देश में निर्यात तैयारी सूचकांक में समग्र रूप से उत्तराखंड को मिली 9वीं रैंक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड को निर्यात तैयारी सूचकांक 2022 में देश में नवां तथा हिमालयी राज्यों में प्रथम स्थान प्राप्त होना राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने इसे राज्य सरकार के प्रयासोें का भी प्रतिफल बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्यात अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए राज्य सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में काफी प्रगति की है।ं

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विश्व स्तरीय एकीकृत औद्योगिक एस्टेट विकसित किया गया है। राज्य में पंतनगर और काशीपुर में 2 आईसीडीएस और पंतनगर में 1 मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क है। राज्य के देहरादून और पंतनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा बनाने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। हवाई यात्रा को बढ़ावा देने के लिये टर्बाे फ्यूल में 18 प्रतिशत की कमी की गई है। पड़ोसी राज्यों और राज्य के भीतर सड़क कनेक्टीवीटी में हाल के दिनों में काफी सुधार हुआ है। राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा, अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा और दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा से व्यापार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में अरोमा पार्क, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर, फार्मा सिटी 2, प्लास्टिक पार्क विकसित किये जा रहे है। राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, “उत्तराखंड निर्यात नीति“ का मसौदा भी तैयार किया गया है। राज्य ने निर्यात के लिए एक जिला दो उत्पाद (ओडीटीपी) चिन्हित फोकस क्षेत्रों की भी पहचान की है। राज्य ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है उनमें कृषि और बागवानी, स्वास्थ्य और आयुष, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल, पर्यटन और आतिथ्य, हथकरघा और हस्तशिल्प एवं शैक्षिक सेवाएं प्रमुख है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है। प्रधान मंत्री ने बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की योजना और कार्यान्वयन में सुधार के लिए पीएम गति शक्ति का उद्घाटन किया था। गति शक्ति योजना एक मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी योजना थी जिसका लक्ष्य लॉजिस्टिक्स लागत और समय को कम करने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजना योजना और निष्पादन का समन्वय करना था। इसे लेकर उत्तराखंड एक जीआईएस राज्य मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य उद्योग के लिए निवेश का माहौल तैयार करना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा दिल्ली एनसीआर और उत्तराखंड राज्य के बीच यात्रा के समय को कम करने के लिए सक्रिय पहल की है, जिससे राज्य से निर्यात में प्रभावी वृद्धि होगी।

प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2022 का पालन अनिवार्य रुप से हो-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2022 का 100 प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमावली-2022 का अनुपालन आवश्यक है। यह प्लास्टिक मुक्त उत्तराखण्ड, प्रदेश के लिए पर्यटन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण होगा। उन्होंने निर्देश दिए कि मैन्युफैक्चरर से एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी प्लान शीघ्र मांगा जाए। साथ ही, इसका इससे सम्बन्धित नियमावली का 100 प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन से जुड़े सभी सम्बन्धित विभागों को एक्टिव भूमिका निभानी होगी। उन्होंने माउंटेनियरिंग और ट्रैकिंग रूट्स से भी प्लास्टिक कचरा निस्तारण की चेकिंग के लिए ड्रोन आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। साथ ही, प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में कचरा प्रबंधन योजनाओं में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को भी शामिल किया जाए। शहरी निकायों में प्लास्टिक कचरे के लिए सम्बन्धित विभाग अपने अपने स्तर पर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमावली का अनुपालन सुनिश्चित करें।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन एवं प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

किसानों को बिना ब्याज के ऋण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि पर्वतीय खेती के लिए सिंचाई की सुविधा पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके लिए जलाशय विकसित करने हांगे। क्लस्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। मुख्यमंत्री एक स्थानीय होटल में नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21 में सम्बोधित कर रहे थे।

जलाशय संवर्धन के लिए राज्य सरकार ने की पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है। पर्वतीय खेती अधिकांशतः असिंचित है। लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है। इसलिए ग्रेविटी आधारित पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के लिए जलाशयों का निर्माण जरूरी है। सूखते जलस्त्रोतों को देखते हुए वर्षा जल संचयन महत्वपूर्ण है। नदियों के पुनर्जीवन के लिए भी जलाशय आवश्यक हैं। चाल-खाल भी बचाने होंगे। राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरूआत की है। पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून आदि जिलों में जलाशय व झीलें विकसित की जा रही हैं। इसका आने वाले समय में बहुत फायदा होगा। इन जलाशयों के निर्माण की फंडिंग के लिए नाबार्ड को आगे आना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत सी कोशिशें प्रारम्भ की गई है। किसानों को व्यक्तिगत रूप से 1 लाख तक व समूह को 5 लाख तक का कृषि ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है।

वैल्यु एडिशन पर जोर
उत्पादों के वैल्यु एडिशन पर विशेष बल दिया जा रहा है। प्राकृतिक रूप से उपलब्ध फाईबर कंडाली और इंडस्ट्रीयल हैम्प आधारित उत्पादों की वैश्विक बाजार में बहुत मांग है। इनसे तैयार किए जाने वस्त्रों की अच्छी कीमत मिलती है। एरोमैटिक्स की भी उत्तराखण्ड में काफी सम्भावनाएं हैं।

जैविक उत्पादों का सर्टिफिकेशन
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड के कृषि व संबंधित उत्पाद स्वाभाविक रूप से जैविक हैं। इनके सर्टिफिकेशन की सही तरीके से व्यवसथा करनी होगी। किसानों को भी इसकी जानकारी देनी होगी।

उत्तराखण्ड को कृषि क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में मिले पुरस्कार
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने खेती के क्षेत्र में कई पहल की है। यही कारण है लगातार दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार सहित पिछले 2 वर्षों में 6 पुरस्कार उत्तराखण्ड को मिले हैं। आर्गेनिक खेती में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं।

हार्टीकल्चर के लिए काश्तकारों को मिले मध्यम व दीर्घ अवधि के ऋण
हॉर्टीकल्चर के लिए काश्तकारों के अल्पावधि के साथ ही मध्यम व दीर्घ अवधि के ऋण उपलब्ध कराने होंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में नहरों की मरम्मत और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों की फेंसिंग भी जरूरी है। किसानों के उत्पाद खराब न हों, इसके लिए शीतगृहों की व्यवस्था करनी होगी।

उत्तराखण्ड के प्राथमिकता क्षेत्र हेतु 24,656 करोड़ रूपए की ऋण सम्भाव्यता आंकलित
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील चावला ने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए नाबार्ड द्वारा उत्तराखण्ड की प्राथमिकता क्षेत्र हेतु कुल ऋण सम्भाव्यता 24,656 करोड़ रूपए आंकलित की गई है। जबकि वर्ष 2019-20 में यह 23,423 करोड़ रूपए थी। इस वर्ष के स्टेट फोकस पेपर का विषय ‘उच्च तकनीकी से कृषि’ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए नाबार्ड द्वारा उत्तराखण्ड की कुल ऋण सम्भाव्यता 24,656 करोड़ रूपए आंकलित की गई है। इनमें से लगभग 11,802 करोड रूपए की कृषि ऋण सम्भाव्यता है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, बैंकों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया।