नैनीताल हाइकोर्ट ने खनन पट्टों की नीलामी पर लगाई गई रोक हटाई

नैनीताल जिले के बेतालघाट एवं अन्य मैदानी जनपदों के खनन पट्टों की नीलामी हेतु आमंत्रित ई-निविदा की प्रक्रिया पर लगाई गई रोक को हाइकोर्ट ने हटा दिया है। आज कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य में खनन गतिविधियां ई०आई०ए० नोटिफिकेशन के अन्तर्गत पर्यावरणीय मंजूरी के बाद ही संचालित की जाती है। कोर्ट ने सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
नैनीताल हाइकोर्ट में आज बेतालघाट निवासी तरुण शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया कि बेतालघाट में कोसी नदी के किनारे करीब 19 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर करीब एक दर्जन खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई है। नीलामी का टेंडर 19 अक्टूबर को खुलना था। कोर्ट की रोक के बाद निविदा प्रक्रिया को रोक दिया गया था।
आज हुई सुनवाई में कोर्ट द्वारा नैनीताल जिले के बेतालघाट एवं अन्य मैदानी जनपदों के खनन पट्टों की नीलामी हेतु आमंत्रित ई-निविदा की प्रक्रिया पर लगाई गई रोक हटा दी गई है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य में खनन गतिविधियां ई०आई०ए० नोटिफिकेशन दिनांक 14.09.2006 के अन्तर्गत पर्यावरणीय मंजूरी के बाद ही संचालित की जाती है। मा० उच्च न्यायालय द्वारा उक्त रिट याचिका को निरस्त किये जाने के फलस्वरूप उक्तानुसार आमंत्रित निविदा की तकनीकी निविदा खोले जाने की कार्यवाही बहाल हो गयी है।

मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री देंगे 824 एएनएम को नियुक्ति पत्र

स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत 824 ए.एन.एम. पदों की भर्ती पर लगी रोक को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के निर्णय के पश्चात सरकार शीघ्र ही चयनित अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया आरंभ करने जा रही है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा कोर्ट के फैसले के पश्चात बताया गया की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र ही आरंभ की जाएगी तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिहं रावत द्वारा रोजगार मेले के माध्यम से नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे।
स्वास्थ्य सचिव द्वारा बताया गया कोर्ट के निर्णय के बाद शीघ्र ही चयनित 824 ए.एन.एम. प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों में नियुक्ति हो जाने से प्रदेश के चिकित्सा इकाइयों में आम जनमानस को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में तेजी आएगी। ए.एन.एम. अस्पताल, स्वास्थ्य कार्यक्रमों व परियोजनाओं के अनुरुप मरीजों को सुरक्षित एवं कारगर देखभाल के लिए नियुक्त होंगे साथ ही, स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत चलाये जा रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भी सहयोग करेंगे।
ए.एन.एम. द्वारा सही तरीके से मरीजों को इलाज का ध्यान रखना है। मरीजों को समय समय पर दवाई देना एवं उन्हें देखभाल करना है। प्रथम उपचार, नुट्रिशन, सामान्य बीमारियों का उपचार प्रदान करना व बच्चों का टिकाकरण करवाना है तथा डॉक्टर के आदेशनुसार मरीजों को दवाई देना या मरीजों को दिए गए दवाइयों को लेने के लिए प्रोत्साहित करना है साथ ही आमजनमानस में जागरुकता को बढ़ावा देने का भी कार्य ए.एन.एम. द्वारा किया जाता है।

23 परीक्षाओं हेतु अतिरिक्त परीक्षा कलेण्डर जारी

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार ने कार्यालय में अधिकारियों के साथ परीक्षा कैलेंडर को लेकर बैठक ली और शासन द्वारा हाल ही में आयोग को प्रेषित समूह ग की 23 परीक्षाओं हेतु अतिरिक्त परीक्षा कलेण्डर जारी कर दिया गया है। इस प्रकार संलग्न लिस्ट में उल्लेखित 16 परिक्षाओ की प्रस्तावित विज्ञापन तिथि और परीक्षा तिथि निर्धारित की गई हैं।
आयोग ने यह संकल्प दोहराया है कि उपर्युक्त समस्त परीक्षाएं समयबद्ध तरीके से वर्ष 2022 एवं 2023 के दौरान आयोजित की जाएंगी।
अध्यक्ष द्वारा वर्ष 2022 के प्रारंभ में निर्गत यूकेपीएससी के मुख्य वार्षिक परीक्षा कलेण्डर के बारे में अवगत कराया गया है कि आयोग के उक्त परीक्षा कलेण्डर में उल्लिखित 23 परीक्षाएं निर्धारित की गयी थी, जिनमें से अब तक 18 परीक्षाएं सफलतापूर्वक सम्पन्न की जा चुकी हैं तथा 4 परीक्षाओं का आयोजन इस वर्ष के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।
इनमें पीसीएस मुख्य परीक्षा-2021 का आयोजन दिनांक 12 से 15 नवम्बर, 2022 के दौरान किया जाना सम्मिलित है तथा शेष एक वन क्षेत्राधिकारी परीक्षा को स्थगित किया गया है।
सिविल जज जू.डि. परीक्षा, एई परीक्षा, सहायक अभियोजन अधिकारी परीक्षा, असिस्टेंट प्रोफेसर, वन क्षेत्राधिकारी एवं सहायक भूवैज्ञानिक परीक्षा के संदर्भ में आयोग द्वारा अग्रेतर कार्यवाही तभी की जा सकेगी जब क्षैतिज आरक्षण के संदर्भ में उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड द्वारा हाल ही में पारित आदेश के आलोक में शासन द्वारा आरक्षण प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए आयोग को अवगत कराया जाएगा।
आयोग के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार द्वारा यह भी जानकारी दी गई है कि आरक्षण से सम्बन्धित उत्पन्न कतिपय विसंगतियों के निस्तारण हेतु आयोग द्वारा प्राप्त लगभग 29 अधियाचनों को शासन को प्रत्यावर्तित कर दिया गया है तथा शासन से संशोधित अधियाचन प्राप्त होने के पश्चात् आयोग द्वारा उनके लिए पृथक से एक परीक्षा कलेण्डर जारी करते हुए समानान्तर ढंग से परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। वर्तमान में उक्त 29 अधियाचनों को संशोधित किये जाने की कार्यवाही शासन स्तर पर गतिमान है।

धामी ने पीएम की अध्यक्षता में राज्य के विधिक क्षेत्रों में किये गये कार्यो की जानकारी दी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित, मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की संयुक्त कान्फ्रेंस में प्रतिभाग किया।
उत्तराखण्ड में विधिक क्षेत्र में किये गये कार्यों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखण्ड द्वारा विगत 5 वर्षों में विधिक अधिकारियों का कैडर रिव्यू करते हुए स्वीकृत पदों की संख्या 230 से बढाकर 299 कर दी तथा वर्तमान में 271 न्यायाधीश कार्य कर रहे हैं। इसी प्रकार उत्तराखण्ड द्वारा पूर्व लम्बित प्रकरण (3 साल की अवधि से ज्यादा) को पूर्ण करते हुए 5 नयी परियोजनाएं विगत वर्षों में जिला न्यायालयों के निर्माण इत्यादि में पूर्ण किया। उत्तराखण्ड ने अपना पंचवर्षीय एवं वार्षिक अवस्थापना संबंधी आवश्यकताओं का माननीय उच्च न्यायालय के साथ मिलकर तैयार किया है। जिसे केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है, जिसके तहत केन्द्र पोषित योजना इस वित्तीय वर्ष में रू0 80 करोड़ की धनराशि केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य को आवंटित की गई है। इसी प्रकार माननीय उच्च न्यायालय में तथा सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार करते हुए एक टेक्निकल अधिकारी के सापेक्ष वर्तमान में 26 टेक्निकल अधिकारी कार्यरत हैं।
सभी को सुचारू रूप से निःशुल्क न्यायिक सेवा प्राप्त हो, इस उद्देश्य से सभी 13 जिलों में 13 सदस्य सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में नियुक्त किये। साथ ही सभी 13 जनपदों में विशेष किशोर पुलिस इकाई की स्थापना की है। उत्तराखण्ड द्वारा सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को दिए जाने वाली सुविधा के संबंध में नियमावली माह दिसम्बर 2021 में अधिसूचित कर दी गई है।
उत्तराखण्ड द्वारा राज्य में 2 वाणिज्यिक न्यायालय शुरू कर दिए गये हैं तथा शीघ्र ही राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का भी संचालन प्रारम्भ कर दिया जायेगा।
देश में सर्वप्रथम वृद्ध, बीमार एवं न्यायालय आने में असमर्थ व्यक्तियों की गवाही अंकित करने के लिए उत्तराखण्ड के 13 जिलों में 13 मोबाइल न्यायालय वैन की सुविधा प्रारम्भ की गई है। जिससे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही अंकित की जा रही है।

लक्ष्मण झूला में नए पुल के टेंडर प्रक्रिया मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई

लोक निर्माण विभाग की ओर से लक्ष्मण झूला में पुराने झूला पुल के समीप टू-लेन मोटर पुल का निर्माण के लिए हुई टेंडर प्रक्रिया का मामला हाईकोर्ट पहंुच गया है। आरोप है कि अर्हता पूरी न करने वाली कंपनी को टेंडर दे दिया गया है। जिस पर हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश जारी किया है। अब इस मामले में 20 फरवरी को सुनवाई होगी।
आपको बता दें कि इस पुल के निर्माण के लिए विभाग की ओर से 20 नवंबर, 2021 को टेंडर आमंत्रित किए गए थे। 23 नवंबर को टेंडर खोले गए। जिनमें हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी, कैलाश हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी और पीएंडआर इंफ्रा प्रोजेक्ट कंपनी के टेंडर को विभाग की ओर से सही पाया गया और पीएंडआर इंफ्रा प्रोजेक्ट के टेंडर को मंजूरी दे दी गई।
इस पर ऋषिकेश की हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी हाईकोर्ट पहुंच गयी। उच्च न्यायालय नैनीताल में विभाग की इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी ने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को काम दिया गया है वह टेंडर की अर्हता को पूरा नहीं करती है। कंपनी के निदेशक अजय शर्मा के अनुसार इस पूरे मामले में मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखकर कंपनी की ओर से आपत्ति दर्ज करानेे के बावजूद उनकी बात को नहीं सुना गया। जिस पर वे न्यायालय की शरण में गए। उनका कहना है कि न्यायालय में सुनवाई की तिथि तक जिस कंपनी को काम दिया गया उसके साथ एग्रीमेंट नहीं हुआ था। उन्हें अंदेशा है कि बैक डेट पर एग्रीमेंट किया जा सकता है। दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग नई टिहरी के अधीक्षण अभियंता एनपी सिंह का कहना है कि 5 जनवरी, 2022 को संबंधित कंपनी के साथ एग्रीमेंट कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने कहा-अपने बच्चों को 24 घंटे इस हालत में रखकर देखें अधिकारी

हाईकोर्ट ने जेलों की दुर्दशा पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुधार के संबंध में दिशा निर्देश दिए। बुधवार को कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी अपने बच्चों को 24 घंटे ऐसे हालत में वहां रखकर देखें। अभी हम 21वीं सदी में हैं, लेकिन जेलों की दशा देखकर ऐसा नहीं लगता। जेलों की हालत सेलुलर या अहमदनगर जेल से कम नहीं है। नैनीताल जेल व सब जेल हल्द्वानी हाईकोर्ट की नाक के नीचे हैं, वहां की स्थिति भी वैसी ही है। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खण्डपीठ ने चेरापल्ली तेलगांना जेल का उदाहरण भी दिया, जहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
खंडपीठ ने कहा कि छोटे अपराध में शामिल कैदियों को पैरोल पर क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है? जिनकी सजा आधी से अधिक हो चुकी है व जिनका आचरण अच्छा है उन्हें भी पैरोल पर छोड़ने का विचार करें। हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे व अन्य सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बातें कहीं। सुनवाई में गृह सचिव रंजीत सिन्हा व जेल महानिदेशक पुष्कर ज्योति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए कि जेलों की सुविधाओं को लेकर एक कमेटी का गठन कर सुझावों पर अमल करें। इसकी रिपोर्ट हर महीने के तीसरे सप्ताह में कोर्ट में पेश करें।
इस मामले में पूर्व में हुई सुनवाई में कोर्ट ने जेल महानिदेशक व गृह सचिव को निर्देश दिए थे कि वे सभी जेलों का दौरा करें और उसकी रिपोर्ट मय फोटोग्राफ कोर्ट में पेश करें। बुधवार को उनके द्वारा कोर्ट में शपथपत्र पेश किया गया। जिस पर कोर्ट सन्तुष्ट नहीं हुई। शपथपत्र व फ़ोटो देखने पर कोर्ट के समक्ष चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। हरिद्वार जेल की क्षमता 870 कैदियों की है जबकि वहां वर्तमान कैदी 1400 थे। इनके रहने के लिए 23 बैरक हैं। प्रति बैरक 65 कैदी रह रहे हैं। 65 महिला कैदियों के लिए एक ही बैरक है। चिकित्सा सुविधा के नाम पर डॉक्टर को फोन कर बुलाने की व्यवस्था, लकड़ियों पर खाना बनाना जाता है। सब जेल रुड़की में 200 की क्षमता है, वहां वर्तमान में 625 कैदी 8 बैरक में रह रहे हैं। प्रति बैरक 75 पुरुष और 18 महिला कैदी हैं। देहरादून जेल की क्षमता 518 है वहां वर्तमान में 1491 कैदी 26 बैरक में रह रहे हैं। प्रति बैरक 54 कैदी हैं।
वहीं 87 महिला कैदियों के लिए 2 बैरक हैं। सब जेल हल्द्वानी की क्षमता 535 है। यहां वर्तमान में 1736 कैदी 9 बैरक में रह रहे हैं। यहां प्रति बैरक 180 कैदी। रोटियां फर्श पर बनाई जाती हैं। नैनीताल जेल की क्षमता 70 है। यहां वर्तमान में 174 कैदी बिना किसी बैरक के रहते हैं और जमीन पर सोते हैं। अल्मोड़ा जेल की क्षमता 102 है जहां 325 कैदी 6 बैरक में रह रहे हैं। प्रति बैरक 52 कैदी रह रहे हैं। यहां 11 महिला कैदी हैं। जिला जेल चमोली में 114 कैदी बिना बैरक टिन सेड में सोते हैं। पिथौरागढ़, बागेश्वर, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चम्पावत की अपनी जिला जेल ही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि लोहाघाट की जेल में कैदियों को जानवरों की तरह ठूंसकर रखा है। खाना बाथरूम में बन रहा है। कोर्ट ने जिला जज को निर्देश दिए कि इसका मौका मुयाना कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।

कोर्ट दिए निर्देश दिए
कोर्ट ने जेलों में सुविधाओं को लेकर सरकार को अहम दिशा निर्देश दिए हैं। इसमें कहा है कि नई जेलों का निर्माण करें, गढ़वाल मंडल में ओपन जेल, जेलों की मरम्मत के लिए बजट, कैदियों के रोजगार के लिए फैक्ट्रियां, बच्चों के लिए स्कूल, पर्याप्त स्टाफ की भर्ती, परमानेंट मेडिकल स्टाफ, साफ-सुधरे किचन व बाथरूम की व्यवस्था करें।

ये है याचिका
सन्तोष उपाध्याय व अन्य ने मामले में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की हैं। इनमें कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने खाली पड़े राज्य मानवाधिकार आयोग के पदों को भरने के आदेश जारी किए थे। लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश का पालन करे।

धामी सरकार को मिली कामयाबी, हाईकोर्ट ने श्रद्धालुओं की संख्या से रोक हटाई

हाइकोर्ट नैनीताल ने बदरीनाथ-केदारनाथ सहित चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने के मामले को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। हाइकोर्ट ने चारों धाम में श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या से रोक हटा दी है। अब तीर्थ यात्री बेरोकटोक चारधाम यात्रा के लिए जा सकेंगे। साथ ही हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि शासन को कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करवाना होगा। कोर्ट के इस आदेश से सरकार सहित दूसरे प्रदेशों से आने वाले तीर्थ यात्रियों, चारधाम यात्रा रूट पर होटलों, दुकानदारों आदि स्थानीय लोगों को भी बड़ी राहत मिली है।
मुख्य न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने उत्तराखंड सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए तीर्थ यात्रियों की सख्यां को निर्धारित किया गया था। साथ ही, तीर्थ यात्रियों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की भी सख्त हिदायत दी गई थी।
माधिवक्ता द्वारा कहा गया कि चारधाम यात्रा करने के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी। लेकिन वर्तमान समय मे प्रदेश में कोविड के केस ना के बराबर आ रहे है। इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाए।कहा कि चारधाम यात्रा समाप्त होने में 40 दिन से कम का समय बचा हुआ है।
इसलिए जितने भी श्रद्धालु वहां आ रहे है उन सबको दर्शन करने की अनुमति दी जाए। जो श्रद्धालु ऑनलाइन दर्शन करने हेतु रजिस्ट्रेशन करा रहे है, वे भी नहीं आ पा रहे हैं। जिसके कारण वहां के स्थानीय लोगो पर रोजी-रोटी का खतरा उत्पन्न हो रहा है। सरकार द्वारा कोर्ट ने पूर्व दिए गए दिशा-निर्देशों का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा। चारधाम यात्रा में सभी सुविधाओं को उपलब्ध करा दिया गया है।
सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या से रोक हटाई जाए या फिर श्रद्धालुओं की संख्या तीन से चार हजार प्रतिदिन किया जाए ताकि दूसरे प्रदेशों से भी लोग दर्शन को आ सकें। कहा कि कोरोना महामारी पर कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन भी किया जा रहा है। सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने रोक हटा दी गई है।

सबसे ज्यादा बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं ने किये दर्शन

बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री सहित चारों धामों में अभी तक 17552 तीर्थ यात्री दर्शन कर चुके हैं। 18 सितंबर से 26 सितंबर के बीच इन श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। 26 सितंबर को श्री बदरीनाथ धाम में 750, श्री केदारनाथ धाम में 639, श्री गंगोत्री धाम में 461, श्री यमुनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। श्री हेमकुंड साहिब में 604 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
वहीं, उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष एवं हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज तिवारी रविवार सुबह पैदल यात्रा कर विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम पहुंचे। जहां उन्होंने परिवार के साथ विधिवत पूजा-अर्चना कर मां यमुना के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने यमुनोत्री यात्रा मार्ग सहित यमुनोत्री धाम में यात्रा व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। न्यायमूर्ति मनोज तिवारी शनिवार को जीआईसी बड़कोट में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उत्तरकाशी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बहुद्देश्यीय विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान उनके साथ सदस्य सचिव आरके खुल्बे भी मौजूद रहे। वहीं तीर्थ पुरोहितों ने न्यायमूर्ति मनोज तिवारी को ज्ञापन प्रेषित कर धाम में एक हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों को भेजने का आदेश पारित करने की मांग की।

ई-सेवा केन्द्र, अब वादी और प्रतिवादी को भटकना नहीं पड़ेगा

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय न्याय प्रणाली को और अधिक सरल व सुगम बनाने की दिशा में लगातार आगे कदम बढ़ा रहा है। इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उच्च न्यायालय परिसर में ई-सेवा केन्द्र की स्थापना की गयी है। जिससे न्याय प्रणाली में वादियों एवं प्रतिवादियों को जानकारी के अभाव में होने वाली दिक्कतों से बचाव हेतु जानकारी उपलब्ध कराने के लिए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की पहल पर न्यायालय परिसर में ई-सेवा केन्द्र की स्थापना की गयी है। जिसका शुभारंभ गुरूवार को मुख्य न्यायमूर्ति आरएस चौहान द्वारा फीता काट कर किया गया।
रजिस्ट्रार जनरल धनन्जय चतुर्वेदी ने बताया कि ई-सेवा केन्द्र उत्तराखण्ड राज्य का पहला सेवा केन्द्र है। इसके बाद अल्मोड़ा में शीघ्र ही ई-सेवा केन्द्र खोला जायेगा। इसकी महत्ता को देखते हुए भविष्य में सभी जनपदों के जिला न्यायालयों में ई-सेवा केन्द्रों की स्थापना की जायेगी। उन्होंने बताया कि स्थापित ई-सेवा केंद्र में वादो की अद्यतन स्थिति तथा सुनवाई तिथि के साथ ही सुनवाई हेतु निर्धारित कोर्ट की भी जानकारी उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि ई-न्यायालय परियोजना के तहत डिजिटल रूप से उपलब्ध सुविधाओं के सम्बन्ध में पूछताछ एवं सहायता, जजों के अवकाश की सूचना, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों, उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति से निःशुल्क कानूनी सेवाओं का लाभ उठाने के बारे में लोगों का मार्गदर्शन भी किया जायेगा। जस्टिस एप की जानकारी मुहैया कराने के साथ ही एप डाउनलोड करने में भी सहायता प्रदान की जायेगी।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति एनएस धानिक, न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे, न्यायमूर्ति रविन्द्र मैथानी, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार कम्प्यूटर अम्बिका पन्त, एडवोकेट जनरल एसएन बाबुलकर, बार अध्यक्ष एएस रावत, सचिव विकास बहुगुणा सहित सभी रजिस्ट्रार व अधिवक्तागण उपस्थित थे।

सरकार की मजबूत पैरवी से हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा से प्रतिबंध हटाया

उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर लंबे समय से लगी रोक पर गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक को कुछ प्रतिबंधों के साथ हटा दिया है।

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800, बद्रीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600, यमनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति दे दी है।

चारधाम यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को 72 घंटे पूर्व तक की कोविड जांच की नेगेटिव रिपोर्ट अथवा दोहरी वैक्सीन का प्रमाण पत्र साथ लाना अनिवार्य होगा। साथ ही तीर्थ यात्रियों को देवस्थानम बोर्ड में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। न्यायालय ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने को कहा है। भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।

मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने सचिवालय में चारधाम त्यारियो की बैठक के दौरान सम्बंधित सभी विभागों को निर्देश दिए कि चारधाम यात्रा के लिए समय काफी कम बचा है वे अपनी सारी तैयारियां पूरी करें। उन्होंने कहा कि चारधाम प्रदेश के लाखों व्यक्तियों के रोजगार और आजीविका का साधन है। चारधाम आने वाले सभी श्रद्धालुओं को मास्क पहनना, शारीरिक दूरी के मानक का अनुपालन कराना और सैनिटाइजेशन कराना सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने कहा कि माननीय हाईकोर्ट ने स्थानीय लोगों की आजीविका, कोविड नियंत्रण में होने, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, एसओपी का कड़ाई से पालन आदि के आधार पर चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटाया है। यात्रा शुरू होने से हजारों यात्रा व्यवसायियों व तीर्थ पुरोहितों समेत उत्तरकाशी, चमोली व रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों की आजीविका पटरी पर लौट सकेगी।