72 तरह के हैल्थ टेस्ट आमजन के लिए निःशुल्क

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सचिवालय में जे के टायर लिमिटेड कम्पनी तथा यस बैंक द्वारा सीएसआर के तहत लगाये गये हैल्थ एटीएम का लोकार्पण किया। यस बैंक द्वारा सचिवालय डिसपेंसरी, विधान सभा डिसपेंसरी तथा टनकपुर चिकित्सालय में एक-एक हैल्थ एटीएम स्थापित किये गये हैं। इसके साथ ही जे0 के0 टायर कम्पनी द्वारा पुलिस लाइन, जे0एल0एन0 जिला चिकित्सालय, जिला चिकित्सालय नैनीताल, सयुंक्त चिकित्सालय टनकपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जसपुर, उप जिला चिकित्सालय, रानीखेत, अल्मोड़ा में एक-एक हैल्थ एटीएम स्थापित किये गये हैं। इन 9 हैल्थ एटीएम के माध्यम से आम जनमानस द्वारा स्वयं अपने विभिन्न स्वास्थ्य परीक्षण किए जा सकेंगे, इनमें हीमोग्लोबिन, टीएलसी एण्ड डीएलसी, ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, युरिक ऐसिड, कॉलेस्ट्रॉल, एचबीएसी, ब्लड ग्रुप, लिपिड प्रोफाइल, ट्राईगिलसाइड, लाइकोप्रोटिन, प्रेगनेन्सी टेस्ट तथा किडनी टेस्ट आदि सहित कुल 72 टेस्ट किए जा सकते हैं। इन हैल्थ एटीएम पर यह जाँच सुविधा निःशुल्क रहेगी। इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनमानस से अपील की गई है कि इन हैल्थ एटीएम की जाँच के नतीजे के आधार पर स्वयं औषधि न लें। परिणाम सामान्य न होने पर चिकित्सक का परामर्श अवश्य लें।
इसके साथ ही इस अवसर पर सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग तथा आईओसीएल, यस बैंक तथा जेके टायर के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में महानिदेशक स्वास्थ्य तथा उक्त कम्पनियों के मध्य स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग हेतु एमओयू पर भी हस्ताक्षर किये गये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के सौजन्य से सीएसआर के तहत राज्य के सभी ब्लॉकों में उपलब्ध कराई जाने वाली 40 ट्रू नेट मशीनों का भी लोकार्पण किया। इन ट्रू नेट मशीनों की सहायता से टी0बी0, कोविड तथा अन्य रोगों की जांच में सहायता मिलेगी। यह मशीनें राज्य के 40 दूरस्थ स्थानों में क्रियाशील रहेंगी।
बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग तथा यस बैंक, आईओसीएल व जे के टायर इन हैल्थ एटीएम तथा ट्रू नेट मशीनों के इस पहल के लिए बधाई के पात्र हैं। आईओसीएल द्वारा प्रदेश के सभी ब्लॉकों के लिए 40 ट्रू नेट मशीनों की उपलब्धता से हमारे राज्य में इस दिशा में 100 प्रतिशत का लक्ष्य पूरा हो गया है। इन सुविधाओं से आमजन की न केवल समय की बचत होगी बल्कि धन की भी बचत होगी। लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। इन हैल्थ एटीएम के माध्यम से जनमानस स्वयं समय-समय पर अपनी जाँच कर अपने स्वास्थ्य की देखभाल बेहतर ढंग से कर सकेंगे। हर वर्ष लाखों की संख्या में आने वाले पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों को भी इन सुविधाओं से लाभ होगा। देशभर के निजी संगठनों व कम्पनियों से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा एवं स्वच्छता के क्षेत्र में मदद की अपील करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में जन्म लेना सौभाग्य की बात है परन्तु देवभूमि में सेवा करना उससे भी बड़े सौभाग्य व गौरव का विषय है। जिन लोगों को भी यहाँ सेवा का अवसर मिल रहा है, वह भाग्यशाली हैं। निजी कम्पनियों से अपील है कि क्योंकि उत्तराखण्ड एक छोटा राज्य है, कम्पनियां उत्तराखण्ड में शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता के क्षेत्र में अपनी मदद देकर एक मॉडल स्थापित कर सकते हैं। सीएम ने आईओसीएल से विशेष रूप से राज्य में रोजगार सृजन के क्षेत्र में योगदान की अपील की।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डा0 धन सिंह रावत, सचिव स्वास्थ्य डा0 आर0 राजेश कुमार, डीजी हैल्थ डा0 विनिता शाह, यस बैंक के स्टेट हेड अजय मिश्रा, क्लस्टर हेड निशांत अहूजा, हरेन्द्र बिष्ट, आईओसीएल से भानु प्रकाश सेमवाल, उदित जैन, जे के टायर से अजय कुमार, गरिमा पंत व स्वास्थ्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

664 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को जल्द मिलेंगे नियुक्ति पत्र

आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के अंतर्गत 664 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सी.एच.ओ.), की नियुक्ति को लेकर रिजल्ट जारी किया जा चुका है व काउंसलिंग प्रक्रिया शीघ्र ही आरंभ होगी, जिसके बाद चयनित सी.एच.ओ. को मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे यह बात प्रभारी सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा व एन.एच.एम. मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा बतायी गई।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सी.एच.ओ. के पदों हेतु एच.एन.बी. मेडिकल यूनिवर्सिटी के माध्यम से रिजल्ट जारी किया जा चुका है व काउंसीलिंग प्रक्रिया भी शीघ्र ही आरंभ होगी। नवनियुक्त सी.एच.ओ. को नियुक्ति पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा दिए जाएंगे।
डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि सी.एच.ओ. की नियुक्ति के बाद सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में गैर-संचारी रोग जैसे टी.बी., तंबाकू निषेध, मेंटल हेल्थ, डायबिटीज, कैंसर, बल्ड प्रेशर (हाइपरटेंशन), आंखों की कमजोरी, नाक, गले आदि से जुड़ी बिमारियों की स्क्रीनिंग में तेजी आएगी, जिससे समय पर रोगों का पता लग सकेगा व इलाज संभव होगा। सी.एच.ओ. द्वारा टारगेट पोपुलेशन जो कि मैदानी क्षेत्रों में 5,000 व पहाड़ी क्षेत्रों में 3,000 है में 30 से अधिक उम्र के लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है।

नई ओटी और इमरजेंसी बिल्डिंग का सीएम ने किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दून चिकित्सालय देहरादून के अंतर्गत ओ.टी. एवं इमरजेंसी के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों का हालचाल भी जाना। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ‘‘आशा संगिनी’’ पोर्टल का भी शुभारंभ किया एवं आशा कार्यकत्रियों की हस्त पुस्तिका का विमोचन भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपदों में कार्यरत आशा कार्यकत्रियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से वार्ता भी की। आशा संगिनी के माध्यम से राज्य की समस्त 12018 आशा कार्यकत्री प्रोत्साहित होंगी। आशा कार्यकत्रियों को नियत समय पर भुगतान दिलवाने तथा उनके द्वारा सम्पादित किए गए कार्यों के मूल्यांकन व अनुश्रवण हेतु “आशा संगिनी“ पोर्टल को सभी जनपदों में संचालित कर दिया गया है। राज्य में कार्यरत सभी आशा कार्यकत्रियों को प्रति माह उनके द्वारा किये गये कार्यों के सापेक्ष निर्धारित देय प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान “आशा संगिनी“ के माध्यम से ऑनलाईन सीधे उनके बैंक खाते में विकासखण्ड स्तर से सत्यापन पश्चात् जनपद स्तर से किया जाएगा। सॉफ्टवेयर में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कार्यरत समस्त आशा कार्यकत्रियों को ऑनलाईन भुगतान की सुविधा उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आशा संगिनी सेवा के माध्यम से हमारी आशा कार्यकत्रियों को स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं सरलता और प्रभावी रूप में प्राप्त होंगी। इसके माध्यम से राज्य की 12 हजार से अधिक आशा बहनों को समय पर भुगतान दिलाने तथा उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रभावी मूल्यांकन सरलता के साथ हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है, आशा कार्यकत्रियां राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ है। हमारी आशा बहनें राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में प्रतिकूल परिस्थितियों में जिस प्रकार से अपनी सेवाएं जरूरतमंदों तक पहुंचा रही है, वह अत्यन्त सराहनीय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है कि उत्तराखण्ड के दूरस्थ पर्वतीय इलाकों तक सभी लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से प्राप्त हो सकें, इसके लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार उत्तराखण्ड को 2025 तक सभी क्षेत्रों में अग्रणी राज्य बनाने के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में भी उत्तराखण्ड को देश का प्रथम राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी का बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष जोर दिया। इसके परिणामस्वरूप ज्ञान, विज्ञान के क्षेत्र में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आशा संगिनी सेवा के माध्यम से हमारी आशा कार्यकत्रियों को स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं सरलता और प्रभावी रूप में प्राप्त होंगी। इसके माध्यम से राज्य की 12 हजार से अधिक आशा बहनों को समय पर भुगतान दिलाने तथा उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रभावी मूल्यांकन सरलता के साथ हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आशा कार्यकत्रियां राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ है। हमारी आशा बहनें राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में प्रतिकूल परिस्थितियों में जिस प्रकार से अपनी सेवाएं जरूरतमंदों तक पहुंचा रही है, वह अत्यन्त सराहनीय है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आशा कार्यकत्रियों की सुविधा के लिए आशा संगिनी पोर्टल का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि 6 हजार आशा कार्यकत्रियों को कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए टैब दिये, शेष 6 हजार आशा कार्यकत्रियों को भी जल्द ही टैब दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हर ब्लॉक पर आशा संवाद के नाम से कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। 2024 तक उत्तराखण्ड को क्षय रोग मुक्त करना है। 2025 तक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 10 महत्वपूर्ण टारगेट रखे गये हैं। दून अस्पताल में अब प्रतिदिन 3 हजार लोग इलाज करा सकते हैं।
इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, दिलीप सिंह रावत, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, प्रधानाचार्य दून मेडिकल कॉलेज डॉ. आशुतोष सयाना, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं आशा कार्यकत्रियां मौजूद रहे।

एमपी के बाद अब उत्तराखंड में भी मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होगी

उत्तराखंड के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में अगले सत्र से एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ ही हिंदी माध्यम में भी होगी। मध्य प्रदेश के बाद ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का दूसरा राज्य होगा। इसके लिए प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पौड़ी जिले के श्रीनगर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। यह समिति मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा महाविद्यालयों में लागू एमबीबीएस के हिंदी पाठ्यक्रम का अध्ययन कर उत्तराखंड के कॉलेजों के लिए नये पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार करेगी।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने बताया कि समिति द्वारा मसौदा तैयार करने के उपरांत सभी औपचारिकताएं पूरी कर अगले सत्र से प्रदेश के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में इसे लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा राष्ट्रभाषा हिंदी को दिए जा रहे विशेष महत्व के मद्देनजर यह निर्णय किया गया है।

मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने की उठ रही थी मांग
रावत ने कहा कि वैसे भी प्रदेश के अधिकतर विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई हिंदी माध्यम से ही कराई जाती है। अक्सर देखने में आया है कि हिंदी माध्यम में अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी माध्यम से होने वाली मेडिकल की पढ़ाई में दिक्कत होती है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्र समय-समय पर चिकित्सा पाठ्यक्रम को हिंदी माध्यम में भी उपलब्ध कराने की मांग सरकार से करते रहे हैं।

चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ का बनेगा पृथक कैडर

चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में आयोजित बैठक में चारधाम यात्रा मार्ग पर तीर्थ यात्रियों की सुविधा को देखते हुये नये अस्पताल खोलने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही इन अस्पतालों के लिये चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ का पृथक से कैडर बनाया जायेगा। मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने प्रभारी सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार को नये अस्पतालों की शीघ्र डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिये हैं।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि चार धाम यात्रा मार्ग पर तीर्थ यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुये यात्रा मार्ग पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त नये अस्पताल खोलने का निर्णय लिया गया है। इन अस्पतालों में चिकित्सकों, टेक्नीशियनों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ के लिये पृथक कैडर बनाया जायेगा, जिनको अन्य अस्पतालों से अधिक वेतनमान दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर डीपीआर बनाकर कैबिनट के लिये प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। रावत ने कहा कि आने वाले समय में चार धाम यात्रियों की संख्या डेढ़ से दो गुना बढ़ने की पूरी संभावना है। इसी के मध्यनजर सूबे के चार धाम यात्रा रूट पर स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहत्तर बनाने का निर्णय लिया गया है। इन अस्पतालों में योगदान देने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों, चिकित्सकों, टेक्नीशियनों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को अपेक्षाकृत अधिक वेतनमान एवं चार धाम यात्रा भत्ता दिया जायेगा। इससे चार धाम यात्रा पर आने वाले सभी यात्रियों को बेहत्तर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगी। बैठक में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चार धाम यात्रा मार्ग पर उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी प्रस्तुतिकरण भी दिखाया गया।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु, प्रभारी सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार, महानिदेशक स्वास्थ्य डा शैलजा भट्ट, निदेशक एनएचएम डॉ सरोज नैथानी, संयुक्त निदेशक डॉ आरपी खंडूडी, सीएमओ रूद्रप्रयाग सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

स्वास्थ्य को लेकर श्रद्धालुओं को जारी किये गये दिशा-निर्देश

चारधाम यात्रा-2022 के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग द्वारा यात्रियों के स्वास्थ्य के लिये हेल्थ एडवाईजरी जारी की गई है।
चारधाम यात्रा में समस्त तीर्थ स्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मी0 से भी अधिक है। उन स्थानों में यात्रीगण अत्यधिक ठण्ड, कम आद्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव और कम ऑक्सीजन की मात्रा से प्रभावित हो सकते हैं। अतः सभी तीर्थ यात्रियों के सुगम एवं सुरक्षित यात्रा हेतु निम्न दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं।
श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें। पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नम्बर एवं चिकित्सक द्वारा लिखी गयी दवाईयां अपने साथ रखें।
अति वृद्ध एवं बीमार व्यक्तियों एवं पूर्व में कोविड से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यात्रा पर न जाना या कुछ समय के लिए स्थगित करना उचित होगा।
तीर्थस्थल पर पहुँचने से पूर्व मार्ग में एक दिन का विश्राम करना उचित होगा।
गर्म एवं ऊनी वस्त्र साथ में अवश्य रखें। हृदय रोग, श्वांस रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाते समय विशेष सावधानी बरतें।
लक्षण जैसे-सिर दर्द होना, चक्कर आना, घबराहट का होना, दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना, हाथ-पांव व होठों का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना, खाँसी होना अथवा अन्य लक्षण होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पहुँचें एवं 104 हैल्पलाईन नम्बर पर सम्पर्क करें।
धूम्रपान व अन्य मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
सनस्क्रीन एसपीएफ 50 का उपयोग अपनी त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए करें । यूवी किरणों से अपनी आंखों के बचाव हेतु सन ग्लासेस का उपयोग करें।
यात्रा के दौरान पानी पीते रहें और भूखे पेट ना रहें। लम्बी पैदल यात्रा के दौरान बीच-बीच में विश्राम करें। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में व्यायाम से बचें। किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी हेतु 104 एवं एम्बुलैंस हेतु 108 हैल्पलाईन नम्बर पर सम्पर्क करेंगे।

सरकार सख्त, 150 से अधिक डॉक्टरों के खिलाफ कुर्की के नोटिस जारी

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में बांड की व्यवस्था लागू की है। इसके एवज में डॉक्टरों को कुछ साल पहाड़ के अस्पतालों में सेवाएं देनी होती हैं। इसके उलट सैकड़ों डॉक्टर सस्ती पढ़ाई का लाभ लेकर पहाड़ पर सेवाएं देने से मुकर गए। बांड की शर्तों का उल्लंघन करने पर राज्य के 150 से अधिक डॉक्टरों के खिलाफ प्रशासन ने कुर्की के नोटिस जारी कर दिए हैं। इससे बांड वाले डॉक्टरों में हड़कंप मच गया है।
इन डॉक्टरों को अस्पतालों में तैनात करने के कई जतन किए गए पर सफलता नहीं मिली। अब इन डॉक्टरों के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की ओर से ऐसे 30 डॉक्टरों की सूची संबंधित जिलों के डीएम को दी गई थी। इस पर जिलाधिकारियों की ओर से उक्त डॉक्टरों को कुर्की के नोटिस जारी कर दिए गए हैं। ऐसे ही हल्द्वानी से मिली सूची के आधार पर भी कई जिलों में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत का कहना है कि सभी सीएमओ से अस्पतालों से गायब बांड वाले डॉक्टरों की सूची मांगी गई है। ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही अन्य डॉक्टर भी जो अस्पताल से गायब होंगे, उन्हें तत्काल हटाया जाएगा। बांड वाले डॉक्टरों से ज्वाइन न करने पर हर हाल में वसूली करने को कहा गया है।

डॉक्टरों के गायब होने से सरकार को हो रहा नुकसान
उत्तराखंड में डॉक्टरों के साथ समय-समय पर संशोधित नियमों के अनुसार बीस लाख से एक करोड़ रुपये तक के बांड साइन किए गए। एमबीबीएस डॉक्टर जहां 20 लाख से पचास लाख रुपये तक बांड के दायरे में हैं वहीं, पीजी वाले बांडधारी डॉक्टरों के साथ एक करोड़ रुपये तक के बांड साइन किए गए हैं। इन डॉक्टरों के गायब रहने से सरकार को नुकसान हो रहा है।

एक डॉक्टर ने जमा कराए 34 लाख रुपये
बांड वाले डॉक्टरों पर कुर्की के शिकंजे के बाद इसका असर दिखना भी शुरू हो गया है। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर, बांड के 34 लाख रुपये जमा करा चुके हैं जबकि कई डॉक्टरों ने ज्वाइन कर लिया है।

आयुष्मान योजना के तहत अस्पतालों का भुगतान एक सप्ताह के अंदर-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को आई.एस.बी.टी देहरादून स्थित एक होटल में आयुष्मान भारत योजना के 3 वर्ष पूर्ण होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित आरोग्य मंथन 3 कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आयुष्मान योजना के तहत अच्छा कार्य कर रहे 12 अस्पतालों को सम्मानित भी किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर घोषणा की कि आयुष्मान कार्ड बनाने का कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा। सरकार द्वारा इस शुल्क का भुगतान किया जायेगा। आयुष्मान योजना के तहत सभी अस्पतालों का भुगतान एक सप्ताह के अंदर किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी आयुष्मान भारत योजना दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज देश हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में देश तेजी से आगे बढ़ा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस महत्वपूर्ण योजना को लाने के लिए मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की जनता की ओर से उनका आभार व्यक्त किया। इस योजना का आम जनमानस सीधा लाभ मिल रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में देश में सराहनीय कार्य हुए हैं। आज भारत में मेगा कोविड वैक्सीनेशन अभियान तो चल ही रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के पद्चिन्हों पर चलकर राज्य में विकास के कार्य आगे बढ़ाये जा रहे हैं। प्रदेश के सभी परिवारों को राज्य में अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना से आच्छादित किया गया है। इस योजना के तहत अभी तक प्रदेश में लगभग 3.5 लाख लोग अपना उपचार करा चुके हैं, जिस पर 460 करोड़ रूपये का खर्च हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले यदि परिवार में कोई बीमार होता था तो कई परिवार बिलों का भुगतान करने में असमर्थ होते थे। इसलिए मरीज इलाज करवाने में असहज महसूस करते थे। अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना में जहां कमी है उन कमियों को दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के तहत जो कमियां सामने आ रही हैं, उनका निराकरण किया जा रहा है।
चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में निजी अस्पताल खोलने पर सरकार मानकों में शिथिलता प्रदान करने के साथ ही आर्थिक सहयोग भी करेगी। जबकि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए सभी सूचीबद्ध अस्पतालों में योजना संबंधी जानकारी के बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाने होंगे। ताकि योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिल सके। आयुष्मान कार्ड से वंचित लोगों के लिए विभाग द्वारा ब्लॉक स्तर पर शिविरों का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ सभी प्रदेशवासियों को देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही ब्लॉक स्तर पर आयुष्मान कार्ड बनाने के शिविर आयोजित किये जायेंगे।
इस अवसर पर आयुष्मान भारत योजना एवं अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड से लाभान्वित लोगों ने इस योजना से उनको कैसे जीवनदान मिला, के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने इसके लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार का आभार भी व्यक्त किया।
इस अवसर पर विधायक विनोद चमोली, मेयर सुनील उनियाल गामा, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डी.के. कोटिया, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ अरूणेन्द्र चौहान एवं आयुष्मान योजना से लाभान्वित हुए लोग मौजूद थे।

सरकार की योजना हर किसी को मिले बेहतर स्वास्थ्य सुविधा-डॉ. धन सिंह

स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार के लोक कल्याणकारी संकल्प कार्य की विकास यात्रा के इस शृंखला में मुख्य वक्ता के रूप में कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य मंत्री डा. धनसिंह रावत ने कहा कि सरकार बुजुर्गों के द्वारा सरकार ने सभी सीनियर सिटीजन के कुशलक्षेम उनके घर पर डा. पहुंचकर लेंगे।

5 सरकारी मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, रूद्रपुर व श्रीनगर में कार्य आरम्भ व प्रोसेस में है। जहां असिस्टेंट प्रोफेसर के 40 प्रतिशत नियुक्तियां की जा चुकी है। आज सभी विश्वविद्यालयों में 100 प्रतिशत फेकल्टी के साथ विभिन्न विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड की प्रतिभाओं को संवारने का कार्य कर रहे हैं। हर जिला, ब्लॉक तहसील अस्पताल में पर्याप्त डाक्टर नर्स व अन्य स्टाफ कार्यरत है। जिला चिकित्सालयों के डाक्टरों को सख्त हिदायत दी गयी है कि समस्त जांच व दवाईयां अस्पताल में ही उपलब्ध करायी जा रही है कोई भी बाहर से दवाई नहीं लिखी जायेगी। सभी वर्गों को अटल आयुष्मान योजना अन्तर्गत लाभ के रूप में 5 लाख तक का निःशुल्क इलाज की सुविधा के साथ 156 किस्म की जांचें जिला अस्पताल में निःशुल्क करायी जायेगी।

गर्भवती महिलाओं को प्रसूति के समय आने जाने की व्यवस्था सरकार द्वारा वहन की जा रही है। कन्या का जन्म होने पर उसे महालक्ष्मी योजना को लाभ दिया जा रहा है। लिंगानुपात में उत्तराखण्ड पिछड़े नहीं इसके लिए सख्त कदम सरकार उठा रही है। बड़े कदम के रूप में आशा कार्यकर्तियों को लगभग 5000 प्रतिमाह की सहयोग राशि पर सरकार विचार कर रही है। साथ ही 2000 रूपये प्रतिमाह 5 माह तक सहयोग राशि आशा बहनों को दी जा रही है। साथ ही समिति फोन और टेब सभी को दिये जा रहे हैं। जिनसे वे घर घर जाकर टेलीमेडिसिन के माध्यम से उपचार कर पायेंगी, जिससे मरीज को चिकित्सालय जाने से छुटकारा मिलेगा।

कोरोना काल में डाक्टर व सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने जो सेवा सहयोग से संक्रमितों की प्राण रक्षा की उसके लिए डाक्टर्स व स्टाफ की भूरि-भूरि प्रशंसा की गयी व साथ ही आने वाली सम्भावित तीसरी लहर के प्रति सरकार की तैयारियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा की सभी चिकित्सालयों में ऑक्सीजन प्लाट, वैंटीलेटरक, सभी औजार बच्चों के वार्ड के साथ ही उनके तिमारदारों की भी सरकार ने पूर्ण व्यवस्था कर रखी है। साथ ही 38 से 40 लाख बच्चों के लिए दवाई के पैकेट की 100 प्रतिशत व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जा चुकी है। वैक्सीन के क्षेत्र में सरकार कीर्तिमान स्थापित करने जा रही है जहां 30 दिसम्बर तक 100 प्रतिशत उत्तराखण्ड की जनता 18$ को टीका लगाने की बात सरकार द्वारा कही गयी थी, जिस तेजी से टीकाकरण किया जा रहा है, लगता है यह लक्ष्य नवम्बर तक प्राप्त कर लिया जायेगा। 2 जिलों में पूर्ण वैक्सीन किया जा चुका है।

प्रत्येक 14 जिलों में आरटीपीसीआर टैस्टिंग लैब स्थापित की जा रही है। वैक्सीन की कोई कमी राज्य में नहीं है। 77 लाख 18 प्लस में से 71 लाख व्यक्तियों को वैक्सीन दी जा चुकी है पर्वतीय अंचलों में डॉक्टर्स व स्टाफ के लिए रहने को भवन, शिक्षा की व्यवस्था व हिल अलाउंस की भी सरकार ने व्यवस्था की है। ताकि वे सहज स्थिति में कार्य कर स्वास्थ्य सेवाएं दे सके। प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय ने कहा कि डॉक्टर्स व स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका इस विपरित परिस्थितियों वाले कोरोनाकाल में महत्वपूर्ण हो गयी है। सरकार अपना कार्य कर रही है और बेहतर कार्य कर रही है। सरकार प्राईवेट पाटर्नर व भाजपा कार्यकर्ता जन सेवा के कार्य में जुटे हुए संक्रमितों को कोरोना राक्षस से इस जंग से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस हाई रिस्क वाले कोरोनाकाल में हमारे कार्यकर्ता अपनी जान की परवाह भी नहीं करते हुए संक्रमितों की सेवा में जुटा रहा उसके लिए अस्पतालों की व्यवस्था ऑक्सीजन, ब्लड, दवाईयां, औजारें, राशनकिट की व्यवस्था कार्यकर्ताओं द्वारा सुनिश्चित की गई और जनता के प्रति अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया।

संगठन मंत्री अजेय ने कोरोनाकाल में डाक्टर्स के अदम्य साहस, जोखिम उठाकर भी सेव भाव में जुटे रहना यह एक जज्बा जो उनमें रहा उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने हेल्थ वर्कर के रूप में 24000 कार्यकर्ताओं का भी आह्वान किया कि सम्भावित तीसरी लहर को मात देने के लिए हर संभव कदम उठाकर जनसेवा के लिए तैयार रहे, और जन संवेदना का परिचय दें। उन्होंने कहा अटल आयुष्मान बन रही जन सुरक्षा का आधार अभी तक 3 लाख लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक ज्योति प्रसाद गैराला ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से अभिमन्यु कुमार, डा. अरविन्द शर्मा अध्यक्ष आईएमए, अजय खन्ना, डीडी चौधरी सहित बड़ी संख्या में डॉक्टर्स उपस्थित रहे।

आखिर किसे कहा, स्वास्थ्य मंत्री ने-नही सुधरे तो एक माह में अनुबंध खत्म

राज्यभर में पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पतालों की समीक्षा बैठक में विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि यदि संबंधित अस्पतालों ने एक माह के भीतर जन अपेक्षाओं के अनुरूप अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो सरकार ऐसे अस्पतालों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए अनुबंध समाप्त करने की कार्यवाही सुनिश्चित करेगी। बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज सहित आधा दर्जन विधायकों ने प्रतिभाग करते हुए अपने विधानसभा क्षेत्रों में संचालित पीपीपी मोड़ अस्पतालों में क्षेत्रीय जनता को आ रही समस्याएं गिनाई। जिस पर विभागीय मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ऐसे अस्पतालों की लगातार निगरानी करने तथा शासन को मासिक रिपोर्ट भेजने को कहा।

सूबे के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विधानसभा स्थित सभागार में प्रदेश भर में पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पतालों के संचालकों एवं विभागीय अधिकारियों की बैठक ली। जिसमें कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज सहित संबंधित क्षेत्रों के आधा दर्जन विधायकों ने प्रतिभाग किया। बैठक में विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र में संचालित पीपीपी मोड़ अस्पतालों की समस्याएं रखी। विधायकों ने पीपीपी मोड़ में चल रहे अस्पतालों के गैरजिम्मेदाराना रवैये, डाक्टरों की कमी जैसे अन्य कई गंभीर मुद्दे बैठक में रखे। जिस पर विभागीय मंत्री डा. रावत ने पीपीपी मोड़ अस्पताल संचालकों को कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि यदि संबंधित अस्पतालों ने एक माह के भीतर अपनी कार्यप्रणाली में जन अपेक्षाओं के अनुरूप सुधार नहीं लाया तो सरकार ऐसे अस्पतालों के विरूद्ध अनुबंध समाप्त करने की कार्यवाही से गुरेज नहीं करेगी। डा. रावत ने बताया कि सरकार का मकसद पीपीपी मोड़ के माध्यम से स्थानीय स्तर पर जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। अस्पताल संचालकों की जिम्मेदारी है कि वह अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित कर लोगों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को दूर करें। विधायकों एवं स्थानीय जनता के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए उन्होंने अस्पताल संचालकों को संपर्क अधिकारी नियुक्ति करने के निर्देश दिये। डा. रावत ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा वह पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पतालों की लगातार निगरानी कर प्रत्येक माह रिपोर्ट शासन को भेजें। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान क्षेत्रवासियों ने पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पताल बीरोंखाल में अव्यवस्था की शिकायतें की तथा स्वयं उन्होंने पाया कि अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर व टेक्निशियन गायब मिले। यही नहीं क्षेत्रवासियों ने बताया कि काफी दिनों तक अस्पताल की ओपीडी भी बंद रही जिस कारण क्षेत्रवासियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, विधायक टिहरी धन सिंह नेगी, विधायक सल्ट महेश जीना, विधायक रामनगर दिवान सिंह बिष्ट, घनसाली विधायक शक्ति लाल शाह, पूर्व विधायक एवं नगर पालिका अध्यक्ष पौड़ी यशपाल बेनाम, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक एनएचएम सोनिका, स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा, सीएमओ टिहरी संजय जैन, डा. ए.एस. चैहान, डा. रमेश कुमार, डा. शैलेन्द्र सिंह, डा. रमेश सिंह राणा, डा. आशीष गुसांई, डा. एमबी पंत, डा. पीयूष, डा. संतोष कुंवर, डा. गौरव रतूड़ी, डा. प्रतिभा कोहली, दीपक गोयल, अभिषेक दुबे, अम्बेश बाजपेय सहित विभागीय अधिकारी एवं पीपीपी मोड़ अस्पतालों के प्रतिनिधि उपस्थिति रहे।

विभाग की बेहत्तरी के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने पूर्व महानिदेशकों से लिये सुझाव

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहत्तर बनाने एवं आम जनमानस तक विभाग की पहुंच बनाने के उद्देश्य से सूबे के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा में सूबे के पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशकों की बैठक बुलाई। डा. रावत ने कहा कि सूबे की स्वास्थ्य सुविधाओं को और सुदृढ़ बनाने के लिए इस क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों से सुझाव एवं सलाह ली जायेगी। जिसके लिए उन्होंने 150 दिनों का लक्ष्य विभागीय अधिकारियों को दिया है। इस क्रम आज उत्तराखंड के प्रथम महानिदेशक स्वास्थ्य डा. आई.एस.पाल सहित आधा दर्जन पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशकों ने बैठक में प्रतिभाग कर अपने सुझाव रखे।

बैठक में अपने अनुभवों को साझा करते हुए डा. पाल ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य केन्द्रों के बेहत्तर संचालन के लिए मेडिकल उपकरणों के रख-रखाव के साथ ही पैरामेडिकल स्टॉफ एवं टेक्निशियन्स को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि अस्पताल में आने वाले मरीजों का बेहत्तर उपचार किया जा सकेगा। डा. आर.पी. भट्ट ने कहा कि प्रदेशभर के अस्पतालों में फिजिशियन एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की तैनाती अति आवश्यक है। डा. डी.एस. रावत ने ब्लॉक एवं जिला अस्पतालों में आपसी समन्वय को जरूरी बताया। उन्होंने बच्चों में होने वाले गम्भीर रोगों की पहचान हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण दिये जाने पर बल दिया। डा. अमिता उप्रेति ने कहा कि आशा वर्कर्स को विशेष प्रशिक्षण देकर गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान में लगाया जा सकता है। डा. आशा माथुर ने कहा कि गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ ही चिकित्सालयों में प्रसव की सुविधाए बढ़ाई जानी चाहिए। इस मौके पर डा. आर.सी.एस. सयाना एवं डा. आर.सी. आर्य ने भी अपने सुझाव रखे।