जुब्बल कोटखाई विधानसभा में सीएम धामी की जनसभा में उमड़ा जन सैलाब

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमाचल प्रदेश की जुब्बल कोटखाई विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी चेतन बरागटा के पक्ष में आयोजित जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने उस दौरान कहा कि, जुब्बल कोटखाई विधानसभा की इस विशाल जनसभा में आए आप सभी भाई-बहनों के जोश को देखकर मेरे मन में एक प्रतिशत का भी संशय नहीं है कि इस बार यहां फिर से कमल खिलने वाला है। उन्होंने कहा कि, आप सब का उत्साह बता रहा है कि उत्तराखण्ड की तरह ही हिमाचल में भी भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड बहुमत की सरकार आने वाली है। जनसभा में उमड़ा जनसैलाब व देवभूमि की देवतुल्य जनता से मिला अपार स्नेह प्रदेश में पुनः भाजपा की ऐतिहासिक विजय को सुनिश्चित कर रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, उत्तराखण्ड में भी जनता ने लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनाकर मिथक तोड़ने का कार्य किया है, उसी तरह यहां भी भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड के बीच सीमाओं का रेखांकन भले ही हो गया हो लेकिन हमारे दिल एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हिमाचल और उत्तराखण्ड का रोटी-बेटी का रिश्ता है।
हिमाचल के जुब्बल कोटखाई विधान सभा में रैली को संबोधित करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, एक तरफ वे लोग हैं जिन्होंने झूठे वादे किए, 55 सालों तक राज किया है लेकिन हमेशा पहचान समाप्त करने का काम किया। एक तरफ वे हैं जिन्होंने मोदी के नेतृत्व में देश को आगे बढ़ाने का काम किया।
पुष्कर सिंह धामी ने इस दौरान कहा कि, आज केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है उसी तरह हिमाचल में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश आगे बढ़ रहा है। पहले के समय में अयोध्या में रामलला को टेंट में देखकर मन बहुत दुखी होता था लेकिन आज मोदी के नेतृत्व में वहां भव्य राम मंदिर बन रहा है।
सीएम धामी आराकोट क्षेत्र से लगे हिमाचल प्रदेश की जुब्बल कोटखाई विधानसभा के रोटान, मांडल, ठाणा,जगटान आदि क्षेत्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे।
हिमाचल प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी ने चुनावी जनसभा से पूर्व श्री हाटकेश्वरी दुर्गा माता मंदिर में माँ भगवती दुर्गा एवं भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर समस्त प्रदेशवासियों के सुख, शान्ति एवं समृद्धि की कामना की।

सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो-पीएम

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संसद और राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों के तीन-दिवसीय शताब्दी सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को किया। 82वें पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा की गई। इस अवसर पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी सम्मेलन में प्रतिभाग किया।
उद्घाटन अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि हमें देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। कोरोना की लड़ाई में सभी राज्यों ने एकजुटता के साथ काम किया जोकि ऐतिहासिक है।भारत 110 करोड़ वैक्सीन डोज का आंकड़ा पार कर चुका है। यह समय अपनी सफलताओं को आगे बढ़ाने का है और साथ ही नए विजन के साथ नए नियम और नीतियां भी बनानी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे सदन की परंपराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों। हमारी नीतियां, कानून भारतीयता के भाव को, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करने वाले हों। सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो। पीएम मोदी ने कहा कि ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। भारत विविधताओं से भरा है।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधान मंडलों के समक्ष ज्वलंत विषयों पर चर्चा और संवाद के माध्यम से देश के सामने सर्वमान्य समाधान प्रस्तुत करने का दायित्व है जिससे लोकतांत्रिक परंपराओं और समृद्ध हो सके। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बदलते परिपेक्ष में हमने अपनी विधायी संस्थाओं में जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप नियमों और प्रक्रियाओं में भी परिवर्तन किया है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि प्रगतिशील कानून बनाने में जनप्रतिनिधियों के साथ जनता की सक्रिय भागीदारी बने ताकि आम जनता की आर्थिक सामाजिक जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सके।
इस अवसर पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायिका के पीठासीन अधिकारी के रूप में हमारा विशेष दायित्व है कि हम एक समर्थ सक्षम और सशक्त विधायिका के निर्माण का सामूहिक संकल्प लें जो 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप होने के साथ-साथ नई चुनौतियों का सामना करने में भी सफल हो।विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दो दिवसीय सत्र के दौरान शताब्दी यात्रा समीक्षा और भविष्य के लिए कार्य योजना एवं पीठासीन अधिकारियों का संविधान, सदन और जनता के प्रति दायित्व विषय पर चर्चा की जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित विभिन्न राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति, विधानसभाओं के उपाध्यक्ष एवं विधानसभा के सचिव उपस्थित रहे।

अटल टनल का उद्धाटन कर बोले पीएम, पहाड़ के लोगों को पता है दूरी कम होने का मतलब

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी विश्व की सबसे लंबी सुरंग अटल टनल का शुभारंभ किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल का उद्धाटन करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया। कहा कि दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि अटल टनल का उद्धाटन करने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ है। हिमाचल प्रदेशों के करोड़ों लोगों के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी का भी सपना साकार हुआ है।

बता दें कि अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है जो मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ेगी। इससे पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग छह महीने तक संपर्क से कटी रहती थी। मगर अब हर मौसम में सफर जारी रहेगा। इस सुरंग से मनाली और लेह के बीच की पीएम मोदी ने कहा कि अटल टनल लेह, लद्दाख की लाइफ लाइन बनेगी। लेह-लद्दाख के किसानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी। इस अटल टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।

…तो 2040 में पूरा होता टनल का काम
पीएम मोदी ने आगे कहा कि साल 2002 में अटल ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती।

हमने 26 साल का काम छह साल में किया
प्रधानमंत्री बोले, अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।

इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने फीता काटकर सुरंग का उद्घाटन किया। मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग आदि उपस्थित थे।

एक नजर अटल सुरंग पर…
अटल सुरंग को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन पिछले वर्ष हो गया।

मुख्यमंत्री ने हिमालयन कान्क्लेव को बताया सफल

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मसूरी में आयोजित हिमालयन कान्क्लेव के संबंध में बताया कि यह आयोजन सफल रहा है। प्रथम बार हिमालयन राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया है। उन्होंने बताया कि असम राज्य को छोड़कर 10 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिमालयन कान्क्लेव में शामिल हुए। जिसमें हिमांचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय के मुख्यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन कान्क्लेव में मुख्यतः आपदा, जल शक्ति, पर्यावरणीय सेवाओं आदि पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि सभी हिमालय राज्यों द्वारा एक कॉमन एजेंडा तैयार कर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दिया गया। हिमालयी राज्यों द्वारा यह भी मांग की गई है कि पर्यावरणीय सेवाओं के लिए ग्रीन बोनस दिया जाना चाहिए। हिमालयी राज्य देश के जल स्तम्भ है, जो माननीय प्रधानमंत्री के जल शक्ति संचय मिशन में प्रभावी योगदान देंगे। नदियों के संरक्षण व पुनर्जीवीकरण के लिए केन्द्र पोशित योजनाओं में हिमालयी राज्यों को वित्तीय सहयोग दिया जाना चाहिए। नये पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केन्द्र सरकार द्वारा सहयोग दिया जाना चाहिए। देश की सुरक्षा को देखते हुए पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हिमालयी राज्यों की इस चिंता पर केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा भी आश्वासन दिया गया है। हिमालयन कान्क्लेव में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि प्रतिवर्श आयोजित किया जाय। साथ ही हिमालय क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया जाय। इस सम्मेलन में नीति आयोग, पन्द्रवां वित्त आयोग व वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिमालयी राज्यों के लिए बजट में अलग से प्लान किये जाने का आश्वासन दिया गया।
प्रेस वार्ता में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, अरूणाचल के उप मुख्यमंत्री चोवना मेन, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार के.के.शर्मा, उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित अन्य राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

जय प्रकाश के आंदोलन से जुड़े और शुरु हुआ जे पी नड्डा का राजनैतिक सफर

जे पी नड्डा का पूरा नाम जगत प्रकाश नड्डा। लो-प्रोफाइल रहकर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के हाई-प्रोफाइल नेता बनने का उनका सफर काफी लंबा रहा है। जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर राजनीति में कदम रखने वाले नड्डा ने अपनी छवि एक प्रभावी और कुशल रणनीतिकार की बनाई। भाजपा का नेतृत्व बदलता रहा लेकिन पार्टी में उनकी हैसियत कभी नहीं बदली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संगठन में उनकी पैठ बढ़ती रही। वह पुराने नेतृत्व के भी करीब रहे तो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भी भरोसेमंद माने गए। अब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद यह कहना मुनासिब ही होगा कि वे भाजपा की ताकतवर तिकड़ी का हिस्सा बन गए हैं।
बिहार में जन्मे नड्डा को किशोयरअवस्था में ही पता लग गया था कि वह राजनीति के लिए बने हैं और राजनीति उनके लिए। जब 16 बरस के थे तो जेपी आंदोलन से जुड़ गए। लिहाजा, राजनीति का ककहरा मंझे राजनेताओं के दौर में सीखने को मिला। इसके बाद सीधे छात्र राजनीति से जुड़ गए। उनकी काबिलियत देखते हुए ही 1982 में उन्हें उनकी पैतृक जमीन हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वहां छात्रों के बीच नड्डा ने ऐसी लोकप्रियता हासिल कर ली थी कि उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश विवि के इतिहास में पहली बार एबीवीपी ने जीत हासिल की।
1983-84 में वे विवि में एबीवीपी के पहले अध्यक्ष बने। 1977 से 1990 तक करीब 13 साल के लिए एबीवीपी समेत कई पदों पर रहे। 1989 में तत्कालीन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई के लिए राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा बनाया। 1991 में 31 साल की उम्र में भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर उभरे। छात्र राजनीति में तप चुके नड्डा 1993 में पहली बार हिमाचल प्रदेश में विधायक बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री रहे तो वन एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री का जिम्मा भी संभाला।
2012 में राज्यसभा पहुंचे और कई संसदीय समितियों में रहे। तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की टीम में राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता रहे। अपने सौम्य स्वभाव, सादगी और मेहनतकश छवि से उन्होंने भाजपा में अलग नाम बनाया है। संगठन से लेकर चुनाव मैनेजमेंट में उन्होंने महारत हासिल कर ली है। आगे अगर वह अमित शाह की जगह लेने जा रहे हैं तो इसके पीछे उनके द्वारा शाह जैसा कारनामा कर दिखाना भी बड़ी वजह है। बीते पांच बरसों में भाजपा में नड्डा ने कई जिम्मेदारियां सफलतापूर्वक निभाई हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी मुख्यालय से देशभर में पार्टी के अभियान की निगरानी की थी तो 2019 में उनके पास उत्तर प्रदेश का प्रभार था। जाहिर है जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी, जिसमें वे सफल भी रहे। सपा-बसपा गठबंधन के बाद जहां भाजपा को यूपी में आधी सीटें मिलने के आसार जताए जा रहे थे, वहां पार्टी ने 62 सीटें जीतीं। इस चुनाव में वह फिर से कुशल रणनीतिकार साबित हुए और पार्टी को 49.6 फीसदी वोट दिलाने का करिश्मा कर दिखाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ नड्डा के नजदीकी रिश्ते रहे हैं। मोदी जब हिमाचल के प्रभारी हुआ करते थे तब से दोनों के बीच अच्छे समीकरण बने रहे हैं। दोनों अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाला।
इस बार जब उन्होंने शपथ नहीं ली तो लगभग तय माना जा रहा था कि पार्टी अध्यक्ष का पद जगत प्रकाश नड्डा के लिए ही रखा गया है, जिस पर सोमवार को मुहर भी लग गई। एक नई पारी के साथ 59 वर्षीय नड्डा सबसे शक्तिशाली दल के शीर्ष पर पहुंच गए हैं। उनके लिए पहली सबसे बड़ी चुनौती पश्चिम बंगाल में भाजपा के सरकार बनाने के मिशन को पूरा करना रहेगी।

प्रशासनिक अधिकारी बनने का मौका न गवायें

हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (एचपीपीएससी) ने कई तरह के कुल 287 पदों पर भर्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। ये भर्तियां हिमाचल प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के लिए हैं। आरक्षण से जुड़े सभी लाभ केवल हिमाचल प्रदेश के मूल निवासियों को प्राप्त होगा। अन्य राज्यों के उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी के माने जाएंगे। आयोग ने इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। योग्य और इच्छुक अभ्यर्थी 31 जुलाई तक ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं। आयोग पदों की संख्या बढ़ा या फिर घटा सकता है। पद, योग्यता और आवेदन की पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें :
असिस्टेंट प्रोफेसर, कुल पद : 02
विषय के अनुसार रिक्तियों का विवरण
इम्यूनो हीमेटोलॉजी एंड बल्ड ट्रांसफ्यूजन, पद : 01 (अनारक्षित)
योग्यता : मान्यता प्राप्त संस्थान या यूनिवर्सिटी से इम्यूनोलॉजी में डीएम या इम्यूनो-हीमेटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन में एमडी हो। या
पैथोलॉजी/ बैक्टीरियोलॉजी/हीमेटोलॉजी में एमडी डिग्री के साथ शिक्षण में दो साल का अनुभव प्राप्त हो। या इम्यूनो-हीमेटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग में स्पेशल ट्रेनिंग ली हो।
मेडिकल ऑन्कोलॉजी, पद : 01
योग्यता
-एमबीबीएस डिग्री हो।
-मेडिकल ऑन्कोलॉजी में डीएम या मेडिसिन/ रेडियोथेरेपी/पीडियाट्रिक्स में एमडी के साथ मेडिकल ऑन्कोलॉजी में दो साल स्पेशल ट्रेनिंग ली हो।
अनुभव : पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद संबंधित स्पेशिएलिटी में लेक्चरर/रजिस्ट्रार/डेमोंस्ट्रेटर/ रेजिडेंट के तौर पर शिक्षण में तीन साल का अनुभव हो।
अधिकतम आयु : 45 साल।
वेतनमान : 37,400 रुपये से 67,000 रुपये। ग्रेड पे 8900 रुपये मिलेगा।
नियुक्ति का स्थान : डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल एजुकेशन
सूचना : दो या तीन वर्षीय डीएम या एमसीएच डिग्री को शिक्षण के अनुभव के तौर पर गिना जाएगा।
मेडिकल ऑफिसर (डेंटल), पद : 26 (अनारक्षित-14)
योग्यता : डेंट सर्जरी में बैचलर डिग्री हो। साथ ही स्टेट डेंटल काउंसिल में पंजीकरण हो।
अधिकतम आयु : 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 26,250 रुपये।
नियुक्ति का स्थान : डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर
असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉलेज कैडर), पद : 204
विषय के अनुसार रिक्तियों का विवरण
इंग्लिश, पद : 15
हिस्ट्री, पद : 14
संस्कृत, पद : 02
कॉमर्स, पद : 52
इकोनॉमिक्स, पद : 13
हिंदी, पद : 15
मैथ्स, पद : 03
पोलिटिकल साइंस, पद : 15
फिजिक्स, पद : 03
केमिस्ट्री, पद : 02
पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, पद : 01
म्यूजिक (इंस्ट्रूमेंटल), पद : 30
म्यूजिक (वोकल), पद : 28
एजुकेशन, पद : 03
जियोलॉजी, पद : 06
फिजिकल एजुकेशन, पद : 01
तबला, पद : 01
योग्यता (पद के अनुसार)

शेष विषयों के लिए
-अच्छे एकेडमिक रिकॉर्ड और न्यूनतम 55 फीसदी अंक या समकक्ष ग्रेड के साथ संबंधित विषय में मास्टर डिग्री हो।
-फाइन आर्ट्स (कर्मिशयल आर्ट्स, ड्राइंग, पेंटिंग, स्कल्पचर) के लिए अच्छे एकेडमिक रिकॉर्ड और न्यूनतम 55 फीसदी अंक या समकक्ष ग्रेड के साथ फाइन आर्ट्स में मास्टर डिग्री हो।
-एससी/ एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को तय अंक प्रतिशत में पांच फीसदी की छूट प्राप्त है। एससी/ एसटी वर्ग के उम्मीदवार मास्टर डिग्री 50 फीसदी अंकों से उत्तीर्ण होने पर भी इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
-जिन उम्मीदवारों ने सितंबर 1991 से पहले अपनी मास्टर डिग्री पास की हो, उन्हें पीएचडी डिग्री के अंक प्रतिशत में पांच फीसदी की छूट प्राप्त है।
-यूजीसी या सीएसआईआर द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट या राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित समकक्ष परीक्षा पास की हो।
-यूजीसी की ओर से वर्ष 2009 में जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार जो अभ्यर्थी संबंधित विषय में पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं, वे नेट/ स्लेट/ सेट पास न होने के बावजूद आवेदन कर सकते हैं।
फिजिकल एजुकेशन के लिए
-अच्छे एकेडमिक रिकॉर्ड और न्यूनतम 55 फीसदी अंकों के साथ फिजिकल एजुकेशन में मास्टर डिग्री हो या स्पोर्ट्स साइंस में मास्टर डिग्री हो।
-यूनिवर्सिटी/ इंटर- यूनिवर्सिटी कॉलेज स्तर या इंटर कॉलेज प्रतियोगिताओं में राज्य/ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व करने का रिकॉर्ड हो।
-नेट/ स्लेट/सेट में उत्तीर्ण हो।
-यूजीसी की ओर से वर्ष 2009 में जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार जो अभ्यर्थी संबंधित विषय में पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं, वे नेट/ स्लेट/ सेट पास न होने के बावजूद आवेदन कर सकते हैं।
-फिजिकल फिटनेस टेस्ट पास हो।
फिजिकल टेस्ट का प्रारूप
पुरुषों के लिए
-30 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवारों को 1800 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
-40 से ऊपर के उम्मीदवारों को 1500 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
-45 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवारों को 1200 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
-50 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवारों को 800 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
महिलाओं के लिए
-30 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवारों को 1000 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
-40 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवारों को 800 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
-45 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवारों को 600 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
-50 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवारों को 400 मीटर की दौड़ या वॉक टेस्ट को 12 मिनट में पूरा करना होगा।
अधिकतम आयु : 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 21,600 रुपये।
नियुक्ति का स्थान : डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन
स्पेशल पोस्ट ग्रेजुएट टीचर, पद : 08
विषय के आधार पर रिक्तियों का विवरण
हिंदी, पद : 02 (अनारक्षित)
अंग्रेजी, पद : 02 (अनारक्षित)
हिस्ट्री, पद : 02 (अनारक्षित)
होम साइंस, पद : 02 (अनारक्षित)
योग्यता
-द्वितीय श्रेणी के अंकों के साथ संबंधित विषय में मास्टर डिग्री हो। डिग्री स्तर पर हिंदी एक विषय के तौर पर पढ़ा हो।
-स्पेशल एजुकेशन में बीएड हो। या
स्पेशल एजुकेशन में पीजी डिप्लोमा के साथ जनरल एजुकेशन में बीएड हो या
स्पेशल एजुकेशन में डिप्लोमा के साथ जनरल एजुकेशन में बीएड डिग्री हो। या
-सेकण्डी लेवल टीचर ट्रेनिंग कोर्स किया हो।
-रीहैब्लिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया में रजिस्ट्रेशन हो।
मासिक वेतन : 14,500 रुपये।
नियुक्ति का स्थान : डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड इम्पावरमेंट

असिस्टेंट प्रोफेसर (फॉर्मेसी), पद : 11 (अनारक्षित-06)
स्पेशलाइजेशन के अनुसार रिक्तियां
फार्माकोलॉजी, पद : 02 (अनारक्षित)
फार्मास्यूटिकल्स, पद : 03 (अनारक्षित-02)
फार्माकोग्नोसी, पद : 03 (अनारक्षित-01)
फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, पद : 03 (अनारक्षित-01)
योग्यता : संबंधित ब्रांच में स्पेशलाइजेशन के साथ फॉर्मेसी में बैचलर और मास्टर डिग्री हो। बैचलर या मास्टर डिग्री 60 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण हो।
आयु सीमा : न्यूनतम 18 वर्ष और अधिकतम 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 35,000 रुपये।
एसोसिएट प्रोफेसर, कुल पद : 16
इंजीनियरिंग विषय के अनुसार रिक्तियों का विवरण
सिविल इंजीनियरिंग, पद : 04 (अनारक्षित)
मेकेनिकल इंजीनियरिंग, पद : 04 (अनारक्षित)
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, पद : 01 (अनारक्षित)
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, पद : 05 (अनारक्षित)
कंप्यूटर इंजीनियरिंग, पद : 02 (अनारक्षित)
योग्यता : प्रथम श्रेणी के अंकों के साथ संबंधित इंजीनियरिंग में बीई/ बीटेक और एमई/ एमटेक डिग्री हो। या
बीई/ बीटेक या एमई/ एमटेक और पीएचडी डिग्री हो।
-शिक्षण/ शोध/ इंडस्ट्री में न्यूनतम पांच साल का अनुभव प्राप्त हो।
आयु सीमा : न्यूनतम 18 वर्ष और अधिकतम 45 वर्ष।
वेतनमान : 37,400 से 67,400 रुपये। ग्रेड पे 9000 रुपये मिलेगा।
असिस्टेंट प्रोफेसर, कुल पद : 16
इंजीनियरिंग विषय के अनुसार रिक्तियां
सिविल इंजीनियरिंग, पद : 07 (अनारक्षित)
मेकेनिकल इंजीनियरिंग, पद : 05 (अनारक्षित-03)
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, पद : 03
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, पद : 01
योग्यता : संबंधित इंजीनियरिंग में बीई/ बीटेक और एमई/ एमटेक डिग्री हो। बीई/ बीटेक और एमई/ एमटेक डिग्री में कोई भी एक डिग्री 60 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण हो।
अधिकतम आयु : 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 35,000 रुपये।
नियुक्ति का स्थान (उपर्युक्त तीन पद): डिपार्टमेंट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, वोकेशनल एंड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग
माइनिंग ऑफिसर, पद : 01 (अनारक्षित)
योग्यता : जियोलॉजी या अप्लाइड जियोलॉजी में एमएससी डिग्री हो या जियोलॉजी/अप्लाइड जियोलॉजी में बीएससी ऑनर्स डिग्री हो। या
माइनिंग इंजीनियरिंग में बीई डिग्री हो। या
धनबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माइन्स से अप्लाइड जियोलॉजी में डिप्लोमा के साथ माइनिंग में तीन साल का अनुभव प्राप्त हो।
अधिकतम आयु : 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 14,500 रुपये।
नियुक्ति का स्थान : डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रीज

डिस्ट्रिक्ट पब्लिक रिलेशन ऑफिसर/ इंफॉर्मेशन ऑफिसर, पद : 02 (अनारक्षित)
योग्यता : जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन/ पब्लिक रिलेशन/ पब्लिक रिलेशन एंड एडवर्टाइजिंग में बैचलर डिग्री हो। या
जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन / पब्लिक रिलेशन/ पब्लिक रिलेशन एंड एडवर्टाइजिंग में पीजी डिग्री/ डिप्लोमा हो।
-गवर्नमेंट डिपार्टमेंट या पब्लिक सेक्टर अंडरटेक्निक में पब्लिक रिलेशन/ जर्नलिज्म/मास कम्यूनिकेशन में तीन साल का कार्यानुभव हो। या न्यूजरपेपर/ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तीन साल कार्य करने का अनुभव हो।
आयु सीमा : न्यूनतम 18 वर्ष और 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 15,700 रुपये।
नियुक्ति का स्थान : डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड पब्लिक रिलेशन
असिस्टेंट टाउन प्लानर, पद : 01 (अनारक्षित)
योग्यता : प्लानिंग में मास्टर डिग्री हो या एमटेक गो या अर्बन प्लानिंग/ सिटी प्लानिंग/टाउन प्लानिंग/ हाउसिंग प्लानिंग/ कंट्री प्लानिंग/रूरल प्लानिंग/ इंफ्रास्टक्चर प्लानिंग/ट्रांसपोर्ट प्लानिंग/ रूरल एंड अर्बन प्लानिंग/ इंवायरन्मेंटल प्लानिंग में पीजी डिग्री हो। या
प्लानिंग में बीई/ बीटेक डिग्री हो। साथ ही अर्बन प्लानिंग/ सिटी प्लानिंग/टाउन प्लानिंग/ हाउसिंग प्लानिंग/ कंट्री प्लानिंग/रूरल प्लानिंग/ इंफ्रास्टक्चर प्लानिंग/ट्रांसपोर्ट प्लानिंग/ रूरल एंड अर्बन प्लानिंग/ इंवायरन्मेंटल प्लानिंग में तीन साल का अनुभव प्राप्त हो।
अधिकतम आयु : 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 21,000 रुपये।
नियुक्ति का स्थान : डिपार्टमेंट ऑफ टाउन एंड कंटरी प्लानिंग
असिस्टेंट डायरेक्टर, पद : 02
योग्यता : जूलॉजी या फिशरीज साइंस में बीएससी डिग्री हो। फिशरीज मैनेजमेंट और डेवलपमेंट में पांच साल का अनुभव प्राप्त हो। या
जूलॉजी या फिशरीज में मास्टर डिग्री। फिशरीज मैनेजमेंट और डेवलपमेंट में पांच साल का अनुभव प्राप्त हो।
अधिकतम आयु : न्यूनतम 18 वर्ष और अधिकतम 45 वर्ष।
मासिक वेतन : 14,700 रुपये।
नियुक्ति का विभाग : डिपार्टमेंट ऑफ फिशरीज
चयन प्रक्रिया : स्क्रीनिंग टेस्ट या परीक्षा/पर्सनैलिटी टेस्ट/इंटरव्यू के माध्यम से योग्य उम्मीदवार चुने जाएंगे।
-स्क्रीनिंग टेस्ट में ऑब्जेक्टिव या डिस्क्रिप्टिव प्रश्न रहेंगे। प्रश्नों को हल करने के लिए उम्मीदवारों को दो घंटे का समय मिलेगा। टेस्ट में नेगेटिव मार्किंग भी है। प्रत्येक गलत उत्तर देने पर एक चौथाई अंक काट लिए जाएंगे।
-अंतिम चयन पर्सनैलिटी टेस्ट या इंटरव्यू में प्रदर्शन के आधार पर होगा।
-अनारक्षित वर्ग को इंटरव्यू में उत्तीर्ण होने के लिए 45 अंक लाना होगा।
आवेदन शुल्क
-400 रुपये। शुल्क का भुगतान पंजाब नेशनल बैंक की किसी शाखा में ई-चालान या ई-पेमेंट (डेबिट/क्रेडिट कार्ड) से करना होगा।
-आवेदन शुल्क के भुगतान का विकल्प संस्थान की वेबसाइट से ऑनलाइन आवेदन के दौरान प्राप्त होगा।

अधिक जानकारी यहां
टोल फ्री नंबर : 1800-180-8004
फोन : 0177-2624313, 2629739
ऑनलाइन रिक्रूटमेंट एप्लीकेशन से संबंधित समस्याओं के लिए इस नंबर 0177-2629738 पर संपर्क करें।

अधिक जानकारी के लिए लॉगऑन करें- http://www.hppsc.hp.gov.in/hppsc/

हिमाचल में थम नही रहा बस हादसों का सफा, 29 की मौत

हिमाचल प्रदेश के रामपुर में गुरुवार को खनेरी में सतलुज के किनारे हुये बस हादसे में 29 लोग मारे गये। हादसा इतना भयानक था कि यहां लाशों के अंबार लग गये। जिंदा कौन है, कौन नहीं इसे पहचानने में बचाव दल की सांसे भी फूल गईं। अपनों को पहचानने के लिए हर आखें बेकरार थी तो आंसुओं के सैलाब में मातम पसरा था। मंजर देखकर यहां हर आंख रो पड़ी। यह अभागी बस जब चली होगी तो किसी को क्या पता था कि आगे चलकर यही बस एक कार को बचाने के चक्कर में खुद ही ताबूत में बदल जायेगी और यह सफर उनका आखिरी सफर साबित होगा।
हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर खूनी खेल जारी है लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक प्रदेश में सड़क हादसों में लोग बेमौत मरते रहेंगे। सरकार की ओर से सड़क हादसों को रोकने के लिए योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन वे कागजों तक ही सीमित होकर रह जाती हैं। उन्हें धरातल में लाने में सरकारी अमला ही संजीदा नहीं रहता। आमतौर पर इस पहाड़ी प्रदेश में वाहनों में हो रही ओवरलोडिंग व विभागीय सिस्टम की लापरवाही से सड़क हादसों में लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। पुलिस व परिवहन निगम ओवरलोडिंग रोकने में पूरी तरह नाकाम हो रहा है। हादसों को रोकने के लिए प्रशासन अगर सजग होता तो गुरुवार को एक साथ रामपुर के पास खनेरी में बस हादसे में एक साथ 29 लोग मौत के मुंह में समाते। इससे पहले शिमला के पास गुम्मा में हुये सड़क हादसे में भी सात लोग मारे गये थे।

सड़क हादसों पर एक नजर …
पिछले कुछ दिनों में हादसों पर नजर दौड़ायें तो 10 जून को धर्मशाला में कालापुल में हुये हादसे में तीन लोग मारे गये। 14 जून को ठियोग में जीप पलटने से दो लोग मारे गये। 15 जून को जिला कांगड़ा में चितपुर्णी रोड़ पर ढ़लियारा में भी मौत को दावत देती निजी बस में करीब 80 लोग सवार थेए जिसमें 10 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बस में अगर ओवरलोडिंग न होती तो यह हादसा न होता। 15 जून को जिला कांगड़ा के ढ़लियारा में हुये हादसे में भी 52 सीटर बस में 80 लोग सवार थे। 15 जून को ही शिमला में एचआरटीसी की बस पलटी तो 23 लेाग घायल हो गये। 17 जून को नेरवा में भरणू खड्ड हादसे में तीन लोग मारे गये। 18 जून को डमटाल में पति, पत्नी की एक साथ मौत हो गई। 23 जून को सोलन में जौणा जी में हादसे में तीन लोग मारे गये। इसी दिन दानोघाट में दो और लोग मारे गये। यही नहीं सड़कों की हालत भी दयनीय है। राज्य लोक निर्माण विभाग भी सड़क हादसों को लेकर सबक नहीं ले रहा है। अंधे मोड़ों को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। अंधे मोड़ दुरुस्त करने की योजनाएं कागजों में सिमट कर रह गई हैं।