जन सुविधा से जुड़े सभी विभागों को एक अम्ब्रेला में लाया जाए-धामी

जन सेवाओं से जुड़े मामलों में ऑनलाईन प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर ध्यान दिया जाए। लोगों को एक ही प्लेटफॉर्म पर पर सभी सुविधाएं आसानी से मिले, इसके लिए जन सुविधा से जुड़े सभी विभागों को एक अम्ब्रेला में लाया जाए। सेवा के अधिकार में अधिक से अधिक सेवाएं जोड़ी जाएं। तकनीक का विकास जिस तेजी से हो रहा है, सेवाओं का लाभ आम जनमानस को तेजी से मिले, इसके लिए उनको जागरूक भी किया जाए। ऑनलाईन प्रक्रियाओं के तहत जो भी सेवाएं दी जा रही हैं, इन सेवाओं का व्यापक स्तर पर आम जन तक प्रसार भी किया जाए। राज्य में युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के पर्याप्त अवसर मिले, रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में सभी विभागों को तेजी से कार्य करने होंगे। स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा एवं तकनीकि शिक्षा विभाग को समन्वय के साथ कार्य करना होगा। उच्च शिक्षा के साथ-साथ युवाओं के कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए। हमें युवाओं को रोजगार परक शिक्षा की दिशा में आगे ले जाने के लिए तेजी से कार्य करना है। मुख्यमंत्री ने ये निर्देश सचिवालय में सशक्त उत्तराखण्ड-25 के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आईटीडीए एवं उद्योग विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।
आईटीडीए की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सेवा के अधिकार में और जन सेवाओं को जोड़ा जाए। लोगों को घर बैठे ही अधिकांश सेवाओं का लाभ आसानी से एक ही प्लेटफार्म से मिल जाए, इस दिशा में कार्य किया जाए। राज्य के जिन क्षेत्रों में मोबाईल कनेक्टिविटी की अभी भी समस्या है, उनका जल्द समाधान हो, इस दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं। विभिन्न सरकारी योजनाओं का आम जन को पूरा लाभ मिले, इसके लिए ऐसा सिस्टम विकसित किया जाए कि लोगों को उनकी पात्रता के अनुसार एक क्लिक पर सारी जानकारी उपलब्ध हो सके। विभागों द्वारा भविष्य की आवश्यकताओं को देखकर दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जाएं।
उद्योग विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि भारत सरकार द्वारा सहायतित योजनाओं में तेजी से कार्य किये जाएं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार के अनेक संभावनाएं हैं, युवाओं को कौशल विकास के साथ ही अधिक से अधिक रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ने पर ध्यान दिया जाए। राज्य में अधिक से अधिक औद्योगिक गतिविधियां हों, बाहर से निवेशक आयें, इस दिशा में तेजी से प्रयास करना हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न विभागों के जो बड़े प्रोजक्ट तेजी से आगे नहीं बढ़ रहे हैं, उनकी जल्द समीक्षा की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी भूमि का सही तरीके से उपयोग हो, इसके लिए जो भी कार्य किये जाएं, वे मास्टर प्लान के तहत ही हों। उन्होंने कहा कि मसूरी एवं नैनीताल में पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। हमें ऐसी व्यवस्था पर भी ध्यान देना होगा कि पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों को अधिक जाम की स्थिति से न गुजरना पड़े।
बैठक में जानकारी दी गई कि अपणि सरकार पोर्टल के माध्यम से 485 सेवाएं लोगों तक पहुचाई जा रही है। जिसमें से 265 सेवाएं सेवा के अधिकार में ली गई है। सेवा के अधिकार में और सेवाओं को जोड़ने के लिए कार्य किया जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आय के संसाधन बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए कनेक्टिविटी, डिजिटल साक्षरता एवं कौशल विकास की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। उद्योग विभाग द्वारा स्वरोजगार की योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। स्वरोजगार की ओर लोगों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। एमसएमई के तहत भी अनेक कार्य किये जा रहे हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, अपर सचिव विजय कुमार जोगदण्डे, महानिदेशक उद्योग रोहित मीणा, निदेशक आई.टी.डी.ए नितिका खण्डेलवाल, अपर सचिव नवनीत पाण्डे, मनोज पंत एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

तो सरकार ने भी माना अचानक बढ़े चारधाम यात्रा के श्रद्धालु, व्यवस्थाओं की भी दी जानकारी

रविवार को देहरादून स्थित सचिवालय, मीडिया सेंटर में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अशोक कुमार, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर, स्वास्थ्य सचिव राधिका झा, प्रो. हेम चंद्र पांडे (कुलपति, एच.एन.बी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय), महानिदेशक सूचना रणबीर सिंह चौहान द्वारा चार धाम से संबंधित जानकारियों को अवगत करवाने हेतु संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि अन्य सालों के मुकाबले इस साल भारी संख्या में यात्री एवं श्रद्धालु चार धाम यात्रा पर आ रहे हैं। उन्होंने चार धाम यात्रा को राज्य के विकास हेतु अति महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यात्रियों को स्वास्थ्य सुरक्षा पेयजल ठहरने जैसी तमाम सुविधाएं मिले इसके लिए सभी विभाग आपस में समन्वय के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया उत्तराखण्ड सरकार के सभी विभाग यथा पर्यटन (नोडल विभाग), धर्मस्व, चिकित्सा, परिवहन, नागरिक उड्डयन एवं जिला प्रशासन आदि द्वारा यात्रा को सुचारू एवं सुरक्षित बनाने हेतु सभी प्रकार की व्यवस्थाएँ की गयी है।
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया की दिनांक 4.06.2022 तक चारधाम यात्रा में आये यात्रियों की संख्या लगभग 1611598 है। उन्होंने बताया दिनांक 04.06.2022 तक चारधाम यात्रा में आये वाहनों की संख्या-154983 रही। उन्होने बताया पुलिस द्वारा यात्रा के दौरान बिछडे 920 यात्रियों को उनके साथ आये श्रद्धालुओं से मिलाया गया, यात्रा के दौरान 300 यात्रियों को रेस्क्यू कर उनका जीवन बचाया गया, 80 यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया एवं 54 घायलों की मदद की गयी, 130 यात्रियों के गुम हुये सामान को वापस कराया गया। उन्होंने बताया चारधाम यात्रा में लगभग 4500 पुलिस बल, 06 कम्पनी, एसडीआरएफ 25 सब टीम, एलआईयू 70, होमगार्ड 700, पीआरडी 600, एनडीआरएफ 02 टीम नियुक्त किया गया है। यात्रा सीजन हेतु अतिरिक्त 47 पोस्ट/चौकियां स्थापित की गयी हैं। यात्रा मार्गों पर 57 टूरिस्ट पुलिस केन्द्र स्थापित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान तक हैली ऑनलाइन बुकिंग फर्जीवाडा एवं फर्जी रजिस्ट्रेशन के सम्बंध में 16 अभियोग पंजीकृत कर 20 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। चारधाम यात्रा एवं विभिन्न धार्मिक/पर्यटक स्थलों पर मिशन मर्यादा अभियान के दौरान लगभग 20000 लोगों के विरूद्ध कार्यवाही की गयी। उन्होंने बताया बढते यातायात के दृष्टिगत कई स्थानों पर वन-वे ट्रैफिक प्लान बनाया गया है। रुद्रप्रयाग जनपद में यात्रियों की सुविधा हेतु 04 सुपर जोन, 10 जोन एवं 26 सेक्टर में विभाजित कर श्री केदारनाथ में एक पुलिस उपाधीक्षक एवं एक अपर पुलिस अधीक्षक को गौरीकुण्ड में नियुक्त कर सुदृढ पुलिस प्रबंध किये गये हैं। साथ ही धामों में श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु पर्याप्त संख्या में बैरिकेडिंग, रस्से व्यवस्थाओं के साथ साथ पंक्तिबद्ध दर्शन कराये जा रहे हैं। राज्य के धामों में वीआईपी गेट की पूर्व प्रचलित व्यवस्था को समाप्त किया गया है।
स्वास्थ्य सचिव राधिका झा ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा चार धाम हेतु की गई तैयारियां के बारे में अवगत करवाया। कहा कि चिकित्सा विभाग द्वारा सुरक्षित यात्रा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई है जो 2019 की तुलना में कहीं अधिक है और अनेक नये प्रयास भी किए गए हैं। चिकित्सा कर्मियों की तैनाती में बढ़ोतरी करते हुए 178 चिकित्साधिकारी तैनात किये गए हैं, जो वर्ष 2019 की तुलना में 66 प्रतिशत अधिक है। फर्स्ट मेडिकल रिस्पांडर एवं मेडिकल रिलीफ पोस्ट की संख्या में भी वृद्धि की गई है। एंबुलेंस की संख्या में भी गत वर्षों की तुलना में 33 प्रतिशत वृद्धि करते हुए यात्रा मार्ग पर 119 एम्बुलेंस तैनात की गई है। यात्रियों को त्वरित चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए पहली बार हेली एम्बूलेंस सेवाएं दी जा रही है, इसके अतिरिक्त सभी चिकित्सा इकाइयों पर ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति रखी गयी है। 2019 की तुलना में 108 एम्बूलेंस द्वारा दी गयी सेवाओं में 173 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी दर्ज की गयी है। उन्होंने बताया हृदय रोगियों के समुचित उपचार हेतु पहली बार विशेषज्ञ चिकित्सकों को ब्ंतकपवसवहल में प्रशिक्षण देकर यात्रा मार्ग पर स्थित प्रमुख चिकित्सालयों में तैनात किया गया है। यात्रा में तैनात चिकित्सकों को एम्स ऋषिकेश के माध्यम से हाई एल्टीट्यूड सिकनेस के उपचार हेतु प्रशिक्षण भी पहली बार दिया गया है। यात्रियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए हाल ही में एम०बी०बी०एस० उत्तीर्ण 75 बांडधारी चिकित्सकों की तैनाती अगले 3 माह के लिए यात्रा से संबंधित अस्पतालों/जनपदों में की गई है। उन्होंने कहा कि चारों धाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित है जिसमें क्रमशः- केदारनाथ धाम की औसत ऊंचाई 3580 मी0, बद्रीनाथ 3415मी0, यमुनोत्री 3235मी0 तथा गंगोत्री 3415मी० समुद्रतल से ऊंचाई पर स्थित है। बिना किसी विराम के मैदानी क्षेत्रों से आये हुए यात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित धामों पर जाने में प्रतिकूल स्वास्थ्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें सांस फूलना, ठण्ड लगना एवं हृदयाघात जैसी स्थितियां प्रमुख है। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि यात्रियों को पर्वतीय मौसम एवं वातावरण के प्रति अभ्यस्त होने में भी समय लगता है। इन सभी कारणों के फलस्वरूप हर वर्ष ही दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हृदय गति रुकने से मृत्यु होती आयी है जैसे वर्ष 2017 में भी 112 यात्रियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई थी।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्य में पहली बार यात्रा मार्गों पर हेल्थ स्क्रीनिंग की व्यवस्थाएं की गई हैं जिसमें 9 प्रमुख स्थानों क्रमश- बद्रीनाथ के लिए गौचर एवं पाण्डुकेश्वर, केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग, जवारी बॉयपास एवं कुण्डपुल तथा यमुनोत्री के लिए दोबाटा, जानकी चट्टी एवं गंगोत्री के लिए हिना एवं गंगोत्री में हेल्थ स्क्रीनिंग की जा रही है। हैल्थ स्क्रीनिंग में ऐसे यात्रियों को आगे की यात्रा से रोका जा रहा है, जिनकी स्वास्थ्य स्थिति यात्रा के अनुकूल नहीं है। अभी तक 87 यात्रियों को स्क्रीनिंग उपरान्त वापस लौटाया गया है। उन्होने बताया यद्यपि यात्रियों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए सभी की हेल्थ स्क्रीनिंग किया जाना। सहज नहीं हो पा रहा है तथापि चिकित्सा विभाग द्वारा 50 वर्ष से अधिक आयु के सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। बहुत से उत्साही यात्री चिकित्सकीय परामर्श के उपरान्त भी अंडरटेकिंग देकर यात्रा जारी रख रहे हैं। उन्होंने बताया की वर्तमान तक दो लाख से ऊपर रोगियों की हेल्थ स्क्रीनिंग की गई है, 71,646 यात्री ओपीडी में देखे गए हैं एवं 381 रोगियों को एंबुलेंस सेवा प्रदान की गई है तथा 5000 से अधिक यात्रियों को आपातकालीन सेवाएं भी प्रदान की गयी है। हेलीकॉप्टर एंबुलेंस का उपयोग 30 रोगियों को एम्स ऋषिकेश लाकर सफलतापूर्वक उपचार कराया गया है।
सरकार द्वारा कुलपति चिकित्सा विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा इन मृत्यु के कारणों का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण अनुसार कोविड महामारी के दूरगामी प्रभाव के कारण मैदानी क्षेत्रों से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा करने का जोखिम अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने बताया विशेषज्ञ समिति द्वारा यह मंतव्य देते हुए सुझाव दिये गये हैं कि बुजुर्ग एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित यात्रियों का पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है और सभी यात्रियों को मेडिकल एडवाइजरी का अनुपालन करते हुए ही यात्रा पर आना चाहिए क्योंकि अभी तक हुई मृत्यु में 60 प्रतिशत से अधिक लोग को-मोरबीडीटी से ग्रसित थे एवं 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक की आयु के थे। उन्होंने कहा विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने पर और अधिक देखे गये हैं। विशेषज्ञ समिति ने दिनांक 5.06.2022 को दिये गये सुझावों में कहा गया है कि बुजुर्ग, कोविड प्रभावित तथा अन्य रोगों से ग्रसित यात्री स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सकीय परामर्श उपरान्त ही यात्रा पर आएं. यात्रा के दौरान 48 घण्टे तक स्थान विशेष के अनुसार ढलने के उपरान्त तथा तत्समय की स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए सतर्कता से यात्रा करें।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 34 लाख यात्री उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर आए थे, परंतु वर्ष 2022 में मात्र 1 माह में यह संख्या 16 लाख तक पहुंच चुकी है जो कि चार धाम यात्रा की व्यापक लोकप्रियता और उत्तराखंड के प्रति देशभर में लोगों के बढ़ते आकर्षण का प्रतीक है। केदारनाथ धाम में भी वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 10 लाख लोग दर्शन के लिए पहुंचे थे जबकि वर्ष 2022 में मात्र 1 माह की अवधि के भीतर 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा केदारनाथ धाम के दर्शन किए गए हैं। उन्होंने कहा पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार यात्रियों की सुरक्षा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है ताकि किसी दिन विशेष पर धामों की धारण क्षमता के अनुरूप लोग वहां पहुंच सके और यात्रा प्रबंधन को बेहतर किया जा सके। पंजीकरण का उद्देश्य यात्रा मार्ग पर उपलब्ध सुविधाओं के अनुरूप संख्या में श्रद्धालुओं को धामों पर जाने के लिए पंजीकृत करना है जिससे कि उनकी यात्रा सुखद एवं सुरक्षित हो सके।
पर्यटन सचिव ने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार एक टोल फ्री कॉल सेंटर का संचालन किया जा रहा है। जिसमें एक समय पर 6 लोगों को एक साथ यात्रा के संबंध में विविध जानकारियां दी जाती हैं और किसी प्रकार की समस्या की स्थिति में उसे संबंधित विभाग को सौंप दिया जाता है। कॉल सेंटर में अब तक लगभग 12500 से अधिक कॉल रिसीव हो चुके हैं इस प्रकार प्रतिदिन लगभग 400 लोगों द्वारा कॉल सेंटर पर कॉल करके चार धाम यात्रा के संबंध में विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त की जा रही हैं। उन्होंने कहा ऋषिकेश तथा हरिद्वार में बिना रजिस्ट्रेशन के ही यात्रा के लिए आ चुके लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ तथा पर्यटन विभाग द्वारा फिजिकल रजिस्ट्रेशन केंद्रों के माध्यम से इन यात्रियों का पंजीकरण किया जा रहा है। प्रतिदिन औसतन पांच से छह हजार ऐसे श्रद्धालुओं को धामों के लिए पंजीकृत करते हुए यात्रा पर भेजा जा रहा है। ऋषिकेश में आईएसबीटी ऋषिकेश हरिद्वार में चमगादड़ टापू पर फिजिकल रजिस्ट्रेशन काउंटर संचालित किए जा रहे हैं। राज्य भर में कुल 18 फिजिकल पंजीकरण केंद्र बनाए गए हैं। रजिस्ट्रेशन काउंटर तथा मंदिरों में दर्शन हेतु कतार प्रबंधन के लिए टोकन सिस्टम की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि पहली बार यात्रा मार्ग पर निरंतर निगरानी बनाए रखने के लिए सर्विलांस कैमरा स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त धामों पर यात्रियों की संख्या का सटीक आकलन करने के लिए हेडकाउंट कैमरा स्थापित किए गए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से यात्रियों को यात्रा पंजीकरण, हेल्थ एडवाइजरी तथा मौसम की अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि वह यात्रा के पूर्व इन जानकारियों के आधार पर अपनी योजना बना सकें। यात्रा पर जाने वाले प्रत्येक वाहन का पंजीकरण अनिवार्य है निजी वाहनों का पंजीकरण रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर स्वयं का रजिस्ट्रेशन करते समय ही हो जाता है।सुलभ इंटरनेशनल संस्था के माध्यम से चारधाम यात्रा मार्ग पर 144 स्थाई शौचालय (1513 सीट) का संचालन एवं रखरखाव किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त सभी जनपदों में आवश्यकतानुसार अस्थाई फ्लेक्सी शौचालय भी स्थापित किए गए हैं।
प्रो. हेम चंद्र पांडे (कुलपति, एच.एन.बी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय) ने बताया कि विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के दूरगामी प्रभाव के कारण मैदानी क्षेत्रों से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा करने का जोखिम अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने कहा हमारे द्वारा सुझाव दिये गये हैं कि बुजुर्ग एवं अन्य बिमारियों से ग्रसित यात्रियों का पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है और सभी यात्रियों को मेडिकल एडवाईजरी का अनुपालन करते हुए ही यात्रा पर आना चाहिए क्योंकि अभी तक हुई मृत्यु में 60 प्रतिशत से अधिक लोग को-मोर्बिडिटी से ग्रसित थे एवं 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक की आयु के थे। उन्होंने कहा विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने पर और अधिक देखे गये हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग, कोविड प्रभावित तथा अन्य रोगों से ग्रसित यात्री स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सकीय परामर्श उपरान्त ही यात्रा पर आएं. यात्रा के दौरान 24 से 48 घण्टे तक स्थान विशेष के अनुसार ढलने के उपरान्त तथा तत्समय की स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए सर्तकता से यात्रा करें।

सड़क सुरक्षा को लेकर मुख्य सचिव सख्त, दिए अधिकारियों को निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने नेशनल हाईवे, एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी आदि सभी सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि आमजन की सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं से लोगों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए। उन्होंने सभी अधिकारियों को सड़कों के इंटरसेक्शन में यातायात शान्त करने के उपायों को अपनाने, क्रैश बैरियर लगाने, खतरनाक होर्डिंग्स को हटाने के साथ ही ब्लैक स्पॉट चिन्हित करते हुए उनके सुधारीकरण के कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित किए जाने के निर्देश दिए। 
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की जिंदगी अनमोल होती है। सड़क दुर्घटनाओं से किसी की जान न जाए इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित सुप्रीम कोर्ट की समिति द्वारा दिए गए सुझावों को शीघ्र से शीघ्र कार्यवाही करते हुए अनुपालन किया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सभी सुझावों को उनकी प्राथमिकता तय करते हुए अधिक खतरनाक स्पॉट्स का पहले सुधारीकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित अध्ययन और सुझावों के लिए बेस्ट एक्सपर्ट्स को हायर किया जाए, इसके लिए बजट की चिंता न की जाए, किसी की जान से अधिक कीमती कुछ भी नहीं है। 
मुख्य सचिव ने प्रदेश की सभी मेजर और माइनर सड़कों के जंक्शन (जहां पर सड़कें मिलती हैं) का traffic calming measures लागू किए जाने के के साथ ही क्रैश बैरियर्स को आईआरएस स्टैंडर्ड्स के अनुसार लगाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने क्रैश बैरियर शीघ्र से शीघ्र लगाते हुए एक्सीडेंट प्रॉन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए। जहां जहां क्रैश बैरियर खराब हो गई हैं, शीघ्र बदला जाए। ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर उनके सुधारीकरण की कार्रवाई भी प्राथमिकता के आधार पर की जाए। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग को प्राथमिकता पर लेते हुए ब्लैक स्पॉट सुधारीकरण और क्रैश बैरियर इंस्टालेशन का कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाए।
बैठक में बताया गया कि पीडब्ल्यूडी के अधीन सड़कों में 39 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए थे, जिनमें से 25 का सुधारीकरण कर दिया गया है, 14 में काम चल रहा है। पीडब्ल्यूडी (एनएच) के अन्तर्गत 44 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए जिनमें से 25 का सुधारीकरण कर दिया गया है, 19 में कार्य प्रगति में है। एनएचएआई में 75 में से 62 का सुधारीकरण किया जा चुका है, 13 में कार्यवाही गतिमान है एनएचआईडीसीएल और बीआरओ में से क्रमशः 1 और 3 चिन्हित थे जिनका सुधारीकरण किया जा चुका है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव परिवहन अरविन्द सिंह ह्यांकी एवं परिवहन आयुक्त रणवीर सिंह चौहान सहित सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

ऑनलाइन माध्यम से बेहतरीन शिक्षकों के लेक्चर छात्रों को उपलब्ध कराने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरुवार को सचिवालय में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के जीवन में उच्च शिक्षा का अत्यधिक महत्व है। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने हेतु प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कॉलेज तो हैं पर फैकल्टी की कमी है। इसके लिए ऑनलाइन एजुकेशन एक अच्छा विकल्प है।
मुख्य सचिव ने कहा कि देश-विदेश और प्रदेश के बेस्ट टीचर्स के लेक्चर के वीडियोज सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उपलब्ध कराए जाएं। जिससे छात्र-छात्राओं को सबसे अच्छे अध्यापकों से ज्ञान अर्जन का अवसर मिलेगा। इसके लिए सभी कक्षाओं में टीवी या बड़ी स्क्रीन उपलब्ध करायी जाए। ऐसे क्षेत्रों में जहां नेटवर्क नहीं है, यह पाठ्य सामग्री और वीडियो पेनड्राईव के माध्यम से उपलब्ध कराई जाए। यह हमारे पर्वतीय संस्थानों के लिए अत्यधिक उपयोगी होगा। इससे हमारे शिक्षकों को भी विषय के बेस्ट लेक्चर सुनने का लाभ मिलेगा।
मुख्य सचिव ने प्रत्येक राजकीय कॉलेज व यूनीवर्सिटी में इन्नोवेटिव क्लब बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नवाचार योजना को बढ़ावा दिया जाए, इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इस मद में धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। साथ ही, देश के बेस्ट कॉलेज के मॉडल को अपनाकर अपने राज्य में लागू किया जाए। शुरुआत में प्रत्येक जनपद के एक कॉलेज में इसे शुरू की जा सकती है। जिसका अनुपालन अन्य सरकारी और प्राइवेट कॉलेज कर सकेंगे। उन्होंने टीचर्स को भी अपडेट रखने हेतु शॉर्ट टर्म कोर्सेज कराने जाने हेतु व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों को नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.आई.आर.एफ) में अनिवार्य रूप में प्रतिभाग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रैंकिंग में प्रतिभाग करने के संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार आएगा। उन्होंने कैरियर काउंसिलिंग पर भी फोकस किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि एक ऐसा पैनल तैयार किया जाए जिसमें अनुभवी लोगों को रखा जाए, जो छात्र-छात्राओं को कैरियर के सम्बन्ध में सुझाव दे सकें।
मुख्य सचिव ने प्रत्येक जनपद में महिला छात्रावासों को विकसित और सुदृढ़ किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पहले से उपलब्ध छात्रावासों को सुदृढ़ करके ऐसी व्यवस्था की जाए, जिसमें किसी भी कॉलेज और विश्वविद्यालय की छात्राएं रह सकें। उन्होंने कहा कि दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में छात्र-छात्राएं कॉलेज दूर होने या किराया अधिक होने के कारण कॉलेज नहीं जा पाते हैं। हमारे प्रदेश का युवा उच्च शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए। स्थानीय प्रशासन अथवा विभाग द्वारा छात्र-छात्राओं को स्थानीय परिवहन सुविधा में छूट उपलब्ध कराए जाने हेतु विभाग द्वारा शीघ्र प्रस्ताव तैयार किया जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी सहित कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के कुलसचिव एवं रजिस्ट्रार उपस्थित रहे।

अटकलों पर विराम, मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ आईएएस को बनाया मुख्य सचिव

1987 बैच उत्तराखंड कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को राज्य का नया मुख्य सचिव बनाया गया है। वह मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हो रहे उत्पल कुमार सिंह के स्थान पर शुक्रवार शाम पांच बजे विधिवत कार्यभार ग्रहण करेंगे। अपर मुख्य सचिव (कार्मिक एवं सतर्कता) राधा रतूड़ी ने उनकी नियुक्ति के आदेश जारी किये है।
वहीं, आदेश जारी होने के बाद आईएएस ओम प्रकाश मुख्यमंत्री के आवास गए और मुख्यमंत्री को पुष्प गुच्छ देकर आभार व्यक्त किया। सूत्रों की मानें तो ओम प्रकाश को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों में माना जाता है। उनका त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ काम करने का पुराना अनुभव है। जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे, तब ओम प्रकाश उनके सचिव हुआ करते थे। उत्पल कुमार के सेवानिवृत्त होने से नए मुख्य सचिव को लेकर हालांकि तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि वरिष्ठता के आधार पर दो अपर मुख्य सचिवों में से एक को मुख्य सचिव बनाया जाएगा। बुधवार को कैबिनेट बैठक के दौरान उन्होंने ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाए जाने के संकेत भी साफ कर दिए थे।
मुख्य सचिव के आदेश जारी होने के बाद ओम प्रकाश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्राथमिकता वाली योजनाओं पर खास फोकस करेंगे। उन्होंने कहा कि चारधाम आलवेदर रोड परियोजना, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना, केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य व वाह्य साहयतित योजनाओं के तहत अवस्थापनाओं के कार्यों को समय से पूरा कराया जाएगा। कोविड-19 महामारी और अनलॉक के दौर में राज्य के समक्ष चुनौतियों के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार के स्तर पर प्रयास चल रहे है। ओम प्रकाश ने कहा कि वह कृषि और उद्यानिकी के क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे। राज्य सरकार ने खेती को स्वरोजगार से जोड़ने की कई योजनाएं बनाई हैं, जिन्हें लोगों तक पहुंचाया जाएगा।

एक नजर मुख्य सचिव तक का सफर तय करने तक …
-ओम प्रकाश का जन्म 14 मई 1962 को बौंसी, जिला बाँदा (बिहार) में हुआ।
-बीएससी फिजिक्स-ऑनर्स। पटना साइंस कॉलेज। 
-एमएससी-थेऔरोटिकल फिजिक्स। सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी।
-एम फिल-सीएसआईआर फेलोशिप। 
-1987 बैच के आईएएस अफसर। 
-1985 तक इनकम टैक्स में जॉब।
-ट्रेनिंग जौनपुर यूपी।
-एसडीएम-खुर्जा बुलंदशहर।
– सीडीओ-फतेहपुर।
-डीएम-मऊ, गाजीपुर, बांदा, हाथरस और देहरादून।
-2012 में प्रमुख सचिव। 
-2017 में अपर मुख्य सचिव।