स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को दिये अस्पतालों में एकसमान पंजीकरण व जांच दरों के प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश

उत्तराखंड के सभी राजकीय अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में पंजीकरण से लेकर विभिन्न स्वास्थ्य जांचों की दरें एकसमान होंगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिये गये हैं। जनपद उत्तरकाशी, चमोली व बागेश्वर में कैथ लैब की स्थापना की जायेगी।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में विभागीय बैठक ली। जिसमें उन्होंने प्रदेश के सभी राजकीय अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में पंजीकरण, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, सीटी-स्कैन एवं अन्य पैथौलॉजी जांच की दरों को एकसमान रखने के लिये प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में पंजीकरण एवं जांच की दरें अलग-अलग ली जा रही है, जोकि किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस विसंगति को शीघ्र दूर किया जायेगा। बैठक में प्रदेश के सीमावर्ती एवं मेडिकल कॉलेज रहित जनपदों में संयुक्त चिकित्सालयों को उच्चीकरण कर एक दर्जन उप जिला चिकित्सालय बनाये जाने पर भी चर्चा की गई। विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये किये कि बागेश्वर, चमोली व उत्तरकाशी में कैथ लैब स्थापित करने का प्रस्ताव शीघ्र उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने प्रत्येक जनपद में स्थानीय विधायक की अध्यक्षता में रोगी कल्याण समिति का गठन करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये, ताकि जनपद स्तर के चिकित्सालयों का संचालन बेहतर तरीके से किया जा सके तथा यहां आने वाले मरीजों का निःशुल्क व बेहतर उपचार किया जा सके।

बैठक में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों को आवंटित बजट की भी समीक्षा की गई, जिस पर विभागीय मंत्री ने आवंटित बजट को शीघ्र खर्च करते हुये प्रत्येक माह समीक्षा करने के निर्देश उच्चाधिकारियों को दिये। डा. रावत ने कहा कि चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा में पात्र चिकित्सकों एवं अन्य कार्मिकों के स्थानांतरण नियत समय के भीतर कर लिये जायेंगे। उन्होंने विभाग में वर्षों से रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिये। बैठक में चार धाम यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी विभागीय मंत्री ने विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने चार धाम यात्रा मार्गों पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिये अतिरिक्त बजट भी उपलब्ध कराया है लिहाजा विभागीय व्यवस्थाओं में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए।

बैठक में अपर सचिव स्वास्थ्य अरूणेन्द्र सिंह चौहान, अमनदीप कौर, अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा गरिमा रौंकली, महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. आशुतोष सयाना, निदेशक स्वास्थ्य डा. भगीरथी राणा, डा. सुनीता टम्टा, अनु सचिव जविंदर कौर, राजिस्ट्रार मेडिकल यूनिवर्सिटी डा. एम.के. पंत सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थिति रहे।

मानसरोवर यात्रा के लिए कुमाऊं में 25 हेल्थ एटीएम हेतु स्वास्थ्य विभाग तथा एचपीई में हुआ एमओयू

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों को सुलभ और अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार व स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से कार्य कर रहे हैं। यात्रा मार्गाे व दूरदराज क्षेत्रों में लगाए जा रहे हेल्थ एटीएम यात्रियों तथा स्थानीय जनता के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं। हेल्थ एटीएम तकनीक लोगों को सुलभ और सस्ती प्राथमिक और निवारक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्सा पेशे में सबसे महत्वपूर्ण विकासों में से एक है। यह शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के बीच की खाई को पाटने जा रहा है और दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में चारधाम यात्रा मार्गाे पर एचपीई कम्पनी के सीएसआर के तहत प्रदान किये जाने वाले 50 हेल्थ एटीएम का लोकार्पण किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग तथा (हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइज) एचपीई के मध्य मानसरोवर यात्रा हेतु कुमांऊ क्षेत्र में 25 हेल्थ एटीएम स्थापित करने के लिए एमओयू किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हाल ही में राज्य के विभिन्न स्थानों में स्थापित किए गए हेल्थ एटीएम के माध्यम से अभी तक 1700 से अधिक लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवा चुके हैं। लोगों को हेल्थ एटीएम का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि स्थापित किए गए हेल्थ एटीएम का सुचारू संचालन व देखभाल भी आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा मार्गों पर सुलभ चिकित्सा सुविधाएं होना भी आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा चारधाम यात्रियों हेतु हेल्थ गाइडलाइन्स जारी की गई है, जिनका पालन आवश्यक है। इसके साथ ही तीर्थयात्री मौसम की जानकारी भी रखे तथा उसके अनुसार ही अपनी यात्रा को आगे बढ़ाये।
हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइज ने चार धाम तीर्थ स्थलों पर आसान और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से 50 क्लाउड सक्षम हेल्थ कियोस्क (हैल्थ एटीएम) स्थापित किए हैं। यह हैल्थ एटीएम उत्तराखंड राज्य में तीर्थयात्रियों को उनकी चार धाम यात्रा के दौरान टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान करने के लिए वन-स्टॉप डिजिटल टच प्वाइंट एकीकृत मशीनें होंगी। यह क्लाउड सक्षम हेल्थ कियोस्क विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए हैं जहां तीर्थयात्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार हिमालयी तीर्थ स्थलों की तीर्थ यात्रा के दौरान आमतौर पर विश्राम लेते हैं। इन स्वास्थ्य कियोस्क का मुख्य उद्देश्य दूर-दराज के क्षेत्रों में तीर्थयात्रियों तथा जनता की यात्रा के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा तक उनकी पहुंच को आसान बनाना है। हेल्थ क्योस्क एक टच स्क्रीन हार्डवेयर है जिसे स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के प्रबंधन के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह लोगो को किसी भी इंटरनेट से जुड़े वेब ब्राउज़र के माध्यम से 24ग्7 अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य जानकारी तक पहुँचने की अनुमति देता है।
यह मशीन पंद्रह मिनट के भीतर रोगी की ऊंचाई, वजन, शरीर का तापमान, रक्त ग्लूकोज, रक्तचाप, इनवेसिव और गैर-आक्रामक रक्त परीक्षण, हृदय जांच और ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर सहित 70 से अधिक मेडिकल टेस्ट की तुरंत रिपोर्ट दे सकता है। यह अपनी टेलीमेडिसिन परामर्श सुविधा के माध्यम से रोगियों को स्पेशलिस्ट और प्रमाणिक डॉक्टरों और अस्पतालों से सर्वाेत्तम उपचार के लिए परामर्श देने में भी मदद कर सकता है। इन मशीनों का तीन घंटे तक का पावर बैकअप है। 50 स्वास्थ्य कियोस्क को आधार के रूप में हरिद्वार से “चार धाम मार्ग“ पर तैनात किया गया है और फिर यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ मार्ग पर शाखाओं में बांटा गया है।
इस अवसर पर सचिव स्वास्थ्य डा0 आर राजेश कुमार, अपर सचिव अमनदीप कौर, महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग डा0 विनीता शाह, एमडी एचपीई सोम सत्संगी, एचपीई सीएसआर सुशील भाटला तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

धामी सरकार के निर्देश पर शासन ने जारी किया वेतनवृद्धि का आदेश

वेतनवृद्धि की लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के 368 संविदा कार्मिकों की वर्षों पुरानी मुराद पूरी हो गई है। कॉलेज की स्थापना से लेकर अब तक अल्प वेतन में काम कर रहे कार्मियों ने इसका श्रेय धामी सरकार को दिया। कार्मिकों का कहना है कि वेतनवृद्धि को लेकर उनकी मांग को मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने तवज्जो दी और वर्षों पुरानी समान कार्य-समान वेतन की मांग को अमलीजामा पहनाया।
राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल में स्थापना के समय से ही विभिन्न श्रेणी के शिक्षणेत्तर पदों पर तात्कालिक आवश्यकता के अनुसार संविदा, दैनिक एवं नियत वेतनमान के आधार पर तैनात कार्मिक अल्प मानदेय पर कार्य करते आ रहे थे। जबकि उन्हीं के समकक्ष उपनल के माध्यम से तैनात कार्मिक उनसे दुगने मानदेय पर कार्य कर रहे थे। जिसको लेकर मेडिकल कॉलेज के अल्प मानदेय प्राप्त कार्मिकों में शासन व कॉलेज प्रशासन के विरूद्ध काफी असंतोष व्याप्त था। इसका खामियाजा स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत को भी अपने विधानसभा चुनाव के दौरान कार्मिकों के विरोध के रूप में भुगतना पड़ा। मामला संज्ञान में आने पर मुख्यमंत्री ने विभागीय मंत्री को कॉलेज प्रशासन द्वारा मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव शासन को भेजने को कहा। शासन द्वारा प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा गया तथा राज्य कैबिनेट के द्वारा कार्मिकों की वर्षों पुरानी उपनल कार्मिकों के समान मानदेय दिये जाने की मांग पर मुहर लगा दी गई। आखिरकार कैबिनेट की स्वीकृति के उपरांत चिकित्सा शिक्षा विभाग ने वर्षों से प्रशासनिक अधिकारी, नर्सिंग अधिकारी, लैब टेक्नीशियन सहित 38 विभिन्न श्रेणी के पदों पर संविदा, दैनिक व नियत वेतनमान पर तैनात कार्मिकों का वेतनमान उपनल कार्मिकों के समान बढ़ाने का शासनादेश जारी कर दिया। शासनादेश जारी होते ही मेडिकल कॉलेज के अल्प वेतनभोगी कार्मिकों ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का आभार व्यक्त करते हुये आपस में मिठाईयां बांटकर खुशी जाहिर की।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस पर बनारस में आयोजित सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के अंतरराज्यीय सम्मलेन में आज सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने प्रतिभाग किया। सिगरा स्थित रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में डॉ रावत ने उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों के बावजूद उत्तराखंड में तेजी से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी चिकित्सा इकाईयों में आम लोगों को निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई वहीं लगभग 260 पैथोलॉजी जांचे मुफ्त में की जा रही है। डॉ रावत ने बताया कि उत्तराखंड में आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के अंतर्गत 49 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाये जा चुके हैं। प्रदेश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी उन्मूलन को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में 13752 सक्रिय टीबी मरीज है जिसमें से 11664 मरीजों द्वारा निरूक्षय से सहायता प्राप्त की दी गई, जिसके सापेक्ष 7675 निक्षय मित्र बनाये जा चुके हैं। निक्षय मित्र बनाने में उत्तराखंड देशभर में दूसरे स्थान पर है। सम्मेलन में डॉ रावत ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 तक सूबे में कुल 1422 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का उच्चीकरण किया गया और दिसम्बर 2022 तक 1800 वेलनेस सेंटरों को स्थापित किया जायेगा। विभगीय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 7 सितम्बर 2022 से 7 अक्टूबर 2022 तक जन आरोग्य अभियान संचालित किया गया जिसमें सीएचओ के माध्यम से 10-10 गांव में स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस अभियान के तहत 3 लाख 21हजार 236 लोगों का मेडिकल चेकअप किया गया। जिसमें 2 लाख 67 हजार 263 लोगों का रक्तचाप स्क्रीनिंग की गई, 2 लाख 58 हजार 231 लोगों की मधुमेह जांच की गई, 2 लाख 46 हजार 592 लागों के ओरल कैंसर की जांच, 1 लाख 39 हजार 116 महिलाओं के स्तन कैंसर की जांच, 2 लाख 8 हजार 944 लोगों का नेत्र परीक्षण, 1 लाख 94 हजार 385 लोगों का टीबी रोग परीक्षण किया गया जबकि 2 लाख 5 हजार 980 लोगों को तम्बाकू निषेध के प्रति जागरूक किया गया। डॉ0 रावत ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार बेहतर करने जुटी है।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जमकर सराहना की, साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डॉ रावत के कार्यों की प्रशंसा भी की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का अर्थ है देश में रहने वाले सभी लोगों और समुदायों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाना। इसका उद्देश्य यह भी है कि जाति, धर्म, लिंग, आय स्तर और सामाजिक स्थिति में भेदभाव किए बगैर सभी को वहनीय, उत्तरदायी, गुणवत्तापूर्ण और यथोचित स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना सुनिश्चित करना है। इस दो दिवसीय सम्मेलन में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के 900 से अधिक सीएचओ ने भी प्रतिभाग किया।

मेडिकल कालेज में कार्मिकों को शीघ्र वितरित होगी प्रोत्साहन राशि-स्वास्थ्य मंत्री

राजकीय मेडिकल कालेजों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीजों के उपचार का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है, जिसके लिये कालेज के प्राचार्यों को शीघ्र रोड़ मैप तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इसके साथ ही योजना के अंतर्गत कार्मिकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को शीघ्र वितरित करने को कहा गया। सरकारी अस्पतालों एवं मेडिकल कालेजों में मरीजों को पूरा इलाज दिया जाय, यदि अस्पताल में इलाज संभव नहीं तभी रैफर किया जाय।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने आज दून मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयुष्मान योजना की समीक्षा बैठक ली, जिसमें राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य उपस्थित रहे। रावत ने बताया कि सूबे में आयुष्मान योजना का अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण से संबद्ध सरकारी निजी अस्पतालों एवं मेडिकल कालेजों में आयुष्मान मित्र की तैनाती की गई है, जोकि मरीजों के दस्तावेज तैयार करने, आयुष्मान कार्ड बनाने, बिल बाउचर बनाने एवं बिल भुगतान की प्रक्रिया पूरी करने तक सभी काम करेगा जिसके एवज में प्राधिकरण इन्हें प्रति मरीज के हिसाब से भुगतान करेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक 10 आयुष्मान मरीजों पर एक आयुष्मान मित्र को तैनात किया गया है। रावत ने बताया कि सूबे के मेडिकल कालेजों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीजों के इलाज के लिये लक्ष्य निर्धारण कर लिया गया है, जिसमे दून मेडिकल कालेज को प्रत्येक वर्ष 25 हजार, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को 20 हजार, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को 10 हजार एवं अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को 5 हजार मरीजों का उपचार किया जाएगा। इसके लिये सभी प्राचार्यों को रोड़ मैप तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। आयुष्मान योजना के अंतर्गत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि कार्मिकों को वितरित न किये जाने पर नाराजगी जताते हुये रावत ने सभी प्राचार्यों को तत्काल प्रोत्साहन राशि वितरित करने को कहा, साथ ही उन्होंने इसे प्रत्येक तीन माह में बांटने के निर्देश भी दिये। विभागीय मंत्री ने रेफरल व्यवस्था को न्यून कर मरीजों को सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कालेजों में ही पूरा उपचार देने के निर्देश अधिकारियों को दिये उन्होंने कहा कि मरीजों को दूसरे अस्पतालों में तभी रैफर किया जाय जब अस्पताल में इलाज संभव न हो।
बैठक में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के चेयरमैन डी. के. कोटिया, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं सीईओ राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण अरुणेंद्र सिंह चौहान, निदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह, डॉ मीतू शाह, अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्राचार्य दून मेडिकल कालेज डॉ आशुतोष सयाना, सभी मेडिकल कालेजों के प्राचार्य एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधिकारी उपस्थित रहे।

नाबालिग जच्चा बच्चा की मौत मामले में जांच बैठाई

रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय में एक नाबालिग ने बच्चे को जन्म दिया और कुछ ही समय में जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि नाबालिग को पेट दर्द की शिकायत पर उसकी मां जिला अस्पताल लाई थी। जहां दोनों की मौत हो गई। हैरानी बात है कि न तो नाबालिग की मां ने अस्पताल को पूरा मामला बताया और न ही चिकित्सालय प्रशासन नाबालिग के गर्भवती होने की जानकारी ले सका।
जानकारी के अनुसार मुख्यालय के नजदीकी क्षेत्र की एक नाबालिग को पेट में दर्द होने पर उसकी मां उसे जिला चिकित्सालय लाई। यहां डॉक्टरों को दिखाने पर हीमोग्लोबिन की कमी पाई गई। डॉक्टर ने जांच के लिए लिखा। जब हीमोग्लोबिन काफी कम पाया गया तो डॉक्टर ने अन्यत्र रेफर करने की सलाह दी। बताया जा रहा है कि मां ने अस्पताल में ही इलाज करने को कहा, किंतु रात में जब नाबालिग को प्रसव का दर्द हुआ तो वह जिला अस्पताल के शौचालय में गई और यहां बच्चे को जन्म देकर वापस वार्ड में आ गई।
इस बीच उन्हें काफी खून बहने लगा। नाबालिग की स्थिति सुबह आने तक बिगड़ती गई और उसने दम तोड़ दिया। वहीं जब सुबह सफाईकर्मी शौचालय में गए तो उन्हें यहां मृत नवजात मिला। इसके बाद अस्पताल में सनसनी फैल गई। बताया जा रहा है कि यदि नाबालिग की मां पूरी सच्चाई डॉक्टरों को बता देती तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
इधर, मामले में अस्पताल प्रशासन ने जांच बैठा दी है। जिला चिकित्सालय में तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.राजीव सिंह पाल ने बताया कि शुक्रवार दोपहर के समय एक नाबालिग लकड़ी को लेकर उसकी मां जिला चिकित्सालय पहुंची थी। जांच करने पर पता चला कि उसमें हिमोग्लोबिन की कमी है। चिकित्सक उसे आगे के लिए रेफर कर रहे थे, किंतु नाबालिग की मां ने मना कर दिया और लिखित रूप में यह कहकर दिया कि उसका उपचार यहीं किया जाए।
रात के समय नाबालिग ने बच्चे को जन्म दिया और प्रसव के बाद उपचार न मिलने के कारण नाबालिग की भी मौत हो गई। पूरी घटना में नाबालिग के परिजनों की गलती सामने आ रही है। पूरे मामले की पुलिस और अस्पताल प्रबंधन जांच कर रहा है। कोतवाली निरीक्षक जयपाल नेगी ने बताया कि अस्पताल की सूचना पर शव का पंचनामा भरते हुए पोस्टमार्टम करा दिया गया है।

त्रिवेंद्र सरकार का बड़ा फैसला, उत्तराखंड में 108 सेवा को 132 नई एंबुलेंस से मिलेगी संजीवनी

राज्य में संचालित 108 इमरजेंसी सेवा की अहमियत को त्रिवेंद्र सरकार बखूबी समझ रही है। यही वजह रही कि 108 सेवा के बेड़े को विस्तार देने में राज्य सरकार ने देर नहीं लगाई। 108 सेवा के बेड़े में 132 नई एंबुलेंस शामिल करने पर राज्य कैबिनेट की मुहर इसी ओर इशारा कर रही है।
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में दशक भर पहले 108 इमरजेंसी सेवा का सफर शुरू हुआ था। अपनी शुरूआत से ही इस सेवा ने आम उत्तराखंडी के दिलों-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी है। खासतौर से पर्वतीय जिलों के लिए यह सेवा किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई। बीते वर्षों में 108 इमरजेंसी सेवा की एंबुलेंसों में हजारों नौनिहालों की किलकारियां गूंजी तो हजारों-लाखों घायलों को अस्पतालों तक उपचार के लिए पहुंचाया गया। यहां तक की पहाड़ के दूरस्थ गांवों में अगर कोई गंभीर बीमार हो जाता तो उसे बस यही इंतजार रहता कि किसी तरह रोड हेड तक 108 पहुंच जाए। इसके बाद मरीजों को आसानी से नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जाता रहा।
अब यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से जूझते राज्य को इस सेवा ने हमेशा सहारा देने का काम किया है। यही कारण भी है कि त्रिवेंद्र सरकार शुरू दिन से इस सेवा के सुदढ़िकरण के लिए तत्पर रही है। राज्य सरकार ने अब 108 सेवा को और मजबूती प्रदान करते हुए इसके बेड़े में 132 नए वाहनों को जोड़ने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जानकारों का कहना है कि निश्चित तौर से सरकार का यह निर्णय सराहनीय है। दरअसल, यह एक ऐसी इमरजेंसी सेवा है जिसके लिए कई बार जिलों में एबुलेंस कम पड़ जाती हैं। ऐसे में इसके बेड़े में वाहनों का इजाफा कर सरकार ने इसे मजबूती प्रदान करने का कार्य किया है। अधिक से अधिक वाहन होने का लाभ यह मिलेगा कि जिन इलाकों में अभी तक इस सेवा के वाहनों को लंबी दूरी तय करके पहुंचना पड़ता था, अब नए वाहन मिलने से इमरजेंसी प्वाइंट तक पहुंचने में आसानी होगी।

मास्टर ट्रेनरों ने वैक्सिनेशन सेंसिटाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम की दी जानकारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में कोविड19 वैक्सिनेशन सेंसिटाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मास्टर ट्रेनर द्वारा एम्स के चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसरों व अन्य स्टाफ को कोविड19 टीकाकरण के बाबत प्रशिक्षण दिया गया, साथ ही इस दौरान वैक्सिनेशन सेंटर में रखी जाने वाली जरुरी सावधानियों को लेकर जानकारी दी गई।
इस अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से जनसामान्य की सुरक्षा के मद्देनजर कोविड टीकाकरण भारत सरकार की उच्च प्राथमिकता में है। जिसके लिए एम्स ऋषिकेश की ओर से कोविड वैक्सिनेशन सेंटर की स्थापना के साथ ही अन्य जरुरी तैयारियां की जा रही हैं। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि कोविड टीकाकरण की तमाम तैयारियों के साथ साथ संस्थान इस बाबत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा रखे गए सुझावों का भी ध्यान रखेगा,जिससे टीकाकरण के कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा सके।


संस्थान में सोमवार को आयोजित कोविड19 वैक्सिनेशन सेंसिटाइजेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम का डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोविड वैक्सीन के लांच होने से आम आदमी के जेहन में इसको लेकर बना भय समाप्त होगा और लोग टीकाकरण के बाद कोरोना संक्रमण के साथ साथ कई तरह की वंदिशों से निजात पा सकेंगे। मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. लतिका मोहन ने कहा कि वृहद स्तर पर आयोजित होने वाले कोविड वैक्सिनेशन कार्य के लिए विशेष तैयारियों के साथ साथ कुशल प्रशिक्षण की जरुरत है, जिससे टीकाकरण कार्य को सही तरीके से अंजाम तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने बताया कि कोविड19 वैक्सिनेशन कार्य के लिए एम्स ऋषिकेश राज्य सरकार को हरसंभव सहयोग देने को तत्पर है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ देहरादून के सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर डा. विकास शर्मा ने बतौर मास्टर ट्रेनर एम्स के चिकित्सकों, फैकल्टी सदस्यों, नर्सिंग ऑफिसरों व अन्य स्टाफ को कोविड टीकाकरण का प्रशिक्षण दिया। इस दौरान उन्होंने कोविड वैक्सिनेशन सेंटर के प्रारूप के बाबत जानकारी दी, साथ ही वैक्सिनेशन के तहत पंजीकरण, टीकाकरण आदि प्रक्रिया के बाबत विस्तारपूर्वक बताया। इस दौरान एम्स की वैक्सिनेशन टीम के सदस्यों ने उनसे कई सवाल भी पूछे। संस्थान की ओर से संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. मनोज गुप्ता व चिकित्सा अधीक्षक प्रो. लतिका मोहन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रशिक्षक डा. विकास शर्मा को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। प्रशिक्षण में कम्यूनिटी मेडिसिन, सिक्योरिटी व क्रिटिकल केयर विभाग के सदस्य शामिल हुए।
इस अवसर पर कोविड वैक्सिनेशन कमेटी की चेयरपर्सन प्रो. वर्तिका सक्सैना, एनाटॉमी विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रिजेंद्र सिंह, डा. बलरामजी ओमर, कोविड टीकाकरण प्रशिक्षण के नोडल ऑफिसर डा. अजीत सिंह भदौरिया, कमेटी के सदस्य सचिव डा. योगेश बहुरुपी, डा. अंकित अग्रवाल, डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. संतोष कुमार, डा. महेंद्र सिंह, डा. मीनाक्षी खापरे, डा. स्मिता सिन्हा आदि मौजूद थे।

जनता कर्फ्यू में सहयोग जरूरी, महापौर ने नगरवासियों को दिया संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुरुवार रात राष्ट्र के नाम संबोधन में सुझाए गए कोरोना से बचाव के उपाय के बाद ‘जनता-क‌र्फ्यू’ को सफल बनाने के तहत नगर निगम महापौर अनिता ममगाई ने भी शहरवासियों से अपील की है। नगर निगम महापौर ने कहा कि कोरोना वायरस ने विश्वभर में भय का वातावरण पैदा कर दिया है। प्रधानमंत्री ने भी देशवासियो से कोरोना वायरस को लेकर एकजुटता दिखाते हुए सरकार का सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने इस महामारी से बचने के लिए अधिक समय घरों में ही बिताने के लिए कहा है। बाजार आदि भीड़ वाले इलाकों से बचने के लिए लोगों से अपील की है। महापौर ने इस महामारी से बचने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के पालन को बेहद जरूरी बताया। साथ ही उन्होंने अफवाहों पर ध्यान न देते हुए बचाव के साधन प्रयोग करने की सलाह भी दी। महापौर ममगाई ने कहा कि कोरोना को लेकर लोगों को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण है कि हम भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करें। घबरायें नहीं और फर्जी खबरों के जाल में न फंसे। उन्होंने नगरवासियो से कर्फ्यू के बारे में अन्य लोगों को भी जागरूक करने की अपील भी की।

त्रिवेन्द्र सरकार ने दी राहत, अब सीधे करा सकेंगे प्राइवेट अस्पताल में इलाज

उत्तराखंड सरकार ने राज्य अटल आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ा दिया है। प्रदेश के चार लाख सरकारी कर्मचारियों को इस योजना के अधीन लाया गया है। मामूली शुल्क देकर सरकार कर्मचारी, पेंशनर और उनके परिजन असीमित धनराशि के मेडिकल कवर के दायरे में आएंगे। यही नहीं, अन्य गोल्डन कार्ड धारक भी देश में कहीं भी पांच लाख रुपये तक का निशुल्क कैशलेस इलाज करा सकेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में 14 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। सूत्रों के अनुसार आयुष्मान योजना के तहत सरकारी अस्पताल से रेफर करवाने की व्यवस्था में व्यापक बदलाव किया गया है। अब मरीज सरकारी और गैर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ एनएबीएच (नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल्स एंड हेल्थ केयर) से मान्य अस्पतालों में सीधे जाकर इलाज करवा सकेगा। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के लिए कर्मचारियों के अंश को एक समान कर दिया गया है।
ओपीडी का नकद भुगतान, आईपीडी कैशलेस
त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश के तीन लाख कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को अटल आयुष्मान योजना अनलिमिटेड कैशलेस इलाज की सुविधा दे दी है। ओपीडी इलाज के खर्च का कर्मचारियों को नकद भुगतान किया जाएगा। वहीं आईपीडी इलाज में कैशलेस की सुविधा मिलेगी। एक अप्रैल से कर्मचारियों के लिए यह स्कीम शुरू होगी। कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों के लिए 15 लाख गोल्डन कार्ड बनाए जाएंगे।
अटल आयुष्मान योजना में अनलिमिटेड कैशलेस इलाज के लिए कर्मचारियों व पेंशनरों को प्रतिमाह के हिसाब से प्रीमियम देना होगा। इसके लिए सरकार ने पे स्केल के आधार पर केंद्रीय हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) की तरह प्रीमियम की दरें निर्धारित की है। पेंशनरों के लिए वन टाइम प्रीमियम जमा करने का विकल्प भी दिया है।
कर्मचारियों व पेंशनरों के गोल्डन कार्ड आल इंडिया पोर्टेबिलिटी होने से देश के किसी भी पंजीकृत अस्पताल में इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके लिए रेफर की शर्त नहीं रहेगी। ओपीडी में इलाज कराने के लिए कर्मचारियों को पैसा देना पड़ेगा। मेडिकल बिल विभाग से मंजूर कराने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से कर्मचारियों को भुगतान किया जाएगा।
निगम और बोर्ड कर्मचारियों को भी मिलेगा लाभ
सरकारी क्षेत्र के निगम व बोर्डों में कार्यरत 40 हजार से अधिक कर्मचारियों को भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। पहले निगम व बोर्ड को प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजना होगा। लंबे समय से निगम के कर्मचारी राजकीय सेवा के कर्मचारियों की तर्ज पर कैशलेस की सुविधा देने की मांग कर रहे थे।
मेडिकल कालेज और एनएएचबी मान्य प्राप्त अस्पतालों में रेफर व्यवस्था खत्म
केंद्र व राज्य सरकार की अटल आयुष्मान योजना को मर्ज किया है। प्रदेश के सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कालेजों के साथ राष्ट्रीय हेल्थ एवं केयर बोर्ड से मान्यता प्राप्त अस्पतालों में गोल्डन कार्ड मरीज सीधे इलाज करा सकते हैं। इसके लिए उन्हें रेफर होने की शर्त नहीं रहेगी। प्रदेश के गोल्डन कार्ड केंद्र योजना से जुड़ जाने से देश के किसी भी पंजीकृत अस्पताल में पांच लाख तक सीमा तक इलाज करा सकेंगे।

श्रेणी के अनुसार कर्मचारियों और पेंशनरों का प्रतिमाह अशंदान
स्तर अंशदान रुपये में
1 से 5 स्तर (चतुर्थ श्रेणी) 250
6 स्तर (तृतीय श्रेणी) 450
6 से 11 श्रेणी(द्वितीय श्रेणी) 650
12 से श्रेणी से ऊपर (अधिकारी) 1000