आधुनिक आईटी लैब व छात्रावास से लैस होंगे मॉडल कॉलेज

उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत 20 राजकीय महाविद्यालयों का कायाकल्प कर उन्हें शोध आधारित मॉडल कॉलेज के रूप में विकसित किया जायेगा। इसी प्रकार 6 राजकीय महाविद्यालयों में कला व विज्ञान संकाय के लिये नये पीजी ब्लॉक बनाये जायेंगे। इसके लिये राज्य सरकार ने रूपये 159 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत कर दी है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत शोध आधारित मॉडल कॉलेज विकसित करने में जुटी है। इसके लिये प्रदेश के 20 राजकीय महाविद्यालयों का चयन कर उनमें आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिये रूपये 129 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी है। इसी तरह राज्य के 6 राजकीय महाविद्यालयों में कला एवं विज्ञान संकाय के पृथक पीजी ब्लॉकों के निर्माण के लिये रूपये 30 करोड़ मंजूर कर कुल 159 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत कर दी है। उन्होंने बताया कि स्वीकृत धनराशि से राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रूद्रपुर, काशीपुर, चम्पावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, रानीखेत, कोटद्वार, नरेन्द्रनगर, नई टिहरी, उत्तरकाशी, थलीसैंण, गैरसैंण, लक्सर, गोपेश्वर, डाकपत्थर, रायपुर, अगस्त्यमुनि सहित कुमाऊं विश्वविद्यालय का डीबीएस परिसर तथा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में जरूरी संसाधन जुटाकर मॉडल कॉलेज बनाये जायेंगे। इन महाविद्यालयों में महिला एवं पुरूष छात्रावास सहित अति आधुनिक आई.टी. लैब तथा ई-लर्निंग कक्षों का निर्माण किया जायेगा।

डॉ. रावत ने बताया कि महिला व पुरूष छात्रावासों में तमाम सुविधाओं के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किये जायेंगे। इसके अलावा छात्र-छात्राओं के लिये पार्किंग, डाईनिंग हाल, किचन, दिव्यांग कक्ष एवं रैम्प तथा वार्डन ऑफिस भी बनाये जायेंगे। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि प्रदेश के 6 राजकीय महाविद्यालयों राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय स्याल्दे, बेरीनाग एवं कपकोट में कला संकाय भवन तथा राजकीय महाविद्यालय टनकपुर, थत्युड एवं सोमेश्वर में विज्ञान संकाय के भवनों का निर्माण किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मॉडल कॉलेजों एवं पीजी कॉलेजों में निर्माण कार्यों को शीघ्र शुरू करने के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं ताकि तय समय निर्माण कार्यों को पूरा किया जा सके और छात्र-छात्राओं का इसका लाभ मिल सके।

राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के लिये रूपये 159 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। जिसके तहत प्रदेश के 20 मॉडल कॉलेजों में अति आधुनिक आईटी लैब एवं छात्रावास का निर्माण किया जायेगा जबकि 6 राजकीय महाविद्यालयों में कला एवं विज्ञान संकाय के लिये भवन बनाये जायेंगे। हमारा ध्येय प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता, रोजगार एवं शोधपरक शिक्षा उपलब्ध कराना है।
-डॉ. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।

दून विवि के दीक्षारंभ समारोह में सीएम ने किया विभिन्न पुस्तकों का विमोचन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित दून विश्वविद्यालय में आयोजित नवप्रवेशित विद्यार्थियों के दीक्षारंभ समारोह कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने दून विश्वविद्यालय परिसर में ओपन एयर थियेटर एवं स्कूल ऑफ मैनेजमेंट भवन का लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर “Changing Paradigms in Business and Technology” एवं “Innovative Management Practices” नामक पुस्तकों का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छात्रों से संवाद करते हुए कहा कि उत्तराखंड को उत्कृष्ट राज्य बनाने में छात्र छात्राओं की अहम भूमिका होगी। राज्य का भविष्य यहां के युवाओं के भविष्य पर निर्भर करता है। पढ़ाई के साथ युवा हर क्षेत्र में आगे बढ़े, इसके लिए राज्य सरकार नौजवानों के साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने दीक्षारंभ (सत्रारम्भ) समारोह में आए छात्र छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में प्रवेश के साथ ही जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है। जीवन में शिक्षा का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है। उच्च शिक्षा में प्रवेश जीवन में ज्ञान के महत्व को इंगित करने का एक अभिनव क्षण है। यह पल आपकी स्मृतियों में जीवनभर ताजा बने रहेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड सदियों से ही महान ऋषियों की कर्मस्थली रही है। जिन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा को भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में प्रचारित और प्रसारित किया। आज भी हमारे कई शैक्षणिक संस्थान न सिर्फ देश में अपितु वैश्विक स्तर पर अपनी शैक्षणिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। उत्तराखंड की समृद्ध ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए दून विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवावस्था जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है, इसके बल पर आप लोग चुनौतियों को अवसर में परिवर्तित कर सकते हैं तथा अपनी सृजनशक्ति के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में नित नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं। वर्तमान में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सहयोग हेतु प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने की दिशा में कई कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। जनता से संवाद स्थापित कर उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने ’’विकल्प रहित संकल्प’’ को पूर्ण करने हेतु निरंतर कार्य किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं, बोलियों एवं साहित्य के संरक्षण, संवर्धन एवं शोध के क्षेत्र में कार्य करने हेतु डॉ० नित्यानन्द हिमालयी शोध एवं अध्ययन केंद्र भी स्थापित किया गया है। यह शोध केन्द्र प्रदेश की भाषाओं व साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही विदेशी भाषाओं में भी नए कोर्स शुरू किए गए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में शिक्षा, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिये अनेक कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा युवाओं को समाज एवं राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य करने के लिये शिक्षा के साथ ही उनके कौशल विकास के लिये विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों में प्रवेश उत्सव के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। समर्थ पोर्टल के माध्यम से विभिन्न महाविद्यालयों में एडमिशन हेतु 71 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया है। उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य में डिग्री कॉलेजों हेतु ई- ग्रंथालय की व्यवस्था की गई है। महाविद्यालय में अन्य कार्यक्रमों से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित ना हो इसके लिए शैक्षिक कैलेंडर भी जारी किया गया है। उत्तराखंड राज्य के सभी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह नवंबर माह में किए जाने का फैसला राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। राज्य में मेधावी छात्रों के लिए मुख्यमंत्री छात्रवृति योजना दी जा रही है। उत्तराखंड राज्य के विश्वविद्यालय देश के सर्वोच्च विद्यालयों में शामिल हों, इसके लिए सरकार निरंतर कार्यरत है।

इस दौरान कार्यक्रम में विधायक विनोद चमोली, कुलपति दून विश्वविद्यालय सुरेखा डंगवाल एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

ऋषिकेश महाविद्यालय में छात्रों ने की तालाबंदी, सीटें बढ़ाने का है मामला

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने ऋषिकेश पीजी कॉलेज के प्राचार्य के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। छात्रों ने कॉलेज गेट के बाहर प्रदर्शन कर नारेबाजी की। छात्रों का आरोप था कि कॉलेज के प्राचार्य के पास एक साथ तीन प्रभार हैं। इनमें दो प्रभार वे तत्काल छोड़ दें। साथ ही कॉलेज में प्रवेश की सीटें बढ़ाने की मांग भी उठाई।

एबीवीपी के छात्र ऋषिकेश के पीजी कॉलेज के गेट के बाहर एकत्रित हुए। यहां गेट पर तालाबंदी कर नारेबाजी शुरू कर दी। एबीवीपी के जिला संयोजक शुभम शर्मा ने कहा कि प्राचार्य प्रो. गुलशन कुमार धींगड़ा के पास एक साथ तीन प्रभार हैं। जिनमें प्राचार्य, एमलटी विभाग और बीएससी साइंस के डीन का पद शामिल हैं। उन्होंने प्राचार्य से एक पद पर रहने की मांग की है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा हाल ही में श्रीदेवन सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति ने 50 लाख रुपये की घोषणा की थी, जिसका निर्माण कार्य में प्रयोग होना था। आरोप लगाया कि बिना टेंडर प्रकिया के कार्य करवाए गए हैं। छात्रों ने प्राचार्य पर अभद्र व्यवहार करने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने प्रवेश से वंचित छात्रों के लिए सीटें बढ़ाने की मांग भी रखी। छात्रों ने कुलपति पीपी ध्यानी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) गुरमीत सिंह के नाम एक ज्ञापन भी प्रेषित किया। तालाबंदी करने वालो में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विवेक शर्मा, गौरव राणा, नितिन सक्सेना, जितेंद्र पाल, अनुराग पाल, दीपक भारद्वाज, शुभम शर्मा, अमन शर्मा, रोहित सोनी, अनिरूद्ध शर्मा, हिमांशु जाटव, दीपक कुमार, आकाश उनियाल, संदीप कुमार, चेतन कपरूवान, शिवम प्रजापति, अभय वर्मा, राजू ठाकुर, अनूप पाल, विनायक कुमार, सिमरन अरोड़ा, साक्षी तिवारी, राखी आदि शामिल रहे।

इसी वर्ष से राजकीय महाविद्यालय में लागू होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, हुई बोर्ड आफ स्टडीज की प्रथम बैठक

श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय की बोर्ड ऑफ स्टडीज की प्रथम बैठक पण्डित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश में आयोजित की गयी। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय में विभिन्न संकायों में संचालित विषयों के पाठ्यक्रम निर्माण पर चर्चा हुई।

प्रथम बैठक का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलसचिव खेमराज भट्ट, पण्डित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के प्राचार्य प्रो गुलशन कुमार धींगरा, वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो आर आर पटेल, कला संकायाध्यक्ष प्रो डी सी गोस्वामी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव खेमराज भट्ट ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। प्राचार्य प्रो. धींगरा ने कहा कि इस सत्र से विश्वविद्यालय के परिसर एवं सभी सम्बद्ध महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की जानी है जिस हेतु निर्मित पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय में लागू किये जाने हेतु संशोधित किया जा रहा है। जिसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पी पी ध्यानी द्वारा बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन किया गया है। कला संकाय के लिए कला संकायाध्यक्ष प्रो डी सी गोस्वामी को संयोजक, वाणिज्य संकाय के लिए वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो आर आर पटेल को संयोजक तथा विज्ञान संकाय के लिए विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं परिसर के प्राचार्य प्रो गुलशन कुमार धींगरा को बोर्ड ऑफ स्टडीज का संयोजक बनाया गया है।

सभी विभागों के विभागाध्यक्ष इसके सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त प्रो० दुर्गेश पन्त, महानिदेशक यूकॉस्ट, डॉ हिमांशु दास निदेशक राष्ट्रीय दृष्टि वाधितार्थ संस्थान तथा निदेशक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंग अनुसन्धान संस्थान के निदेशक के रूप में बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्य होंगे। प्रो सतपाल सिंह साहनी प्राचार्य रायपुर महाविद्यालय, डॉ वी एन शर्मा प्राचार्य लक्सर महाविद्यालय, प्रो ए के तिवारी प्राचार्य पुरोला महाविद्यालय, प्रो जानकी पंवार प्राचार्य कोटद्वार महाविद्यालय, प्रो लवली राजवंशी प्राचार्य जयहरीखाल महाविद्यालय, प्रो के एल तलवार प्राचार्य चकराता महाविद्यालय, प्रो डी सी नैनवाल प्राचार्य डोईवाला महाविद्यालय, प्रो रेनू नेगी प्राचार्य नई टिहरी महाविद्यालय, प्रो देवेश भट्ट प्राचार्य वेदीखाल महाविद्यालय सदस्य रहेंगेद्य साथ ही कुलपति के द्वारा प्रो जे पी भट्ट सहित प्रत्येक विषय के 02 प्राध्यापक एवं एक सेवानिवृत प्राध्यापक को वाह्य विशेषज्ञ के रूप में नामित किया गया है।

बैठक में बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्यों द्वारा सभी विषयों के पाठ्यक्रमों पर गहन मंथन किया गया तथा सत्र 2022-23 से लागू किये जाने वाले पाठ्यक्रमों को संस्तुति प्रदान की। इस अवसर पर बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्यों के साथ परिसर के सभी प्राध्यापक उपस्थित रहे।

पूर्व प्राचार्य डा. माहेश्वरी हुए नेक में सम्मिलित

ऋषिकेश महाविद्यालय पूर्व प्राचार्य व पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा प्रो. एनपी माहेश्वरी ने महाराष्ट्र व कर्नाटक मे यूजीसी की स्वायतशासी संस्था (नेक) राष्टीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद में तुंगा महाविद्यालय कर्नाटक तथा एमडी पलेशा कॉमर्स कॉलेज धूल (महाराष्ट) के सदस्य के रूप में प्रतिभाग कर उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया।

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद संस्थान के गुणवत्ता दर्जे को समझने के लिए महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों अथवा अन्य मान्यता-प्राप्त संस्थानों जैसे उच्चतर शिक्षा संस्थानों (एचईआई) मूल्यांकन तथा प्रत्यायन की व्यवस्था करता है।

प्रो. माहेश्वरी के इस प्रतिभाग से ऋषिकेश महाविद्यालय के सभी अध्यापकों ने हर्ष जताया है। प्राचार्य महाविद्यालय ऋषिकेश प्रो पंकज पंत, कैप्टेन डॉ. सतेन्द्र कुमार, प्रो गुलशन ढींगरा, प्रो. राजेश नॉटियाल ने उन्हें बधाई प्रेषित की हैं।

उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान देने पर चार शिक्षक गौरव पुरस्कार से सम्मानित

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दून विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले चार शिक्षकों को ‘‘डाॅ. भक्त दर्शन उच्च शिक्षा गौरव पुरस्कार-2020’’ से सम्मानित किया। जिन चार शिक्षकों को सम्मानित किया। उनमें राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. मोहन चन्द्र पाण्डेय को वाणिज्य एवं प्रबंधन के क्षेत्र में, एम.बी काॅलेज हल्द्वानी के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. शिव दत्त तिवारी को वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में, पं. ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऋषिकेश के प्रो. (डाॅ.) सतेन्द्र कुमार को साहित्य के क्षेत्र में एवं प्रो. डाॅ. संजय कुमार को इतिहास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. डीएस रावत के नाम पर उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों के विज्ञान, काॅमर्स, सामाजिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वालों को छात्रवृत्ति दी जायेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कर्नल (डाॅ.) डी.पी. डिमरी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘उद्यमिता एवं हिमालय के प्रेरणादायक उद्यमी’’ का विमोचन भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दून विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य का अवलोकन भी किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि डाॅ. भक्त दर्शन ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सराहनीय कार्य किये। वे एक कुशल राजनीतिज्ञ, शिक्षक, सम्पादक थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अहम योगदान दिया। वे सरल स्वभाव एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई अभिनव पहल किये। उन्हें पहाड़ से विशेष प्रेम था। डाॅ. भक्त दर्शन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिये गये उत्कृष्ट योगदान के कारण राज्य सरकार ने उनके नाम पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य के स्थानीय संसाधनों से किस तरह लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में सुधार लाया जा सकता है, इस विषय पर शोध की आवश्यकता है। हम अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं स्थानीय उपजों का कैसे बेहतर इस्तेमाल कर सकें। इन क्षेत्रों में विभिन्न विषयों पर आधारित शोध हो। प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखण्ड को बहुत कुछ दिया है। इसका सही तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आर्थिकी में सुधार लाने के लिए राज्य में रूरल ग्रोथ सेंटर की शुरूआत की गई है। पिछले 06 माह में इन सेंटरों से 06 करोड़ से अधिक की बिक्री हुई है व इनमें कार्य करने वालों को 60 लाख से अधिक का शुद्ध लाभ हुआ है। राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख तक एवं कृषकों को 03 लाख रूपये तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि अगले साल से डाॅ. भक्त दर्शन पुरस्कार उनके जन्म दिवस के अवसर पर 12 फरवरी को दिया जायेगा। जयहरीखाल डिग्री काॅलेज का नाम डाॅ. भक्त दर्शन के नाम पर रखा गया है। पौड़ी जनपद में मुसेटी गांव में उनका स्मारक बनाया गया है, अब मुसेटी में डाॅ. भक्त दर्शन द्वार बनाया जा रहा है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभी डिग्री काॅलेजों में 93 प्रतिशत फैकल्टी है। इसे जल्द शत प्रतिशत किया जायेगा। उच्च शिक्षा में चार लाख छात्रों को बड़ी सौगात मिलने वाली है। जल्द की हर डिग्री काॅलेज में 4जी कनेक्टिविटी और वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी।

विधायक विनोद चमोली ने कहा कि डाॅ. भक्त दर्शन का जीवन दर्शन व्यावहारिक, राजनीतिक सुचिता, पहाड़ के प्रति समर्पित रहा। उन्होंने कहा कि डाॅ. भक्त दर्शन के बारे में लोगों को अधिक जानकारी प्राप्त हो सके इसलिए उनके जीवन एवं कार्यों पर आधारित जानकारी स्कूली पाठ्यक्रमों में होनी चाहिए।

महाविद्यालयों में अगले सत्र से शैक्षणिक कलेंडर लागू

रायपुर, मालदेवता में राजकीय महाविद्यालय रायपुर के नव निर्मित भवन व शौर्य दीवार के लोकार्पण अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने यहां इसी सत्र से स्नातकोतर महाविद्यालय के रूप में उच्चीकृत करने की घोषणा की। इस सत्र से यहॉं कला संकाय की कक्षाएं प्रारम्भ होंगी। अगले सत्र से यहॉ ग्रेजुएशन में संस्कृत की कक्षाएॅं भी शुरू की जाएॅगी। मुख्यमंत्री ने कॉलेज के लिए 04 अतिरिक्त कक्षा कक्ष की घोषणा भी की। इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि उच्च शिक्षा और कॉलेज स्तरीय हों। शिक्षकों की भर्ती शीघ््रा की जाएगी। आने वाले समय में फैकल्टी की समस्या दूर होगी। उन्होंने छात्रछात्राओं का आहवाहन किया कि वे बहुआयामी शिक्षा के प्रति प्रयत्न करें। सिर्फ किताबी ज्ञान और डिग्री पर ध्यान न दें। जिंदगी का लक्ष्य स्पष्ट रखे और उसे पाने का प्रयास करें। उन्होंने गॉंवों से हो रहे पलायन को रोकने और न्याय पंचायत स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करने की योजना भी साझा की। उन्होंने कहा कि हर न्याय पंचायत पर 100150 महिलाओं को स्वरोजगार दे कर न्याय पंचायत को ग्रोथ सेंटर बना सकते है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मालदेवता में पीजी कॉलेज खुलने से स्थानीय स्तर पर विकास को गति मिलेगी। आसपास के विद्यार्थियों विशेषकर छात्राओं का उच्च शिक्षा के अवसर मिलेंगे। इससे पूर्व त्रिवेन्द्र ने कार्यक्रम स्थल पर ही उपस्थित जनसमूह के साथ रेडियो में प्रसारित प्रधानमंत्री के ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम सुना। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पिछले चार महीनो में सरकार द्वारा ठोस आधारभूत कार्य किए गए है। सरकार राज्य को ग्रामीण क्षेत्र में पूरी तरह ओडीएफ बनाने के बाद अब शहरी क्षेत्र को ओडीफ बनाने की ओर अग्रसर है। उच्च शिक्षा मंत्री डा0 धन सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशो पर शैक्षणिक कैलेण्डर घोषित कर दिया गया है। अगले सत्र से शैक्षणिक कैलेण्डर लागू कर दिया जाएगा। अब कॉलेजो में 180 दिन कक्षाएं चलेगी। 30 दिन के भीतर परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए जाएगे। 877 अस्सिटेंट प्रोफेसरो की नियुक्ति के सम्बन्ध में विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। स्मार्ट कलासेज व ई लाइब्रेरी की योजनाएं भी अगले कुछ महीनों में धरातल लाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि राजकीय महाविद्यालय रायपुर का निर्माण, राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा 1762.04 वर्ग मी0 क्षेत्रफल में 4.90 करोड़ रूपये की लागत से किया गया है। इसमें प्रधानाचार्य कक्ष, लाइब्रेरी, आईटीसी लैब जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध है। महाविद्यालय भवन की मानचित्र संरचना भूकम्परोधी तकनीक पर आधारित है।