अपनी गलतियों को दूसरे सिर मढ़ने के दौर में महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी ने एक मिसाल पेश की है। तिवारी ने कहा कि समय पर किताब न मिल पाने से वो स्वयं भी व्यथित हैं। यदि बच्चों को समय पर किताब मिल जाती तो वो अधिक समय पढ़ाई को दे पाते। अब गर्मियों का अवकाश शुरू हो गया है।
ऐसे बिना किताब के रहना और भी गलत है। विभागीय मुखिया होने के नाते यह मेरा भी नैतिक अपराध है। जब तक सभी छात्रों को पुस्तक मिलने का प्रमाणपत्र नहीं मिल जाएगा तब तक मैं भी वेतन नहीं लूंगा। उन्होंने कहा कि 31 मई तक अधिकांश छात्रों को किताबें मुहैया करा दी गई हैं। कुछ स्थानों पर तकनीकी और व्यहारिक रूप से किताबें नहीं पहुंच पाई हैं, उन्हें सर्वाेच्च प्राथमिकता से पहुंचाया जाएगा।

धामी की बच्चों से अपील, लक्ष्य लेकर आगे बढ़े

एक दिवसीय काशीपुर दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांसखेड़ा, काशीपुर में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए बहल पेपर निगम लिमिटेड काशीपुर द्वारा सी.एस.आर के माध्यम से काशीपुर में विभिन्न राजकीय विद्यालयों में किए गए आधुनिकरण/नवीनीकरण कार्यों का लोकार्पण किया।
इस दौरान राजकीय प्राथमिक विद्यालय, बाँसखेड़ा कला, काशीपुर (उधम सिंह नगर), राजकीय प्राथमिक विद्यालय, गिन्नीखेड़ा, काशीपुर (उधम सिंह नगर), राजकीय प्राथमिक विद्यालय, गिरधई, काशीपुर (उधम सिंह नगर), राजकीय प्राथमिक विद्यालय, बॉसखेड़ा खुर्द, काशीपुर (उधम सिंह नगर), राजकीय प्राथमिक विद्यालय, बघेलेवाला, काशीपुर (उधम सिंह नगर), राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, बघेलेवाला काशीपुर (उधम सिंह नगर), राजकीय प्राथमिक विद्यालय, ढकिया गुलाबो, काशीपुर (उधम सिंह नगर) के आधुनिकरण/नवीनीकरण कार्यों का लोकार्पण किया गया।
इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विद्यालयों में दी गई सुविधा एवं इनके निर्माण बच्चों की सुविधा अनुसार हैं। आने वाले समय में यह विद्यालय संपूर्ण उत्तराखंड में मॉडल विद्यालय के रूप में स्थापित होंगे। सरकार की प्राथमिकता है कि प्रत्येक सरकारी विद्यालय आधुनिकता से जुड़े। सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा सुविधा हेतु हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि तमाम संकल्पों को पूरा करते हुए हमारी सरकार शिक्षा, चिकित्सा, उद्यान, कृषि जैसे प्रत्येक क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ काम कर उत्तराखंड को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी। उन्होंने कहा उत्तराखंड का विकास यहां की युवा पीढ़ी एवं स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य पर निर्भर करती है। नन्हे बच्चे उत्तराखंड राज्य के साथ ही देश का भविष्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार तीन मंत्र सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के आधार पर प्रदेश में विकास कार्य को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। आगामी चार धाम यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालु आने का अनुमान है, बिजली सड़क पेयजल जैसी तमाम सुविधाएं श्रद्धालुओं तक पहुंचाने हेतु सरकार ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सही समय पर सही कार्य करते हुए अपने सपनों को साकार करना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए। मौजूद छात्रों से उन्होंने कहा की अपना हर पल हर क्षण अपने सपनों को समर्पित करें एवं अपने लक्ष्य पर केंद्रित करें। उन्होंने कहा हमारी सरकार नई खेल नीति लाई है जिसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि सुविधाओं के अभाव में कोई भी खिलाड़ी आगे बढ़ने से न रुके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार “विकल्प रहित संकल्प“ के ध्येय वाक्य पर काम कर रही है। सरकार की प्राथमिकता है कि जो घोषणा पूर्व में की गई हैं उनके शासनादेश भी जारी हो रहे हैं। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आने वाला दशक उत्तराखंड का दशक होगा। रजत जयंती के अवसर पर उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य होगा।

सीएम ने लांच की अटल उत्कृष्ट विद्यालय की वेबसाइट लांच


मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश के शिक्षकों से वर्चुअल संवाद किया। मुख्यमंत्री ने नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्य एसडीजीएस सूची में शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को चैथी रैंकिंग प्राप्त होने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को बधाई दी। इस वर्चुअल संवाद में 500 स्कूलों से शिक्षक जुड़े थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अटल उत्कृष्ट विद्यालय की वेबसाइट लाँच की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है कि नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्य एसडीजीएस सूची में चैथा स्थान प्राप्त हुआ है। 17 विभिन्न आयामों को लेकर सूची का निर्धारण किया गया। 2015-16 में जहां राज्य को 19वां स्थान मिला था, आज राज्य ने चैथा स्थान प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को प्रथम स्थान पर लाने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं शिक्षकों को इसी मनोयोग से कार्य करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड काल में पठन-पाठन का कार्य एक नई चुनौती है। सीमित संसाधन होने के बावजूद भी ऑनलाईन शैक्षणिक गतिविधियों के लिए शिक्षा विभाग द्वारा सराहनीय प्रयास किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूलों की व्यवस्थाओं में गुणात्मक सुधार लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। स्कूलों में विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए जिला प्लान के माध्यम से व्यवस्थाएं की गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक नेट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के माध्यम से शिक्षा के स्तर में और सुधार करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में 190 अटल उत्कृष्ट विद्यालय स्वीकृत किये गये हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अनेक स्कूलों के शिक्षकों के साथ वर्चुअल संवाद किया।

शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड की चैथी रैंकिंग प्राप्त होने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की देवभूमि के रूप में विश्व में अलग पहचान है। शिक्षकों के कठिन परिश्रम के परिणामस्वरूप उत्तराखण्ड ने नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्य एसडीजीएस सूची में चैथा स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश में सभी के लिए एक जैसा पाठ्यक्रम लागू किया गया है। 90 प्रतिशत स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था है। इसे जल्द ही शत प्रतिशत किया जायेगा। 500 स्कूलों में वर्चुअल क्लास की व्यवस्था की गई है। जल्द ही 600 और स्कूलों में वर्चुअल क्लास की व्यवस्था की जायेगी।

इस अवसर पर सचिव शिक्षा आर.मीनाक्षी सुदंरम, महानिदेशक शिक्षा विनय शंकर पाण्डेय आदि उपस्थित थे।