शहरी विकास विभाग ने की महाकुंभ 2021 की अधिसूचना जारी

महाकुंभ 2021 के लिए शहरी विकास विभाग ने मेला क्षेत्र को अधिसूचित कर दिया है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक की अवधि को कुंभ मेला अवधि घोषित किया गया है। साथ ही रूड़की से नीलकंठ तक के क्षेत्र को कुंभ मेला एरिया घोषित किया है। अधिसूचना सचिव शहरी विकास शैलेश बगौली की ओर से जारी की गई है।

कुंभ क्षेत्र की सीमा
उत्तर – नीरगढ़, तपोवन, विट्ठल आश्रम मार्ग, नरेंद्र नगर मुनिकी रेती मार्ग तक।
पश्चिम – नरेंद्र नगर- ऋषिकेश बाईपास, देहरादून- ऋषिकेश मार्ग वन चैकी तक, हरिद्वार बाईपास, हरिद्वार हाईवे, हिल बाईपास, मंशादेवी मंदिर, बीएचईएल आवासीय कॉलोनी, हरिद्वार- दिल्ली मार्ग पर 13 किमी तक।
दक्षिण – बहादराबाद गांव, हरिद्वार बाईपास मार्ग पर सीतापुर गांव की सीमा तक, हरिद्वार- ऋषिकेश बाईपास पर रेलवे पुल तक, जियापोता गांव से गंगा पार करते हुए नजीबाबाद मार्ग पर सिद्ध सोत तक।
पूरब – चंडी देवी मंदिर, चीला मार्ग, चीला नहर होते हुए वीरभद्र बैराज, लक्ष्मणझूला- दुगड्डा मार्ग पर पीपलकोटी तक, पैदल मार्ग से होते हुए नीलकंठ मंदिर तक।

केंद्र सरकार कुंभ मेले में कोविड प्रोटोकॉल सख्ती से लागू करने के निर्देश दे चुकी है। अब विधिवत कुंभ मेला अधिसूचित होने के बाद आगामी स्नान पर राज्य सरकार को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। तब तक चूंकि सरकार ने विधिवत नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था, इस कारण पूर्व में आयोजित स्नान पर उक्त मानक लागू नहीं हो पाए थे। अब 12 और 14 अप्रैल को क्रमश साोमवती अमावस्या और बैशाखी के दो प्रमुख शाही स्नान पड़ रहे हैं।

मुख्य हरकीपैड़ी क्षेत्र में आम लोगों को स्नान के लिए अनुमति नहीं

2021 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेला में सिर्फ मुख्य स्नान पर ही श्रद्धालुओं के लिए पास की व्यवस्था होगी। इसके अलावा सामान्य दिनों में कोई भी श्रद्धालु आकर गंगा में स्नान कर सकता है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि शाही स्नान का दिन और समय तय होता है। कौन सा अखाड़ा किस समय स्नान करेगा, यह पूर्व निर्धारित होता है। इस दौरान मुख्य हर की पैड़ी क्षेत्र में आम लोगों का स्नान नहीं होता है।

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर मुख्य स्नान के दिन करोड़ों लोगों के हरिद्वार आने की संभावना रहती है। इसलिए सरकार मुख्य स्नान पर पास व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। इसके लिए देखा जा रहा है कि हरिद्वार के घाटों की क्षमता कितनी भीड़ वहन करने की है। इसी आधार पर मुख्य स्नान के दिन श्रद्धालुओं की संख्या तय की जा सकती है। हालांकि इस पर विचार ही चल रहा है, अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।